Class 11 and 12 Hindi Abhivyakti Aur Madhyam NCERT Book Chapter Kaise Likhe Kahani (Important Question)/ कैसे लिखें कहानी Question Answer
प्रश्न 1. कहानी की परिभाषा स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-परिभाषा-कहानी साहित्य की एक ऐसी गद्य विधा है जिसमें जीवन के किसी एक अंग विशेष का मनोरंजन पूर्ण चित्रण किया जाता है। कहानी एक ऐसी साहित्यिक विधा है, जो अपने सीमित क्षेत्र में पूर्ण एवं स्वतंत्र है, प्रभावशाली है। कहानी में मानव जीवन की कथा होती है।
अलग-अलग विद्वानों और लेखकों ने कहानी की विभिन्न परिभाषाएं दी हैं परंतु कहानी की परिभाषा को लेकर एक निष्कर्ष पर नहीं पहुँच सकते। प्रेमचंद ने कहानी की परिभाषा इस प्रकार दी है-
"कहानी एक रचना है, जिसमें जीवन के किसी अंग किसी एक मनोभाव को प्रदर्शित करना ही लेखक का उद्देश्य होता है। उसका चरित्र, शैली तथा कथा विन्यास सब उसी भाव को पुष्ट करते हैं।" अर्थात् किसी घटना पात्र या समस्या का क्रमबद्ध ब्योरा जिसमें परिवेश हो, द्वंद्वात्मकता हो, कथा का क्रमिक विकास हो, चरम उत्कर्ष का बिंदु हो, उसे कहानी कहा जा सकता है।
प्रश्न 2. कहानी के तत्व कौन-कौन से हैं ?
अथवा
कहानी की तात्विक समीक्षा कीजिए।
उत्तर-कहानी साहित्य की एक गद्य विधा है। इसके प्रमुख तत्व इस प्रकार हैं-
1. कथानक अथवा कथावस्तु
2. पात्रयोजना अथवा चरित्र-चित्रण
3. संवाद योजना अथवा कथोपकथन
4. देशकाल और वातावरण
5. उद्देश्य
6. भाषा शैली।
1. कथानक अथवा कथावस्तु-यह कहानी का पहला और सर्वप्रथम तत्व है। कहानी में आरंभ से अंत तक जो कुछ कहा जाए उसे कथानक अथवा कथावस्तु कहते हैं। कहानी में घटित होने वाली घटनाएं ही उसका कथानक होता है। यह कहानी का मूलाधार होता है। इसे आरंभ, मध्य और अंत तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है।
2. पात्र-योजना अथवा चरित्र-चित्रण-यह कहानी का दूसरा प्रमुख तत्व है। कहानी में पात्र योजना कथानक के अनुरूप होना चाहिए। कहानी में नायक और नायिका दो प्रमुख पात्र होते हैं। अन्य इनके सहायक पात्र होते हैं। पात्रों के द्वारा ही लेखक अपना उद्देश्य स्पष्ट करता है और समाज को संदेश देता है।
3. संवाद-योजना अथवा कथोपकथन-संवाद का शाब्दिक अर्थ है-परस्पर बातचीत। कहानी में पात्रों के बीच हुई परस्पर बातचीत को संवाद अथवा कथोपकथन कहते हैं। यह कहानी का तीसरा प्रमुख तत्व होता है। संवाद पात्रों के चरित्र का उद्घाटन करते हैं तथा कहानी का विकास करते हैं। इसलिए संवाद योजना, सहज, सरल, स्वाभाविक तथा पात्रानुकूल होनी चाहिए।
4. देशकाल और वातावरण-यह कहानी का चौथा प्रमुख तत्व होता है। देशकाल और वातावरण से तात्पर्य परिस्थितियों और समय से है। इनके द्वारा कहानी में घटित घटनाओं की परिस्थितियों तथा वातावरण का बोध होता है। कहानी में देशकाल वातावरण कथानक के अनुरूप होना चाहिए तथा घटनाओं से समन्वय होना चाहिए।
5. उद्देश्य-यह कहानी का पाँचवां प्रमुख तत्व है। साहित्य में कोई भी रचना निरुद्देश्य नहीं होती। प्रत्येक रचना का अपना कोई-न-कोई उद्देश्य अवश्य होता है। इस प्रकार कहानी भी एक उद्देश्यपूर्ण रचना है। कहानी में लेखक अपने पात्रों के माध्यम से अपना उद्देश्य स्पष्ट करता है।
6. भाषा शैली-यह कहानी का महत्त्वपूर्ण तत्व है। कहानी में भाषा शैली सरल, सहज, स्वाभाविक, पात्रानुकूल और विषयानुकूल होनी चाहिए। इसमें सहज और सामान्य शब्दावली का प्रयोग होना चाहिए।
प्रश्न 3. कहानी में पात्रों अथवा चरित्रों का क्या महत्त्व है?
उत्तर-कहानी में पात्रों अथवा चरित्रों का बहुत महत्त्व है जो इस प्रकार हैं-
1. पात्र कहानी के मूलाधार होते हैं।
2. पात्र कहानी को गतिशीलता प्रदान करते हैं।
3. पात्र कहानी का उद्देश्य स्पष्ट करते हैं।
4. पात्र पाठकों को संदेश देते हैं।
5. पात्र कहानी को समापन की ओर ले जाते हैं।
प्रश्न 4. कहानी की भाषा शैली कैसी होनी चाहिए?
अथवा
कहानी की भाषा शैली की क्या विशेषताएँ हैं ?
उत्तर-कहानी की भाषा शैली की विशेषताएँ निम्नलिखित होनी चाहिए-
1. भाषा शैली सरल और सहज होनी चाहिए।
2. भाषा शैली स्वाभाविक होनी चाहिए।
3. भाषा शैली पात्रानुकूल होनी चाहिए।
4. भाषा शैली विषयानुकूल होनी चाहिए।
5. भाषा शैली प्रसंगानुकूल होनी चाहिए।
प्रश्न 5. कहानी का हमारे जीवन से क्या संबंध है?
उत्तर-कहानी का मानवीय जीवन से घनिष्ठ संबंध है। आदिम युग से ही कहानी मानव जीवन का प्रमुख अंग रही है। यह मानवीय जीवन का एक ऐसा अभिन्न अंग है कि प्रत्येक मनुष्य किसी-न-किसी रूप में कहानी सुनता और सुनाता है। विचारों का आदान-प्रदान इस संसार का एक अनूठा नियम है। इसलिए इस संसार में प्रत्येक मनुष्य में अपने अनुभव बांटने और दूसरों के अनुभव जानने की प्राकृतिक इच्छा होती है। यहाँ प्रत्येक मनुष्य अपने विचारों, अनुभवों और वस्तुओं का आदान-प्रदान करता है। हम अपनी बातें किसी को सुनाना और दूसरों की सुनना चाहते हैं। इसलिए यह सत्य है कि इस संसार में प्रत्येक मनुष्य में कहानी लिखने की मूल भावना होती है। यह दूसरा सत्य है कि कुछ लोगों में इस भावना का विकास हो जाता है और कुछ इसे विकसित करने में समर्थ नहीं होते। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि कहानी का मानवीय जीवन से अटूट संबंध है।
प्रश्न 6. कहानी की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि स्पष्ट कीजिए।
अथवा
कहानी के इतिहास पर नोट लिखिए।
उत्तर-कहानी का इतिहास उतना ही पुराना है जितना मानवीय इतिहास है क्योंकि कहानी मानवीय स्वभाव और प्रकृति का अटूट हिस्सा है। कहानी सुनने और सुनाने की प्रवृत्ति मनुष्य में आदिम युग से है। जैसे-जैसे मानवीय सभ्यता का विकास होता गया वैसे-वैसे कहानी की आदिम कला का विकास होता रहा। कथावाचक कहानियाँ सुनाते गए और श्रोता उनकी कहानियाँ सुनते गए।
प्राकृतिक रूप से मनुष्य एक कल्पनाशील प्राणी है। कल्पना करना मनुष्य का स्वाभाविक गुण है। धीरे-धीरे सत्य घटनाओं पर आधारित (कथा) कथा-कहानी सुनते-सुनाते मनुष्य में कल्पना का सम्मिश्रण होने लगा क्योंकि प्राय: मनुष्य वह सुनना चाहता है जो उसे प्रिय है। प्राचीन काल में किसी घटना, युद्ध, प्रेम आदि के किस्से सुनाए जाते थे और श्रोता इन किस्से कहानियों को आनंदपूर्वक सुनते थे। धीरे-धीरे ये किस्से ही कहानियों का रूप (धारण) ग्रहण कर लेते हैं। इस प्रकार कहानी कला का धीरे-धीरे विकास हुआ।
प्रश्न 7. प्राचीन काल में मौखिक कहानी की लोकप्रियता के क्या कारण थे?
उत्तर-प्राचीन काल में मौखिक कहानी की लोकप्रियता के कई कारण थे जो इस प्रकार हैं-
1. प्राचीन काल में संचार के साधनों की कमी थी इसलिए मौखिक कहानी ही संचार का सबसे बड़ा माध्यम थी।
2. प्राचीन काल में मौखिक कहानी धर्म प्रचारकों और संतों के सिद्धांतों और विचारों को लोगों तक पहुँचाने का माध्यम थी।
3. मौखिक कहानी ही समाज में शिक्षा के प्रचार-प्रसार का साधन थी।
4. प्राचीन काल में मौखिक कहानी ही मनोरंजन का प्रमुख साधन थी।
प्रश्न 8. कहानी का केंद्र बिंदु कथानक होता है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-कहानी में प्रारंभ से अंत तक घटित सभी घटनाओं को कथानक कहते हैं। कथानक कहानी का प्रथम और महत्त्वपूर्ण तत्व होता है। यह कहानी का मूलाधार होता है। इसे कहानी का प्रारंभिक नक्शा भी कहते हैं। जिस प्रकार कोई मकान बनाने से पहले उसका नक्शा बनाया जाता है। उसी प्रकार कहानी लिखने से पहले उसका कथानक लिखा जाता है। कथानक ही कहानी का केंद्र बिंदु होता है। सामान्यतः कथानक किसी घटना, अनुभव अथवा कल्पना पर आधारित होता है। कभी कहानीकार की बुद्धि में पूरा कथानक आता है और कभी कहानी का एक सूत्र आता है। केवल एक छोटा-सा प्रसंग अथवा पात्र कहानीकार को आकर्षित करता है। इसलिए कोई एक प्रसंग भी कहानी का कथानक हो सकता है और कोई एक छोटी-सी घटना भी कथानक की प्रमुख घटना हो सकती है।
उसके बाद कहानीकार उस घटना अथवा प्रसंग का कल्पना के आधार पर विस्तार करता है। यह सत्य है कि कहानीकार की कल्पना कोरी कल्पना नहीं होती। यह कोई असंभव कल्पना नहीं होती बल्कि ऐसी कल्पना होती है जो संभव हो सके। कल्पना के विस्तार के लिए लेखक के पास जो सूत्र होता है उसके माध्यम से ही कल्पना आगे बढ़ती है। यह सूत्र लेखक को एक परिवेश, पात्र और समस्या प्रदान करता है। उनके आधार पर लेखक संभावनाओं पर विचार करता है और एक ऐसा काल्पनिक ढांचा तैयार करता है जो संभव हो सके और लेखक के उद्देश्यों सरे भी मेल खा सके। सामान्यतः कथानक में प्रारंभ, मध्य और अंत के रूप में कथानक का पूर्ण स्वरूप होता है। संपूर्ण कहानी कथानक के इर्द-गिर्द घुमती है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि कथानक कहानी का केंद्र बिंदु होता है।
प्रश्न 9. देशकाल और वातावरण का कहानी लेखन में किस प्रकार आवश्यक है ?
उत्तर-देशकाल और वातावरण कहानी का महत्त्वपूर्ण तत्व होता है। इसका कथानक से सीधा संबंध होता है। जब कहानीकार कहानी के कथानक का स्वरूप बना लेता है। तब वह कथानक को देशकाल और वातावरण के साथ जोड़ता है। देशकाल और वातावरण कहानी को प्रामाणित और रोचक बनाने में बहुत आवश्यक है। कहानी लेखन में (पात्र)प्रत्येक घटना और पात्र का समस्या का अपना देशकाल और वातावरण होता है। यदि कथानक की घटनाएँ देशकाल और वातावरण से मेल नहीं खातीं तो वह कहानी असफल सिद्ध होती है। इसलिए कहानीकार जिस परिवेश से कहानी के कथानक को जोड़ना चाहता उसे उस परिवेश की पूरी जानकारी होनी चाहिए। इसलिए हम कह सकते हैं कि देशकाल और वातावरण का कहानी लेखन में महत्त्वपूर्ण योगदान है।
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