Vasant Aaya Class 12 Question Answer | Class 12 Hindi Vasant Aaya Question Answer | वसंत आया कविता के प्रश्न उत्तर

8 minute read
0

Vasant Aaya Class 12 Question Answer | Class 12 Hindi Vasant Aaya Question Answer | वसंत आया कविता के प्रश्न उत्तर



 वसंत आया

प्रश्न 1. वसंत आगमन की सूचना कवि को कैसे मिली?

उत्तर : वसंत आगमन की सूचना कवि को प्रकृति में आए परिवर्तनों से मिली। बंगले के पीछे के पेड़ पर चिड़िया कुहकने लगी, सड़क के किनारे की बजरी पर पेड़ों से गिरे पीले पत्ते पाँव के नीचे आकर चरमराने लगे, सुबह छह बजे खुली ताजा गुनगुनी हवा आई और फिरकी की तरह घूमकर चली गई। फुटपाथ के चलते हुए कवि ने इन परिवर्तनों को देखा और इनके प्रभाव का अनुभव किया। उन्हीं से उसे वसंत के आगमन की सूचना मिली।

 

प्रश्न 2. ‘कोई छः बजे सुबह’ फिरकी सी आई, चली गई’-पंक्ति में निहित भाव स्पष्ट कीजिए।

उत्तर : वसंत ऋतु में प्रातःकाल छः बजे के आसपास चलने वाली हवा की अनुभूति कुछ इस प्रकार की होती है जैसे कोई युवती गरम पानी से नहाकर आई हो। हवा में गुनगुनापन होता है। तब की हवा फिरकी की तरह गोल घूम जाती है और शीघ्र चली भी जाती है अर्थात् समाप्त भी हो जाती है। उसमें हाड़ को कँपा देने वाली ठंडक नहीं रहती। उसकी शीतलता घट जाती है और हल्की गरमाहट का अहसास होने लगता है।

 

प्रश्न 3. ‘वसंत पंचमी’ के अमुक दिन होने का प्रमाण कवि ने क्या बताया और क्यों ?

उत्तर : वसंत पंचमी के अमुक दिन होने का प्रमाण कवि ने यह बताया कि उस दिन दफ्तर में छुट्टी थी। दफ्तर में छ्छ्टी होने से यह पता चल जाता है कि उस दिन कोई विशेष त्योहार है। वसंत पंचमी के आने का पता भी दफ्तर की छुट्टी और कैलेंडर से चला। इसका कारण है कि आधुनिक जीवन-शैली में व्यक्ति का प्रकृति के साथ संबंध टूटता जा रहा है अतः वह प्राकृतिक परिवर्तनों से अनजान रहता है।


 यह पेज आपको कैसा लगा ... कमेंट बॉक्स में फीडबैक जरूर दें...!!!


प्रश्न 4. ‘और कविताएँ पढ़ते रहने से’ आम बौर आवेंगे में’ निहित व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर : इस काव्य-पंक्ति में यह व्यंग्य निहित है कि लोगों को वसंत के बारे में जानकारी कविताओं को पढ़ने से मिलती है। वे स्वयं वसंत के आगमन का अनुभव नहीं कर पाते। वसंत में होने वाले प्राकृतिक परिवर्तनों की जानकारी भी उन्हें कविता से ही मिलती है। कविताओं को पढ़कर ही वे यह जान पाते हैं कि वसंत ऋतु में पलाश के जंगल दहकते हैं, आमों में बौर लगता है। आज के लोग स्वयं इन दृश्यों को अपनी आँखों से देखने का कष्ट नहीं करते। वे तो कविताओं में ही वसंत का वर्णन पढ़ते हैं। यह आज के जीवन की विडंबना है। आज का व्यक्ति आंडबरपूर्ण जीवन-शैली जी रहा है। अब वह प्रकृति की जानकारी पुस्तकों से पाता है।

 

प्रश्न 5. अलंकार बताइए :

(क) बड़े-बड़े पियराए पत्ते

(ख) कोई छः बजे सुबह जैसे गरम पानी से नहाई हो

(ग) खिली हुई हवा आई, फिरकी सी आई, चली

(घ) कि दहर-दहर दहकेंगे कहीं ढाक के जंगल

उत्तर : (क) बड़े-बड़े – पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार पियराए पत्ते – अनुप्रास अलंकार

(ख) मानवीकरण अलंकार

(ग) उपमा अलंकार, अनुप्रास अलंकार

(घ) पुनरुक्ति प्रकाश एवं अनुप्रास अलंकार

 

प्रश्न 6. किन पंक्तियों से ज्ञात होता है कि आज का मनुष्य प्रकृति के नैसर्गिक सौंदर्य की अनुभूति से वंचित है ?

उत्तर : निम्नलिखित पंक्तियों से यह ज्ञात होता है कि आज का मनुष्य प्रकृति के नैसर्गिक सौंदर्य की अनुभूति से वंचित है :

 

यह कैलेंडर से मालूम था

अमुक दिन अमुक बार मदन महीने की होवेगी पंचमी

दफ्तर में छुट्टी थी-यह था प्रमाण

और कविताएँ पढ़ते रहने से यह पता था

कि दहर-दहर दहकेंगे कहीं ढाक के जंगल आम बौर आवेंगे

रंग-रस-गंध से लदे-फँदे दूर के विदेश के वे नंदन वन होरेंगे यशस्वी

मधुमस्त पिक और आदि अपना-अपना कृतित्व अभ्यास करके दिखावेंगे

यही नहीं जाना था कि आज के नगण्य दिन जानूँगा जैसे मैंने जाना, कि वसंत आया।

 

प्रश्न 7. ‘प्रकृति मनुष्य की सहचरी है’ इस विषय पर विचार व्यक्त करते हुए आज के संदर्भ में इस कथन की वास्तविकता पर प्रकाश डालिए।

उत्तर : यह कथन बिल्कुल सही है कि प्रकृति मनुष्य की सहचरी है। प्रकृति ही मनुष्य का साथ शुरू से अंत तक निबाहती है। प्रकृति हर समय उसके साथ रहती है। मनुष्य आँखें खोलते ही प्रकृति के दर्शन करता है। सूर्य, चंद्रमा, पर्वत, नदी, भूमि, बृक्ष-सभी प्रकृति के विभिन्न रूप हैं। हमारा जीवन पूरी तरह प्रकृति पर निर्भर है। अन्य लोग भले ही हमारा साथ छोड़ दें, पर प्रकृति सहचरी बनकर हमारे साथ रहती है। प्रकृति हमें अपनी ओर आकर्षित करती है। प्रकृति का आमंत्रण मौन भले ही हो, पर वह काफी प्रभावशाली होता है।

 

प्रश्न 8. ‘वसंत आया’ कविता में कवि की चिंता क्या है ? उसका प्रतिपाद्य लिखिए।

उत्तर : ‘वसंत आया’ कविता में कवि की चिता यह है कि मनुष्य का प्रकृति से नाता टूट गया है, यह अच्छी बात नहीं है। लोगों का जीवन इतना व्यस्त और मशीनी हो गया है कि वह प्रकृति में आ रहे परिवर्तनों को न तो देख पाता है और न अनुभव कर पाता है। वह संवेद्नहीन होता चला जा रहा है। मनुष्य की आधुनिक जीवन शैली कवि की चिता का विषय बन गई है। इस जीवन-शैली में वसंत जैसी मादक ऋतु भी लोगों को आह्लादित नहीं कर पाती। वसंत पंचमी का पता भी उसे दफ्तर की छुट्टी से ही लगता है। पेड़ों से पत्तों का गिरना, नई कोंपलों का फूटना, हवा का बहना, ढ़ाक-वन का सुलगना, कोयल-भ्रमर की मस्ती आद् पर आज के मनुष्य की निगाह का न जाना चिंता का विषय है। हमें प्रकृति-सौंदर्य का भरपूर आनंद उठाना चाहिए। कवि इस बात के लिए चिंतित है कि मनुष्य का प्रकृति से एकात्मकता का संबंध समाप्त होता जा रहा है। इसे पुनः स्थापित किया जाना आवश्यक है।


आपकी स्टडी से संबंधित और क्या चाहते हो? ... कमेंट करना मत भूलना...!!!



तोड़ो

प्रश्न 1. ‘पत्थर’ और ‘चट्टान’ शब्द किसके प्रतीक हैं?

उत्तर : ‘पत्थर’ और ‘चट्टान’ शब्द् बाधाओं और रुकावट्टों के प्रतीक हैं। कविता ‘तोड़ो’ में इन दोनों शब्दों का प्रयोग हुआ –

हैतोड़ो तोड़ो तोड़ो

ये पत्थर ये चट्टानें

ये झूठे बंधन टूटें

तो धरती को हम जानें।

अर्थात् ये दोनों बंधन झूटे हैं। इनके नीचे वास्तविकता छिपी रहती है। ये दोनों बंधन कवि-कर्म अर्थात् सृजनकर्ता में भी बाधा उपस्थित करते हैं। ये बंधन बंजर धरती में हैं तो मानव-मन में भी हैं। धरती को उर्वर बनाने के लिए जिस प्रकार पत्थर और चट्टानों को तोड़ना पड़ता है उसी प्रकार सृजनकार्य के लिए मन की ऊब और खीज़ भी मिटाना पड़ता है। इस संद्भ में पत्थर-चट्टान मन की ऊब और खीज के प्रतीक बन जाते हैं।

 

प्रश्न 2. कवि को धरती और मन की भूमि में क्या-क्या समानताएँ दिखाई पड़ती हैं ?

उत्तर : कवि को धरती और मन की भूमि में निम्नलिखित समानताएँ दिखाई पड़ती हैं :

# धरती और मन दोनों की भूमि में बंजरपन है। इससे सृजन में बाधा आती है।

# धरती में कठोरता तथा पत्थर आदि हैं जबकि मन में ऊब तथा खीझ है।

# बंजर धरती अपने भीतर बीज का पोषण नहीं कर पाती और मन की भूमि की झुझलाहट के कारण भावों या विचारों का पोषण नहीं हो पाता।

# जिस प्रकार धरती की गुड़ाई कर भूमि को उपजाऊ बनाया जा सकता है उसी प्रकार मन की भूमि से खीझ को खोदकर निकालने से वह भी सृजन के योग्य बन जाती है।

 

प्रश्न 3. भाव-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए :

मिट्टी में रस होगा ही जब वह पोसेगी बीज को हम इसको क्या कर डालें इस अपने मन की खीज को ?

गोड़ो गोड़ो गोड़ो

उत्तर : इन पंक्तियों में यह भाव निहित है कि मिट्टी का रस ही बीज का पोषण करता है। मिट्टी में रस का होना अत्यंत आवश्यक है। मन की खीझ को भी मिटाना (तोड़ना) आवश्यक है। सृजन के लिए ऊब को मिटाना जरूरी है। तब नव-निर्माण हो सकेगा। ‘गोड़ो’ शब्द की बार-बार आवृत्ति कर कवि ने यह संदेश दिया है कि मन रूपी भूमि की बार-बार गुडाई करना अत्यंत आवश्यक है। इससे बाधक तत्व हट जाएँगे और सुजनात्मकता को बढ़ाया जा सकता है।


 यह पेज आपको कैसा लगा ... कमेंट बॉक्स में फीडबैक जरूर दें...!!!


प्रश्न 4. कविता का आरंभ ‘तोड़ो तोड़ो तोड़ो’ से हुआ है और अंत ‘गोड़ो गोड़ो गोड़ो’ से। विचार कीजिए कि कवि ने ऐसा क्यों किया ?

उत्तर : कविता का आंरभ ‘तोड़ो तोड़ो तोड़ो’ से हुआ है और अंत ‘गोड़ो गोड़ो गोड़ो’ से हुआ है। कवि ने ऐसा इसलिए कहा होगा क्योंकि पहले जमीन को समतल बनाने के लिए पत्थरों को तोड़ना आवश्यक है। पथरीली जमीन को उपजाऊ खेत में बदलना आवश्यक है। इसके बाद ही गोड़ने की क्रिया आरंभ होती है। धरती में गुड़ाई करके बीज का पोषण किया जा सकता है। इसी प्रकार मन में भावों और विचारों के पोषण के लिए झुँझलाहट, चिढ़, कुढ़न आदि को निकाल फेंकना आवश्यक है। इसी प्रकार मन की खीझ और ऊब को तोड़ने के बाद ही उसमें सृजन की प्रक्रिया का आरंभ होगा। यह प्रक्रिया ही गोड़ना है।

 

प्रश्न 5. ये झूठे बंधन टूटें

तो धरती को हम जानें

यहाँ पर झूठे बंधनों और धरती को जानने से क्या अभिप्राय है ?

उत्तर : यहाँ पर ‘झूठे बंधनों को तोड़ने का आह्नान है। धरती का बंजरपन और चट्टानें उसके झूठे बंधन हैं। यह स्थिति मन की भी है। इसके कृत्रिम बंधनों को भी तोड़ना जरूरी है। ‘धरती को जानने’ से अभिप्राय यह है कि धरती में निहित उर्वरा शक्ति और उसके रस का जानना-पहचानना आवश्यक है। इसी प्रकार मन की वास्तविकता को जानना भी जरूरी है। इसकी ऊब को दूर करना आवश्यक है। तभी हम मन की अंतनिर्हित शक्तियों को जान पाएँगे।

 

प्रश्न 6. ‘आधे- आधे गाने’ के माध्यम से कवि क्या कहना चाहता है ?

उत्तर : आधे-आधे गाने’ के माध्यम से कवि यह कहना चाहता है कि जब तक मन में ऊब और खीझ व्याप्त रहती है तब तक मन से पूरा गाना नहीं निकलता। मन जब उल्लासित होता है तभी पूरा गाना निकलता है। मन का स्पष्ट होना आवश्यक है। मन की संजनात्मक क्षमता बढ़ाने के लिए मन की बाधाओं को दूर करना आवश्यक है।

आपकी स्टडी से संबंधित और क्या चाहते हो? ... कमेंट करना मत भूलना...!!!


Post a Comment

0Comments

If you have any doubts, Please let me know

Post a Comment (0)