नेताजी का चश्मा {कक्षा- दसवीं}
(शब्दार्थ और कठिन पंक्तियों का सरल अर्थ )
शब्दार्थ:-
एक ठो नगरपालिका भी थी।
ठो= दो
एक संगमरमर की प्रतिमा लगवा दी।
प्रतिमा= मूर्ति
उपलब्ध बजट से कहीं बहुत ज्यादा होने के कारण काफी समय ऊहापोह और चिट्ठी-पत्री में बर्बाद हुआ होगा।
ऊहापोह= निर्णय न हो सकना
कुछ-कुछ मासूम और कमसिन।
कमसिन= सुंदर
हालदार साहब का कौतुक और बढ़ा।
कौतुक= जिज्ञासा
एक बार जब कौतूहल दुर्दमनीय हो उठा।
कौतूहल= जिज्ञासा
दुर्दमनीय= असहनीय
वह एक काला मोटा और खुशमिजाज़ आदमी था।
खुशमिजाज़= खुश स्वभाव वाला
अपनी लाल काली बत्तीसी दिखाकर बोला।
लाल काली बत्तीसी= लाल काले दाँत
उसे वैसे ही फ्रेम की दरकार होती है।
दरकार= आवश्यकता
उस धूल भरी यात्रा में हालदार साहब को कौतुक और प्रफुल्लता के कुछ क्षण देने के लिए।
प्रफुल्लता= प्रसन्नता/ खुशी
बार बार सोचते, क्या होगा उस कौम का जो अपने देश की खातिर घर-गृहस्थी-जवानी-जिंदगी सब कुछ होम देने वालों पर भी हँसती है और अपने लिए बिकने के मौके ढूँढ़ती है।
कौम= जाति
होम= मूल्यवान वस्तु का त्याग करना
कठिन पंक्तियों का सरल अर्थ:-
उपलब्ध बजट से कहीं बहुत ज्यादा होने के कारण काफी समय ऊहापोह और चिट्ठी-पत्री में बर्बाद हुआ होगा और बोर्ड की शासन अवधि समाप्त होने की घड़ियों में किसी स्थानीय कलाकार को ही अवसर देने का निर्णय किया गया होगा।
भाव:-
लेखक के कहने का भाव है कि नगरपालिका के पास ज्यादा पैसा नहीं था... जिसके कारण वह यह निर्णय नहीं कर पा रहे थे कि आखिरकार मूर्ति बनवाई कैसे जाए? इसलिए उन्होंने चिट्ठी-पत्री में ही समय बर्बाद कर दिया होगा और जिस नगरपालिका को यह काम करना था उसके शासन करने का समय समाप्त होने की कगार पर था जिसके कारण कोई आसपास के मूर्तिकार को ही यह मूर्ति बनाने की जिम्मेदारी सौंप दी होगी।
बार बार सोचते, क्या होगा उस कौम का जो अपने देश की खातिर घर-गृहस्थी-जवानी-जिंदगी सब कुछ होम देने वालों पर भी हँसती है और अपने लिए बिकने के मौके ढूँढ़ती है।
भाव:-
हालदार सोच रहे थे कि कुछ लोग अपनी जवानी जिंदगी घर-गृहस्थी को त्यागकर देश सेवा में जुट जाते हैं। परंतु जो जाति शहीदों, देशभक्तों का मजाक उड़ाती है; ऐसी जाति का क्या होगा? अर्थात वह नष्ट हो जाएगी
मूर्ति की आँखों पर सरकंडे से बना छोटा सा चश्मा रखा हुआ था, जैसा बच्चे बना लेते हैं।
भाव:-
बच्चों ने सरकंडे का चश्मा बनाकर सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति पर लगा दिया क्योंकि उन्हें भी चश्मे के बिना सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति अच्छी नहीं लग रही थी। इससे यह पता चलता है कि बच्चों में भी देशभक्ति की भावना है।
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धन्यवाद...!!!
accha bete
ReplyDeleteShukriya....🙏
DeleteGreat sir,
ReplyDeletethanks a lot.
ReplyDeleteUseful
ReplyDeleteGreat♥️🤝
ReplyDeleteThanks a lot.
ReplyDeleteVery informative and useful , keep it up.
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