Vaigyanik Chetna ke Vahak Class 9 Hindi Important Questions | Vaigyanik Chetna ke Vahak Chandrasekhar Venkataraman Question Answer | 9th Class Hindi Vaigyanik Chetna ke Vahak Chandrashekhar Venkat Raman Question Answer | वैज्ञानिक चेतना के वाहक चंद्रशेखर वेंकट रमन Important Questions

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Vaigyanik Chetna ke Vahak Class 9 Hindi Important Questions | Vaigyanik Chetna ke Vahak Chandrasekhar Venkataraman Question Answer |  9th Class Hindi Vaigyanik Chetna ke Vahak Chandrashekhar Venkat Raman Question Answer | वैज्ञानिक चेतना के  वाहक चंद्रशेखर वेंकट रमन Important Questions



लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर


 प्रश्न 1. लेखक ने किसकी प्रयोगशाला को अनूठी कहा है और क्यों ?

उत्तर- लेखक ने ‘इंडियन एशोसिएशन फॉर द कल्टीवेशन आफ साइंस’ की प्रयोगशाला को अनूठी कहा है क्योंकि यह प्रयोगशाला सीमित साधनों के होते हुए भी अपना कामकर रही थी जबकि इसके उद्देश्य बहुत ऊँचे थे।


प्रश्न 2. प्रयोगशाला में रामन् के काम करने की तुलना हठयोग से क्यों की गई है?

उत्तर- ‘इंडियन एशोसिएशन फॉर द कल्टीवेशन ऑफ साइंस’ की प्रयोगशाला में रामन् उपकरणों के अभाव में कष्ट साध्य शोधकार्य करते रहे। उन्होंने मानो सफलता पाने के लिए हठकर रखा हो। रामन् की इस लगन एवं कष्ट साध्य परिस्थितियों में काम करने की धुन के कारण ही हठयोग से तुलना की गई है।


प्रश्न 3. नौकरी से बचे समय को रामन् कैसे बिताते थे?

उत्तर- नौकरी से बचे समय में अपनी इच्छाओं और स्वाभाविक रुझान के कारण कलकत्ता के बहू बाजार में आते और डॉक्टर महेंद्रलाल सरकार द्वारा स्थापित प्रयोगशाला में शोधकार्य में जुट जाते थे। वे अपनी इच्छाशक्ति से भौतिक विज्ञान को समृद्ध करने का प्रयास करते थे।


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प्रश्न 4. समुद्र यात्रा के दौरान राम के मन में कौन-सी जिज्ञासा बलवती हो उठी?

उत्तर अपनी समुद्र यात्रा के दौरान जहाज़ के डेक पर खड़े रामन ने देखा कि समुद्र का नीला जल दूर-दूर तक फैला है। यह जल नीला ही क्यों दिखाई देता है? यह जिज्ञासा उनके मन में बलवती हो उठी और वे इसका उत्तर पाने के प्रयास में जुट गए।


प्रश्न 5. रामन् की खोज भौतिकी के क्षेत्र में क्रांति के समान क्यों मानी जाती है?

उत्तर- रामन् ने अपने कठिन परिश्रम द्वारा किए गए प्रयोगों से सिद्ध कर दिया कि प्रकाश की प्रकृति के पारे में आइंस्टाइन के विचार सही थे कि प्रकाश अति सूक्ष्म तीव्र कणों की धारा के समान है जबकि आइंस्टाइन के पूर्ववर्ती वैज्ञानिकों का मानना था कि प्रकाश एक तरंग के रूप में होता है।


प्रश्न 6. रामन् ने अपने प्रयोगों से विभिन्न वर्गों पर प्रकाश के प्रभाव के बारे में क्या सिद्ध कर दिया?

उत्तर- रामनु ने अपने प्रयोगों से यह सिद्ध कर दिया कि एकवर्णीय प्रकाश की किरणों में सबसे अधिक ऊर्जा बैंगनी रंग के प्रकाश में होती है। उसके बाद नीले, आसमानी, हरे, पीले नारंगी और लाल रंग के वर्ण का नंबर आता है। एक वर्षीय प्रकाश तरल या ठोस रवों से गुजरते हुए जिस परिमाण में ऊर्जा खोता या पाता है उसी हिसाब से उसका वर्ण बदलता है।


प्रश्न 7. ‘रामन् स्पेक्ट्रोस्कोपी’ और ‘इंफ्रारेडस्पेक्ट्रोस्कोपी’ में क्या अंतर है, पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- ‘रामन् स्पेक्ट्रोस्कोपी’ तकनीक अणुओं और परमाणुओं की संरचना की सटीक जानकारी देती है। इस जानकारी के कारण पदार्थों का संश्लेषण प्रयोगशाला में करना और अनेक उपयोगी पदार्थों का कृत्रिम निर्माण संभव हो गया जबकि इंफ्रारेड स्पेक्ट्रोस्कोपी मुश्किल तकनीक थी जिसमें गलतियों की संभावना बहुत ज्यादा रहती थी।


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प्रश्न 8. सरकारी नौकरी करने वाले रामन् कलकत्ता विश्वविद्यालय तक कैसे पहुँचे?

उत्तर रामन् भारत सरकार के वित्तविभाग में उच्च एवं प्रतिष्ठित पद पर नौकरी करते थे। उसी समय के प्रसिद्ध शिक्षा शास्त्री आशुतोष मुखर्जी को रामन् की प्रतिभा के बारे में पता चला। संयोग से उन्हीं दिनों कलकत्ता विश्वविद्यालय में प्रोफेसर का पद नवसृजित हुआ था। आशुतोष मुखर्जी जब रामन् के पास प्रोफेसर पद का प्रस्ताव लेकर गए तो रामन् ने स्वीकार कर लिया और कलकत्ता आ गए।


प्रश्न 9.रामन् की सफलता में उनके पिता के योगदान को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- रामन् की सफलता में उनके पिता का अविस्मरणीय योगदान रहा है। वे भौतिक व गणित के शिक्षक थे। उन्होंने इन दोनों विषयों की शिक्षा रामन् को दी जिससे इन विषयों में गहरी रुचि एवं वैज्ञानिक बनने की लालसा ने जन्म लिया। वास्तव में उनके पिता ने उनकी सफलता की नींव रख दी थी।


प्रश्न 10. उन कारणों का उल्लेख कीजिए जिनके कारण रामनु ने सरकारी नौकरी छोड़ने का फैसला लिया।

उत्तर- रामन ने अपने समय के प्रतिभाशाली विद्यार्थियों की तरह सरकारी नौकरी कर लिया, पर उनके मन में वैज्ञानिक शोध कार्यों के प्रति रुचि यथावत बनी रही। इसके अलावा उन्होंने पैसों को अपनी रुचि पर हावी नहीं होने दिया। उन्हें कलकत्ता विश्वविद्यालय में अध्यापन का जैसे ही अवसर मिला उन्होंने सरकारी नौकरी छोड़ दिया।


दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर


प्रश्न 1. चंद्रशेखर वेंकट रामन् को वैज्ञानिक चेतना का वाहक क्यों कहा गया है? पठित पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- चंद्रशेखर वेंकट रामन् अत्यंत प्रतिभाशाली और अनुसंधान के प्रति पूर्णतया समर्पित वैज्ञानिक थे। उन्होंने भारत सरकार के वित्तमंत्रालय में उच्च सुविधावाली प्रतिष्ठित नौकरी छोड़कर कलकत्ता विश्वविद्यालय में इसलिए नौकरी कर ली ताकि वे शोध के लिए भरपूर समय निकाल सके। इसके अलावा उन्होंने खुद को प्रयोगों एवं शोधपत्रों तक ही सीमित नहीं रखा बल्कि अपने भीतर राष्ट्रीय चेतना बनाए रखते हुए देश में वैज्ञानिक दृष्टि और चिंतन के विकास के प्रति समर्पित रहे। उन्होंने सैकड़ों छात्रों की मदद उनके शोध में की। इन कारणों से रामन् को वैज्ञानिक चेतना का वाहक कहा गया है।


प्रश्न 2. रामन् को ‘रामन् रिसर्च इंस्टीट्यूट’ की स्थापना की प्रेरणा कहाँ से मिली? इसकी स्थापना का उद्देश्य क्या था?

उत्तर- चंद्रशेखर वेंकट रामन् भले ही विश्व प्रसिद्ध वैज्ञानिक बन गए परंतु उन्हें हमेशा अपने वे दिन याद रहे जब उन्हें अच्छी प्रयोगशाला और उन्नत उपकरणों की कमी में काफ़ी संघर्ष करना पड़ा। अभावग्रस्त दिनों की याद तथा उस समय के संघर्ष से रामन् को ‘रामन् रिसर्च इंस्टीट्यूट’ की स्थापना की प्रेरणा मिली। इसकी स्थापना का उद्देश्य आने वाली पीढ़ी को आवश्यक उपकरण और सुविधाएँ उपलब्ध करवाना था ताकि शोध कार्यों के लिए प्रेरित होकर आगे आएँ और किसी नए रहस्य का पता लगाएँ।


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प्रश्न 3.अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए रामन् ने अपना योगदान किस तरह दिया? इससे छात्रों को क्या लाभ हुए?

उत्तर-रामन् ने ‘रामन् रिसर्च इंस्टीट्यूट’ नामक अत्यंत उन्नत प्रयोगशाला और शोध-संस्थान की स्थापना की। इसके अलावा उन्होंने भौतिक शास्त्र में अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए ‘इंडियन जनरल ऑफ फिजिक्स’ नामक शोध-पत्रिका की शुरुआत की। इसके अलावा रामन् ने अपने जीवन में सैकड़ों शोध छात्रों का मार्गदर्शन किया। इन छात्रों ने आगे आने वाले छात्रों की मदद की। इससे उन्होंने अच्छा काम ही नहीं किया बल्कि कई छात्रों ने उच्च पदों को सुशोभित किया। विज्ञान के प्रचार-प्रसार हेतु उन्होंने करेंट साइंस नामक पत्रिका का संपादन भी किया।


प्रश्न 4 .रामन् द्वारा खोजे गए रामन् प्रभाव के कारण उनकी प्रसिधि और सम्मान पर क्या असर पड़ा? पठित पाठ के आलोक में स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- रामन् द्वारा खोजे गए रामन् प्रभाव के कारण उनकी गणना विश्व के चोटी के वैज्ञानिकों में होने लगी। उन्हें अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। सन् 1929 में उन्हें ‘सर’ की उपाधि दी गई। अगले ही साल उन्हें विश्व के सर्वोच्च पुरस्कार‘भौतिकी में नोबेल पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया। उन्हें रोम का मेत्यूसी पदक, रायल सोसाइटी का यूज पदक, फिलोडेल्फिया इंस्टीट्यूट का फ्रैंकलिन पदक, सोवियत रूस का लेनिन पुरस्कार आदि के साथ ही 1954 में देश के सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’ से भी सम्मानित किया गया। इस प्रकार उनकी प्रसिद्धि और सम्मान अत्यधिक बढ़ चुका था।


प्रश्न 5. रामन् ने वाद्ययंत्रों की ध्वनियों के अध्ययन के द्वारा क्या सिद्ध किया और क्यों? पठित पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।

उत्तर- रामन् को सरकारी नौकरी से जो अवकाश मिलता था उसका उपयोग वे कलकत्ता की बहू बाजार स्थित प्रयोगशाला में शोध करते हुए बिताया करते थे। यहीं पर रामन् को झुकाव वाद्ययंत्रों की ध्वनियों के पीछे छिपे वैज्ञानिक रहस्य की तरफ़ हुआ। उन्होंने अनेक भारतीय वाद्य यंत्रों जैसे-वीणा, तानपुरा, मृदंगम का गहन अध्ययन किया। इसके अलावा उन्होंने वायलिन और पियानो जैसे विदेशी वाद्ययंत्रों को भी अपने शोध का विषय बनाया और यह सिद्ध कर दिखाया कि भारतीय वाद्य विदेशी वाद्य यंत्रों की तुलना में घटिया नहीं हैं। उन्होंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि तब भारतीय वाद्य यंत्रों के बारे में ऐसी ही भ्रांति फैली हुई थी।

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