Patra Lekhan Hindi Vyakaran | Aupcharik Patra Lekhan | Anopcharik Patra Lekhan | हिंदी व्याकरण पत्र
पत्र-लेखन – Letter-Writing in Hindi
पत्र-व्यवहार ऐसा साधन है जो दूरस्थ व्यक्तियों की भावना को एक संगम भूमि पर ला खड़ा करता है और दोनों में आत्मीय सम्बन्ध स्थापित करता है। सुप्रसिद्ध अंग्रेज़ लेखक जेम्स हाडल का कथन सत्य ही है कि “जिस प्रकार कुंजियाँ मंजूषाओं के पत्र लेखन एक कला है जो दो व्यक्तियों के विचारों को साहित्यिक तकनीक में समेट कर प्रस्तुत करती है। पत्र मनुष्य के विचारों का आदान-प्रदान सरल, सहज, लोकप्रिय तथा सशक्त माध्यम से करता है।
पत्र के प्रकार
पत्र व्यक्ति के सुख-दुःख का सजीव संवाहक होने के साथ यह पत्र-लेखक के व्यक्तित्व का प्रतिबिम्ब भी होता है। निजी जीवन से लेकर व्यापार को बढ़ाने अथवा कार्यालय/संस्थानों में परस्पर सम्पर्क का साधन पत्र ही है। पत्र की इन सभी उपयोगिताओं को देखते हुए पत्रों को मुख्यतः दो वर्गों में विभाजित किया जाता है जो निम्नलिखित हैं-
- अनौपचारिक पत्र
- औपचारिक पत्र
पत्र की विशेषताएँ
पत्र लेखन एक कला है। पत्र की निम्नलिखित विशेषताएँ होती हैं-
- भाषा की संक्षिप्तता पत्र लेखन में अपने भावों एवं विचारों को संक्षिप्त रूप में अभिव्यक्त किया जाना चाहिए। पत्र में अनावश्यक रूप से विस्तार नहीं दिया जाना चाहिए। पत्र में व्यर्थ के शब्दों से भी बचा जाना आवश्यक है।
- क्रमबद्धता पत्र लेखन करते समय क्रमबद्धता का ध्यान रखा जाना अति आवश्यक है, जो बात पत्र में पहले लिखी जानी चाहिए उसे पत्र में प्रारम्भ में तथा बाद में लिखी जाने वाली बात को अन्त में ही लिखा जाना चाहिए।
- भाषा की स्पष्टता एवं सरलता पत्र की भाषा पूरी तरह सरल व स्पष्ट होनी चाहिए। भाषा में स्पष्टता का गुण न होने पर पत्र पढ़ने वाला पत्र-लेखक के भावों को समझ नहीं पाएगा। स्पष्टत: पत्र लिखते समय प्रचलित शब्दों एवं सरल वाक्यों का प्रयोग किया जाना चाहिए। कठिन भाषा से पत्र नीरस हो जाता है।
- प्रभावपूर्ण शैली पत्र की भाषा शैली प्रभावपूर्ण होनी चाहिए जिससे पाठक पत्र-लेखक के भावों को सरलता से समझ सके। पत्र की भाषा मौलिक होनी चाहिए। अनावश्यक शब्दों एवं भाषा का प्रयोग करके आकर्षक पत्र नहीं लिखा जा सकता।
- उद्देश्यपूर्ण पत्र इस प्रकार लिखा जाना चाहिए जिससे पाठक की हर जिज्ञासा शान्त हो जाए। पत्र अधूरा नहीं होना चाहिए। पत्र में जिन बातों का उल्लेख किया जाना निश्चित हो उसका उल्लेख पत्र में निश्चित तौर पर किया जाना चाहिए। पत्र पूरा होने पर उसे एक बार अन्त में पुनः पढ़ लेना चाहिए।
पत्र लिखते समय ध्यान देने योग्य बातें
पत्र लिखित समय ध्यान देने योग्य बातें निम्नलिखित हैं
- पत्र लिखते समय पत्र-लेखक व पत्र-प्राप्तकर्ता का नाम व पता दिनांक के साथ लिखा जाना चाहिए।
- पत्र में अनावश्यक बातों का विस्तार न देकर संक्षिप्त में अपनी बात प्रभावपूर्ण तरीके से कही जानी चाहिए।
- पत्र का विषय स्पष्ट होना चाहिए।
- पत्र लिखते समय कम से कम शब्दों में अधिक से अधिक बात कहने की कोशिश करनी चाहिए।
- पत्र की भाषा मधुर, आदरसूचक एवं सरल होनी चाहिए।
- पत्र की समाप्ति इस प्रकार होनी चाहिए कि पत्र का सन्देश स्पष्ट हो सके।
अनौपचारिक पत्र
सगे-सम्बन्धियों, मित्रों, रिश्तेदारों, परिचितों आदि को लिखे गए पत्र अनौपचारिक पत्र कहलाते हैं, इन्हें व्यक्तिगत पत्र भी कहा जाता है। इनमें व्यक्तिगत प्रवृत्तियों, सुख-दुःख, हर्ष, उत्साह, बधाई, शुभकामना आदि का वर्णन किया जाता है। अनौपचारिक पत्रों की भाषा आत्मीय व हृदय को स्पर्श करने वाली होती है।
अनौपचारिक पत्र के भाग
- प्रेषक का पता- अनौपचारिक पत्र लिखते समय सर्वप्रथम या अंत में प्रेषक का पता लिखा जाता है। यह पता पत्र के बायीं ओर लिखा जाता है।
- तिथि-दिनांक प्रेषक के पते के ठीक नीचे बायीं ओर तिथि लिखी जाती है। यह तिथि उसी दिवस की होनी चाहिए, जब पत्र लिखा जा रहा है।
- सम्बोधन- जिसे पत्र लिखा जा रहा है उसे सम्बोधित किया जाता है। सम्बोधन का अर्थ है किसी व्यक्ति को पुकारने के लिए प्रयुक्त शब्द। सम्बोधन के लिए प्रिय, पूज्य, स्नेहिल, आदरणीय आदि सूचक शब्दों का प्रयोग किया जाता है।
- अभिवादन- सम्बोधन के बाद नमस्कार, सादर चरण-स्पर्श आदि रूप में अभिवादन लिखा जाता है।
- विषय-वस्तु- अभिवादन के बाद मूल विषय-वस्तु को क्रम से लिखा जाता है। जहाँ तक सम्भव हो अपनी बात को छोटे-छोटे परिच्छेदों में लिखने का प्रयास करना चाहिए।
- स्वनिर्देश/अभिनिवेदन- इसके अन्तर्गत प्रसंगानुसार ‘आपका’, ‘भवदीय’, ‘शुभाकांक्षी’ आदि शब्दों का प्रयोग किया जाता है।
- हस्ताक्षर- पत्र में अभिनिवेदन के पश्चात् अपना नाम लिखा जाता है अथवा हस्ताक्षर किए जाते हैं।
कार्ड या लिफाफे पर पता लिखना
इसके अतिरिक्त पता लिखना भी पत्र का आवश्यक भाग है। पत्र पाने वाले (प्रेषिती) का पता, कार्ड या लिफाफे पर इस प्रकार लिखा जाता है-सबसे पहले प्रेषिती का नाम, दूसरी पंक्ति में मकान संख्या, गली-मुहल्ला आदि, तीसरी पंक्ति में गाँव, शहर और डाकघर का नाम लिखा जाता है। अन्तिम पंक्ति में जिले और राज्य का उल्लेख रहता है।
जैसे-
श्री रामलखन वर्मा – आर. पी. वाजपेयी
ग्राम-मौजीपुर – 15- विकास नगर
पोस्ट-क्योंटी बादुल्ला (बिसवाँ) – सीतापुर (उ.प्र.)
जिला-सीतापुर (उत्तर प्रदेश) – पिन-261001
अनौपचारिक पत्र के सम्बोधन, अभिवादन तथा अभिनिवेदन
अनौपचारिक पत्रों के उदाहरण
पिता द्वारा पुत्र को
♦ छात्रावास में पढ़ रहे पिता द्वारा मनीऑर्डर भेजे जाने हेतु एक पत्र लिखिए।
पोखर खाली,
अल्मोड़ा।
दिनांक 10-4-20xx
प्रिय बेटा अजय,
शुभाशीष।
यहाँ सब कुशल पूर्वक हैं, आशा है तुम भी सकुशल होगे। आज ही तुम्हारा पत्र मिला मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई कि तुम्हारी लिखित परीक्षा के दो प्रश्न-पत्र हो गए हैं और तुमने दोनों प्रश्न-पत्रों को बहुत अच्छे ढंग से किया है। मैंने आज ही ₹ 500 का मनीऑर्डर तुम्हारे नाम भेज दिया है। आशा है पत्र के साथ वह भी मिल जाएगा। अपनी पढ़ाई का विशेष ध्यान रखना और इन पैसों का सदुपयोग ही करना। तुम्हारी माताजी ने तुम्हारे लिए प्यार और भाई-बहनों ने नमस्ते कहा है।
तुम्हारा पिता
मित्र को आमन्त्रण पत्र
♦ काव्य गोष्ठी में आमन्त्रित किए जाने पर मित्र को धन्यवाद प्रकट करते हुए एक पत्र लिखिए
5 विकास नगर,
सीतापुर।
दिनांक 4-3-20xx
मित्रवर राकेश जी,
सप्रेम नमस्ते।
आपका पत्र आज प्राप्त हुआ। यह बहुत ही खुशी की बात है कि आप अपने निवास स्थान पर कवि गोष्ठी कराने जा रहे हैं। मैं वहाँ अवश्य ही आऊँगा। स्थानीय कवियों के अतिरिक्त और कौन-कौन से कवि आ रहे हैं? मयंक जी को आमन्त्रित किया है या नहीं? यदि किसी चीज़ की आवश्यकता हो तो मुझे अवश्य लिखें; मैं उसकी व्यवस्था कर लूगाँ। यहाँ पर सब कुशल मंगल है। आशा है कि आप भी स्वस्थ एवं सानन्द होंगे।
आपका मित्र
मुनीश कुमार
सलाह सम्बन्धी पत्र
♦ अपनी छोटी बहन को समय का सदुपयोग करने की सलाह देते हुए पत्र लिखिए।
18, जीवन नगर,
गाजियाबाद।
दिनांक 19-3-20xx
प्रिय कुसुमलता,
शुभाशीष।
आशा करता हूँ कि तुम सकुशल होगी। छात्रावास में तुम्हारा मन लग गया होगा और तुम्हारी दिनचर्या भी नियमित चल रही होगी। प्रिय कुसुम, तुम अत्यन्त सौभाग्यशाली लड़की हो जो तुम्हें बाहर रहकर अपना जीवन संवारने का अवसर प्राप्त हुआ है, परन्तु वहाँ छात्रावास में इस आज़ादी का तुम दुरुपयोग मत करना। बड़ा भाई होने के नाते मैं तुमसे यह कहना चाहता हूँ कि तुम समय का भरपूर सदुपयोग करना। तुम वहाँ पढ़ाई के लिए गई हो। इसलिए ऐसी दिनचर्या बनाना जिसमें पढ़ाई को सबसे अधिक महत्त्व मिले। यह सुनहरा अवसर जीवन में फिर वापस नहीं आएगा। इसलिए समय का एक-एक पल अध्ययन में लगाना| मनोरंजन एवं व्यर्थ की बातों में ज़्यादा समय व्यतीत न करना। अपनी रचनात्मक रुचियों का विस्तार करना। खेल-कूद को भी पढ़ाई जितना ही महत्त्व देना। आशा करता हूँ तुम मेरी बातों को समझकर अपने समय का उचित प्रकार सदुपयोग करोगी तथा अपनी दिनचर्या का उचित प्रकार पालन करके परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करोगी। शुभकामनाओं सहित।
तुम्हारा भाई,
कैलाश
मित्र को बधाई पत्र
♦ अपने मित्र को वार्षिक परीक्षा में प्रथम स्थान पर उत्तीर्ण होने के उपलक्ष्य में बधाई पत्र लिखिए।
40/3, नेहरू विहार,
झाँसी।
दिनांक 16-3-20xx
प्रिय मित्र शेखर,
15 मार्च, 20xx के समाचार-पत्र में तुम्हारी सफलता का सन्देश पढ़ने को मिला। यह जानकर मुझे बहुत खुशी हुई कि तुमने जिला स्तर पर 12वीं कक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया है।
प्रिय शेखर, मुझे तुम से यही आशा थी। तुम्हारी पढ़ाई के प्रति निष्ठा और लगन को देखकर मुझे पूर्ण विश्वास हो गया था कि 12वीं कक्षा की परीक्षा में तुम अपने विद्यालय तथा परिवार का नाम अवश्य रोशन करोगें। परमात्मा को कोटि-कोटि धन्यवाद कि उसने तुम्हारे परिश्रम का उचित फल दिया है।
मेरे दोस्त, अपनी इस शानदार सफलता पर मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करो। मैं उस परमपिता परमेश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि जीवन में सफलता इसी प्रकार तुम्हारे चरण चूमती रहे तथा तुम जीवन में उन्नति के पथ पर अग्रसर रहो। मुझे पूरी आशा है कि इसके पश्चात् होने वाली कॉलेज की आगामी परीक्षाओं में भी तुम इसी प्रकार उच्च सफलता प्राप्त करोगे तथा जिनका परिणाम इससे भी शानदार रहेगा। मेरी शुभकामनाएँ सदैव तुम्हारे साथ हैं।
शुभकामनाओं सहित।
मोहन राकेश
निमन्त्रण पत्र
♦ अपने पुत्र के विवाह में शामिल होने के लिए अपने सम्बन्धियों को निमन्त्रण-पत्र लिखिए।
|| श्री गणेशाय नमः।।
भेज रहा हूँ स्नेह-निमन्त्रण प्रियवर! तुम्हें बुलाने को।
हे मानस के राजहंस! तुम भूल न. जाना आने को।
श्री/श्रीमती…………..
परमपिता परमेश्वर की कृपा से मेरे ज्येष्ठ पुत्र चि. गिरीश का विवाह पिथौरागढ़ निवासी श्री बंशीधर तिवारी की सौभाग्याकांक्षिणी सुपुत्री प्रभा के साथ दिनांक 8-4-20XX को होना निश्चित हुआ है। आप सपरिवार पधारकर वर-वधू को आशीर्वाद देकर अनुगृहीत करें।
दर्शनाभिलाषी
प्रमोद जोशी
सतीश जोशी एवं समस्त परिवार
कुशल क्षेम सम्बन्धी पत्र
♦ अपने परिवार से दूर रहकर नौकरी कर रहे पिता का हाल-चाल जानने के लिए पत्र लिखिए।
20/3, रामनगर,
कानपुर।
दिनांक 15-3-20xx
पूज्य पिताजी,
सादर चरण-स्पर्श
कई दिनों से आपका कोई पत्र प्राप्त नहीं हुआ। हम सब यहाँ कुशलपूर्वक रहकर भगवान से आपकी कुशलता एवं स्वास्थ्य के लिए सदा प्रार्थना करते हैं। पिताजी, मैंने घर की सारी ज़िम्मेदारियाँ सम्भाल ली हैं। घर एवं बाहर के अधिकांश काम अब मैं ही करता हूँ। सलोनी आपको बहुत याद करती है। वह हर समय पापा-पापा की रट लगाए रहती है। इस बार घर आते समय उसके लिए गुड़ियों का उपहार लेते आइएगा। आप अपनी सेहत का ख्याल रखना। समय पर खाना, समय पर सोना। यदि आपको स्वास्थ्य में तनिक भी गड़बड़ी महसूस हो तो डॉक्टर से परामर्श कर तुरंत ही अपना उचित इलाज करवाना।
आपके पत्र के जवाब के इन्तज़ार में।
विजय मोहन
मित्र को शोक पत्र
♦ अपने मित्र को उनकी पुत्र-वधू की असामयिक मृत्यु होने पर शोक प्रकट करते हुए शोक-पत्र लिखिए।
15, स्वरूप नगर,
पीलीभीत।
दिनांक 1-4-20xx
प्रिय बिष्ट जी,
आपकी पुत्र-वधू की असामयिक मृत्यु की सूचना पाकर अपार दुःख हुआ। मृत्यु पर किसी का वश नहीं है। आप धैर्य धारण करें। मेरी परमपिता परमात्मा से प्रार्थना है कि वह दिवंगत आत्मा को शान्ति तथा शोक संतप्त परिवार को शोक वहन करने की शक्ति प्रदान करें।
भवदीय
उमेश सिंह
औपचारिक पत्र
प्रधानाचार्य, पदाधिकारियों, व्यापारियों, ग्राहक, पुस्तक विक्रेता, सम्पादक आदि को लिखे गए पत्र औपचारिक पत्र कहलाते हैं। औपचारिक पत्र उन लोगों को लिखे जाते हैं, जिनसे हमारा निजी या पारिवारिक सम्बन्ध नहीं होता। इसमें शालीन भाषा तथा शिष्ट शैली का प्रयोग किया जाता है। औपचारिक पत्र के अन्तर्गत शिकायती पत्र, व्यावसायिक पत्र, सम्पादकीय पत्र तथा आवेदन पत्र का वर्णन किया गया है।
औपचारिक पत्र के भाग
- पत्र भेजने वाले (प्रेषक) का पता- औपचारिक पत्र लिखते समय सर्वप्रथम या अंत में पत्र भेजने वाले का पता लिखा जाता है। प्रेषक का पता बायीं ओर लिखा जाता है।
- तिथि- दिनांक प्रेषक के पते के ठीक नीचे जिस दिन पत्र लिखा जा रहा है उस दिन की दिनांक लिखी जाती है।
- पत्र प्राप्त करने वाले का पता- जिसे पत्र लिखा जा रहा है उसका पता, पद आदि का वर्णन किया जाता है।
- विषय- जिस सन्दर्भ में पत्र लिखा जा रहा है, उसे संक्षिप्त में विषय के रूप में लिखा जाता है।
- सम्बोधन- सभी औपचारिकताओं के बाद पत्र-प्राप्तकर्ता के लिए महोदय, महोदया, मान्यवर आदि सम्बोधन के रूप में लिखा जाता है।
- विषय-वस्तु- सम्बोधन के पश्चात् पत्र की मूल विषय-वस्तु को लिखा जाता है। विषय-वस्तु में प्रत्येक बात के लिए अलग-अलग अनुच्छेदों का प्रयोग किया जाता है।
- अभिवादन के साथ समाप्ति- पत्र की समाप्ति पर पत्र प्राप्तकर्ता का अभिवादन किया जाता है।
- स्वनिर्देश/अभिनिवेदन- पत्र के अन्त में पत्र लिखने वाले का नाम आदि का वर्णन किया जाता है तथा आवश्यकता पड़ने पर हस्ताक्षर भी किए जाते हैं।
औपचारिक पत्र के सम्बोधन, अभिवादन तथा अभिनिवेदन
औपचारिक पत्रों के उदाहरण
शिकायती पत्र
किसी विशेष कार्य, समस्या अथवा घटना की शिकायत करते हुए सम्बन्धित अधिकारी को लिखा गया पत्र ‘शिकायती पत्र’ कहलाता है। शिकायती पत्र लिखते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जिस सम्बन्ध में शिकायत की जा रही है, उसका स्पष्ट रूप से उल्लेख किया जाना चाहिए। शिकायत हमेशा विनम्रता के साथ प्रस्तुत की जानी चाहिए।
♦ अपने मुहल्ले के पोस्टमैन की कार्यशैली का वर्णन करते हुए पोस्टमास्टर को शिकायती पत्र लिखिए।
सेवा में,
पोस्ट मास्टर,
उप-डाकघर पोखर खाली,
अल्मोड़ा।
महोदय,
मैं आपका ध्यान मुहल्ला दूंगाधारा के पोस्टमैन की कर्तव्य-विमुखता की ओर आकर्षित करना चाहता हूँ। इस मुहल्ले के निवासियों की शिकायत है कि यहाँ डाक कभी भी समय से नहीं बँटती है। अतः यहाँ के निवासियों को बड़ी असुविधा है। आपसे निवेदन है कि इस मामले की जानकारी प्राप्त करके उचित कार्यवाही करने की कृपा करें, ताकि इस समस्या का निराकरण हो सके।
सधन्यवाद!
भवदीय
प्रमोद पन्त
15, दूंगाधारा,
अल्मोड़ा (उत्तराखण्ड)।
दिनांक 13-4-20xx
♦ माल प्राप्त न होने पर रेल विभाग के प्रबन्धक को शिकायत करते हुए पत्र लिखिए।
सेवा में,
मण्डल रेल प्रबन्धक,
दिल्ली रेल मण्डल,
दिल्ली।
विषय माल की प्राप्ति न होने के सम्बन्ध में।
महोदय,
हमने दिनांक 15 मई, 20XX को दिल्ली रेलवे स्टेशन स्थित पार्सल घर से चार बण्डल सूती कपड़ा मै. बजाज एण्ड कम्पनी, कानपुर को भेजने के लिए पैसेन्जर रेलगाड़ी से बुक करवाया था, जिसका R/R नं. 55/XX है। यह माल अभी तक अपने गन्तव्य तक नहीं पहुंचा है। आपसे अनुरोध है कि कृपया जाँच-पड़ताल कर एक हफ्ते के अन्दर हमें यह बताएं कि इस माल का क्या हुआ। यदि माल गलती से कहीं ओर पहुँच गया हो, तो माल को शीघ्रातिशीघ्र उक्त गंतव्य तक पहुँचाने की व्यवस्था करें।
धन्यवाद।
भवदीय,
हस्ताक्षर ……..
(दीपक श्रीवास्तव)
प्रबन्धक
राज क्लॉथ एम्पोरियम,
नन्द नगरी, दिल्ली।
दिनांक 26-5-20xx
♦ माल की खरीदारी पर अधिक वसूली होने पर कम्पनी के प्रबन्धक को शिकायत करते हुए पत्र लिखिए।
सेवा में,
दीपमाला एण्ड कम्पनी,
स्टेशन रोड,
लखनऊ।
विषय माल की खरीदारी पर अधिक वसूली होने पर शिकायत हेतु।
महोदय,
हमें आपका दिनांक 5 मार्च, 20XX का पत्र 15 मार्च, 20XX को प्राप्त हुआ था, जिसमें उल्लेख था कि यदि हम आपके यहाँ से ₹1000 से अधिक का माल खरीदते हैं, तो हमें 25% की छूट और मुफ्त पैकिंग व माल भाड़े की सुविधा प्रदान की जाएगी। परन्तु खेद है कि हमारे द्वारा ₹8000 के माल की खरीद के बावजूद भी आपने अपने दिनांक 3 अप्रैल के बिल सं. 115 द्वारा हमसे पैकिंग और माल भाड़े के शुल्क की वसूली के साथ ही हमें केवल 20% छुट ही प्रदान की। यद्यपि हमने माल प्राप्त कर लिया, परन्तु हमें आपके द्वारा की गई अतिरिक्त वसूली के लिए क्रेडिट नोट प्राप्त करने के सम्बन्ध में पूछताछ का अधिकार है। हमारे विचार से यह त्रुटि आपके बिलिंग और डिस्पैच विभाग की लापरवाही से हुई होगी। उचित कार्रवाई हेतु प्रेषित।
धन्यवाद।
भवदीय,
हस्ताक्षर …………..
(शिव शंकर)
प्रोप्राइटर
शंकर एण्ड सन्स
कपूरथला, पंजाब।
दिनांक 20-420xx
व्यावसायिक-पत्र
आजकल व्यापार तथा व्यवसाय में काफी वृद्धि होने के कारण व्यावसायिक-पत्रों में भी वृद्धि होती जा रही है। दो व्यापारिक संस्थाओं अथवा व्यापारिक संस्था और ग्राहक के मध्य होने वाला पत्र-व्यवहार व्यावसायिक पत्राचार कहलाता है। व्यावसायिक पत्र-लेखन भी एक कला है, इसकी विशिष्ट शैली होती है। इन पत्रों में शिष्टता, सहजता, सहृदयता के दर्शन होते हैं। व्यापारिक पत्रों में सामान मँगवाने, उनकी जानकारी, शिकायतें तथा शिकायतों के निवारण जैसे विषय होते हैं।
व्यावसायिक-पत्रों के कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं-
♦ आपको कुछ पुस्तकों की आवश्यकता है। नागरी प्रचारिणी सभा वाराणसी के व्यवस्थापक को सूचित करते हुए शीघ्र पुस्तक भिजवाने हेतु एक पत्र लिखिए।
सेवा में,
सर्वश्री व्यवस्थापक,
नागरी प्रचारिणी सभा,
वाराणसी (उ.प्र.)।
विषय पुस्तकें मंगवाने हेतु।
महोदय,
निवेदन है कि मुझे निम्नलिखित पुस्तकों की आवश्यकता है। कृपया इन्हें शीघ्र ही वी.पी. डाक द्वारा ऊपर लिखे पते पर भेज दें। वी.पी. आते ही छुड़ा ली जाएगी।
पुस्तक का नाम – लेखक – प्रतियाँ
हिन्दी शब्दानुशासन – आचार्य किशोरीदास वाजपेयी – एक प्रति
हिन्दी व्याकरण – पं. कामताप्रसाद गुरु – एक प्रति
हिन्दी का सरल भाषा विज्ञान – गोपाल लाल खन्ना – एक प्रति
चरित चर्चा और जीवन दर्शन – डॉ. सम्पूर्णानन्द – एक प्रति
हिन्दी साहित्य का इतिहास – आचार्य रामचन्द्र शुक्ल – एक प्रति
सधन्यवाद।
भवदीय
नन्द कुमार
19-कौशलपुरी,
कानपुर।
दिनांक 15-5-20xx
♦ पुस्तक भण्डार के प्रबन्धक की ओर से पुस्तकों के ऑर्डर की आपूर्ति में असमर्थता प्रकट करते हुए पत्र लिखिए।
सेवा में,
बुक प्वाइण्ट,
मुखर्जी नगर,
दिल्ली।
विषय पुस्तकों के ऑर्डर की आपूर्ति में असमर्थता हेतु।
महोदय,
आपके दिनांक 13 मई, 20XX के ऑर्डर के लिए धन्यवाद, किन्तु हमें खेद के साथ कहना पड़ रहा है। कि आपने जिन पुस्तकों का ऑर्डर दिया है, उनका स्टॉक खत्म हो चुका है।
हमने ये पुस्तकें पुनर्मुद्रण हेतु भेजी हुई हैं, जो सम्भवतः 15 दिन में बिक्री हेतु तैयार हो जाएँगी। हमने आपका ऑर्डर अपनी ‘ऑर्डर फाइल’ में सुरक्षित रख लिया है, जैसे ही पुस्तकें तैयार हो जाएँगी, आपको भेज दी जाएँगी।
असुविधा के लिए खेद है।
सदैव आपकी सेवा में तत्पर।
धन्यवाद।
भवदीय,
हस्ताक्षर ………..
(विशाल गुप्ता)
विक्रय प्रबन्धक
विद्या पुस्तक भण्डार,
विद्या विहार,
दिल्ली।
दिनांक 20-5-20xx
♦ सामान का ऑर्डर प्राप्त करने के लिए कम्पनी के प्रबन्धक की ओर से डीलर को पत्र लिखिए।
सेवा में,
साहनी सोप डीलर,
भजनपुरा,
दिल्ली।
विषय सामान का ऑर्डर प्राप्त करने हेतु।
महोदय,
गत कई महीनों से हमें आपका कोई ऑर्डर प्राप्त नहीं हुआ है। इसका कोई कारण हमारी समझ में नहीं आ रहा है। आप हमारे नियमित ग्राहक हैं। प्रतिमाह हम आपसे हज़ारों रुपयों के माल का ऑर्डर प्राप्त करते हैं। हमने कभी आपको किसी प्रकार की शिकायत का मौका नहीं दिया। हो सकता है, जाने अनजाने में हमसे कोई भूल हो गई हो। जिससे आप अप्रसन्न हों। आप हमें अपनी शिकायत बताइए, हम उसे दूर करने की हर सम्भव कोशिश करेंगे। परन्तु आपसे पुनः आग्रह है कि आप इस तरह माल का ऑर्डर देना बन्द न करें। आशा है, हमें पूर्व की तरह पुनः आपसे सहयोग प्राप्त होगा। हम आपको विश्वास दिलाते हैं कि ग्राहकों की सन्तुष्टि ही हमारा परम ध्येय है। आपके सहयोग की अपेक्षा में।
धन्यवाद।
भवदीय,
हस्ताक्षर
(रामसिंह)
प्रबन्धक
माधवराम सोप कं.,
खारी बावली,
दिल्ली।
दिनांक 28-4-20XX
सम्पादकीय-पत्र
समाचार-पत्र एवं पत्रिकाएँ हमारे ज्ञानवर्द्धन, बौद्धिक तुष्टि और मनोरंजन के साधन हैं। इनमें हमारे जीवन के विभिन्न पहलुओं से सम्बन्धित अनेक सूचनाएँ, विज्ञापन और सुझाव भी प्रकाशित होते रहते हैं।
हमें लेख, कविता और कहानी आदि प्रकाशित कराने, सामाजिक एवं राजनीतिक समस्याओं को प्रकाशित कराकर जन-जन तक पहुंचाने के लिए सम्पादक से सम्पर्क करना पड़ता है। इसके लिए हमें उन्हें पत्र लिखना पड़ता है, ऐसे पत्र ‘सम्पादकीय-पत्र’ कहलाते हैं। ऐसे पत्र एक विशिष्ट शैली में लिखे जाते हैं। यह पत्र सम्पादक को सम्बोधित होते हैं, जबकि मुख्य विषय-वस्तु ‘जन सामान्य’ को लक्षित करके लिखी जाती है। सम्पादकीय-पत्र के कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं
♦ अपने शहर में उत्पन्न पानी की समस्या की ओर ध्यान आकर्षित कराते हुए किसी समाचार-पत्र के सम्पादक को पत्र लिखिए।
सेवा में,
सम्पादक महोदय,
दैनिक ‘स्वतन्त्र भारत’
विधानसभा मार्ग,
लखनऊ (उ.प्र.)
विषय अल्मोड़ा में पानी की समस्या।
महोदय,
आपके दैनिक समाचार-पत्र में ‘अल्मोड़ा में पानी की समस्या’ पर अपने विचार प्रकाशनार्थ भेज रहा हूँ। आशा है आप इसे प्रकाशित कर हमें अनुगृहीत करेंगे।
पिछले दो सप्ताह से यहाँ पानी की बड़ी समस्या हो गई है। नलों में पानी नहीं आता है। यदि आता भी है तो बहत कम मात्रा में आता है। एक बाल्टी पानी के लिए काफ़ी समय बर्बाद हो जाता है। स्रोतों पर बड़ी भीड़ होती है, पानी की पूर्ति न होने से घण्टों इन्तज़ार करना पड़ता है। आजकल अल्मोड़ा में ऐसा लग रहा है जैसे पानी का अकाल पड़ गया हो।
जल विभाग के कर्मचारियों से सम्पर्क करने पर कोई सन्तोषजनक उत्तर नहीं मिलता है। कर्मचारी बात को लापरवाही से टाल देते हैं। अतः अधिकारी वर्ग से निवेदन है कि नगरवासियों की कठिनाइयों को ध्यान में रखते हुए जलापूर्ति की उचित व्यवस्था कराने की कृपा करें, जिससे समय पर पानी मिल सके।
भवदीय
मुकेश श्रीवास्तव
12, पन्त सदन,
दूंगाधारा,
अल्मोड़ा (उत्तराखण्ड)
दिनांक 15-1-20xx
♦ देश में बढ़ रही कन्या-भ्रूण हत्या पर चिंता व्यक्त करते हुए किसी प्रतिष्ठित समाचार-पत्र के सम्पादक को पत्र लिखिए।
सेवा में,
सम्पादक महोदय,
नवभारत टाइम्स,
नई दिल्ली।
विषय कन्या भ्रूण हत्या की बढ़ती प्रवत्ति के सन्दर्भ में।
महोदय,
आपके लोकप्रिय समाचार-पत्र के माध्यम से मैं देश में बढ़ रही कन्या भ्रूण हत्या की प्रवृत्ति की ओर ध्यान आकर्षित करना चाहती हूँ। अनेक लोग गर्भ में ही लिंग परीक्षण करवाकर कन्या भ्रूण होने की स्थिति में इसे मार डालते हैं, गर्भ में ही कन्या भ्रूण की हत्या कर दी जाती है। ऐसा करने वाले केवल गरीब या, निर्धन एवं अशिक्षित लोग ही नहीं होते, बल्कि समाज का पढ़ा-लिखा एवं धनी तबका भी इसमें बराबरी की हिस्सेदारी करता है। समाज का यह दृष्टिकोण अत्यन्त रूढ़िवादी एवं पिछड़ा है, जिसे किसी भी स्थिति में बढ़ावा नहीं मिलना चाहिए। समाज के बौद्धिक एवं तार्किक लोगों का कर्तव्य है कि वे सरकार एवं प्रशासन के साथ मिलकर कन्या-भ्रूण हत्या को अन्जाम देने वाले या उसका समर्थन करने वाले लोगों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही करें, जिससे समाज का सन्तुलन एवं समग्र विकास सम्भव हो सके।
धन्यवाद।
भवदीया ऋतिका
142, पटेल नगर,
नई दिल्ली।
दिनांक 15-3-20xx
♦ पत्र-पत्रिकाओं में छपने वाले भ्रामक विज्ञापनों की शिकायत हेतु प्रतिष्ठित समाचार-पत्र के सम्पादक को पत्र लिखिए।
सेवा में,
सम्पादक महोदय,
नवभारत टाइम्स,
दिल्ली।
विषय समाचार पत्र-पत्रिकाओं में छपने वाले भ्रामक विज्ञापन हेतु।
महोदय,
इस पत्र के माध्यम से मैं आपका ध्यान पत्र-पत्रिकाओं में छपने वाले भ्रामक विज्ञापनों की ओर आकर्षित करना चाहती हूँ। आज हमें दूरदर्शन, पत्र-पत्रिकाओं आदि सभी जगह विभिन्न विज्ञापन देखने को मिलते हैं। कुछ विज्ञापनों के माध्यम से हमें नई-नई जानकारी प्राप्त होती है तो कई ऐसे विज्ञापन भी देखने को मिलते हैं जिनके द्वारा आज की युवा पीढ़ी भ्रमित हो रही है। ऐसे विज्ञापनों में नाममात्र भी सच्चाई नहीं होती। आश्चर्यजनक बात तो यह है कि ऐसे विज्ञापनों में विज्ञापनदाता का पता आदि भी किसी प्रकार की कोई कार्यवाही नहीं की जाती। अतः इस प्रतिष्ठित पत्र के माध्यम से मेरा सरकार से अनुरोध है कि वह इस सन्दर्भ में जल्द ही सख्त से सख्त कदम उठाए।
धन्यवाद।
भवदीया
वैशाली
624, मुखर्जी नगर,
दिल्ली।
दिनांक 12-6-20XX
आवेदन-पत्र
आवेदन-पत्र या प्रार्थना पत्र किसी फर्म-अधिकारी या किसी मन्त्रालय, विभाग या कार्यालय के अधिकारी को लिखे जाते हैं। स्कूल अथवा कॉलेज के प्रबन्धक अथवा प्रधानाचार्य को लिखे गए पत्र भी आवेदन-पत्र कहलाते हैं। चूँकि, आवेदन-पत्र अधिकारियों को लिखे जाते हैं। अत: इन्हें ‘आधिकारिक-पत्र’ भी कहा जाता है। आवेदन-पत्रों का प्रारूप अन्य पत्रों से भिन्न होता है। आवेदन-पत्र के कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं-
♦ राजकीय संग्रहालय अल्मोड़ा में हिन्दी आशुलिपिक पद के लिए आवेदन पत्र लिखिए।
सेवा में,
निदेशक,
राजकीय संग्रहालय,
अल्मोड़ा (उत्तराखण्ड)।
विषय नौकरी पाने के सम्बन्ध में।
महोदय,
आपके 15 जनवरी, 20XX के दैनिक ‘हिन्दुस्तान’ में प्रकाशित विज्ञापन के अनुसार मैं ‘हिन्दी आशुलिपिक’ के पद के लिए अपनी सेवाएँ प्रस्तुत करता हूँ। मेरी योग्यता तथा अनुभव इस प्रकार हैं-
शैक्षिक योग्यताएँ
1. हाईस्कूल यू.पी. बोर्ड – प्रथम श्रेणी – 2005
2. इण्टरमीडिएट यू.पी. बोर्ड – द्वितीय श्रेणी – 2007
3. बी.ए. कुमाऊँ वि.वि. – द्वितीय श्रेणी – 2009
4. आई.टी.आई. (हिन्दी आशुलिपि) – बी ग्रेड – 2012
व्यावहारिक योग्यताएँ
1. हिन्दी आशुलिपि गति 120 शब्द प्रति मिनट।
2. हिन्दी टंकण गति 30 शब्द प्रति मिनट।
3. अंग्रेजी टंकण गति 40 शब्द प्रति मिनट।
अनुभव मैंने विगत 18 महीनों तक उपनिदेशक पशुपालन विभाग नैनीताल के कार्यालय में हिन्दी आशुलिपिक के पद पर कार्य किया है। योग्यता और अनुभव के अतिरिक्त मुझे पाठ्येतर कार्यकलापों में बड़ी रुचि रही है। मैं फुटबाल का अच्छा खिलाड़ी हूँ और कॉलेज की टीम का विश्वविद्यालय प्रतियोगिता में प्रतिनिधित्व कर चुका हूँ।
यदि उक्त पद पर सेवा करने का सुअवसर मिला तो मैं आपको आश्वासन देता हूँ कि अपने कार्य एवं व्यवहार से सदैव आपको सन्तुष्ट रदूंगा। प्रमाण-पत्रों की अनुप्रमाणित प्रतिलिपियाँ इस आवेदन-पत्र के साथ संलग्न हैं।
संलग्नक संख्या 7
भवदीय
सुरेश सक्सेना
3, शान्ति निकेतन,
नैनीताल-2 (उत्तराखण्ड)।
दिनांक 17-1-20xx
♦ आप औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान में कार्यरत् हैं। किसी ज़रूरी काम पर जाने के कारण उपार्जित अवकाश के लिए आवेदन करते हुए निदेशक को पत्र लिखिए।
सेवा में,
निदेशक महोदय,
औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान,
बरेली।
विषय ज़रूरी काम आ जाने पर अवकाश हेतु।
महोदय,
सविनय निवेदन है कि मझे गाँव में अपने पैतक मकान की मरम्मत करवानी है। आगामी बरसात में और अधिक क्षतिग्रस्त होने पर उसके गिर जाने की आशंका है। इसलिए उसकी मरम्मत अत्यावश्यक है, अतएव आपसे अनुरोध है कि मुझे दिनांक 4-3-20xx से 5-4-20xx तक 30 दिनों का उपार्जित अवकाश (E.L) प्रदान कर कृतार्थ करें। साथ ही दिनांक 3-3-20xx को कार्यकाल के उपरान्त मुख्यालय छोड़ने की भी अनुमति प्रदान करें। सधन्यवाद।
आपका विश्वासपात्र
धीरेन्द्र अवस्थी
हेतमापुर ग्राम,
भिटौली
(फतेहपुर),
बाराबंकी
(उ.प्र.)
दिनांक 3-3-20xx
♦ अपने गाँव में पाठशाला खुलवाने हेतु जिला परिषद के अध्यक्ष को पत्र लिखिए।
सेवा में,
अध्यक्ष महोदय,
जिला परिषद्,
बहराइच।
विषय अपने गाँव में पाठशाला खुलवाने हेतु।
महोदय,
सविनय निवेदन है कि हमारे गाँव में एक प्राइमरी पाठशाला की बड़ी आवश्यकता है। गाँव के आस-पास दो मील तक कोई विद्यालय न होने से बहुत से बच्चे शिक्षा से वंचित रह जाते हैं। सुदूर विद्यालय जाने में छोटे-छोटे बच्चों को बड़ी परेशानी होती है। हमारे गाँव की जनसंख्या भी अच्छी है। अतः आपसे प्रार्थना है कि हमारे गाँव में एक प्राइमरी पाठशाला स्थापित करने की कृपा करें, ताकि हमारे गाँव के तथा आस-पास के ग्रामवासी बच्चे शिक्षा प्राप्त कर सकें। हमें आशा ही नहीं, वरन् पूर्ण विश्वास है कि आप इस विषय पर सहानुभूतिपूर्ण विचार करके हमारे गाँव में एक प्राइमरी पाठशाला स्थापित कराएँगे।
सधन्यवाद।
भावदीय
दिनेश
नारायणपुर,
बहराइच (उ.प्र.)।
दिनांक 15-4-20xx
hy
ReplyDeletegood children
DeleteSir aap bahu t acha padate hai hamako lagata hai ki apake padhane se sabhi students ka kal exam me 70+paka aega sir thank you 😇🙏 sir hame bina koe paeshe ka padane ke liye
DeleteHi
ReplyDeleteHi
ReplyDeleteKa pota
DeleteMadarchod
ReplyDeleteBhai yaha galli kyu de rahe ho itne ache patra sir nea diye hai tum yaha galli de rahe ho
Deleteright bro
DeleteAbhi tere ko khud ko padhaai karne nahin aata to teacher ko kyon gali de raha hai. Kaise kaise log rahte hain yaar
DeleteGajab
ReplyDeleteHelped a lot thankyou
ReplyDeletethanks sir'
ReplyDeleteThanks sir
ReplyDeleteYour name hari charan?
DeleteMaja hi aayi gawa
ReplyDeleteThanks sir ji
ReplyDeleteधन्यवाद सर
ReplyDeleteSir mara body phg ma
ReplyDeleteGada bada hsi
My name is Piyush
ReplyDeleteMy name is your dad
DeleteRahul Thanks for this
ReplyDeleteThanks for great thing
ReplyDeleteThanks sir
ReplyDeleteThank you 💕 sir ji
ReplyDeleteThanks you sir 🙏
ReplyDeleteGali Dena galat baat hai 10th ke board aa rahe hai study kar lo
ReplyDeleteसर यह औपचारिक पत्र का नया फॉर्मेट भेज दीजिए
ReplyDeleteSir aap bhi mere tarah ❤️🔥❤️❤️🩹
ReplyDeleteThank you so much sir
ReplyDelete@Anonymous .....Teri maaa ko chodkar khote maindal dunga chup baith sir bahut acche hai to tu unka fayeda uthayega
ReplyDeleteWowwwwwwwwwwww sir nice 😍😍😍😍😍😍😍
ReplyDeleteYOUR EXPLAINATION IS AMAZING SIR AND THE CONTENT YOU PROVIDE TO US IS BESTTT!!! thank u sir
ReplyDeleteThanks sir you are best teacher of hindi
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