नमक (पठित गद्यांश)

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नमक (पठित गद्यांश)






निम्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए
प्रश्न 1. 

सिख बीवी को देखकर सफिया हैरान रह गई थी, किस कदर वह उसकी माँ से मिलती थी। वही भारी भरकम जिस्म, छोटी छोटी चमकदार आँखें, जिनमें नेकी, मुहब्बत और रहमदिली की रोशनी जगमगाया करती थी। चेहरा जैसे कोई खुली हुई किताब। वैसा ही सफेद बारीक मलमल का दुपट्टा जैसा उसकी अम्मा मुहर्रम में ओढ़ा करती थी। जब सफ़िया ने कई बार उनकी तरफ मुहब्बत से देखा तो उन्होंने भी उसके बारे में घर की बहु से पूछा। उन्हें बताया गया कि ये मुसलमान हैं। कल ही सुबह लाहौर जा रही हैं अपने भाइयों से मिलने, जिन्हें इन्होंने कई साल से नहीं देखा। लाहौर का नाम सुनकर वे उठकर सफ़िया वे पास आ बैठीं और उसे बताने लगी कि उनका लाहौर कितना प्यारा शहर है। वहाँ के लोग कैसे खूबसूरत होते हैं, उम्दा खाने और नफीस कपड़ों के शौकीन, सैर-सपाटे के रसिया, जिंदादिली की तसवीर। 

प्रश्न
(क) सिख बीवी को देखकर सफ़िया हैरान रह गई। क्यों?
(ख) घर की बहू ने सफ़िया के बारे में क्या बताया?
(ग) सिख बीबी ने लेखिका को क्या बताया।
(घ) सिख बीवी और सफिया में क्या समानता थी? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर-
(क) जैसे सफ़िया ने सिख बीवी को देखा, वह हैरान रह गई। उनकी शक्ल उसकी माँ से मिलती थी। उनके भारी शरीर नेकी, मुहब्बत, करुणा से भरी, छोटी-छोटी चमकदार आँखें थीं, चेहरे पर कोई छिपा नहीं था। वे भी माँ की तरह सफेद बारीक मलमल का दुपट्टा ओढे हुए थी।

(ख) घर की बहू ने सिख बीवी को बताया कि सफ़िया मुसलमान है। यह काफी अरसे के बाद अपने भाइयों से मिलने सुबह लाहौर जा रही है।

(ग) सिख बीवी ने लाहौर के बारे में सफ़िया को बताया कि लाहौर बहुत प्यारा शहर है। वहाँ के लोग बहुत सुंदर हैं। वे बढ़िया खाने व महंगे कपड़ों के शौकीन हैं। वे घूमने के शौकीन व जिंदादिल हैं।

(घ) सिख बीवी और सफ़िया में यह समानता थी कि दोनों ही अपनी जन्मभूमि से अगाध प्रेम करती थी। यह प्रेम ही सफिया को लाहौर ले जा रहा था तो सिख बीबी के मस्तिष्क में लाहौर की यादें तरोताजा थीं।

प्रश्न 2. 

"हाँ बेटी जब हिंदुस्तान बना था तभी आए थे। वैसे तो अब यहाँ भी हमारी कोठी बन गई है। बिजनेस है, सब ठीक ही है, पर लाहौर बहुत याद आता है। हमारा वतन तो जी लाहौर ही है।" फिर पलकों से कुछ सितारे टूटकर दूधिया आँचल में समा जाते हैं। बात आगे चल पड़ती, मगर घूम-फिरकर फिर उसी जगह पर आ जाती-साडा लाहौर! 

प्रश्न
(क) किसने किसको कहाँ की यादें तरोताजी करा दिया?
(ख) उत्तरदाता ने अपने बारे में क्या बताया?
(ग) सिख बीवी को व्यक्तित्व से क्या पता चलता है?
(घ) सिख बीवी के व्यक्तित्व से आप कौन-सा गुण अपनाना चाहेंगे और क्यों?

उत्तर-
(क) सफ़िया ने सिख बीवी को लाहौर की यादें तरोताजी करा दीं।

(ख) सिख बीवी ने बताया कि वह भारत-पाक विभाजन के समय आई थी। अब यहाँ उनकी कोठी भी बन गई है। अच्छा खासा व्यापार चल रहा है परंतु उन्हें अभी भी लाहौर की याद आ रही है। लाहौर ही उनका वतन है।

(ग) सिख बीवी की बातों से पता चलता है कि मनुष्य का अपनी जन्मभूमि से बहुत अनुराग होता है। वह चाहे कितनी ही अच्छी जगह क्यों न चला जाए, जन्मभूमि की यादें उसका पीछा नहीं छोड़तीं।

(घ) सिख बीवी के व्यक्तित्व से मैं जन्मभूमि से प्रगाढ़, उत्कट प्रेम करने का गुण अपनाना चाहूँगा, क्योंकि यहीं की वायु, अन्न, अल ग्रहण करके हम पले हैं।

प्रश्न 3. 

"अरे, फिर वही कानून-कानून कहे जाते हो! क्या सब कानून हुकूमत के ही होते हैं, कुछ मुहब्बत, मुरौवत, आदमियत, इंसानियत के नहीं होते? आखिर कस्टम वाले भी इंसान होते हैं, कोई मशीन तो नहीं होते। "हाँ वे मशीन तो नहीं होते, पर मैं आपको यकीन दिलाता हूँ.. वे शायर भी नहीं होते। उनको तो अपनी ड्यूटी करनी होती हैं।"
"अरे बाबा, तो मैं कब कह रहीं हैं कि वह ड्यूटी न करें। एक तोहफ़ा है, वह भी चंद पैसों का, शोक से देख लें, कोई सोना-चाँदी नहीं, स्मगल की हुई कोई चीज़ नहीं, ब्लैक मार्केट का माल नहीं।
"अब आपसे कौन बहस करे। आप अदीब ठहरी और सभी अदीबों का दिमाग थोड़ा-सा तो जरूर ही घूमा होता है। वैसे मैं आपको बताए देता हूँ कि आप ले नहीं जा पाएँगी और बदनामी मुफ्त में हम सबकी भी होगी। आखिर आप कस्टम वालों को कितना जानती है?" उसने गुस्से से जवाब दिया, कस्टम वालों को जानें या न जानें, पर हम इंसानों को थोड़ा-सा जरूर जानते हैं। और रही दिमाग की बात, सो अगर सभी लोगों का दिमाग हम अदीबों की तरह घूमा हुआ होता तो यह दुनिया कुछ बेहतर ही जगह हो जाती, भैया।' 

प्रश्न
(क) कानून की बात क्यों हो रही हैं? किसे कानून की परवाह नहीं हैं।
(ख) तोहफा के बारे में सफिया क्या तर्क देती हैं।
(ग) अदीबों पर सफ़िया का भाई क्या टिप्पणी करता हैं?
(घ) सफिया भाई को क्या जवाब देती हैं।

उत्तर-
(क) सफ़िया सेर भर लाहौरी नमक भारत ले जाना चाहती है। पाकिस्तान में यह कार्य गैर-कानूनी है। अतः उसके संदर्भ में कानून की बात हो रही है। सफ़िया को कानून की परवाह नहीं है।

(ख) तोहफ़े के बारे में सफ़िया तर्क देती है कि वह कोई गैर-कानूनी व्यापार नहीं कर रही है। यह चोरी की चीज नहीं है। इंसानियत का मूल्य कानून से अधिक होता है।

(ग) सफिया का भाई अदीबों पर टिप्पणी करता है कि साहित्यकार भावुक होते हैं। उनका दिमाग थोड़ा घूमा हुआ होता है। वे कानून कायदे को कुछ नहीं समझते।

(घ) सफिया भाई को कहती है कि वह इंसानियत को जानती है। अगर सभी इंसानों का दिमाग साहित्यकारों की तरह भावना को समझ पाता तो संसार का रूप ही अलग होता।

प्रश्न 4.

अब तक सफ़िया का गुस्सा उतर चुका था। भावना के स्थान पर बुद्धि धीरे-धीरे उस पर हावी हो रही थी। नमक की पुड़िया ले तो जानी है, पर कैसे? "अगर इसे हाथ में ले लें और कस्टम वालों के सामने सबसे पहले इसको रख दें? लेकिन अगर कस्टम वालों ने न जाने दिया। तो मजबूरी है, छोड़ देंगे। लेकिन फिर उस वायदे का क्या होगा जो हमने अपनी माँ से किया था? हम अपने को सैयद कहते हैं। फिर वायदा कर झुठलाने के क्या मायने? जान देकर भी वायदा पूरा करना होगा। मगर कैसे? अच्छा, अगर इसे किनुओं की टोकरी में सबसे नीचे रख लिया जाए तो इतने कीनुओं के ढेर में भला कौन इसे देखेगा? और अगर देख लिया? नहीं जी, फलों की टोकरियाँ तो आते वक्त भी किसी की नहीं देखी जा रही थीं। उधर से केले, इधर से कीनू सब ही ला रहे थे, ले जा रहे थे। यही ठीक है, फिर देखा जाएगा।"


प्रश्न 
(क) भावना के स्थान पर बुद्धि के हावी होने का क्या तात्पर्य हैं।
(ख) सफ़िया के गुस्से का क्या कारण था?
(ग) सफिया के मन में क्या द्वंद्व चल रहा था?
(घ) अंत में सफ़िया ने क्या निर्णय लिया ?

उत्तर-
(क) भावना के कारण लेखिका अपने भाई के साथ तर्क-वितर्क कर रही थी। उसने नमक ले जाने से साफ मना कर दिया। गुस्सा उतर जाने के बाद उसने बुद्धि से अपने निर्णय के पक्ष-विपक्ष के बारे में सोचा।

(ख) सफिया सेर भर नमक तोहफे के तौर पर भारत ले जाना चाहती थी, परंतु उसके भाई ने ऐसा करने से मना कर दिया। इससे बदनामी भी हो सकती थी। कानून की बात पर सफ़िया गुस्से में थी।

(ग) सफ़िया के मन में यह द्वंद्व चल रहा था कि वह नमक को अपने हाथ में ले और सबसे पहले उसे कस्टम वालों के सामने रख दें। फिर उसने सोचा कि कस्टम वालों ने इसे ले जाने से मना कर दिया तो उसके द्वारा किए गए वायदे का क्या होगा।

(घ) अंत में सफ़िया ने निर्णय लिया कि वह नमक की पुड़िया को कीनुओं के ढेर के नीचे छिपा देगी। उसने आते वक्त देखा था कि फलों की टोकरियों की जाँच नहीं हो रही थीं। अतः ऐसा करने से उसका काम हो जाएगा।

प्रश्न 5. 

एक बार झाँककर उसने पुड़िया को देखा और उसे ऐसा महसूस हुआ मानो उसने अपने किसी प्यारे को कब्र की गहराई में उतार दिया हो। कुछ देर उखरू बैठी वह पुड़िया को तकती रही और उन कहानियों को याद करती रही जिन्हें वह अपने बचपन में अम्मा से सुना करती थी, जिनमें शहजादा अपनी रान चीरकर हीरा छिपा लेता था और देवों, खौफनाक भूतों तथा राक्षसों के सामने से होता हुआ सरहदों से गुजर आता था। इस जमाने में ऐसी कोई तरकीब नहीं हो सकती थी वरना वह अपना दिल चीरकर उसमें यह नमक छिपा लेती। उसने एक आह भरी। 

प्रश्न
(क) लेखिका बार बार पुड़िया को झाँककर क्यों दखती हैं?
(ख) अपने किसी प्यारे को कब्र की गहराइयों में उतार देने से लेखिका का क्या आशय हैं?
(ग) नमक लेखिका की परेशानी का कारण कैसे बन गया?
(घ) उसने एक आह भरी-कथन के आधार पर लेखिका की मानसिक दशा पर टिप्पणी कीजिए। [CBSE (Foreign), 2014]

उत्तर-
(क) सफिया कीनुओं की टोकरी में छिपाए नमक की पुड़िया को बार-बार इसलिए देख रही थी क्योंकि किसी ने नमक को उपहार स्वरूप मँगवाया था। सफ़िया इसे ले जाना चाहती थीं पर यह पाकिस्तानी कानून के विरुद्ध था।

(ख) अपने किसी प्यारे को कब की गहराइयों में उतार देने से लेखिका का आशय है कि अत्यंत सुरक्षित और प्रिय वस्तु को रखना ताकि वह खो न जाए।

(ग) नमक लेखिका की परेशानी का कारण इस तरह बन गया था कि लेखिका से उसकी सहेली ने पाकिस्तान से नमक ले जाने को कहा था। लेखिका नमक लेकर भारत आना चाहती थी पर सीमा पर गहन जाँच की जाती थी, जिससे पकड़े जाने का डर था क्योंकि यह पाकिस्तानी कानून के विरुद्ध था।

(घ) उसने एक आह भरी' कथन से ज्ञात होता है कि लेखिका की मानसिकता विवश इंसान जैसी है जो कोई काम करना चाहता है पर चाहकर भी नहीं कर पा रहा है। उसके पास कोई जादुई शक्ति नहीं है कि वह नमक को छिपाकर भारत लेकर चली जाए।

प्रश्न 6. 

रात को तकरीबन डेढ़ बजे थे। मार्च की सुहानी हवा खिड़की की जाली से आ रही थी। बाहर चाँदनी साफ़ और ठंडी थी। खिड़की के करीब लगा चंपा का एक घना दरख्त सामने की दीवार पर पत्तियों के अक्स लहका रहा था। कभी किसी तरफ़ से किसी की दबी हुई खाँसी की आहट, दूर से किसी कुत्ते के भौंकने या रोने की आवाज चौकीदार की सीटी और फिर सन्नाटा! यह पाकिस्तान था। यहाँ उसके तीन सगे भाई थे, बेशुमार चाहने वाले दोस्त थे, बाप की कब्र थी, नन्हे नन्हे भतीजे भतीजियाँ थीं जो उससे बड़ी मासूमियत से पूछते, फूफीजान, आप हिंदुस्तान में क्यों रहती हैं, जहाँ हम लोग नहीं जा सकते? उन सबके और सफ़िया के बीच में एक सरहद थी और बहुत ही नोकदार लोहे की छड़ों का जंगला, जो कस्टम कहलाता था।

प्रश्न
(क) रात्रि का वातावरण कैसा था?
(ख) पाकिस्तान में लेखिका के कौन-से प्रियजन रहते थे। वे उससे क्या प्रश्न करते थे।
(ग) लेखिका पाकिस्तान में क्यों नहीं रह सकती थी।
(घ) लेखिका के अनुसार कस्टम क्या है?

उत्तर-
(क) रात को खिड़की से सुहानी हवा आ रही थी। चाँदनी रात थी। चंपा के पेड़ की पत्तियों की परछाई सामने की दीवार पर दिखाई दे रही थी। कभी कुत्ते की रोने की आवाज या कभी किसी की दबी हुई खाँसी की आहट सुनाई देती थी।

(ख) पाकिस्तान में सफ़िया के तीन सगे भाई व चाहने वाले अनेक दोस्त थे। उसके पिता की कब्र भी यहीं थी। उसके छोटे-छोटे भतीजे- भतीजियाँ मासूमियत से उससे पूछते कि वे भारत में क्यों रहती हैं जहाँ वे नहीं आ सकते।

(ग) लेखिका पाकिस्तान में इसलिए नहीं रह सकती थी क्योंकि विभाजन के बाद उसने भारत में रहने का निर्णय किया था।

(घ) लेखिका कस्टम के बारे में बताती है कि सरहद पर नोकदार लोहे की छड़ों का जंगला 'कस्टम' कहलाता है।

प्रश्न 7. 

उन्होंने पुड़िया को धीरे से अपनी तरफ सरकाना शुरू किया। जब सफ़िया की बात खत्म हो गई तब उन्होंने पुड़िया को दोनों हाथों में उठाया, अच्छी तरह लपेटा और खुद सफ़िया के बैग में रख दिया। बैग सफ़िया को देते हुए बोले मुहब्बत तो कस्टम से इस तरह गुजर जाती हैं कि कानून हैरान रह जाता है। वह चलने लगी तो वे भी खड़े हो गए और कहने लगे, जामा मस्जिद की सीढ़ियों को मेरा सलाम कहिएगा और उन खातून को यह नमक देते वक्त मेरी तरफ से कहिएगा कि लाहौर अभी तक उनका वतन है और देहली मेरा, बाकी सब रफ़्ता-रफ़्ता ठीक हो जाएगा।' 

प्रश्न
(क) सफ़िया ने नमक की पुड़िया कस्टम अधिकारी के सामने क्यों रख दी?
(ख) कस्टम अधिकारी ने क्या किया?
(ग) “मुहब्बत तो कस्टम से इस तरह गुजर जाती हैं कि कानून हैरान रह जाता हैं।"-आशय स्पष्ट कीजिए।
(घ) 'बाकी सब रफ़्ता-रफ़्ता ठीक हो जाएगा।' -इस कथन से कस्टम अधिकारी क्या कहना चाहता हैं? [CBSE (outside), 2010]

उत्तर-
(क) सफ़िया प्यार के तोहफ़े को चोरी से नहीं ले जाना चाहती थी। इसलिए उसने नमक की पुड़िया कस्टम अधिकारी के सामने रख दी।

(ख) कस्टम अधिकारी ने सफ़िया की सारी बातें सुनीं और पुड़िया को दोनों हाथों से उठाकर अच्छी तरह लपेटकर स्वयं सफ़िया के बैग में रख दिया।

(ग) इसका अर्थ यह है कि प्रेम के तोहफे की कस्टम वाले जाँच नहीं करते। वे प्रेम की भेंट को ऐसे प्रेमपूर्वक भेज देते हैं कि कानून को इसकी भनक भी नहीं लगती।

(घ) कस्टम अधिकारी यह कहना चाहता है कि अभी तक दोनों देशों के लोग दूसरे देश को अपना वतन मानते हैं। यह भावनात्मक लगाव एक दिन विभाजन को भी समाप्त कर देगा।

प्रश्न 8. 

प्लेटफ़ार्म पर उसके बहुत-से दोस्त, भाई, रिश्तेदार थे, हसरत भरी नजरों, बहते हुए आँसुओं, ठंडी साँसों और भिचे हुए होठों को बीच में से काटती हुई रेल सरहद की तरफ बढ़ी। अटारी में पाकिस्तानी पुलिस उतरी, हिंदुस्तानी पुलिस सवार हुई। कुछ समझ में नहीं आता था कि कहाँ से लाहौर खत्म हुआ और किस जगह से अमृतसर शुरू हो गया। एक जमीन थी, एक जबान थीं, एक-सी सूरतें और लिबास, एक-सा लबो-लहजा और अंदाज थे, गालियाँ भी एक ही सी थीं जिनसे दोनों बड़े प्यार से एक-दूसरे को नवाज रहे थे। बस मुश्किल सिर्फ़ इतनी थी कि भरी हुई बन्दूकें दोनों के हाथों में थीं। 

प्रश्न
(क) क्यों पता नहीं लगता कि कहाँ लाहौर खत्म हुआ और कहाँ अमृतसर शुरू हुआ?
(ख) प्लेटफ़ॉर्म पर खड़े लोगों की दशा कैसी थी, और क्यों?
(ग) पाकिस्तान और हिंदुस्तान की पुलिस कहाँ बदली और क्यों?
(घ) आशय स्पष्ट कीजिए-'मुश्किल सिर्फ इतनी थी कि भरी हुई बदूकें दोनों के हाथों में थीं।"     [CBSE (Delhi), 2015]

उत्तर-
(क) लाहौर खत्म होने और अमृतसर शुरू होने का पता इसलिए नहीं लग पाया क्योंकि लाहौर और अमृतसर के लोगों के स्वभाव, व्यवहार, रहन-सहन, बात-चीत, संस्कार आदि में कोई अंतर नहीं दिख रहा था जबकि दोनों अलग-अलग देशों में स्थित हैं, पर उनके दिलों में कोई अंतर नहीं है।

 (ख) प्लेटफ़ॉर्म पर खड़े लोग आशा, उत्साह, सुख दुख की अलग अलग अनुभूति लिए खड़े थे। वे दुखी मन से ट्रेन से जाते लोगों को विदा कर रहे थे। उनकी ऐसी मनोदशा इसलिए थी क्योंकि कुछ अपने प्रियजनों-भाई, दोस्त और निकट संबंधिय-से अलग हो रहे थे।

(ग) पाकिस्तान और हिंदुस्तान की पुलिस अटारी रेलवे पर स्टेशन पर बदली क्योंकि वहीं से पाकिस्तान की सीमा खत्म और हिंदुस्तान की सीमा शुरू होती है। ट्रेन में बैठे यात्रियों की सुरक्षा का जिम्मा उन देशों की सीमा तक उनकी पुलिस का था।

(घ) हिंदुस्तान और पाकिस्तान की बोली भाषा, रहन-सहन में समानता इतनी थी कि एक दूसरे को इस आधार पर अलग करना कठिन था। दोनों का आचार-विचार व्यवहार एक था और वे परस्पर प्यार भी दर्शा रहे थे पर इन देशों के शीर्षस्थ व्यक्तियों को यह पसंद नहीं था। वे सुरक्षा के नाम पर भरी बंदूकें दिखाकर भय और असुरक्षा का वातावरण उत्पन्न कर रहे थे।

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