Premghan ki Chhaya Smriti Class 12 Questions Answer | Class 12 Hindi Premghan ki Chhaya Smriti Important Question | प्रेमयन की छाया स्मृति Class 12 Important Questions Answer Class 12 Hindi प्रेमघन की छाया स्मृति Important Questions Answer

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1: लेखक के पिता रात को कौन सी किताब पढ़ा करते थे ?

उत्तर: लेखक के पिता रात को रामचरितमानस और रामचंद्रिका पढ़ा करते थे। 


2: भारतेन्दु हरिश्चंद्र के घनिष्ठ मित्र कौन हैं ?

उत्तर: भारतेन्दु हरिश्चंद्र के घनिष्ठ मित्र उपाध्याय बद्री नारायण चौधरी हैं। 


3: किस प्रेस की किताबें लेखक के घर आया करतीं थीं ?

उत्तर: लेखक के घर भारत जीवन प्रेस की किताबें आया करती थीं। 


4: लेखक को कितने साल की उम्र से ही हिंदी की मित्र मंडली मिलने लगी थी ?

उत्तर: लेखक को 16 साल की उम्र से ही ज़िन्दगी की मित्र मंडली मिलनी शुरू हो गयी थी। 


5: लेखक के मोहल्ले में कौन-कौन रहता था ?

उत्तर: लेखक के मोहल्ले में वकील मुख्तार और कचहरी के अफसर रहते थे। 


लघु उत्तरीय प्रश्न 

6: रामचंद्र के पिताजी भारत जीवन प्रेम की किताबें क्यों छुपा देते थे ?

उत्तर: लेखक के पिता को डर था कि कहीं उनके बेटे रामचंद्र शुक्ल जी का मन स्कूल की पढाई से हट न जाए इसलिए वह प्रेस की किताबें छुपा देते थे। 


7: उपाध्याय जी कौन-सी भाषा के समर्थक थे ?

उत्तर: उपाध्याय जी नागरी भाषा के समर्थक थे और हमेशा से ही नागरी भाषा में ही लिखते थे। उनका कहना है कि नगर अपभ्रंस से जो लोगों की भाषा विकसित हुई  वही नागरी कहलाई। 


8: चौधरी साहब किस स्वभाव के व्यक्ति थे ?

उत्तर: चौधरी साहब खानदानी रईस थे और उनके बात करने का तरीका उनके लेखों से बिलकुल अलग था। वह एक खुशमिजाज और हर बात पर अपनी उलटे व्यंग्य देने वाले स्वभाव के व्यक्ति थे। 


9: लेखक भारतेन्दु जी के घर को क्यों एकटक देखते रहे ?

उत्तर: रामचंद्र शुक्ल जी को पुस्तकों और साहित्य से बड़ा लगाव था। तत्कालीन समय में भारतेन्दु जी हिंदी भाषा के प्रमुख और प्रसिद्ध लेखक थे।  भारतेन्दु जी से लेखक को बहुत प्रेम था कि पहली बार उनके घर के सामने से गुज़रे तो वह एकटक निहारते रहे। 


10: वामनाचार्य गिरी कौन थे और उनकी चौधरी साहब से क्या बात हुई ?

उत्तर : वामनाचार्य गिरी मिर्ज़ापुर में पुरानी परिपाटी के बहुत ही प्रतिभाशाली कवि रहते थे। एक दिन वास् सड़क पर चौधरी साहब के ऊपर एक कविता जोड़ते चले जा रहे थे। अंतिम चरण रह गया था कि चौधरी साहब अपने बरामदे में कन्धों पर डाल सकता है। खम्भे के सहारे खड़े दिखाई पड़े वामन जी ने चौधरी साहब को नीचे से अपनी कविता के ज़रिये ललकारा खम्भा टेकी खड़ी जैसे नारि मुसलानों की। 



11: हिंदी और उर्दू के सम्बन्ध को इस पाठ के आधार पर अपने विचारों में प्रकट कीजिये। 

उत्तर: मुगलों का भारत में आगमन हुआ तो साथ ही साथ वह उर्दू को भी लेकर आये अंग्रेज़ों के काल में आज़ादी पाने के लिए एक ऐसी भाषा के पुनरुत्थान की ज़रूरत हुई जो आम लोगों की जान भाषा बन सके। प्रथम भारतेन्दु जी के खड़ी बोली में लिखना आरम्भ किया तब के समय में सभी लोग उर्दू के साथ हिंदी का भी प्रयोग निश्चित रूप में करते थे। हालाँकि हिंदी और उर्दू दो अलग अलग भाषा है। हिंदी का जन्म भारत में ही हुआ परन्तु उर्दू बाहरी भाषा है जो हिंदी में मिश्रित हो गयी। 


12: इस पाठ के आधार पर लेखक की शैली का वर्णन कीजिये ?

उत्तर: लेखक ने इस पाठ में बहुत ही खूबसूरत और आकर्षक शैली का प्रयोग किया है। लेखक प्राचीन समय की बातों को ठीक ठीक रूप में सामने लाने की कोशिश की है। तब के समय में बोली जाने वाली स्थानीय भाषा या जन भाषा हिंदी तथा उर्दू के सुन्दर मिश्रित रूप का प्रयोग किया है। तत्कालीन समय के सामाजिक परिवर्तन वातावरण तथा सामाजिक स्थिति का सटीक वर्णन करती है , यह पाठ प्राचीन भारत के दर्शन को रोचक शैली में आधुनिकता के साथ करता है। 


13: भारतेन्दु जी के सम्बन्ध में लेखक के मनोभाव पर अपना वक्तव्य दे। 

उत्तर : भारतेंदु जी के सम्बन्ध में लेखक ने मधुर भावना व्यक्त की है। वह कभी हरिश्चंद तथा सत्यवती राजा हरिश्चंद में कोई अंतर नहीं समझते थे। यदि कोई उनके सामने हरिश्चंद का नाम लेते तो उनके मुख पर एक अलग ही भाव देखने को मिलना था , वह भारतेन्दु हरिश्चंद के लेख व्यकितत्व और जीवन से बहुत प्रभावित है जबकि उनके सामने भारतेन्दु जी की बात चलती उनके मन में एक अपनापन और प्रेम उत्पन्न होता था। 


14: लेखक ने अपने पिताजी के बारे में क्या बताया है ?

उत्तर: लेखक अपने पिताजी के बारे में बताते हुए कहा है कि वह फ़ारसी के अच्छे ज्ञाता और पुरानी हिंदी कविता के बड़े प्रेमी थे। उनको फ़ारसी कवियों की उक्तियों को हिंदी कवियों के उपयोग के साथ मिलाने में बड़ा आनंद मिलता था। वह रात को प्रायः रामचरितमानस और रामचंद्रिका घर के सब लोगों को एकचित करके बड़े अच्छे एवं अलग ढंग से पढ़ा करते थे। 


15: घनचक्कर का अर्थ समझने के लिए चौधरी साहब ने क्या सुझाव दिया ?

उत्तर: घनचक्कर का अर्थ समझने के लिए चौधरी साहब के कहा कि 1 दिन रात को सोने के पहले कागज़ कलम लेकर सवेरे से रात तक जो जो काम किये हैं। सब लिख जाइये और पढ़ जाइये पता चल जाएगा कि घनचक्कर का क्या अर्थ है। यह प्रश्न चौधरी साहब के पडोसी ने उनसे किया था।



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