Class 12 Hindi Chapter Saroj Smriti Important Question Answer | Class 12 Hindi Antra Chapter 2 Saroj Smriti Important Question Answer | सरोज स्मृति कक्षा 12 Important Questions Answer

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Class 12 Hindi Chapter Saroj Smriti Important Question Answer | Class 12 Hindi Antra Chapter 2 Saroj Smriti Important Question Answer | सरोज स्मृति कक्षा 12 Important Questions Answer 


प्रश्न 1. कवि निराला की कविताओं में शृंगारिक कल्पना किस रूप में साकार हुई है ? ‘सरोज-स्मृति’ कविता के आधार पर स्पष्ट कीजिए?

उत्तर - कवि निराला ने अपनी कविताओं में सौंदर्य के जिस निराकार भाव को अभिव्यक्ता किया है। वह अनुपम सौंदर्य कल्पना रूपी आकाश से उतरकर पृथ्वी पर मूर्तिमान हो उठा था। कवि के राग-रंग के शृंगारिक कल्पनाएँ रति के समान आकर्षक व दिव्य-सौंदर्य लिए हुए उसकी पुत्री सरोज के रूप में साकार हो उठी थीं।


प्रश्न 2. स्पष्ट कीजिए कि ‘सरोज स्मृति’ एक शोकगीत है।

उत्तर - ‘सरोज स्मृति’ कवि निराला के शोक संतप्त हृदय का मार्मिक एवं हृदयस्पर्शी उद्गार है, जो पाठकों के मन में करूणाभाव पैदा कर देता है। कवि की पत्नी का असामयिक निध न हो चुका था, जिसका दुख कवि अपने सीने पर पत्थर रखकर ढो रहा था। ऐसे में उसकी एकमत्र पुत्री सरोज ही उसका जीवन-संवल थी। विवाह के कुछ ही समय बाद पुत्री की मृत्यु ने कवि हृदय को झकझोर कर रख दिया। यूँ तो कवि ने आजीवन दुख-ही-दुख झेला था पर इस दुख से वह इतना दुखी हुआ कि उसके हृदय की पीड़ा ‘सरोज स्मृति’ के रूप में मुखरित हो उठी। इस प्रकार कह सकते हैं कि निस्संदेह ‘सरोज स्मृति’ शोकगीत है।


प्रश्न 3. ‘निराला’ की कविता ‘सरोज-स्मृति’ की काव्य-पंक्ति ‘दुःख ही जीवन की कथा रही, कया कहूँ, जो नहीं कही।”‘ के आलोक में कवि हुदय की पीड़ा का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।

उत्तर - इस काव्यांश में कवि निराला का जीवन-संघर्ष मुखरित हुआ है। कवि कहता है कि मैंने अपनी स्मृतियों को काफी लंबे समय तक हृदय में संजोए रखा, परन्तु अब मैं अत्यधिक व्याकुल हो गया हूँ। अतः उसे प्रकट कर रहा हूँ। मेरा तो सारा जीवन ही दुखों की कहानी बनकर रह गया है। में अपने दुख की कथा को आज इस कविता के माध्यम से प्रकट कर रहा हूँ, जिसे मैं आज तक नहीं कह पाया था। मेरे कर्म पर वज्रपात भी हो जाए तब भी मेरा सिर इसी मार्ग पर झुका रहेगा। मैं अपने मानवीय धर्म की रक्षा करता रहूँगा। मैं अपने मार्ग से विचलित नहीं हूँगा। यदि अपने कर्तव्य और धर्म का पालन करते हुए मेरे समस्त सत्कार्य शीत के कमल दल की भाँति नष्ट हो जाएँ तब भी मुझे कोई चिता नहीं है।


प्रश्न 4. ‘कन्ये, गत कर्मों का अर्पण कर, करता मैं तेरा तर्पण’।-इस कथन के पीछे छिपी वेदना और विवशता पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।

उत्तर - ‘सरोज-स्मृति’ कविता एक शोक-गीत है। इसमें कवि अपनी दिवंगत पुत्री सरोज की आकस्मिक मृत्यु पर शोक प्रकट करने के साथ-साथ अपनी विवशता को प्रकट करता है। वह स्वयं को एक पिता के रूप में अकर्मण्य पाता है। वह पुत्री के प्रति कुछ भी न कर पाने को कोसता है। इस कविता के माध्यम से कवि का अपना जीवन-संघर्ष भी प्रकट हुआ है। पिता के रूप में कवि के विलाप में उसे कभी शकुंतला की याद आती है तो कभी अपनी स्वर्गीया पत्नी की। उसे पुत्री के रंग-रूप में अपनी पत्नी के रंग-रूप की इलक मिलती है। कवि पुत्री का पालन-पोषण स्वयं नहीं कर पाया। इसके लिए उसे अपनी ससुराल (सरोज की नानी, मामा-मामी) की शरण में जाना पड़ा। यह भी कवि के मानसिक दुःख का कारण है। कवि का समस्त जीवन दुःख की कथा बनकर रह गया और वह उसे कहने में असमर्थता का अनुभव करता है।


प्रश्न 5. ‘गीत गाने दो मुझे’ कविता में ‘निराला’ के जीवन में व्याप्त निराशा को आशा का स्वर और मनुष्य में समाप्त हो रही जिजीविषा को पुन: प्रकाश देने की बात कहकर हमें जीने की प्रेरणा दी है। क्या आप इस कथन से सहमत हैं? तर्कयुक्त उत्तर दीजिए।

उत्तर - हाँ, हम इस कथन से सहमत है क्योंकि ‘गीत गाने दो’ कविता के माध्यम से कवि निराशा के मध्य भी आशा का संचार करनाचाहता है। यह सही है कि इस समय वातावरण प्रतिकूल है। कवि इस वातावरण में संघर्ष करते-करते थक गया है। अब जीवन जीना सरल नहीं रह गया है। यही दशा अन्य लोगों की भी है। जीवन-मूल्यों का पतन हो रहा है। इस समय पूरा संसार हार मानने की मनःस्थिति में है क्योंकि उसके जीवन में अमृत के स्थान पर जहर भर गया है। इस समय पूरी मानवता हा-हाकार कर रही है। ऐसा लगता है कि पृथ्वी की लौ ही बुझ गई है। इस वातावरण में मनुष्य की जिजीविषा ही मिटती जा रही है। कवि इस कविता के माध्यम से इसी लौ को जगाने का प्रयास करता है। वह चाहता है कि हम अपनी वेदना-पीड़ा को अपने मन में छिपाए रखें और गीत गाने का प्रयास करें। कवि इस कविता के माध्यम से निराशा के मध्य आशा का संचार करना चाहता है।


प्रश्न 6. ‘दुख ही जीवन की कथा रही, क्या कहूँ आज, जो नहीं कही।’ के आलोक में कवि हुदय की पीड़ा का वर्णन कीजिए।

उत्तर - महाकवि निराला को आजीवन संघर्षरत रहना पड़ा। वे जीवन-भर अभावों को झेलते रहे। सामाजिक कुरीतियों और रूढ़ियों की बुराई करने के कारण उन्हें स्वजातीय बंधुओं और समाज की अवहेलना झेलनी पड़ी। एक-एक कर अपने निकट संबंधियों और पत्नी की मृत्यु ने उन्हें दुखों में डुबो दिया था, किंतु अपनी एकमात्र पुत्री सरोज की मृत्यु ने उन्हें अंदर तक हिला दिया था। वे इतने दुखी थे कि वे चाहकर अपनी व्यथा को कह नहीं पा रहे थे। उनसे केवल यही कहा जा रहा था कि दुखों में आजीवन पलना ही उनकी समस्त कथा है।


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प्रश्न 7. ‘सरोज-स्मृति’ कविता में कवि निराला की वेदना के सामाजिक संदर्भो को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर - ‘सरोज-स्मृति’ कविता एक शोकगीत है। यह गीत निराला जी की दिवंगता पुत्री सरोज पर केंद्रित है। यह कविता निराला के कवि-हृदय का विलाप है। निराला की वेदना दोहरी है। पिता निराला का विलाप उसे पत्नी शकुंतला की याद उभार देता है। कवि को अपंनी पुत्री सरोज के रूप-रंग में पत्नी का रूप-रंग दिखाई देने लगता है। इस कविता में कवि ने एक भाग्यहीन पिता के संघर्ष के साथ-साथ, समाज से उसके संबंध, अपनी पुत्री के प्रति कुछ न कर पाने पर अपनी अकर्मण्यता का बोध भी उजागर हुआ है। यह कविता केवल एक भाग्यहीन पिता की वेदना की अभिव्यक्ति ही नहीं है, वरन् समाज की बेहतरी के लिए काम करने वाले युगचेता निराला के प्रति समाज की उपेक्षा को भी व्यंजित किया है।


प्रश्न 8. ‘सरोज-स्मृति’ कविता में स्वयं को ‘भाग्यहीन’ क्यों कहा है ?

उत्तर - ‘सरोज-स्मृति’ कविता में कवि ने स्वयं को भाग्यहीन कहा है। वह ऐसा इसलिए कहता है कि वह एक असहाय पिता बनकर रह गया। वह अपनी पुत्री सरोज के लिए कुछ भी नहीं कर पाया। वह न तो सही ढंग से उसका पालन-पोषण कर पाया और न ढंग से उसका विवाह ही कर पाया। उसकी अंतिम अवस्था में भी वह पुत्री को बचाने के लिए कुछ भी नहीं कर पाया। उसे अपनी भाग्यहीनता और अकर्मण्यता पर बड़ा पछतावा होता है। पुत्री सरोज ही उसका एकमात्र संबल था, पर वह उसकी रक्षा करने में असफल रहा। इस प्रकार वह भाग्यहीन ही प्रमाणित हुआ।

    

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