Sample Paper of Hindi CBSE Class 10th 2021-22 | #2 | Term 1 Sample Paper Class 10 CBSE 2021-22 Hindi
निर्धारित समय : 90 मिनट
कक्षा-दसवीं (ए)पूर्णांक : 40
सामान्य निर्देशः-
1. इस प्रश्नपत्र में तीन खंड हैं- खंड-क, खंड-ख और खंड-ग।
2. इस प्रश्नपत्र में कुल 10 वस्तुपरक प्रश्न पूछे गए हैं। सभी प्रश्नों में उपप्रश्न दिए गए हैं। दिए गए निर्देशों का प्रावर
हुए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
3. खंड-क में कुल 20 प्रश्न पूछे गए हैं, दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए केवल 10 प्रश्नों के ही उत्तर दीजिए।
4. खंड-ख में कुल 20 प्रश्न पूछे गए हैं, दिए गए निर्देशों का पालन करते हुए केवल 16 प्रश्नों की ही उत्तर दीजिए।
5. खंड-ग में कुल 14 प्रश्न पूछे गए हैं। सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।
6. सही उत्तर वाले गोले को भली प्रकार से केवल नीली या काली स्याही वाले बॉल पाईंट पेन से ही ओ०एम०आर०शीट में
भरें।
खंड=क
अपठित गद्यांश
प्रश्न 1. नीचे दो गद्यांश दिए गए हैं। किसी एक गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए : (1x5-5)
वस्तुतः धर्म-निरपेक्ष कोई नेतिवाचक अवधारणा नहीं, सकारात्मक अवधारणा है। इसका अर्थ धर्म-विरोधी या अधार्मिक भी नहीं। सीधे-सादे रूप में इसका अर्थ है सभी धर्मों, आस्थाओं और विश्वासों के प्रति सम्मान तथा नास्तिकवाद सहित किसी भी धर्म को चुनना और पालन करने के अधिकार का प्रयोग। इस अधिकार का प्रयोग इस प्रकार होना चाहिए कि वह दूसरे व्यक्ति द्वारा इस अधिकार के प्रयोग के रास्ते में आड़े न आए। धर्म पालन सार्वजनिक व्यवस्था, नैतिकता और स्वास्थ्य के अनुरूप हो। धर्म-निरपेक्ष राज्य भले ही स्वयं को किसी विशेष धर्म के साथ न जोड़े, किंतु उसे यह वातावरण उपलब्ध कराना होगा, जिसमें सभी नागरिक इच्छानुकूल उपासना-पद्धति के अधिकार का प्रयोग कर सकें। लोकतंत्र में धर्मतंत्र का कोई मूल्य नहीं। लोकतांत्रिक और धर्मतांत्रिक राज्य साथ-साथ नहीं चल सकते। उदाहरणत: पाकिस्तान में लोकतांत्रिक पद्धति असफल रही। अरब राष्ट्रों ने इस पद्धति को स्वीकार ही नहीं किया। भिन्न-भिन्न धर्मानुयायियों के बीच भेद-भाव बताने वाला राज्य लोकतांत्रिक होने का दावा कैसे कर सकता है? क्योंकि वह सभी नागरिकों को समान मानने की लोकतंत्र की आधारभूत मान्यता के विपरीत है। इसलिए कहा जा सकता है कि लोकतंत्र और धर्म-निरपेक्ष राज्य का भविष्य परस्पर संबद्ध है।
क) धर्म-निरपेक्ष कैसी अवधारणा है ?
(ख) धर्म-निरपेक्ष का क्या अर्थ है ?
(ग) लोकतंत्र में किसका मूल्य नहीं है?
(घ) 'तांत्रिक' शब्द में किस प्रत्यय का प्रयोग है?
(ङ) इस गद्यांश के लिए कौन-सा शीर्षक सबसे अच्छा रहेगा?
अथवा
जब-जब समाज पथ भ्रष्ट हुआ है, तब-तब युग सर्जक की भूमिका का निर्वाह शिक्षकों ने बखूबी किया है। आज की दशा में भी जीवन मूल्यों की रक्षा का गुरुतर दायित्व शिक्षक पर ही आ जाता है। वर्तमान स्थिति में जीवन मूल्यों के संस्थापन का भार शिक्षकों पर पहले की अपेक्षा अधिक हो गया है क्योंकि आज का परिवार बालक के लिए सद्गुणों की पाठशाला जैसी संस्था नहीं रह गया है जहाँ से बालक एक संतुलित व्यक्तित्व की शिक्षा पा सके। शिक्षक, विद्यालय परिसर में छात्र के लिए आदर्श होता है। शिक्षक के हर क्रियाकलापों पर छात्रों की दृष्टि रहती है। प्राथमिक स्तर के छात्र तो अपने शिक्षकों के निर्देश को ब्रह्मवाक्य मानकर उनका अनुसरण करते हैं। यहाँ तक कि अपने माता-पिता की तुलना में शिक्षकों को अधिक सम्मान देते हैं। इस वर्ग के छात्र किसी अन्य की बातों को उतना महत्व नहीं देते जितना कि अपने शिक्षकों की बातों को वे महत्वपूर्ण समझते हैं। प्राथमिक स्तर के छात्रों का चित्त निर्मल होता है। यही काल छात्रों में जीवन मूल्यों के संस्थापन का उत्तम काल है। इस अवस्था के छात्रों के स्वच्छ एवं निर्विकार मन पर शिक्षक जो भाव अंकित करना चाहें, कर सकते हैं। इस समय मन पर पड़ने वाला प्रभाव स्थायी होता है। अत: इस स्तर पर शिक्षण कार्य में लीन शिक्षकों को अपने छात्रों को छोटी-छोटी नीति परक कथाएँ सुनाकर उनमें जीवन मूल्यों का बीजारोपण करना चाहिए।
क) समाज के भ्रष्ट होने पर शिक्षक ने क्या किया है?
(ख) जीवन-मूल्यों की रक्षा का भार किस पर आता है?
(ग) छात्रों की दृष्टि किस पर रहती है?
(घ) छात्र किसकी बातों को अधिक महत्वपूर्ण मानते हैं ?
(ङ) शिक्षक अपने छात्रों में किस प्रकार जीवन-मूल्यों का बीजारोपण कर सकते हैं?
चश्न 2. नीचे दो पद्यांश दिए गए हैं। किसी एक पद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और उस पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए: (1x5=5)
आज की यह सुबह है बहुत प्रीतिकर,
कह रही उठ नया काम कर, नाम कर।
जो अधूरी रही वह सुबह कल गई,
मान ले अब यही कुछ कमी रह गई,
ले नई ताज़गी यह सुबह आ गई,
कह रही-मीत उठ, बात कर कुछ नई,
ओ सृजन-दूत तू, शक्ति-संभूत तू,
क्यों खड़ा राह में अश्व यों थाम कर।
दूसरों की बनाई डगर छोड़ दे,
तू नई राह पर कारवाँ मोड़ दे,
फोड़ दे तू शिलाएँ चुनौती भरी
क्रूर अवरोध को निष्करुण तोड़ दे।
व्यर्थ जाने न पाए महापर्व यह-
जो स्वयं आ गया आज तेरी डगर।
क) सुबह क्या पैगाम दे रही है?
(ख) ताजगी भरी सुबह मनुष्य को क्या करने को कह रही है?
(ग) कवि ने मनुष्य को क्या कहकर संबोधित किया है ?
(घ) कवि मनुष्य को क्या करने के लिए प्रेरित कर रहा है?
(ङ) 'अवरोध' में किस उपसर्ग का प्रयोग हुआ है ?
अथवा
मैं नहीं चाहता चिर सुख,
चाहता नहीं अविरत दुख,
सुख-दुख की आँख-मिचौनी
खोले जीवन अपना मुख।
सुख-दुख के मधुर मिलन से
यह जीवन हो परिपूरन,
फिर घन से ओझल हो शशि,
फिर शशि से ओझल हो घन।
जग पीड़ित है अति दुख से
जग पीड़ित है अति सुख से,
मानव जग में बँट जाँवें
दुख-सुख से औ, सुख-दुख से।
अविरत दुख है उत्पीड़न,
अविरत सुख भी उत्पीड़न
सुख-दुख की निशा-दिवा में
सोता जगता जग-जीवन।
क) कवि सुख-दुख क्यों नहीं चाहता?
(ख) कवि ने शशि और घन का उदाहरण क्यों दिया है ?
(ग) कवि के अनुसार जीवन की सार्थकता है
(घ) संसार सोता-जगता है
(ङ) शशि का पर्यायवाची शब्द है
खंड ख
व्यावहारिक व्याकरण
3. निम्नलिखित में से किन्हीं चार के उत्तर दीजिए- (1x4=4)
(क) आश्रित उपवाक्य के कितने भेद होते हैं?
(ख) 'रमेश ने बहुत परिश्रम किया, किंतु वह प्रथम न आ सका।' –रचना के आधार पर वाक्य-भेद क्या है?
(ग) 'वह ज्यादा खाना खाकर मोटी हो गई है।' –संयुक्त वाक्य बनेगा
(घ) जैसे ही सोहन घर पहुँचा, वैसे ही बिजली चली गई।' - रचना के आधार पर वाक्य भेद है
(ङ) निम्नलिखित में मिश्र वाक्य कौन-सा है ?
4. निम्नलिखित में से किन्हीं चार के उत्तर दीजिए- (1x4=4)
(क) बच्चों ने विद्यालय की सफाई की।' -कर्मवाच्य में बदलिए
(ख) निम्नलिखित वाक्यों में कर्तृवाच्य वाला वाक्य है
(ग) 'कमलेश से हँसा नहीं जाता।' -वाच्य का भेद क्या है ?
(घ) 'पुलिस ने चोर को गोली मारी।' -वाच्य का भेद बताइए।
(ङ) आइए, यहाँ बैठते है-भाववाच्य में बदलिए।
5. निम्नलिखित में से किन्हीं चार के उत्तर दीजिए - (1४4=4)
(क) जल्दी करो, बारिश आने वाली है।-रेखांकित का पद-परिचय है
(ख) वह मैदान में खेल रहा है। -रेखांकित का पद-परिचय क्या है?
(ग) अरे वाह! तुम भी बैडमिंटन खेल सकते हो। -रेखांकित का पद-परिचय है
(घ) राकेश कल मुंबई जा रहा है। -रेखांकित का पद-परिचय बताइए।
(ङ) वह नीली साड़ी में लड़की कौन है? -रेखांकित का पद-परिचय बताइए।
6. निम्नलिखित में से किन्हीं चार के उत्तर दीजिए - (4)
(क) जिस पात्र के लिए भाव जाग्रत हो, उसे क्या कहते हैं?
(ख) श्रृंगार रस का स्थायी भाव क्या है?
(ग) हाथी जैसा देह, गैंडे जैसी चाल।
तरबूजे सी खोपड़ी, खरबूजे से गाल। - पंक्तियों में रस पहचानिए।
(घ) वह खून कहो किस मतलब का
आ सके देश के काम नहीं। -पंक्तियों में कौन-सा रस है?
(ङ) वीभत्स रस का संचारी भाव है
खंड ग
पाठ्य-पुस्तक
7. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त विकल्पों का चयन कीजिए (1*5-5)
कस्बा बहुत बड़ा नहीं था। जिसे पक्का मकान कहा जा सके वैसे कुछ ही मकान और जिसे बाजार कहा जा सके वैसे एक ही बाजार था। कस्बे में एक लड़कों का स्कूल, एक लड़कियों का स्कूल, एक सीमेंट का छोटा-सा कारखाना, दो ओपन एयर सिनेमाघर और एक ठो नगरपालिका भी थी। नगरपालिका थी तो कुछ-न-कुछ करती भी रहती थी। कभी कोई सड़क पक्की करवा दी, कभी कुछ पेशाबघर बनवा दिए, कभी कबूतरों की छतरी बनवा दी तो कभी कवि सम्मेलन करवा दिया। इसी नगरपालिका के किसी उत्साही बोर्ड या प्रशासनिक अधिकारी ने एक बार 'शहर' के मुख्य बाजार के मुख्य चौराहे पर नेताजी सुभाषचंद्र बोस की एक संगमरमर की प्रतिमा लगवा दी। यह कहानी उसी प्रतिमा के बारे में है, बल्कि उसके भी एक छोटे-से हिस्से के बारे में। पूरी बात तो अब पता नहीं, लेकिन लगता है कि देश के अच्छे मूर्तिकारों की जानकारी नहीं होने और अच्छी मूर्ति की लागत अनुमान और उपलब्ध बजट से कहीं बहुत ज्यादा होने के कारण काफी समय ऊहापोह और चिट्ठी-पत्री में बरबाद हुआ होगा और बोर्ड की शासनावधि समाप्त होने की घड़ियों में किसी स्थानीय कलाकार को ही अवसर देने का निर्णय किया होगा, और अंत में कस्बे के इकलौते हाई स्कूल के इकलौते ड्राइंग मास्टर-मान लीजिए मोतीलाल जी-को ही यह काम सौंप दिया गया होगा, जो महीने-भर में मूर्ति बनाकर 'पटक देने' का विश्वास दिला रहे थे।
(क) कस्बे में कितने बाजार थे?
(ख) निम्नलिखित में से नगरपालिका क्या काम नहीं करती थी?
(ग) नेताजी की मूर्ति किससे बनी थी?
(घ) नेताजी की मूर्ति बनाने का काम किसे सौंपा गया था?
(ङ) नेताजी की मूर्ति में क्या कमी थी?
৪. निम्नलिखित प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त विकल्प का चयन कीजिए- (1x2-2)
(क) बालगोबिन भगत की आयु कितनी थी?
(ख) मूर्ति की ऊँचाई कितनी थी?
9. निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के सर्वाधिक उपयुक्त विकल्पों का चयन कीजिए- (1x5-5)
ऊधौ, तुम हौ अति बड़भागी।
अपरस रहत सनेह तगा तै,
नाहिन मन अनुरागी।
पुरइनि पात रहत जल भीतर,
ता रस देह न दागी।
ज्यौं जल माँह तेल गागरि,
बूंद न ताकौं लागी।
प्रीति-नदी में पाउँ न बोरयौ,
दृष्टि न रूप परागी।
'सूरदास' अबला हम भोरी,
गुर चाँटी ज्यौं पागी।।
(क) गोपियों ने उद्धव को क्या कहा है?
(ख) 'प्रीति-नदी' में कौन-सा अलंकार है ?
(ग) गोपियाँ स्वयं को किसके समान बताती हैं?
(घ) गोपियों ने उद्धव की तुलना किससे की है ?
(ङ) उद्धव किसके उपासक थे?
10. निम्नलिखित में से सही विकल्प का चयन कीजिए - (2×1=2)
(क) धनुष को 'धनुही' किसने कहा?
(ख) भृगुकुलकेतु किसे कहा गया है?
😊😊😊
Thank sir ji
ReplyDeleteTHANKS SIR
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ReplyDeleteI got 40/40
ReplyDeleteSir 38 marks aaye h
ReplyDelete39 out of 40
ReplyDeleteSir 40 aye hai pure
ReplyDelete39 aaye
ReplyDeleteWe all r the same 😸😂😸😸😸😸😸😸😸
ReplyDelete40
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DeleteKhand A nhi kara time lagta hai
ReplyDeleteOr dono khand mai full hai 😊
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