Raidas Ke Pad Important Questions | Raidas Ke Pad In Hindi Class 9 Explanation Extra Questions | रैदास के पद NCERT Class 9 Question Answer

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Raidas Ke Pad Important Questions | Raidas Ke Pad In Hindi Class 9 Explanation Extra Questions | रैदास के पद NCERT Class 9 Question Answer 


 प्रश्न 1. कवि ने स्वयं को पानी मानकर प्रभु को क्या माना है? ‘रैदास के पद’ के आधार पर लिखिए।

उत्तर : कवि ने स्वयं को पानी मानकर प्रभु को चंदन माना है।


प्रश्न 2. कवि रैदास के स्वामी कौन हैं? वे क्या-क्या कार्य करते हैं?

उत्तर : रैदास के स्वामी निराकार प्रभु हैं। वे अपनी असीम कृपा से नीच को भी ऊँच और अछूत को महान बना देते हैं।


प्रश्न 3. तुम घन बन हम मोरा-ऐसी कवि रैदास ने क्यों कहा है?

उत्तर : रैदास अपने प्रभु के अनन्य भक्त हैं, जिन्हें अपने आराध्य को देखने से असीम खुशी मिलती है। कवि ने ऐसा इसलिए कहा है, क्योंकि जिस प्रकार वन में रहने वाला मोर आसमान में घिरे बादलों को देख प्रसन्न हो जाता है, उसी प्रकार कवि भी अपने आराध्य को देखकर प्रसन्न होता है।


प्रश्न 4. कवि रैदास ने सोने व सुहागे की बात किस संबंध में कही है व क्यों?

उत्तर : सोने व सुहागे का आपस में घनिष्ठ संबंध है। सुहागे का अलग से अपना कोई अस्तित्व नहीं है। किंतु जब वह सोने के साथ मिल जाता है तो उसमें चमक उत्पन्न कर देता है।


 प्रश्न 5. कवि रैदास ने गरीब निवाजु किसे कहा है और क्यों?

उत्तर : कवि ने ‘गरीब निवाजु’ अपने आराध्य प्रभु को कहा है, क्योंकि उन्होंने गरीबों और कमज़ोर समझे जाने वाले और अछूत कहलाने वालों का उद्धार किया है। इससे इन लोगों को समाज में मान-सम्मान और ऊँचा स्थान मिल सकता है।


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प्रश्न 6. रैदास द्वारा रचित ‘अब कैसे छूटे राम नाम रट लागी’ को प्रतिपाद्य लिखिए।

उत्तर : रैदास द्वारा रचित ‘अब कैसे छूटे राम नाम रट लागी’ में अपने आराध्य के नाम की रट की आदत न छोड़ पाने के माध्यम से कवि ने अपनी अटूट एवं अनन्य भक्ति भावना प्रकट की है। इसके अलावा उसने चंदन-पानी, दीपक-बाती आदि अनेक उदाहरणों द्वारा उनका सान्निध्य पाने तथा अपने स्वामी के प्रति दास्य भक्ति की स्वीकारोक्ति की है।


प्रश्न 7. कवि रैदास ने अपने पद के माध्यम से तत्कालीन समाज का चित्रण किस प्रकार किया है?

उत्तर : कवि रैदास ने अपने पद ‘ऐसी लाल तुझ बिनु कउनु करै’ में सामाजिक छुआछूत एवं भेदभाव की तत्कालीन स्थिति का अत्यंत मार्मिक एवं यथार्य चित्र खींचा है। उन्होंने अपने पद में कहा है कि गरीब एवं दीन-दुखियों पर कृपा बरसाने वाला एकमात्र प्रभु है। उन्होंने ही एक ऐसे व्यक्ति के माथे पर छत्र रख दिया है, राजा जैसा सम्मान दिया है, जिसे जगत के लोग छूना भी पसंद नहीं करते । समाज में निम्न जाति एवं निम्न वर्ग के लोगों को तिरस्कारपूर्ण दृष्टि से देखा जाता था, ऐसे समाज में प्रभु ही उस पर द्रवित हुए। कवि द्वारा नामदेव, कबीर, त्रिलोचन, सधना, सैन आदि संत कवियों का दिया गया उदाहरण दर्शाता है कि लोग निम्न जाति के लोगों के उच्च कर्म पर विश्वास भी मुश्किल से करते थे। इसलिए कवि को उदाहरण देने की आवश्यकता पड़ी। इन कथनों से तत्कालीन समाज की सामाजिक विषमता की स्पष्ट झलक मिलती है।


प्रश्न 8. रैदास के प्रभु में वे कौन-सी विशेषताएँ हैं जो उन्हें अन्य देवताओं से श्रेष्ठ सिद्ध करती हैं?

उत्तर : 1.वे केवल झूठी प्रशंसा या स्तुति नहीं चाहते।

2.वे जाति प्रथा या छुआछुत को महत्व नहीं देते। वे समदर्शी हैं।

3.उनके लिए भावना प्रधान है। वे भक्त वत्सल हैं।

4.दीन दुखियों व शोषितों की विशेष रूप से सहायता करते हैं।वे गरीब नवाज हैं।

5.वे किसी से डरते नहीं हैं, निडर हैं।


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