सहर्ष स्वीकारा है (काव्य-सौंदर्य /शिल्प-सौंदर्य)

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सहर्ष स्वीकारा है

काव्य सौंदर्य बोध संबंधी प्रश्न






पूरी कविता से काव्य-सौंदर्य/शिल्प-सौंदर्य के कुछ कॉमन पॉइंट्स: 


● इस पद में लाक्षणिक पदावली का प्रयोग हुआ है।
● सहज, सरल तथा साहित्यिक हिंदी भाषा का सफल प्रयोग हुआ है।
● शब्द चयन सर्वथा सटीक एवं भावाभिव्यक्ति में सहायक है।
● मुक्तक छंद का प्रयोग है तथा संबोधन शैली है।
● इस पद में वियोग श्रृंगार रस का परिपाक हुआ है।




निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-




1.

गरबीली गरीबी यह ये गंभीर अनुभव सब
यह विचार वैभव सब
दृढता यह भीतर की सरिता यह अभिनव सब
मौलिक है, मौलिक है।



प्रश्न

(क) 'गरीबी के लिए 'गरबीली विशेषण के प्रयोग से कवि का क्या आशय है ? स्पष्ट कीजिए ?
(ख) 'भीतर की सरिता क्या है?' मौलिक है, मौलिक है 'के' दोहराव से कथन में क्या विशेषता आ गई है।
(ग) काव्यांश की भाषा पर संक्षिप्त टिपण्णी कीजिए ?

उत्तर-
(क) कवि ने गरीबी के लिए 'गरबीली' विशेषण का प्रयोग किया है। गरबीली' से तात्पर्य 'स्वाभिमान' से है। वह गरीबी को महिमामंडित करना चाहता है। उसे अपनी गरीबी भी प्रिय है।

(ख) 'भीतर की सरिता का अर्थ है-कवि के हृदय की असंख्य कोमल भावनाएँ। कवि के मन में प्रिया के प्रति अनेक भावनाएँ उमड़ती। रहती हैं 'मौलिक है, मौलिक है के दौहराव से कवि अनुभूतियों की गहनता व्यक्त करता है।

(ग) कवि ने गरबीली, गंभीर आदि विशेषणों का सुंदर प्रयोग किया है। 'भीतर की सरिता' लाक्षणिक प्रयोग है। ‘विचार वैभव' में अनुप्रास अलंकार है। भावानुकूल तत्सम शब्दावली युक्त खड़ी बोली में सशक्त अभिव्यक्ति है।

2.
जाने क्या रिश्ता हैं, जानें क्या नाता हैं।
जितना भी ऊँडेलता हूँ भर भर फिर आता है।
दिल में क्या झरना है?
मीठे पानी का सोता हैं।
भीतर वह, ऊपर तुम
मुसकाता चाँद ज्यों धरती पर रात-भर
मुझ पर त्यों तुम्हारा ही खिलता वह चेहरा हैं।



प्रश्न

(क) भाव-संदर्य स्पष्ट कीजिए।
(ख) अलकार सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
(ग) भाषागत विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।

उत्तर-
(क) इन पंक्तियों द्वारा कवि के भावना प्रधान व्यक्तित्व का पता चलता है। वह अपने हृदय को मीठे जल के स्रोत के समान मानता है, जिसमें प्रेम जल कभी समाप्त नहीं होता। वह अपनी प्रियतमा से असीम प्रेम करता है। वह जितना प्रेम व्यक्त करता है, उतना ही वहबबढ़ता जाता है। वह अपनी प्रियतमा की तुलना चाँद से करता है।

(ख) जितना भी उँडेलता हूँ भर-भर फिर आता है में विरोधाभास अलंकार है। 'जाने क्या रिश्ता है, जाने क्या नाता है में प्रश्न अलंकारबहै। 'भर भर में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है। 'मुसकाता' रात भर में उत्प्रेक्षा अलंकार है। 'त्यों तुम्हारा में अनुप्रास अलंकार है।

(ग)
• सरल, सहज, भावानुकूल साहित्यिक खड़ी बोली है जो भावाभिव्यक्ति में समर्थ है।
• काव्य की रचना मुक्त छंद में हैं।
• भाषा में चित्रात्मकता का गुण विद्यमान है।

3.
सचमुच मुझे दंड दो कि भूलू में भूलें में
तुम्हें भूल जाने की
दक्षिण ध्रुवी अधिकार अमावस्या
शरीर पर चेहरे पर अंतर में पा लें में
झनँ मैं, उसी मैं नहा हूँ मैं
इसलिए कि तुमसे ही परिवेटित आच्छादित
रहने का रमणीय यह उजेला अब
सहा नहीं जाता है।
नहीं सहा जाता है।



प्रश्न

(क) अमावस्या के लिए प्रयुक्त विशेषणों से काव्यर्थ में क्या विशेषता आई है?
(ख) मैं तुम्हें भूल जाना चाहता हैं इस सामान्य कथन को व्यक्त करने के लिए कवि ने क्या युक्ति अपनाई हैं?
(ग) कवांश का शिल्प-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।

उत्तर-
(क) कवि ने अमावस्या के लिए दक्षिण ध्रुवी अंधकार' विशेषण का प्रयोग किया है। इससे कवि का अपराध बोध व्यक्त होता है। वह दक्षिणी ध्रुव के अंधकार में स्वयं को विलीन करना चाहता है ताकि प्रियतमा से अलग रह सके।

(ख) कवि ने इस सामान्य कथन को कहने के लिए स्वयं को दक्षिण ध्रुवी अंधकार अमावस्या में लीन करने की बात कही है। उसने स्वयं को भूलने के लिए इस युक्ति का प्रयोग किया है।

(ग)
० कवि ने खड़ी बोली में सहज अभिव्यक्ति की है।
० तत्सम शब्दावली का सुंदर प्रयोग है।
० 'अमावस्या', 'अंधकार' निराशा के प्रतीक हैं।
० 'दक्षिण ध्रुवी अंधकार-अमावस्या' में रूपक अलंकार है।
० 'अंधकार अमावस्था में अनुप्रास अलंकार है।

4.
सचमुच मुझे दंड दो कि हो जाऊँ
पाताली आँधेरे की गुहाओं में विवरों में
धुएँ के बादलों में
लापता की वहाँ भी तो तुहारा ही सहारा है ।



प्रश्न

(क) काव्याश का भाव-संदर्य स्पष्ट कीजिए।
(ख) काव्याश में प्रयुक्त किन्हीं दो प्रतीकों का प्रयोग-सौंदर्य समझाइए।
(ग) काव्यांश के भाषा-वैशिष्टय पर टिप्पणी कीजिए।

उत्तर-
(क) कवि अपनी प्रियतमा के स्नेह से आच्छादित है। वह मानता है कि पाताल के गहन अंधकार में एकांतवास की अवधि में भी उसे प्रिया का ही सहारा मिलेगा। वहाँ भी उसकी यादें उसके साथ होंगी, जिनके सहारे वह जीवन बिताएगा। इससे उसके प्रेम की गहराई काबपता चलता है।

(ख)'....पाताली अँधेरे की गुहाओं में विवरों में-शांत एवं एकांत स्थान का प्रतीक है और 'धुएँ के बादलों में-धोर एवं गहन औधेरे स्थान का प्रतीक है। इन स्थानों पर भी वह अपनी प्रिया की यादों के सहारे समय बिता लेगा।

(ग)
० कवि ने संबोधन शैली का प्रयोग किया है।
० लापता कि.......सहारा है।'' में विरोधाभास अलंकार है।
० 'पाताली अंधेरी गुफाओं, 'विवर' आदि शब्दों से अपराध बोध व्यक्त होता है।
० तत्सम शब्दावली का प्रयोग है।
० व्यंजना शब्द-शक्ति है।
० विशेषणों का सुंदर प्रयोग है।



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