2017 CBSE Class 10 Hindi PYQ | Class 10 Hindi PYQ | Class 10 Hindi PYQ Question | Class 10 Hindi PYQ Course A 2017
Hindi Course A
Outside Delhi Term-II [Set-I]
खण्ड 'क'
1. निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों
के लिए सही विकल्प चुनकर लिखिए- [1
× 5 = 5]
लोकतन्त्र के मूलभूत तत्व को समझा नहीं गया है और इसलिए लोग समझते हैं कि सब कुछ सरकार कर देगी. हमारी कोई जिम्मेदारी नहीं है। लोगों में अपनी पहल से जिम्मेदारी उठाने और निभाने का संस्कार विकसित नहीं हो पाया है। फलस्वरूप देश की विशाल मानव-शक्ति अभी खर्राटे लेती पड़ी है और देश की पूँजी उपयोगी बनाने के बदले आज बोझरूप बन बैठी है। लेकिन उसे नींद से झकझोर कर जागृत करना है। किसी भी देश को महान बनाते हैं उसमें रहने वाले लोग। लेकिन अभी हमारे देश के नागरिक अपनी जिम्मेदारी से बचते रहे हैं चाहे सड़क पर चलने की बात हो अथवा साफ-सफाई की बातें हो, जहाँ-तहाँ हम लोगों को गन्दगी फैलाते और बेतरतीब ढंग से वाहन चलाते देख सकते हैं। फिर चाहते हैं कि सब कुछ सरकार ठीक कर दे।
सरकार ने बहुत सारे कार्य किए हैं, इसे अस्वीकार नहीं किया जा सकता है। वैज्ञानिक प्रयोगशालाएँ खोली हैं. विशाल बाँध बनवाए हैं, फौलाद के कारखाने खोले हैं आदि-आदि बहुत सारे काम सरकार के द्वारा हुए हैं। पर अभी करोड़ों लोगों को कार्य में प्रेरित नहीं किया जा सका है।
वास्तव में
होना तो यह चाहिए कि लोग अपनी सूझ-बूझ के साथ अपनी आन्तरिक शक्ति के बल पर खड़े
हों और अपने पास जो कुछ साधन-सामग्री हो उसे लेकर कुछ करना शुरू कर दें। और फिर
सरकार उसमें आवश्यक मदद करे। उदाहरण के लिए, गाँव
वाले बड़ी-बड़ी पंचवर्षीय योजनाएँ नहीं समझ सकेंगे, पर
वे लोग यह बात जरूर समझ सकेंगे कि अपने गाँव में कहाँ कुआँ चाहिए, कहाँ
सिंचाई की जरूरत है, कहाँ पुल की आवश्यकता हैं बाहर के लोग इन सब
बातों से अनभिज्ञ होते हैं।
(क)
लोकतन्त्र का मूलभूत तत्व है-
(i) कर्तव्य पालन
(ii) लोगों का राज्य
(iii) चुनाव
(iv) जनमत
(ख) किसी देश
की महानता निर्भर करती है-
(i) वहाँ की सरकार पर
(ii) वहाँ
के निवासियों पर
(iii) वहाँ के इतिहास पर
(iv) वहाँ
की पूँजी पर
(ग) सरकार के कामों के बारे में कौन-सा कथन सही
नहीं है ?
(i) वैज्ञानिक
प्रयोगशालाएँ बनवाई हैं
(ii) विशाल बाँध बनवाए हैं
(iii) वाहन
चालकों को सुधारा है
(iv) फौलाद के कारखाने खोले हैं।
(घ) सरकारी व्यवस्था में किस कमी की ओर लेखक ने
संकेत किया है?
(i) गाँव से जुड़ी समस्याओं के निदान में ग्रामीणों
की भूमिका को नकारना
(ii) योजनाएँ ठीक से न बनाना
(iii) आधुनिक जानकारी का अभाव
(iv) जमीन से जुड़ी समस्याओं की ओर ध्यान न देना
(ङ) झकझोर कर जागृत करना" का भाव गद्यांश
के अनुसार होगा-
(i) नींद से जगाना
(ii) सोने न देना
(iii) जिम्मेदारी निभाना
(iv) जिम्मेदारियों के प्रति सचेत
उत्तर- (क) (i) कर्त्तव्यपालन करना
(ख) (ii) वहाँ के
निवासियों पर
(ग) (iii) वाहन
चालकों को सुधारा है
(घ) (i) गाँव से
जुड़ी समस्याओं के निदान में ग्रामीणों की भूमिका को नकारना
(ङ) (iv) जिम्मेदारियों
के प्रति सचेत करना
2. निम्नलिखित
गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के लिए सही विकल्प चुनकर
लिखिए- [1 × 5 = 5]
हरियाणा
के पुरातत्व विभाग द्वारा किए गए अब तक के शोध और खुदाई के अनुसार लगभग 5500
हेक्टेयर में फैली यह राजधानी ई.सा. से लगभग 3300
वर्ष पूर्व मौजूद थी। इन प्रमाणों के आधार पर यह तो तय हो ही गया है कि राखीगढ़ी
की स्थापना उससे भी सैकड़ों वर्ष पूर्व हो चुकी थी।
अब तक यही
माना जाता रहा है कि इस समय पाकिस्तान में स्थित हड़प्पा और मोहनजोदड़ो ही
सिन्धुकालीन सभ्यता के मुख्य नगर थे राखीगढ़ी गाँव में खुदाई और शोध का काम
रुक-रुक कर चल रहा है। हिसार का यह गाँव दिल्ली से मात्र एक सौ पचास किलोमीटर की
दूरी पर है। पहली बार यहाँ 1963 में खुदाई हुई थी और तब इसे सिन्धु-सरस्वती
सभ्यता का सबसे बड़ा नगर माना गया। उस समय के शोधार्थियों ने सप्रमाण घोषणाएँ की
थीं कि यहाँ दबे नगर, कभी मोहनजोदड़ो और हड़प्पा से भी बड़ा रहा
होगा।
अब सभी शोध
विशेषज्ञ इस बात पर सहमत हैं कि राखीगढ़ी, भारत-पाकिस्तान
और अफगानिस्तान का आकार और आबादी की दृष्टि से सबसे बड़ा शहर था। प्राप्त विवरणों
के अनुसार समुचित रूप से नियोजित इस शहर की सभी सड़कें 1.92
मीटर चौड़ी थीं। यह चौड़ाई कालीबंगन की सड़कों से भी ज्यादा है। एक ऐसा बर्तन भी
मिला है, जो सोने और चाँदी की परतों से ढका है। इसी स्थल
पर एक फाउंड्री के भी चिन्ह मिले हैं, जहाँ सम्भवतः
सोना ढाला जाता होगा। इसके अलावा टैराकोटा से बनी असंख्य प्रतिमाएँ ताँबे के बर्तन
और कुछ प्रतिमाएँ और एक भट्टी के अवशेष भी मिले हैं।
मई 2012 में
'ग्लोबल हैरिटेज फण्ड ने इसे एशिया के दस ऐसे
विरासत स्थलों की सूची में शामिल किया है, जिनके
नष्ट हो जाने का खतरा है।
राखीगढ़ी का पुरातात्विक महत्व विशिष्ट है। इस समय यह क्षेत्र पूरे विश्व के पुरातत्व विशेषज्ञों की दिलचस्पी और जिज्ञासा का केन्द्र बना हुआ है। यहाँ बहुत से काम बकाया हैं, जो अवशेष मिले हैं, उनका समुचित अध्ययन अभी शेष है उत्खनन का काम अब भी अधूरा है।
(क) अब सिन्धु-सरस्वती सभ्यता का सबसे बड़ा नगर किसे मानने की सम्भावनाएं हैं?
(i) मोहनजोदड़ो
(ii) राखीगढ़ी
(iii) हड़प्पा
(iv) कालीबंगा
(ख) चौड़ी सड़कों से स्पष्ट होता है कि-
(i) यातायात के साधन थे
(ii) अधिक
आबादी थी
(iii) शहर नियोजित था
(iv) बड़ा शहर था
(ग) इसे
एशिया के विरासत स्थलों में स्थान मिला, क्योंकि-
(i) नष्ट
हो जाने का खतरा है
(ii) सबसे विकसित सभ्यता है
(iii) इतिहास
में इसका नाम सर्वोपरि है
(iv) यहाँ विकास की तीन परतें मिली हैं।
(घ) पुरातत्व - विशेषज्ञ राखीगढ़ी में विशेष
रुचि ले रहे हैं, क्योंकि-
(i) काफी प्राचीन और बड़ी सभ्यता हो सकती है।
(ii) इसका समुचित अध्ययन शेष है
(iii) उत्खनन का कार्य अभी अधूरा है
(iv) इसके बारे में अभी अभी पता लगा है
(ङ) गद्यांश का
उपयुक्त शीर्षक होगा-
(i) राखीगढ़ी एक सभ्यता की सम्भावना
(ii) सिन्धु घाटी सभ्यता
(iii) विलुप्त
सरस्वती की तलाश
(iv) एक विस्तृत शहर राखीगढ़ी
उत्तर-
(क) (ii)
राखीगढी
(ख) (iii) शहर नियोजित
था
(ग) (i) नष्ट हो जाने
का खतरा है।
(घ) (iii) उत्खनन
का कार्य अभी अधूरा है।
(ङ) (i) राखीगढ़ी एक
सभ्यता की सम्भावना
3. निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों
के लिए सही विकल्प चुनकर लिखिए- [1 × 5 = 5]
एक दिन तने
ने भी कहा था,
जड़? जड़
तो जड़ ही है;
जीवन
से सदा डरी रही है,
और यही है
उसका सारा इतिहास
कि जमीन में
मुँह गड़ाए पड़ी रही है;
लेकिन मैं
जमीन से ऊपर उठा
बाहर निकला, बढ़ा
हूँ
मजबूत बना
हूँ, इसी से तो तना हूँ,
एक दिन डालों
ने भी कहा था,
तना? किस
बात पर है तना?
जहाँ बिठाल
दिया गया था वहीं पर है बना;
प्रगतिशील
जगती में तिल-भर नहीं डोला है
खाया है, मोटाया
है, सहलाया चोला है:
लेकिन हम तने
से फूटीं, दिशा-दिशा में गयीं
ऊपर उठीं
नीचे आयीं
हर हवा के
लिए दोल बनीं, लहराई,
इसी से तो
डाल कहलाई ।
(पत्तियों ने
भी ऐसी ही कुछ कहा, तो)
एक दिन फूलों
ने भी कहा था, पत्तियाँ ?
पत्तियों ने
क्या किया?
संख्या के बल
पर बस डालों को छाप लिया,
डालों के बल
पर ही चल-चपल रही हैं.
हवाओं के बल
पर ही मचल रही हैं;
लेकिन हम
अपने से खुले, खिले, फूले हैं
रंग लिए रस
लिए, पराग लिए-
हमारी
यश-गन्ध दूर-दूर-दूर फैली है,
भ्रमरों ने
आकर हमारे गुन गाए हैं,
हम पर बौराए
हैं।
सब की सुन
पाई है, जड़ मुसकराई है !
(क) तने का
जड़ को जड़ कहने से क्या अभिप्राय है?
(i) मजबूत
है
(ii) समझदार
है
(iii) मूर्ख
है
(iv) उदास
है
(ख) डालियों
ने तने के अहंकार को क्या कहकर चूर-चूर कर दिया?
(i) जड़
नीचे है तो यह ऊपर है।
(ii) यों
ही तना रहता है
(iii) उसका
मोटापा हास्यास्पद है।
(iv) प्रगति
के पथ पर एक कदम भी नहीं बढ़ा
(ग) पत्तियों
के बारे में क्या नहीं कहा गया है?
(i) संख्या
के बल से बलवान हैं। ।
(ii) हवाओं
के बल पर डोलती हैं
(iii) डालों
के कारण चंचल हैं
(iv) सबसे
बलशाली हैं
(घ) फूलों ने
अपने लिए क्या नहीं कहा ?
(i) हमारे
गुणों का प्रचार-प्रसार होता है
(ii) दूर-दूर
तक हमारी प्रशंसा होती है
(iii) हम
हवाओं के बल पर झूमते हैं।
(iv) हमने
अपना रूप - स्वरूप खुद ही सँवारा है
(ङ) जड़
क्यों मुसकराई?
(i) सबने
अपने अहंकार में उसे भुला दिया
(ii) फूलों
ने पत्तियों को भुला दिया
(iii) पत्तियों
ने डालियों को भुला दिया
(iv) डालियों ने तने को भुला दिया
उत्तर- (क) (iv) उदास
है।
(ख) (iv) प्रगति के पथ
पर एक कदम भी नहीं बढ़ा
(ग) (iv) सबसे
बलशाली हैं।
(घ)
(iii) हम हवाओं के
बल पर झूमते हैं।
(ङ) (i) सबने अपने
अहंकार में उसे भुला दिया
4. निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों
के लिए सही विकल्प चुनकर लिखिए- [1 × 5 = 5]
ओ देशवासियों
बैठ न जाओ पत्थर से,
ओ देशवासियों
रोओ मत तुम यों निर्झर से,
दरख्वास्त
करें, आओ, कुछ अपने
ईश्वर से
वह सुनता है
गमजदों और
रंजीदों की।
जब सार
सरकता-सा लगता जग-जीवन से
अभिषिक्त
करें, आओ, अपने को इस
प्रण से- हम कभी न मिटने देंगे भारत के मन से दुनिया ऊँचे आदर्शों की,
उम्मीदों की
साधना एक
युग-युग अन्तर में ठनी रहे
यह भूमि
बुद्ध बापू से सुत की जनी रहे;
प्रार्थना एक
युग-युग पृथ्वी पर बनी रहे
यह जाति
योगियों, सन्तों
और शहीदों
की।
(क) कवि
देशवासियों को क्या कहना चाहता है?
(i) निराशा और जड़ता छोड़ो
(ii) जागो
आगे बढ़ो
(iii) पढ़ो
लिखो, कुछ करो
(iv) डरो
मत, ऊँचे चढ़ो
(ख) कवि
किसकी और किससे प्रार्थना की बात कर रहा है?
(i) भगवान
और जनता
(ii) दुखी
लोग और ईश्वर
(iii) देशवासी
और सरकार
(iv) युवा
वर्ग और ब्रिटिश सत्ता
(ग) कवि
भारतीयों को कौन-सा संकल्प लेने को कहता है ?
(i) हम
भारत को कभी न मिटने देंगे
(ii) जीवन
में सार तत्व को बनाए रखेंगे
(iii) उच्च
आदर्श और आशा के महत्व को बनाए रखेंगे
(iv) जग-जीवन
को समरसता से अभिषिक्त करेंगे।
(घ) 'यह
भूमि बुद्ध बापू से सुत की जनी रहे - का भाव है-
(i) इस
भूमि पर बुद्ध और बापू ने जन्म लिया रहें
(ii) इस
भूमि पर बुद्ध और बापू जैसे लोग जन्म लेते
(iii) यह
धरती बुद्ध और बापू जैसी है
(iv) यह
धरती बुद्ध और बापू को हमेशा याद रखेगी
(ङ) कवि क्या
प्रार्थना करता है?
(i) योगी, सन्त और
शहीदों का हम सब सम्मान करें।
(ii) युगों-युगों
तक यह धरती बनी रहे
(iii) धरती
माँ का वन्दन करते रहें
(iv) भारतीयों
में योगी, सन्त और शहीद अवतार लेते रहेंगे
उत्तर- (क) (i) निराशा
और जड़ता छोड़ो
(ख) (ii) दुखी
लोग और ईश्वर
(ग) (i) हम
भारत को कभी न मिटने देंगे
(घ) (ii) इस
भूमि पर बुद्ध और बापू जैसे लोग जन्म लेते रहें
(ङ) (iv) भारतीयों
में योगी, सन्त और शहीद अवतार लेते रहेंगे
खण्ड 'ख'
5.
निर्देशानुसार उत्तर दीजिए- [1 × 3 =
3]
(क) वे उन सब लोगों से मिले, जो मुझे जानते थे। (सरल वाक्य में बदलिए)
(ख) पंख वाले चींटे या दीमक वर्षा के दिनों में निकलते हैं। (वाक्य का भेद लिखिए )
(ग) आषाढ़ की
एक सुबह एक मोर ने मल्हार के मियाऊ - मियाऊ को सुर दिया था। (संयुक्त वाक्य में
बदलिए)
उत्तर- (क)
सरल वाक्य यह मुझे जानने वाले सभी लोगों से मिले।
(ख) सरल
वाक्य
(ग) संयुक्त
वाक्य - आषाढ़ की एक सुबह थी और उस दिन एक मोर ने मल्हार के मियाऊ मियाऊ को सुर
दिया था।
6.
निर्देशानुसार वाच्य परिवर्तित कीजिए- [1×4=4]
(क) फुरसत में मैना खूब रियाज़ करती है। (कर्मवाच्य में)
(ख) फाख्ताओं द्वारा गीतों को सुर दिया जाता है। ( कर्तृवाच्य में)
(ग) बच्चा साँस नहीं ले पा रहा था। (भाववाच्य में)
(घ) दो-तीन पक्षियों द्वारा अपनी-अपनी लय में एक साथ कूदा जा रहा था। (कर्तृवाच्य में)
उत्तर-
(क)
कर्मवाच्य - फुरसत में मैना के द्वारा खूब रियाज किया जाता है।
(ख)
कर्तृवाच्य - फाख्ताएँ गीतों को सुर देती हैं।
(ग) भाववाच्य
- बच्चे से साँस नहीं लिया जा रहा था।
(घ)
कर्तृवाच्य - दो-तीन पक्षी अपनी-अपनी लय में एक साथ कूदे जा रहे थे।
7.
निम्नलिखित रेखांकित पदों का पद परिचय दीजिए [1 x 4 = 4]
मनुष्य केवल भोजन करने के लिए जीवित नहीं रहता है, बल्कि
वह अपने भीतर की सूक्ष्म इच्छाओं की तृप्ति भी चाहता है।
उत्तर-
मनुष्य- जातिवाचक संज्ञा, एकवचन, पुल्लिंग
कर्ताकारक ।
चाहता -
क्रिया, सकर्मक, पुल्लिंग, एकवचन, वर्तमान
काल ।
वह-सर्वनाम्, एकवचन, पुरूषवाचक, पुल्लिंग
कर्ताकारक सूक्ष्म-विशेषण, पुल्लिंग, एकवचन, गुणवाचक
।
8. निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर उनमें निहित रस पहचानकर लिखिए- [1 x 2 = 2]
(क) (i) उपयुक्त उस खल को यद्यपि मृत्यु का भी दण्ड है,
पर मृत्यु से बढ़कर न जग में दण्ड और प्रचण्ड है।
अतएव कल उस नीच को रण मध्य जो मारूँ न मैं,
तो सत्य कहता हूँ कभी शस्त्रास्त्र फिर धारुँ न मैं।
(ii) वह आता
दो टूक कलेजे के करता पछताता
पथ पर आता
पेट
पीठ दोनों मिलकर हैं एक,
चल रहा लकुटिया टेक
ख) (i) श्रृंगार
रस का स्थायी भाव लिखिए ।
(ii) निम्नलिखित काव्यांश में स्थायी भाव क्या है?
कब द्वै दाँत दूध के देखों, कब तोतें, मुख बचन झरें ।
कब नंदहिं बाबा कहि बोले, कब
जननी कहि मोहिं ररै ।
उत्तर-
(क) (i) वीर
(ii) करुण
(ख) (i) रति
(ii) वात्सल्य ।
खण्ड
'ग'
9.
निम्नलिखित गद्यांश के आधार पर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए- " [2+2+1=5]
पुराने जमाने
में स्त्रियों के लिए कोई विश्वविद्यालय न था । फिर नियमबद्ध प्रणाली का उल्लेख
आदि पुराणों में न मिले तो क्या आश्चर्य? और उल्लेख
उसका कहीं रहा हो, पर नष्ट हो गया हो तो? पुराने
जमाने में विमान उड़ते थे। बताइए उनके बनाने की विद्या सिखाने वाला कोई शास्त्र!
बड़े-बड़े जहाजों पर सवार होकर लोग द्वीपांतरों को जाते थे। दिखाइए, जहाज
बनाने की नियमबद्ध प्रणाली के दर्शक ग्रन्थ पुराणादि में विमानों और जहाजों द्वारा
की गई यात्राओं के हवाले देखकर उनका अस्तित्व तो हम बड़े गर्व से स्वीकार करते हैं, परन्तु
पुराने ग्रन्थों में अनेक प्रगल्भ पण्डिताओं के नामोल्लेख देखकर भी कुछ लोग भारत
की तत्कालीन स्त्रियों को मूर्ख, अपढ़ और गँवार बताते हैं ।
(क) पुराणों
में नियमबद्ध शिक्षा प्रणाली न मिलने पर लेखक आश्चर्य क्यों नहीं मानता?
(ख ) जहाज
बनाने के कोई ग्रन्थ न होने या न मिलने पर लेखक क्या बताना चाहता है?
(ग) शिक्षा
की नियमावली का न मिलना, स्त्रियों की अपढ़ता का सबूत क्यों नहीं है?
10. निम्नलिखित
प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखिए- [2 × 5 = 10]
(क) मन्नू
भण्डारी ने अपनी माँ के बारे में क्या कहा है?
(ख) अन्तिम
दिनों में मन्नू भण्डारी के पिता का स्वभाव शक्की हो गया था, लेखिका
ने इसके क्या कारण दिए?
(ग)
बिस्मिल्ला खाँ को खुद के प्रति क्या विश्वास है?
(घ) काशी में
अभी भी क्या शेष बचा हुआ है?
उत्तर- (क) मन्नू भण्डारी ने अपनी माँ के बारे में बताया कि वह सुबह से शाम तक बच्चों की इच्छा और पिताजी की आज्ञाओं का पालन करती रहती थी वह धैर्य और धरती से अधिक सहनशीलता की प्रतिमा थी वह बेपड़ी-लिखी होने के बाद भी सबकी उचित अनुचित फरमाइशों को पूरा करने में लगी रहती थी। वह एक तरफ परम्परागत पत्नी थी तो दूसरी तरफ ममत्व एवं स्नेह से लबालब भरी माँ थी ।
(ख) अन्तिम
दिनों में मन्नू भण्डारी के पिता का स्वभाव शक्की हो गया था। लेखिका ने इसके कई
कारण बताए उन्हें अपनों के हाथों विश्वासघात मिला, गिरती
आर्थिक स्थिति के कारण तथा अधूरी महत्वाकांक्षाओं के कारण वे स्वाभावगत शक्की हो
गए।
(ग) उस्ताद
बिस्मिल्ला खाँ नमाज के पश्चात् सजदे में गिड़गिड़ाते हुए प्रार्थना करते थे कि
मालिक उन्हें एक सुर दे तथा उनके सुर वह तासीर पैदा करे कि आँखों से सच्चे मोती की
तरह अनगढ़ आँसू निकल आएँ। उनको विश्वास था कि कभी खुदा यूँ ही उन पर मेहरबान होगा, अपनी
झोली से सुर का फल देकर उनकी सच्चे सुर की मुराद पूरी करेगा ।
(घ)
बिस्मिल्ला खाँ को काशी की लुप्त चीजें कचोटती थी परन्तु शानी में अभी भी कुछ
चीजें शेष बची है। जैसे- संगीत - साहित्य की परम्पराएँ तथा गंगा-जमुना की संस्कृति
|
11.
निम्नलिखित काव्यांश के आधार पर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए- [2+2+1=5]
तार सप्तक में जब बैठने लगता है उसका गला
प्रेरणा साथ छोड़ती हुई उत्साह अस्त होता हुआ
आवाज से राख जैसा कुछ गिरता हुआ
तभी मुख्य गायक को ढाढ़स बँधाता
कहीं से चला जाता है संगतकार का स्वर
कभी-कभी वह यों ही दे देता है उसका साथ
(क) बैठने
लगता है उसका गला का क्या आशय है?
(ख) मुख्य
गायक को ढाढ़स कौन बँधाता है और क्यों?
(ग) तार सप्तक क्या है?
उत्तर- (क)
गायक जब अपने स्वर को ऊपर ले जाता है तथा गला साथ नहीं देता है आवाज भर्राने लगती
है। जिसके कारण गायक का गला बैठ जाता है।
(ख) मुख्य
गायक का जब गला बैठने लगता है तो संगतकार उसे ढाढ़स बँधाता है, इंसानियत
के कारण, मुख्य गायक का साथ देता है।
(ग) संगीत के
सात स्वर होते हैं उसमें आवाज को ऊँचा एवं नीचा करके गाया जाता है। आवाज के आधार
पर स्वरों को तीन सप्तकों में बाँटा गया है मन्द सप्तक, मध्य
सप्तक एवं तार सप्तक ।
12.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखिए । [2x5=10]
(क) 'कन्यादान' कविता
में माँ ने बेटी को अपने चेहरे पर न रीझने की सलाह क्यों दी है?
(ख) माँ का
कौन-सा दुःख प्रामाणिक था, कैसे?
(ग) जो न
मिला भूल उसे कर तू भविष्य वरण कथन में कवि की वेदना और चेतना कैसे व्यक्त हो रही
है?
(घ) धनुष को
तोड़ने वाला कोई तुम्हारा दास होगा के आधार पर राम के स्वभाव पर टिप्पणी कीजिए ।
(ङ) काव्यांश
के आधार पर परशुराम के स्वभाव की दो विशेषताओं पर सोदाहरण टिप्पणी कीजिए ।
उत्तर- (क)
अधिकांशतः स्त्रियाँ अपनी सुन्दरता के मोह में फँस जाती हैं जिसके कारण उनको
प्रशंसा के बन्धन में बँधकर कमजोर बनकर रहना पड़ता है जिसके कारण समाज के शोषण का
शिकार बनती हैं। इसे ही अपना सर्वस्व मान घर की
चार दीवारी में ही सीमित रह जाती हैं। परम्पराओं के निर्वाह तक सीमित रहना
ही जीवन की सार्थकता समझ ली जाती है और वे अपने वास्तविक एवं आंतरिक गुणों से
अनभिज्ञ रहती है।
(ख) विवाह के
अवसर पर कन्यादान करते समय माँ जो दुःख अनुभव करती थी वह दुख प्रामाणिक था, क्योंकि
बेटी को कन्यादान स्वरूप वर पक्ष के हाथों सौंपते समय माँ के हृदय की पीड़ा
स्वाभाविक होती है उसमें किंचित भी कृत्रिमता नहीं होती है।
(ग) प्रस्तुत
पंक्तियों में कवि की अपनी ही वेदना है कि वह जिस अभीष्ट की प्राप्ति की कामना कर
रहा था, वह अपूर्ण रही जिसके कारण उसके जीवन में कई
परेशानियाँ उत्पन्न हो रही हैं। समय पश्चात् उसे चेतना होती है अथवा समझ आता है कि
पूर्ण न होने वाली कामनाओं को लेकर जीवन को संत्रस्त करना अनुचित है अतः अब
अप्राप्त अभीष्ट की न सोचकर उज्ज्वल भविष्य हेतु करणीय उपाय करना ही श्रेयस्कर है।
(घ) धनुष को तोड़ने वाला कोई तुम्हारा दास होगा' के आधार पर राम की स्वभावगत विशेषताएँ निम्नलिखित हैं। राम अत्यन्त ही विनम्र स्वभाव के व्यक्ति हैं, वे निडर, साहसी, धैर्यवान तथा मृदुभाषी थे, वे बड़ों की आज्ञा का पालन करने वाले थे। उन्हें लक्ष्मण की भाँति क्रोध नहीं आया करता था।
(ङ) काव्यांश के आधार पर परशुराम
के स्वभाव की विशेषताएँ
(i) मुनिराज परशुराम स्वभाव से अत्यंत क्रोधी थे । उदाहरण- बालक बोलि बधौ नहि तोही । केवल मुनि जड़ जानहि मोही
(ii) परशुराम बाल ब्रह्मचारी व क्षत्रियों के प्रबल
विरोधी थे। उदाहरण- बाल ब्रह्मचारी अति कोही । बिस्वबिदित क्षत्रिय कुल द्रोही।
13. 'आप चैन की नींद सो सकें इसीलिए तो हम यहाँ पहरा दे रहे हैं - एक फौजी के इस कथन पर जीवन मूल्यों की दृष्टि से चर्चा कीजिए। [5]
उत्तर-
"आप चैन की नींद सो सकें इसीलिए तो हम यहाँ पहरा दे रहे हैं।" देश की
सीमा पर बैठे फौजी कड़कड़ाती ठण्ड में, जब वहाँ का
तापमान - 15 डिग्री सेल्सियस पर हो जाता है, पौष
और माघ के महीने में पेट्रोल को छोड़कर सब कुछ जम जाता उस समय भी ये फौजी जी-जान
से देश की रक्षा में लगे रहते हैं। वहाँ का मौसम और परिस्थितियाँ विषम होती हैं।
हमें देश की सीमाओं की रक्षा करने वाले सैनिकों के प्रति कृतज्ञ होना चाहिए, क्योंकि
वह ऐसी उक्त परिस्थितियों में रहते हैं, जिससे हम
अपने घरों में चैन की नींद सो सकें तथा देश की एकता एवं शान्ति को कोई भंग न कर
सके। अगर ये लोग न हों, तो आपराधिक तत्वों को बढ़ावा मिल जाएगा। जिसके
परिणामस्वरूप हमारा प्रत्येक क्षण भययुक्त होगा।
खण्ड 'घ'
14.
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर दिए गए संकेत - बिन्दुओं के आधार पर लगभग 250
शब्दों में निबन्ध लिखिए। " [10]
(क) विज्ञापन
की दुनिया
• विज्ञापन का युग
• भ्रमजाल और जानकारी
• सामाजिक दायित्व ।
(ख) भ्रष्टाचार मुक्त समाज
'भ्रष्टाचार
क्या है?
• सामाजिक
व्यवस्था में भ्रष्टाचार
· कारण और निवारण
(ग) पी. वी. सिन्धु मेरी प्रिय खिलाड़ी
• अभ्यास और
परिश्रम
• जुझारूपन और आत्मविश्वास
• धैर्य और जीत का सेहरा
उत्तर- (क) विज्ञापन की दुनिया
विज्ञापन
शब्द 'वि' और 'ज्ञापन' के योग से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है विशेष रूप से कुछ बताना अर्थात्
किसी वस्तु के गुणों का अतिशयोक्तिपूर्ण वर्णन का दूसरा नाम विज्ञापन है। विज्ञापन
समाज एवं व्यापार जगत् में होने वाले परिवर्तन को प्रदर्शित करने वाला उद्योग है, जो बदलते समय के साँचे में तेजी से ढल जाता है।
आज हमारे
चारों ओर संचार तन्त्र का जाल - सा बिछा है। एक ओर हमारे जीवन में पुस्तकें, पत्रिकाएँ, समाचार-पत्र जैसे प्रिन्ट मीडिया के साधनों की
भरमार है, तो दूसरी ओर
हम घर से बाहर तक रेडियो, टेलीविजन, सिनेमा, कम्प्यूटर, मोबाइल जैसे इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के अत्याधुनिक
साधनों से घिरे हुए हैं किन्तु यदि हम कहें कि मीडिया के इन सारे साधनों पर
सर्वाधिक आधिपत्य विज्ञापन का है, तो
इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी, क्योंकि
न केवल इनकी आय का मुख्य स्रोत है वरन् पूरे संचार तन्त्र पर अपना गहरा प्रभाव भी
छोड़ता है।
विज्ञापन, उपभोक्ताओं को शिक्षित एवं प्रभावित करने के
दृष्टिकोण से निर्माताओं, थोक
विक्रेताओं और खुदरा विक्रेताओं की ओर से विचारों, उत्पादों एवं सेवाओं से सम्बन्धित सन्देशों का
अव्यक्तिगत संचार है। इसके प्रसारण के लिए समाचार-पत्रों, पत्रिकाओं, रेडियो, टेलीविजन एवं फिल्मों को माध्यम बनाया जाता है।
विज्ञापन से
कई लाभ होते हैं। यह उत्पादों मूल्यों एवं गुणवत्ता, बिक्री सम्बन्धी जानकारियों इत्यादि के बारे
में उपयोगी सूचनाएँ प्राप्त करने में उपभोक्ताओं की मदद करता है। यह नए उत्पादों
के प्रस्तुतीकरण वर्तमान उत्पादों के उपभोक्ताओं को बनाये रखने और नए उपभोक्ताओं
को आकर्षित कर अपनी बिक्री बढ़ाने में निर्माताओं की मदद करता है। यह लोगों को
अधिक सुविधा, आराम, बेहतर जीवन पद्धति उपलब्ध कराने में सहायक होता
है। विज्ञापन से यदि कई लाभ हैं, तो
इससे हानियाँ भी कम नहीं हैं। विज्ञापन पर किए गए व्यय के कारण उत्पाद के
मूल्य में
वृद्धि होती है उदाहरण के तौर पर ठण्डे पेय पदार्थों को ही लीजिए जो ठण्डा पेय
पदार्थ बाजार में दस रुपये में उपलब्ध होता है, उसका लागत मूल्य मुश्किल से 5 से 7 रुपये के
आस-पास होता है किन्तु इसके विज्ञापन पर करोड़ों रुपये व्यय किए जाते हैं। इसलिए
इनकी कीमत में अनावश्यक वृद्धि होती है। कभी-कभी विज्ञापन हमारे सामाजिक एवं नैतिक
मूल्यों को क्षति पहुँचाता है। भारत में पश्चिम संस्कृति के प्रभाव एवं
उपभोक्तावादी संस्कृति के विकास में विज्ञापनों का भी हाथ है। वैलेण्टाइन डे हो या
न्यू ईयर ईव बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ इनका लाभ उठाने के लिए विज्ञापनों का सहारा
लेती हैं। इसमें कोई सन्देह नहीं कि विज्ञापन बहुपयोगी है, परन्तु इस पर आँख बन्द कर भरोसा नहीं करना
चाहिए। कुछ कम्पनियों द्वारा इसका गलत उपयोग भोले-भाले लोगों और युवाओं को ठगने के लिए किया जाने लगा है। आज
विज्ञापन का युग है और इसकी महत्ता को अस्वीकार नहीं किया जा सकता है।
उत्तर- (ख) भ्रष्टाचार मुक्त समाज
भ्रष्टाचार
दो शब्दों भ्रष्ट' और आचार' के मेल से बना है। 'भ्रष्ट' शब्द के कई अर्थ होते हैं 'मार्ग से विचलित ध्वस्त एवं बुरे आचरण वाला तथा
'आचरण' का
अर्थ है 'चरित्र', 'व्यवहार' या 'चाल-चलन' ।
इस प्रकार
भ्रष्टाचार का अर्थ हुआ - अनुचित व्यवहार एवं चाल-चलन विस्तृत अर्थों में इसका
तात्पर्य व्यक्ति द्वारा किए जाने वाले ऐसे अनुचित कार्य से है, जिसे वह अपने पद का लाभ उठाते हुए आर्थिक या
अन्य लाभों को प्राप्त करने के लिए स्वार्थपूर्ण ढंग से करता है।
रिश्वत
लेना-देना, खाद्य
पदार्थों में मिलावट, मुनाफाखोरी, कानूनों की अवहेलना करके अपना उल्लू सीधा करना
आदि । भ्रष्टाचार के ऐसे रूप हैं, जो
भारत ही नहीं दुनियाभर में व्याप्त हैं।
कवि 'रघुवीर सहाय ने देश के भ्रष्ट नेताओं पर
व्यंग्य करते हुए लिखा है-
कहकर आप हँसे
"निर्धन जनता
का शोषण है। लोकतन्त्र का अन्तिम क्षण है।
कहकर आप हँसे
कहकर आप हँसे
सबके सब हैं
भ्रष्टाचारी
चारों ओर
बड़ी लाचारी कहकर आप हँसे।"
आज हमारे देश
में धर्म, शिक्षा, राजनीति, प्रशासन इत्यादि सभी क्षेत्रों में भ्रष्टाचार
ने अपने पाँव फैला दिए हैं। व्यापारी वर्ग सोचता है कि जाने कब घाटे की स्थिति आ
जाए,
इसलिए जैसे भी हो उचित - अनुचित
तरीके से अधिक-से-अधिक धन कमा लिया जाए।
इन सबके
अतिरिक्त गरीबी, बेरोजगारी
सरकारी कार्यों का विस्तृत क्षेत्र, अल्प
वेतन इत्यादि कारणों से भी भारत में भ्रष्टाचार में वृद्धि हुई है। हमारी पूर्व
प्रधानमन्त्री श्रीमती इन्दिरा गाँधी ने एक बार कहा था- "उन मन्त्रियों से
सावधान रहना चाहिए, जो बिना
पैसों के कुछ नहीं कर सकते और उनसे भी जो पैसे लेकर कुछ भी करने की इच्छा रखते
है।"
भ्रष्टाचारियों
के लिए भारतीय दण्ड संहिता में दण्ड का प्रावधान है तथा समय-समय पर भ्रष्टाचार के
निवारण के लिए समितियाँ भी गठित हुई हैं। इस समस्या के समाधान हेतु निम्नलिखित
बातों का पालन किया जाना आवश्यक है। सबसे पहले इसके कारणों, जैसे- गरीबी, बेरोजगारी, पिछड़ापन आदि को दूर किया जाना चाहिए ।
भ्रष्टाचार को दूर करने के लिए योजनाबद्ध तरीके से अभियान चलाए जाने की जरूरत है।
उच्च पदों पर
आसीन व्यक्तियों के बारे में पूरी जानकारी सार्वजनिक की जानी चाहिए ताकि भ्रष्ट
लोगों को उच्च पदों पर आसीन होने से रोका जा सके।
देश को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के लिए अन्ना
हजारे द्वारा किए गए प्रयासों का काफी अच्छा परिणाम सामने आया है। उन्होंने
राष्ट्रव्यापी आन्दोलन चलाकर भारतीय युवाओं में देश की छवि को स्वस्थ बनाने का नया
जोश भर दिया।
है। यदि देश
का युवा वर्ग अपना कर्तव्य समझकर भ्रष्टाचार का विरोध करने लगे, तो वह दिन दूर नहीं जब भारत से भ्रष्टाचार रूपी
दानव का अन्त हो जाएगा। हमारे पूर्व राष्ट्रपति श्री अब्दुल कलाम ने कहा है- यदि
किसी देश को भ्रष्टाचार मुक्त और सुन्दर मन वाले लोगों का देश बनाना है, तो मेरा दृढ़तापूर्वक मानना है कि समाज के तीन
प्रमुख सदस्य माता-पिता और गुरु यह कार्य कर सकते हैं।
उत्तर- (ग) पी. वी. सिन्धु मेरी प्रिय खिलाड़ी
पुसर्ला
वेंकट सिन्धु का जन्म 5
जुलाई,
1995 को हुआ, उनके पिता का नाम पी. वी. रमण है और उनकी माता
पी. विजया है उनके माता और पिता दोनों ही हमारे देश के पूर्व वॉलीबाल खिलाड़ी रह
चुके हैं उनकी एक बहन भी है, जिसका
नाम पी. वी. दिव्या है।
सिन्धु ने
मात्र 8 वर्ष की उम्र से ही बैडमिंटन खेलना प्रारम्भ
कर दिया। सिन्धु ने बैंडमिंटन सीखने की शुरुआत सिकन्दराबाद में इण्डियन रेलवे
इंस्टीट्यूट ऑफ सिग्नल इंजीनियरिंग एण्ड टेलीकम्यूनिकेशन में मेहबूब अली की
देख-रेख में की।
अपनी छोटी-सी
उम्र में ही सिन्धु ने बड़ी सफलता हासिल की है। वर्ष 2009 में कोलंबो में आयोजित सब जूनियर एशियन
बैडमिंटन चैंपियनशिप में सिन्धु अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर कांस्य मेडलिस्ट रही। 2016 में मलेशिया मास्टर्स ग्रैंड प्रिक्स गोल्ड
वुमेन्स सिंगल जीता। दुनिया की नम्बर 2
खिलाड़ी बांग यिहान के खिलाफ पी. वी. सिन्धु ने 22-20, 21-19 की संघर्षपूर्ण जीत दर्ज की और ओलम्पिक के
सेमी फाइनल में जगह बनाई। उनकी इस जीत के बाद से भारत को रियो ओलम्पिक में रजत पदक
प्राप्त हुआ। पी. सिन्धु हैदराबाद में गोपीचन्द बैडमिंटन एकेडमी में ट्रेनिंग लेती
है और उन्हें 'ओलम्पिक
गोल्ड क्वेस्ट' नाम की एक
नॉन-प्रोफिट संस्था सपोर्ट करती है।
2013 में सिन्धु
ऐसी पहली भारतीय महिला बनी जिसने वर्ल्ड चैंपियनशिप में मेडल जीता था 2015 में सिन्धु को भारत के चौथे उच्चतम नागरिक
सम्मान पद्मश्री से सम्मानित किया गया।
पी. वी.
सिन्धु के पिता रमण स्वयं अर्जुन अवार्ड विजेता हैं। रमण भारतीय वॉलीबॉल का हिस्सा
रह चुके हैं। सिन्धु ने अपने पिता के खेल वॉलीबॉल के बजाय, बैडमिंटन इसलिए चुना, क्योंकि वे पुलेला गोपीचन्द को अपना आदर्श
मानती है।
गूगल ने एक
बयान जारी कर कहा था, 'ओलम्पिक
सेमीफाइनल में विश्व की नम्बर छह खिलाड़ी नेजोमी ओकुहारा को हराने के बाद सिन्धु
सबसे अधिक खोजे जाने वाली भारतीय खिलाड़ी है।
15. अपनी दादी की
चित्र प्रदर्शनी पर अपनी प्रतिक्रिया लिखते हुए उन्हें बधाई - पत्र लिखिए | [5]
अथवा
अपनी
योग्यताओं का विवरण देते हुए प्राथमिक शिक्षक के पद के लिए अपने जिले के शिक्षा
अधिकारी को आवेदन-पत्र लिखिए ।
उत्तर- 67 ए. मोहन नगर,
नई दिल्ली।
दिनांक 10 दिसम्बर, 20XX
पूजनीय दादी
जी,
सादर चरण
स्पर्श ।
आशा करती हूँ
कि आप स्वस्थ होंगी। आपके द्वारा जो प्रदर्शनी लगाई गई थी, वो मुझे बहुत पसन्द आई है। आपने जिन चित्रों का
प्रयोग प्रदर्शनी में किया था, वे
बहुत ही आकर्षक एवं मनमोहक थे। दर्शकों द्वारा उनकी बहुत प्रशंसा की गयी थी।
परिवार के सभी सदस्यों द्वारा भी उसकी सराहना की गई।
सभी लोगों ने
आपकी प्रदर्शनी के सफल आयोजन के लिए आपको बधाई दी है। साथ ही ईश्वर से प्रार्थना
करते हैं कि ऐसे ही आपका भविष्य और उज्ज्वल हो ।
आपको तथा
अन्य सभी को मेरा सादर चरण स्पर्श ।
आपकी प्यारी
पोती
अनीता
अथवा
शिक्षा
अधिकारी को पत्र
सेवा में,
जिला शिक्षा
अधिकारी,
जोधपुर
(राज.)।
दिनांक 5 दिसम्बर, 20XX विषय- प्राथमिक शिक्षक के पद के लिए आवेदन पत्र
।
मान्यवर,
रोजगार समाचार दिनांक 16/4/2017 के माध्यम से यह ज्ञात हुआ कि आपके अधीन प्राथमिक शिक्षकों के कुछ स्थान रिक्त हैं तथा उनके लिए आवेदन-पत्र आमन्त्रित किए गए हैं। मैं भी इसी पद के लिए अपना आवेदन-पत्र आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रही हूँ। मेरी शैक्षणिक योग्यताएँ, अनुभव तथा अन्य विवरण निम्नलिखित हैं
मैंने जोधपुर विश्वविद्यालय में स्नातक की उपाधि द्वितीय श्रेणी में मैंने राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से 1997 में इण्टरमीडिएट की उत्तीर्ण की है। परीक्षा भी द्वितीय श्रेणी से उत्तीर्ण की है। मैंने राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से ही वर्ष 1995 में हाईस्कूल की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की है।
मैंने राजकीय शिक्षक प्रशिक्षण केन्द्र जोधपुर (राज.) से बेसिक टीचर कोर्स वर्ष 2002 में सफलतापूर्वक पूरा किया है। (STC) इस परीक्षा में भी अच्छे अंक प्राप्त किए। मैं जुलाई 2008 से डी.ए.वी. हायर सैकेण्डरी स्कूल, जोधपुर में प्राथमिक शिक्षिका के पद पर कार्यरत हूँ । मैंने अपने विद्यार्थी जीवन में सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेकर कई पुरस्कार प्राप्त किए। मैं 36 वर्षीय स्वस्थ महिला हूँ।
आशा है कि आप
मुझे सेवा का एक अवसर अवश्य प्रदान करेंगे। मैं आपको विश्वास दिलाती हूँ कि मैं
चयन किये जाने के पश्चात् अपने कर्त्तव्यों को पूर्ण निष्ठा के साथ पालन करूँगी
तथा अपने कार्य एवं व्यवहार से अधिकारियों को सदा संतुष्ट रखने का प्रयास करूँगी | आवेदन पत्र के साथ प्रमाण-पत्रों के प्रतिरूप
संलग्न है।
धन्यवाद
प्रार्थी
अनिता कुमारी
OUTSIDE DELHI TERM II[SET-II]
खण्ड 'ख'
5.
निर्देशानुसार उत्तर दीजिए- [1 × 3 = 3]
(क) जब सावन-भादों आते हैं तब दर्जिन की आवाज
पूरे इलाके गूँजती है। ( सरल वाक्य में बदलिए)
(ख) भुजंगा शाम को तार पर बैठकर पतिंगों को
पकड़ता रहता है। (मिश्र वाक्य में बदलिए)
(ग) अँधेरा
होते-होते चौदह घण्टों बाद कूजन - कुंज का दिन खत्म हो जाता है। (संयुक्त वाक्य में बदलिए)
उत्तर- (क)
सरल वाक्य सावन-भादों में दर्जिन की आवाजें पूरे इलाके गूँजती है।
(ख) मिश्र वाक्य - भुजंगा जब शाम को तार पर
बैठता है तब पतिंगों को पकड़ता है।
(ग) संयुक्त वाक्य - चौदह घण्टे के बाद अँधेरा
होने लगता है और कूजन- कुंज का दिन खत्म हो जाता है।
6. निर्देशानुसार
वाच्य परिवर्तित कीजिए : [1 × 4 = 4]
(क) श्यामा सुबह-शाम के राग बखूबी गाती है। (कर्मवाच्य में)
(ख) पक्षियों द्वारा संगीत का अभ्यास किया जाता है। ( कर्तृवाच्य में)
(ग) दर्द के कारण उससे चला नहीं जाता। ( कर्तृवाच्य में)
(घ) चोट के कारण वह बैठ नहीं सकती । (भाववाच्य में)
उत्तर-
(क) कर्मवाच्य - श्यामा के द्वारा सुबह-शाम का राग बखूबी गाए जाते हैं।
(ख) कर्तृवाच्य - पक्षी संगीत का अभ्यास करते हैं।
(ग) कर्तृवाच्य - दर्द के कारण वह चल नहीं पाता।
(घ) भाववाच्य चोट के कारण उससे बैठा नहीं जा
सकता ।
7. निम्नलिखित रेखांकित पदों का पद परिचय दीजिए [1×4=4]
आज विज्ञान व परमाणु युग में सबसे
नाजुक प्रश्न शान्ति ही है।
उत्तर- आज- क्रियाविशेषण, कालवाचक, 'है' क्रिया का विशेषण ।
विज्ञान-संज्ञा, एकवचन, पुल्लिंग, व्यक्तिवाचक, पुल्लिंग ।
नाजुक - विशेषण एकवचन, स्त्रीलिंग।
शान्ति - भाववाचक
संज्ञा स्त्रीलिंग, एकवचन ।
8.
(ख) (i) निम्नलिखित काव्यांश में कौन-सा स्थायी भाव है? [1]
सुत मुख देखि जसोदा फूली
हरषित देखि दूध की दैतिया,
प्रेम मगन तन की सुधि भूली ।
(ii)
करुण रस का स्थायी भाव लिखिए।
उत्तर- (ख) (i) वात्सल्य रस
(ii)
शोक रस
खण्ड 'घ'
14. निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर दिए गए संकेत-बिन्दुओं के आधार पर लगभग 250 शब्दों में निबन्ध लिखिए
:" (क) अनुशासित दिनचर्या
• जीवन में अनुशासन की अपेक्षा
• अनुशासित क्रियाकलाप का लाभ
• काम करें।
(ख) प्राकृतिक
आपदा - भूकम्प
• प्राकृतिक आपदाएँ
• भूकम्प से नुकसान
• बचाव के उपाय
(ग) ओलम्पिक और भारत
• ओलम्पिक खेल
• भारतीय खिलाड़ियों का प्रदर्शन
• सुधार के कदम
उतर (क) अनुशासित
दिनचर्या
"उत्तम स्वास्थ्य का आनन्द पाने के लिए परिवार
में खुशी लाने के लिए और सबको शान्ति प्रदान करने के लिए सबसे पहले अनुशासित बनने
और अपने मस्तिष्क पर नियन्त्रण प्राप्त करने की आवश्यकता है।' 'अनुशासन' शब्द
'शासन' में 'अनु' उपसर्ग के जुड़ने से बना है, इस तरह अनुशासन का शाब्दिक अर्थ है शासन के पीछे चलना ।
प्रायः माता-पिता एवं गुरुजनों के आदेशानुसार चलना ही अनुशासन कहलाता है, किन्तु यह अनुशासन के अर्थ को सीमित करने जैसा है। व्यापक
रूप से देखा जाए,
तो स्वशासन अर्थात् आवश्यकतानुरूप
स्वयं को नियन्त्रण में रखना भी अनुशासन ही है। अनुशासन के व्यापक अर्थ में, शासकीय कानून के पालन से लेकर सामाजिक मान्यताओं का सम्मान
करना ही नहीं, बल्कि स्वस्थ रहने के लिए, स्वास्थ्य नियमों का पालन करना भी सम्मिलित है। इस तरह
सामान्य एवं व्यावहारिक रूप में व्यक्ति जहाँ रहता है। वहाँ के नियम कानून एवं
सामाजिक मान्यताओं के अनुरूप आचरण एवं व्यवहार करना ही अनुशासन कहलाता है।
माइकल जे.
फॉल्स ने कहा, इसे इस अर्थ से देखा जाए. तो जैसा शासन होगा, वैसा ही अनुशासन होगा। इस प्रकार यदि कहीं अनुशासनहीनता
व्याप्त है तो कहीं-न-कहीं इसमें अच्छे शासन सही नहीं है तो परिवार में अव्यवस्था
व्याप्त रहेगी ही। यदि किसी स्थान का प्रशासन सही नहीं है तो वहाँ अपराध का ग्राफ
स्वाभाविक रूप से ऊपर ही रहेगा। यदि राजनेता कानून का पालन नहीं करेंगे, तो जनता से इसके पालन की उम्मीद नहीं की जा सकती। यदि खेल
के मैदान में कैप्टन अनुशासित नहीं रहेगा तो टीम के अन्य सदस्यों से अनुशासन की
आशा करना व्यर्थ है और यदि टीम अनुशासित नहीं है, तो उसकी पराजय से उसे कोई नहीं बचा सकता है। इसी तरह, यदि देश की सीमा पर तैनात सैनिकों का कैप्टन ही अनुशासित न
हो तो उसकी पराजय से उसे कोई नहीं बचा सकता। परिणामस्वरूप देश की सुरक्षा निश्चित
रूप से खतरे में पड़ जाएगी। राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के शब्दों में, "अनुशासन के बिना न तो परिवार चल सकता है और न
संस्था न राष्ट्र ही सचमुच यदि कर्मचारीगण अनुशासित न हो, तो वहाँ भ्रष्टाचार का बोल-बाला हो जाता अनुशासन के अभाव
में किसी भी समाज में अराजकता व्याप्त हो जाती है। अतः अनुशासन किसी भी समाज की
मूलभूत आवश्यकता है। अनुशासन न केवल व्यक्तिगत हित बल्कि सामाजिक हित के दृष्टिकोण
से भी अनिवार्य है।
उत्तर- (ख)
प्राकृतिक
आपदा- भूकम्प
प्राकृतिक
आपदा जब भी गुस्सा दिखाती है तो कहर ढहाए बिना नहीं मानती है आकाश के तारों को छू
लेने वाला विज्ञान प्राकृतिक आपदाओं के सामने घुटने टेक देता है। अनेक प्राकृतिक
आपदाओं में कई आपदाएँ मनुष्य की अपनी देन हैं। कुछ वर्षों में प्रकृति के गुस्से
के जो रूप देखे गए हैं, उन्हें देखकर ऐसा लगता है कि
प्रकृति के क्षेत्र में मनुष्य जब हस्तक्षेप करता है, तो उसका ऐसा ही परिणाम होता है, जो सुनामी के रूप में और गुजरात के भूकम्प के रूप में देखने
में और सुनने में आया।
वैज्ञानिक
इसका सटीक कारण नहीं बता सके हैं। हाँ, भूकम्प
की तीव्रता को नापने का यन्त्र तो जैसे-तैसे बना लिया गया है। वर्षों के प्रयास के
बावजूद भी इससे निजात पाने की बात तो दूर उसके रहस्यों को भी नहीं जान पाया गया
है। यह उनके लिए चुनौतीपूर्ण कार्य है।
वैज्ञानिक
तथ्य के अनुसार पृथ्वी की बहुत गहराई में तीव्रतम आग है। जहाँ आग है, वहाँ तरल पदार्थ है। आग के कारण इस तरल पदार्थ में हलचल
होती रहती है। जब यह उथल-पुथल अधिक बढ़ जाती है तब झटके के साथ पृथ्वी की सतह की
ओर फूट पड़ती है। इस तरह उसकी तीव्रता के अनुसार पृथ्वी हिलने लगती है।
गुजरात में
तीव्रगति से भूकम्पन हुआ। इस भूकम्प ने दिन चुना गणतन्त्र दिवस 26 जनवरी सम्पूर्ण
देश गणतन्त्र के राष्ट्रीय उत्सव में मग्न था। गुजरात के लोग दूरदर्शन पर गणतन्त्र
दिवस का कार्यक्रम देख रहे थे। तभी यकायक / एकाएक / अचानक झटका लगा धरती हिली। लोग
सोच भी न पाए कि क्या हुआ और इतनी ही देर में गगनचुंबी अट्टालिकाएँ, अस्पताल, विद्यालय, फैक्टरी और टेलीविजन के सामने बैठी भीड़ को थोड़ी देर में
भूकम्प निगल गया और शेष रह गई उन लोगों की चीत्कार, और जो उसकी चपेट में आने से बच गए।
भूकम्प से
उत्पन्न हृदय विदारक दृश्य को देखकर भी कुछ लोग मानवता के स्थान पर अमानवीय कृत्य
करने में संकोच नहीं करते हैं। एक ओर तो देश के कोने-कोने से और दूसरे देशों से
सहायता पहुँचती है और व्यवस्था के ठेकेदार उसमें भी कंजूसी करते हैं और अपनी
व्यवस्था पहले करने लगते हैं। ऐसे लोग ऐसे समय में मानवता को ही कलंकित करते हैं।
इस तरह प्राकृतिक आपदा कहर ढहाकर मानवता का परिचय करा देती है।
ऐसी
प्राकृतिक आपदाएँ मनुष्य को सन्देश देती हैं कि जब तक जिओ, तब-तक परस्पर प्रेम से जिओ । यह प्राकृतिक आपदा मनुष्य को
सचेत करती है और सन्देश देती है कि मैं मौत बनकर सामने खड़ी हूँ, जब तक जी रहे हो तब तक मानवता की सीमा में रहो और जीवन को
आनन्दित करो और प्रेम से रहो।
उत्तर- (ग)
ओलम्पिक और
भारत
प्राचीनकाल
में यदा-कदा खेल प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता था और सबसे अच्छा प्रदर्शन करने
वाले सैनिकों को सम्राट पुरस्कृत करते थे। प्रारम्भ में इसी प्रकार योद्धा -
खिलाड़ियों के मध्य प्राचीन ओलम्पिक खेल प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था। विश्व
में प्रथम ओलम्पिक खेलों का विधिवत् आयोजन 776 ई. पूर्व यूनान
( ग्रीस) के
ओलम्पिया नामक नगर में हुआ था। इसी कारण इसका नाम ओलम्पिक पड़ा। प्रथम ओलम्पिक के
आयोजन के पश्चात् प्रत्येक चार वर्ष की अवधि पर ओलम्पिक खेलों का आयोजन किया जाने
लगा, जिसमें हजारों संख्या में लोग एकत्र होकर खेलों
का आनन्द लेते थे।
आधुनिक
ओलम्पिक खेलों का आयोजन प्रारम्भ करने का श्रेय फ्रांस के विद्वान खेल प्रेमी
पियरे डि कुबर्तिन को जाता है। 1894 ई. में उनके प्रयासों से 'अन्तर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति का गठन किया गया, जिसके प्रथम अध्यक्ष स्वयं 'पियरे डि कुबर्तिन' ही बनाए गए प्राचीन ओलम्पिक खेलों में महिलाओं को भाग नहीं
लेने दिया जाता था। लेकिन 1900 ई. में दूसरे ओलम्पिक खेलों में महिलाओं ने पहली
बार भाग लिया। ओलम्पिक खेलों में किसी स्पर्द्धा में प्रथम, द्वि तीय तथा तृतीय स्थान प्राप्त करने वालों को एक
प्रमाण-पत्र के साथ क्रमशः स्वर्ण, रजत
तथा काँस्य पदक से सम्मानित किया जाता है। चतुर्थ से अष्टम् स्थान प्राप्त करने
वालों को केवल प्रमाण-पत्र से सम्मानित किया जाता है।
वर्ष 1900
में पेरिस ओलम्पिक में ब्रिटिश भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए कोलकाता निवासी
एंग्लो-इण्डियन सर नॉर्मन प्रिचार्ड ने हिस्सा लिया था, लेकिन सन् 1920 से इसमें भारत ने भाग लेना प्रारम्भ किया
था। तब से लेकर सन् 2016 में आयोजित रियो ओलम्पिक तक भारत कुल मिलाकर 26 पदक जीत
पाया है। इनमें से 11 पदक भारत ने हॉकी में जीते हैं, जिनमें से 8 स्वर्ण 1 रजत एवं 2 काँस्य पदक थे। वर्ष 1952
में हेलसिंकी ओलम्पिक में के. डी. जाधव के काँस्य पदक के रूप में किसी व्यक्तिगत
स्पर्द्धा (कुश्ती) में प्रथम ओलम्पिक पदक जीतने का गौरव प्राप्त किया। इसके
पश्चात् वर्ष 1996 में अटलांटा ओलम्पिक में लिएण्डर पेस ने टेनिस में एक कांस्य
पदक तथा वर्ष 2000 में सिडनी ओलम्पिक में कर्णम मल्लेश्वरी ने भारोत्तोलन में
काँस्य पदक जीता।
वर्ष 2004
में एथेंस ओलम्पिक में मेजर राज्यवर्द्धन सिंह राठौर ने निशानेबाजी में एक रजत पदक
प्राप्त किया। सन् 2008 में ओलम्पिक में अभिनव बिन्द्रा ने किसी व्यक्तिगत
स्पर्द्धा में पहली बार भारत के लिए स्वर्णपदक जीतने का गौरव प्राप्त किया। इसी
आयोजन में सुशील कुमार ने कुश्ती में एवं विजेन्दर कुमार ने मुक्केबाजी में एक-एक
कांस्य हासिल किया। वर्ष 2012 में हुए लन्दन ओलम्पिक में भारत के खिलाड़ियों ने दो
रजत, चार कांस्य पदक जीतकर ओलम्पिक इतिहास का अपना
सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। इसी आयोजन में निशानेबाजी में भारत का गगन नारंग एवं
विजय कुमार, बैडमिंटन में साइना नेहवाल, महिला मुक्केबाजी में मैरीकॉम, 60 किग्रा पुरुष वर्ग कुश्ती में योगेश्वर दत्त एवं 66
किग्रा कुश्ती में सुशील कुमार ने पदक जीते।
भारत का आज
तक का ओलम्पिक में प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा। भारत की कुल जनसंख्या में से लगभग 45
करोड़ युवाओं की संख्या होगी, इतनी
आशा की जा सकती है कि उनका नाम ओलम्पिक खेल की पदक तालिका में
यथासम्भव ऊपर
हो, किन्तु खेलों में अनावश्यक राजनीतिक हस्तक्षेप, ग्रामीण प्रतिभाओं को बढ़ावा न देना, अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की आधुनिक खेल सामग्री का अभाव
इत्यादि कारणों से भारतीय खिलाड़ियों का प्रदर्शन आज तक निराशाजनक ही रहा है लेकिन
वर्ष 2012 में अपेक्षाकृत अच्छा प्रदर्शन कर अन्य खिलाड़ियों को भी प्रेरित किया
है, जिसके परिणामस्वरूप वे निरन्तर अभ्यास द्वारा
अपनी योग्यता का बेहतर प्रदर्शन कर सकें।
15. हाल में
देखे हुए किसी नाटक की समीक्षा करते हुए अपने मित्र को पत्र लिखिए। [5]
अथवा
विद्यालय में
एक संगीत सम्मेलन करने की अनुमति देने हेतु अपने प्रधानाचार्य से अनुरोध कीजिए ।
उत्तर- परीक्षा भवन,
नई दिल्ली।
दिनांक- 5
दिसम्बर, 20XX
प्रिय मित्र,
कैसे हो? आशा करता/करती हूँ कि कुशलतापूर्वक होंगे। मैं भी अच्छा हूँ। बहुत दिनों से तुम्हारे कोई समाचार प्राप्त नहीं हुआ । मैंने अभी हाल ही में कन्या भ्रूण हत्या पर आधारित एक नाटक देखा, जिसकी कहानी मेरे हृदय को अन्दर तक झकझोर गई कि कैसे संकीर्ण मानसिकता वाले व्यक्ति एक कन्या का जन्म होना अभिशाप मानते हैं। उसके दुनिया में आने से पूर्व ही उसकी हत्या कर देते हैं। अगर सभी इस प्रकार करने लग जायेंगे तो लड़का लड़की का अनुपात बिगड़ जाएगा। यदि ऐसा हुआ तो आने वाले समय में विवाह के लिए लड़कियों की संख्या कम होगी बजाय लड़कों के वो लोग ये कैसे भूल जाते हैं कि हमें जन्म देने वाली भी एक स्त्री है। मुझे इस तरह की सोच रखने वालों पर बहुत तरस आता है, साथ ही गुस्सा भी बहुत आता है। हमें अपने आस-पास कन्या भ्रूण हत्या जैसे जघन्य कुकृत्यों को रोकना होगा तथा उनकी इस सोच को भी बदलना होगा कि बेटे के बराबर आजकल बेटियाँ भी हैं उनको बताना होगा कि प्रत्येक क्षेत्र में बेटी बेटे से आगे है। अंकल आंटी को मेरा प्रणाम कहना ।
तुम्हारा
प्रिय मित्र
निखिल
अथवा
अपना पता
सेवा में,
प्रधानाचार्य.
सर्वोदय बाल
विद्यालय,
जनकपुरी, दिल्ली।
दिनांक 5 दिसम्बर, 20XX
विषय-संगीत-सम्मेलन
करने की अनुमति हेतु पत्र ।
महोदय,
सविनय निवेदन
है कि हम 14 सितम्बर को हिन्दी दिवस के अवसर पर एक संगीत सम्मेलन का आयोजन करना
चाहते हैं। इसमें विद्यार्थी एवं अध्यापक-अध्यापिकाएँ अपनी-अपनी प्रतिभा का
प्रदर्शन करेंगे। इस अवसर पर अन्य ख्यातिप्राप्त संगीतकारों को भी आमन्त्रित किया
जाएगा।
कृपया आप
हमें अनुमति प्रदान करें कि हम अपने संगीत सम्मेलन के लिए संगीतकारों को आमन्त्रित
करें। इस संगीत सम्मेलन में विद्यालय के संगीत के शिक्षक एवं शिक्षिका
भी अपना
पूर्ण सहयोग प्रदान करेंगे।
आपका
आज्ञाकारी शिष्य
धन्यवाद!
राजीव
विद्यालय
छात्र प्रमुख
OUTSIDE DELHI TERM II [SET-III]
खण्ड 'ख'
5. निर्देशानुसार
उत्तर दीजिए [1
× 3=3]
(क) डलिया में
आम है,
दूसरे फलों के साथ आम रखे हैं। (
सरल वाक्य बनाइए)
(ख) शर्मीला
पीलक पेड़ के पत्तों में छुपकर बोलता है। (संयुक्त वाक्य बनाइए )
(ग) पीलक
जितना शर्मीला होता है उतनी ही इसकी आवाज भी शर्मीली है। ( वाक्य भेद लिखिए )
उत्तर- (क)
सरल वाक्य डलिया में आम दूसरे फलों के साथ रखे
(ख) संयुक्त वाक्य पीलक शर्मीला है और पेड़ के
पत्तों में छिपकर बोलता है।
(ग) मिश्रवाक्य।
6.
निर्देशानुसार वाच्य परिवर्तित
कीजिए [1
×4=4]
(क) कुछ छोटे भूरे पक्षी मंच संभाल लेते हैं। (कर्मवाच्य
में)
(ख) बुलबुल द्वारा रात्रि विश्राम अमरूद की डाल
पर किया जाता है। ( कर्तृवाच्य में)
(ग) तुम दिनभर कैसे बैठोगे? (भाववाच्य
में)
(घ) सात सुरों को यह गजब की विविधता के साथ
प्रस्तुत करती है। (कर्मवाच्य में)
उत्तर- (क)
कर्मवाच्य कुछ छोटे भूरे पक्षियों के द्वारा मंच संभाल लिया गया जाता था।
(ख) कर्तृवाच्य बुलबुल रात्रि विश्राम अमरूद की
डाल पर करती है।
(ग) भाववाच्य तुम से दिन भर कैसे बैठा जायेगा?
(घ) कर्मवाच्य - सात सुरों को इसके द्वारा गजब
की विविधता के साथ प्रस्तुत किया गया ।
7. निम्नलिखित रेखांकित पदों का पद परिचय दीजिए [1x4=4]
मानव को इंसान बनाना अत्यन्त ही कठिन कार्य है लेकिन
असम्भव नहीं।
उत्तर- मानव
को-जातिवाचक
संज्ञा, एकवचन, पुल्लिंग, कर्मकारक
कठिन- गुणवाचक
विशेषण एकवचन, पुल्लिंग
कार्य-क्रिया, एकवचन, पुल्लिंग, भाववाचक
लेकिन- समुच्चयबोधक अव्यय ।
8. (ख) (i) निम्नलिखित काव्यांश में कौन-सा स्थायी भाव है? [1]
बाहर
तैं तब नन्द बुलाए देखी धौं सुन्दर सुखदाई।
तनक- तनक सी
दूध दंतुलिया देखी, नैन सफल करौ आई ।
(ii)
हास्य रस का स्थायी भाव लिखिए।
उत्तर- (ख) (i) वात्सल्य रस (ii) हास
खण्ड 'घ'
14.
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर
दिए गए संकेत- बिन्दुओं के आधार पर लगभग 250 शब्दों में निबन्ध लिखिए "[10]
(क) स्वच्छता की ओर बढ़े कदम
• स्वच्छता की आवश्यकता
• स्वच्छता के प्रति जागरूकता
'नियम, कानून
(ख) आतंकवाद
• बढ़ता आतंकवाद
● भारत में आतंकवाद,
• विश्व स्तर पर आतंकवाद,
(ग) एक मुलाकात महिला चैंपियन साक्षी मलिक से
• कैसे हुई भेंट
• हिम्मत और मेहनत,
• आपकी राय,
उत्तर- (क) स्वच्छता की ओर बढ़े कदम
यह सर्वविदित
है कि 2 अक्टूबर को हमारे देश में प्रति वर्ष गाँधीजी
का जन्म दिवस को एक राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाया जाता है। 2 अक्टूबर, 2014 को
ससम्मान राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी जी को याद किया गया, लेकिन स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत के कारण इस बार यह और
भी विशिष्ट दिन हो गया 'स्वच्छ भारत अभियान एक राष्ट्रीय
स्तर अभियान है। गाँधीजी की 145वीं
जयन्ती के अवसर पर माननीय प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी ने इस अभियान के आरम्भ
की घोषणा की।
साफ-सफाई को लेकर दुनियाभर में भारत की छवि बदलने के लिए प्रधानमन्त्री जी बहुत गम्भीर हैं हमारे प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने 2 अक्टूबर के दिन सर्वप्रथम गाँधीजी को राजघाट पर श्रद्धांजलि अर्पित की तथा फिर नई दिल्ली स्थित वाल्मीकि बस्ती में जाकर झाडू लगाई कहा जाता है। कि वाल्मीकि बस्ती दिल्ली में गाँधीजी का सबसे प्रिय स्थान था। वे अक्सर वहाँ जाकर ठहरते थे।
प्रधानमन्त्री
जी ने पाँच साल में देश को साफ-सुथरा बनाने के लिए लोगों को शपथ दिलाई कि न मैं
गन्दगी करूँगा और न ही गन्दगी करने दूँगा अपने अतिरिक्त मैं सौ अन्य लोगों को साफ-
सफाई के प्रति जागरूक करूँगा और उन्हें सफाई की शपथ दिलवाऊँगा। उन्होंने कहा कि
प्रत्येक व्यक्ति साल में 100 घण्टे का
श्रमदान करने की शपथ ले और सप्ताह में कम से कम दो घण्टे सफाई के लिए निकले। अपने
भाषण में उन्होंने स्कूलों और गाँवों में शौचालय निर्माण की आवश्यकता पर भी बल
दिया। केन्द्र सरकार और प्रधानमन्त्री की गन्दगी मुक्त भारत' की संकल्पना अच्छी है तथा इस दिशा में उनकी ओर से किए गए
आरम्भिक प्रयास सराहनीय हैं, लेकिन
सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि आखिर क्या कारण है कि साफ-सफाई हम भारतवासियों के
लिए कभी महत्व का विषय नहीं रहा? आखिर
क्या तमाम प्रयासों के पश्चात् भी हम साफ-सुथरे नहीं रहते हैं? आज पूरी दुनिया में भारत की छवि एक गन्दे देश की है। पिछले
ही वर्ष हमारे पड़ोसी देश चीन के कई ब्लागों पर गंगा में तैरती लाशों और भारतीय
सड़कों पर पड़े कूड़े के ढेर वाली तस्वीरें छाई रहीं। यह सही है कि चरित्र की
शुद्धि और पवित्रता बहुत आवश्यक है, परन्तु
बाहर की सफाई भी उतनी ही आवश्यक है। यदि हमारा आस-पास का परिवेश ही स्वच्छ नहीं
होगा, तो मन भला किस प्रकार शुद्ध रह सकेगा। अस्वच्छ
परिवेश का प्रतिकूल प्रभाव हमारे मन पर भी पड़ता है जिस प्रकार एक स्वस्थ शरीर में
स्वस्थ मस्तिष्क का वास होता है। उसी प्रकार एक स्वस्थ और शुद्ध व्यक्तित्व का
विकास भी स्वच्छ और पवित्र परिवेश में ही सम्भव है।
अतः अन्तःकरण
की शुद्धि का मार्ग बाहरी जगत की शुद्धि और स्वच्छता से होकर ही गुजरता है।
साफ-सफाई के अभाव में हमारा आध्यात्मिक लक्ष्य भी प्रभावित होता है साथ ही आर्थिक
प्रगति भी बाधित होती है। हम स्वच्छ रहकर आर्थिक नुकसान से भी बच सकते हैं अतः
हमें अपने दैनिक जीवन में भी सफाई को एक मुहिम की भाँति शामिल करने की आवश्यकता है
साथ ही हमें इसे एक बड़े स्तर पर भी देखने की जरूरत है, ताकि हमारा पर्यावरण भी स्वच्छ रहे।
उत्तर- (ख) आतंकवाद
वर्तमान समय
में आतंकवाद एक वैश्विक समस्या का रूप धारण कर चुका है जिसकी आग में सम्पूर्ण
विश्व जल रहा है। कोई भी देश ये नहीं कह सकता कि हम आतंकवाद से पूर्णतया मुक्त है
वास्तविकता तो यह है कि कोई भी नहीं जानता कि आतंकवाद का अगला निशाना कौन तथा किस
रूप में होगा।
हिंसा के
द्वारा जनमानस में भय अथवा आतंक पैदा कर अपने उद्देश्यों को पूरा करना ही आतंकवाद
है। यह उद्देश्य किसी भी प्रकार से हो सकता है।
आतंकवादी
हमेशा आतंक फैलाने के नए-नए तरीके आजमाते रहे हैं। भीड़ भरे स्थानों, रेल बसों इत्यादि में बम विस्फोट करना, रेलवे दुर्घटना करवाने के लिए रेलवे लाइनों की पटरियाँ
उखाड़ देना, वायुयानों का अपहरण कर लेना, बैंक डकैतियाँ, निर्दोष
लोगों को बन्दी बनाकर इत्यादि कुछ ऐसी आतंकवादी गतिविधियाँ हैं, जिनसे पूरा विश्व पिछले कुछ दशकों से त्रस्त है।
आज पूरा
विश्व किसी-न-किसी रूप में आतंकवाद की चपेट में हैं। पिछले एक दशक से आतंकवादी
घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है। 11
सितम्बर 2001 को अमेरिका के न्यूयॉर्क स्थित वर्ल्ड ट्रेड
सेन्टर और 26 नवम्बर 2008 को मुम्बई में हुआ आतंकवादी हमला आतंकवाद के बढ़ते प्रभाव
को चित्रित करता है।
हाल ही में पाकिस्तान के पेशावर जिले में स्थित एक आर्मी स्कूल में लगभग 150 मासूम बच्चों को निर्ममतापूर्वक मौत के घाट उतार दिया गया। सर्वाधिक चिंता की बात यह है कि जिन ताकतों या देशों ने अपने स्वार्थ के कारण किसी-न-किसी रूप आतंकवाद को प्रोत्साहित किया है।
वैसे तो
आतंकवाद के प्रमुख कारण राजनैतिक स्वार्थ सत्ता लोलुपता एवं धार्मिक कट्टरता हैं, किन्तु नक्सलवाद जैसी विद्रोही गतिविधियों के सामाजिक कारण
भी हैं, जिनमें बेरोजगारी एवं गरीबी प्रमुख है। विश्व
के अधिकतर आतंकवादी संगठन युवाओं की गरीबी एवं बेरोजगारी का फायदा उठाकर ही उन्हें
आतंकवाद के अन्धे कुए में कूदने के लिए उकसाने में सफल रहते हैं।
आतंकवाद जैसी
समस्या का सही समाधान यही हो सकता है कि जिन कारणों से आतंकवाद में निरन्तर वृद्धि
हो रही दूर करने का प्रयास किया जाए। इसमें पिछड़े इलाकों के युवक-युवतियों को
रोजगार मुहैया करवाये जाएँ। जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद की समस्या के समाधान के लिए
भारत सरकार को बड़े कदम उठाने होंगे तथा पाकिस्तानी घुसपैठ को रोकने के लिए राज्य
पर अपनी प्रशासनिक पकड़ मजबूत करनी होगी तथा आवश्यकता पड़ने पर पाकिस्तान से
द्विपक्षीय वार्ता के अतिरिक्त उसके प्रति कठोर कदम उठाये जा सकें। हाल ही में
भारत ने पुलवामा हमले के बदले में पाकिस्तान में घुसकर आतंकवादियों के ठिकानों को
नष्ट किया। कुल मिलाकर यही कहा जा सकता है कि आतंकवाद की समस्या के समाधान के लिए
पूरे विश्व को मिलकर एक व्यापक रणनीति बनाना ही समय की माँग है।
उत्तर- (ग)
एक मुलाकात महिला चैंपियन साक्षी मलिक से साक्षी मलिक एक फ्री स्टाइल रेसलर है 2016 के रिओ ओलम्पिक में साक्षी 58 किलो की वजन श्रेणी में कांस्य पदक जीतने वाली पहली महिला
रेसलर बनी और साथ ही देश की तरफ से ओलम्पिक्स में पदक जीतने वाली चौथी महिला बनी।
साक्षी मलिक
वर्तमान में भारतीय रेलवे के दिल्ली डिवीजन के उत्तरी रेलवे जोन में कॉमर्शियल
डिपार्टमेंट में कार्यरत है। रिओ ओलम्पिक में कांस्य पदक जीतने के बाद उनकी
पदोन्नति कर दी गई। रोहतक के महर्षि दयानन्द यूनिवर्सिटी से उन्होंने शारीरिक
शिक्षा प्राप्त की।
साक्षी मलिक
का जन्म 3 सितम्बर 1992 को हरियाणा रोहतक जिले में हुआ था। उनके पिता के अनुसार
दादा बदलूराम से उन्हें रेसलिंग की प्रेरणा मिली। उनके दादाजी एक रेसलर थे 12 वर्ष की उम्र में ही 1 उन्होंने एक कोच के साथ रेसलिंग का प्रशिक्षण प्राप्त किया
था। उनके कोच और उन्हें दोनों को ही स्थानीय लोगों की आलोचनाओं का काफी सामना करना
पड़ा था प्रशिक्षक रेसलर के रूप में मलिक को पहली बार सफलता 2010 में जूनियर वर्ल्ड चैम्पियनशिप में मिली उसमें उन्होंने 58 किलो की वजन श्रेणी में कांस्य पदक जीता था। 2014 में 60 किलो
वजन की श्रेणी में स्वर्ण पदक जीता था। साक्षी मलिक ने 2014 के कॉमनवेल्थ में कैमरून की एड्वीग न्गोनो एशिया को हराकर
क्वार्टर फाइनल मैच जीता था। 2015 में
दोहा में हुए एशियन चैम्पियनशिप में 60 किलो
वजन की श्रेणी में भी तीसरा स्थान प्राप्त किया था। मई 2016 में ओलम्पिक्स वर्ल्ड क्वालीफाइंग टूर्नामेंट में 58 किलो की वजन श्रेणी में उन्होंने सेमिनल में चाइना की जहाँ
लं को हराकर 2016
में रिओ ओलम्पिक्स के लिए
क्वालीफाई किया ओलम्पिक्स में उन्होंने अपने 32 बाउट का राउण्ड स्वीडन की जोहना मत्तास्सों और 16 बाउट का राउण्ड माल्डोवा मरिआना चेर्दिवास को पराजित कर
दिया था। एक के बाद एक प्रतिद्वन्दियों को हराते हुए ओलम्पिक्स में मेडल जीतने
वाली पहली महिला रेसलर बनी थी मेडल जीतने के बाद भारतीय रेलवे ने उनका प्रमोशन भी
किया साथ ही अपनी तरफ से 5 करोड़ का नकद इनाम भी दिया था।
इसके साथ ही उन्होंने भारतीय ओलम्पिक्स एसोसिएशन दी
मिनिस्ट्री
ऑफ यूथ अफेयर्स एण्ड स्पोर्ट दी गवर्नमेंट ऑफ दिल्ली राज्य सरकार (हरियाणा, मध्य प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश) की तरफ से भी पुरस्कार दिए
अपने अन्तिम मैच में साक्षी मलिक ने आखिरी 6 मिनट में यह जीत की नई कहानी लिखी, जिस खेल को देखकर यह कह पाना मुश्किल था. कि वो उसे जीत
सकेगी, उसे आखिरी पलों में बदलकर रख दिया साक्षी ने
रेसलिंग आमतौर पर लड़कों का खेल कहा जाता है। ऐसे में इस खेल को चुनना और 12 साल लगन से सीखना किसी भी लड़की के लिए आसान नहीं होता, क्योंकि ऐसे में आपको एक लड़ाई खुद से लड़नी होती है तथा
दूसरी लड़ाई समाज से लड़नी पड़ती है। वर्तमान में आश्चर्यचकित कर देने वाली बात यह
है कि
जो लोग इस
बात का विरोध करते थे आज वही लोग आगे बढ़कर उसकी सहायता कर रहे हैं उसे
प्रोत्साहित कर रहे हैं। साक्षी से उसके सुखद पल के बारे में पूछा तो उसने जवाब
दिया कि मेडल मिलने के बाद तिरंगा लहरा रहा था तब ही उनका सबसे सुखद खुशनुमा पल
था। 23 वर्षीय महिला रेसलर ने आज पूरे विश्व में अपने
भारत देश का नाम रोशन किया है। साक्षी मलिक के मेडल जीतने के बाद रिओ ओलम्पिक में
मेडल जीतने का इंतजार कर रहे भारतीय खेल प्रेमियों के चेहरे पर वो मुस्कान आ गयी
थी, जिसका उन्हें इन्तजार था।
जिन
व्यक्तियों की यह संकीर्ण मानसिकता होती है कि लड़कियों को नहीं पढ़ाना है, वे पढ़कर क्या करेंगी, तो उनके समक्ष साक्षी मलिक जैसी लड़कियों का उदाहरण
प्रस्तुत करना चाहिए, ताकि वे भी अपनी ऐसी सोच को त्याग
कर अपनी बेटियों के उज्ज्वल भविष्य में पथ-प्रदर्शन के रूप में खरे उतरें।
15.
अपने विद्यालय में हुए संगीत
समारोह पर टिप्पणी करते हुए माँ को पत्र लिखिए। [5]
अथवा
विद्यालयों
में योग शिक्षा का महत्त्व बताते हुए किसी समाचार-पत्र के सम्पादक को पत्र लिखिए।
उत्तर-
परीक्षा भवन,
सेंट जॉन्स
स्कूल,
आगरा।
दिनांक 20 जनवरी, 20XX
आदरणीय माता
जी,
सादर प्रणाम,
मैं पिछले कई
दिनों से स्कूल में संगीत समारोह की तैयारी में व्यस्त थी। इस कारण आपको पत्र न
लिख सकी संगीत समारोह के लिए विद्यालय को अच्छी तरह सजाया गया। समारोह विद्यालय
प्रांगण में हुआ। इस अवसर पर प्रसिद्ध संगीतकार ए.आर. रहमान जी मुख्य अतिथि थे वे
जैसे ही विद्यालय के प्रवेश द्वार पर आए उन पर फूलों की वर्षा होने लगी तथा
विद्यालय प्राचार्य ने उनका माल्यार्पण कर स्वागत किया। हमारे विद्यालय की
छात्राओं द्वारा सरस्वती वंदना प्रस्तुत की गई। इसके पश्चात् एक के बाद एक
सांस्कृतिक कार्यक्रमों की झाँकियाँ प्रस्तुत की गई। राजस्थानी नृत्य एवं गीत ने
तो आगंतुकों को मन्त्र-मुग्ध कर
दिया।
कार्यक्रम के अन्त में विद्यालय प्राचार्य ने उपस्थित मुख्य अतिथि एवं उपस्थित
अभिभावकों को सहर्ष धन्यवाद दिया। साथ ही बच्चों के उज्ज्वल भविष्य की कामना भी
की। अपने शुभाशीष के पश्चात् कार्यक्रम का समापन किया। मेरी पढ़ाई ठीक चल रही है।
मीनाक्षी कैसी है?
आपका और पिताजी का स्वास्थ्य ठीक
ही होगा उनको मेरा प्रणाम कहना आपकी पुत्री शालिनी
अथवा
सम्पादक को
पत्र
सेवा में,
सम्पादक
महोदय,
दैनिक जागरण,
सेक्टर 20.
नोएडा, गौतमबुद्ध नगर।
दिनांक 5 जनवरी, 20XX
विषय योग
शिक्षा का महत्त्वा
महोदय,
जन-जन की
आवाज, जन-जन तक पहुँचाने के लिए कटिबद्ध आपके पत्र के
माध्यम से मैं विद्यालय में योग शिक्षा के महत्त्व को बताना चाहती हूँ।
योग शिक्षा
के माध्यम से विद्यार्थी स्वास्थ्य के प्रति जागरूक होंगे। योग शिक्षा उनके
स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद हैं। योग के माध्यम से वे अपने शरीर की नकारात्मक ऊर्जा
बाहर निकाल सकते हैं जिससे सकारात्मक ऊर्जा को ग्रहण कर, वह स्वयं को ऊर्जावान महसूस कर सकते हैं योग के द्वारा कई
लाइलाज बीमारियों को भी जड़ से समाप्त किया जा सकता है। यह हमारे स्वास्थ्य के लिए
जीवनदायिनी औषधि की भाँति है। आप अपने समाचार-पत्र के माध्यम से पाठकों को योग
शिक्षा ग्रहण करने के लिए आग्रह करें। सधन्यवाद!
भवदीया
नीतू
आगरा।
Hindi Course A
Delhi Term-II [Set-I]
खण्ड 'क'
1.
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे
गये प्रश्नों के लिए सही विकल्प चुनकर लिखिए। [5]
देश की आजादी
के उनहत्तर वर्ष हो चुके हैं और आज जरूरत है अपने भीतर के तर्कप्रिय भारतीयों को
जगाने की. पहले नागरिक और फिर उपभोक्ता बनने की हमारा लोकतंत्र इसलिए बचा है कि हम
सवाल उठाते रहे हैं लेकिन वह बेहतर इसलिए नहीं बन पाया क्योंकि एक नागरिक के रूप
में हम अपनी जिम्मेदारियों से भागते रहे हैं। किसी भी लोकतांत्रिक प्रणाली की
सफलता जनता की जागरूकता पर ही निर्भर करती है।
एक बहुत बड़े
संविधान विशेषज्ञ के अनुसार किसी मंत्री का सबसे प्राथमिक, सबसे पहला जो गुण होना चाहिए वह यह कि वह ईमानदार हो और उसे
भ्रष्ट नहीं बनाया जा सके। इतना ही जरूरी नहीं, बल्कि लोग देखें और समझें भी कि यह आदमी ईमानदार है। उन्हें
उसकी ईमानदारी में विश्वास भी होना चाहिए। इसलिए कुल मिलाकर हमारे लोकतंत्र की
समस्या मूलतः नैतिक समस्या है संविधान, शासन
प्रणाली, दल, निर्वाचन
ये सब लोकतंत्र के अनिवार्य अंग है पर जब तक लोगों में नैतिकता की भावना न रहेगी, लोगों का आचार-विचार ठीक न रहेगा। तब तक अच्छे से अच्छे
संविधान और उत्तम राजनीतिक प्रणाली के बावजूद लोकतंत्र ठीक से काम नहीं कर सकता
स्पष्ट है कि लोकतंत्र की भावना को जगाने व संबर्द्धित करने के लिए आधार प्रस्तुत
करने की जिम्मेदारी राजनीतिक नहीं बल्कि सामाजिक है।
आजादी और
लोकतंत्र के साथ जुड़े सपनों को साकार करना है तो सबसे पहले जनता को स्वयं जाग्रत
होना होगा। जब तक स्वयं जनता का नेतृत्व पैदा नहीं होता, तब तक कोई भी लोकतंत्र सफलतापूर्वक नहीं चल सकता। सारी
दुनिया में एक भी देश का उदाहरण ऐसा नहीं मिलेगा जिसका उत्थान केवल राज्य की शक्ति
द्वारा हुआ हो कोई भी राज्य बिना लोगों की शक्ति के आगे नहीं बढ़ सकता।
(क) लगभग 70 वर्ष की आजादी के बाद नागरिकों से लेखक की अपेक्षाएँ हैं कि वे
(i)
समझदार हों
(ii)
प्रश्न करने वाले हों
(iii)
जगी हुई युवा पीढ़ी के हों
(iv)
मजबूत सरकार चाहने वाले हॉ
(ख) हमारे
लोकतांत्रिक देश में अभाव है
(i)
सौहार्द्र का
(ii)
सदभावना का
(iii)
जिम्मेदार नागरिकों का
(iv) एकमत पार्टी का
(ग) किसी मंत्री की विशेषता होनी चाहिए
(i) देश की बागडोर संभालने वाला
(ii)
मिलनसार और समझदार
(iii) सुशिक्षित और धनवान
(iv)
ईमानदार और विश्वसनीय
(घ) किसी भी
लोकतंत्र की सफलता निर्भर करती है
(i)
लोगों में स्वयं ही नेतृत्व भावना
हो
(ii) सत्ता पर पूरा विश्वास हो
(iii)
देश और देशवासियों से प्यार हो
(iv) समाज सुधारकों पर भरोसा हो
(ङ) लोकतंत्र की भावना को जगाना बढ़ाना दायित्व
है:
(i) राजनीतिक
(ii)
प्रशासनिक
(iii)
सामाजिक
(iv)
संवैधानिक
उत्तर- (क) (iii) जगी हुई युवा पीढ़ी के हों
(ख) (iii) जिम्मेदार
नागरिकों का
(ग) (iv) ईमानदार
और विश्वसनीय
(घ) (i) लोगों
में स्वयं ही नेतृत्व भावना हो
(ङ) (iii) सामाजिक
2.
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर पूछे
गए प्रश्नों के लिए सही विकल्प चुनकर लिखिए- [5]
गीता के इस
उपदेश की लोग प्रायः चर्चा करते हैं कि कर्म करें फल की इच्छा न करें यह कहना तो
सरल है पर पालन उतना सरल नहीं कर्म के मार्ग पर आनन्दपूर्वक चलता हुआ उत्साही
मनुष्य यदि अन्तिम फल तक न भी पहुँचे तो भी उसकी दशा कर्म न करने वाले की उपेक्षा
अधिकतर अवस्थाओं में अच्छी रहेगी, क्योंकि
एक तो कर्म करते हुए उसका जो जीवन बीता वह संतोष या आनन्द में बीता, उसके उपरांत फल की अप्राप्ति पर भी उसे यह पछतावा न रहा कि
मैंने प्रयत्न नहीं किया। फल पहले से कोई बना बनाया पदार्थ नहीं होता। अनुकूल
प्रयत्न कर्म के अनुसार उसके एक-एक अंग की योजना होती है किसी मनुष्य के घर का कोई
प्राणी बीमार है वह वैद्यों के यहाँ से जब तक औषधि ला- लाकर रोगी को देता जाता है
तब तक उसके चित्त में जो संतोष रहता है, प्रत्येक
नए उपचार के साथ जो आनन्द का उन्मेष होता रहता है यह उसे कदापि न प्राप्त होता, यदि वह रोता हुआ बैठा रहता प्रयत्न की अवस्था में उसके जीवन
का जितना अंश संतोष आशा और उत्साह में बीता, अप्रयत्न की दशा में उतना ही अंश केवल शोक और दुख में कटता
इसके अतिरिक्त रोगी के न अच्छे होने की दशा में भी वह आत्मग्लानि के उस कठोर दुख
से बचा रहेगा जो उसे जीवन भर यह सोच सोच कर होता कि मैंने पूरा प्रयत्न नहीं किया।
कर्म में
आनन्द अनुभव करने वालों का नाम ही कर्मण्य है। धर्म और उदारता के उच्च कर्मों के
विधान में ही एक ऐसा दिव्य आनन्द भरा रहता है कि कर्त्ता को वे कर्म ही फलस्वरूप
लगते हैं अत्याचार का दमन और शमन करते हुए कर्म करने से चित्त में जो तुष्टि होती
है वही लोकोपकारी कर्मवीर का सच्चा सुख है।
(क) कर्म करने वाले को फल न मिलने पर भी पछतावा
नहीं होता क्योंकि
(i)
अन्तिम फल पहुँच से दूर होता है
(ii) प्रयत्न न करने का भी पश्चाताप नहीं होता
(iii)
वह आनन्दपूर्वक काम करता रहता है।
(iv) उसका जीवन संतुष्ट रूप से बीतता है
(ख) घर के बीमार सदस्य का उदाहरण क्यों दिया
(i)
पारिवारिक कष्ट बताने के लिए
(ii) नया उपचार बताने के लिए
(iii)
शोक और दुख की अवस्था के लिए
(iv) सेवा के संतोष के लिए
(ग) 'कर्मण्य' किसे
कहा गया
(i) जो काम करता है
(ii) जो दूसरों से काम करवाता है
(iii) जो काम करने में आनन्द पाता है
(iv) जो उच्च और पवित्र कर्म करता है
(घ) कर्मवीर
का सुख किसे माना गया है?
(i) अत्याचार का दमन
(ii) कर्म करते रहना
(iii) कर्म करने से प्राप्त संतोष
(iv) फल के प्रति तिरस्कार भावना
(ङ) गीता के
किस उपदेश की ओर संकेत है :
(i) कर्म करें तो फल मिलेगा
(ii) कर्म की बात करना सरल है
(iii) कर्म करने से संतोष होता है
(iv) कर्म करें फल की चिंता नहीं
उत्तर-
(क) (ii) प्रयत्न न करने का भी पश्चाताप नहीं होता
(ख) (iv) सेवा के संतोष के लिए
(ग) (iii) जो काम करने में आनन्द पाता है।
(घ) (iii) कर्म करने से प्राप्त संतोष
(ङ) (iv) कर्म करें फल की चिंता नहीं
3.
निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के लिए सही विकल्प चुनकर लिखिए-
सूख रहा है समय [1x5=5]
इसके हिस्से
की रेत
उड़ रही है
आसमान में
सूख रहा है
आँगन में रखा
पानी का गिलास पंखुरी की साँस सूख रही है
जो सुंदर
चोंच मीठे गीत सुनाती थी उससे अब हॉफने की आवाज आती है
हर पौधा सूख
रहा है
हर नदी
इतिहास हो रही है हर तालाब का सिमट रहा है कोना
यही एक मनुष्य
का कंठ सूख रहा है
वह जेब से
निकालता है पैसे और
खरीद रहा है
बोतल बंद पानी
बाकी जीव
क्या करेंगे अब न उनके पास जेब है न बोतल बंद पानी ।
(क) सूख रहा
है समय कथन का आशय है
(i) गर्मी बढ़ रही है
(ii) जीवनमूल्य समाप्त हो रहे हैं।
(iii) फूल मुरझाने लगे हैं
(iv) नदियाँ सूखने लगी हैं
(ख) हर नदी के इतिहास होने का तात्पर्य है
(i)
नदियों के नाम इतिहास में लिखे जा
रहे हैं
(ii)
नदियों का अस्तित्व समाप्त होता जा
रहा है
(iii)
नदियों का इतिहास रोचक है
(iv)
लोगों को नदियों की जानकारी नहीं
है
(ग)
"पँखुरी की साँस सूख रही है जो सुंदर चोंच मीठे गीत सुनाती थी ऐसी परिस्थिति
किस कारण उत्पन्न हुई ?
(i)
मौसम बदल रहे हैं
(ii)
अब पक्षी के पास सुंदर चोंच नहीं
रही
(iii)
पतझड़ के कारण पत्तियाँ सूख रही
थीं
(iv)
अब प्रकृति की ओर कोई ध्यान नहीं
देता
(घ) कवि के
दर्द का कारण है
(i)
पँखुरी की साँस सूख रही है
(ii)
पक्षी हॉफ रहा है
(iii)
मानव का कंठ सूख रहा है।
(iv)
प्रकृति पर संकट मंडरा रहा है
(ङ) बाकी जीव
क्या करेंगे अब कथन में व्यंग्य है
(i)
जीव मनुष्य की सहायता नहीं कर सकते
(ii)
जीवों के पास अपने बचाव के कृत्रिम
उपाय नहीं हैं
(iii)
जीव निराश और हताश बैठे हैं
(iv)
जीवों के बचने की कोई उम्मीद नहीं
रही
उत्तर- (क) (ii)
जीवन मूल्य समाप्त हो रहे हैं।
(ख) (ii)
नदियों का अस्तित्व समाप्त होता जा
रहा है
(ग) (iv)
अब प्रकृति की ओर कोई ध्यान नहीं
देता
(घ) (iv)
प्रकृति पर संकट मंडरा रहा है
(ङ) (ii)
जीवों के पास अपने बचाव के कृत्रिम
उपाय नहीं हैं
4. निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के लिए सही विकल्प चुनकर लिखिए- [1 × 5 = 5]
नदी में नदी
का अपना कुछ भी नहीं
जो कुछ है सब
पानी का है।
जैसे पोथियों
में उनका अपना
कुछ नहीं
होता
कुछ अक्षरों
का होता है
कुछ ध्वनियों
और शब्दों का
कुछ पेड़ों
का कुछ धागों का
कुछ कवियों
का
जैसे चूल्हे
में चूल्हे का अपना
कुछ भी नहीं
होता
न जलावन, न औच, न
राख
जैसे दीये
में दीये का
न रुई, न उसकी बाती
न तेल न आग न
तिल्ली
वैसे ही नदी
में नदी का
अपना कुछ
नहीं होता।
नदी न कहीं आती
है न जाती हैं।
वह तो पृथ्वी
के साथ
सतत
पानी-पानी गाती है।
नदी और कुछ
नहीं
पानी की
कहानी है
जो बूँदों से
सुनकर बादलों को सुनानी है।
(क) कवि ने
ऐसा क्यों कहा कि नदी का अपना कुछ भी नहीं सब पानी का है।
(i) नदी का अस्तित्व ही पानी से है
(ii) पानी का महत्व नदी से ज्यादा है
(iii) ये नदी का बड़प्पन है
(iv) नदी की सोच व्यापक है
(ख) पुस्तक
निर्माण के संदर्भ में कौन-सा कथन सही नहीं है?
(i) ध्वनियों और शब्दों का महत्व है
(ii) पेड़ों और धागों का योगदान होता है
(iii) कवियों की कलम उसे नाम देती हैं
(iv) पुस्तकालय उसे सुरक्षा प्रदान करता है.
(ग) कवि, पोथी, चूल्हें
आदि उदाहरण क्यों दिए गए है?
(i) इन सभी के बहुत से मददगार हैं
(ii) हमारा अपना कुछ नहीं
(iii) उन्होंने उदारता से अपनी बात कही है
(iv) नदी की कमजोरी को दर्शाया है
(घ) नदी की
स्थिरता की बात कौन-सी पंक्ति में कही गई है?
(i) नदी में नदी का अपना कुछ भी नहीं
(ii) वह तो पृथ्वी के साथ सतत पानी
(iii) नदी न कहीं आती है न जाती है।
(iv) जो कुछ है सब पानी का है
(ङ) बूँदें
बादलों से क्या कहना चाहती होंगी?
(i) सूखी नदी और प्यासी धरती की पुकार
ii)
भूखे-प्यासे बच्चों की कहानी
(iii) पानी की कहानी
(iv) नदी की खुशियों की कहानी
उत्तर- (क) (i) नदी का अस्तित्व ही पानी से है
(ख) (iv) पुस्तकालय उसे सुरक्षा प्रदान करता है।
(ग) (ii) हमारा अपना कुछ नहीं
(घ) (iii) नदी न कहीं आती है न जाती है
(ङ) (iii) पानी की कहानी
खण्ड 'ख'
5. निर्देशानुसार
उत्तर दीजिए- [1 ×3-3]
(क) जीवन की कुछ चीजें हैं जिन्हें हम कोशिश करके पा सकते हैं। (आश्रित उपवाक्य छाँटकर उसका भेद भी लिखिए )
(ख) मोहनदास और गोकुलदास सामान निकालकर बाहर रखते (संयुक्त वाक्य में बदलिए)
(ग) हमें स्वयं करना पड़ा और पसीने छूट गए। (मिश्र वाक्य में बदलिए)
उत्तर-
(क ) जिन्हें हम कोशिश करके पा सकते हैं विशेषण उपवाक्य
(ख) मोहनदास और गोकुलदास ने सामान
निकाला और बाहर रखा।
(ग) जब हमने
स्वयं किया तब हमारे पसीने छूट गए।
6. निर्देशानुसार वाच्य परिवर्तित कीजिए- [1 ×4=4]
(क) कूजन
कुंज में आसपास के पक्षी संगीत का अभ्यास करते हैं। (कर्मवाच्य में)
(ख) श्यामा
द्वारा सुबह-दोपहर के राग बखूबी गाए जाते हैं। ( कर्तृवाच्य में)
ग) भाववाच्य
दर्द के कारण उससे चला नहीं जाता
(घ)
कर्तृवाच्य श्यामा के गीत की तुलना बुलबुल के सुगम संगीत से करते हैं।
उत्तर- (क)
कर्मवाच्य - कूजन कुंज में आस-पास के पक्षी द्वारा संगीत का अभ्यास किया जाता है।
(ख) कर्तृवाच्य
श्यामा सुबह दोपहर के राग बखूबी गाती है।
(ग) भाववाच्य -
दर्द के कारण उससे चला नहीं जाता
(घ) कर्तृवाच्य
श्यामा के गीत की तुलना बुलबुल के सुगम संगीत से करते हैं।
7. रेखांकित
पदों का पद परिचय दीजिए- [1 ×4=4]
सुभाष पालेकर ने प्राकृतिक खेती की जानकारी
अपनी पुस्तकों में दी
उत्तर- (क)
सुभाष पालेकर व्यक्तिवाचक संज्ञा, एकवचन, पुल्लिंग कर्ता
(ख)
प्राकृतिक उपसर्ग एवं प्रत्यय, एकवचन, स्त्रीलिंग विशेषण
(ग) जानकारी
- एकवचन, स्त्रीलिंग,
भाववाचक संज्ञा,
(घ)
दी है सकर्मक क्रिया, वर्तमान
काल
8. (क)
काव्यांश पढ़कर रस पहचानकर लिखिए- [1 x 2 = 2 ]
(i)
साक्षी रहे संसार करता हूँ
प्रतिज्ञा पार्थ में,
पूरा करूँगा
कार्य सब कथनानुसार यथार्थ में।
जो एक बालक
को कपट से मार हँसते हैं अभी,
वे शत्रु सत्वर
शोकसागर-मग्न दीखेंगे सभी
(ii)
साथ दो बच्चे भी हैं सदा हाथ फैलाए,
बायें से वे
मलते हुए पेट को चलते,
और दाहिना दय
दृष्टि पाने की ओर बढ़ाए।
(ख) (i)
निम्नलिखित काव्यांश में कौन-सा
स्थायी भाव है?
मेरे लाल को
आउ निंदरिया,
काहै न आनि
सुवावे तू काहै नहिं बेगहीं आये, तोको कान्ह बुलावै
(ii)
श्रृंगार रस के स्थायी भाव का नाम
लिखिए।
उत्तर- (क) (i) वीर रस (ii) करुण रस
(ख) (i) वात्सल्य स्नेह (वत्सलता) (ii)
रति
खण्ड 'ग'
9.
निम्नलिखित गद्यांश के आधार पर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए
भवभूति और
कालिदास आदि के नाटक जिस जमाने के हैं उस जमाने में शिक्षितों का समस्त समुदाय
संस्कृत ही बोलता था, इसका
प्रमाण पहले कोई दे ले तब प्राकृत बोलने वाली स्त्रियों को अपढ़ बताने का साहस करे
इसका क्या सबूत कि उस जमाने में बोलचाल की भाषा प्राकृत न थी ?
सबूत तो प्राकृत के चलने के ही
मिलते हैं प्राकृत यदि उस समय की प्रचलित भाषा न होती तो बौद्धों तथा जैनों के
हजारों ग्रंथ उसमें क्यों लिखे जाते, और भगवान शाक्य मुनि तथा उनके चेले प्राकृत ही में क्यों
धर्मोपदेश देते? बौद्धों
के त्रिपिटक ग्रंथ की रचना प्राकृत में किए जोन का एकमात्र कारण यही है कि उस
जमाने में प्राकृत ही सर्वसाधारण की भाषा थी। अतएव प्राकृत बोलना और लिखना अपढ़ और
अशिक्षित होने का चिन्ह नहीं ।
(क)
नाटककारों के समय में प्राकृत ही प्रचलित भाषा थी - लेखक ने इस संबंध में क्या
तर्क दिए हैं? दो
का उल्लेख कीजिए [2]
(ख) प्राकृत
बोलने वाले को अपढ़ बताना अनुचित क्यों है? [2]
(ग) भवभूति
कालिदास कौन थे? [1]
10.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखिए- [2 × 5 = 10]
(क) मन्नू
भंडारी ने अपने पिताजी के बारे में इंदौर के दिनों की क्या जानकारी दी ?
(ख) मन्नू
भंडारी की माँ धैर्य और सहनशक्ति में धरती से कुछ ज्यादा ही थी ऐसा क्यों कहा गया?
(ग) उस्ताद
बिस्मिल्ला खाँ को बालाजी के मंदिर का कौन-सा रास्ता प्रिय था और क्यों?
(घ) संस्कृति
कब असंस्कृति हो जाती है और असंस्कृति से कैसे बचा जा सकता है?**
(ङ) कैसा
आदमी निठल्ला नहीं बैठ सकता? संस्कृति पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए। **
उत्तर- (क)
इंदौर में वे सामाजिक-राजनीतिक संगठनों से जुड़े थे। उन्होंने शिक्षा का उपदेश न
दिया अपितु विद्यार्थियों को अपने घर पर रखकर भी पढ़ाया जिससे वे बाद में ऊँचे-ऊँचे
पद पर आसीन हुए। वहाँ के समाज में उनकी काफी प्रतिष्ठा और सम्मान था।
(ख) लेखिका
की माँ अपने पति के दुर्व्यवहार एवं विभिन्न कारणों से उपजे क्रोध को अपना प्राप्य
और बच्चों की प्रत्येक उचित - अनुचित फरमाइश तथा जिद को अपना फर्ज समझकर बड़े सहज
भाव से स्वीकार करती थी। उन्होंने जिंदगी भर अपने लिए कुछ नहीं चाहा कुछ नहीं
माँगा बल्कि अपने पति और बच्चों की खुशियों को ही अपने जीवन का उद्देश्य बना लिया
था उनका त्याग, धैर्य
सहिष्णुता तथा सहनशक्ति उनकी विवशता और मजबूरी के प्रतीक हैं लेखिका की माँ
उपर्युक्त विशेषताओं के कारण धैर्य और सहनशक्ति में धरती से कुछ ज्यादा ही थीं।
(ग)
बिस्मिल्ला खाँ को रसूलनबाई और वतूलन बाई के यहाँ से होकर बालाजी मंदिर जाने का
रास्ता बहुत प्रिय था क्योंकि इससे होकर जाने में उन दोनों गायिका बहनों का मधुर
गायन सुनने को मिलता था।
11.
निम्नलिखित काव्यांश के आधार पर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए- [5]
वह अपनी गूँज
मिलाता आया है प्राचीन काल से
गायक जब
अंतरे की जटिल तानों के जंगल में
खो चुका होता
है
या अपनी ही
सरगम को लाँघकर चला जाता है भटकता हुआ एक अनहद में
तब संगतकार
ही स्थायी को सँभाले रहता है जैसे समेटता हो मुख्य गायक का पीछे छूटा हुआ सामान
जैसे उसे याद
दिलाता हो उसका बचपन
जब वह
नौसिखिया था।
(क) 'वह अपनी गूँज मिलाता आया है प्राचीन काल से का
भाव स्पष्ट कीजिए।
(ख) मुख्य
गायक के अंतरे की जटिल तान में खो जाने पर संगतकार क्या करता है?
(ग) संगतकार
मुख्य गायक को क्या याद दिलाता है?
उत्तर- (क) मुख्य गायक के गायन को प्रभावी बनाने,
उसकी सहायता करने के लिए संगतकार
उसके स्वर से अपना स्वर मिलाते हैं ऐसी परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है।
(ख) मुख्य
गायक के अंतरे जटिल तान में खो जाने पर अर्थात् उसके स्वर के बिगड़ जाने पर
संगतकार अपने स्वर से सहारा देकर उसे संभालता है।
(ग) संगतकार
अपनी कोमल, सुंदर
तथा क्षीण आवाज से कदम-कदम पर मुख्य गायक के गायन में सहायता करता है मुख्य गायक
जब भटकने लगता है अथवा अनहद की गूँज में लड़खड़ा जाता है तब संगतकार ही स्थाई भाव
को सँभाले रखता था ऐसा करके संगतकार मुख्य गायक को उसके द्वारा बचपन में की गई
गलतियों की याद दिलाता है।
12.
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखिए- [2x5=10]
(क) 'लड़की जैसी दिखाई मत देना यह आचरण अब बदलने लगा है इस पर
अपने विचार लिखिए।
(ख) बेटी को 'अंतिम पूँजी क्यों कहा गया है?
(ग) दुविधाहत
साहस है, दिखता है पंथ नहीं कथन में किस यथार्थ का
चित्रण है?
(घ) बहु
धनुही तोरी लरिकाई यह किसने कहा और क्यों?
(ङ) लक्ष्मण ने शूरवीरों के क्या गुण बताए हैं?
उत्तर- (क)
नारी सशक्तिकरण के युग में लड़कियों अब लड़की जैसी दिखाई नहीं देती है- क्योंकि अब
समय बदल रहा है वे पुरुषों से कंधे से कंधा मिलाकर प्रत्येक क्षेत्र में कार्य कर
अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर रही हैं। इंदिरा गाँधी, लता मंगेशकर, साक्षी
मलिक, पी.टी. ऊषा, सानिया मिर्जा, पी.वी.
सिंधु कल्पना चावला, सुनीता विलियम्स जैसे कई उदाहरण
हैं जिनका नाम लेते ही समाज में नारियों की सफलता का परचम स्वतः फहरने लगता है।
ऐसे में नारियों की दुनियाँ सिर्फ घर और रसोई तक सीमित नहीं है। कमजोर और बेबस हो
सकी यातनाओं को सहन नहीं कर रही है। क्योंकि वे अब शिक्षित हैं तथा उन्हें अपने अधिकारों का
उचित प्रयोग करना आता है।
(ख) बेटी का
लगाव माँ से सबसे अधिक होता है। वह उसके सबसे निकट एवं उसके सुख-दुख की साथी होती
है। माँ भी अपनी बेटी को पूँजी की तरह सहेजकर पालती पोसती है। विवाह के पश्चात् यह
पूँजी भी जाने वाली होती है। माँ को अपनी बेटी अंतिम पूँजी इसलिए लग रही है, क्योंकि उसके जाने के बाद कौन उसका सुख-दुःख पूछेगा एवं वह
अपने मन की बात किससे कहेंगी।
(ग) जब जीवन में लक्ष्य प्राप्ति के लिए किए प्रयास संघर्ष सफल होते हैं तो जीवन में सदैव उत्साह रहता है। जीवन में आई बाधाओं से संघर्ष करने में आनंदानुभूति होती है। इसके विपरीत अभीष्ट की प्राप्ति के लिए किए गए प्रयास और संघर्ष असफल होते हैं तो हतोत्साहित व्यक्ति को कोई पथ दिखाई नहीं देता है। इस प्रकार जीवन में अंधेरा ही अंधेरा छा जाता है दूर-दूर तक दुखों का अंत नहीं होता है।
(घ) लक्ष्मण
ने उक्त कथन कहा- हमने बचपन में ऐसी अनेक धनुहियाँ तोड़ी थी, तब आपने कभी गुस्सा नहीं किया। इस धनुष के टूट जाने पर इतना
गुस्सा क्यों? किस कारण धनुष के प्रति इतना स्नेह है?
(ङ) लक्ष्मण
ने शूरवीरों के निम्नलिखित गुण बताए-
(i) वीर योद्धा रण क्षेत्र में शत्रु के समक्ष पराक्रम दिखाते
हैं।
(ii) वे शत्रु के समक्ष अपनी वीरता का बखान नहीं करते हैं।
(iii) वे ब्राह्मण, देवता, गाय और प्रभु भक्तों पर पराक्रम नहीं दिखाते हैं।
(iv) वीर क्षोभरहित होते हैं तथा अपशब्दों का प्रयोग नहीं करते
हैं।
13. जल
संरक्षण से आप क्या समझते हैं? हमें
जल संरक्षण को गंभीरता से लेना चाहिए, क्यों
और किस प्रकार ?
जीवन मूल्यों की दृष्टि से जल
संरक्षण पर चर्चा कीजिए। [5]
उत्तर- जल
संरक्षण अर्थात् जल का रक्षण जल को बचाना। आधुनिक मानव ने जल के अति दोहन एवं
प्रदूषण ने जल का जो मानवकृत संकट उपस्थित किया है, वह किसी भी तरह सामूहिक आत्मघात से कम नहीं है। देश में
पानी के लिए त्राहि-त्राहि मची हुई है। भूगर्भ का जलस्तर निरन्तर कम होता जा रहा
है। गहराई से आने वाला पानी खारा और अपेय हो गया है। नदियाँ हमारे कुकर्मों के
कारण प्रदूषित ही नहीं हुई हैं बल्कि समाप्त होने के कगार पर आ गई हैं। प्रदूषण के
कारण भूमण्डलीय ताप में वृद्धि हो रही है और ध्रुव प्रदेश की बर्फ तथा ग्लेशियर
तेजी से पिघल रहे हैं। यह महासंकट की चेतावनी है, जिसे मनुष्य स्वार्थवश अनसुनी कर रहा है।
वर्तमान में जल संरक्षण आवश्यक ही नहीं अनिवार्य हो गया है। जीना है तो जल को बचाना ही होगा उसका सही और नियन्त्रित उपयोग करना चाहिए। जलाशयों को प्रदूषित होने से बचाना होगा। वृक्षारोपण करने होंगे बरसात के पानी को संरक्षित कर उसका उपयोग किया जा सकता है गली-मोहल्लों में नुक्कड़ नाटक द्वारा जल संरक्षण की इस मुहिम को पहुँचाना होगा कि भविष्य में जो जल संकट होने की संभावना उत्पन्न हो रही है, उसके लिए अभी से सब तत्पर हो जाएं तथा वर्तमान में जल संरक्षण करें।
14.
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर दिए गए संकेत बिंदुओं के आधार पर 250 शब्दों
में निबंध लिखिए- " [10]
(क) एक
रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम
• सजावट और उत्साह
• कार्यक्रम का सुखद आनन्द
• प्रेरणा
(ख) वन और
पर्यावरण
• वन अमूल्य वरदान
• मानव से संबंध
• पर्यावरण के समाधान
(ग) मीडिया
की भूमिका
• मीडिया का प्रभाव
• सकारात्मकता और नकारात्मकता
• अपेक्षाएँ
उत्तर- (क) एक रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम
एक रंगारंग
सांस्कृतिक कार्यक्रम पिछले सप्ताह हमारे स्कूल का स्थापना दिवस बड़ी धूम-धाम से
मनाया गया। इस अवसर पर एक रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया। यह
कार्यक्रम रात्रि आठ बजे से बारह बजे तक चला सारा कार्यक्रम इतना आनन्दमय था कि
पता ही नहीं चला कि कब समय बीत गया कार्यक्रम की प्रस्तुति विशिष्ट थी।
सर्वप्रथम, सरस्वती वंदना का कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया। निराला
द्वारा रचित सरस्वती वंदना वीणा वाणिनी वर दे की प्रस्तुति अत्यंत भावपूर्ण ढंग से
की गई। सारा वातावरण भक्तिमय बन गया था। इसके पश्चात् एक छात्रा का भरतनाट्यम
नृत्य प्रस्तुत हुआ यद्यपि वह दसवीं कक्षा की ही छात्रा थी. पर उसके नृत्य की
भाव-भंगिमाएँ उसे एक कुशल नर्तकी दर्शा रही थी। दर्शक बार-बार तालियाँ बजाकर उसका
उत्साहवर्द्धन कर रहे थे। 15 मिनट तक उसने अनोखा समां बांधा। इसके पश्चात् हास्य
व्यंग्य का कार्यक्रम प्रारंभ हुआ। इसमें अभिनय, गीत, चुटकुले आदि का समावेश था। हास्य
भरे संवाद सुनकर लोग लोट-पोट हो गए। सब तरफ हँसी का माहौल बन गया। सब लोग काफी खुश
नजर आये। इसके बाद देश भक्ति की भावना पर आधारित समूहगान प्रस्तुत किया गया। इसमें
भाग लेने वालों के हाव-भाव देखते ही बन रहे थे। सारा वातावरण देशभक्ति की भावना से
ओत-प्रोत हो गया।
अब बारी आई
कव्वाली की लड़के-लड़कियों दो विरोधी गुटों में बेटी थीं। वे एक-दूसरे पक्ष को
नीचा दिखाने पर तुले थे। उनके बोल और भाव मशहूर कव्वालों जैसे लग रहे थे दस मिनट
तक कव्वाली ने खूब रंग जमाया।
इसके बाद एकल
गाने सुनाए गए इनमें कुछ फिल्मी गाने थे तो कुछ हरियाणवी दोनों प्रकार के गाने
बहुत ही अच्छे लगे। हरियाणा की रागिनी ने समाँ बाँधा अंत में भांगड़ा नृत्य पेश
किया गया। बहुत अच्छे नृत्य थे इस नृत्य का उत्साह थे। और नृत्य भंगिमाएँ देखती ही
बन रही थीं। लोगों में जोश दौड़ने लगा।
इसके बाद
समूह गान का कार्यक्रम शुरू हुआ तानपूरे पर एक गायिका तन्मय होकर गा रही थी। सुनने
वाले मंत्रमुग्ध होकर बैठे थे। लगभग 15 मिनट तक खूब समाँ बाँधा । लोगों की इसमें
कम ही रुचि होती है पर यहाँ यह कार्यक्रम खूब जमा
अब कार्यक्रम
अंतिम चरण की ओर बढ़ रहा था। समय भी बहुत हो चला था। समारोह के अंत में मुख्य
अतिथि का भाषण हुआ और राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम समाप्त हो गया। यह कार्यक्रम
लंबे समय तक याद किया जाएगा।
उत्तर- (ख) वन और पर्यावरण
वन प्रकृति
का अनुपम उपहार हैं। इस अमूल्य संपदा के कोष को बनाए रखने की आवश्यकता है।
पेड़-पौधे तथा मनुष्य एक-दूसरे के पोषक हैं। इन वृक्षों, पेड़-पौधे अथवा वनों से प्राकृतिक तथा पर्यावरण संतुलन बना
रहता है। संतुलित वर्षा तथा प्रदूषण से बचाव के लिए भी वनों के संरक्षण की
आवश्यकता है। इतना ही नहीं शस्य स्यामला भूमि को बंजर होने से बचाने, भू-क्षरण, पर्वत-स्खलन
आदि को रोकने में भी वन संरक्षण अनिवार्य होता है। इन्हीं वनों में अनेक वन्य
प्राणियों को आश्रय मिलता है। हमारे देश में तो वृक्षों को पूजने की परंपरा है
हमारी संस्कृति में वृक्षारोपण पुण्य का कार्य माना जाता है तथा किसी फलदार अथवा
हरे-भरे वृक्ष को काटना पाप है। पुराणों के अनुसार एक वृक्ष लगाने से उतना ही
पुण्य मिलता है जितना इस गुणवान पुत्रों का यश खेद का विषय है कि आज हम वन-संरक्षण
के प्रति न केवल उदासीन हो गए हैं वरन् उनकी अंधाधुंध कटाई करके स्वयं अपने पैरों
पर कुल्हाड़ी मार रहे हैं, जिससे प्रकृति का संतुलन बिगड़ गया
है। आए दिन आने वाली बातें, सूखा, भू-क्षरण, पर्वत-स्खलन
तथा पर्यावरण की समस्या मानव के विनाश की भूमिका बाँध रही हैं। समस्याएँ चेतावनी
देती हैं- हे मनुष्य! अभी समय है, वनों
की अंधाधुंध कटाई मत कर अन्यथा बहुत पछताना पड़ेगा पर मानव है कि उसके कान खड़े
नहीं होते। वह वनों की कटाई के इन दूरगामी दुष्परिणामों की ओर से जान-बूझकर आँख
मूँदे हुए हैं।
हमारे वन
हमारे उद्योगों के लिए मजबूत आधार प्रस्तुत करते हैं। ये ईंधन इमारती लकड़ी प्रदान
करते ही हैं, साथ ही अनेक उद्योग-धंधों के लिए कच्चा माल भी
उपलब्ध कराते हैं लाख, गोंद, रबड़ आदि हमें वनों से ही प्राप्त होते हैं। प्लाइवुड, रेशम, वार्निश, कागज, दियासलाई
जैसे अनेक उद्योग-धंधे वनों की ही अनुकंपा पर आधारित हैं। ये वन भूमिगत जल के
स्रोत हैं।
आज नगरीकरण
शैतान की आँत की तरह बढ़ता जा रहा है जिसके लिए वनों की अंधाधुंध कटाई करके मनुष्य
स्वयं अपने विनाश को निमंत्रण दे रहा है। सिकुड़ते जा रहे वनों के कारण पर्यावरण
प्रदूषण इस हद तक बढ़ गया है कि साँस लेने के लिए स्वच्छ वायु दुर्लभ हो गई है।
बड़े-बड़े उद्योग-धंधों की चिमनियों से निकलता धुआँ वातावरण को प्रदूषित कर रहा है
बेमौसमी बरसात तथा ओलों की वजह से खेत में पड़ी फसलें खराब हो जाती हैं तथा धरती
मरुस्थल में बदलती जा रही है। पेड़ों तथा वनों की कटाई के कारण ही पर्वतों से
करोड़ों टन मिट्टी बह-बहकर नदियों में जाने लगी है सबसे गंभीर बात तो यह है कि
पृथ्वी के सुरक्षा कवच ओजोन में भी बढ़ते प्रदूषण के कारण दरार पड़ने लगी है यदि
वनों की कटाई इसी प्रकार चलती रही, तो
वह दिन दूर नहीं जब यह संसार शनैः-शनैः समय के मुँह में जाने लगेगा और विनाश का
तांडव होगा। वनों की कटाई के स्थान पर उद्योग-धंधे ऐसे स्थानों पर स्थापित किए
जाएँ, जहाँ बंजर भूमि है तथा
कृषि योग्य
भूमि नहीं है। हर्ष का विषय है कि सरकार ने वृक्षारोपण को बढ़ावा दिया है। मनुष्य
ओर जागृत हुआ है तथा अनेक समाजसेवी संस्थाओं ने वन-संरक्षण की महत्ता को जन-जन तक
पहुँचाया है चिपको आंदोलन इस दिशा में सराहनीय कार्य कर रहा है।
उत्तर- (ग) मीडिया की
भूमिका
जिन साधनों का प्रयोग कर बहुत से मानव समूहों तक विचारों, भावनाओं व सूचनाओं को सम्प्रेषित किया जाता है, उन्हें हम जनसंचार माध्यम या मीडिया कहते है मीडिया, मीडियम शब्द का बहुवचन रूप है, जिसका अर्थ होता है-माध्यम । इलेक्ट्रॉनिक माध्यम के अन्तर्गत रेडियो, टेलीविजन एवं सिनेमा आते हैं। मीडिया से किसी न किसी रूप में जुड़े रहना, आधुनिक मानव की आवश्यकता बनती जा रही है। मोबाइल, रेडियो, इंटरनेट इत्यादि में से किसी न किसी माध्यम से व्यक्ति हर समय दुनियाभर की खबरों पर नजर रखना चाहता है।
आज
समाचार-पत्र, पत्रिकाएँ, रेडियो और टेलीविजन विश्वभर में जनसंचार के प्रमुख एवं
लोकप्रिय माध्यम बन चुके हैं। शहर से दूरदराज क्षेत्रों में जहाँ आज भी बिजली नहीं
पहुँची है, रेडियो ही जनसंचार का सर्वाधिक लोकप्रिय माध्यम
है। न्यूज चैनलों की स्थापना के साथ ही यह जनसंचार का एक ऐसा सशक्त माध्यम बन गया, जिसकी पहुँच करोड़ों लोगों तक हो गई।
मीडिया की
भूमिका किसी भी समाज के लिए महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि यह न केवल सूचना के प्रसार का कार्य करता है बल्कि
लोगों को किसी मुद्दे पर अपनी राय कायम करने में भी सहायक होता है। हाल ही में 2जी
स्पेक्ट्रम घोटाले में जब प्रिण्ट ही नहीं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के भी दिग्गज बहती
गंगा में हाथ धोते नजर आए, तब कुछ निर्भीक एवं निष्पक्ष
समाचार पत्रों ने पत्रकारिता के अपने धर्म के अन्तर्गत देश को उनकी असलियत बताई
है।
मीडिया का
प्रभाव आधुनिक साज पर स्पष्ट देखा जा सकता है चाहे फैशन का प्रचलन हो या आधुनिक
गीत-संगीत का प्रचार-प्रसार इन सबमें मीडिया की भूमिका अहम होती है।
इधर कुछ
वर्षों से धन देकर समाचार प्रकाशित करवाने एवं व्यावसायिक लाभ के अनुसार समाचारों को
प्राथमिकता देने की घटनाओं में भी तेजी से वृद्धि हुई है, इसका कारण यह है कि भारत के अधिकतर समाचार पत्रों एवं न्यूज
चैनलों का स्वामित्व किसी न किसी स्थापित उद्यमी घराने के पास है मीडिया के माध्यम
से लोगों को | देश की हर गतिविधियों की जानकारी तो मिलती ही हैं।
साथ ही उनका मनोरंजन भी होता है मीडिया देश एवं T राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्कृतिक गतिविधि की सही तस्वीर प्रस्तुत करता
है यह सरकार एवं जनता के बीच एक सेतु का कार्य करता है।
जनता की
समस्याओं को इस माध्यम से जन-जन तक पहुँचाया जा सकता है। विभिन्न प्रकार के
अपराधों एवं घोटालों का पर्दाफाश कर यह देश एवं समाज का भला करता है। इसलिए
निष्पक्ष एवं निर्भीक मीडिया के अभाव में स्वस्थ लोकतंत्र की कल्पना भी नहीं की जा
सकती। इस तरह यह माध्यम आधुनिक समाज में लोकतन्त्र के प्रहरी का रूप ले चुका है और
यही कारण है कि इसे लोकतन्त्र के चतुर्थ स्तम्भ की संज्ञा दी गई है।
15. पी. वी.
सिंधु को पत्र लिखकर रियो ओलंपिक में उसके शानदार खेल के लिए बधाई दीजिए और उनके खेल के बारे में
अपनी राय लिखिए। [5]
अथवा
अपने क्षेत्र
में जल भराव की समस्या की ओर ध्यान आकृष्ट करते हुए स्वास्थ्य अधिकारी को एक पत्र
लिखिए।
उत्तर-
पी. वी.
सिंधु को पत्र
58/19,
अलकापुरी.
दिल्ली।
दिनांक 20
दिसम्बर, 20XX
प्रिय पी.वी.
सिंधु
सस्नेह
नमस्कार,
कल आपका
टी.वी. पर प्रदर्शन देखा उसे देखकर मुझे बहुत
"गर्व
हुआ। आपने ओलम्पिक में रजत पदक प्राप्त करके भारत का नाम रोशन किया है। आपकी यह
सफलता प्रशंसा के योग्य है। ओलम्पिक में रजत पदक पाना बड़े सम्मान की बात है। यह
देख कर मुझे बहुत गर्व महसूस हो रहा है कि आपने अपने माता-पिता का ही नहीं अपितु
पूरे देश का नाम विश्व में रोशन किया हैं आप बहुत अच्छी खिलाड़ी हैं।
आपके परिश्रम
एवं प्रतिभा को देखकर मुझे पूर्ण विश्वास हो गया है कि आप एक न एक दिन स्वर्ण पदक
भी प्राप्त करोगी ईश्वर से प्रार्थना है कि आप भविष्य में इसी प्रकार की सफलता
प्राप्त कर जीवन के पथ पर आगे बढ़ती जाए। अंत में मेरी ओर से एक बार पुनः आपको इस
सफलता के लिए हार्दिक बधाई । आपकी प्रशंसिका
अथवा
सेवा में,
जल भराव की
समस्या
स्वास्थ्य
अधिकारी,
आगरा नगर
निगम,
आगरा।
दिनांक 20
जनवरी, 20XX
विषय- जलभराव
की समस्या हेतु । महोदय,
मैं लोहामंडी
क्षेत्र की निवासी हूँ तथा आपका ध्यान अपने क्षेत्र में जलभराव से हो रही समस्याओं
की ओर आकर्षित करना चाहती हूँ। । वर्षा ऋतु के पश्चात् जगह-जगह सड़कों पर जलभराव
हो गया जिसके कारण मच्छरों का प्रकोप बढ़ गया है साथ ही आने-जाने वालों की
गाड़ियों में पानी चले जाने के कारण खराब हो जाती हैं तथा वे दुर्घटना के शिकार हो
जाते हैं। जल भराव से संपूर्ण क्षेत्र में दुर्गंध फैल रही है। ऐसा नहीं है कि
हमारे क्षेत्र में सफाई कर्मचारी नहीं आते अपितु वे नियमित रूप से अपने कर्तव्यों
का निर्वहन नहीं करते थे, परंतु वे उस जलभराव की समस्या का
समाधान नहीं करते हैं। कई बार मौखिक रूप से क्षेत्रीय सफाई निरीक्षक से भी कहा तथा
लिखित रूप में भी इसकी चर्चा की, परंतु
किसी के कान पर जूं तक नहीं रेंगी। वर्षा के पानी का भराव गंदी नालियों और सफाई न
होने के कारण पूरे क्षेत्र में मलेरिया के फैलने की भी संभावना बढ़ गई है। यह
चिंता का विषय है। अतः आप से अनुरोध है कि लोहामण्डी क्षेत्र के निवासी की इस
समस्या के समाधान के लिए संबंधित अधिकारियों तथा कर्मचारियों को उचित निर्देश देने
की कृपा करें जिससे कि पूरा क्षेत्र इस जलभराव की समस्या से बच सके।
मुझे आशा है
कि आप हमारे क्षेत्र की सफाई करवाने के लिए तुरंत आवश्यक कार्यवाही करेंगे।
भवदीया
अ ब स
16.
निम्नलिखित गद्यांश का शीर्षक लिखकर एक-तिहाई शब्दों में सार लिखिए:" [5]
Delhi Term II
[Set-II]
खण्ड 'ख'
5. निर्देशानुसार
उत्तर दीजिए- [1 × 3 =
3]
(क) कभी
ऐसा वक्त भी आएगा जब हमारा देश विश्वशक्ति होगा। (आश्रित उपवाक्य छाँटकर उसका भेद
भी लिखिए )
(ख) घर से
दूर होने के कारण वे उदास थे (संयुक्त वाक्य में बदलिए)
(ग) जब
बच्चे उतावले हो रहे थे तब कस्तूरबा की आशंकाएं भीतर उसे खरोंच रही थीं। (सरल
वाक्य में बदलिए)
उत्तर- (क) जब हमारा देश विश्वशक्ति होगा (आश्रित उपवाक्य क्रियाविशेषण)
(ख) घर से दूर थे इसलिए वे उदास थे।
(ग) बच्चों के उतावले होने के कारण कस्तूरबा की आशंकाएँ भीतर से उसे खरोंच रही
थीं।
6. निर्देशानुसार
वाच्य परिवर्तित कीजिए- [1
× 4 - 41
(क) बुलबुल
रात्रि विश्राम अमरूद की डाल पर करती है। (कर्मवाच्य में)
(ख) कुछ
छोटे भूरे पक्षियों द्वारा मंच सँभाल लिया जाता है। (कर्तृवाच्य में)
(ग) वह रात
भर कैसे जागेगी? (भाववाच्य में)
(घ) सात
सुरों को इसने गजब की विविधता के साथ प्रस्तुत किया। (कर्मवाच्य में)
उत्तर- (क) कर्मवाच्य - बुलबुल के द्वारा रात्रि विश्राम अमरूद की डाल पर किया जाता है।
(ख) कर्तृवाच्य
कुछ छोटे भूरे पक्षी मंच संभाल लेते हैं।
(ग)
भाववाच्य उससे रात भर कैसे जागा जाएगा?
(घ)
कर्मवाच्य - सात सुरों को उसके द्वारा गजब की विविधता के साथ प्रस्तुत किया
गया।
7. रेखांकित
पदों का पद परिचय दीजिए- [1 × 4 = 4]
हिंदुस्तान वह सब कुछ है जो आपने समझ रखा है लेकिन वह इससे भी बहुत
ज्यादा है।
-उत्तर-
पद-परिचय
हिंदुस्तान- व्यक्तिवाचक संज्ञा, एकवचन, पुल्लिंग
आपने - सर्वनाम, पुरुषवाचक, एकवचन, पुल्लिंग
लेकिन- समुच्चयबोधक अव्यय ।
वह - सर्वनाम, अन्य पुरुषवाचक, एकवचन, पुल्लिंग
बहुत- अनिश्चित परिमाणवाचक, बहुवचन, पुल्लिंग
8. (ख) (i) निम्नलिखित
काव्यांश में कौन-सा स्थायी भाव है? [1x2=2]
कबहुँ पलक हरि मूँद लेते हैं कबहुँ अधर फरकाव
सोवत जानि मौन है रहि रहि करि करि सैन बतावै
इहि अंतर अकुलाई उठे हरि, जसुमति मधुर गावै ।
(ii) वीर रस का स्थायी भाव लिखिए।
उत्तर - (ख) (i) वात्सल्य (ii) उत्साह
14. निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर दिए गए संकेत बिंदुओं के आधार पर 250 शब्दों में निबंध
लिखिए- " [10]
(क) जैसी संगति वैसा स्वभाव
• सदगुणों
का विकास
• कुसंग से
बचाव
• कैसे करें
(ख) खेल और स्वास्थ्य
• खेलों की
उपयोगिता
• खेल और
स्वास्थ्य का संबंध
• हमारा
कर्त्तव्य
(ग)
• हमारे
पड़ोसी
• पडोसियों
का महत्त्व
• हमारा
पड़ोसी
• विशेष
बातें
उत्तर- (क) जैसी संगति वैसा
स्वभाव
संगति को लेकर अनेक सार्थक और तथ्यपूर्ण उक्तियाँ कही गयी हैं। अनेक
कहानीकारों ने सत्संगति की महत्ता को अपनी कहानी का विषय बनाया है जिसके माध्यम से
उन्होंने लोगों के जीवन में सत्संगति का प्रभाव दर्शाया है। इसलिए श्री तुलसीदास
की उक्ति सार्थक ही है कि-
एक घड़ी आधी घड़ी आधी में पुनि आथ ।
तुलसी संगति साधु की कटे कोटि अपराध । ।
सज्जन पुरुषों से सत्संग पाकर अति सामान्य जन महान हो गए। जीवन सुधरा उनके
जीवन लक्ष्य बदले और ध्येय पथ पर अग्रसर होते हुए महानों से महान बनें। अंगुलिमाल
जैसा पातकी महात्मा बुद्ध के सान्निध्य से अपनी हिंसक प्रवृत्ति को छोड़ दिया यह
संगति का प्रभाव था। इसलिए यह सत्य है कि सत्संगति सद्गुणों का विकास करती है।
मनुष्य के असत विचारधाराओं को दूर कर सद प्रवृत्ति का विकास करती है जिस प्रकार
बुरे लोगों के पास बैठने से वैसा ही प्रभाव पड़ता है उसी प्रकार सज्जन लोगों के
संसर्ग से भी प्रभाव पड़े नहीं रहता है।
इन तथ्यों के आधार पर कहा जा सकता है कि श्री तुलसीदास जी ने सत्य ही कहा
है कि-
शठ सुधरहिं सत्संगति पाई।
पारस परसि कघात सुहाई।
इसलिए महापुरुषों का सत्संग तीर्थ से भी बढ़कर है या यह कहा जाए कि
महापुरुषों की संगति चलती हुई तीर्थ है। जिससे बारह वर्ष के बाद आने वाले महाकुंभ
के स्नान से भी बढ़कर पुण्य मिलता है जिसका फल तुरंत मिलता है। अतः सत्य है कि
पुरुषों के कथनानुसार अच्छी संगति से जीवन पवित्र हो जाता है इसके महत्व को
स्वीकारते हुए श्री तुलसीदास जी ने यहाँ तक कहा है कि-
तात स्वर्ग अपवर्ग सुख धरिअ तुला एक अंग, तूल न ताहि सकल मिलि जो सुख लव
सत्संग जहाँ विद्वानों ने अच्छी संगति की महिमा के गीत गाए हैं वहीं कुसंग से बचने
की सलाह भी दी है। यद्यपि सज्जन पुरुष पर कुसंग का प्रभाव नहीं पड़ता है तथापि
लगातार कुसंग के संसर्ग में रहने का प्रभाव भी पड़े बिना भी नहीं रहता है।
रघुवंश की राजरानी कही जाने वाली कैकेयी जैसी विदुषी सद्गुणसंपन्न, वीरांगना राजा दशरथ की
प्रिय भार्या भरत जैसे चरित्रवान पुत्र की जननी, कुसंगति मंथरा के कुसंग के प्रभाव
को न नकार सकी और सदा-सदा के लिए लोगों के लिए हेय बन गई। कैकेयी मंथरा का संसर्ग
पाकर बालक राम को वन भेजने के लिए हठ कर बैठी। इस संदर्भ में तुलसीदास जी ने इस
प्रकार कहा है कि
को न कुसंगति पाई नसाई। रहे न नीच मतों चतुराई ।।
अतः विद्वान मानव समाज को प्रेरित करते आए हैं कि यथासंभव कुसंग से, परनिंदा से बचना
चाहिए। संत कवि कबीरदास जी ने भी समाज को सीख देते हुए कहा है कि- कबिरा संगति
साधु की हरे और की व्याधि ।
संगति बुरी असाधु की आठों पहर उपाथि
(ख) खेल और स्वास्थ्य
खेल मात्र खाली समय का सदुपयोग नहीं है, अपितु जीवन की नियमित आवश्यकता है जिसने दिन में एक बार खेलों को स्थान दिया है, वह जीवन में सदैव खुश रहा है। बड़ी मुसीबतों में विचलित नहीं होता है।
धन के अभाव में मनुष्य सुख का अनुभव कर सकता है। शरीर के स्वस्थ रहने पर धन प्राप्त करने के प्रयास किए जा सकते हैं किन्तु अस्वस्थ रहने पर सुखों का अनुभव तो दूर सब कुछ सामने होते हुए भी सुख की कामना नहीं कर पाता है। अतः जिसका स्वास्थ्य अच्छा है वह ही सब कुछ करने की और सब कुछ प्राप्त करने की इच्छा रख सकता है इसलिए जीवंत पुरुष यही कहा करते हैं कि मानव को स्वास्थ्य के प्रति सदैव सचेत रहना चाहिए जिसने नियमित | खेलना सीख लिया, जीवन में नियमित प्रातः भ्रमण करना सीख लिया उसने सब सीख लिया रोग-व्याधि उससे दूर ही भागते हैं। भौतिक सुखों को तभी प्राप्त किया जा सकता है जब शरीर आरोग्य हो खेलने वाले साथियों के मध्य रहें।
हँसना भी खेल का एक हिस्सा है हँसी तभी आनंददायक होगी जब हम शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ होंगे। स्वस्थ युवक खेल सामग्री के अभाव में भी खेल सकता है। यह आवश्यक नहीं है कि खेल के लिए विशेष साधन जुटाएं जाएं साधन के अभाव में भी खिलाड़ी कोई-न-कोई खेल ढूँढ ही लेते हैं साथी न मिलने पर भी मस्ती में अकेले भी खेला जा सकता है पहले बच्चे लकड़ी की गाड़ी बनाकर खेलते थे और आज खेल के साधन बाजार में महँगे दामों पर मिलते हैं। यह सोचकर मत बैठें कि जब तक साधन नहीं होंगे तब तक कैसे खेलें बहुत से लोग आज अपने स्तर को बनाए रखने के लिए बच्चों को घर में कैद रखना चाहते हैं, वे खेल के सभी साधन घर में ही जुटा देते हैं, जिससे सामुहिक खेलों से बालक वंचित रह जाता है घर में खेले जाने वाले खेलों से मानसिक खेल तो हो जाते हैं, किन्तु शारीरिक खेल नहीं हो पाते हैं।
शारीरिक खेल तो घर से बाहर सामुहिक रूप से ही संपन्न होते हैं। आज क्रिकेट, फुटबॉल, बास्केटबाल तथा अन्य-अन्य खेलों के प्रति स्तरीय रुचि संपन्न घरों में पैदा हुई है। ग्रामीण 'अंचल में खेले जाने वाले प्रायः सभी खेल बिना किसी विशेष साधन के खेले जाते रहे हैं। आयुर्वेद में कहा गया है कि खूब भूख लगने पर भोजन का आनंद मिलता है और परिश्रम से पसीना आने पर शीतल छाया का आनंद मिलता है। थकान के बाद शीतल छाया में और सामान्य भोजन में जो आनंद की अनुभूति होती है ऐसी आनंद की अनुभूति रोगग्रस्त शरीर को विविध प्रकार के व्यंजनों में भी नहीं मिलती है।
उदाहरणस्वरूप जो बालक रुचि से खेलता है उसकी पाचन शक्ति बढ़ती है। दूसरी ओर आलसी बच्चे होते हैं जो टी.वी. पर आने वाले पदार्थों के विज्ञापन की ओर आकर्षक होते हैं तथा उन्हें ही प्रयोग करते हैं अतः खेलने वाले बच्चों युवकों के लिए कभी चिकित्सकों की आवश्यकत्ता नहीं पड़ती है। शरीर स्वयं अरोग्य हो जाता है। खेल हमारे जीवन का अभिन्न अंग है हम स्वयं खेलते हुए स्वस्थ रहते हुए दूसरों को भी प्रेरित करें जब हम हरी सब्जी तथा ताजे फल खाएँगे तो हम स्वस्थ रहेंगे तथा रोज व्यायाम करना भी बेहतर हो सकता है खेलने से हमारे शरीर का विकास होता है।
उत्तर- (ग)
हमारे पड़ोसी
(“मनुष्य एक सामाजिक प्राणी
है")
अरस्तू मनुष्य
समाज से पृथक रहकर अपने जीवन यापन की कल्पना नहीं कर सकता है अगर वह ऐसा करता है
तो वह पशुतुल्य है। सामाजिक जीवन में सर्वप्रथम एक अच्छे पड़ोसी की आवश्यकता होती
है दिन अथवा रात कठिन परिस्थितियों में हम सबसे पहले अपने पड़ोसी से सहायता माँगते
हैं, क्योंकि वही हमारे सबसे
निकट होता है। इसलिए यह कहना अनुचित न होगा कि हमारा प्रिय स्वजन हमारा पड़ोसी
होता है। यही हमारी मदद करता है। अगर हमारे अच्छे पड़ोसी हैं तो ऐसा प्रतीत होगा
कि हम स्वर्ग में रह रहे हैं क्योंकि अच्छे पड़ोसी होते हैं तो हमारे जीवन की आधी
परेशानियाँ स्वतः समाप्त हो जाती हैं जिससे हमारे जीवन शैली और जीवन स्तर में
विकास होता है। पड़ोसी एक-दूसरे के पूरक होते हैं खुशनुमा अवसर हो अथवा गमगीन
माहौल, पड़ोसी जितनी सहायता करते
हैं उतनी तो कभी हमारे अपने भी न करें अच्छे पड़ोसी आवश्यकता पड़ने पर निःस्वार्थ
भाव से हमारी सम-विषम परिस्थितियों में हमारे साथ खड़े होते हैं तथा हमारे सहायक
भी होते हैं। किसी ने ठीक ही कहा है कि "प्रेम करने वाला पड़ोसी दूर रहने
वाले भाई से कहीं उत्तम है।"
मेरे माता-पिता
विवाहोत्सव में सम्मिलित होने के लिए शहर से बाहर गए थे। इस बीच मेरे छोटे भाई का
स्वास्थ्य अचानक खराब हो गया। उन्होंने और उनकी धर्मपत्नी ने परी रात बैठकर उसकी
देखभाल की। परिणामस्वरूप अगले दिन
उसके स्वास्थ्य में सुधार आ गया। हमारे पड़ोसी बहुत सरल एवं सज्जन व्यक्ति हैं।
हमेशा हमारी सहायता के लिए तत्पर रहते हैं। हमारे मध्य बहुत घनिष्ठ सम्बन्ध बन गए
हैं मारनी जैक्सन ने सही कहा है कि "जिस तरह हम अपने परिवार के सदस्यों को
नहीं चुन सकते, उसी प्रकार
पड़ोसियों को चुनना भी अकसर हमारे वश में नहीं होता है इस तरह के रिश्तों में
सूझ-बूझ से काम लेना पड़ता है, अदब से पेश आने
और सहनशीलता दिखाने की जरूरत पड़ती है।"
15. अपने प्रधानाचार्य को
पत्र लिखकर अनुरोध कीजिए कि काश में विद्यालय में रंगमंच प्रशिक्षण के लिए एक
कार्यशाला राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के सहयोग से आयोजित की जाए इसकी उपयोगिता भी
अथवा
अपने चाचानी को
कर अनुरोध कीजिए कि आपके पिताजी को इस बात के लिए समझाकर राजी करे बाढ़ पीड़ितोंकी
सहायता के लिए गठित स्वयंसेवकों के साथ जाने के लिए सहमत हो
उत्तर- सेवा में,
द कमलानगर
आगरा।
5 मई 20000X
विषमे विद्यालय
में रंगमंच प्रशिक्षण के लिए हेतु
महोदय,
सविनय निवेदन है
कि हम ग्रीष्मावकाश में विद्यालय में रंगमंच प्रशिक्षण के लिए एक कार्यशाला
राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के सहयोग से आयोजित करना चाहा है। इसकी कई उपयोगिताएँ
श्री जिसके परिणामस्वरूप हमारे विद्यालय के विद्यार्थी इस कार्यशाला में नाट्य
सम्बन्धी कई अन्य महत्वपूर्ण तथ्य बिंदुओं कोसी सोंगे एवं इससे लाभ लेवान यह अपनी
प्रतिमा का प्रदर्शन और अत्यधिक प्रभावी ढंग से कर सकेंगे। इस प्रशिक्षण कार्यालय
के शिक्षकों का भी पूर्ण योगदान रहेगा। आपसे अनुरोध है कि विद्यालय में रंगमंच के
लिए कार्यशाला आयोजित करने की अनुमति प्रदान करने का कष्ट करें जिससे सभी लोग
लाभान्वित हो सकें।
धन्यवादः
आपका आज्ञाकारी
शिष्य
अभिषेक
( छात्र प्रमुख)
अथवा
पता 37/18 जनकपुरी दिल्ली
20 नवम्बर 200X
आदरणीय
सादर प्रणाम। |
आशा करता हूँ कि
घर में सब कुशलमंगल होंगे हम नय सब कुशल है इस समय आपको पत्र लिखने क विशेष कारण
है। हमारे विद्यालय से कुछ स्वयसेवक संगठ होकर बादग्रस्त पीडितों की सहायता करने
हेतु जा रहे है अपना नाम दे दिया है और अगले सप्ताह मुझे उनके है मगर पिताजी मुझे
इस कार्य में जाने के लिए अपनी अनुमि नहीं दे रहे हैं।
आप अच्छी तरह
जानते है इस समय बाढ़ पीड़ितों को हमारी मदद की आवश्यकता है। इस समय केवल आप जी
सहायता कर सकते है पिताजी को अब आप समझा सकते है पत्र मिलते ही पिताजी से जए पत्र
हूँ और आपके जवाब
की प्रतीक्षा रहेगी।
अपका नतीज
निर्मल सिंह
Delhi Term II [Set-III]
खण्ड 'ख'
5. निर्देशानुसार उत्तर
दीजिए- [1 ×
3=3]
(क) मैंने कहा कि
स्वतंत्रता सेनानियों के अभावग्रस्त जीवन के बारे में में सब जानती हूँ। (आश्रित
उपवाक्य छौटकर उसका भेद भी लिखिए)
(ख) सीधा-सादा किसान सुभाष
पालेकर अपनी नेतुरत फर्निंग में कृषि के क्षेत्र में क्रांति ला रहा है। (मिश्र वाक्य में बदलिए)
(ग) अपने उत्पाद को सीधे
ग्राहक को बेचने के कारण किसान को दुगुनी कीमत
मिलती है (संयुक्त वाक्य में बदलिए)
उतर- (क) संज्ञा उपयानियों के के बारे में में
सब जानती हूँ।
(ख) मिश्र वाक्य जितना
सीधा-सादा किसान सुभाष पालेकर है उतना ही अपनी नेचुरल से कृषि के क्षेत्र में
क्रांति ल रहा है।
(ग) संयुक्त वाक्य अपने
उत्पाद को सीधे ग्राहक को बेचा इसलिए किसान को दुगुनी कीमत मिली।
6. निर्देशानुसार वच्य
परिवर्तत कीजिए-
(क) मैनाओं ने गीत
सुनाया(कर्मवाच्य में)
(ख) माँ अभी भी खड़ी नहीं हो पाती। (भाववाच्य में)
ग) बीमारी के
कारण उससे उठा नहीं जाता
( कर्तृवाच्य में)
(घ) क्या अब चला जाए? (कर्तृवाच्य में)
उत्तर- (क)
कर्मवाच्य - मैनाओं के द्वारा गीत सुनाया गया।
(ख) भाववाच्य माँ से अभी भी खड़ा नहीं हुआ जाता।
(ग) कर्तृवाच्य बीमारी के कारण वह उठ नहीं पाता ।
(घ) कर्तृवाच्य क्या अब चलें?
7. रेखांकित पदों का पद परिचय दीजिए- [1×4=4]
मानव सभ्य तभी है जब वह युद्ध से शांति की ओर आगे बढ़े।
उत्तर- मानव-जातिवाचक
संज्ञा, एकवचन, पुल्लिंग, कर्ता
सभ्य - पुल्लिंग, एकवचन विशेष्य का विशेषण
8. (ख) (i) निम्नलिखित काव्यांश में
कौन-सा स्थायी भाव है? [1]
जसुमति मन अभिलाष
करै
कब मेरो लाल घुटुरुवनि रंगे, कब धरती पग दुवेक धेरै
(ii) करुण रस का स्थायी भाव लिखिए।
उत्तर- (ख) (i) वत्सलता (स्नेह)
(ii) शोक
14. निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर दिए गए संकेत बिंदुओं के आधार पर 250 शब्दों में निबंध लिखिए-' [10]
(क) हम होंगे कामयाब
• कामयाबी का अर्थ
• कर्मठ व्यक्ति
'आत्मविश्वासी और
दढ़निश्चय
(ख) शिक्षा-व्यवस्था
• वर्तमान शिक्षा प्रणाली
सुधार अपेक्षित
• वांछनीय शिक्षा व्यवस्था
(ग) स्मार्ट फोन
• स्मार्ट फोन की सुविधा
• मोबाइल संपत्ति और
विपत्ति दोनों रूप में
स्वास्थ्य पर
पड़ता प्रभाव
उत्तर- (क) हम होंगे कामयाब
सफलता उसी मनुष्य
का वरण करती है जिसने उसकी प्राप्ति के लिए श्रम किया हो। प्रथम श्रेणी के ही
विद्यार्थी उत्तीर्ण होते है जो पूरे वर्ष कठिन परिश्रम करते हैं मनुष्य के पास
श्रम के अतिरिक्त कुछ भी नहीं जीवन में कामयाब होने के लिए मेहनत करनी पड़ती है।
पुरुष वही होता है, जो पुरुषार्थ करता है
संपूर्ण विश्व में हो रही प्रगति पुरुषार्थ का ही परिणाम है। मनुष्य जितना परिश्रम
करता है उतनी ही उन्नति करता है साधारण से साधारण व्यक्ति भी अपने परिश्रम से महान
उद्योगपति और देश का प्रधानमंत्री बन सकता है।
कठिन परिश्रम के
द्वारा ही एक चाय बनाने वाला व्यक्ति आज हमारे देश का प्रधानमंत्री है, जिसके विषय में बताना ऐसा प्रतीत होगा जैसे
सूर्य को दीपक दिखाना। बिना परिश्रम के तो सामने रखे हुए थाल से रोटी का ग्रासमुँह
में नहीं जाता। जीवन की सफलता अथवा कामयाबी के लिए परिश्रम की नितांत आवश्यकता
होती है। साधु-सन्यासी भी कठिन परिश्रम द्वारा ईश्वर से साक्षात्कार करते हैं, जैसे- महात्मा बुद्ध ईसामसीह,
दयानंद सरस्वती इत्यादि ।
अतः यह कहना अनुचित न होगा कि श्रम के बिना कुछ संभव नहीं है श्रम शारीरिक और
मानसिक दोनों प्रकार का होता है।
आलसी और अकर्मण्य व्यक्ति जीवन के किसी क्षेत्र में सफल नहीं होता। वह पशु की भाँति होता है और उसी की तरह मृत्यु को प्राप्त होता है जबकि परिश्रमी व्यक्ति के जीवन में परिश्रम का वही महत्व है जो उसके जीवन में खाने का और सोने का है। परिश्रम के बिना उसका जीवन व्यर्थ है। गति का दूसरा नाम जीवन होता है जिस मनुष्य के जीवन में गति नहीं वह आगे नहीं बढ़ सकता। वह उस तालाब के समान है जिसमें न पानी कहीं से आता है और न निकलता है। मानव जो संघर्षो के लिए बना है, संघर्षो के पश्चात् उसे सफलता मिलती है। संघर्षों में घोर श्रम करना पड़ता है भारत की दासता का मुख्य कारण था कि यहाँ के लोग अकर्मण्य हो गए थे। यदि हम आज भी अकर्मण्य और आलसी बने रहे तो पुनः हम अपनी स्वतंत्रता खो देंगे।
परिश्रम से ही व्यक्ति को यश और धन दोनों की
प्राप्ति होती है। परिश्रम से मनुष्य धनोपार्जन भी करता है। ऐसे लोगों का भी
उदाहरण यहाँ देखने को मिल सकता है जिन्होंने दस रुपए से अपना व्यवसाय आरंभ किया और
अपने परिश्रम के दम पर करोड़पति बन गए जिसे अपने परिश्रम पर पूर्व
विश्वास होता है वही प्रतिस्पर्धाओं में सफल होता है। मेहनत के कारण ही साधारण
व्यक्ति भी एक महान वैज्ञानिक, कलाकार, डॉक्टर बनते हैं विकास के
मार्ग पर वही व्यक्ति T अग्रसर होता है जो कभी मेहनत, श्रम से नहीं डरता, उससे नहीं भागता तथा एक दिन कामयाब होकर विश्व
में अपना नाम रोशन करता है। कर्म का महत्व श्रीकृष्ण ने भी अर्जुन को गीता के
उपदेश द्वारा समझाया था। उनके अनुसार- "कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचनः।
"
कर्मठ व्यक्ति ही
सुखी और समृद्ध होता है, जबकि आलसी व्यक्ति सदैव दुःखी एवं दूसरों पर
निर्भर रहता है। परिश्रमी अपने कर्मों के द्वारा अपनी इच्छाओं की पूर्ति करता है।
उत्तर- (ख) शिक्षा व्यवस्था
शिक्षा के इस युग
में जब हम उस मानव की कल्पना करते हैं जो अशिक्षित होता था, तो कितना हास्यास्पद तथा आश्चर्यजनक लगता है मनुष्य को उस दशा में कितनी
मुसीबतों का सामना करना पड़ा होगा यह सोचना भी चिंतनीय है। यही कुछ कारण रहे होंगे
जिनके कारण मनुष्य ने पढ़ना-लिखना सीखकर प्रगति की दिशा में अपना कदम आगे बढ़ाया।
शिक्षा का कितना महत्व है- यह आज बताने की आवश्यकता नहीं है।
मानव को मनुष्य
बनाने में शिक्षा का महत्वपूर्ण स्थान है। शिक्षा के अभाव में उसमें और पशु में
विशेष अंतर नहीं रह जाता है। ऐसे ही मनुष्य के लिए कहा गया होगा
"ते मृत्युलोके भुवि भारभूता मनुष्य रूपेण
मृगाश्चरन्ति । " शिक्षा ही पशु और मनुष्य में अंतर पैदा करती है। मनुष्य का
स्वभाव है कि वह उम्र बढ़ने के साथ-साथ सीखना शुरू कर देता है। अनेक बातें वह
माता-पिता और साथियों से सीख जाता है। सामान्यतः यही वह समय होता है जब उसे स्कूल
भेजा जाता है। शिक्षा प्रणाली अर्थात् एक निश्चित तरीके से शिक्षा देने की पद्धति कब
अस्तित्व में आई यह कहना मुश्किल है। बदलते वक्त के साथ शिक्षा प्रणाली में
परिवर्तन हुए वर्तमान में शिक्षा प्रणाली हमारे समक्ष में है, इसमें भी अनेक गुण और दोष देखे जा रहे हैं आज हमारे समाज में सरकारी, अर्धसरकारी प्राइवेट आदि अनगिनत शैक्षिक संस्थाएं हैं जिनमें बच्चे को
प्राथमिक शिक्षा दी जाती हैं। इनमें बच्चे को तीन साल से पाँच वर्ष की उम्र में
प्रवेश दिया जाता है जिनमें पाठ्यक्रम के अलावा खेल के माध्यम से शिक्षा
दी जाती है। इनमें साधारणतः दस वर्ष के उम्र तक के बच्चे को शिक्षा तथा सामान्य
विषयों की प्रारंभिक जानकारी दी जाती है। खेद का विषय यह है कि इस प्राथमिक शिक्षा
को प्राप्त करते समय ही बहुत से विद्यार्थी विद्यालय छोड़ देते हैं और माता-पिता
की आमदनी में सहयोग देने हेतु काम में लग जाते हैं। इस प्रकृति को रोकने के लिए
सरकार ने अनेक कदम उठाए हैं।
माध्यमिक स्तर
प्राथमिक और महाविद्यालयी शिक्षा के बीच का स्तर है। प्राथमिक शिक्षा उत्तीर्ण
करने वाला विद्यार्थी इसमें प्रवेश
लेता है यहाँ बालक का ज्ञान क्षेत्र बढ़ता है। उसे कई विषयों को पढ़ना पड़ता है।
दसवीं की पढ़ाई के बाद की शिक्षा विभिन्न वर्गों एवं व्यवसायों में बँट जाती है।
बारहवीं पास छात्र फिर विभिन्न क्षेत्रों में बँट जाते हैं। यहाँ तक आते-आते कुछ
छात्र बीच में ही विद्यालय छोड़ जाते है ।
वर्तमान शिक्षा
प्रणाली ऐसी है कि विश्वविद्यालय की शिक्षा पाने के बाद भी विद्यार्थी
निराशाग्रस्त हैं वे बस सरकारी नौकरी करना चाहते हैं उसे पाने के लिए अपना समय, श्रम तथा धन गँवाते रहते हैं। ऐसी शिक्षा- प्रणाली मनुष्य को मनुष्य बनाना
आत्मनिर्भरता की भावना भरना, चरित्र निर्माण करना जैसे उद्देश्यों से कोसों
दूर है। आज यह उदरपूर्ति का साधन बनकर रह गई है। आज ऐसी प्रणाली की आवश्यकता है जो
देश के लिए अच्छा नागरिक कुशल कार्यकर्ता उत्पन्न करे तथा व्यक्ति को आत्मनिर्भरता
की भावना से भर दे शिक्षा में व्यावहारिकता तथा रचनात्मकता हो जिससे आगे चलकर वही
छात्र देश के विकास में हर तरह का सहयोग दे सके।
उत्तर- (ग)
स्मार्ट फोन संचार का क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं है संचार के क्षेत्र में क्रांति लाने में विज्ञान प्रदत्त कई उपकरणों का हाथ है. पर मोबाइल फोन की भूमिका सर्वाधिक है। मोबाइल फोन जिस तेजी से लोगों की पसन्द बनकर उभरा है, उतनी तेजी से कोई अन्य संचार साधन नहीं आज इसे अमीर-गरीब, युवा प्रौढ़ हर एक की जेब में देखा जा सकता है मोबाइल फोन अत्यंत तेजी से लोकप्रिय हुआ है। इसके प्रभाव से शायद ही कोई बच्चा हो आजकल इसे हर व्यक्ति की जेब में देखा जा सकता है। कभी विलासिता का साधन समझा जाने वाले मोबाइल फोन आज हर व्यक्ति की जरूरत बन गया है।
इसकी लोकप्रियता का कारण इसका छोटा आकार, कम खर्चीला होना, सर्वसुलभता और इसमें उपलब्ध अनेकानेक सुविधाएँ हैं। मोबाइल फोन का जुड़ाव तार से न होने के कारण इसे कहीं भी लाना ले जाना सरल है इसका छोटा और पतला आकार इसे हर जेब में फिट होने योग्य बनाता है। किसी समय मोबाइल फोन पर बातें करना तो दूर सुनना भी महँगा लगता था, पर बदलते समय के साथ आने वाली कॉल्स निःशुल्क हो गई। अनेक प्राइवेट कंपनियों के इस क्षेत्र में आ जाने से दिनोंदिन इससे फोन करना सस्ता होता जा रहा है मोबाइल फोन जब नए-नए बाजार में आए थे तब बड़े मँहगे होते थे चीनी कंपनियों ने सस्ते फोन की दुनिया में क्रांति उत्पन्न कर दी उनके फोन भारत के ही नहीं वैश्विक बाजार में रह गए।
इन मोबाइल फोनों की एक विशेषता यह भी है कि कम दाम के फोन में जैसी सुविधाएँ चाइनीज फोनों में मिल जाती है, वैसी अन्य कंपनियों के महँगे फोनों में मिलती है हर वर्ग का व्यक्ति इससे लाभ उठा रहा है, पर व्यापारी वर्ग इससे विशेष रूप से लाभान्वित हो रहा है। बाजार भाव की जानकारी लेना-देना, माल का आर्डर देना, क्रय-विक्रय का हिसाब-किताब बताने जैसे कार्य मोबाइल आ जाने से उनकी रोजी-रोटी में वृद्धि हुई है अब वे दीवारों, दुकानों और ग्राहकों के पास अपने नम्बर लिखवा देते हैं और लोग उन्हें बुला लेते हैं राजमिस्त्री, प्लंबर, कारपेंटर, ऑटोरिक्शा आदि एक कॉल पर उपस्थित हो जाते हैं अकेले और अपनी संतान से दूर रहने वाले वृद्धजनों के लिए मोबाइल फोन किसी वरदान से कम नहीं है वे इसके माध्यम से पल-पल अपने प्रियजनों से जुड़े रहते हैं और अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उन्हें जगह-जगह भटकने की समस्या से मुक्ति मिल गई है। मोबाइल फोन के प्रयोग से कामकाजी महिलाओं और कॉलेज जाने वाली लड़कियों के आत्म-विश्वास में वृद्धि हुई है वे अपने परिजनों के संपर्क में रहती है तथा प्रतिकूल परिस्थितियों में पुलिस या परिजनों को कॉल कर सकती है। विद्यार्थियों के लिए मोबाइल फोन अत्यंत उपयोगी है।
अब मोटी-मोटी पुस्तकों को पीडीएफ फॉर्म में डाउनलोड करके अपनी रुचि के अनुसार कहीं भी और कभी भी पढ़ सकते हैं। अब मोबाइल फोन पर एफ. एम. के माध्यम से प्रसारित संगीत का आनंद उठाया जाता है तो इसमें लगे मेमोरी कार्ड द्वारा कई घंटों का रिकार्डिंग करके उनका मनचाहा आनंद उठाया जा सकता है अब तो फोन पर बातें करते हुए दूसरी ओर से बात करने वाले का चित्र भी देखा जा सकता है आधुनिक मोबाइल फोन में उन सभी सुविधाओं का आनंद उठाया जा सकता है तथा उन कामों को किया जा सकता है, जिन्हें कम्प्यूटर पर किया जाता है। मोबाइल फोन ने समय की बचत में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इससे जटिल चित्रों के फोटो खींचकर बाद में अपनी सुविधानुसार इनका अध्ययन किया जा सकता है। कक्षा में पढ़ाए गए किसी पाठ या सेमीनार के लेक्चर की वीडियो रिकार्डिंग करके इनका लाभ उठाया जा सकता है जिस प्रकार किसी सिक्के के दो पहलू होते हैं, उसी प्रकार मोबाइल फोन का दूसरा पक्ष उतना उज्ज्वल नहीं है।
मोबाइल फोन के
दुरुपयोग की प्राय शिकायतें मिलती रहती हैं। लोग समय-असमय कॉल करके दूसरों की
शांति में व्यवधान उत्पन्न करते हैं। कभी-कभी मिस्ड कॉल के माध्यम से परेशान करते
हैं। विद्यार्थीगण पढ़ने के बजाए फोन पर गाने सुनने अश्लील फिल्में देखने, अनावश्यक बातें करने में व्यस्त रहते हैं। इससे उनकी पढ़ाई का स्तर गिर रहा है।
वे अभिभावकों की जेब पर भारी पड़ता है। मोबाइल फोन पर बातें करना हमारे स्वास्थ्य
पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। इस पर ज्यादा बातें करना बहरेपन को न्योता देना है
आतंकवादियों के हाथों इसका उपयोग गलत उद्देश्य के लिए किया जाता है। वे तोड़फोड़, हिंसा, लूटमार जैसी घटनाओं के लिए इसका प्रयोग करने
लगे हैं। मोबाइल फोन निःसंदेह अत्यंत उपयोगी उपकरण और विज्ञान का चमत्कार है। इसका
सदुपयोग और दुरुपयोग मनुष्य के हाथ में है हम सबको इसका सदुपयोग करते हुए इसकी
उपयोगिता को कम नहीं होने देना चाहिए। हमें भूलकर भी इसका दुरुपयोग और अत्यधिक
प्रयोग नहीं करना चाहिए।
15. अपनी बहन को पत्र लिखकर
योगासन करने के लिए प्रेरित कीजिए। [5]
अथवा
किसी महिला के
साथ बस में हुए अभद्र व्यवहार को रोकने में बस कंडक्टर के साहस और कर्तव्यपरायणता
की प्रशंसा करते हुए परिवहन विभाग के प्रबंधक को पत्र लिखिए।
उत्तर-
बी / 24, गौतम नगर,
नई दिल्ली।
दिनांक 11 जनवरी, 20XX
प्रिय बहन,
अभी-अभी मुझे
पिताजी का पत्र प्राप्त हुआ, उससे घर के
समाचार ज्ञात हुए। साथ ही यह पता चला कि तुम्हारा स्वास्थ्य ठीक नहीं है। अपने
स्वास्थ्य का ध्यान रखा करो ये तो । को पता ही हैं तुम कि पहला सुख निरोगी काया
इसके लिए तुमको नियमित रूप से योगासन करना चाहिए। भागदौड़ की जिंदगी में सभी बहुत
व्यस्त हो गए हैं, उनको अपने स्वास्थ्य का
भी ध्यान नहीं रहता। जो व्यक्ति अपने शरीर की उपेक्षा करता है वह जल्दी ही बूढ़ा
हो जाता है। इसलिए तुमको मैं यही सलाह दूँगा कि तुम नियमित रूप से योगा करो जिससे
तुम्हारा शरीर चुस्त एवं फुर्तीला हो जाएगा। इससे तुम्हारे शरीर में बीमारियों से
लड़ने की क्षमता बढ़ जाएगी। स्वयं को हर वक्त तरो-ताजा महसूस करोगी। साथ ही कोई
बीमारी तुमको छू भी नहीं पायेगी। आशा करता हूँ कि तुम मेरी सलाह को मानोगी तथा
उसका अपने
जीवन में पालन
करोगी। मुझे पूर्ण विश्वास है कि तुम पूर्णतः स्वस्थहो जाओगी।
तुम्हारा भाई
अजय
अथवा
उत्तर- सेवा में
प्रबंधक,
दिल्ली परिवहन
विभाग,
दिल्ली-110001
दिनांक 21 दिसम्बर 201XX
विषय बस कलक्टर
के प्रशंसनीय व्यवहार हेतु पत्र
इस पत्र के
द्वारा में आपको आप दस के एक कंडक्टर के प्रशासनीय व्यवहार से अवगत करा रहा हूँ
में विकासपुरी का निवासी तथा प्रतिदिन 860 में की रूट बस से
गाँधीनगर जाता हूँ। गत 15 दिसम्बर की बात है. मैं गाँधीनगर से 860 की बस से सायंकाल लगभग 7.00 बजे अपने घर लौट रहा था कि मोतीनगर के बस
स्टॉप से कुछ मनले बस में चढ़ गए। उन्होंने बस में बैठी एक महिला यात्री के साथ
छेड़खानी अथवा अभद्र व्यवहार किया। बस कंडक्टर ने साहस के साथ उन युवकों का सामना
किया और बहादुरी से उन्हें धर-दबोचा। यात्रियों ने भी बस कार की सहायता से पुलिस
स्टेशन में ले गया जहाँ सिक्टर के सकस एवं कर्तव्यपरायणता के प्रशंसनीय द्वार की
सराहना की।
अतः आपसे आग्रह
है कि आप कंडक्टर श्री रामप्रकाश को उनके प्रशंसनीय व्यावहार के लिए सम्मानित करे
जिसके परिणामस्वरूप अन्य कर्मचारी को भी प्रेरणा मिल सके। धन्यवाद!
भवदीय
अशोक कुमार
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