Biskohar ki Mati Class 12 Question Answer |Class 12 Hindi Biskohar ki Mati Question Answer | बिस्कोहर की माटी के प्रश्न उत्तर

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Biskohar ki Mati Class 12 Question Answer |Class 12 Hindi Biskohar ki Mati Question Answer | बिस्कोहर की माटी के प्रश्न उत्तर



प्रश्न 1. कोइयाँ किसे कहते हैं? उसकी विशेषताएँ बताइए?

उत्तर : कोईयाँ एक जलपुष्प है। इसे कुमुद और कोका-बेली भी कहते हैं। शरद् ऋतु में जहाँ भी गड्ढा और उसमें पानी होता है, वहीं कोइयाँ फूल उंठती हैं। रेलवे लाइनों के दोनों ओर प्राय: गड्ढों में पानी: भरा होता है। इनमें कोइयाँ फूलता है। कोइयाँ को सर्वत्र देखा जा सकता है।

विशेषताएँ : शरद की चाँदनी में सरोवरों में चाँदनी का प्रतिबिम्ब और खिली हुई कोइयों की पत्तियाँ एक हो जाती हैं। -इसकी गंध बड़ी मनभावन होती है।

 

प्रश्न 2. ‘बच्चे का माँ का दूध पीना सिर्फ दूध पीना नहीं है, ,ाँ से बच्चे के सारे संबंधों का जीवन चरित होता है’ टिप्पणी कीजिए।

उत्तर : जन्म के उपरांत बच्चा भोजन के रूप में माँ के दूध ही ग्रहण करता है। वह काफी सकय तक माँ के दूध से ही अपना पेट भरता है। माँ अपने आँचल में छिपाकर बच्चे को दूध पिलाती है। यह बच्चे का केवल दूध पीना ही नहीं है। इस क्रिया के साथ माँ-बच्चे के सारे संबंध चरितार्थ होते हैं। माँ बच्चे को गोद में लेकर दूध पिलाती है। बच्चा माँ के गोद में कभी रोता है, कभी हैसता है। कभी वह माँ से चिपटता है, तो कभी माँ को पैर मारता है। माँ को बच्चे की ये सब क्रियाएँ अच्छी लगती है।

वह इन क्रियाओं के दौरान बच्चे को प्यार करती है। उसे अपनी स्नेह छाया से दूर होने नहीं देती। वैसे वह स्नेहवश कभी-कभी उसे मारती भी है, तब भी बच्चा माँ से चिपटा रहता है। बच्चा माँ के पेट का स्पर्श-गंध भोगता है और ऐसा प्रतीत होता है कि वह पेट में अपनी जगह ढूँढ रहा है। बच्चे को दूध पिलाने वाली माँ युवती होती है। उसके स्तन दूध से भरे होते हैं। वह बच्चे को माँ, नारी, मित्र सभी प्रकार का सुख एक साथ देती है। माँ की गोद में लेटकर बच्चे का माँ का दूध पीना, जड़ से चेतन होने यानि मानव जन्म लेने को सार्थकता प्रदान करता है।


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प्रश्न 3. बिसनाथ पर क्या अत्याचार हो गया?

उत्तर : बिसनाथ (विश्वनाथ) जब शिशु था तब पहले वह अकेला था और माँ के दूध का एकमात्र हकदार था। तभी छोटा भाई आ गया। विश्वनाथ माँ के दूध से कट गया। अब माँ के दूध पर छोटे भाई का कब्जा हो गया। इस प्रकार बिसनाथ (विश्वनाथ) पर अत्याचार हो गया। लेकिन बिसनाथ भी आसानी से कब्जा छोड़ने वाला नहीं था। उसने माँ के दूध के स्थान पर गाय का दूध पीने से इंकार कर दिया। गाय के दूध पहचानते ही वह चीखता-” हम गैयक दूध नाहीं पियब; अम्मक दूध पियब (अर्थात् हम गाय का दूध नहीं पिएँगे, अम्मा का दूध पिएँगे)। पर दाई की चालाकी से बिसनाथ का माँ का दूध पीना छुड़ा ही दिया गया। अब छोटा भाई ही अम्मा का दूध पीता था।

 

प्रश्न 4. गरमी और लू से बचने के उपायों का विवरण दीजिए। क्या आप भी इन उपायों से परिचित हैं?

उत्तर : गर्मी और लू से बचने के उपाय :

गर्मी और लू से बचने के लिए माँ बालक की धोती या कमीज में गाँठ लगाकर प्याज बाँध देतीं। प्याज से लू बेअसर हो जाती है।

कच्चे आम का पन्ना गर्मी और लू से बचाता है।

कच्चे आम को भूनकर गुड़ या चीनी में मिलाकर उसका शरबत बनाकर पीना, देह (शरीर) में लेपना या नहाना भी उपयोगी रहता है।

कच्चे आम को भून या उबालकर सिर धोने से भी गर्मी और लू से बचाव होता है।

हाँ, हम भी इन उपायों से परिचित हैं। हम भी प्याज और कच्चे आम को भूनकर प्रयोग करते हैं।

 

प्रश्न 5. लेखक बिसनाथ ने किन आधारों पर अपनी माँ की तुलना बत्तख से की है?

उत्तर : बत्तख अंडां देने के समय पानी को छोड़कर जमीन पर आ जाती है। बत्तखें अपने अंडों को सेती हैं। वे अपने पंख फुलाए उन्हें दुनिया की नजरों से छिपाकर रखती हैं। बत्तख बहुत सतर्कता एवं कोमलता से काम करती है। इसी प्रकार माँ भी अपने बच्चे की देखभाल करती है। बिसनाथ की माँ और बत्तख में ममता के आधार पर पर्याप्त समानता है। माँ भी बत्तख की तरह अपने बच्चों को अपने आँचल की छाया में छिपाकर रखती है। दोनों को अपने बच्चों के साथ लगाव होता है।


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प्रश्न 6. बिस्कोहर में हुई बरसात को जो वर्णन बिसनाथ ने किया है, उसे अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर : बिस्कोहर में वर्षा सीधे-सीधे नहीं आती थी। पहले बादलों के घिरने और गड़गड़ाहट की आवाजें सुनाई देती हैं। पूरे आकाश में इतने बादल घिर आते हैं कि दिन में ही रात प्रतीत होने लगती। ‘चढ़ा आकास गगन घन गाजा, घन घमंड गरजत घर घोरा’ जैसा वातावरण उपस्थित हो जाता है। कभी ऐसा लगता था कि जैसे दूर से घोड़ों की पंक्ति दौड़ी चली आ रही है। कई दिन तक बरसने पर दीवार गिर जाती, घर धैस जाते। जब भीषण गर्मी के बाद बरसात होती तब कुत्ते, बकरी, मुर्गी-मुर्गे आवाजें करते इधर-उधर भागे फिरते थे। इस वर्षा में नहाने से चर्म रोग ठीक हो जाते थे। वर्षा के प्रभाव से दूबों, वनस्पतियों आदि में नई चमक दिखाई देने लगती है। वर्षा के बाद कीचड़, बदबू, बाढ़ की समस्या उत्पन्न हो जाती है।

 

प्रश्न 7. फूल केवल गंध ही नहीं देते , दवा भी करते हैं, कैसे?

उत्तर : फूल गंध तो देते ही हैं, इसके साथ-साथ वे दवा का काम भी करते हैं। कमल, कोइयाँ, हरसिंगार आदि के फूल मनभावन गंध बिखेरते हैं। पीली सरसों खेतों में तेल की गंध तैरा देते हैं। बिसनाथ के गाँव में ‘भरभंडा’ सूू होता है। इसे सत्यानाशी भी कहते हैं। यह फूल दवा का काम भी करता है। आँखें आ जाने (दुखने पर) माँ उसका दूध आँख में लगाती है। वह ठीक हो जाती है। नीम के फूल और पत्ते चेचक के रोगी के पास रखे जाते हैं। इससे वह ठीक रहता है। बेर का फूल सूँघने से बरें-ततैये का डंक झड़ जाता है। इस प्रकार कई फूल दवा का काम भी करते हैं।


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प्रश्न 8. ‘प्रकृति सजीव नारी बन गई’ – इस कथन के आलोक में निहित जीवन मूल्यों को ‘बिस्कोहर की माटी’ पाठ के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए।

उत्तर : जाड़े की धूप और चैत की चाँदनी में ज्यादा फर्क नहीं होता। बरसात की भीगी चाँदनी चमकती तो नहीं लेकिन मधुर और शोभा के भार से दबी ज्यादा होती है। वैसे ही बिस्कोहर की वह औरत। पहली बार उसे बढ़नी में एक रिश्तेदार के यहाँ देखा। बिसनाथ की उमर उससे काफी कम है-ताज्जुब नहीं दस बरस कम हो, बिसनाथ 10 से ज्यादा के नहीं थे। देखा तो लगा चाँदनी रात में बरसात की चाँदनी रात में जूही की खुशबू आ रही है। बिस्कोहर में उन दिनों बिसनाथ संतोषी भइया के घर बहुत जाते थे। उनके आँगन में जूही लगी थी। उसकी ख्रुशबू प्राणों में बसी रहती थी।

यों भी चाँदनी में सफेद फूल ऐसे लगते हैं मानो पेड़ों, लताओं पर चाँदनी ही फूल के रूप में दिखाई पड़ रही हो। चाँदनी भी प्रकृति, फूल भी प्रकृति और खुशबू भी प्रकृति। वह औरत बिसनाथ को औरत के रूप में नहीं, जूही की लता बन गई चाँदनी के रूप में लगी जिसके फूलों की खुशबू आ रही थी। प्रकृति सजीव नारी बन गई थी और बिसनाथ उसमें आकाश, चाँदनी, सुर्गंधि सब देख रहे थे। वह बहुत दूर की चीज इतने नजदीक आ गई थी। सौंदर्य क्या होता है, तदाकार परिणति क्या होती है। जीवन की सार्थकता क्या होती है, यह सब बाद में सुना, समझा, सीखा सब उसी के संदर्भ में। वह नारी मिली भी-बिसनाथ आजीवन उससे शरमाते रहे। उसकी शादी बिस्कोहर में ही हुई। कई बार मिलने के बाद बहुत हिम्मत बाँधने के बाद उस नारी से अपनी भावना व्यक्त करने के लिए कहा, ” जो तुम्हैं पाइ जाइ ते जरूरै बोराय जाइ – जो तुम्हें पा जाएगा वह जरूर ही पागल हो जाएगा।”

 

प्रश्न 9. ऐसी कौन-सी स्मृति है जिसके साथ लेखक को मृत्यु का बोध अजीब तौर से जुड़ा मिलता है ?

उत्तर : एक बार बड़े गुलाम अली ने एक पहाड़ी ठुमरी गाई थी-‘अब जो आओ साजन’, ‘सुने अकेले में याद करें’ इस ठुमरी को तो रुलाई आती है और वही औरत इसमें व्याकुल नजर आती है। वह सफेद रंग की साड़ी पहने रहती है। घने काले केश सँवारे हुए हैं। उसकी आँखों में आई कथा समाई है। वह सिर्फ इंतजार करती रह जाती है। लेखक को इस स्मृति के साथ मृत्यु का बोध अजीब तौर से होता है।

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