2019 CBSE Class 10 Hindi PYQ | Class 10 Hindi PYQ | Class 10 Hindi PYQ Question | Class 10 Hindi PYQ Course A 2019
Hindi Course A
(2019)
Outside Delhi [Set-I]
निर्धारित समय 3 घण्टे
अधिकतम अंक :80
खण्ड 'क'
1. निम्नलिखित
गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए:
दार्शनिक अरस्तू
ने कहा है-"प्रत्येक व्यक्ति को उचित समय पर उचित व्यक्ति से उचित मात्रा में
उचित उद्देश्य के लिए, उचित ढंग से
व्यवहार करना चाहिए।" वास्तव में प्रत्येक प्राणी का संबंध एक-एक क्षण से
रहता है, किन्तु व्यक्ति उसका
महत्त्व नहीं समझता अधिकतर व्यक्ति सोचते हैं कि कोई अच्छा समय आएगा तो काम
करेंगे। इस दुविधा और उधेड़बुन में वे जीवन के अनेक अमूल्य क्षणों को खो देते हैं।
किसी व्यक्ति को बिना हाथ-पाँव हिलाए संसार की बहुत बड़ी सम्पति छप्पर फाड़कर कभी
नहीं मिलती। समय उन्हीं के रथ के घोड़ों को हाँकता है, जो भाग्य के भरोसे बैठना पौरव का अपमान समझते हैं। जो
व्यक्ति श्रम और समय का पारखी होता है, लक्ष्मी भी उसी का वरण करती है। समय की कीमत न पहचानने वाले समय बीत जाने पर
सिर घुमते रह जाते हैं। समय निरंतर गतिमान है। इसलिए हमें समय का मूल्य समझना
चाहिए। साथ ही समवानुसार काम भी करना चाहिए। सफल जीवन की यही कुंजी है।
(क) जीवन के
अमूल्य क्षणों की किस प्रकार के व्यक्ति खो देते हैं? [2]
(ख) भाग्य के
भरोसे बैठना पौरुष का अपमान क्यों कहा गया है? [2]
(ग) दार्शनिक
अरस्तू के कथन का आशय लिखिए। [2]
(घ) लक्ष्मी किसे
प्राप्त होती है? [1]
(ङ) उपर्युक्त गद्यांश के लिए एक उपयुक्त शीर्षक लिखिए। [1]
उत्तर- (क) जो
व्यक्ति यह सोचते हैं कि जब अच्छा समय आएगा तय काम करेंगे, ऐसे अकर्मण्य आलसी लोग तथा जीवन में क्षण के महत्व को न
समझने वाले अमूल्य क्षणों को खी देते हैं।
(ख) भाग्य के
भरोसे बैठना पुरुष का अपमान इसलिए है कि बिना हाथ पाँव हिलाये दुनिया में कुछ भी
प्राप्त करना असंभव है।
(ग) दार्शनिक
अरस्तू ने कहा है-हर एक व्यक्ति के लिए उचित समय पर उचित मात्रा तथा उद्देश्य का
ज्ञान होना आवश्यक है। तभी हम उचित व्यक्ति से उचित समय पर उचित व्यवहार कर सकते
हैं।
(घ) जो व्यक्ति
श्रम और समय का पारखी होता है उसी को लक्ष्मी प्राप्त होती है।
(ङ) समय व कर्म का
महत्व।
2. निम्नलिखित
काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए:
बहुत घुटन है बंद घरों में खुली हवा तो आने दो,
संशय की खिड़कियाँ खोल, किरनों को मुस्काने दो।
ऊँचे-ऊँचे भवन उठ रहे पर आँगन का नाम नहीं,
चमक-दमक, आपा-धापी है, पर जीवन का नाम नहीं
लॉट न जाए सूर्य द्वार से नया संदेशा लाने दो।
हर माँ अपना राम जोहती, कटता क्यों बनवास नहीं
मेहनत की सीता भी भूखी, रुकता क्यों उपवास नहीं।
बाबा की सूनी आँखों में चुभता तिमिर भागने दो।
हर उदास राखी गुरती, भाई का वह प्यार कहाँ?
डरे-डरे रिश्ते भी कहते, अपनों का संसार कहाँ ?
गुमसुम गलियों को मिलने दो, खुशबू तो बिखराने दो।
(क) 'ऊँचे-ऊँचे भवन उठ रहे, पर आँगन का नाम नहीं पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए। [2]
(ख) सूर्य द्वार
से ही क्यों लौट जाएगा? (2)
(ग) आज रिश्तों के
हरे-हरे होने का कारण आप क्या मानते हैं? (1)
(घ) 'तिमिर' शब्द का अर्थ लिखिए। (1)
(ङ) कवि ने क्या
संदेश दिया है? (1)
अथवा
मेरा मौझी मुझसे
कहता रहता था
बिना बात तुम
नहीं किसी से टकराना।
पर जो बार-बार
बाधा बन के आएं
उनके सिर को वहीं
कुचल कर बढ़ जाना।
जानबू कर जो मेरे
पक्ष में आती हैं,
भवसागर की
चलती-फिरती चट्टानें।
मैं इनसे जितना
ही बचकर चलता हूँ,
उतनी ही मिलती
हैं, ये ग्रीवा तानें।
रख अपनी पतवार कुदाली
को लेकर
तब मैं इनका
उन्नत भाल झुकाता हूँ।
राह बनाकर नाव
चढ़ाए जाता हूँ,
जीवन की नैया का
चतुरखिया में
भवसागर में नाव
बढ़ाए जाता हूँ।
(क) राह में आने वाली बाधाओं के साथ कवि कैसा व्यवहार करता है? [2]
(ख) कवि ने हमें क्या प्रेरणा दी है? स्पष्ट कीजिए । [2]
(ग) कवि ने अपना माँझी किसे कहा है? [1]
(घ) 'उन्नत भाल' का क्या आशय है? [1]
(ङ) 'जीवन की नैया का चतुर खिवैया' किसे कहा गया है ? [1]
उत्तर- (क) कवि कह रहा है कि शहरों में गगनचुंबी इमारतें खड़ी हैं लेकिन आपस
प्रेम, स्नेह, सौहार्द्र की भावना नहीं है। ऊंची इमारतें हैं
लेकिन आंगन बिना प्रेम और स्नेह के सूने हैं।
(ख) जीवन की चमक दमक और आपाधापी देखकर कवि को लगता है कि सूर्य कहीं द्वार से
ही न लौट जाए।
(ग) आज रिश्तों में प्यार और अपनापन नहीं रह गया है, यही कारण कवि को
रिश्तों के डरे-डरे होने का लगता है। (घ) अंधकार।
(ङ) कवि ने संदेश दिया है कि आज हम ऊंचे-ऊंचे भवनों में रहकर प्यार, प्रेम, स्नेह और अपनापन
खो बैठे हैं।
अथवा
(क) कवि बाधाओं का सिर कुचलकर मंजिल की ओर आगे बढ़ जाता है।
(ख) कवि बाधाओं से न घबराने की प्रेरणा दे रहा है। कवि कहता है कि जितना ही हम
बाधाओं से दूर भागते हैं ये हमारा पीछा करती हैं इसलिए निडर होकर हमें बाधाओं का
सामना करना चाहिए।
(ग) मार्गदर्शक
(घ) बड़ी से बड़ी वित्र बाधाऐं ।
(ङ) कवि स्वयं को जीवन की नैया का चतुर खिवैया कहता है।
खण्ड 'ख'
3. निम्नलिखित में से किन्हीं तीन का निर्देशानुसार उत्तर लिखिए: [1
×3=3]
(क) मुझे अपनी पत्नी और पुत्र की मृत्यु के साथ ही फादर के शब्दों से झरती शांति भी याद आ रही है। (संयुक्त वाक्य में बदलिए)
(ख) रात हुई और आकाश में तारों के असंख्य दीप जल उठे। (सरल वाक्य में बदलिए)
(ख) रात हुई और आकाश में तारों के असंख्य दीप जल उठे। (सरल वाक्य में बदलिए)
(ग) माँ ने कहा कि शाम को जल्दी घर आ जाना। (रेखांकित उपवाक्य का भेद लिखिए)
(घ) पान वाले के लिए यह मज़ेदार बात थी लेकिन हालदार साहब के लिए चकित कर देने वाली। (मिश्र वाक्य में बदलिए)
उत्तर- (क) मुझे अपनी पत्नी और पुत्र की मृत्यु याद आ रही है और साथ ही फादर
के शब्दों से झरती शांति भी याद आ रही है।
(ख) रात होने पर आकाश में तारों के असंख्य दीप जल उठे।
(ग) उपवाक्य भेद आश्रित उपवाक्य ।
(घ) पान वाले के लिए जो बात मजेदार थी, वह हालदार साहब के लिए
चकित कर देने वाली थी।
4. निम्नलिखित में से किन्ही चार वाक्यों का निर्देशानुसार वाच्य परिवर्तन
कीजिए: [1
×4=4]
(क) हालदार साहब ने पान खाया। (कर्मवाच्य में बदलिए)
(ख) दादा जी प्रतिदिन पार्क में टहलते हैं। (भाववाच्य में बदलिए)
(ग) गाँधी जी द्वारा विश्व को सत्य और अहिंसा का संदेश दिया गया। (कर्तृवाच्य में बदलिए)
(घ) पान कहीं आगे खा लेंगे। (कर्मवाच्य में बदलिए)
(ङ) खिलाड़ी दौड़ नहीं सका। (भाववाच्य में बदलिए)
उत्तर—(क) हालदार साहब के द्वारा पान खाया गया।
(ख) दादा जी के
द्वारा प्रतिदिन पार्क में टहला जाता है।
(ग) गांधी जी ने विश्व को सत्य और अहिंसा का सन्देश दिया।
(घ) पान कहीं आगे से खा लेंगे।
(ङ) खिलाड़ी से दौड़ा नहीं गया।
5. निम्नलिखित वाक्यों में से किन्हीं चार रेखांकित पदों का पद - परिचय लिखिए: [1 ×4 = 4]
(क) सुरभि विद्यालय से अभी-अभी आई है।
(ख) उसने मेरी बातें ध्यानपूर्वक सुनी।
(ग) शाबाश! तुमने बहुत अच्छा काम किया।
(घ) वहाँ दस छात्र बैठे हैं।
(ड) परिश्रम के बिना सफलता
नहीं मिलती।
उत्तर- (क) संज्ञा, जातिवाचक, एकवचन, पुल्लिंग, अपादान कारक ।
(ख) रीतिवाचक क्रियाविशेषण, 'सुनना' क्रिया की विशेषता ।
(ग) सर्वनाम, मध्यमपुरुष वाचक, एकवचन ।
(घ) विशेषण, निश्चित संख्यावाचक, पुल्लिंग, बहुवचन ।
(ङ) सम्बन्धबोधक, अव्यय, परिश्रम के साथ संबंध
6. निम्नलिखित में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए: [1 ×4=4]
(क) 'भयानक रस' का एक उदाहरण
लिखिए ।
(ख) निम्नलिखित काव्य पंक्तियों में रस पहचान कर लिखिए:
तनकर भाला यूँ बोल उठा
राणा! मुझको विश्राम न दे।
मुझको वैरी से हृदय क्षोभ
तू तनिक मुझे आराम न दे।
(ग) 'जुगुप्सा' किस रस का स्थायी
भाव है?
(घ) 'शांत' रस का स्थायी भाव
क्या है?
(ङ) किस रस को 'रसराज' भी कहा जाता है?
उत्तर- (क) एक और अजगरहि लखीं एक और मृगराय । विकल बटोही बीच ही परयो मूर्ख
खाय ।
(ख) वीर रस ।
(ग) वीभत्स रस।
(घ) निर्वेद ।
(ड़) श्रृंगार ।
खण्ड 'ग'
7. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए:
पिता के ठीक विपरीत थीं हमारी बेपढ़ी लिखी माँ धरती से कुछ ज्यादा ही धैर्य और
सहनशक्ति थी शायद उनमें । पिता जी की हर ज्यादती को अपना प्राप्य और बच्चों की हर
उचित - अनुचित फरमाइश और जिद को अपना फर्ज समझकर बड़े सहज भाव से स्वीकार करती थीं
वे उन्होंने जिंदगी भर अपने लिए कुछ माँगा नहीं, चाहा नहीं केवल
दिया ही दिया। हम भाई बहिनों का सारा लगाव (शायद सहानुभूति से उपजा ) माँ के साथ
था लेकिन निहायत असहाय मजबूरी में लिपटा उनका यह त्याग कभी मेरा आदर्श नहीं बन सका
न उनका त्याग, न उनकी सहिष्णुता ।
(क) माँ की उपमा धरती से क्यों की गई है ? [2]
(ख) लेखिका को माँ का कौन-सा रूप अच्छा नहीं लगता था ? क्यों ? [2]
(ग) लेखिका और उसके भाई बहनों की सहानुभूति किसके साथ थी ? [1]
उत्तर- (क) लेखिका मन्नू भंडारी की माँ के अंदर धरती से भी अधिक धैर्य और
सहनशक्ति थी। पिताजी की हर ज्यादती को अपना प्राप्य समझती थी और बच्चों की हर
अनुचित फरमाइश और जिद को अपना फर्ज समझकर बड़े सहज भाव से स्वीकार करती थी इसलिए
उनकी उपमा धरती से की गयी है।
(ख) लेखिका को अपनी माँ का निहायत मजबूरी में लिप्त त्याग और सहनशक्ति वाला
रूप बच्चों की उचित - अनुचित जिद पूरी करना, पिता की ज्यादती स्वीकार
करना, अपने बारे में कुछ न सोचना, त्याग अच्छा नहीं लगता
था। क्योंकि लेखिका के लिए यह रूप माँ का आदर्श रूप नहीं है। क्योंकि लेखिका
स्वच्छंद विचारों की और आजाद ख्यालों की थी हर व्यक्ति को अपने जीवन को अपने तरीके
से जीने की कला में वह विश्वास रखती थी।
(ग) लेखिका और भाई बहनों की सहानुभूति अपनी माँ के साथ थी।
8. निम्नलिखित में से किन्ही चार प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखिए: | 2 × 4 = 8]
(क) बालगोबिन भगत के व्यक्तित्व की दो विशेषताएँ लिखिए।
(ख) मन्नू भंडारी और उनके पिता के बीच मतभेद के दो कारण लिखिए।
(ग) कैप्टन कौन था? वह मूर्ति के चश्मे को बार-बार क्यों बदल दिया करता था ?
(घ) फादर बुल्के
को हिन्दी के बारे में क्या चिंता थी ?
(ङ) खीरा काटने में नवाब साहब की विशेषज्ञता का चित्रण अपने शब्दों में कीजिए
।
उत्तर- (क) बालगोबिन भगत गृहस्थ होकर साधु का प्रतिनिधित्व करते थे। सामाजिक रूढ़वादिता में विश्वास नहीं रखते थे। वे कबीर को अपना साहब मानते थे, उनके गीत गाते थे और जो कुछ भी खेत में उपजता उसको सबसे पहले कबीर के मठ में रख देते थे।
(ख) मन्नू भंडारी के पिता चाहते थे कि वह घर में होने वाले राजनीतिक पार्टियों के लोगों के विचार सुने जाने और समझे कि देश में क्या कुछ हो रहा है, यही पिताजी के द्वारा दी गयी आजादी की सीमा थी वह क्रोधी और अहंकारी स्वभाव के थे। लेकिन मन्नू की आजादी की सीमा चारदीवारी से बाहर निकल कर आजादी के आंदोलन में भाग लेना था। इसी कारण अपने पिता के साथ मन्नू की वैचारिक टकराहट थी क्योंकि दोनों के विचारों में विपरीत सोच थी। दूसरा मन्नू स्वच्छंद ख्यालों वाली थी और पिता शक्की स्वभाव के थे।
(ग) कॅप्टन चश्मे बेचने वाला दुबला पतला मरियल-सा आदमी था। वह इतना बड़ा
देशभक्त था कि रोज़ अपनी फेरी में से नया चश्मा नेताजी की बगैर चश्मे वाली मूर्ति
पर लगा दिया करता था। उसकी देशभक्ति का मजाक उड़ाने के लिए लोग उसे कैप्टन कहकर
पुकारते थे।
(घ) फादर बुल्के की चिंता हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में देखने की थी। हिंदी
वालों के द्वारा हिंदी की उपेक्षा पर उन्हें बहुत दुःख होता था हर मंच से वे अपनी
यह तकलीफ बयान करते ।
(ङ) नवाब साहब ने पहले खीरों को धोया पोंछा सुखाया और फिर तौलिये से साफ किया।
तत्पश्चात् खीरों को फांकों में काटा और नमक लगाकर लाल मिर्च की सुर्खी बुरक दी।
इतने इत्मीनान से खीरों को सूंघकर बिना खाये ही रसास्वादन करके खिड़की से बाहर
फेंक दिया।
9. निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए:
लखन कहा हँसि हमरे जाना।
सुनहु देव सब धनुष समाना ।।
का छति लाभु जून धनु
तोरें देखा राम नयन के भोरें ।।
छुअत टूट रघुपतिहू न दोसू मुनि बिनु काज करिअ कत रोसू ।।
बोले चितै परसु की ओरा रे सठ सुनेहि सुभाउ न मोरा ।।
बालक बोलि बध नहि तोही केवल मुनि जड़ जानहि मोही।
बाल ब्रह्मचारी अति कोही बिस्वबिदित क्षत्रियकुल द्रोही ।।
भुजबल भूमि भूप बिनु कोन्हीं बिपुल बार महिदेवन्ह दीन्ही ।
सहसबाहु भुज छेदनिहारा। परसु बिलोकु
महीपकुमारा ।।
(क) परशुराम के क्रुद्ध होने पर लक्ष्मण ने धनुष के टूट जाने के लिए कौन-कौन
से तर्क दिए ? [2]
(ख) प्रस्तुत काव्यांश के आधार पर लिखिए कि परशुराम ने अपने विषय में सभा में
क्या-क्या कहा। [2]
(ग) परशुराम के बारे में कौन-सी बात विश्वप्रसिद्ध थी ? [1]
उत्तर- (क) परशुराम के क्रुद्ध होने पर लक्ष्मण ने कहा हे मुनि हमारी समझ में
तो सारे धनुष एक समान होते हैं। श्रीरामचंद्र ने तो इसे नया धनुष समझा था किंतु वह
पुराना था और छूते ही टूट गया। श्रीरामचंद्र जी का इसमें कोई दोष नहीं है। आप तो
व्यर्थ में ही इतना क्रोध कर रहे हैं।
(ख) परशुराम अपनी प्रशंसा करते हुए सभा में बोले- मैं बाल ब्रह्मचारी और
अत्यंत क्रोधी हूँ, सारा संसार मुझे क्षत्रिय कुल के विनाशक के रूप
में जानता है अपनी भुजाओं के बल से मैंने धरती को जीत लिया था और अनेक बार
ब्राह्मणों को दान में दे दिया था।
(ग) परशुराम अत्यंत क्रोधी और पितृभक्त थे। पूरा संसार उन्हें क्षत्रिय कुल
द्रोही के रूप में जानता था।
10. निम्नलिखित में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखिए: [ 2 × 4 = 8]
(क) 'सूरदास' के पद के आधार पर लिखिए कि गोपियों ने किन
उदाहरणों के माध्यम से उद्धव को उलाहने दिए हैं।
(ख) 'उत्साह' कविता में कवि बादल को गरजने के लिए क्यों कहता
है? बादल से कवि की अन्य अपेक्षाएँ क्या हैं?
(ग) 'छाया मत छूना' कविता में 'छाया' शब्द का प्रयोग किस संदर्भ में हुआ है ? स्पष्ट करते हुए बताइए कि कविता क्या संदेश देती है।
(घ) 'फसल' कविता में 'हाथों के स्पर्श की गरिमा और महिमा' कहकर कवि क्या व्यक्त करना चाहता है? अपने शब्दों में लिखिए।
(ङ) 'संगतकार' किन-किन रूपों
में मुख्य गायक की सहायता करता है? कविता के आधार पर
उसकी विशेष भूमिका को भी स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- (क) गोपियों ने उद्धव से कहा हे उद्धव तुम तो कमल के पत्ते के समान हो
जो जल में रहकर भी जल के प्रभाव में नहीं आता, तुम तेल के समान
और कृष्ण जल के समान हैं जो तेल पर अपना प्रभाव नहीं छोड़ पाता।
गोपियाँ स्वयं को चींटी और कृष्ण को गुड़ के समान बताती हैं। गोपियाँ कहती हैं
जिस प्रकार हारिल पक्षी अपनी लकड़ी को पंजों में दबाकर रहता है ठीक उसी प्रकार
हमने कृष्ण को मजबूती से पकड़ रखा है।
(ख) कवि निराला जी एक क्रांतिकारी कवि हैं। वे लोगों में उत्साह बढ़ाकर
क्रांति के द्वारा परिवर्तन लाने की बात कहते हैं। साथ ही प्यासे शोषित पीड़ित जन
की आकांक्षाएँ पूरी करने की बात करते हैं। कवि का मानना है कि किसी भी प्रकार के
परिवर्तन के लिए कोमलता नहीं कठोरता की आवश्यकता होती है। इसलिए कवि बादलों को
बरसने के स्थान पर गरजने का आह्वान कर रहे हैं।
(ग) छाया मत छूना कविता में छाया शब्द का प्रयोग अतीत की स्मृतियों के रूप में
किया गया है। कवि अतीत को छाया के रूप में चित्रित कर रहा है। कविता यह सन्देश
देती है। कि यदि वर्तमान में हम अपने अतीत को याद करते हैं तो हमारा वर्तमान भी
दुःखी हो जाता है अतः हमें अतीत को भूलकर आने वाले भविष्य के लिए कार्य करना चाहिए।
(घ) फसल को हाथों के स्पर्श की गरिमा' और 'महिमा' कहकर कवि परिश्रमी किसानों को सलाम करना चाहता
है तथा परिश्रम का महत्व बताना चाहता है। किसान तपती गर्मी, कड़कड़ाती तथा हाड़ कंपकंपाती ठण्ड तथा मूसलाधार वर्षा में भी दिन-रात परिश्रम
करते हुए खून-पसीना एक करके फसल उगाने में लगा रहता है। उन्हीं के हाथों के स्पर्श
के कारण फसलें खेतों में लहलहाती फलती-फूलती दिखाई देती हैं। कवि किसानों के प्रति
अपना आभार व्यक्त करना चाहता है।
(ङ) संगतकार मुख्य गायक को हमेशा बुलंदी पर पहुँचाने में मदद करता है। वह
हमेशा मुख्य गायक के सुर में सुर मिलाकर उसको बुलंदी पर पहुँचाने में मुख्य भूमिका
निभाता है। मुख्य गायक के सुर में सुर मिलाकर उसके प्रभाव को बढ़ाता है। जिस
प्रकार क्रिकेट के मैदान में सभी खिलाड़ी अपना प्रदर्शन करते हैं लेकिन श्रेय
कैप्टन को जाता है ठीक उसी प्रकार मुख्य गायक की सफलता T के पीछे संगतकार का हाथ होता है संगतकार गायक
के महत्व को बनाए रखता है। [5]
11. 'माता का अँचल' नामक पाठ में लेखक ने तत्कालीन समाज के पारिवारिक परिवेश का जो चित्रण किया है, उसे अपने शब्दों में लिखिए।
अथवा
जॉर्ज पंचम की लाट
पर किसी भी भारतीय नेता यहाँ तक कि भारतीय बच्चे की नाक फिट न होने की बात से लेखक
किस ओर संकेत करता है ? आप इस बारे में
क्या सोचते हैं
उत्तर- माता का अंचल ग्रामीण संस्कृति पर आधारित लेखक के बचपन का संस्मरण है
उस समय के सामाजिक परिवेश में बच्चों का बचपन बहुत ही स्वच्छंद और आनंदमय था ।
परिवारिक स्नेह तथा पिता पुत्र के प्रति अगाध प्रेम था । लेखक भोलानाथ ने उस समय
का वर्णन किया है कि उनका अधिक समय पिता के साथ ही बीतता था माता से सिर्फ दूध
पीने का नाता था सारा दिन भोलानाथ अपने मित्रों के साथ खेल तमाशों में व्यस्त
रहता। पिता भी उसकी हर गतिविधि में शामिल रहते। परन्तु जब संकट आया तो भोलानाथ माँ
की शरण में जा छुपता क्योंकि हर बच्चे को लगता है कि संकट के समय माँ का अंचल ही
उसके लिए सबसे सुरक्षित और महफूज जगह है। बच्चों की शरारतों तथा धार्मिक वातावरण
का वर्णन भी किया है।
अथवा
रानी एलिजाबेथ भारत दौरे पर आ रही थी तो यह कहानी उसी समय की है। रानी के आने
की खबर सुनकर शाही तंत्र मैं हड़कंप मच गया की जॉर्ज पंचम की मूर्ति पर नाक गायब
है अब रानी आएगी और मूर्ति को देखेगी तो क्या सोचेगी। तुरंत ही मूर्तिकार को
बुलाया गया और मूर्ति पर नाक लगाने का आदेश दे दिया गया। मूर्तिकार पूरे
हिन्दुस्तान की सैर करके आया, हर पहाड़ पर गया परन्तु जॉर्ज पंचम की लाट
जितनी नाप की नाक कहीं नहीं मिली। इस बात से यह सिद्ध होता है कि हमारी गुलामी की
मानसिकता अभी तक गयी नहीं। अंग्रेजों और विदेशियों को खुश रखने के लिए हमारे शाही
तंत्र के लोग अपने और अपनी जनता की नाक भी काटने से भी पीछे नहीं हटते। साथ ही
जौर्ज पंचम से कही अधिक भारतीय नेताओं और शहीद बच्चों के प्रति भारतीयों में
सम्मान का भाव व्यक्त किया गया है।
खण्ड 'घ'
12. निम्नलिखित में से किन्हीं एक विषय पर दिए गए संकेत- बिन्दुओं के आधार पर
लगभग 200 से 250 शब्दों में निबन्ध लिखिए: [10]
(क) महानगरों में महिलाओं
की सुरक्षा
• जीवन शैली
• कामकाजी महिलाओं की
समस्या
•सुरक्षा में कमियों के
कारण व सुझाव
(ख) मित्र की परख संकट में
• भले दिनों के मित्र
• बुरे दिनों के मित्र
• मित्र की परख
(ग) मेरी कल्पना का
विद्यालय
• विद्यालय में क्या है
अनावश्यक
• क्या-क्या है आवश्यक
•विद्यालय और परिवेश
उत्तर- (क) महानगरों में महिलाओं की सुरक्षा हम सभी जानते हैं कि हमारा देश हिंदुस्तान पूरे विश्व में अपनी अलग रीति-रिवाज तथा संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है। भारत में प्राचीन काल से ही यह परंपरा रही है कि यहाँ महिलाओं को समाज में विशिष्ट आदर एवं सम्मान दिया जाता है। भारत वह देश है जहाँ महिलाओं की सुरक्षा और इज्जत का खास ख्याल रखा जाता है। भारतीय संस्कृति में महिलाओं को देवी लक्ष्मी
** वर्तमान पाठ्यक्रम में 'निबन्ध' के स्थान पर अनुच्छेद पर आधारित प्रश्न पूछे
जायेगें।
का दर्जा दिया गया है। अगर हम इक्कीसवीं सदी की बात करें तो महिलाएँ हर
कार्यक्षेत्र में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिला काम कर रही हैं चाहे वो
राजनीति, बैंक, विद्यालय, खेल, पुलिस, रक्षा क्षेत्र, खुद का कारोबार हो या
आसमान में उड़ने की अभिलाषा हो ।
हम यह तो नहीं कह सकते कि हमारे देश में महिला सुरक्षा को लेकर कोई मुद्दा
नहीं है परन्तु हम कुछ सकारात्मक बिंदुओं को अनदेखा भी नहीं कर सकते।
एक महिला का अधिकार है कि वह अपनी मर्जी से जिंदगी जीये। वह जब चाहे तब अपनी
मर्जी से कहीं भी कभी भी जा सकती है। लेकिन एक सवाल उसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी
कौन लेगा ?
आज ऐसा जमाना है जब जगह-जगह इंसान की शक्ल में भेड़िये घूम रहे हैं। वह भेड़िया आपके साथ में बैठा ऑफिस का कर्मचारी हो सकता है, आपका बॉस हो सकता है, आपके साथ बस या मेट्रो में बैठा यात्री हो सकता है, आपका अपना कोई रिश्तेदार हो सकता है या फिर स्वयं आपका कोई अच्छा और विश्वासपात्र मित्र भी।
किस वक्त कौन सा भेड़िया हमला बोल दे, इसकी क्या गारंटी है।
स्वयं एक महिला होने के नाते मुझे यह बात कहते हुए बहुत दुःख होता है कि हमारा
समाज सुरक्षित नहीं है। केवल समाज ही क्यों.... आज तो घर में भी महिलाएँ सुरक्षित
नहीं हैं। दिल्ली महिलाओं की सुरक्षा के लिहाज से देश का सबसे असुरक्षित शहर है एक
नए सर्वेक्षण के अनुसार छुट्टियों में घूमने-फिरने या काम के लिए बाहर निकलने के
लिहाज से दिल्ली को सबसे असुरक्षित महानगर माना गया है। मुंबई को महिलाओं की
सुरक्षा के लिहाज से ( 34 प्रतिशत ) सबसे सुरक्षित बताया गया जबकि 12 प्रतिशत मतों के साथ अहमदाबाद एवं बैंगलुरु दूसरे स्थान पर हैं
(ख) मित्र की परख संकट में मित्र जीवन के लिए परमावश्यक है। बिना मित्र के हम मनुष्य जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते। सच्चा मित्र अर्थात जो विपत्ति में हमारा साथ दे ऐसा मित्र बहुत मुश्किल से मिल पाता है सच्चा मित्र जीवन के लिए औषधि के समान है। सच्चा मित्र मुसीबत में सबसे पहले काम आता है। वह कठिनाई के दिनों में भी साथ नहीं छोड़ता है। रहीम दास जी ने कहा है,
" रहिमन विपदा हू
भली जो थोड़े दिन होइ,
हित अनहित या जगत में जानि पड़त सब कोइ ।
' वे कहते हैं कि थोड़े
दिनों का कष्ट अच्छा है क्योंकि उस समय हम अपने असली मित्र को पहचान सकते हैं। ऐसा
देखा जाता है कि सुख के समय जब व्यक्ति के पास धन, समाज में मान, अच्छी नौकरी, सकुशल परिवार होता है तो उसके अनेक मित्र होते
हैं। पर जैसे ही उसके पास
धन का अभाव होता है या उसके बुरे दिन होते हैं, सभी मित्र जो सिर्फ नाम
के मित्र थे उसे छोड़ देते हैं जैसे जब तक तालाब में पानी रहता है अनेक मेढ़क उसके
पास मँडराते रहते हैं और पानी सूखने पर तालाब को छोड़कर वो अन्य किसी जगह चले जाते
हैं।
एक अच्छा मित्र सही सलाह देता है और हमें गलत रास्ते पर जाने से रोकता है। वह
सुख-दुःख का साथी होता है। सिर्फ सुख में साथ देने वाले व्यक्ति, असली मित्र नहीं होते हैं। सच्चा मित्र दुःख में सहायता करता है। हम उस पर
भरोसा कर सकते हैं। इसलिए मुसीबत में ही मित्र की परख होती हैं।
सच्चे मित्र आपके साथ बेवजह नाटकपन या बनावटीपन नहीं दिखाते अगर आपका मित्र
आपकी व्यक्तिगत गोपनीय बातें दूसरे लोगों से साझा करता है, तो सच मानिए वह आपका सच्चा मित्र नहीं है उसे तुरंत छेड़ देने में ही आपकी
भलाई है। एक अच्छा दोस्त भावनात्मक रूप से बुद्धिमान होता है, वह आपको इसलिए नहीं ठुकराता,
क्योंकि लोग आपको अच्छा
नहीं मानते या आपके बारे में आपके मित्रों को गलत राय देते हैं, बुरे समय में जब कोई आपके साथ नहीं होता, तब भी सच्चा मित्र आपका
साथ नहीं छोड़ता। जीवन में एक अच्छे दोस्त का होना बहुत जरूरी है। एक ऐसा दोस्त जो
हर मुश्किल में आपका साथ दे एक अच्छा दोस्त हमारे जीवन का अहम हिस्सा होता है।
जिसकी जरूरत हमें उम्र के हर पड़ाव में होती है। दोस्ती का रिश्ता विश्वास पर टिका
होता है मित्र राजदार भी होते हैं और सुख-दुख के साथी भी । अतः सच्चा मित्र जीवन
के लिए परमावश्यक है।
(ग) मेरी कल्पना का विद्यालय घर के बाद विद्यालय हर व्यक्ति के जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। विद्यालय एक ऐसा स्थान है, जहाँ लोग बहुत कुछ सीखते हैं और पढ़ते हैं इसे ज्ञान का मंदिर कहा जाता है। अपने विद्यालय या पाठशाला में हम सब जीवन का सबसे अधिक समय व्यतीत करते हैं। जिसमें हम कई विषयों में शिक्षा प्राप्त करते हैं।
स्कूल में हमारे अध्यापकगण अपना ज्ञान हमें प्रदान कर सफलता प्राप्त करने का
रास्ता दिखाते हैं। विद्यालय का उदेश्य होता है कि विद्यार्थियों को उत्तम शिक्षा
मिले। मेरी कल्पना का विद्यालय ऐसा होना चाहिए कि जहाँ शिक्षा ग्रहण करने के
साथ-साथ, विद्यार्थी का सर्वांगीण विकास हो। विद्यार्थियों को शिक्षा
के साथ-साथ खेलकूद, रहन-सहन, विज्ञान, कला के क्षेत्र में भी ज्ञान प्रदान किया जाये। सभी विषय के उच्च शिक्षित एवं
जानकार शिक्षक विद्यालय में तैनात हो। विद्यालय मैं उपयुक्त पुस्तकालय हो जो
इंटरनेट के माध्यम से विश्व से जुड़ी हो। परंपरागत शिक्षा प्रणाली के साथ-साथ
इन्फॉर्मेशन टेक्नोलोजी का भी भरपूर उपयोग हो । विद्यालय में विडियो कॉन्फ्रेंसिंग
जैसी सुविधाओं का उपयोग करते हुये,
चुनिन्दा जानकर शिक्षकों
के द्वारा ज्ञान प्राप्त किया जा सके। विद्यार्थियों के लिए आवश्यक सभी सुविधाएँ
जैसे पुस्तकालय, इंटरनेट, कम्प्यूटर, प्रॉजेक्ट, आदि उपलब्ध हो मेधावी विद्यार्थी के साथ-साथ
कमजोर विद्यार्थी पर भी शिक्षकों का पूरा ध्यान हो । अगर विद्यार्थी किसी कारणवश
विद्यालय आने में असमर्थ हो तो वह इंटरनेट के माध्यम से भी अपने घर पर भी विद्यालय
की कक्षा में मानसिक रूप से उपस्थित रह सके। इस प्रकार मेरी कल्पना का विद्यालय आज
के युग से कदम से कदम मिलाकर चलाने वाला होना चाहिए।
मेरी कल्पना के विद्यालय में सर्वधर्म समभाव होना चाहिए। अमीर-गरीब का कोई
भेदभाव नहीं होना चाहिए। हर विद्यार्थी स्वच्छंद रूप से बेहिचक प्रसन्नतापूर्वक
शिक्षा ग्रहण कर सके। मेरी कल्पना के विद्यालय में एक बहुत ही सुंदर पुस्तकालय
होना बेहद आवश्यक है जहाँ हर विषय और ज्ञान की पुस्तकों की भरमार हो जहाँ
विद्यार्थी खुश होकर स्वाध्याय कर सके। हमारा विद्यालय हमारी विद्या का मंदिर होता
है। जिस तरह से भक्त लोगों के लिए मंदिर और पूजा स्थल पवित्र स्थान होता है। उसी
तरह से एक विद्यार्थी के लिए उसका विद्यालय एक पवित्र स्थल होता है। इस पवित्र
मंदिर के भगवान हैं हमारे गुरुजन जो हमारे अज्ञान रूपी अंधकार को दूर कर हमारे मन
में ज्ञान रूपी प्रकाश को फैला देते हैं।
अतः मेरी कल्पना का विद्यालय ज्ञान विज्ञान का और स्वस्थ स्वच्छ वातावरण का
तथा शांति एकता सौहार्द्र और प्रेम का पवित्र मंदिर होना चाहिए जो छात्रों के
भविष्य को उज्ज्वल और उन्नत दिशा में आगे बढ़ाए।
13. आपके क्षेत्र में डेंगू फैल रहा है। स्वास्थ्य अधिकारी को पत्र लिखकर उपयुक्त चिकित्सा व्यवस्था उपलब्ध कराने के लिए प्रार्थना पत्र लिखिए।
अथवा
अपने प्रिय मित्र को पत्र लिखकर धन्यवाद दीजिए कि आड़े वक्त में उसने किस तरह आपका साथ दिया था। [5]
उत्तर—परीक्षा भवन,
च, छ, ज, आगरा।
सेवा में,
स्वास्थ्य अधिकारी।
त थ द आगरा।
महोदय
सविनय निवेदन इस प्रकार है कि मैं च छ ज क्षेत्र का निवासी हूँ इस पत्र के
द्वारा आपका ध्यान अपने क्षेत्र की स्वास्थ्य समस्या की ओर आकृष्ट करना चाहता हूँ।
हमारे क्षेत्र में डेंगू प्रबल रूप से फैलता ही जा रहा है जिस कारण अस्पतालों में
भी मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाओं की सख्त कमी
है। उचित स्वास्थ्य सुविधाएँ और डॉक्टरों की कमी के कारण मरीजों की मृत्यु हो रही
है।
अतः आप से निवेदन है कि हमारे क्षेत्र के अस्पताल में उचित चिकित्सा व्यवस्था
उपलब्ध कराई जाए और दवाएँ उपलब्ध करवाई जाए जिससे डेंगू से पीड़ित मरीजों की जान
बचाई जा सके। यदि आपने मेरी समस्या पर अमल किया तो मैं और मेरे क्षेत्र के निवासी
आपके अत्यंत आभारी रहेंगे। सधन्यवाद!
भवदीय,
अब स दिनांक 30 जनवरी 20XX
अथवा
परीक्षा भवन,
त थ द आगरा। दिनांक 30 नवम्बर 20XX
प्रिय मित्र,
मधुर स्मृति
मैं यहाँ पर कुशल मंगल हूँ तथा तुम्हारी कुशलता की कामना ईश्वर से करता हूँ।
पत्र लिखने का कारण यह कि मैं तुम्हें तुम्हारी दयालुता और सहयोग भावना के लिए
तहेदिल से धन्यवाद प्रकट करना
चाहता हूँ।
मित्र जब मुझे पैसे की सख्त आवश्यकता थी और मैं लाचार था तब आड़े वक्त में तुमने
मुझे पैसे देकर मेरी समस्या को दूर किया। मैं शुक्रगुजार हूँ कि तुम्हारा किस
प्रकार कर्ज चुकाऊँ । ईश्वर से प्रार्थना है कि तुम्हारे जैसा मित्र सबको मिले।
मैं तुम्हारी दयालुता को कभी भुला नहीं पाऊँगा घर में अपने माता-पिता को मेरा
प्रणाम देना और छोटे भाई बहन को प्यार । तुम्हारा अभिन्न मित्र,
च छ ज ।
14. आपके शहर में एक नया वाटर पार्क खुला है, जिसमें पानी के खेल, रोमांचक झूलों, मनोरंजक खेलों और खान-पान की व्यवस्था है। इसके
लिए एक विज्ञापन का आलेख लगभग 50 शब्दों में तैयार कीजिए। [5]
अथवा
आपके पिताजी अपनी पुरानी कार बेचना चाहते हैं। इसके लिए पूरा विवरण देते हुए
एक विज्ञापन का आलेख लगभग 50 शब्दों में तैयार कीजिए ।
उत्तर
-
OUTSIDE DELHI SET-II
Note: Except for the following questions, all the
remaining questions have been asked in. previous set.
खण्ड 'ग'
8. निम्नलिखित में
से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखिए: [2 × 4 = 8 ]
(क) लेखक ने फादर
कामिल बुल्के की याद को यज्ञ की पवित्र अग्नि क्यों कहा है?
(ख) मन्नू भंडारी
का अपने पिता से जो वैचारिक मतभेद था उसे अपने शब्दों में लिखिए।
( ग ) 'नेताजी का चश्मा' पाठ में बच्चों
द्वारा मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा लगाना क्या प्रदर्शित करता है?
(घ) बालगोबिन भगत
सुस्त और बोदे से बेटे के साथ कैसा व्यवहार करते थे और क्यों?
(ङ) 'लखनवी अंदाज पाठ के आधार पर बताइए कि लेखक ने यात्रा करने
के लिए सेकंड क्लास का टिकट क्यों खरीदा।
उत्तर- (क) जिस प्रकार यज्ञ की पवित्र अग्नि अपने चारों ओर के वातावरण को
शुद्ध पवित्र करके महका देती है और लम्बे समय तक वह पवित्रता और शुद्धता बनी रहती
है ठीक उसी प्रकार फादर
बुल्के भी अपने स्नेह और ममता की छाँव से सबको सराबोर कर देते थे।
(ख) मन्नू भंडारी के पिता चाहते थे कि वह घर में होने वाली राजनीतिक पार्टियों
के लोगों के विचार सुने जाने और समझे कि देश में क्या कुछ हो रहा है, यही पिताजी के द्वारा दी गयी आज़ादी की सीमा थी, लेकिन मन्नू की आजादी की
सीमा चारदीवारी से बाहर निकल कर आजादी के आंदोलन में भाग लेना था। पिता को पढ़ने
लिखने की स्वतंत्रता स्वीकार्य थी पर राजनीतिक आंदोलनों में भाग लेना पसंद नहीं था, मन्नू भंडारी यह सब करना सही मानती थी। इसी कारण अपने पिता के साथ मन्नू की
वैचारिक टकराहट थी। क्योंकि दोनों के विचारों में विपरीत सोच थी।
(ग) बच्चों द्वारा नेताजी की मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा लगाया जाना यह उम्मीद
जगाता है कि हमारी भावी पीढ़ी में देशभक्ति की भावना देश के शहीदों का आदर, नई पीढ़ी में अपनी जिम्मेदारी का अहसास प्रबल है। इस देश के नवनिर्माण में न
केवल युवा बल्कि बच्चा-बच्चा भी अपना योगदान देने में तत्पर है। बड़े व्यक्तियों
से कहीं अधिक बड़े देशभक्त हमारे नौनिहाल हैं हमारा देश सुरक्षित हाथों में है।
(घ) बालगोबिन भगत का मानना था कि ऐसे व्यक्तियों को अधिक प्यार और स्नेह की आवश्यकता होती है। जो लोग मानसिक रूप से सुस्त और बोदा होते हैं माता पिता के उनके प्रति कर्तव्य और भी बढ़ जाते हैं। उनका मानना था कि ऐसे लोग निगरानी और मुहब्बत के ज्यादा हकदार होते हैं। वे प्रेम और ममता के अधि कारी सामान्य लोगों से ज्यादा होते हैं। यदि ऐसे बच्चों को तिरस्कार उपेक्षित किया जाए तो उनमें असुरक्षा व हीनता की भावना जन्म लेगी एवं उनका भविष्य खतरे में पड़ जाएगा।
(ङ) लेखक नयी कहानी की रचना करना चाहते थे, उन्होंने सोचा कि
मुफस्सिल की ट्रेन में सेकण्ड क्लास का डिब्बा बिल्कुल खाली होगा जिससे वे भीड़
बचकर नई कहानी के विषय में एकान्त में चिंतन करने के साथ-साथ प्राकृतिक दृश्यों की
शोभा भी निहार सकेंगे जिस कारण उन्होंने एकांत की दृष्टि से सेकण्ड क्लास का टिकट खरीदा।
10. निम्नलिखित में
से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखिए: [ 2 × 4
= 8]
(क) संगतकार की मनुष्यता
किसे कहा गया है? वह मनुष्यता कैसे बनाए रखता है?
(ख) 'अट नहीं रही है' कविता के आधार पर बसंत ऋतु की शोभा का वर्णन
कीजिए।
(ग) परशुराम ने अपनी किन
विशेषताओं के उल्लेख के द्वारा लक्ष्मण को डराने का प्रयास किया?
(घ) आपकी दृष्टि में कन्या
के साथ दान की बात करना कहाँ तक उचित है? तर्क दीजिए।
(ङ) कवि ने शिशु की मुस्कान को 'दंतुरित मुस्कान' क्यों कहा है ? कवि के मन पर उस मुस्कान का क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर- (क)
संगतकार की मनुष्यता यह है कि वह हमेशा स्वयं को मुख्य गायक के पीछे ही रखता है वह
अपनी मनुष्यता बनाए रखने के लिए कभी भी मुख्य गायक को अकेलेपन का अहसास नहीं होने
देता। वह हमेशा मुख्य गायक को ऊँचाई पर रखता है तथा गायक की गरिमा को बनाए रखता
है। जब मुख्य गायक का स्वर कभी अनहद में भटक जाता है तो संगतकार उन सुरों को
सँभालने का कार्य करता है और मुख्य गायक को हताश नहीं होने देता मुख्य गायक के सुर
से अपना सुर ऊपर नहीं रखता इस प्रकार वह अपनी मनुष्यता को बनाकर रखता है।
(ख) कवि निराला
फागुन और बसंत की शोभा का वर्णन करते हुए कहते हैं कि चारों ओर प्रकृति में अद्भुत
सौंदर्य बिखरा हुआ है। बसंत का मादक सौंदर्य आँखों में समा नहीं पा रहा है। पेड़ों
पर नए पल्लव दल लाल और हरे रंग के आ गए हैं। प्रकृति के गले में रंग बिरंगे
पुष्पों की माला सजी हुई है। चारों ओर खुशहाल वातावरण है। बसंत की शोभा मंत्रमुग्ध
करने वाली है जिसको आँखें स्वीकार नहीं कर पा रही हैं।
(ग) परशुराम बोले
हे लक्ष्मण सहस्रबाहु की हजार भुजाओं को काटने वाली मेरी इस कुल्हाड़ी की ओर देखो।
यह गर्भ के शिशुओं को भी नहीं छोड़ती। यह बड़ी क्रूर है पल भर में मैं तुम्हें काल
का निवाला बना दूंगा। मैं बाल ब्रह्मचारी और अत्यंत क्रोधी हूँ, मैंने अपनी भुजाओं के बल से धरती को क्षत्रिय
विहीन कर दिया था, साथ ही सहस्रबाहु का वध
करने वाला बताया है और अनेक बार इस धरती को जीतकर ब्राह्मणों को दान में दे दिया
था।
(घ) हमारी दृष्टि
में कन्या के साथ दान की बात करना उचित नहीं है। दान तो किसी वस्तु का किया जाता
है। कन्या कोई दान की वस्तु नहीं है लेकिन दान से तात्पर्य है कि अपनी कोई प्रिय
वस्तु किसी दूसरे के हाथों में सौंप देना । ठीक उसी प्रकार माँ भी अपनी पुत्री को
विवाह के समय सदा के लिए दूसरे के हाथों में सौंप देती है जो उसकी अमूल्य पूँजी
होती है। अतः कन्या के विवाह को दान का नाम दिया गया है।
(ङ) कवि ने शिशु
की मुस्कान को दंतुरित मुस्कान कहा है। अर्थात् शिशु के नए दांतों की मुस्कान शिशु
की दंतुरित मुस्कान कवि के लिए मृतक में भी जान डाल देने वाली है । कवि के मन पर
शिशु की मुस्कान का यह प्रभाव पड़ता है कि उसे लगता है कि कमल का फूल तालाब को
छोड़कर स्वयं उसकी झोपड़ी में आकर खिल गया है। उसके मन में तरह-तरह की कल्पनाएँ
आती हैं। कवि अत्यंत प्रफुल्लित और आश्चर्यचकित है। उसका वात्सल्य जाग उठता है।
13. गत कुछ दिनों से
आपके क्षेत्र में अपराध बढ़ने लगे हैं। इससे आप चिंतित हैं। इन अपराधों की रोकथाम
के लिए थानाध्यक्ष को पत्र लिखिए। [5]
अथवा
आपका एक मित्र शिमला में रहता है। आप उसके आमंत्रण पर ग्रीष्मावकाश में वहाँ
गए थे और प्राकृतिक सौंदर्य का खूब आनंद उठाया था। घर वापस लौटने पर कृतज्ञता
व्यक्त करते हुए मित्र को पत्र लिखिए।
उत्तर- परीक्षा भवन,
क, ख, ग
नई दिल्ली।
1100xx
सेवा में,
थानाध्यक्ष,
च, छ, ज नई दिल्ली।
विषय-बढ़ते अपराधों की शिकायत हेतु थानाध्यक्ष को पत्र ।
महोदय,
सविनय नम्र निवेदन इस प्रकार है कि हमारे क्षेत्र में कुछ दिनों से अपराध
बढ़ते ही जा रहे हैं। आए दिन महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार, छेड़छाड़ और चेन झपटमारी की घटनाएँ बढ़ती जा रही हैं। लड़कियों का घर से बाहर
निकलना दूभर हो रहा है। चोरी डकैती की घटनाएँ भी दिन प्रतिदिन बढ़ने के कारण हमारे
क्षेत्र के निवासी अत्यंत परेशान हैं।
अतः आपसे आग्रह है कि हमारे क्षेत्र में पुलिस गश्त बढ़ा दी जाए और महिलाओं की
सुरक्षा के लिए कुछ उचित कदम उठाएँ जिससे कि सभी क्षेत्र के निवासी सुरक्षित जीवन
जी सकें। यदि आपने हमारी समस्या की ओर ध्यान दिया तो हम सभी क्षेत्र के निवासी
आपके अत्यंत आभारी रहेंगे। सधन्यवाद!
भवदीय,
प. फ. छ.
दिनांक- 22 नवम्बर 20XX
अथवा
परीक्षा भवन,
क, ख, ग
नई दिल्ली।
1100xx
दिनांक 22 जनवरी 20XX
प्रिय मित्र,
मधुर स्मृति मैं यहाँ पर कुशलपूर्वक हूँ तथा तुम्हारी कुशलता की कामनाएँ ईश्वर
से करता हूँ। पत्र लिखने का कारण यह है कि मैं तुम्हारे प्रति अपनी असीम कृतज्ञता
व्यक्त करना चाहता हूँ। मुझे अत्यंत प्रसन्नता है कि तुमने मुझे शिमला आने का
आमंत्रण दिया और मैं वहाँ पहुँच भी गया। जिस प्रकार तुमने मुझे शिमला की सैर कराई
और मैंने प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लिया उस आनंद को मैं कभी भूल नहीं सकता।
पर्वतीय सौंदर्य में एक अजीब सी शांति और सुख है। काश मैं भी तुम्हारे साथ हमेशा
उस स्वर्गिक सौंदर्य का आनंद ले पाता ।
मैं तुम्हारा शुक्रगुजार हूँ कि तुमने मुझे शिमला के दर्शनीय स्थलों की सैर
कराई तथा पहाड़ों की खूबसूरती के नजारे दिखाए। अगले वर्ष ग्रीष्मावकाश में, मैं फिर से पर्वतीय सौंदर्य का आनंद लेना चाहूँगा। घर में अपने माता पिताजी को
मेरा प्रणाम देना और छोटी बहन को स्नेह |
तुम्हारा अभिन्न मित्र।
त थ द
OUTSIDE DELHI SET-III
Note: Except for the following questions, all the
remaining questions have been asked in previous set.
खण्ड 'ग'
8. निम्नलिखित में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखिए: [ 2 × 4 = 8]
(क) दो उदाहरण दीजिए जिनसे आपको लगा हो कि बालगोविन भगत सामाजिक रूढ़ियों से न
बँध कर प्रगतिशील विचारों का परिचय देते हैं।
(ख) नवाब साहब ने खीरा खाने की पूरी तैयारी की और उसके बाद उसे बिना खाए फेंक
दिया। इस नवावी व्यवहार पर टिप्पणी कीजिए ।
(ग) फादर कामिल बुल्के के हिन्दी के प्रति लगाव के दो उदाहरण पाठ के आधार पर
दीजिए ।
(घ) मन्नू भण्डारी के व्यक्तित्व पर किन-किन व्यक्तियों का प्रभाव किस रूप में
पड़ा ?
(ङ) कैसे कह सकते हैं कि "काशी संस्कृति की प्रयोगशाला" है? 'नौबतखाने में इबादत' पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तर- (क) जब बालगोबिन भगत के बेटे की मृत्यु हुई तो उन्होंने अपनी पतोहू को दूसरा विवाह करने के लिए कहा। पतोहू से अपने पुत्र का अंतिम संस्कार करवाया उनके विचार से पति की मृत्यु के बाद एक स्त्री के लिए अकेले जीवन बिताना बहुत ही दुखपूर्ण और चुनौती भरा कार्य है। उनका यह व्यवहार सामाजिक रूढ़ियों से न बंधकर ऊपर उठाता है। भगत गृहस्थ होकर भी एक साधु की परिभाषा पर खरे उतरते थे खेतीबाड़ी करते थे और जो भी खेत में अन्न उपजता उसको सबसे पहले कबीर के मठ में ले जाते और जो भी प्रसाद रूप में मिलता उसी से गुजर बसर करते।
(ख) नवाब साहब अपनी नवाबी का दिखावा कर रहे थे। नवाब साहब की नवाबी पर व्यंग्य
किया गया है उन्होंने खीरे को पहले धोया, सुखाया, छीला और फिर फाँकों में काटकर सूँघकर खिड़की से
बाहर फेंक दिया इससे उनके दिखावटी पूर्ण जीवन का पता चलता है कि वे खीरे को
अपदार्थ और तुच्छ समझते हैं। इस प्रकार नवाबों का वास्तविकता से बेखबर होना
दर्शाया गया है।
(ग) फादर कामिल बुल्के हिंदी वालों के द्वारा हिन्दी भाषा की उपेक्षा से बहुत
दुखी होते थे। हर मंच से वे हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाये जाने की बात करते और
हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए कार्य करते ।
(घ) मन्नू भंडारी पर उनके पिता और हिन्दी की प्राध्यापिका शीला अग्रवाल का
प्रभाव पड़ा। पिता की तरह वह भी देशभक्त और आजादी के आंदोलन में भागीदारी देने
वाली देशभक्त थीं। पिता की तरह ही शक्की स्वभाव और तमाम गुण मन्नू में समाहित थे।
शीला अग्रवाल ने उन्हें साहित्य के क्षेत्र में आगे बढ़ाने का कार्य किया। मन्नू को चुनिंदा उच्च साहित्यकारों की पुस्तकें पढ़ने के लिए प्रेरित किया। साथ ही घर की चारदीवारी से बाहर निकालकर उनको आंदोलन के लिए प्रेरित किया अर्थात् राजनीति में सक्रिय भागीदारी की प्रेरणा मिली।
(ङ) काशी संस्कृति की पाठशाला है क्योंकि काशी में संगीत की एक अद्भुत परंपरा
रही है। बड़े-बड़े रसिक कण्ठे महाराज ने भी यहीं सबको संस्कृति का पाठ पढ़ाया।
काशी में बाबा विश्वनाथ हैं, संकटमोचक हनुमान का मंदिर है। खानपान, उत्सव और अन्य सामाजिक परम्पराएँ भी विद्यमान है। काशी में गंगा जमुनी संस्कृति
है इसको शास्त्रों में आनंद कानन के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ हजारों साल का
इतिहास छिपा हुआ है।
10. निम्नलिखित में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखिए: [2 × 4 = 8]
(क) 'उत्साह' कविता में कवि बादल से क्या अनुरोध करता है?
(ख) भाव स्पष्ट कीजिए: "छू गया तुमसे कि झरने लग पड़े शेफालिका के फूल
बाँस था कि बबूल ?"
(ग) छाया मत छूना मन' में 'छाया' किसका प्रतीक है? उसे छूने को मना क्यों किया गया है?
(घ) 'कन्यादान'
कविता का संदेश संक्षेप
में लिखिए।
(ङ) मँजे हुए प्रतिष्ठित संगीतकार को भी अच्छे संगतकार की आवश्यकता क्यों होती
है?
उत्तर- (क) उत्साह कविता में कवि बादल से अनुरोध करता है कि हे बादलो तुम गगन
को चारों ओर से घेर लो, घोर अंध कार कर लो और क्रांति करो। अनंत दिशा
से आकर घनघोर गर्जना करके बरसों और तपती हुई धरा को शीतल कर दो। क्रांति के द्वारा
परिवर्तन ले आओ। बादलों को क्रांतिदूत मानकर सोए अलसाए, कर्तव्य विमुख लोगों में उत्साह लाने के लिए अनुरोध करता है।
(ख) कवि अपने शिशु की दंतुरित मुस्कान को देखकर कहता है कि तुम्हारे नए दाँतों के मुस्कान में एक आकर्षण है। जैसे ही मैंने तुम्हें छुआ ऐसे लगा कि शेफालिका के सफेद फूल झड़ रहे हैं। तुम्हारी मुस्कान देखकर बांस और बबूल में भी शेफालिका के जैसे फूल खिलने लगेंगे। कवि का कठोर व काँटों से भरा जीवन बच्चे के स्पर्श से वात्सल्य की भावनाओं से भर उठा।
(ग) छाया मत छूना अतीत की स्मृतियों की प्रतीक है। कवि अतीत को याद करने से
मना करता है क्योंकि अतीत को याद करके वर्तमान का दुःख दुगुना हो जाता है। हम आज
के सुख को भी खो देते हैं। अतः हमें अतीत को भूल जाना चाहिए और वर्तमान में जीना
चाहिए और आने वाले समय को सुखी बनाने के लिए कार्य करना चाहिए।
(घ) कन्यादान कविता का सन्देश यह है कि हमारे समाज में स्त्रियों के लिए कुछ
प्रतिमान स्थापित कर दिए जाते हैं। समाज उनको कमजोर समझता है और अत्याचार करता है।
इसलिए अत्याचार के कारण अपने जीवन के प्रति सचेत रहना चाहिए। अपने सचित अनुभव के
आधार पर माँ कन्यादान के समय अपनी बेटी को शिक्षित कर रही है ताकि समाज में वह एक
उच्च सुखी जीवन जी सके और समाज की मानसिकता से वह परिचित हो सके। विवाह के पश्चात्
लड़की परिवार की केन्द्र बिन्दु होती है अतः लड़की को उसके कर्तव्यों से परिचित
करा रही है। साथ ही बताया गया है उसे अपनी सुंदरता पर नहीं रीझना चाहिए।
(ङ) जब कभी मँजा हुआ संगीतकार अपने सुरों के जंगल में भटक जाता है अनहद में
चला जाता है तब संगतकार ही उसके सुरों को सँभालने का कार्य करता है। गायन को
प्रभावशाली बनाता है। संगतकार ही मुख्य संगीतकार या गायक का अस्तित्व बचाता है और
स्वयं हमेशा मुख्य गायक के पीछे रहता है उसका साथ देता है।
11. 'माता का अँचल' पाठ की दो बातों
का उल्लेख कीजिए जो आपको अच्छी लगी हों। इनसे आपको क्या प्रेरणा मिली ? [4]
अथवा
'जॉर्ज पंचम की
नाक' पाठ में निहित व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- 'माता का अँचल' पाठ ग्रामीण संस्कृति के बच्चों के बचपन की एक जीवंत झलक है। इस पाठ में बच्चों के स्वच्छंद बचपन का वर्णन है कि किस प्रकार वे अपने हमजोलियों के बीच मिट्टी में ही बिना खेल खिलौनों के अपना जीवन बिताते हैं। पिताजी का भोलानाथ के हर खेल में शामिल होना हर खेल पर अपनी बच्चों सी टिप्पणी देना बहुत अच्छा लगा। जब चूहे के बिल में से साँप निकल आया और दशहत में आकर संकट के समय भोलानाथ का माँ के आँचल में जाकर छुप जाना बहुत अच्छा लगा। इस पाठ में गुदगुदाने वाले प्रसंग भी अनेक हैं। पिता का इस प्रकार बच्चा बन जाना बहुत सुखद अनुभव है जो सभी पाठकों को गुदगुदा देता है।
अथवा
'जॉर्ज पंचम की नाक' पाठ एक सटीक व्यंग्य है हमारे शाही तंत्र की गुलामी की मानसिकता पर जब रानी
एलिजाबेथ द्वितीय भारत दौरे पर आ रही थी तो बड़े-बड़े हुक्कामों ने दिल्ली का काया
पलट कर दिया। वे भूल चुके हैं कि इसी महारानी के देश ने ही उन्हें कभी गुलाम बनाया
था। इस निबंध में सरकारी कार्यप्रणाली पर भी व्यंग्य है। नाजनीनों की तरह दिल्ली
को सजाया संवारा गया। जॉर्ज पंचम की मूर्ति से गायब नाक के लिए मूर्तिकार को नाक
लगाने का आदेश दे दिया गया। मूर्तिकार हिंदुस्तान के कोने-कोने में गया किन्तु
मूर्ति की नाप की नाक ढूँढने में असफल रहा। गैरजिम्मेदारी पत्रकारिता में कर्तव्य
बोध का अभाव, विदेशी आकर्षण तथा दिखावे पर व्यंग्य किया गया
है।
अंत में जिंदा नाक लगाकर कार्य पूरा किया गया। यह एक जीता जागता उदाहरण है
हमारे शाही तंत्र की मानसिकता पर कि किस प्रकार अपनी नाक बचाने के लिए जनता की नाक
तक काट देते हैं।
13. 'पड़ोस में आग
लगने की दुर्घटना की खबर तुरंत दिए जाने पर भी दमकल अधिकारी और पुलिस देर से
पहुँचे जिससे आग ने भीषण रूप ले लिया। इसके बारे में विवरण सहित एक शिकायती पत्र
अपने जिला अधिकारी को लिखिए। [5]
अथवा
पढ़ाई छोड़कर घर
बैठे छोटे भाई को समझाते हुए पत्र लिखिए कि पढ़ना क्यों आवश्यक है। पत्र ऐसा हो कि
उसमें नई उमंग का संचार हो सके।
उत्तर- परीक्षा भवन,
क, ख, ग, आगरा।
सेवा में,
जिलाधिकारी,
अ, ब, स
आगरा
दिनांक 25 मार्च 20XX
विषय दमकल अधिकारी और पुलिस की लापरवाही की - शिकायत हेतु पत्र
महोदय,
सविनय निवेदन है कि मैं च छ ज क्षेत्र का निवासी इस पत्र के माध्यम से आपको
दमकल विभाग और पुलिस की लापरवाही की शिकायत करना चाहता हूँ। कल मेरे पड़ोसी के
यहाँ अचानक आग लग गयी, जिस कारण पड़ोसियों का घर पूरी तरह से जल कर
स्वाहा हो गया।
आग लगने की घटना की जानकारी तुरंत दमकल विभाग को दी गयी परन्तु कई घण्टे तक भी
दमकल की कोई गाड़ी नहीं आयी और न ही पुलिस ने आकर घटना की जानकारी ली। इतनी देर
में आग की लपटें दूसरे पड़ोसियों के घर तक आकर भी फैल गयी।
दमकल विभाग के कर्मचारी समय पर आते तो इतने बड़े नुकसान को बचाया जा सकता था।
आपसे अनुरोध है कि दमकल विभाग और पुलिसकर्मियों के प्रति सख्त कार्यवाही करें जो
सूचना देने के बाद भी घटनास्थल पर नहीं आए। भवदीय
सधन्यवाद ।
प. फ. ब.
अथवा
परीक्षा भवन
क, ख, ग
आगरा
दिनांक 22 नवम्बर 20XX
प्रिय अनुज,
शुभाशीष । इस पत्र के द्वारा मैं तुम्हें पढ़ाई का महत्व समझाना चाहता हूँ
मुझे मालूम हुआ है कि तुम पढ़ाई छोड़कर घर पर बैठे हो और विद्यालय भी नहीं जा रहे
हो। यदि तुम विद्यालय नहीं जाओगे तो घर पर बैठकर तुम्हारा अर्जित ज्ञान भी धूमिल
हो जाएगा और खाली दिमाग शैतान का घर होता है बिना पढ़ाई के जीवन व्यर्थ है तुम
अपना भविष्य बिना पढ़ाई के कैसे बना सकते हो। यदि तुम पढ़ोगे तो आगे चलकर अपने
पैरों पर खड़े हो सकते हो और आत्मसम्मान आत्मविश्वास प्राप्त करोगे और जो चाहो
जीवन में हासिल कर पाओगे।
आशा है कि तुम मेरी बात समझ गए होंगे और कल से नियमित रूप से विद्यालय जाओगे
तथा परिश्रम करोगे। घर में माता पिताजी को मेरा दंडवत् प्रणाम देना और छोटी बहन को
प्यार ।
तुम्हारा अग्रज,
च. छ.ज.
Hindi Course A
(2019)
Delhi [Set-I]
निर्धारित समय 3 घण्टे
अधिकतम अंक :80
खण्ड 'क'
1. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर
लिखिए। [8]
आजकल दूरदर्शन पर आने वाले धारावाहिक देखने का प्रचलन बढ़ गया है बाल्यावस्था
में यह शौक हानिकारक है। दूरदर्शन पर दिखाए जाने वाले धारावाहिक निम्न स्तर के
होते हैं। उनमें अश्लीलता, अनास्था, फैशन तथा नैतिक बुराइयाँ ही अधिक देखने को
मिलती हैं। छोटे बालक मानसिक रूप से परिपक्व नहीं होते। इस उम्र में वे जो भी
देखते हैं उसका प्रभाव उनके दिमाग पर अंकित हो जाता है बुरी आदतों को वे शीघ्र ही
अपना लेते हैं समाजशास्त्रियों के एक वर्ग का मानना है कि समाज में चारों ओर फैली
बुराइयों का एक बड़ा कारण दूरदर्शन तथा चलचित्र भी है। दूरदर्शन से आत्मसीमितता, जड़ता, पंगुता अकेलापन
आदि दोष बढ़े हैं। बिना समय की पाबंदी के घंटों दूरदर्शन के साथ चिपके रहना बिलकुल
गलत है। इससे मानसिक विकास रुक जाता है, नजर कमजोर हो
सकती है और तनाव बढ़ सकता है।
(क) आजकल दूरदर्शन के धारावाहिकों का स्तर कैसा है ?
(ख) दूरदर्शन का
दुष्प्रभाव किन पर अधिक पड़ता है और क्यों ?
(ग) दूरदर्शन के क्या- क्या दुष्प्रभाव हैं?
(घ) 'बाल्यावस्था' शब्द का संधि
विच्छेद कीजिए।
(ङ) उपर्युक्त गद्यांश के लिए उपयुक्त शीर्षक लिखिए ।
उत्तर- (क) आजकल दूरदर्शनों के धारावाहिकों का स्तर घटता जा रहा है। उसमें
दर्शकों को अश्लीलता, अनास्था, फैशन तथा नैतिक बुराइयाँ ही अधिक देखने को
मिलती हैं।
(ख) दूरदर्शन का दुष्प्रभाव सबसे अधिक छोटे बालकों पर पड़ता है क्योंकि वे
मानसिक रूप से अपरिपक्व होते हैं वे जो इस छोटी उम्र में देखते हैं उसका प्रभाव उन
पर अधिक पड़ता है।
(ग) दूरदर्शन के कई दुष्प्रभाव हैं जैसे—इससे समाज में
फैली बुराइयों को बढ़ावा मिलता है। इससे आत्मसीमितता, जड़ता, पंगुता अकेलापन
आदि दोष बढ़े हैं। नज़र कमजोर पड़ती है एवं घंटों दूरदर्शन देखने से समय की पाबंदी
घट जाती है।
(घ) 'बाल्यावस्था' का संधि विच्छेद
बाल+अवस्था ।
(ङ) उपर्युक्त गद्यांश का शीर्षक 'दूरदर्शन के
दुष्प्रभाव' ।
2. निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के उत्तर
लिखिए: [7]
कोलाहल हो
या सन्नाटा कविता सदा सृजन करती है।
जब भी आँसू हुआ पराजित
कविता सदा जंग लड़ती है जब भी कर्ता हुआ अकर्ता
कविता ने जीना सिखलाया
यात्राएँ जब मौन हो गई
कविता ने चलना सिखलाया
जब भी तम का जुल्म बढ़ा
कविता नया सूर्य गढ़ती है,
जब गीतों की फसलें लुटतीं शीलहरण होता कलियों का,
शब्दहीन जब हुई चेतना
तब-तब चैन लुटा गलियों का अपने भी ओ गए पराए
यों झूठे अनुबंध हो गए
घर में ही बनवास हो रहा
यों गूर्गे संबंध हो गए।
(क) कविता कैसी परिस्थितियों में सृजन करती है? स्पष्ट कीजिए ।
(ख) भाव समझाइए 'जब भी तम का जुल्म बढ़ा है, कविता नया सूर्य गढ़ती है। '
(ग) गलियों का चैन कब लुटता है?
(घ) परस्पर संबंधों में दूरियाँ बढ़ने लगीं यह भाव किस पंक्ति में आया है?
(ङ) कविता जीना कब सिखाती है ?
अथवा
जो बीत गई सो बात गई।
जीवन में एक सितारा था,
माना, वह बेहद प्यारा था,
वह डूब गया तो डूब गया।
अंबर के आनन को देखो,
कितने इसके तारे टूटे,
कितने इसके प्यारे छूटे,
जो छूट गए फिर कहाँ मिले;
पर बोलो टूटे तारों पर,
कब अंबर शोक मनाता है?
जो बीत गई सो बात गई।
जीवन में वह था एक कुसुम,
थे उस पर नित्य निछावर तुम,
वह सूख गया तो सूख गया;
मधुबन की छाती को देखो,
सूखी कितनी इसकी कलियाँ,
मुरझाई कितनी बल्लरियाँ,
जो मुरझाई फिर कहाँ खिलीं,
पर बोलो सूखे फूलों पर,
कब मधुबन शोर मचाता है ?
जो बीत गई तो बात गई।
(क) 'जो बीत गई सो बात गई' से क्या तात्पर्य है।
स्पष्ट कीजिए।
(ख) आकाश की ओर कब देखना
चाहिए, और क्यों ?
(ग) सूखे फूल' और 'मधुबन' के प्रतीकार्य स्पष्ट कीजिए।
(घ) टूटे तारों का शोक कौन
नहीं मनाता है?
(ङ) आपके विचार से 'जीवन में एक सितारा' किसे माना होगा ?
उत्तर- (क) कविता हमेशा ही कठिन परिस्थितियों को हमारे अनुकूल कर नए पथ का
सृजन करती है। जब आँसू पराजित हो जाते हैं तो कविता अपनी लेखनी द्वारा प्रतिकूल
परिस्थितियों से जंग लड़ती है। जब कर्ता हताश हो जाता है मन अशांत हो जाता है, मन में तरह-तरह के विचार आ रहे हों तो उसमें नई उमंग भरती है। कविता एक ऐसे नए
सूरज का निर्माण करती है जो नया सवेरा लाता है।
(ख) 'जब भी तम का जुल्म बढ़ा
है, कविता नया सूर्य गढ़ती है- का भाव यह है कि जब-जब अंधेरा
अर्थात् प्रतिकूल परिस्थितियाँ अपने चरम पर होती हैं तो कविता अपनी लेखनी द्वारा
इन प्रतिकूल अंधकारमय परिस्थितियों को अपने पथ प्रदर्शक शब्दों द्वारा नया सूर्य दिखाकर
उन्हें प्रतिकूल बनाती है।
(ग) गलियों का चैन शब्दहीन
निर्दय चेतना द्वारा लुटता है।
(घ) परस्पर संबंधों में दूरियाँ बढ़ने लगीं :- यह भाव अपने 4- भी हो गए पराए' में आया है।
(ङ) जब कर्ता अकर्ता हो
जाता है अर्थात् प्रतिकूल परिस्थितियों के समक्ष हार जाता है तो
कविता उसे जीना सिखाती है।
अथवा
(क)'जो बीत गई सो बात गई' से तात्पर्य है
कि जो बीत गया वो हमारा कल था और वह दोबारा नहीं आएगा। अतीत के दुःखों को याद कर
रोने से कोई लाभ नहीं। बीती बातों को भूलकर आगे बढ़ना चाहिए।
(ख) अंबर की ओर
रात्रि में देखना चाहिए, जीवन में किसी
प्रिय के बिछुड़ने पर आकाश में देखना चाहिए । जब उसमें अनगिनत तारे होते हैं
क्योंकि तारे प्रतिदिन टूटते हैं पर अंबर हमेशा ही वैसा का वैसा रहता है। चाहे नए
तारे आए या पुराने टूटे आकाश अपने सितारों के टूटने पर शोक से परे शांत रहता है।
(ग) मधुबन का अर्थ
बगीचा एवं सूखे फूल 'मधुबन' में मुरझाए फूल ।
(घ) टूटे तारों का
शोक अंबर नहीं मनाता है।
(ङ) आपके विचार से
'जीवन में एक सितारा' हमारे जीवन का महत्वपूर्ण व्यक्ति होता है
जिसके इर्द-गिर्द हमारी दुनियाँ घुमती है।
खण्ड 'ख'
3. निर्देशानुसार किन्हीं
तीन के उत्तर लिखिए- [1 × 3 =
3]
(क) मैंने उस व्यक्ति को देखा जो पीड़ा से कराह रहा था । (संयुक्त वाक्य में बदलिए)
(ख) जो व्यक्ति परिश्रमी होता है, वह अवश्य सफल होता है। (सरल वाक्य में बदलिए)
(ग) वह कौन-सी पुस्तक है जो आपको बहुत याद है। ( रेखांकित उपवाक्य का भेद बदलिए)
(घ) कश्मीरी गेट के
निकल्सन कब्रगाह में उनका ताबूत उतारा गया। (मिश्र वाक्य में बदलिए)
उत्तर- (क) संयुक्त वाक्य — मैंने उस व्यक्ति को देखा और वह पीड़ा से कराह रहा था।
(ख) सरल वाक्य — परिश्रमी
व्यक्ति अवश्य सफल होता है।
(ग) 'वह कौन-सी पुस्तक है— प्रधान उपवाक्य
(घ) जहाँ कश्मीरी गेट का निकल्सन कब्रगाह
था वहाँ उनका ताबूत उतारा गया।
अथवा
4. निम्नलिखित वाक्यों में
से किन्हीं चार वाक्यों का
निर्देशानुसार वाच्य
परिवर्तन कीजिए [1×4=4]
(क) बालगोबिन भगत प्रभातियाँ गाते थे ।(कर्मवाच्य में बदलिए)
(ख) बीमारी के कारण वह यहाँ न आ सका। (भाववाच्य में बदलिए)
(ग) माँ के द्वारा बचपन में ही घोषित कर दिया गया था। ( कर्तृवाच्य में बदलिए)
(घ) अवनि चाय बना रही है। (कर्मवाच्य में बदलिए)
(ङ) घायल हंस उड़ न पाया। (भाववाच्य में बदलिए)
उत्तर- (क) कर्मवाच्य - बालगोबिन भगत द्वारा प्रभातियाँ गाई जाती थी।
(ख) भाववाच्य बीमारी के
कारण वह यहाँ नहीं आ सकता।
(ग) कर्तृवाच्य - माँ ने
बचपन में ही घोषित कर दिया था ।
(घ) अवनि के द्वारा चाय
बनायी गयी।
(ङ) भाववाच्य घायल हंस उड़
न सका।
5. निम्नलिखित वाक्यों में
से किन्हीं चार रेखांकित पदों का पद - परिचय लिखिए- [1 × 4 = 4]
(क) दादी जी प्रतिदिन
समाचार पत्र पढ़ती हैं।
(ख) रोहन यहाँ नहीं आया
था।
(ग) वे मुंबई जा चुके हैं।
(घ) परिश्रमी अंकिता अपना
काम समय में पूरा कर लेती है।
(ङ) रवि रोज सवेरे दौड़ता
है।
उत्तर- (क) पढ़ती है— एकवचन,
क्रिया, स्त्रीलिंग
(ख) यहाँ — सर्वनाम, स्थानवाचक क्रिया-विशेषण
(ग) वे — बहुवचन, सर्वनाम (पुरुषवाचक), कर्ता कारक ।
(घ) परिश्रमी
गुणवाचक संज्ञा, एकवचन, स्त्रीलिंग विशेषण स्पष्ट करता है)
(ङ) रवि व्यक्तिवाचक संज्ञा, एकवचन, पुल्लिंग कर्ताकारक ।
6. निम्नलिखित में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए- [1 ×4=4]
(क) 'करुण रस' का एक उदाहरण
लिखिए।
(ख) निम्नलिखित
काव्य पंक्तियों में निहित रस पहचान कर लिखिए-
तंबूरा ले मंच पर बैठे प्रेमप्रताप,
साज मिले पंद्रह मिनट, घंटा भर आलाप ।
घंटा भर आलाप, राग में मारा गोता,
धीरे-धीरे खिसक चुके थे सारे श्रोता ।
(ग) 'उत्साह' किस रस का स्थायी
भाव है ?
(घ) 'वात्सल्य' 'रस का स्थायी
क्या है ?
(ङ) ' शृंगार रस के कौन-से दो भेद हैं।
उत्तर - करुण रस का उदाहरण— पीपल के पत्ते से नए-नए हाथ जूही की डाल से
खुशबूदार हाथ
'उभरी नसों वाले
हाथ घिसे नाखूनों वाले हाथ
गंदे कटे-पिटे हाथ
जख्म से फटे हुए हाथ
खुशबू रचते हैं हाथ।
(ख) हास्य रस
(ग) उत्साह 'वीर रस का स्थायी भाव है।
(घ) वात्सल्य रस
का स्थायी भाव वत्सल है।
(ङ) ' शृंगार रस' के दो भेद -
संयोग शृंगार और वियोग श्रृंगार
खण्ड 'ग'
7. निम्नलिखित
गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए [5]
किसी दिन एक शिष्या ने डरते-डरते खाँ साहब को टोका, "बाबा आप यह क्या करते हैं, इतनी प्रतिष्ठा है आपकी ।
अब तो आपको भारतरत्न भी मिल चुका है, यह फटी तहमद न पहना करें।
अच्छा नहीं लगता, जब भी कोई आता है आप इसी फटी तहमद में सबसे
मिलते हैं।" खाँ साहब मुसकराए। लाड़ से भरकर बोले, “धत् ! पगली, यह भारतरत्न हमको शहनाईया पे मिला है, लुंगिया पे नाहीं । तुम लोगों की तरह बनाव- सिंगार देखते रहते, तो उमर ही बीत जाती हो चुकती शहनाई। तब P क्या रियाज हो पाता ? "
(क) एक दिन एक शिष्या ने
खाँ साहब को क्या कहा ? क्यों ?
(ख) खाँ साहब ने शिष्या को
क्या समझाया।
(ग) इससे खाँ साहब के
स्वभाव के बारे में क्या पता चलता है ?
उत्तर- (क) एक दिन एक शिष्या ने खाँ साहब से कहा कि बाबा अब तो आपको बहुत
प्रतिष्ठा व सम्मान मिल चुका है,
फिर भी आप यह फटी हुई
तहमद ( लुंगी) क्यों पहनते हो ?
उस (शिष्या) ने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि खाँ साहब इसी तहमद में ही सभी से मिलते
थे और उसे यह अच्छा नहीं लगता था।
(ख) खाँ साहब ने
नम्रतापूर्वक अपनी शिष्या को समझाते हुए कहा कि मुझे 'भारतरत्न' शहनाई बजाने पर मिला है, न कि लुंगी पर मैंने बनाव-श्रृंगार पर ध्यान न देकर अपनी साधना शहनाई पर ध्यान
दिया है।
(ग) इससे खाँ साहब के
स्वभाव का पता चलता है कि वे सादा जीवन उच्च विचार के प्रबल समर्थक थे। वे सादगी
पसंद और उन्होंने अपना सारा जीवन अपनी साधना में समर्पित कर दिया। वे सच्चे अर्थों
में 'सच्चे कलाकार' थे।
8. निम्नलिखित में से
किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखिए- [2 × 4
= 8]
(क) लेखक ने फादर कामिल
बुल्के की याद को यज्ञ की पवित्र अग्नि' क्यों कहा है?
(ख) मन्नू भंडारी का अपने
पिता से जो वैचारिक मतभेद था उसे अपने शब्दों में लिखिए।
(ग) 'नेताजी का चश्मा' पाठ में बच्चों द्वारा मूर्ति पर सरकंडे का
चश्मा लगाना क्या प्रदर्शित करता है?
(घ) बालगोबिन भगत अपने
सुस्त और बोदे से बेटे के साथ कैसा व्यवहार करते थे और क्यों?
(ङ) 'लखनवी अंदाज ' पाठ के आधार पर बताइए कि लेखक ने यात्रा करने
के लिए सेकंड क्लास का टिकट क्यों खरीदा?
उत्तर- (क) लेखक ने फादर कामिल बुल्के की याद को 'यज्ञ की पवित्र अग्नि' इसलिए कहा है क्योंकि लेखक फादर बुल्के अग्नि
रूपी पवित्र ज्योति की याद में श्रद्धामत है, उनका सारा जीवन देश व
देशवासियों के प्रति समर्पित था। जिस प्रकार यज्ञ की अग्नि पवित्र होती है तथा
उसके ताप में उष्णता होती है उसी प्रकार फादर बुल्के को याद करना शरीर और मन में
ऊष्मा उत्साह तथा पवित्र भाव " भर देता है । अत: फादर की स्मृति किसी यज्ञ की
पवित्र आग और उसकी लौ की तरह आजीवन बनी रहेगी।
(ख) मन्नू भंडारी और उनके
पिता के बीच वैचारिक रूप से काफी मतभेद थे। उनके पिता अहंकारी, क्रोधी, शक्की तथा सामाजिक प्रतिष्ठा के प्रति सजग रहने
वाले व्यक्ति थे। यद्यपि वे आधुनिकता के समर्थक थे, वे स्त्रियों की प्रतिभा
एवं क्षमता को समझते तथा उनका सम्मान भी करते. थे पर उनकी यह सारी भावना उनके
दकियानूसी विचारों के तले दब जाती थी। लेखिका उनकी इन खामियों पर झल्लाती थी। वे
लेखिका को घर-गृहस्थी के कार्यों से दूर रखकर जागरूक नागरिक बनाना चाहते थे, में घर राजनैतिक जमाबड़ों में भाग लेने की सीख देते थे पर घर के बाहर सक्रिय
भागीदारी के विरूद्ध थे। इसके कारण वे पिता की दी हुई सीमित आजादी के दायरे में
बँधना नहीं चाहती थी, वे आजाद ख्यालों की थी जिस कारण
पिता-पुत्री में मतभेद होना स्वाभाविक था। इतना ही नहीं पिता पुत्री के
विचारों का मतभेद विवाह के विषय में भी था। लेखिका राजेन्द्र के साथ विवाह करना
चाहती थी परंतु पिताजी इसका विरोध करते थे। इन्हीं कारणों से लेखिका की अपने पिता
के साथ वैचारिक टकराहट थी पिता को पढ़ने-लिखने की स्वतन्त्रता स्वीकार्य थी पर
राजनीतिक आंदोलनों में भाग लेना पसंद नहीं था। मन्नू भंडारी यह सब करना मानती थी।
(ग) नेताजी का चश्मा पाठ
में बच्चों द्वारा मूर्ति पर सरकंडे का चश्मा लगाना यह प्रदर्शित करता है कि हमारी
आने वाली भावी पीड़ी में भी देशभक्ति और देशप्रेम की भावना है। इस देश के नव
निर्माण में न केवल युवा बल्कि बच्चा बच्चा भी अपना योगदान देने में तत्पर हैं।
देशभक्त कैप्टन मरकर भी इस कस्बे के बच्चों में जिंदा हैं।
(घ) बालगोबिन भगत का अपने
सुस्त और बोदे से बेटे के साथ अत्यंत आत्मीय व्यवहार था। वे जानते थे कि इसे अधिक
प्रेम की आवश्यकता है। क्योंकि ऐसे बच्चों को विशेष स्नेह व देखभाल की जरूरत होती
है। ऐसे लोग निगरानी और मुहब्बत के ज्यादा हकदार होते हैं। यदि ऐसे बच्चों को
तिरस्कार व अपेक्षित किया जाए तो उनमें असुरक्षा व हीनता की भावना जन्म लेगी एवं
उनका भविष्य खतरे में पड़ जाएगा।
(ङ) लेखक ने सेकंड क्लास
का टिकट इसलिए खरीदा क्योंकि लेखक का अनुमान था कि सेकंड क्लास का डिब्बा खाली
होगा, जिससे वे भीड़ से बचकर नई कहानी के विषय में एकांत में
चिंतन करने के साथ-साथ प्राकृतिक दृश्यों की शोभा भी निहार सकेंगे।
9. निम्नलिखित काव्यांश को
ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए- [5]
यश है या न वैभव है, मान है न सरमायाः
जितना ही दौड़ा तू उतना ही भरमाया।
प्रभुता का शरण - बिंब केवल मृगतृष्णा है,
हर चंद्रिका में छिपी एक रात कृष्णा है।
जो है यथार्थ कठिन उसका तू कर पूजन-
छाया मत छूना
मन, होगा दुःख दूना।
(क) 'हर चंद्रिका में छिपी एक रात कृष्णा है— इस पंक्ति से कवि
किस तथ्य से अवगत करवाना चाहता है ?
(ख) कवि ने यथार्थ
के पूजन की बात क्यों कही है ?
(ग) 'मृगतृष्णा' का प्रतीकात्मक
अर्थ लिखिए।
उत्तर- (क) 'हर चंद्रिका में छिपी एक
रात कृष्णा है— इस पंक्ति में कवि यह तथ्य अवगत कराना चाहते हैं कि मनुष्य को इस
यथार्थ को स्वीकार कर लेना चाहिए कि जीवन में सुख-दुख का चोली दामन का साथ होता
है। सुख-दुख आते जाते रहते है। जीवन में केवल सुख रूपी चाँदनी रातें ही नहीं अपितु
दुख रूपी अमावस्या भी आती है।
(ख) कवि ने यथार्थ
पूजन की बात इसलिए कही है क्योंकि यथार्थ ही जीवन की वास्तविकता है, इसका सामना हर किसी को करना पड़ता है। भविष्य
को सुंदर बनाने के लिए वर्तमान में परिश्रम करना पड़ता है।
(ग) 'मृगतृष्णा' का शाब्दिक अर्थ
है— धोखा या भ्रम रेगिस्तान में रेत के टीलों पर चिलचिलाती धूप को पानी समझकर हिरण
प्यास बुझाने दौड़ता है। इसी को मृगतृष्णा कहते हैं। इसका प्रतीकात्मक अर्थ भ्रमक
चीजों से है जो सुख का भ्रम पैदा करती है। जो न होकर भी होने का आभास कराती है वही
मृगतृष्णा है।
10. निम्नलिखित में
से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर संक्षेप लिखिए- [ 2 × 4 = 8].
(क) संगतकार की
मनुष्यता किसे कहा गया है? वह मनुष्यता कैसे
बनाए रखता है ?
(ख) 'अट नहीं रही है' कविता के आधार पर
वसंत ऋतु की शोभा का वर्णन कीजिए।
(ग) परशुराम ने
अपनी किन विशेषताओं के उल्लेख के द्वारा लक्ष्मण को डराने
का प्रयास किया?
(घ) आपकी दृष्टि
में कन्या के साथ दान की बात करना कहाँ तक उचित है ? तर्क दीजिए।
(ङ) कवि ने शिशु की मुस्कान को दंतुरित मुस्कान
क्यों कहा है ? कवि के मन पर उस मुस्कान
का क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर- (क) संगतकार की
मनुष्यता अपने स्वर को अधिक न उठाने की कोशिश करना ही 'मनुष्यता' है। अपने स्वर को
अधिक ऊँचा न उठाना उसकी इंसानियत है। वह अपनी मनुष्यता बनाए रखने के लिए कभी भी
मुख्य गायक को अकेलेपन का अहसास नहीं होने देता उसकी गरिमा को बनाये रखता है। वह
अपने राग के माध्यम से मुख्य गायक को यह भी बता देता है कि पहले गाया गया राग फिर
से भी गाया जा सकता है। वह गाते समय यह कोशिश करता है कि उसका स्वर मुख्य गायक के
स्वर से किसी भी हालत में ऊँचा न उठ जाय।
(ख) बसंत ऋतु
ऋतुओं का राजा है। इस ऋतु में प्रकृति ही निराला सौन्दर्य है। इस ऋतु में उद्यान
में रंग-बिरंगे पुष्प दिखाई देते हैं। इस समय खेतों में गेहूँ, सरसों की फसलें कटने को तैयार हो जाती हैं।
पीली सरसों की शोभा देखते ही बनती है, इस ऋतु को होली
का संदेशवाहक भी कहा जाता है क्योंकि बसंत ऋतु में ही रंगों का त्योहार होली मनायी
जाती है। राग और रंग इसके प्रमुख अंग हैं। यह त्योहार बसंत पंचमी को आरम्भ हो जाता
है। चारों ओर सौन्दर्य राशि बिखरी हुई प्रतीत होती है। चारों ओर हरियाली हो जाती
है, जन-जन का मन प्रफुल्लित हो जाता है।
(ग) परशुराम ने लक्ष्मण को डराते हुए सभा में बताया कि मैं बाल ब्रह्मचारी हूँ और अत्यंत क्रोधी स्वभाव का हूँ। मैं क्षत्रियों के कुल का संहारक हूँ। यह बात इस विश्व में सभी जानते थे कि मैंने अनेक बार सम्पूर्ण पृथ्वी को राजाओं से विहीन कर दिया है तथा पृथ्वी ब्राह्मणों को दान में दे दी है। मेरा फरसा बहुत भयानक हैं। इसी से मैंने सहस्रबाहु की भुजाओं को काटकर शरीर से अलग कर दिया था। इस फरसे की भयंकरता को देखकर गर्भवती स्त्रियों के बच्चे गर्भ में ही मर जाते हैं।
(घ) जब कोई वस्तु दान कर
दी जाती है, तो वह अपनी नहीं रहती । इस सन्दर्भ में वस्तुएँ
दान की जाती हैं और कन्या कोई वस्तु नहीं है। परन्तु यदि उसका दान कर भी दिया जाता
है, तो उससे सम्बन्ध-विच्छेद नहीं होता वह फिर भी अपने
माता-पिता की लाड़ली रहती है तथा समय-समय पर अपने 'मायके' आती जाती रहती है। आज समाज में लड़का व लड़की को समान अधिकार प्राप्त है। इस
प्रकार हमारी दृष्टि में कन्या के साथ दान शब्द का कोई औचित्य नहीं है। हर
माता-पिता कन्या के सुंदर भविष्य की कामना करते हैं, इसलिए वे उसे उस काबिल
बना देते हैं कि उसका अपना अस्तित्व हो ।
(ङ) कवि ने शिशु की मुस्कान को दंतुरित मुस्कान इसलिए कहा है क्योंकि छोटे बच्चे
के नए-नए दाँतों से झलकती लुभावनी मुस्कान मन मोह लेती है। बच्चे की दंतुरित मुस्कान
का कवि के मन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। बच्चे की मोहक मुस्कान कवि के हृदय को
प्रसन्नता से भर देती है। मन में तरह-तरह की कल्पनाएँ आती है। उसे लगता है कि जैसे
कमल तालाब को छोड़कर उसकी झोंपड़ी में आकर खिल गया हो। कवि का हृदय बच्चे की
मुस्कान को देखकर आह्लादित हो जाता है। तथा वात्सल्य जाग उठता है।
11. 'जॉर्ज पंचम की
नाक 'पाठ के माध्यम से लेखक ने समाज पर क्या व्यंग्य किया है? [4]
अथवा
सिक्किम की युवती के कथन 'मैं इंडियन हूँ' से स्पष्ट होता है कि
अपनी जाति, धर्म-क्षेत्र और संप्रदाय से अधिक महत्वपूर्ण
राष्ट्र है। आप किस प्रकार राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्य निभाकर देश के प्रति
अपना प्रेम प्रकट कर सकते हैं? समझाइए ।
उत्तर- (क) 'जॉर्ज पंचम की नाक पाठ के आधार पर लेखक ने समाज एवं देश की बदहाल स्थितियों पर करारा व्यंग्य किया गया है। इस पाठ में दर्शाया गया है कि अंग्रेजी हुकूमत से आज़ादी प्राप्त करने के बाद भी सत्ता से जुड़े लोगों की औपनिवेशक दौर की मानसिकता के शिकार हैं। 'नाक' मान-सम्मान व प्रतिष्ठा का प्रतीक है, जबकि कटी हुई नाक अपमान का प्रतीक है। जॉर्ज पंचम की नाक अर्थात् सम्मान एक साधारण भारतीय की नाक से भी छोटी (कम) है, फिर भी सरकारी अधिकारी उनकी नाक बचाने के लिए जी जान से लगे रहे। अंत में किसी जीवित व्यक्ति की नाक काटकर जॉर्ज पंचम की नाक लगा दी गई। केवल दिखावे के लिए या दूसरों को खुश करने के लिए अपनों की इज्जत के साथ खिलवाड़ किया जाता है। यह पूरी प्रक्रिया भारतीय जनता के आत्मसम्मान पर प्रहार दर्शाती है। इसमें सत्ता से जुड़े लोगों की मानसिकता पर व्यंग्य है।
अथवा
जिस प्रकार सिक्किम की युवती के कथन में 'मैं इंडियन हूँ' से स्पष्ट होता है कि वे जाति, धर्म, संप्रदाय से कहीं अधिक राष्ट्र को महत्व देती है। उसी प्रकार हम भी अपने राष्ट्र के प्रति अपना कर्तव्य निभाकर देश के प्रति अपना प्रेम प्रदर्शित करेंगे। हम लोग आजकल कई पर्यटन स्थलों में आधुनिकता के रंग में रंगी हुई, प्रकृति को जाने-अनजाने नष्ट कर रहे हैं। वहाँ के सौंदर्य को नष्ट कर रहे हैं। इसे रोकना होगा नहीं तो हम प्रकृति के सौंदर्य से वंचित रहेंगे। हमें एक जागरूक नागरिक होने के नाते जन-जन में स्वच्छता का संदेश देना होगा। पर्यावरण को स्वच्छ बनाने के लिए लोगों को अधिक-से-अधिक वृक्षारोपण करने, पेड़ों को न काटने, प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों एवं उपकरणों के कम से कम प्रयोग आदि के प्रति जागरूक करने का प्रयास करेंगे।
खण्ड 'घ'
12. निम्नलिखित में
से किसी एक विषय पर दिए गए संकेत बिन्दुओं के आधार पर लगभग 200 से 250 शब्दों में निबंध लिखिए- ** [10]
(क) कमरतोड़ महँगाई
• महँगाई के कारण
• व्यावहारिक समाधान
• समाज पर प्रभाव
(ख) स्वच्छ भारत अभियान
• विकास में स्वच्छता का
योगदान
• अस्वच्छता से हानियाँ •
रोकने के उपाय
(ग) बदलती जीवन शैली
• जीवन शैली का आशय
बदलाव कैसा
• परिणाम
उत्तर- (क) कमरतोड़ महँगाई
महँगाई का अर्थ होता है वस्तुओं की कीमत में वृद्धि होना । इस महँगाई पर ही
पूरे देश की अर्थव्यवस्था टिकी होती है। महँगाई मनुष्य के जीवन शैली को प्रभावित
करती है। आज समाज की यह प्रमुख समस्या है जिसने उच्च, मध्यम व निम्न सभी वर्गों की कमर तोड़ रखी है।
महँगाई की समस्या न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व की गंभीर समस्या बन गई है। इस
समस्या के कारण बहुत से देशों का आर्थिक स्तर घटता है। हमारा देश, भारत जनसंख्या की दृष्टि से दूसरा बड़ा देश
है पर उस तरह की पैदावार नहीं हो पा रही है जिससे आए दिन सामानों के दाम बढ़ते
हैं। आजादी के बाद भारत में तीन चीजें हमेशा बढ़ती रही हैं— भ्रष्टाचार, असमानता और महँगाई। ये तीनों सगी बहनें हैं। ये एक साथ बढ़ती हैं। भ्रष्टाचार
बढ़ता है तो धनवान और धनी होते जाते हैं और गरीब बिल्कुल लगोंटी धारी हो जाते हैं।
काले धन के कारण कालाबाजारी बढ़ती है। उससे महँगाई बढ़ती है।
हमारे देश के अमीर लोग इस महँगाई के सबसे अधिक जिम्मेदार होते हैं। आपात काल
के शुरू-शुरू में वस्तुओं की कीमत कम रखने की परंपरा चली लेकिन व्यापारी अपनी
मनमानी करते हैं, सामान्य जनता पर महँगाई का सबसे अधिक प्रभाव
पड़ता है। उसके पास सीमित पूँजी होती है और उसकी खरीदने की शक्ति कमजोर हो जाती
है। अफसरशाही नेता, व्यापारी ये सभी महँगाई को बढ़ाने के लिए बहुत
अधिक जिम्मेदार हैं। इससे समाज पर दुष्प्रभाव पड़ता है।
यदि सरकार मुद्रास्फीति पर रोक लगाए तो शायद महँगाई पर कुछ तो लगाम लग सकेगी।
सरकार को अधिक पैमाने पर गाँवों का विकास कर उन्हें जागरूक करना चाहिए जिससे वे
आधुनिक संसाधनों का प्रयोग करे और पैदावार बढ़ाए।
हमारी अधिकांश समस्याओं का मूल कारण जनसंख्या है। जब तक जनसंख्या को वश में
नहीं किया जाएगा महँगाई वश में नहीं आयेगी। महँगाई को वश में करने के लिए उचित
राष्ट्र नीति जरूरी है। महँगाई को रोकने के लिए लोगों को अपनी जमाखोरी की
प्रवृत्ति छोड़नी होगी। उपभोक्ता को भी उतनी ही वस्तुएं खरीदनी चाहिए जितनी कि उसे
आवश्यकता हो। दोबारा जरूरत पड़ने पर उपभोक्ता को तभी सामान लेना चाहिए। इस तरह से
महँगाई पर काबू रखा जा सकता है।
( (ख) स्वच्छ भारत अभियान
'एक कदम स्वच्छता
की ओर 'स्वच्छता' आज केवल घर या
मुहल्ले तक नहीं बल्कि इसका दायरा काफी बड़ा बन गया है। देश और राष्ट्र की
स्वच्छता से ही वास्तविक विकास हो सकता है। जिस देश का नागरिक स्वच्छता के प्रति
सजग होगा उस देश का विकास अबाध गति से होगा। प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह
अपने देश की स्वच्छता में अपना सहयोग दे। इसी को ध्यान में रखते हुए हमारी सरकार
ने स्वच्छ भारत अभियान चलाया है जिसमें यह प्रण लिया गया है कि प्रत्येक गली
मुहल्ला, सड़कों से लेकर शौचालय का निर्माण कराना और बुनियादी
ढांचे को बदलना एवं स्वच्छता का संदेश फैलाना । अस्वच्छता से विभिन्न प्रकार की
हानियाँ हैं। स्वच्छ वातावरण से पर्यावरण का विकास संभव है। हम सभी
जानते हैं कि हमारा वातावरण ग्लोबल वार्मिंग की समस्या से ग्रस्त है पर इससे
मुक्त होने का एकमात्र साधन स्वच्छता है। जिस तरह का स्वच्छ परिवेश होगा वातावरण
में कोई रोग बीमारी का खतरा नहीं होगा। पहले गाँवों में लोग खुले में शौच जाते थे
पर इस अभियान द्वारा जनता जागरूक हो गई एवं उन्हें शौचालय का महत्व समझ में आया
है। सड़कों, गलियों को स्वच्छ रखना जिससे वहाँ रहने वाले
लोग स्वस्थ रहेंगे।
हमारे पूज्यनीय गाँधी जी स्वच्छता के प्रति अत्यंत जागरूक थे उन्हीं के
सिद्धांतों को आगे बढ़ाते हुए हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने 2
अक्टूबर 2014 को इस आंदोलन से जोड़ने की मुहिम चलाई है। इस आंदोलन को जन-जन तक
पहुँचाने के लिए हमारे अभिनेता-अभिनेत्री सब स्कूल, कॉलेजों व सरकारी
कार्यालयों ने अहम भूमिका निभाई है। अब वह समय दूर नहीं जब हम गाँधी जी के सपने को
साकार कर पाएंगे।
इसलिए हमें 'स्वच्छ' भारत अभियान में बढ़चढ़
कर हिस्सा लेना चाहिए और कुछ नहीं तो हमें कम से कम रोज हमारी गली को साफ करना
चाहिए। शिक्षा के प्रसार प्रचार को बढ़ावा देकर जनता को स्वच्छता के प्रति जागरूक
करना चाहिए। स्वच्छ भारत अभियान में आप भी भागीदार बनें लोगों को स्वच्छता के
प्रति जागरूक बनाएँ।
(ग) बदलती जीवन शैली
स्वस्थ जीवन शैली एक अच्छे जीवन की नींव है। हालांकि इस जीवन शैली को हासिल
करने में ज्यादा मेहनत नहीं लगती बल्कि कई लोग व्यावसायिक प्रतिबद्धताओं, दृढ़ संकल्प की कमी और अन्य कारणों द्वारा इसका पालन नहीं कर पाते। स्वस्थ
रहने के लिए किस प्रकार की शैली अपनाना है यह जानना ज्यादा जरूरी है।
आजकल की पीढ़ी कम्यूटर मोबाइल,
बर्गर, पिज्जा और देर रात की पार्टियों पर आधारित है-मूल रूप से ये सब अस्वास्थ्यकर
है। पेशेवर प्रतिबद्धताओं और व्यक्तिगत मुद्दों ने सभी को जकड़ लिया है और इन सभी
आवश्यकताओं के बीच वे अपना स्वास्थ्य खो रहे हैं। इन दिनों लोग अपने दैनिक जीवन
में इतने व्यस्त हो गए हैं कि वे भूल गए हैं कि एक स्वस्थ जीवन जीने के क्या मायने
हैं।
हम स्वस्थकर आदतें अपनाकर अपनी जीवन शैली को सुधार सकते है यदि हम प्रातः
भ्रमण, योगा व मेडिटेशन का जीवन में समावेश करें तो हमारा
स्वास्थ्य अच्छा हो पाएगा। शरीर में अनेक शक्तियाँ निहित हैं, यदि हम उन शक्तियों को पहचान लेंगे तो हम निरोग रहेंगे।
13. गत कुछ दिनों से आपके क्षेत्र में अपराध बढ़ने लगे हैं जिससे आप चिंतित हैं। इन अपराधों की रोकथाम के लिए थानाध्यक्ष को पत्र लिखिए। [5]
अथवा
आपका एक
मित्र शिमला में रहता है। आप उसके आमंत्रण पर ग्रीष्मावकाश में वहाँ गए थे और
प्राकृतिक सौंदर्य का खूब आनंद उठाया था। घर वापस लौटने पर कृतज्ञता व्यक्त करते
हुए मित्र को पत्र लिखिए।
उत्तर-
सेवा में,
थानाध्यक्ष महोदय,
तिलक नगर थाना,
नई दिल्ली-110018
दिनांक - 23 मार्च 20XX
विषय— अपराधों की रोकथाम के संदर्भ में।
माननीय महोदय, मैं दिल्ली के तिलक नगर
का रहने वाला हूँ। मुझे अत्यंत दुःख के साथ आपको सूचित करना पड़ रहा है कि हमारी
कॉलोनी में दिन-प्रतिदिन अपराध बढ़ रहे हैं। पहले यह कॉलोनी शांतिप्रिय थी पर अब
यहाँ हम भय में जीवन जी रहे हैं। महिलाएँ तो घर से निकलने में कतराती हैं। कुछ
सप्ताह पहले दो महिलाओं का किसी राह चलते लुटेरे ने पर्स छीन लिया और कल तो हद ही
हो गई घर के सामने किसी काम से मेरी माता जी खड़ी थीं वहाँ राह चलते किसी ने उनकी
चेन खींचकर ही भाग गया। घर के सदस्य उसके पीछे भागे परंतु वह तेजी से नौ दो ग्यारह
हो गया। पूरे क्षेत्र में चोरी व छीनने की घटनाओं के कारण भय का माहौल है। लोग घर
से निकलने में भी कतराते हैं। अतः आप से विनम्र निवेदन है कि हमारी उचित सुरक्षा
का प्रबंध करे व प्रतिदिन पुलिस गश्त लगाते रहे। इससे हमें सुरक्षा का भाव मिले।
धन्यवाद,
भवदीय,
अ. ब. स
अथवा
परीक्षा भवन,
नई दिल्ली।
प्रिय मित्र नीरज,
सस्नेह अभिवादन,
दिनांक 23 नवम्बर 20XX मैं कुशलतापूर्वक दिल्ली पहुँच गया हूँ। आशा है
तुम भी ठीक होंगे। बहुत बहुत धन्यवाद मित्र इस ग्रीष्मकाल के अवकाश को तुमने
यादगार बना दिया। मैंने स्वप्न में भी इस तरह का नजारा नहीं देखा जो तुमने मुझे
शिमला में दिखाया। तुम्हारे व तुम्हारे परिवार के सहयोग द्वारा ही हमारी यह यात्रा
यादगार बनी। सच में तुम तो प्रकृति की गोद में ही रहते हो। इतना सुंदर दृश्य तुमने
हमें पहाड़ियों से दिखाया जैसे स्वर्ग हो ।
मैं अपने शब्दों द्वारा भी उस प्राकृतिक दृश्यों का वर्णन नहीं कर सकता। यहाँ
आकर के मुझे दोबारा तुम्हारे साथ बिताए गए समय का स्मरण हो रहा है। मेरे माता-पिता
जी भी तुम्हारे व तुम्हारे परिवार वालों को याद कर रहे हैं। मेरी माता तो तुम्हारी
माता जी की मित्र ही बन गई थी। सच में दो परिवारों के साथ मिलकर की गई यात्रा
यादगार ही बन जाती है। आशा है तुम भी परिवार सहित दिल्ली आओ तो हम सभी साथ मिलकर
मथुरा-वृंदावन घूमने चलेंगे। चाचा जी व चाची जी को मेरा प्रणाम कहना एवं बहन को
स्नेह देना । तुमसे पुनः मिलने की आशा में ।
तुम्हारा मित्र
ऋषि
14. अतिवृष्टि के कारण कुछ शहर बाढ़ग्रस्त हैं। वहाँ के निवासियों की
सहायतार्थ सामग्री एकत्र करने हेतु एक विज्ञापन लगभग 50 शब्दों में तैयार कीजिए ।
[5]
अथवा
बॉल पेनों की एक कंपनी सफल'
नाम से बाजार में आई है।
उसके लिए एक विज्ञापन लगभग 50 शब्दों में तैयार कीजिए।
Delhi [Set-II]
Note: Except for the following questions, all the remaining questions have
been asked in previous set.
खण्ड 'ग'
8. निम्नलिखित में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर संक्षेप
में लिखिए- [2 × 4 = 8]
(क) पाठ के आधार पर मन्नू भंडारी की माँ के स्वभाव की विशेषताएँ लिखिए।
(ख) 'नेताजी का चश्मा' पाठ का संदेश क्या है? स्पष्ट कीजिए।
(ग) 'लखनवी अंदाज' के पात्र नवाब साहब के व्यवहार पर अपने विचार
लिखिए।
(घ) फादर बुल्के को 'करुणा की दिव्य चमक' क्यों कहा गया है।
(ङ)
लेखक ने बिस्मिल्ला खाँ को वास्तविक अर्थों में सच्चा इंसान क्यों माना है ?
उत्तर- (क) लेखिका मन्नू भंडारी की माँ का स्वभाव पिता से
विपरीत था। वह धैर्यवान व सहनशक्ति से युक्त महिला थी। पिता की हर फरमाइश को अपना
कर्तव्य समझना व बच्चों की हर उचित अनुचित माँगों को पूरा करना ही अपना फर्ज समझती
थी। अशिक्षित माँ का त्याग, असहाय व मजबूरी में लिपटा हुआ था। पति की हर
ज्यादती को प्राप्य मानकार स्वीकार करती है।
(ख) 'नेताजी का चश्मा' पाठ में देश भक्ति की भावना का भावुक व सम्मानीय रूप दिखायी देता है। कैप्टन चश्मे वाले की मूर्ति पर चश्मा लगाना व उसकी मृत्यु के पश्चात् बच्चों द्वारा हाथ से बनाया गया सरकंडे का चश्मा लगाना हमें यह संदेश देता है कि हर व्यक्ति को अपने देश के लिए अपने सामर्थ्य के अनुसार व समर्पण की भावना के साथ योगदान देना चाहिए। छोटे-छोटे कार्यों द्वारा देशभक्ति का परिचय देना चाहिए। साथ ही देश के प्रति अपना उत्तरदायित्व भी समझना चाहिए। वर्तमान समय में ऐसी भावना का होना अत्यन्त आवश्यक है।
(ग) नवाब साहब के व्यवहार में तहजीब, नज़ाकत और दिखावेपन की
प्रवृत्ति झलकती है। वह सामंती समाज के प्रतीक थे तथा उनमें नवाबी अकड़ भरी हुयी
थी। वह स्वयं को दूसरों से अधिक शिष्ट व शालीन दिखाना चाहते हैं। खीरे की गंध को
ग्रहण कर स्वाद का आनन्द लेकर बाहर फेंक देना हास्यास्पद लगता है। वह अपनी खानदानी
नवाबी और दिखावटी जीवनशैली द्वारा स्वयं को गर्वित महसूस करते हैं।
(घ) फादर बुल्के मानवीय गुणों का पर्याय बन चुके थे। सभी के प्रति ममता करुणा, प्रेम का अपनत्व आदि जैसे भाव उनकी छवि को दिव्यता प्रदान करते थे। वे सभी के साथ हंसी-मजाक करते गोष्ठियों में गंभीर बहस करते बेबाक राय व सुझाव देते थे। किसी भी उत्सव या संस्कार में बुजुर्गों की तरह आशीषों से भर देते थे। वास्तव में उनके हृदय में हमेशा दूसरों के लिए वात्सल्य ही रहता था जिसकी चमक उनकी आँखों में दिखती थी। इसलिए फादर बुल्के को मानवीय गुणों की दिव्य चमक कहा गया है।
(ङ) बिस्मिल्ला
खाँ का जीवन सादगी और उच्च विचारों से परिपूर्ण था। एक तरफ वे सच्चे मुसलमान की
तरह पाँचों वक्त की नवाज अदा करते थे, दूसरी तरफ काशी की परम्परा को निभाते हुए बालाजी मंदिर में
शहनाई वादन करते थे। गंगा को गंगा मइया कहकर पुकारते थे । अथक परिश्रम करते हुए
सम्मानित होकर भी उनमें घमंड नहीं था। सभी की भावना का सम्मान करना, प्रेम, परोपकार आदि
गुणों से सराबोर होकर सादा व सरल जीवन जीते थे। हिन्दू-मुस्लिम की एकता का प्रतीक
बनकर खुदा से बस सच्चा सुर माँगते थे इन्हीं कारणों से कहा जा सकता है कि वास्तविक
अर्थों में वह सच्चे इंसान थे ।
10. निम्नलिखित में
से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखिए। [2
× 4 = 8]
(क) 'आग रोटियाँ
सेंकने के लिए है जलने के लिए नहीं ।
(ख) कवि अपने मन को 'छाया मत छूना' कहकर क्या समझाना चाहता है ?
(ग) छू गया तुमसे
कि झरने लगे शेफालिका के फूल' उक्त पंक्ति का आशय नागार्जुन की कविता के संदर्भ में स्पष्ट
कीजिए ।
(घ) स्मृति को
पाथेय बनाने से जयशंकर प्रसाद का क्या आशय है ?**
(ङ) परशुराम को
लक्ष्मण ने वीर योद्धा के क्या लक्षण बताए हैं?
उत्तर- (क) उक्त पंक्ति में यह संदेश दिया गया
है कि ससुराल में बहुएँ घर गृहस्थी में फँसकर, अत्याचारों को सहते हुए स्वयं को नुकसान न पहुचाएँ और न ही
दूसरों के द्वारा किए गए जुल्मों को सहन करें। वे अपनी कमजोरियों के प्रति हताश
होकर आत्महत्या न करें व सचेत रहें एवं मजबूत बनें। क्योंकि आज भी नारियों पर
जुल्म किए जाते हैं और उन्हें जलाया जाता है।
(ख) कवि अपने मन को 'छाया मत छूना' कहकर समझाना
चाहता है कि 'अतीत की सुखद यादों को याद न करना'। बीती यादों को स्मरण करने से वर्तमान के यथार्थ का सामना
करना मुश्किल हो सकता है और दुख: अधिक प्रबल हो सकता है। विमत सुख को याद कर
वर्तमान के दुख को और बढ़ाना तर्कसंगत नहीं है।
(ग) उक्त पंक्ति में कवि
नागार्जुन ने यह भाव दर्शाया है कि शिशु का प्रेम रूपी स्पर्श इतना कोमल और
हृदयस्पर्शी होता है कि बांस और बबूल जैसे कठोर और कांटेदार पेड़ों से भी शेफालिका
के फूल बरसने लगे अर्थात् कठोर व्यक्ति का हृदय कोमल हो जाये ।
(ङ) लक्ष्मण ने परशुराम को वीर योद्धा की
विशेषताएँ बताते हुए कहा कि शूरवीर रणक्षेत्र में शत्रु के समक्ष पराक्रम दिखाते
हैं न कि अपनी वीरता का बखान करते हैं। शूरवीर ब्राह्मण, देवता, गाय और हरिभक्त
पर भी अपनी वीरता नहीं दिखाते हैं। वह बातों की जगह युद्ध में प्रताप दिखाते हैं।
क्योंकि इन्हें मारने पर पाप लगता है।
11. 'साना-साना हाथ जोड़ि के आधार पर लिखिए कि देश
की सीमा पर सैनिक किस प्रकार की कठिनाइयों से जूझते हैं? उनके प्रति भारतीय युवकों का क्या उत्तरदायित्व
होना चाहिए ? [4]
अथवा
'जार्ज पंचम की नाक' को लेकर शासन में खलबली क्यों थीं? इसमें निहित व्यंग्य को स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर - देश की सीमा पर सैनिक प्रकृति के भयावह प्रकोप का
सामना करते हैं जो जन - सामान्य के लिए कठिन है। वे जाड़ों में जब तापमान शून्य से
भी कम चला जाता है तब भी सीमा में डटे रहकर देश की रक्षा करते हैं और तपते
रेगिस्तान में धूल-आँधियों से भरे तूफानों में रहकर भी कठिनाइयों से जूझते हैं।
कभी-कभी भूखे-प्यासे रहकर शत्रुओं से सामना करते हैं। और आवश्यकता पड़ने पर शहीद भी
हो जाते हैं।
उनके प्रति भारतीय युवाओं का उत्तरदायित्व यह बनता है कि
सभी फौजियों व उनके परिवारीजनों का सम्मान करें व आत्मीय सम्बन्ध बनाए रखें।
सामर्थ्य के अनुसार हर प्रकार से सहायता प्रदान करें। उनके जोश को और बढ़ाएँ। उनके
परिवारीजनों की शिक्षा प्राप्ति में सहायक बनें। उनके फर्ज को ऋण के रूप में
स्वीकारते हुए हमेशा उन्हें सम्माननीय दृष्टि से देखें ।
अथवा
जॉर्ज पंचम की नाक को लेकर शासन में जो खलबली और बदहवासी
दर्शाता है इससे संकेत मिलता है कि आज हम स्वतन्त्र देश में गुलामों की तरह जी रहे
हैं। गुलामी आज भी हमारी मानसिकता पर अपनी छाप बनाए हुए हैं। सरकारी तंत्र उस
जॉर्ज पंचम की नाक को लेकर चिंतित दिखाई दे रही है जिसने हमारे भारत पर राज करते हुए कहर ढाए। उसके द्वारा
किये गये अत्याचारों को भूलकर उसके सम्मान में जुट जाता है। ये तो मूर्खता, अयोग्यता और
अदूरदर्शिता को दर्शा रहा है। परतंत्रता की मानसिकता से अब भी मुक्त नहीं हो पा
रहे हैं। अतिथि का सम्मान करने के लिए अपने सम्मान को दाब पर लगाना कहाँ तक
तर्कसंगत हो सकता है। वे केवल अपनी नाक बचाना चाहते थे। अपने देश व देशवासियों को
महत्व न देकर जॉर्ज पंचम
की नाक को इतना महत्व देना, उनकी नीच, कुर, स्वार्थी तथा
संकुचित सोच का परिणाम है।
13. किसी बस में वारदात कर भाग रहे अपराधी को संवाहक द्वारा
पकड़ कर पुलिस को सौंपने की घटना की विवरण सहित जानकारी देते हुए परिवहन विभाग के
प्रबंधक को पत्र लिखकर कि उसे पुरस्कृत करने का अनुरोध कीजिए। 151
अथवा
आपकी बहन कस्बे से अपनी पढ़ाई पूरी कर आगे शिक्षा के लिए बड़े नगर में गई है नगर के वातावरण में संभावित परेशानियों की चर्चा करते हुए उनसे बचने के तरीके उसे पत्र द्वारा समझाइए ।
उत्तर- परीक्षा भवन,
नई दिल्ली।
दिनांक 16 अक्टूबर 20xx
सेवा में,
मुख्य प्रबंधक महोदय,
दिल्ली परिवहन विभाग, जनकपुरी, नई दिल्ली।
विषय— संवाहक के प्रशंसनीय साहसिक व्यवहार के लिए पुरस्कृत
करने का अनुरोध ।
महोदय,
निवेदन है कि मैं दिल्ली का निवासी हूँ और नियमित रूप से प्रात: आठ बजे जनकपुरी से द्वारका तक जाने वाली बस का यात्री हूँ। बस का संवाहक और चालक दोनों का ही व्यवहार मधुर तथा सहयोगीपूर्ण है। दोनों ही कुशलता और हिम्मत के धनी हैं।
आज रास्ते में एक व्यक्ति जनकपुरी बस स्टैंड से बस में
चढ़ा। बस में 20-30 यात्री थे जो शांति से बैठे हुए थे। जैसे ही बस आधे रास्ते
पहुँची उस आदमी ने तमंचा निकालकर सभी से चुप रहकर अपना कीमती सामान उसके हवाले
करने को कहा। बस में यात्रा कर रहीं महिलाएँ चीखने लगीं, संवाहक ने सभी को
शांत होने एवं हिम्मत रखने के लिए कहा। फिर उस आदमी को अपनी बातों में फँसाकर अन्य
व्यक्ति को इशारा किया। सभी ने उसे दबोच लिया। उसने जैसे ही भागने की कोशिश की
संवाहक ने चतुराई दिखाते हुए उसका सामना किया। रास्ते में पड़ने वाली पुलिस चौकी
में जाकर उस अपराधी को पुलिस के सुपुर्द कर दिया गया। संवाहक का यह साहसिक कार्य
प्रशंसनीय योग्य था ।
अतः मैं विभाग से निवेदन करता हूँ कि संवाहक के इस सा. हसिक कार्य की प्रशंसा करते हुए उसे सम्मानित किया जाए
जिससे सभी को प्रेरणा मिल सके।
सधन्यवाद
भवदीय
क.
ख.ग
अथवा
परीक्षा भवन,
नई दिल्ली।
दिनांक – 15 मार्च 20xx
प्रिय बहन अर्पिता
सस्नेह,
आशा करती हूँ कि तुम कुशल मंगल होगी और चिंताओं से मुक्त
अध्ययनरत होगी।
प्रिय अर्पिता ! माँ से कल फोन पर वार्तालाप हुआ और मुझे
पता चला कि तुम पढ़ाई पूरी करने के लिए नगर गई हो। मुझे खुशी है कि तुम शिक्षा
प्राप्त करने के लिए तत्पर हो, किन्तु अब कस्बे से दूर नगरीय जीवन में
तुम्हारा प्रवेश हो गया है, जहाँ का वातावरण और जीवन शैली बिल्कुल विपरीत
है। ध्यान रखना, कि व्यक्तित्व की
परख बाह्य श्रृंगारिक चीजों से नहीं होती बल्कि शालीनता से होती है। नगर की
चकाचौंध और भागदौड़ से बचकर रहना। स्वयं को फैशन की दौड़ में शामिल मत करना वरना
अपने उद्देश्य से भटक सकती हो। नगर के लोगों से सावधान रहते हुए दूरी बनाए रखना।
कस्बे में अपने लोगों के बीच रहकर अपनेपन की आदत बनाए रखना अच्छा था, परन्तु नगर में
ऐसे लोग बहुत मिलेंगे जो सिर्फ अपना स्वार्थ पूरा करना जानते हैं।
विद्यार्थी जीवन का समय अमूल्य होता है। इस समय को न गंवाते
हुए अपने उद्देश्य को पूरा करना और परिवार का सम्मान बढ़ाना। आगे तुम स्वयं समझदार
हो । आशा है मेरी सलाह को तुम जरूर समझोगी। तुम्हारी बड़ी बहन
क. ख.ग.
Delhi [Set-III]
Note: Except for the following questions, all the remaining questions have
been asked in previous set.
खण्ड 'ग'
8. निम्नलिखित में से किन्हीं चार के उत्तर संक्षेप में लिखिए- [ 2 × 4 = 8]
(क) मन्नू भंडारी के पिता के दकियानूसी मित्र ने उन्हें क्या बताया कि वे भड़क
उठे ?
(ख) बालगोबिन भगत की दिनचर्या लोगों के आश्चर्य का कारण क्यों थी ?
(ग) कैसे कह सकते हैं कि बिस्मिल्ला खां मिली-जुली संस्कृति के प्रतीक थे ?
(घ) 'फादर बुल्के की उपस्थिति देवदार की छाया जैसी लगती थी — इस मान्यता का कारण
समझाइए ।
(ङ) 'नेताजी का चश्मा' पाठ के आधार पर आशय समझाइए - " क्या होगा
उस कौम का जो अपने देश की खातिर घर-गृहस्थी जवानी जिंदगी सब कुछ होम देने वालों पर
भी हँसती है।
उत्तर- (क) मन्नू भंडारी के पिता के दकियानूसी मित्र ने
उन्हें कहा कि आपने मन्नू को कुछ ज्यादा ही आजादी दे रखी है। न जाने कैसे-कैसे
उल्टे-सीधे लड़कों के साथ हड़तालें करवा रही है, हुड़दंग मचाती फिर रही
है। मान-मर्यादा, इज्जत आबरू का ख्याल ही नहीं रहा है। हमारे
आपके घरों की लड़कियों को यह सब शोभा नहीं देता। इसे सुनकर मन्नू भंडारी के पिता
भड़क उठे।
(ख) बालगोबिन भगत प्रतिदिन दो मील दूर नदी स्नान के लिए जाते थे। सुबह-शाम कबीर
के गीत गाते खेती-बाड़ी करते, सभी कार्य स्वयं करते व गृहस्थ होते हुए भी साधुता का जीवन जीते थे। झूठ न बोलना, खरा व्यवहार करना, किसी की चीज़ को
छूना और प्रत्येक नियम को बारीकी से पूरा करना लोगों के लिए कुतूहल का विषय था।
सर्दी हो या गर्मी अपने भजन में तल्लीन रहना उनका विशेष गुण था। वृद्धावस्था में
भी भगत जी की ऐसी दिनचर्या अचरज का कारण इन्हीं वजहों से बनी ।
(ग) बिस्मिल्ला
खाँ सच्चे मुसलमान थे। अपने धर्म और आस्था के प्रति समर्पित थे। पाँचों वक्त नमाज
अदा करते थे मुस्लिम उत्सवों में गहरी आस्था थी। मुहर्रम में अगाध श्रद्धा थी। साथ
ही वे काशी में जीवन भर विश्वनाथ और बालाजी मंदिर में शहनाई बजाते रहे। गंगा को
मैया कहते थे। काशी से बाहर होने पर बालाजी के मंदिर की दिशा की तरफ मुँह करके
थोड़ी देर के लिए शहनाई जरूर बजाते थे। हनुमान जयंती के अवसर पर पाँच दिनों के लिए
अवश्य होते थे। इसलिए कहा गया है कि बिस्मिल्ला खाँ मिली-जुली संस्कृति के प्रतीक
थे ।
(घ) फादर बुल्के
के मन में सभी के लिए आशीष,
करुणा, प्रेम भरा हुआ था
उनकी उपस्थिति मात्र ही बुजुर्गों के सम्मान अपने लोगों के एहसास से भर देती थी
किसी भी उत्सव या संस्कारों में इस तरह शामिल होते थे जैसे कोई बड़ा भाई या
पुरोहित हो और सभी को अपने आशीषों से भर देते थे। उनकी गीली आँखों में सदैव
वात्सल्य दिखाई देता था । जिस तरह देवदार का वृक्ष लंबा और छायादार होता है उसी
तरह फादर की उपस्थिति प्रतीत होती थी जो सभी को अपने स्नेह से लबालब कर देते थे।
(ड) हालदार साहब कैप्टन की मृत्यु पर उदास व चिंतित
हो जाते हैं। बूढ़ा कैप्टन ही था जो सुभाष की मूर्ति पर चश्मा लगाता था उसकी मृत्यु
के बाद वे सोचते हैं कि ये दुनिया तो बस देश पर मर मिटने वालों पर हँसती है जो
अपनी घर गृहस्थी जवानी जिंदगी सब देश के लिए बलिदान कर देते हैं उन पर लोग हँसते
हैं। मजाक उड़ाते हैं। ऐसी घटती हुई देशभक्ति की भावना चिन्तनीय है। ऐसे देश का
भविष्य क्या होगा जहाँ की कौम देशभक्तों का उपहास करती है। शहीद का सम्मान करना
चाहिए न कि हँसी उड़ाई जानी चाहिए।
10. निम्नलिखित में
से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखिए- [2
× 4 = 8]
(क) लक्ष्मण ने धनुष टूटने के किन कारणों की संभावना व्यक्त करते हुए राम को
निर्दोष बताया ?
(ख) फागुन में ऐसी क्या
बात थी कि कवि की आँख हट नहीं रही है ?
(ग) फसल क्या है? इसको लेकर फसल के बारे में कवि ने क्या-क्या संभावनाएँ व्यक्त की हैं?
(घ) 'कन्यादान'
कविता में वस्त्र और
आभूषणों को स्त्री जीवन
के बंधन' क्यों कहा गया है?
(ङ) संगतकार किसे कहा जाता
है? उसकी भूमिका क्या होती है ?
उत्तर- (क) लक्ष्मण ने धनुष टूटने के कई कारण बताते हुए राम को निर्दोष बताया।
(1) धनुष अत्यंत जीर्ण था जो राम के हाथ लगाते ही टूट गया। (2) हमारे लिए तो सभी धनुष एक समान हैं इस धनुष के टूटने से हमारा क्या लाभ या
हानि होगी। (3) राम ने तो इसे नया समझकर छुआ ही था, छूने भर से ही ये टूट गया।
(ख) फागुन के महीने में
प्राकृतिक सौंदर्य अपनी चरम सीमा पर व्याप्त होता है। फागुन में बसंत का यौवन और
सुंदरता कवि की आँखों में समा नहीं पा रहा है। उसका हृदय प्रकृति के सौंदर्य से
अभिभूत है। इस कारण कवि की आँख प्रकृति के सौंदर्य से हट नहीं पा रही है।
(ग) फसल नदियों के पानी का
जादू, मिट्टियों का गुण- धर्म, मानव श्रम धूप और हवा का
मिला-जुला रूप है। सभी प्राकृतिक उपादानों और मानव श्रम और प्रकृतिक के विभिन्न
तत्वों जल, हवा, रोशनी और मिट्टी के सहयोग
का परिणाम है। फसल को लेकर कवि ने संभावनाएँ व्यक्त करते हुए कहा है कि मनुष्य यदि
परिश्रम करे और प्राकृतिक उपादनों का सही उपयोग करे तो देश की आर्थिक स्थिति मजबूत
होगी। किसानों की स्थिति में सुधार आएगा और कृषि व्यवस्था सदृढ़ होगी।
(घ) कन्यादान
कविता में वस्त्र और आभूषणों को स्त्री जीवन के बंधन इसलिए कहा गया है क्योंकि
स्त्रियाँ सुंदर वस्त्र व सुंदर आभूषणों के चमक व लालच में भ्रमित होकर आसानी से
अपनी आजादी खो देती हैं और मानसिक रूप से हर बंधन स्वीकारते हुए जुल्मों का शिकार होती हैं।
(ङ) किसी भी
क्षेत्र या कार्य में मुख्य कलाकार का सहयोग करने वाले सहायकों को संगतकार कहा
जाता है। संगतकार की भूमिका यह होती है कि वह अपने मुख्य कलाकार को पूर्ण सहयोग
प्रदान करता है और उन्हें आगे बढ़ने में योगदान देता है। जैसे संगीत के क्षेत्र
में संगतकार मुख्य गायक की आवाज को बिखरने नहीं देता है साथ ही अपनी आवाज को
प्रभावी नहीं बनने देता है।
11. 'साना-साना हाथ
जोड़ि के आधार पर गंगतोक के मार्ग के प्राकृतिक सौंदर्य का वर्णन कीजिए जिसे देखकर
लेखिका को अनुभव हुआ— "जीवन का आनंद है यही चलायमान सौन्दर्य । " [4]
अथवा
'जॉर्ज पंचम की
नाक' के बहाने भारतीय शासनतंत्र पर किए गए व्यंग्य
को स्पष्ट करते हुए पत्रकारों की भूमिका पर भी टिप्पणी कीजिए।
उत्तर - लेखिका ने धीरे-धीरे धुंध की चादर हटते हुए देखा तो आश्चर्यचकित रह
गई। सब ओर जन्नत बिखरी हुई पड़ी थी। नज़रों के छोर तक खूबसूरती फैली दिखाई दे रही
थी । पर्वत फूलों की घाटियाँ, पर्वत, वादियों के दुर्लभ नजारे, प्रवाहमान झरने, नीचे वेग से बहती
तिस्ता नदी, ऊपर मँडराते आवारा बादल
सब कुछ घटित होते दिखाई दे रहे थे। इन दुर्लभ नजारों ने लेखिका को मोहित कर रखा
था। हवा में हिलोरे लेते प्रियुता और डोडेंडो के फूल प्रकृति में खुशबू बिखेर रहे
थे। इन सबके साथ सतत प्रवाह में बहता लेखिका का वजूद उसे यह एहसास करा रहा था कि
जीवन का आनंद है- यही चलायमान सौंदर्य |
अथवा
'जॉर्ज पंचम की
नाक' के बहाने भारतीय शासनतंत्र पर करारा व्यंग्य
किया गया। देश को स्वतन्त्र हुए लंबा समय बीत जाने पर भी सरकारी तंत्र गुलामों की
मानसिकता,
गैर जिम्मेदारी दिखावे की
प्रवृत्ति के साथ जी रहे हैं।
एलिजाबेथ के आने के कारण अचानक सरकारी तंत्र जॉर्ज पंचम की नाक को जोड़ने में
लग गया है। यह गुलामी की मानसिकता का ही प्रतीक है। पत्रकारों ने भी इसमें अहम
भूमिका निभायी। इंग्लैंड के अखबारों में छपी खबर दूसरे दिन हिंदुस्तानी अखबारों
में चिपकी नजर आती थी। रानी के कपड़ों के बारे में, जन्मपत्री, नौकरों, बावर्चियों, खानसामों अंगरक्षकों की पूरी जीवनियाँ अखबारों
में छपी। पत्रकारों ने शाही महल के कुन्तों की तस्वीरें फैशन और चाटुकारिता की
खबरें तक अखबार में छापी। आलम यह था कि शंख इंग्लैंड में बज रहा था, गूँज हिंदुस्तान में आ रही थी।
13. किसी विशेष टी.
वी. चैनल द्वारा अंधविश्वासों को प्रोत्साहित करने वाले अवैज्ञानिक और तर्कहीन कार्यक्रम प्रायः दिखाए
जाने पर अपने विचार व्यक्त करते हुए किसी समाचार पत्र के संपादक को पत्र लिखिए। [5]
अथवा
आप अपनी किसी चूक के लिए बहुत लज्जित हैं और माँ के सामने जाने का साहस भी नहीं जुटा पा रहे हैं। तथ्यों को स्पष्ट करते हुए माँ को पत्र लिखकर क्षमायाचना कीजिए ।
उत्तर—
परीक्षा भवन,
नई दिल्ली।
1-26 मार्च 20XX दिनांक- 2
सेवा में,
संपादक,
दैनिक समाचार पत्र, बहादुर शाह जफर मार्ग,
नई दिल्ली।
विषय— टी. वी. चैनल में तर्कहीन व अवैज्ञानिक कार्यक्रम पर रोक लगाने हेतु
पत्र
महोदय, मैं आपके दैनिक समाचार पत्र के माध्यम से टी.वी. चैनल के अधिकारियों तक अपनी बात पहुँचाना चाहती हूँ। टी.वी. चैनल में रात्रि नौ बजे एक धारावाहिक आता है जो अंधविश्वास को प्रोत्साहित करता है। इसका नाम है 'डर' यह कार्यक्रम अवैज्ञानिक व तर्कहीन है। इसमें प्रत्येक दिन एक नयी कहानी दिखायी जाती है जो भूत पिशाचों से संबंधित होती है। इसका असर बच्चों पर अधिक पड़ रहा है क्योंकि बच्चे इसे शौक में देखते हैं और इसे ही सच मानते हैं। परन्तु इसका असर भयावह हो रहा है क्योंकि इसकी छाप मानसिक पटल पर रह जाती है। जो हमारी भावी पीढ़ी के लिए नुकसानदायक हो सकती है। आपसे अनुरोध है कि अपने लोकप्रिय समाचार पत्र में इस लेख को छापें ताकि टी.वी. चैनल से अधिकारियों का ध्यान इस ओर आकर्षित हो तथा वे ऐसे कार्यक्रमों का प्रसारण न करें जो समाज को अंधविश्वासों से हानि पहुँचाए।
धन्यवाद,
भवदीय,
क. ख. ग.
अथवा
परीक्षा भवन, नई दिल्ली
दिनांक 16 मार्च 20XX
आदरणीय माता जी,
चरण स्पर्श,
माँ कुछ दिनों पहले अर्द्धवार्षिक परीक्षा में मुझसे एक गलती हो गई। विज्ञान
के पेपर की तैयारी अच्छी तरह न होने के कारण मैं परेशान था जिसके कारण परीक्षा में
मैंने नकल की। परन्तु मैं इसके लिए अत्यधिक लज्जित हूँ। माँ मैंने गलती की है पर
आज तक में इससे उभर नहीं पाया हूँ। पास होने के लिए मैंने गलत रास्ता स्वीकार कर
लिया जो शर्मनीय कार्य है।
माँ इस गलती को स्वीकार करते हुए माफी माँगना चाहता हूँ परन्तु साहस नहीं जुटा
पा रहा हूँ आपके सामने अपनी गलती स्वीकार करने में लज्जित महसूस कर रहा हूँ आपके
दिये गए संस्कारों का मान नहीं रख पाया। माँ मैं इस पत्र द्वारा आपसे माफी चाहता
हूँ। मुझे माफ कर दीजिए। आगे से ऐसी चूक कभी नहीं होगी। आज मुझे एहसास हो रहा है
मैं आदर्श बेटा न बन सका। मैं वादा करता हूँ ऐसी गलती दुबारा नहीं होगी। माँ इस
पत्र द्वारा मैं अपने भावों को स्पष्ट करने की हिम्मत जुटा पाया हूँ। आशा है, आप मुझे माफ कर देंगी।
आपका पुत्र,
क. ख. ग. ।
Defination of sabhyta?
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