2016 CBSE Class 10 Hindi PYQ | Class 10 Hindi PYQ | Class 10 Hindi PYQ Question | Class 10 Hindi PYQ Course A 2016

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2016 CBSE Class 10 Hindi PYQ | Class 10 Hindi PYQ | Class 10 Hindi PYQ Question | Class 10 Hindi PYQ Course A 2016



Hindi Course A 2016

खण्ड ''  

( अपठित बोध)


1. निम्नलिखित गद्यांश पढ़िए तथा नीचे दिए गए प्रश्नों के लिए सही विकल्प चुनकर लिखिए। [5]

निस्संदेह यह फैशन विद्यार्थियों के लिए महंगा सौदा है। वे घरवालों के लिए समस्या बन जाते हैं अध्यापक उन्हें सिर दर्द समझते हैं। समाज जो उन्हें भावी भारत समझता है उसकी आशाएँ निराधार हो जाती हैं, क्योंकि बचपन की चंचलता के कारण सस्ती भावना में भटककर वे अपने बहुमूल्य उद्देश्य 'विद्या' को भूल जाते हैं। हमारी वेशभूषा का अच्छा या बुरा प्रभाव दूसरों की अपेक्षा हम पर अधिक पड़ता है। उसका प्रभाव हमारी भौतिक उन्नति पर ही नहीं, चरित्र पर भी पड़ता है। अंग्रेजी के प्रसिद्ध विचारक और लेखक एमर्सन का कहना है कि सौम्य वेश से जो आत्मशांति मिलती है, वह धर्म से भी नहीं मिलती। सौम्य वेशधारी छात्र अपने मार्ग से भटकता नहीं है। उसका ध्यान केवल और केवल लक्ष्य पर केन्द्रित रहता है और ऐसे ही लोगों की आज जरूरत है, ताकि हमारा देश उन्नति की ओर निरन्तर अग्रसर रहे।


(i) आत्मशान्ति मिलती है।

(क) धर्म से

(ख) सेवा से

(ग) सौम्य वेश से

(घ) फैशन से

 

(ii) विद्यार्थी का बहुमूल्य उद्देश्य है

(क) धन कमाना

(ख) विद्या प्राप्ति

(ग) फैशन करना

(घ) महंगा सौदा


(iii) उसका प्रभाव हमारे चरित्र पर पड़ता है:

(क) हमारी चंचलता का

(ख) भावना का

(ग) स्वभाव का

(घ) वेशभूषा का


(iv) बुरा प्रभाव में बुरा किस प्रकार का विशेषण है?

 (क) परिमाणवाचक

(ख) सार्वनामिक

(ग) गुणवाचक

(घ) गणनावाचक

 

(v) "भौतिक" शब्द में मूलशब्द तथा प्रत्यय है

 (क) भूत + इक

(ख) भौत + इक

(ग) भूतिक +तिक

(घ) भूति + क


उत्तर- (i) (ग) सौम्य वेश से


(ii) (ख) विद्या प्राप्ति


(iii) (घ) वेशभूषा का


(iv) (ग) गुणवाचक


(v) (ख) भौत + इक


2. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और दिए गए प्रश्नों के उत्तर सही विकल्प चुनकर लिखिए- [5]

जब व्यक्ति स्वावलंबी होगा, उसमें आत्मनिर्भरता होगी, तो ऐसा कोई कार्य नहीं जिसे वह न कर सके। स्वावलंबी मनुष्य के सामने कोई भी कार्य आ जाए तो वह अपने दृढ़ विश्वास से अपने आत्मबल से उसे अवश्य ही संपूर्ण कर लेगा। स्वावलंबी मनुष्य जीवन में कभी भी असफलता का मुँह नहीं देखता। वह जीवन के हर क्षेत्र में निरंतर कामयाब होता जाता है सफलता तो स्वावलंबी मनुष्य की दासी बनकर रहती है जिस व्यक्ति का स्वयं अपने आप पर ही विश्वास नहीं वह भला क्या कर पाएगापरंतु इसके विपरीत जिस व्यक्ति में आत्मनिर्भरता होगी, वह कभी किसी के सामने नहीं झुकेगा वह जो करेगा सोच-समझ करधैर्य से करेगा। मनुष्य में सबसे बड़ी कमी स्वावलंबन का न होना है। सबसे बड़ा गुण भी मनुष्य की आत्मनिर्भरता ही है।


(i) गद्यांश के अनुसार मनुष्य का सबसे बड़ा गुण माना गया है-

(क) आत्मनिर्भरता

(ख) मधुर भाषण

(घ) सत्यवादिता

(ग) स्पष्टवादिता

(घ) सत्यवादिता

 

 (ii) स्वावलंबी व्यक्ति द्वारा किसी काम को कर डालने का मूल आधार होता है उसका-

(क) दृढ़ विश्वास और विवेक ।

(ख) स्पष्टवादिता और विवेक ।

(ग) आत्मबल और दृढ विश्वास ।

(घ) सत्यवादिता और आत्मबल ।


(iii) स्वावलंबी व्यक्ति की दासी होती है-

(क) असफलता

(ख) याचकता

(ग) दरिद्रता

(घ) सफलता


(iv) आत्मनिर्भर व्यक्ति का सहज गुण है कि वह

(क) धैर्यपूर्वक काम करता है।

(ख) प्रेमपूर्वक रहता है।

(ग) सोच-समझकर धैर्य से काम करता है।

(घ) अपने विवेक से सुखी रहता है।


(v) "कामयाब" शब्द है-

(क) तत्सम

(ख) तद्भव

(ग) देशज

(घ) आगत


उत्तर-

(i) (क) आत्मनिर्भरता


(ii) (ग) आत्मबल और दृढ़ विश्वास


 (iii) (घ) सफलता


 (iv) (ग) सोच-समझकर धैर्य से काम करता है


(v) (घ) आगत


3. निम्नलिखित पद्यांश पढ़ें तथा नीचे दिए गए प्रश्नों के लिए सही विकल्प चुनकर लिखें : [5]

यह बुरा है या कि अच्छा, व्यर्थ दिन इस पर बिताना,

जब असम्भव छोड़ यह पथ दूसरे पर पग बढ़ाना,

 तू इसे अच्छा समझ, यात्रा सरल इससे बनेगी,

सोच मत केवल तुझे ही यह पड़ा मन में बिठाना,

 हर सफल पंथी यही विश्वास ले इस पर बढ़ा है,

 तू इसी पर आज अपने चित्त का अपधान कर ले.

पूर्व चलने के बटोही बाट की पहचान कर ले।

कौन कहता है कि स्वप्नों को न आने दें हृदय में

देखते सब हैं इन्हें उसकी उमर अपने समय में

और तू कर यत्न भी तो मिल नहीं सकती सफलता, ये

उदय होते लिए कुछ ध्येय नयनों के लिये,

किन्तु जग के पथ पर यदि स्वप्न दो तो सत्य दो सौ,

स्वप्न पर ही मुग्ध मत हो, सत्य का भी ज्ञान कर ले

पूर्व चलने के बटोही बाट की पहचान कर ले।


(i) हर सफल व्यक्ति किस ध्येय को अपनाकर सफल हुआ है?

 (क) दृढ़ निश्चय

(ख) निरन्तर परिश्रम

(ग) आशावादिता

(घ) विश्वास


(ii) 'स्वप्न पर ही मुग्ध मत हो, सत्य का भी ज्ञान कर ले पंक्ति का आशय बताइए-

(क) हमें अच्छे-अच्छे स्वप्न देखने चाहिए

(ख) स्वप्नों से मोहित न होकर वास्तविकता का ज्ञान करना चाहिए

(ग) हमें स्वप्न भी देखने चाहिए तथा सत्य का ज्ञान भी करना चाहिए

(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं


(iii) बटोही और बाट से यहाँ क्या तात्पर्य है-

(क) रास्ता और राहगीर

(ख) लक्ष्य प्राप्ति के लिए प्रयत्नशील मनुष्य और उसका लक्ष्य मार्ग

(ग) मार्ग पर चलने वाला पथिक

(घ) पथिक और रास्ता


(iv) "कौन कहता है कि स्वप्नों को पंक्ति में अलंकार निर्देश कीजिए-

(क) अनुप्रास

(ख) श्लेष

(ग) उपमा

 (घ) रूपक


(v) उपर्युक्त का उचित शीर्षक दीजिए-

(क) बटोही

(ख) बाट

(ग) स्वप्न और सत्य

(घ) सफलता


उत्तर- (i) (क) विश्वास


(ii) (ख) स्वप्नों से मोहित न होकर वास्तविकता का ज्ञान करना चाहिए।


(iii) (घ) पथिक और रास्ता


(iv) (क) अनुप्रास अलंकार


(v) (ग) स्वप्न और सत्य


4. निम्नलिखित पद्यांश पढ़ें तथा नीचे दिए गए प्रश्नों के लिए सही विकल्प चुनकर लिखें- [5]

आओ मिलें सब देश बांधव हार बनकर देश के

साधक बने सब प्रेम से सुख शांतिमय उद्देश्य के

क्या साम्प्रदायिक भेद से है ऐक्य मिट सकता अहो?

बनती नहीं क्या एक माला विविधा सुमनों की कहो ।

रखो परस्पर मेल, मन से छोड़कर अविवेकता.

मन का मिलन ही है, होती उसी से एकता।

सब बैर और विरोध का बल बोध से वरण करो।

है भिन्नता में खिन्नता ही एकता धारण करो।

है कार्य ऐसा कौन सा साधो न जिसको एकता,

देती नहीं अद्भुत अलौकिक शक्ति किसको एकता ।

दो एक एकादश हुए किसने नहीं देखे सुने,

हाँ, शून्य के भी योग से हैं अंक होते दश गुने ।


(i) कवि किस प्रकार देशवासियों से मिलने की बात कर रहा है?

(क) विविध पुष्पों के हार के रूप में

(ख) सुख-शांति प्राप्त करने के लिए

(ग) संगठित हो जाने के लिए

(घ) फूलों का हार भेंट करके


(ii) देशवासियों के लिए एकता ही वरेण्य है, क्योंकि-

(क) एकता से अलौकिक शक्ति प्राप्त होती है।

(ख) एकता से सभी कार्य सिद्ध हो जाते हैं।

(ग) देश में एकता स्थायी नहीं रह सकती

(घ) (क) व (ख) दोनों ही


(iii) साम्प्रदायिक विविधता की तुलना की है-

(क)   देश में अनेक सम्प्रदाय फैले हैं

(ख)   अनेक प्रकार के फूलों से बनी माला से

(ग) धर्म सम्प्रदाय सुन्दर फूलों जैसे हैं 

(घ) उपर्युक्त में से कोई नहीं


(iv) दो एक एकादश हुए पंक्ति मुहावरे का काव्यात्मक प्रयोग हैं, वह मुहावरा है-

(क) दो और दो चार है

(ख) एक और एक ग्यारह हैं

(ग) दो और एक एकादश होते हैं

(घ) संगठन से ताकत आती है।


(v) उपर्युक्त गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक विकल्पों से छाँटिए-

(क) फूलों का हार

(ख) अनेकता में एकता

(ग) देशबांधव

(घ) साम्प्रदायिक सद्भाव


उत्तर- (i) (क) विविध पुष्पों के हार के रूप में


 (ii) (घ) (क) और (ख) दोनों ही


(iii) (ख) अनेक प्रकार के फूलों से बनी माला से


(iv) (ख) एक और एक ग्यारह है


(v) (ख) अनेकता में एकता


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( व्यावहारिक व्याकरण )


5. निम्नलिखित वाक्यों के रचना के आधार पर भेद लिखिए- [3]

(क) सरला अपने घर में बैठकर ही पढ़ती रहती है।

(ख) ज्यों ही घंटी बजी त्यों ही सभी छात्र घरों की ओर चल पड़े।

(ग) कठिन परिश्रम करो और पास होकर दिखाओ


उत्तर-

(क) सरल वाक्य


(ख) मिश्र वाक्य


(ग) संयुक्त वाक्य


6. निम्नलिखित वाक्यों में निर्देशानुसार वाच्य परिवर्तन कीजिए। [4]

(क) रामचन्द्र रोज रामायण पढ़ता है। (कर्मवाच्य में)

(ख) सुरेन्द्र द्वारा फुटबाल खेला जाता है। ( कर्तृवाच्य में)

 (ग) जगदीश तो रो भी नहीं सका। (भाववाच्य में)

(घ) श्यामसुंदर के घर कल कौन गीता पढ़ रहा था? (कर्मवाच्य में)


उत्तर-

(क) कर्मवाच्य रामचंद्र द्वारा रोज रामायण पढ़ी जाती है।


(ख) कर्मवाच्य सुरेन्द्र फुटबाल खेलता है।


(ग) भाववाच्य - जगदीश से तो रोया भी नहीं जा सका।


(घ) कर्मवाच्य - श्यामसुन्दर के घर कल किसके द्वारा गीता पढ़ी गई थी।


7. निम्नलिखित वाक्यों में रेखांकित पदों का पद-परिचय लिखिए। [4]

(क) भूषण वीर रस के कवि थे।

(ख) वह अपनी कक्षा का मॉनीटर है।

(ग) धीरे-धीरे जाओ और बाजार से पेन ले आओ।

(घ) हमेशा तेज चला करो।


उत्तर- पद परिचय :


भूषण व्यक्तिवाचक संज्ञा, एकवचन, पुल्लिंग कर्ताकारक 'कवि थे क्रिया का कर्ता


वह सर्वनाम, पुरुषवाचक सर्वनाम एकवचन, पुल्लिंग कर्ताकारक है क्रिया का कर्ता


और- समानाधिकरण समुच्चयबोधक, दो शब्दों को जोड़ता है।


 तेज- विशेषण क्रिया-विशेषण, 'चला करो' विशेषण का विशेष्य


8. निम्न प्रश्नों के निर्देशानुसार उत्तर दीजिए: [4]

(क) रौद्र रस का आलम्बन विभाव लिखिए।

(ख) श्रृंगार रस का उद्दीपन विभाव लिखिए।

(ग) राम का रूप निहारति जानकी कंकन के नग की परिछाही " में रस बताइये।

(घ) रीझहिं राजकुंवरि छवि देखी इनहिं बरहिं हरि जानि विशेखी में रस का उल्लेख कीजिए।


उत्तर-

(क) क्रोध दिलाने का कारण


(ख) आलम्बन का सौन्दर्य उसकी चेष्टाएँ प्रकृति उपवन, स्थल तथा अन्य सानुकूल चेष्टाएँ


(ग) संयोग श्रृंगार


(घ) वात्सल्य रस


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(पाठ्य पुस्तक)


9. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़िए और नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए। [2+2+1=5]

जीप कस्बा छोड़कर आगे बढ़ गई तब भी हालदार साहब इस मूर्ति के बारे में ही सोचते रहे और अन्त में इस निष्कर्ष पर पहुँचे किं कुल मिलाकर कस्बे के नागरिकों का यह प्रयास सराहनीय ही कहा जाना चाहिए। महत्त्व मूर्ति के रंग-रूप या कद का नहीं, उस भावना का है वरना तो देशभक्ति भी आजकल मजाक की चीज होती जा रही है दूसरी बार जब हालदार साहब उधर से गुजरे तो उन्हें मूर्ति में कुछ अन्तर दिखाई दिया। ध्यान से देखा तो पाया कि चश्मा दूसरा है। पहले मोटे फ्रेमवाला चौकोर चश्मा था, अब तार के मवाला गोल चश्मा है। हालदार साहब का कौतुक और बढ़ा वाह भई ! क्या आइडिया है। मूर्ति कपड़े नहीं बदल सकती लेकिन चश्मा तो बदल ही सकती है।


(क)   हालदार साहब को करने के नागरिकों का कौन-सा प्रयास सराहनीय लगा और उन्हें इसमें उनके किस भाव की अनुभूति हुई?

(ख)   दूसरी बार उधर से जाने पर हालदार साहब को मूर्ति में क्या अंतर दिखाई दिया और इससे उन्हें कैसा लगा?

(ग)    (ग) गद्यांश के पाठ का तथा लेखक का नाम लिखिए।


उत्तर-

(क) हालदार साहब को करने के लोगों का मूर्ति लगाने का काम सराहनीय लगा। उसमें उन्हें उनकी देशभक्ति की भावना की अनुभूति हुई।


(ख) दूसरी बार उधर से जाने पर हालदार साहब को मूर्ति का चश्मा बदला हुआ दिखा और उन्हें यह आइडिया अच्छा लगा।


(ग) नेताजी का चश्मा' पाठ का नाम व लेखक स्वयं प्रकाश


10. निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर दीजिए-

(क) बालगोबिन भगत बेटे की मृत्यु पर रोती हुई पतोहू से उत्सव मनाने को क्यों कह रहे थे? इस संदर्भ में उनका दर्शन किससे प्रभावित था? [2]

(ख) नवाब के थककर लेट जाने का कारण लेखक ने क्या बताया? [2]

(ग) लेखक ने फादर कामिल बुल्के को मानवीय करुणा की दिव्य चमक क्यों कहा है? [2]

(घ) मूर्ति के असली चश्मे के विषय में हालदार साहब की जिज्ञासा का पान वाले ने क्या कहकर समाधान किया? उस समाधान से चश्मा बदलने वाले के प्रति हालदार साहब की कैसी विचारधारा बनी और उन्होंने आज के लोगों तथा कौम के प्रति क्या चिंता प्रकट की? [2]

(ङ) बालगोबिन भगत ने अपने पुत्र की मृत्यु के बाद पतोहू के साथ कैसा व्यवहार किया? उनके इस व्यवहार को आप कहाँ तक उचित मानते हैं? [2]


उत्तर- (क)

भगत अपनी रोती हुई पतोहू को उत्सव मनाने के लिए आज इसलिए कह रहे थे क्योंकि उनका मानना था कि आज आत्मा परमात्मा से जा मिली है। इस संबंध में उनका दर्शन कबीर से प्रभावित था।


(ख) नवाब के थककर लेट जाने का कारण नवाब साहब का खीरे को धोना, काटना, सूंघना व पेट भर गया, इस नाटक का कारण बताया।


(ग) लेखक ने फादर कामिल बुल्के को मानवीय करुणा की दिव्य चमक इसलिए कहा क्योंकि फादर मानवीय स्वभाव से युक्त सन्यासी जैसी छवि वाले थे, सन्यासी की भाँति स्नेह, अपनत्व का भाव रखते थे। मानव कल्याण में जीवन समर्पण करते हुए भी वह सामान्य मनुष्यों की तरह संबंधों का निर्माण और निर्वाह करते थे।


(घ) मूर्ति के असली चश्मे के विषय में हालदार साहब की जिज्ञासा का पानवाले ने यह कहकर समाधान किया कि मास्टर मूर्ति पर चश्मा लगाना भूल गया था। उस समाधान से हालदार साहब की विचारधारा बनी कि देशभक्ति की सच्ची भावना आज भी जीवित है, परन्तु उन्हें यही चिन्ता थी कि वर्तमान पीढ़ी की घटती देशभक्ति और बढ़ते स्वार्थ के प्रति देश के भविष्य का क्या होगा?


(ङ) भगत ने अपने पुत्र की मृत्यु के बाद पतोहू के साथ बहुत अच्छा व्यवहार किया। उन्होंने उसे उसके भाई को सौंप दिया व पुनः उसका विवाह करने का आदेश दिया व उसके मना करने पर घर छोड़कर जाने की दलील दे डाली । उनके इस व्यवहार को हम पूर्ण रूप से उचित मानते हैं क्योंकि पति की मृत्यु के बाद पुनः विवाह न करना व वैसी ही जिन्दगी जीते रहना उचित नहीं है।


11. निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए- [2+2+1=5]

फसल क्या है?

और तो कुछ नहीं है वह

नदियों के पानी का जादू है वह

हाथों के स्पर्श की महिमा है

भूरी-काली- संदली मिट्टी का गुण-धर्म है

रूपांतर है सूरज की किरणों का

सिमटा हुआ संकोच है हवा की थिरकन का।


(क) फसल नदियों के पानी का जादू किस तरह है? स्पष्ट कीजिए ।

(ख) फसल किसका गुणधर्म होता है और किस तरह?

(ग) हवा फसल पर अपना प्रभाव किस रूप में डालती है?


उत्तर-

(क) फसल नदियों के पानी का जादू है क्योंकि इसी से सिंचित होकर फसल के रूप में परिणत होकर हमारे सामने आती है।


(ख) फसल मिट्टी का गुण-धर्म होता है क्योंकि जैसी मिट्टी होती है. फसल भी वैसी ही होती है।


(ग) हवा फसल को ऑक्सीजन देकर उसे बढ़ने में सहयोग देती है।


12. निम्नलिखित प्रश्नों के संक्षिप्त उत्तर दीजिए-

(क) मदन महीप जू को बालक बसंत ताहि में प्रयुक्त अलंकार का नाम लिखिए तथा पंक्ति का काव्य सौंदर्य स्पष्ट कीजिए । [2]

(ख) कवि ने जो सुख का स्वप्न देखा था उसे कविता में किस रूप में अभिव्यक्त किया है? [2]

(ग) कवि को बच्चे की मुस्कान किस वशता में और अधिक शोभाशाली लग उठती है? "यह दंतुरित मुस्कान' पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए । [2]

(घ) "कहीं साँस लेते हो, घर-घर भर देते हो पंक्ति में किसकी विशिष्टता व्यंजित हुई है? बताइए कि वह उसकी कौन-सी खूबी है जिससे घर-घर भर जाता है? 'अट नहीं रही है कविता के आधार पर उत्तर दीजिए। [2]

(ङ) सूरदास की काव्य-भाषा की दो प्रमुख विशेषताएँ बताइए? [2]


उत्तर-

(ग) कवि को बच्चे की मुस्कान उसके दाँत निकलने के बाद अधिक शोभाशाली लग उठती है क्योंकि जब वह हँसता हुआ उसकी झोंपड़ी में घूमता है, एक टक निहारता है, तो कवि उस पर मंत्रमुग्ध हो जाता है।


(घ) इस पंक्ति में फूलों की विशिष्टता व्यंजित हुई है। जब फागुन मास में चारों ओर फूल खिले होते हैं, उनकी सुगंध से घर-घर भर जाता है।


(ङ) सूरदास की काव्य भाषा की दो प्रमुख विशेषताएँ ये हैं-

(i) ब्रज भाषा में गोपियों का प्रेम संबंध, कृष्ण के प्रति अनन्य भक्ति ।

(ii) अलंकारों, व्यंग्यों के माध्यम से पदों में रोचकता


13. “छाती पर चढ़कर बाप की मूँछें उखाड़ता हुआ छोटा बच्चा बुरा क्यों नहीं लगता।" 'माता का अँचल' पाठ के आधार पर इस तथ्य का विश्लेषण करते हुए बताइए कि पिता बच्चों का लालन-पालन कैसे करते हैं। [5]


उत्तर- बच्चों के लालन-पालन में जितना हाथ माता का होता है, उतना पिता का हाथ भी होता है इस पाठ में पिता, भोलानाथ को शिक्षा देते हैं उसके साथ खेलते हैं क्योंकि यह संबंध पुत्र के व्यक्तित्व 1 के विकास में सहायक है प्रस्तुत वाक्य में जहाँ भोलानाथ पिता  की छाती पर बैठकर मूछ उखाड़ता है, वही पिता उसे चूमकर या रोने का बहाना बनाकर हटाने की कोशिश करते हैं, परन्तु पिता का वात्सल्य उसे गुस्सा नहीं होने देता। इसलिए पिता और पुत्र के बीच का लगाव सकारात्मक गुणों को विकसित करता है।


खण्ड ''

(लेखन)


14. दिए गए संकेत- बिंदुओं के आधार पर निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर 200-250 शब्दों में निबंध लिखिए।" [10]

मेरा भारत

भूमिका

भारत की परंपराएं

ज्ञानी तथा जगत्गुरु

विश्व का आकर्षण

विविधता में एकता

आजादी

कल्पनाएं

उपसंहार


अथवा


विद्यार्थी जीवन के लक्ष्य

भूमिका

विद्यार्थी जीवन की आवश्यकताएँ

व्यसनों से दूरी

विद्यार्थी की लक्ष्य केंद्रिकता

उपसंहार


अथवा


प्रकृति से छेड़खानी

भूमिका

छेड़खानी के स्वरूप

बढ़ता प्रदूषण

सुरक्षा और संरक्षण के उपाय

उपसंहार


उत्तर- मेरा भारत

 

भारत की सभ्यता और संस्कृति संसार की प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक है मानव संस्कृति के आदिम ग्रंथ ऋग्वेद की रचना इसी देश में हुई थी। भारत संसार के देशों का सिरमौर है। महान उर्दू कवि इकबाल ने ठीक ही कहा है

"युनानो मिस्र रूमां सब मिट गए जहाँ से,

 बाकी अभी तलक है नामोनिशां हमारा।

 कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी

 सदियों रहा है दुश्मन दौरे जमां हमारा।"

इकबाल की ये पंक्तियाँ भारत की परंपराएँ संस्कृति एवं सभ्यता की भव्यता के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करती हैं।

हमारे देश में अनेक मंत्रद्रष्टा, ज्ञानी, जगतगुरु, ऋषि-महात्माओं एवं विद्वानों ने जन्म लिया राम, कृष्ण, बुद्ध, नानक, महावीर आदि देवतुल्य युगपुरुषों ने इसी धरा पर जन्म लेकर इसका मान बढ़ाया। अनेकों बीर सत्यवादी धनुर्धर तथा कवियों ने यहां जन्म लिया। इस पावन पुण्य भूमि पर आर्यभट्ट, भास्कराचार्य, जगदीश चंद्र बसु आदि वैज्ञानिकों ने भारत की इस पावन धरा पर जन्म लिया।

भारत विश्व का आकर्षण और सभ्यता का जनक है। संसार के अन्य देश जब अशिक्षित तथा नग्नावस्था में थे, तब भी यह भारत देश उन्नति के चरमोत्कर्ष पर था। भारत ने ही मानव को सभ्यता का पहला पाठ पढ़ाया। इसी धरा ने अध्यात्म, ज्ञान, भक्ति तथा कर्म की त्रिवेणी विश्व में प्रवाहित की।

मेरा भारत देश विविधता में एकता के लिए जाना जाता है। यह देश विभिन्न धर्मों और संस्कृतियों का संगम स्थल है। हमारा देश अनेक धर्मों, मतों संप्रदायों, वादों तथा विभिन्न संस्कृतियों को समान रूप से फलने-फूलने तथा पल्लवित होने का अवसर प्रदान करता है भारतीय कला और कारीगरी को विश्व में हाथों-हाथ लिया जाता है इसी समृद्धि के कारण हमारा देश 'सोने की चिड़िया' कहलाता है।

लोकतंत्रीय देश होने के कारण यहाँ पर हरेक को अपनी बात कहने की आजादी है इसलिए यहाँ पर सरकार / शासक का गठन भारत के नागरिक के मतों के अनुसार होता है। जनता अपना प्रतिनिधि चुनकर संसद / विधानसभा में भेजती है। 'सर्वधर्म समभाव एवं सबका साथ सबका विकास यहाँ का मूलमंत्र है। भौतिकवादी जगत को तेन त्यक्तेन भुञजीथा: का आदर्श भारत ने ही दिया। सर्वे भवतु सुखिनः सर्वे संतु निरामया का पावन मार्ग भारत ने ही दिखाया 'बहुजन हिताय बहुजन सुखाय' वाली सभ्यता यह केवल इसी देश की देन है। हमारा भारत कई राज्यों की कला एवं संस्कृति को समेटे हुए है। सचमुच हमारा भारत देश बहुत सुंदर है। यहाँ सबमें वर्ण, लिंग, रंग, सम्प्रदाय तथा भाषाओं का भेद होने के बावजूद सभी सच्चे मन से पूरी तरह से भारतीय है आज भारत की गिनती विश्व के प्रमुख देशों में की जाती है मुझे भारतीय होने पर गर्व की अनुभूति होती है क्योंकि मुझे ऐसी महान एवं पुण्य-भूमि पर जन्म लेने का सौभाग्य मिला में बार-बार भारत की इस पावन भूमि पर जन्म लेना चाहूँगा ।


अथवा


विद्यार्थी जीवन के लक्ष्य

विद्यार्थी का अर्थ है विद्या पाने वाला, सीखने की इच्छा रखने वाला, ज्ञानार्जन का इच्छुक विद्यार्थी का सबसे पहला गुण जिज्ञासा, नित नये विषयों की जानकारी प्राप्त करना। विद्यार्थी जीवन का अर्थ है अनुशासित जीवन रखकर ज्ञानार्जन करना। अर्थात् अपने जीवन को कड़े परिश्रम तथा बाधाओं को पार कर एक बड़ा मुकाम हासिल करना अनुशासन जीवन के लिए परमावश्यक है तथा उसकी प्रथम पाठशाला है विद्यार्थी जीवन । वैसे विद्यार्थी जीवन स्वयं में लक्ष्य केंद्रित होता है विषयों के चुनाव के आधार पर सभी विद्यार्थी अपना लक्ष्य तय करते हैं तथा उसे पाने के लिए जी तोड़ मेहनत करते हैं। इसके लिए विद्यार्थी की नींव मजबूत होनी चाहिए जो उसे एक अनुशासित विद्यालयों से मिलती है परिणामतः विद्यार्थी जीवन में अच्छी सफलता प्राप्त करते हैं। विषयों के आधार पर विद्यार्थी अभियांत्रिकी, चिकित्सा, प्रशासनिक, कलाकार, सेना इत्यादि को अपने जीवन का लक्ष्य बनाते हैं। तद्नुसार शुरुआत से ही उसकी तैयारी करते हैं ताकि सफलता हासिल हो सके जीवन मधुर तथा सुविधापूर्ण बने। सच्ची लगन ही सफलता का पर्याय है।

कुकुरमुत्तों की तरह खुले बहुतांश विद्यालयों में अनुशासनहीनता चरम पर है जिस कारण विद्यार्थी अपने लक्ष्य से भटक जाते हैं व्यसनों के आदी हो जाते हैं बुरी संगत उन्हें अपने जीवन के बहुमूल्य समय को नष्ट करा देती है। ऐसे समय जबकि उन्हें अपनी पढ़ाई और लक्ष्य को केंद्रित करना चाहिए परन्तु वे आज का काम कल पर और कल का काम परसों पर टालकर अपने जीवन के लिए मुसीबत इकट्ठी कर लेते हैं।

बड़े-बड़े विद्वान ज्ञानी महापुरुषों की अगर जीवनी का अवलोकन करें तो उन्होंने विद्यार्थी जीवन बहुत कम साधनों और आवश्यकताओं में गुजारा उनके घर की माली हालत अच्छी न  होते में हुए भी अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति और परिश्रम के सहारे जीवन मुकाम हासिल किया व्यसनों व बुरी संगत से हमेशा दूर रहे। T अनुशासित जीवन को अपना लक्ष्य रखा। अर्जुन के निशाने की तरह अपने विद्यार्थी जीवन काल से ही लक्ष्य केंद्रिकता बनाये रखी और उसे हासिल भी किया विद्यार्थी इन महापुरुषों का अनुसरण करें उनको अपना आदर्श मानें।

राष्ट्र की उन्नति के लिए अच्छे व्यक्ति का निर्माण आवश्यक है। इसकी नींव विद्यार्थी जीवन ही है विद्यार्थी विषयवार एवं अपनी 1 रुचि के अनुसार इच्छाशक्ति के साथ अपने लक्ष्य को अगर केंद्रित करे तो वह जीवन के सुख भोगने का हकदार होगा तथा उसका राष्ट्र के निर्माण में भी योगदान रहेगा।


अथवा


प्रकृति से छेड़खानी

प्रकृति स्वभाव से प्राणियों की सहचरी रही है। प्रकृति-सौंदर्य ईश्वरीय सृष्टि की अलौकिक, अद्भुत, अनंत, असीम तथा विलक्षण कला है। पर्वतों की सुरम्य घाटियों, उनके हिम मंडित शिखर, कल-कल बहती नदियाँ, झर झर झरते झरने, फल-फूलों से लदे वृक्ष, भाँति-भाँति के सुमन, विस्तृत हरियाली, आसमान में उड़ते भाँति-भाँति के पक्षी, सूर्योदय के समय आकाश में बिखरे स्वर्णिम जावक, सूर्यास्त के समय ढलते सूर्य की लाली रात्रि में चमकते नक्षत्रगण, चाँदनी रात भला किसका मन नहीं मोह लेते "उषा सुनहरे तीर बरसती जय लक्ष्मी सी उदित हुई।" परंतु दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि मनुष्य ने विज्ञान की शक्ति पाकर प्रकृति से छेड़छाड़ प्रारंभ कर दी है, उसका दोहन प्रारंभ कर दिया। उसका नतीजा यह रहा कि वातावरण, जल,  वायु तथा ध्वनि से प्रदूषित हो गया। धीरे-धीरे मनुष्य प्राकृतिक सुखों से वंचित होता गया। 

वनों को नष्ट कर लकड़ी का उपयोग करना, पहाड़ों को काटकर रास्ते व रेल लाईन बिछाना, अत्यधिक औद्योगिकीकरण कर वायु तथा जल प्रदूषण करना । अत्यधिक शहरीकरण कर संसाधनों को प्राप्त करने हेतु प्रकृति की बलि चढ़ाना। ऐसे विभिन्न तरह के प्रकृति से छेड़खानी के स्वरूप का असर मानव पर पड़ चुका है रोगों में वृद्धि होती जा रही है। प्रकृति का क्षरण होने के कारण मनुष्य को साँस लेने में तकलीफ हो रही है। शुद्ध वायु का अभाव होता जा रहा है। बेमौसमी बरसात तथा पर्यावरण प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। प्राकृतिक असंतुलन का दौर चल रहा है कारण एक ही मनुष्य द्वारा प्रकृति से की गई छेड़छाड़ 'ग्लोबल वार्मिंग' इसी का परिणाम है।

आज आवश्यकता है प्रकृति को वापस अपनी पूर्व अवस्था में लाने हेतु उसकी सुरक्षा और संरक्षण के उपाय लागू किये जायें। अन्यथा पृथ्वी पर प्राणी का अस्तित्व समाप्त हो जायेगा। प्रकृति को अपना सहचरी समझकर उसका सम्मान करें। उसके साथ सामंजस्य स्थापित करे विश्व भर में प्रदूषण से बचने तथा पर्यावरण की रक्षा का प्रयास किया जा रहा है 5 जून को पूरे विश्व में पर्यावरण दिवस' मनाया जाता है। यह इस बात का प्रमाण है कि अब मनुष्य ने प्रकृति के महत्व को स्वीकार कर लिया है तथा उसकी सुरक्षा और संरक्षण के हर संभव प्रयास की ओर गंभीरता से विचार करने पर विवश हुआ है। विश्व को समझ में आ गया है कि जिस प्रकृति से छेड़छाड़ तथा दोहन करने की नीति अपना रखी थी, वह वाकई में भूल थी इसलिए समय रहते इस भूल को सुधारकर प्रकृति को सहेजने का कार्य किया जाए जो कि आने वाली पीढ़ी के लिए वरदान साबित होगा।


15. अपनी योग्यता तथा खेलों में रुचि का परिचय देते हुए अपने विद्यालय के प्रधानाचार्य महोदय को विद्यालय के वार्षिकोत्सव के अवसर पर आयोजित खेलों में भाग लेने की अनुमति के लिए प्रार्थना पत्र लिखिए। [5]


उत्तर-

परीक्षा भवन,

 गाजियाबाद।

सेवा में, श्रीमती

प्रधानाचार्या जी,

दयानन्द बाल मन्दिर,

गाजियाबाद.

दि. 27 नवम्बर, 20XX

विषय- वार्षिकोत्सव में आयोजित खेलकूद में भाग लेने के लिए पत्र

महोदया,

सविनय निवेदन यह है कि मैं आपके विद्यालय की दसवीं की छात्रा हूँ। आज ही कक्षाध्यापिका से वार्षिकोत्सव में खेलकूद प्रतियोगिता के आयोजन के विषय में सुना जैसा आपको विदित है कि इस बार राष्ट्रीय व स्कूली स्तर पर आयोजित कई प्रतियोगिताओं में मैंने भाग लिया है व पुरस्कार भी जीते हैं मेरा आपसे यही निवेदन है कि मुझे आप विद्यालय की इन प्रतियोगिताओं में खेलने की अनुमति प्रदान करें। आपकी अति कृपा होगी।

सधन्यवाद!

आपकी आज्ञाकारी शिष्या,

क. ख. ग.

कक्षा दसवीं (अ)


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5Comments

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  1. Sir thode difficult
    milange

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  2. सर ईमेल मे धन्यवाद लिखना ज़रूरी है?

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  3. Thanks for This Help Sir😊

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