Class 12th Hindi Saroj Smriti Question Answer | Saroj Smriti Class 12 Question Answer | Saroj Smriti Class 12 Question Answer NCERT | सरोज स्मृति पाठ के प्रश्न उत्तर

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Class 12th Hindi Saroj Smriti Question Answer | Saroj Smriti Class 12 Question Answer | Saroj Smriti Class 12 Question Answer NCERT | सरोज स्मृति पाठ के प्रश्न उत्तर 


 प्रश्न 1. सरोज के नव-वधू के रूप का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए।

उत्तर - सरोज के नववधू के रूप से सुसज्जित होकर विवाह-मंडप में उपस्थित है। उसके मन में प्रिय-मिलन का आह्ललाद है। उसके होठों पर मंद हँसी है। उसने मनभावन शृंगार कर रखा है। लाज एवं संकोच से झुकी उसकी आँखों में एक नई चमक आ गई है। उसके नत नयनों से प्रकाश उतर कर अधरों तक आ गया है। उसकी सुंदर मूर्ति वसंत के गीत के समान प्रतीत होती है।


प्रश्न 2. कवि को अपनी स्वर्गीया पत्नी की याद क्यों आई ?

उत्तर - पुत्री सरोज को देखकर कवि को अपनी स्वर्गीया पत्नी की याद हो आई। इसका कारण यह था कि पुत्री सरोज के रंग-रूप में उसे अपनी पत्नी की झलक दिखाई दे रही थी। कवि ने प्नी के रूप में जो शृंगारिक कल्पनाएँ की थीं, वे पुत्री सरोज के अनुपम सौंदर्य में साकार होती प्रतीत हुई। पुत्री के विवाह के अवसर पर उसकी माँ अर्थात् अपनी पत्नी की याद आना स्वाभाविक ही था।


प्रश्न 3. ‘आकाश बदलकर बना मही’ में ‘आकाश’ और ‘मही’ शब्द किसकी ओर संकेत करते हैं ?

उत्तर - ‘आकाश बदलकर बना मही’ से कवि का तात्पर्य यह है कि उसने अपनी कविताओं में जो अद्वितीय श्रृंगारिक कल्पनाएँ की थीं, वे उसकी पुत्री सरोज के अनुपम सौंदर्य में साकार होकर मही अर्थात् धरती पर उतर आई थी। इस प्रकार ‘आकाश’ शब्द कवि की श्रृंगारिक कल्पनाओं के लिए और ‘मही’ शब्द उसकी पुत्री सरोज के सुंदर रूप की ओर संकेत करता है। 


प्रश्न 4. सरोज का विवाह अन्य विवाहों से किस प्रकार भिन्न था ?

उत्तर - सरोज का विवाह अन्य विवाहों से कई मायने में भिन्न था। यह अत्यंत सादगीपूर्ण ढंग से संपन्न हुआ था। इस विवाह के लिए आत्मीय और स्वजनों अर्थात् नाते-रिश्रेदारों को निमंत्रण नहीं भेजा गया था। केवल घर-परिवारों के लोग ही इसमें सम्मिलित हुए थे। घर में विवाह के गीत भी नहीं गाए गए। न दिन-रात सारा घर जागा, जैसा कि विवाह के अवसर पर सामान्यतः ऐसा (रतजगा) होता है। एक शांत वातावरण में यह विवाह संपन्न हुआ था। सरोज की विदाई के समय माँ द्वरा दी जाने वाली शिक्षाएँ भी पिता (कवि) ने दी थी। मातृविहिन होने के कारण सरोज की पुप्पसेज भी पिता ने ही सजाई थी।

प्रश्न 5. शकुंतला के प्रसंग के माध्यम से कवि क्या कहना चाहता है ?

उत्तर - शकुंतला कालिदास की नाट्यकृति ‘अभिज्ञान शाकुंतलम्’ की नायिका है। ऋषि कण्व ने मातृविहिन कन्या शकुंतला का पालन-पोषण किया और विवाह कर उसे विदा किया। कवि भी वैसी ही स्थिति से गुजरता है। शकुंतला के विवाह में उसका पिता कण्व विलाप करता है। कवि को पिता के रूप में विलाप करते हुए शकुंतला का स्मरण हो आता है। दोनों में काफी समानता है। साथ ही कवि ने यह भी स्पष्ट किया है कि उसकी पुत्री सरोज की शिक्षा और आचरण शकुंतला से भिन्न था।

प्रश्न 6. ‘वह लता वहीं का, जहाँ कली तू खिली’ पंक्ति द्वारा किस प्रसंग को उद्घाटित किया गया है ?

उत्तर - इस पंक्ति द्वारा इस प्रसंग को उद्घाटित किया गया है कि सरोज की माँ की असमय मृत्यु हो जाने के परिणामस्वरूप उसका पालन-पोषण ननिहाल में ही हुआ। वह वहीं लता बनी और वहीं वह कली के रूप में खिली अर्थांत् वहीं उसका बचपन बीता, युवावस्था आई और वहीं वह युवत्ती के रूप में कली की तरह खिली। उसका बचपन और किशोरावस्था नानी की गोद में ही व्यतीत हुई। वहीं रहकर वह विवाह योग्य हुई।


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प्रश्न 7. कवि ने अपनी पुत्री का तर्पण किस प्रकार किया ?

उत्तर - कवि साधनहीन था। उसके पास अपनी पुत्री का तर्पण करने के लिए किसी भी प्रकार की धन-सम्पत्ति नहीं थी। हाँ, उसने अपने जीवन में कुछ अच्छे कर्म अवश्य किए थे। वही कर्म उसकी पूँजी थी। अतः उसने अपने समस्त पुण्य कर्मों को पुत्री सरोज के लिए अर्पित कर उसका तर्पण किया। परंजरा के अनुसार मृतक के श्राद्ध के अवसर पर जल तथा अन्य वस्तुओं से उसका तर्पण किया जाता है। कवि के पास कोई वस्तु तो नहीं थी, अतः उसने अपने विगत जीवन के अच्छे कमों के फल पुत्री सरोज को अर्पित कर उसका तर्पण किया।

प्रश्न 8. निम्नलिखित पंक्तियों का अर्थ स्पष्ट कीजिए :

(क) नत नयनों से आलोक उतर

उत्तर - विवाह के अवसर पर बेटी सरोज की आँखों में रोशनी की चमक दिखाई दे रही थी। यह चमक अधरों तक आ गई थी।

(ख) शृंगार रहा जो निराकार.       

उत्तर- ऐसा श्रृंगार जिसका कोई आकार न हो। ऐसे भृंगार का प्रभाव ही दृष्टिगोचर होता है। कवि की कविताओं में भी ऐसे ही निराकार सौँदर्य की अभिव्यक्ति हुई थी।

(ग) पर पाठ अन्य यह, अन्य कला

उत्तर- वेटी को देखकर कवि को नायिका शकुंतला का स्मरण हो आता है, पर यहाँ वह दूसरे ही अर्थ में था। सरोज की शिक्षा और आचरण में भिन्नता थी।

(घ) यदि धर्म, रहे नत सदा माथ

उत्तर-  कवि अपने माथे को झुकाकर अपने पिता-धर्म का पालन करना चाहता है। वह धर्म पर अडिग रहना चाहता है।


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