2020 CBSE Class 10 Hindi B PYQ | Class 10 Hindi B PYQ | Class 10 Hindi B PYQ Question | Class 10 Hindi PYQ Course B 2020
HINDI COURSE B (2020)
Outside Delhi [Set-1]
निर्धारित समय: 3 घण्टे
अधिकतम अंक: 80
खण्ड 'क'
1. निम्नलिखित
गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
अपनी सभ्यता का जब मैं अवलोकन करता हूँ, तब लोगों को काम
के संबंध की उनकी विचारधारा के अनुसार उन्हें विभाजित करने लगता हूँ। एक वर्ग में
वे लोग आते हैं, जो काम को उस
घृणित आवश्यकता के रूप में देखते हैं, जिसकी उनके लिए उपयोगिता केवल धन अर्जित करना है। वे अनुभव
करते हैं कि जब दिनभर का श्रम समाप्त हो जाता है, तब वे जीना सचमुच शुरू करते हैं और अपने आप में
होते हैं। जब वे काम में लगे होते हैं, तब उनका मन भटकता रहता है काम को वे उतना महत्त्व देने का
कभी विचार नहीं करते, क्योंकि केवल
आमदनी के लिए ही उन्हें काम की आवश्यकता है। दूसरे वर्ग के लोग अपने काम को आनंद
और आत्मपरितोष पाने के एक सुयोग के रूप में देखते हैं। वे धन इसलिए कमाना चाहते
हैं। ताकि अपने काम में अधिक एकनिष्ठता के साथ समर्पित हो सकें। जिस काम में वे
संलग्न होते हैं, उसकी पूजा करते
हैं।
पहले वर्ग में केवल वे लोग ही नहीं आते हैं, जो बहुत कठिन और
अरुचिकर काम करते हैं। उसमें बहुत से संपन्न लोग भी सम्मिलित हैं, जो वास्तव में
कोई काम नहीं करते हैं। ये सभी धन को ऐसा कुछ समझते हैं, जो उन्हें काम
करने के अभिशाप से बचाता है इसके सिवाय कि उनका भाग्य अच्छा रहा है, वे अन्यथा उन
कारखानों के मज़दूरों की तरह ही हैं, जो अपने दैनिक काम को जीवन का सबसे बड़ा अभिशाप समझते हैं।
उनके लिए काम कोई घृणित वस्तु है और धन वांछनीय, क्योंकि काम से छुटकारा पाने के साधन का
प्रतिनिधित्व यही धन करता है। यदि काम को वे टाल सकें और फिर भी धन प्राप्त हो जाए, तो खुशी से यही
करेंगे।
जो लोग काम में अनुरक्त हैं तथा उसके प्रति समर्पित हैं, ऐसे कलाकार, विद्वान और
वैज्ञानिक दूसरे वर्ग में सम्मिलित हैं। वस्तुओं को बनाने और खोजने में वे हमेशा
दिलचस्पी रखते हैं। इसके अंतर्गत परंपरागत कारीगर भी आते हैं, जो किसी वस्तु को
रूप देने में गर्व और आनंद का वास्तविक अनुभव करते हैं। अपनी मशीनों को ममत्वभरी
सावधानी से चलाने और उनका रख-रखाव करने वाले कुशल मिस्त्री और इंजीनियर इसी वर्ग
से संबंधित हैं।
(क) कितने प्रकार
के काम करने वाले लेखक को दिखाई देते हैं? इस विभाजन का आधार क्या है? [2]
(ख) जिन लोगों के
लिए काम की उपयोगिता धन प्राप्त करना है. वे क्या अनुभव करते हैं? [2]
(ग) दैनिक काम को
जीवन का सबसे बड़ा अभिशाप समझने के दृष्टिकोण को कैसे बदला जा सकता है? [2]
(घ) काम के प्रति
समर्पित लोगों के वर्ग में कौन-कौन लोग आते हैं? [2]
(ङ) काम करना
किनके लिए घृणित है? [1]
(च) उपर्युक्त
गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक दीजिए। [1]
उत्तर - (क) लेखक को दो
प्रकार के काम करने वाले लोग दिखाई देते हैं। उनके इस विभाजन का आधार काम करने
वालों की विचारधाराएँ हैं। काम करने के प्रति लोगों की निष्ठा और काम के उद्देश्य को देखकर लेखक ने इस
प्रकार का विभाजन किया है।
(ख) जिन लोगों के
लिए काम की उपयोगिता केवल धन अर्जित करना है, जब काम में व्यस्त होते हैं तो मन भटकता है, जब काम समाप्त
होता है तब उनका जीवन शुरू होता है। उनके लिए जीवन का आनंद काम में नहीं अपितु धन
प्राप्ति में है।
(ग) दैनिक काम को
जीवन का सबसे बड़ा अभिशाप समझने के दृष्टिकोण को काम के प्रति समर्पण भाव और एक
निष्ठा जगाकर बदला जा सकता है 'कर्म ही पूजा 'है'
इस सूक्ति को ऐसे
लोगों के जीवन में चरितार्थ करना होगा।
(घ) काम के प्रति
समर्पित वर्ग में कलाकार,
विद्वान, कुशल मिस्त्री, इंजीनियर और
वैज्ञानिक वर्ग के लोग आते हैं। इस प्रकार के लोग अपने काम में गर्व और वास्तविक
आनंद अनुभव करते हैं।
(ङ) संपन्न लोग जो
काम को केवल धनोपार्जन का साधन और जीवन का सबसे बड़ा अभिशाप मानते हैं, उनके लिए काम
करना घृणित है।
(च) उपर्युक्त
गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक 'काम का आनंद' हैं।
खण्ड 'ख'
2. शब्द किसे कहते हैं? उदाहरण सहित
स्पष्ट कीजिए।" [1]
3. नीचे लिखे
वाक्यों को निर्देशानुसार बदलिए [1×3= 3 ]
(क) मोनुमेंट के
नीचे झंडा फहराने के बाद स्वतंत्रता की प्रतिज्ञा पढ़ी जाएगी। (संयुक्त वाक्य में)
(ख) मैं इतना थक
गया था कि चल भी नहीं पा रहा था। (सरल वाक्य में)
(ग) अविनाश के
झंडा फहराते समय उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। (मिश्र वाक्में)
उत्तर- (क) मोनुमेंट के नीचे झंडा फहराया जाएगा और उसके बाद
स्वतंत्रता की प्रतिज्ञा पढ़ी जाएगी।
(ख) थकने के कारण
मैं चल भी नहीं पा रहा था ।
(ग) जैसे ही
अविनाश बाबू ने झंडा फहराया वैसे ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
4. (क) निम्नलिखित समस्त पदों का विग्रह करके समास का नाम भी लिखिए: [1x2=2]
(i) कुलश्रेष्ठ
(ii) अष्टसिद्धि
(ख) निम्नलिखित को
समस्त पद में परिवर्तित करके समास का नाम भी लिखिए:
[1×2=2]
(i) तीन हैं लोचन
जिसके अर्थात् शिव
(ii) दान के लिए पात्र
उत्तर- (क) (i) कुल में श्रेष्ठ अधिकरण - तत्पुरुष समास
(ii) आठ (अष्ट) हैं जो
सिद्धियाँ- कर्मधारय समास
(ख) (i) त्रिलोचन - बहुव्रीहि समास
(ii) दानपात्र
संप्रदान तत्पुरुष समास
5. निम्नलिखित
वाक्यों को शुद्ध करके लिखिए: [1x4=4]
(क) उसका भाई
अध्यापक लगा हुआ है।
(ख) मुझे एक
उपन्यास की पुस्तक चाहिए।
(ग) दुष्टों के भय
से डरो मत।
(घ) कृपया आप मेरे
घर आने की कृपा करें।
6. निम्नलिखित
मुहावरों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए: [1x4=4]
(क) बाएँ हाथ का खेल
(ख) आड़े हाथों लेना
(ग) दाँतों पसीना
आना
(घ) आकाश पाताल एक
करना
उत्तर- (क) वाद-विवाद प्रतियोगिता में प्रथम स्थान पाना
सीमा के लिए बाएँ हाथ का खेल है।
(ख) छोटा भाई जब
भी बाहर से खेलकर आता बड़े भाई साहब उसे आड़े हाथों लेते थे ।
(ग) वार्षिक
परीक्षा में प्रथम स्थान पाना दाँतों पसीना आना के समान है।
(घ) राकेश ने आकाश
पाताल एक कर के अपने भाई को पढ़ा लिया।
7. निम्नलिखित
प्रश्नों में से किन्हीं तीन के उत्तर लगभग 30-40 शब्दों में लिखिए: [2×3=6]
(क) लेखक ने ग्वालियर से मुंबई तक प्रकृति और मनुष्य के
संबंधों में किन बदलावों को महसूस किया ? 'अब कहाँ दूसरे के दुख से दुखी होने वाले पाठ के आधार पर
स्पष्ट कीजिए।
(ख) तताँरा -
वामीरो के त्याग के बाद उनके समाज में क्या सुखद परिवर्तन आया?
(ग) एक संगठित
समाज कृतसंकल्प हो तो ऐसा कुछ भी नहीं जो वह न कर सके।' 'डायरी का एक
पन्ना' पाठ के संबंध में
कहे गए उक्त कथन की उदाहरण सहित पुष्टि कीजिए ।
(घ) कर्नल को
वज़ीर अली के अफ़साने सुनकर रॉबिन हुड के कारनामे क्यों याद आ गए ?
उत्तर- (क) लेखक ने ग्वालियर से मुंबई तक अनेक भौतिक एवं
भावनात्मक बदलावों को महसूस किया। ग्वालियर में बड़े-बड़े आँगनों दालानों वाले
घरों में सब संयुक्त परिवार में मिलजुलकर रहते थे, जबकि मुंबई में डिब्बे जैसे घरों में जीवन
सिमटा हुआ दिखाई देता है। पहले जहाँ घने जंगल थे, वहाँ अब घनी बस्तियाँ बसा दी गई हैं। प्रकृति
के प्रति सम्मान और संवेदनशीलता में कमी आ गई है।
(ख) तताँरा - वामीरो की त्याग के बाद से निकोबार की सदियों
से चल रही रूढ़िवादी परंपरा में बहुत बड़ा सुखद परिवर्तन आया उन दोनों के त्याग
(मृत्यु) के बाद एक गाँववाले दूसरे गाँववालों से वैवाहिक संबंध करने लगे। निकोबार
के लोगों का एक सूत्र में बँध जाना और उन लोगों में परस्पर सौहार्द्र और स्नेह का
भाव स्थापित हो जाना।
(ग) पाठ 'डायरी का एक
पन्ना' यह उजागर करता है
कि एक संगठित समाज कृतसंकल्प हो तो ऐसा कुछ भी नहीं जो वह न कर सके। इसमें 26 जनवरी 1931 को बंगाल में
अंग्रेज़ी सरकार के आदेश के विरुद्ध सभा की गई, झंडा फहराया गया जुलूस निकाले गए, मोनुमेंट के नीचे
स्वतंत्रता की प्रतिज्ञा पढ़ी गई तथा लाठियाँ खाकर और घायल होने के बाद भी आगे
बढ़ते रहे।
(घ) वज़ीर अली और
रॉबिन हुड में बहुत अधिक समानता थी। वज़ीर अली भी रॉबिन हुड की तरह साहसी, निडर और बहादुर
था। वह दुश्मनों को चकमा देकर भागने में कुशल होने के कारण अंग्रेज़ी सरकार की पकड़
में नहीं आ रहा था। इन्हीं कारणों से वज़ीर अली की बहादुरी के अफ़साने सुनकर ही
कर्नल को रॉबिन हुड की याद आती थी।
8. लगभग 80-100 शब्दों में
उत्तर लिखिए: शाश्वत मूल्य से आप क्या समझते हैं? 'गिन्नी का सोना पाठ के आधार पर बताइए कि
वर्तमान समय में इन मूल्यों की क्या प्रासंगिकता है? [5]
अथवा
'बड़े भाई साहब' पाठ में लेखक ने
समूची शिक्षा के किन तौर-तरीकों पर व्यंग्य किया गया है? क्या आप उनके
विचारों से सहमत हैं? उदाहरण सहित
स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- ईमानदारी, सत्य, अहिंसा, परोपकार, सहिष्णुता आदि शाश्वत मूल्य हैं। वर्तमान समय में भी इनकी
प्रासंगिकता पूरी तरह बनी हुई है, क्योंकि आज भी इन मूल्यों के बिना देश, समाज और व्यक्ति
की भलाई और प्रगति नहीं हो सकती है। एक दूसरे से आगे भागने की अंधी दौड़ में
विकासोन्मुख शांतिपूर्ण जीवन व्यतीत करने के लिए इन शाश्वत मूल्यों की प्रासंगिकता
और महत्ता स्वयंसिद्ध है। यदि आज भी समाज इन शाश्वत मूल्यों से रक्षित है तो वह
अलगाव और द्वेष आदि दोषों से बच सकता है। ये सभी मूल्य आदर्शवादी लोगों द्वारा
बचाकर रखे गए हैं। इन मूल्यों के आधार पर ही समाज आज ऊपर उठा हुआ है।
अथवा
बड़े भाई साहब पाठ में लेखक ने समूची शिक्षा के अनेक
तौर-तरीकों पर व्यंग्य किया है। इस शिक्षा प्रणाली में केवल रटंत व्यवस्था है। यह
विद्यार्थियों की प्रतिभा को कुंठित कर देती है। इसमें विषयों का विस्तार है, एक निबंध लिखने
के लिए चार-चार पन्नों का प्रयोग किया जाता है। इस प्रणाली में विदेशी भाषा अंग्रेज़ी
का प्रयोग किया जाता है। अन्य विषयों का अध्ययन-अध्यापन अंग्रेज़ी में ही किया
जाता है। इस शिक्षा प्रणाली की सबसे बड़ी कमी इसमें बच्चों को खेल-कूद के लिए समय
नहीं दिया जाता है। पूरी शिक्षा व्यवस्था पुस्तकीय ज्ञान पर आधारित है। बच्चे
पुस्तकीय ज्ञान के बोझ से दबे रहते हैं अतः उनमें व्यावहारिकता का समावेश हो ही
नहीं पाता है। इस प्रकार मैं
लेखक के विचारों से पूरी तरह सहमत हूँ।
9. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के
उत्तर लगभग 30-40 शब्दों में लिखिए: [2x3=6]
(क) 'तोप' कविता के आलोक
में विरासत में मिली चीज़ों के महत्त्व पर अपना दृष्टिकोण लिखिए।
(ख) 'आत्मत्राण' कविता में किसी
सहायक पर निर्भर न रहने की बात कवि क्यों कहता है? स्पष्ट कीजिए।
(ग) श्रीकृष्ण के पीले वस्त्र पर बिहारी ने क्या कल्पना की
है ? इस कल्पना का सौंदर्य समझाइए ।
(घ) 'कर चले हम फ़िदा' गीत में सैनिकों
की देशवासियों से क्या अपेक्षाएँ हैं?
उत्तर- (क) विरासत में मिली चीज़ों का बहुत महत्त्व होता
है। ये हमारे पूर्वजों से प्राप्त हमारे लिए धरोहर हैं। इनसे हमें प्राचीन काल की
सभ्यता और संस्कृति के बारे में पता चलता है। साथ ही अतीत की गलतियों से परिचित
कराकर भविष्य के प्रति सचेत करती है और वे इतिहास की सच्चाई से अवगत होते हैं।
इन्हीं कारणों से इनका महत्त्व हमेशा बना रहता है।
(ख) 'आत्मत्राण' कविता में कवि
सहायक के न मिलने पर किसी पर निर्भर न रहने की बात इसलिए करता है ताकि उसका अपना
बल-पौरुष न डगमगाए और स्वयं ही अपनी परिस्थिति और विपदाओं से संघर्ष करते हुए उन पर विजय प्राप्त सके। उसके पास इतनी आत्मशक्ति हो कि वह
विपत्तियों में प्रभु पर विश्वास बनाए रखे।
(ग) श्रीकृष्ण के पीले वस्त्र पर बिहारी ने कल्पना की है कि
कृष्ण का शारीरिक सौंदर्य अद्भुत है। कवि लिखते हैं कि कृष्ण अपने साँवले शरीर पर
पीले वस्त्र ओढ़कर उसी प्रकार सुशोभित हो रहे हैं जैसे मानो नीलमणि पर्वत पर सूरज
की किरणें अपनी आभा बिखेर रही हों।
(घ) 'कर चले हम फ़िदा' गीत में सैनिकों
की देशवासियों से अपेक्षा है कि देश की रक्षा के लिए कुर्बानियों का सिलसिला ऐसे
ही चलता रहे। जिस प्रकार उसने अपने प्राणों का बलिदान देकर भी हिमालय का सर नहीं
झुकने दिया, उसी प्रकार अन्य देशवासियों को आवश्यकता पड़ने पर देश के
गौरव और सम्मान की रक्षा के लिए बलिदान और देश की रक्षा के लिए तैयार रहना चाहिये।
10. लगभग 80-100 शब्दों में उत्तर लिखिए:
'मनुष्यता' कविता के द्वारा कवि ने क्या प्रतिपादित करना चाहा है? विस्तार से स्पष्ट कीजिए। [5]
अथवा
कबीर के दोहे के आधार पर कस्तूरी की उपमा को स्पष्ट कीजिए।
मनुष्य को ईश्वर प्राप्ति के लिए क्या करना चाहिए ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- 'मनुष्यता' कविता के माध्यम से कवि यह प्रतिपादित करना चाहता है कि
परोपकार, मानवता, प्रेम, एकता, दया, करुणा, सहानुभूति, सद्भावना, त्याग, उदारता आदि मानव
के महान गुण हैं। मनुष्य को सभी प्रकार के आपसी भेदभाव त्यागकर सहयोगात्मक भाव से
उन्नति पथ पर चलते रहना चाहिए। कवि ने उशीनर, रंतिदेव, कर्ण, दधिचि आदि ऋषियों से त्याग की प्रेरणा लेने के लिए कहा है।
कवि के अनुसार मनुष्य को कभी घमंडी नहीं होना चाहिए। एकत्व और समत्व के भाव के साथ
परस्पर विकास के पथ को अवलंब बनाते हुए आगे बढ़ते रहना चाहिए। जो मनुष्य सेवा, त्याग और बलिदान
का जीवन जीता है और किसी महान कार्य की पूर्ति के लिए अपना जीवन समर्पित कर देता
है, उसका जीवन तो सफल
होता ही है उसकी मृत्यु भी सुमृत्यु बन जाती है।
अथवा
'कस्तूरी कुंडलि
बसै, मृग ढूँढै बन
माँहि कवि कहते हैं कि मृग की नाभि में कस्तूरी रहता है जिसकी सुगंध चारों ओर
फैलती है । मृग इससे अनजान हो पूरे वन में कस्तूरी की खोज़ में मारा-मारा फिरता है
इस साखी में कबीर ने हिरण को उस मनुष्य के समान माना है जो ईश्वर की खोज़ में
दर-दर भटकता है और कस्तूरी को मनुष्य के हृदय में रहने वाले राम (ईश्वर) के समान
माना है। कवि कहते हैं कि ईश्वर तो हम सबके हृदय में निवास करते हैं लेकिन हम उस
बात से अनजान होकर ईश्वर की खोज में व्यर्थ धार्मिक स्थलों के चक्कर लगाते रहते
हैं। मनुष्य को ईश्वर
प्राप्ति के लिए अपने को नियंत्रित कर पवित्र और सादगी के भाव से ध्यान लगाना
चाहिए।
11. लगभग 60-70 शब्दों में उत्तर लिखिए:
[3×2=6]
(क) घर वालों के मना करने पर भी टोपी का लगाव इफ्फ़न के घर
और उसकी दादी से क्यों था? दोनों के अनजान, अटूट रिश्ते के
बारे में मानवीय मूल्यों की दृष्टि से अपने विचार लिखिए।
(ख) महंत द्वारा हरिहर काका का अपहरण महंत के चरित्र की किस
सच्चाई को सामने लाता है? ठाकुरबाड़ी जैसी संस्थाओं से कैसे बचा जा सकता
है?
उत्तर- (क) घरवालों के मना करने पर भी टोपी का लगाव इफ्फ़न के घर और उसकी दादी के साथ बहुत अधिक था। टोपी अपने घर में अकेलेपन और उपेक्षा का शिकार था। टोपी और इफ्फन अलग-अलग धर्म, जाति और संप्रदाय के थे मगर दोनों मानवीय मूल्यों के आधार पर अटूट रिश्ते से बँधे थे। टोपी को अपनापन इफ्फन के घर और उसकी दादी के स्नेह में मिलता था। उन्हें दादी की भाषा माँ जैसे लगती थी। दादी ने टोपी के मन को पहचाना और टोपी ने दादी के प्यार को निश्छल मन से स्वीकार किया। इस प्रकार दोनों में एक पाक-साफ ममत्व और प्रेम का अटूट रिश्ता बन गया। इफ्फ़न की दादी के स्नहेमयी आँचल में टोपी अपना अकेलापन भूल अपनत्व पाता था, दादी भी टोपी के बालमन के छल-कपट से रहित स्नेह में अपनत्व अनुभव करती थी।
(ख) महंत द्वारा
हरिहर काका का अपहरण किए जाने से महंत के ढोंगी, लालची और षड्यंत्रकारी चरित्र की पतन की सच्चाई
सामने आती है। 'ठाकुरबाड़ी' के महंत भी हरिहर
काका की ज़मीन पर नज़र गढ़ाए हुए थे। जब उन्हें काका के गुस्से के बारे में पता चला
तो उन्होंने हरिहर काका को प्यार से समझाया कि वे अपनी ज़मीन 'ठाकुरबाड़ी' के नाम लिखकर यही
रहें। जब हरिहर काका ने अपनी जायदाद किसी को भी न देने का फैसला किया तो महंत ने
उनका अपहरण कर लिया और ज़बरदस्ती काका के अँगूठे के निशान लगवा दिए। 'ठाकुरबाड़ी' जैसी संस्थाओं से
बचने के लिए इनसे दूर रहने की आवश्यकता है। इस प्रकार की संस्थाएँ भी आजकल लोभी और
ढोंगी लोगों के नेतृत्व में आ गई हैं।
12. निम्नलिखित में
से किसी एक विषय पर दिए गए संकेत बिंदुओं के आधार पर 80-100 शब्दों में
अनुच्छेद लिखिए।
(क) सत्यमेव जयते
• भाव
• झूठ के पाँव नहीं
होते
सत्य ही परम धर्म
(ख) लड़का-लड़की एकसमान
• ईश्वर की देन
• भेदभाव के कारण
• दृष्टिकोण कैसे
बदलें
(ग)
शिक्षक-शिक्षार्थी संबंध
• संबंधों की
परंपरा
• वर्तमान समय में
आया अंतर
हमारा कर्तव्य
उत्तर- (क) सत्यमेव जयते
'सत्यमेव जयते' का अर्थ है सत्य
की ही विजय होती है। यह सूक्ति वाक्य मुंडकोपनिषद से उद्धृत है। इस वाक्य का
सर्वप्रथम प्रयोग भारत के महान सम्राट अशोक ने अपने राजचिह्न के रूप में किया था।
भारत को लंबे संघर्ष के बाद आज़ादी मिली, आज़ादी के समय के जो भारतीय विचारक, समाज सुधारक और महान
स्वतंत्रता सेनानी थे, उन्होंने 'सत्यमेव जयते' को राष्ट्रीय आदर्श
वाक्य के रूप में अपनाया। वास्तव में सत्य की सदैव ही विजय होती है। कहावत भी हैं
कि पाँव नहीं होते अर्थात झूठ कभी भी स्थायी नहीं होता है। सत्य को जीतने में भले
ही समय लगे परंतु झूठ कभी भी सत्य से 'झूठ के आगे नहीं आता है। सत्य कमजोर पड़ सकता है परन्तु हार
नहीं सकता अर्थात सत्य के आगे लाखों झूठ के आडंबर अपने पैर अड़ाए पर सत्य हमेशा
शाश्वत ही रहता है। सत्य सबसे बड़ा धर्म है जो सत्य रूपी धर्म का आश्रय लेकर सत्य
के मार्ग का आजीवन अनुसरण करता है उसका जीवन सफल हो जाता है। भारत की अनेक महान
विभूतियों ने सत्य मार्ग का अनुसरण कर अपने जीवन को धन्य कर लिया है।
(ख) लड़का-लड़की एकसमान
लड़का-लड़की जब होगा एक समान तब भारत बनेगा महान । वास्तव
में लड़कों और लड़कियों के प्रति हमारे देश में समान रूप से व्यवहार नहीं किया
जाता है। नगरीय क्षेत्र में कुछ हद तक समानता है भी परंतु ग्रामीण क्षेत्रों में
लड़का-लड़की में आकाश-पाताल का अंतर समझा जाता है। निरक्षरता, लिंग गलत
व्याख्या, महिलाओं के प्रति
पुरुष की भावना, चेतना की कमी आदि
लैंगिक समानता को सुनिश्चित करने में हमारी असफलता के लिए ज़िम्मेदार है। हमारे
देश में महिलाओं को कई प्रतिबंधों का सामना करना पड़ता है। कुछ परिवारों में लिंग
भेदभाव के परिणामस्वरूप वे शिक्षा से वंचित हैं। समाज और राष्ट्र के विकास के लिए
हमें लड़कियों के प्रति अपने दृष्टिकोण को बदलना चाहिए। महिलाओं को ठीक से शिक्षित
और नियोजित किया जाना चाहिए। उन्हें समाज के विभिन्न क्षेत्रों में उचित सम्मान और
क्षमता दी जानी चाहिए।
(ग) शिक्षक -
शिक्षार्थी संबंध
भारत में शिक्षक और शिक्षार्थी के मध्य सदियों से पवित्र
संबंध रहा है। शिक्षक को देवता से ऊपर का दर्जा दिया गया है । ' 'गुरु गोविंद दोऊ
खड़े काको लागू पायें, बलिहारी गुरू आपने गोविंद दियो
देखाय' माता-पिता शिक्षक पर पूर्ण विश्वास कर अपनी संतान को
विद्यालय भेजते हैं। जहाँ शिक्षक अपनी पूरी क्षमता से शिक्षार्थी को शिक्षित करता
है सच्चा शिक्षक शिक्षार्थी की समस्त सफलता और असफलता का श्रेय अपने ऊपर ले लेता
है। समय की गतिशीलता के कारण शिक्षक शब्द का अर्थ, महत्व और कर्तव्य
सभी परिवर्तित होते चले गए। पहले जहाँ गुरू सदैव शिष्य के साथ रहता था वहीं आज वह
शिक्षक बन मात्र कुछ घंटे ही शिक्षार्थी के साथ रहता है। आज शिक्षक का कार्य मात्र
शिक्षा भर देना रह गया है। कक्षा में जाकर अपनी कुर्सी पर बैठ कर जब वह अध्यापन
करता है तो उस समय न तो वह इस ओर ध्यान देता है कि क्या उसका छात्र उसकी बात को
समझ रहा है और न ही छात्र ऐसा आवश्यक मानता है कि वह पूरी तरह से शिक्षक के ज्ञान
से लाभान्वित हो सके। वर्तमान परिवेश में हमारा कर्तव्य बनता है कि शिक्षक और शिक्षार्थी
परस्पर मित्रवत व्यवहार रखें। आज का युग विज्ञान का युग है जहाँ सिद्धांतों पर
तर्क हावी हो रहा है। ऐसे वातावरण में आज के शिक्षक के सामने कठिन चुनौतियाँ हैं।
13. आपकी बस्ती के पार्क में कई अनधिकृत खोमचे वालों ने डेरा
डाल दिया है, उन्हें हटाने के लिए नगर निगम अधिकारी को लगभग 80-100 शब्दों में पत्र
लिखिए। [5]
अथवा
दूरदर्शन निदेशालय को लगभग 80-100 शब्दों में पत्र लिखकर अनुरोध कीजिए कि
किशोरों के लिए देशभक्ति की प्रेरणा देने वाले अधिकाधिक कार्यक्रमों को प्रसारित
करने की ओर ध्यान दिया जाए।
उत्तर- सेवा में,
नगर निगम अधिकारी जी,
मुख्य नगर पालिका,
अ ब स नगर।
दिनांक 15 अगस्त, 20XX
विषय बस्ती के पार्क से खोमचे वालों को हटाने हेतु पत्र
महोदय,
मैं अब से नगर का निवासी हूँ तथा पार्क सुधार समिति का
अध्यक्ष हूँ। मैं आपका ध्यान बस्ती के पार्क में खोमचे वालों के द्वारा अनधिकृत
डेरा डालने की ओर आकर्षित करना चाहता हूँ। दिन-प्रतिदिन पार्क की स्थिति खराब होती
जा रही है। बच्चों को खेलने और बड़े-बूढ़ों को टहलने के लिए जगह नहीं मिल रही है।
इन खोमचे वालों के द्वारा पार्क के चारों और गंदगी फैला दी जाती है।
महोदय, अ ब स नगर, पार्क सुधार समिति का सुझाव है कि बस्ती के पार्क से खोमचे
वालों को हटाने के लिए व्यापक अभियान चलाया जाए। इस अभियान से मुहल्लेवासियों को लाभ तो मिलेगा ही
साथ ही हमारा पर्यावरण भी शुद्ध हो जाएगा।
अंत में आपसे प्रार्थना है कि खोमचे वालों से पार्क को
यथाशीघ्र खाली करवाने की कृपा करें। इसके लिए हम सदैव आपके आभारी रहेंगे।
धन्यवाद
भवदीय
अ ब स
अथवा
सेवा में,
निदेशक जी,
दूरदर्शन निदेशालय,
अ ब स नगर।
दिनांक - 20 जुलाई, 20XX
विषय- दूरदर्शन पर देशभक्ति से संबंधित कार्यक्रम के अधिक
प्रसारण हेतु पत्र
महोदय,
मैं अब स नगर का निवासी हूँ। आजकल दूरदर्शन पर ऐसे
कार्यक्रमों की भरमार होती है जिनसे आज की युवा पीढ़ी को अच्छी प्रेरणा नहीं मिल
पा रही है। इस प्रकार के कार्यक्रमों को देखने के बाद उनके मन में विकृति का भाव आ
रहा है जो उनके लिए हानिकारक है।
मनोविज्ञान का ज्ञाता होने के कारण आपसे निवेदन कर रहा हूँ
कि दूरदर्शन पर देशभक्ति से संबंधित कार्यक्रम के अधिक से अधिक प्रसारण करवाने की
कृपा करें। इससे उनके मन में देश के लिए प्रेम जागृत होगा तथा उनका नैतिक विकास भी
होगा। अंत में आपसे प्रार्थना है कि दूरदर्शन पर देशभक्ति से संबंधित कार्यक्रम के
अधिक प्रसारण की कृपा करें। इसके लिए हम सदैव आपके आभारी रहेंगे।
धन्यवाद
भवदीय
अ ब स
14. अपनी बस्ती को
स्वच्छ रखने हेतु कल्याण समिति के सचिव होने के नाते इससे संबंधित सूचना 40-50 शब्दों में
लिखिए। [5]
अथवा
आप अपने विद्यालय की छात्र संस्था के सचिव हैं तथा विद्यालय
में चित्रकला प्रतियोगिता आयोजित करवाना चाहते हैं। इससे संबंधित सूचना 40-50 शब्दों में
लिखिए।
15. चोरी की घटना के बाद पूछताछ के लिए नियुक्त
पुलिस इंस्पेक्टर और पीड़ित महिला के बीच संवाद को लगभग 50-60 शब्दों में
लिखिए।' [5]
अथवा
आपके शहर में लाउडस्पीकर के बढ़ते शोर पर दो पड़ोसियों की बातचीत संवाद के रूप में लगभग 50-60 शब्दों में लिखिए।
16. अपने विद्यालय में होने वाले निःशुल्क
स्वास्थ्य शिविर के आयोजन से संबंधित विज्ञापन लगभग 25-50 शब्दों में तैयार कीजिए।[5]
अथवा
आप अपना कंप्यूटर बेचना चाहते हैं। इससे संबंधित विज्ञापन
लगभग 25-50 शब्दों में तैयार कीजिए ।
Outside Delhi [Set-II]
Note: Except for the following questions all the remaining questions have been asked in previous sets.
खण्ड 'ख'
2. 'पद' से आप क्या समझते
हैं? उदाहरण सहित
स्पष्ट कीजिए। [1]
3. निम्नलिखित
वाक्यों को निर्देशानुसार बदलिए: [1×3=3]
(क) आप जो कुछ कह
रहे हैं वह बिलकुल सच है।
(सरल वाक्य में)
(ख) कहा जाना चाहिए कि यह सभा एक ओपन चैलेंज थी। (संयुक्त
वाक्य में)
(ग) पकड़े गए
आदमियों की संख्या का पता नहीं चला। (मिश्र वाक्य में)
उत्तर- (क) आप बिलकुल सच कह रहे हैं।
(ख) यह एक सभा थी
और इसे ओपन चैलेंज कहा जाना चाहिए था।
(ग) जिन आदमियों
को पकड़ा गया, उनकी संख्या का
पता नहीं चला।
4. (क) निम्नलिखित
समस्त पदों का विग्रह करके समास का नाम भी लिखिए: [1×2=2]
(i) कुल परंपरा -
(ii) यथाशक्ति
(ख) निम्नलिखित
विग्रहों के समस्त पद बनाकर समास का नाम भी लिखिए: [1×2=2]
(i) ततौरा और वामीरो
(ii) नीला है जो कमल
उत्तर- (क) (i) कुल की परंपरा संबंध तत्पुरुष समास
(ii)
शक्ति के अनुसार
अव्ययीभाव समास
(ख) (i) ततौरा-वामीरो द्वंद्व समास
(ii) नीलकमल -
कर्मधारय समास
5. निम्नलिखित
वाक्यों को शुद्ध करके लिखिए:" [1x4=4]
(क) मेरे को तुम्हारी
बात अच्छी नहीं लगती।
(ख) तुम वहाँ क्या बोला था ?
(ग) उसने तो हमेशा
प्रचार ही करा
(घ) शहर में अनेक
मकान सजाया गया।
6. निम्नलिखित
मुहावरों का अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए: [1×4=4]
(क) हाथ फैलाना
(ख) नौ दो ग्यारह
होना
(ग) नाकों चने
चबाना
(घ) आग बबूला होना
उत्तर- (क) अपने मित्रों के समक्ष अनावश्यक हाथ फैलाना
अच्छी बात नहीं है।
(ख) पुलिस को
देखते ही चोर नौ दो ग्यारह हो गए।
(ग) वज़ीर अली ने कर्नल को नाकों चने चबवा दिए।
(घ) राकेश अपने
भाई को पढ़ते न देखकर आग बबूला हो गया।
खण्ड 'ग'
8. लगभग 80-100 शब्दों में
उत्तर लिखिए:
बड़े भाई साहब के कुछ कथनों से तत्कालीन शिक्षा-व्यवस्था के
कुछ विशेष पहलुओं पर प्रकाश पड़ता है उनका उल्लेख करते हुए लिखिए कि आज की शिक्षण
व्यवस्था में किसी प्रकार के परिवर्तन आप पाते हैं? [5]
अथवा
जापान में अस्सी प्रतिशत लोगों में मनोरुग्णता के कारणों को
समझाते हुए लिखिए कि इस संदर्भ में चा-नो-यू की परंपरा को एक बड़ी देन' क्यों कहा गया है?
उत्तर - बड़े भाई साहब के कुछ कथनों से तत्कालीन
शिक्षा-व्यवस्था के निम्न विशेष पहलुओं पर प्रकाश पड़ता है। उनके अनुसार तत्कालीन
शिक्षा प्रणाली में केवल रटने की प्रवृति पर जोर दिया जाता है। यह विद्यार्थियों
की प्रतिभा को कुंठित कर देती है। एक निबंध लिखने के लिए चार-चार पन्नों का प्रयोग
किया जाता है। इस प्रणाली में विदेशी भाषा अंग्रेजी का प्रयोग किया जाता है। अन्य
विषयों का अध्ययन-अध्यापन अंग्रेजी में ही किया जाता है। उस समय की शिक्षा प्रणाली
की सबसे बड़ी कमी- बच्चों को खेल-कूद के लिए समय नहीं दिया जाना है। पूरी शिक्षा
व्यवस्था पुस्तकीय ज्ञान पर आधारित है। आज की शिक्षा-व्यवस्था पढ़ो और बढ़ो के
आधार पर है। इसमें कौशल के विकास के खेल - कूद को भी पूरा महत्व दिया जाता है।
इसके द्वारा बच्चों का सर्वांगीण विकास संभव है।
अथवा
जापानी लोगों की मनोरूग्णता का कारण जापानियों द्वारा
क्षमता से अधिक तेजी से काम करना बताया गया है। अमेरिका से आर्थिक प्रतिस्पर्धा के
चलते उस देश के लोग एक महीने का काम एक दिन में करने का प्रयास करते हैं। वे लोग
चलते नहीं भागते हैं, बोलते नहीं बक बक
करते हैं। दिमाग में स्पीड का इंजन लगाकर दिमाग की गति को हजार गुना बढ़ा देना
इनसे मानसिक तनाव का
अत्यधिक बढ़ जाना इससे वे मानसिक रूप से बीमार रहने लगे हैं। इस बीमारी को दूर
करने के लिए जापानियों की 'चा-नो-यू' की परंपरा सबसे
बड़ी देन है। इसे 'टी सेरेमनी' भी कहते हैं जहाँ
चाय पिलाई जाती है वह स्थान पर्णकुटी जैसा सुसज्जित होता है। प्राकृतिक ढंग से सजे
इस छोटे से स्थान में केवल तीन लोग बैठकर चाय पी सकते हैं। इसमें शांति ही मुख्य
है उनके लिए तनाव से मुक्ति का यह एकमात्र उपाय है। वास्तव में मानव को भूत और
वर्तमान की चिंता छोड़ केवल वर्तमान में जीवन यापन करना चाहिए। वर्तमान ही सत्य है
अन्य सब मिथ्या
11. लगभग 60-70 शब्दों में उत्तर लिखिए: [3x2=6]
(ख) अपने जीते जी ही अपनी धन-संपत्ति को हड़पने के लिए रचे जा
रहे षड्यंत्र और दाँव-पेच देखकर हरिहर काका पर क्या बीती होगी, कल्पना के आधार
पर लिखिए।
उत्तर- (ख) अपने जीते जी ही अपनी धन संपत्ति को हड़पने के
लिए रचे जा रहे षडयंत्र और दाँव-पेंच देखकर हरिहर काका अत्यंत निराश और हताश हो गए
थे। हरिहर काका को परिवार व ठाकुरबाड़ी दोनों से धोखा मिला। सभी उनकी ज़मीन-जायदाद
को हड़प लेना चाहते थे किसी को उनकी भावनाओं की कद्र नहीं थी। यह सब देखकर उनका मन
बुरी तरह से आहत हो गया होगा। इसका कारण वर्तमान समय में पारिवारिक रिश्तों में
स्वार्थ और लालच का बढ़ना है। उन्होंने अपने मन में अवश्य सोचा होगा कि अब परिवार
में प्रेम, सेवा, त्याग, सहानुभूति जैसे
मानवीय मूल्य समाप्त हो गए हैं और समाज में फैली इस समस्या के समाधान का यही उपाय
है कि मानवीय मूल्यों की स्थापना होनी चाहिए।
Outside Delhi [Set-III]
Note: Except
for the following questions all the remaining questions have been asked in pre-
vious sets.
2. 'शब्द' और 'पद' का अंतर उदाहरण
देकर समझाइए।" [1]
3. निम्नलिखित
वाक्यों को निर्देशानुसार बदलिए: [1x3=3]
(क) जो एक नौकर रख लिया है, वही बनाता खिलाता
है। (संयुक्त वाक्य में)
(ख) जो रुपए दादा
भेजते हैं, उसे हम बीस-बाईस
तक खर्च कर डालते हैं।
(सरल वाक्य में)
(ग) मेरे बीमार
होने पर तुम्हारे हाथ-पाँव फूल जाएँगे। (मिश्र वाक्य में)
उत्तर- (क) जो एक नौकर रख लिया है और वही बनाता खिलाता है।
(ख) दादा द्वारा भेजे गए रुपये हम बीस-बाईस तक खर्च कर डालते हैं।
(ग) यदि मैं बीमार
होऊँगा तुम्हारे हाथ-पैर फूल जाएँगे।
4. (क) निम्नलिखित
समस्त पदों का विग्रह करके समास का नाम भी लिखिए: [1×2=2]
(i) यथासंभव
(ii) राहखर्च
(ख) निम्नलिखित
विग्रहों के समस्त पद बनाकर समास का नाम भी लिखिए: [1×2=2]
(i) कमल के समान नयन
(ii) फूल और पत्ते
उत्तर- (क) (i) जितना संभव हो सके - अव्ययीभाव समास
(ii) राह के लिए खर्च
संप्रदान तत्पुरुष समास
(ख) (i) कमलनयन- कर्मधारय समास
(ii) फूल-पत्ते - द्वंद्व समास
5. निम्नलिखित
वाक्यों को शुद्ध करके लिखिए: " [1x4=4]
(क) आइए, पधारिए, आपका स्वागत है।
(ख) क्या आप यह
कहानी पढ़े हैं?
(ग) गाय काली घास
चर रही है।
(घ) मेरे को पढ़ना
है।
6. निम्नलिखित
मुहावरों का अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए:[1×4=4]
(क) रंगे हाथ
पकड़ना
(ख) बीड़ा उठाना
(ग) बाएँ हाथ का
खेल
(घ) जान बख्श देना
उत्तर- (क) अपने मित्र के बैग से पुस्तक निकालते समय रमेश रंगे
हाथ पकड़ा गया।
(ख) भारतीय
सैनिकों ने भारत को आतंक से मुक्त करने का बीड़ा उठाया है।
(ग) खेल के मैदान
में मोहन को हराना, सोहन के बाएँ
हाथ का खेल है।
(घ) अपराधियों के
बहुत गिड़गिड़ाने पर पुलिस ने आज उनकी जान बख्श दी।
8. लगभग 80-100 शब्दों में उत्तर लिखिए: [5]
'पतझर में टूटी पत्तियाँ' में गांधीजी के
संदर्भ में दो प्रकार के सोने की चर्चा क्यों की गई है और कैसे कहा जा सकता है कि
गाँधीजी गिन्नी का सोना थे? अपना तर्कसम्मत मत व्यक्त कीजिए।
अथवा
पढ़ाई और परीक्षाओं के प्रति बड़े भाई साहब और छोटे भाई के
दृष्टिकोण में क्या मौलिक अंतर है? आपके विचार से
दोनों में सामंजस्य किस प्रकार बिठाया जा सकता है?
उत्तर- 'पतझर में टूटी पत्तियाँ में गाँधी जी के संदर्भ
में दो प्रकार के सोने की चर्चा की गई है एक शुद्ध सोना और दूसरा गिन्नी का सोना
शुद्ध सोना 100 प्रतिशत शुद्ध होता है पर गिन्नी का सोना मिश्रित होता है, पर आभूषण आदि
बनाने में गिन्नी का सोना ही काम आता है, क्योंकि यह लचीला
और मजबूत होता है। गाँधी जी भी गिन्नी के सोने की तरह थे। व्यावहारिकता रूपी ताँबे
में आदर्शरूपी शुद्ध सोने को मिलाकर व्यावहारिकता को आदर्शों के स्तर तक पहुँचाते
थे। वे सोने में ताँबा नहीं बल्कि ताँबे में सोना मिलाकर उसकी कीमत बढ़ाते थे ।
यहाँ शुद्ध सोना आदर्श का और ताँबा व्यवहार का प्रतीक है। वे व्यवहार को आदर्श के
स्तर पर ऊँचा करके चलाते थे। आदर्शों को गिरने नहीं देते थे। इन्हीं कारणों से कई
लोगों ने उन्हें 'प्रैक्टिकल आइडियालिस्ट' भी कहा है।
अथवा
पढ़ाई और परीक्षाओं के प्रति बड़े भाई साहब और छोटे भाई के
दृष्टिकोण में अनेक मौलिक अंतर हैं। बड़े भाई साहब पढ़ाई को जीवन से जोड़कर उसके
व्यावहारिक और उपयोगी रूप को देखते थे जबकि छोटे भाई के लिए यह अरूचिपूर्ण और
सामान्य सी बात थी वे कहते थे कि पढ़ाई करने के लिए ऑंखें फोड़नी पड़ती हैं, खून जलाना पड़ता
है, तब कहीं जाकर विद्या आती है। मन की इच्छाओं को दबाना पड़ता
है। छोटा भाई इसके विपरीत खेल-कूद को अधिक महत्त्व देता था। वह मानता था, कि पढ़े या नहीं
परीक्षा में अव्वल तो वही आएगा। वह किताबों से दूर ही रहता था। वास्तव में जीवन की
सफलता के लिए दोनों में सामंजस्य का होना आवश्यक है। परीक्षा उत्तीर्ण करना बहुत
बड़ी बात नहीं है महत्त्वपूर्ण है बुद्धि को विकसित करना। जीवन में पढ़ाई और
खेल-कूद दोनों का उचित महत्त्व होना चाहिए।
11. लगभग 60-70 शब्दों में उत्तर लिखिए:
[3 x 2 = 6]
(ख) समाज में समरसता बनाए रखने के लिए टोपी और इफ्फ़न जैसे
पात्रों का होना आवश्यक है-तीन तर्क देकर पुष्टि कीजिए।
उत्तर- (ख) समाज में समरसता बनाए रखने के लिए टोपी और
इफ्फ़न जैसे पात्रों का होना आवश्यक है। इसके लिए सबसे पहला तर्क यह दिया जा सकता
है कि मित्रता में कभी भी जाति व धर्म का बंधन नहीं होता है। सभी को प्रेम व
सौहार्द्र से मिलकर सभी त्योहारों व उत्सव में भाग लेना चाहिए।
दूसरा तर्क यह दिया जा सकता है कि मित्रता का संबंध
पारिवारिक व सामाजिक स्तर के भेद से परे होता है। मित्रता सामाजिक सौहार्द्र में
सहायक होती है। तीसरा तर्क यह दिया जा सकता है कि दोनों की मित्रता में हैसियत, रीति-रिवाज़ और
आयु की समस्या का बंधन नहीं था।
इन सबसे यह भी पता चलता है कि प्रेम किसी बात का पाबंद नहीं
होता तथा मित्रता में जाति, धर्म बाधा उत्पन्न नहीं कर सकते हमेशा सभी
धर्मों का सम्मान करना चाहिए ताकि समाज में परस्पर भाईचारा कायम हो सके।
HINDI
COURSE B (2020)
Delhi
[Set-1]
समय 3 घण्टे
अधिकतम अंक 80
खण्ड 'क'
1. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पूछे गये प्रश्नों के
उत्तर लिखिए-
मानव सभ्यता पर औद्योगिक क्रांति की धमक थमी भी नहीं कि एक
नई तकनीकी क्रांति ने अपने आने की घोषणा कर दी है। 'नैनो तकनीक' के समर्थक दावा
करते हैं। कि जब यह अपने पूरे वजूद से आएगी तो धरती का नामोनिशान मिट जाएगा और
नैनो रोबोट की स्वनिर्मित फौज पूरी तरह क्षत-विक्षत शव को पलक झपकते ही चुस्त
दुरुस्त इंसान में तब्दील कर देगी। दूसरी ओर नैनो तकनीक की असीमित शक्ति से आशंकित
इसके विरोधी इसे मिस्र के पिरामिडों में सोई ममियों से भी ज्यादा अभिशप्त समझते
हैं। इन दोनों अतिवादी धारणाओं के बीच इतना अवश्य कहा जा सकता है कि हम तकनीकी
क्रांति के एक सर्वथा नए मुहाने पर आ पहुँचे हैं जहाँ उद्योग, चिकित्सा, दूरसंचार, परिवहन सहित
हमारे जीवन में शामिल तमाम तकनीकी जटिलताएँ अपने पुराने अर्थ खो देंगी। इस
अभूतपूर्व तकनीकी बदलाव के सामाजिक-सांस्कृतिक निहितार्थ क्या होंगे, यह देखना सचमुच
दिलचस्प होगा।
आदमी ने कभी सभ्यता की बुनियाद पत्थर के बेडौल हथियारों से
डाली थी । अनगढ़ शिलाओं को छीलकर उन्हें कुल्हाड़ों और भालों की शक्ल में ढाला और
इस उपलब्धि ने उत्पादकता की दृष्टि से उसे
दूसरे जंतुओं की तुलना में लाभ की स्थिति में ला खड़ा किया
औज़ारों को बेहतर बनाने का यह सिलसिला आगे कई
विस्मयकारी मसलों से गुजरा और औद्योगिक क्रांति ने तो मनुष्य को
मानो प्रकृति के नियंत्रक की भूमिका सौंप दी। तकनीकी कौशल की हतप्रभ कर देने वाली इस यात्रा
में एक बात ऐसी है, जो पाषाण युग के बेढब हथियारों से चमत्कारी
माइक्रोचिप निर्माण तक एक जैसी बनी रही। हम अपने औजार, कच्चे माल को
तराशकर बनाते हैं। यह सर्वविदित तथ्य है कि सारे पदार्थ परमाणुओं से मिलकर बने हैं, लेकिन पदार्थों
के गुण इस बात पर निर्भर करते हैं कि उनमें परमाणुओं को किस तरह सजाया गया है। कार्बन
के परमाणुओं की एक खास बनावट से कोयला तैयार होता है, तो दूसरी खास
बनावट उन्हें हीरे का रूप दे देती है। परमाणु और अणुओं को इकाई मानकर मनचाहा
उत्पाद तैयार करना ही 'नैनो तकनीक का सार है।
(क) नैनो- तकनीक के समर्थकों ने क्या संभावनाएं व्यक्त की
हैं ? [2]
(ख) इसकी असीमित शक्ति से आशंकित विरोधियों का क्या मत है? इस पर टिप्पणी
कीजिए । [2]
(ग) 'नैनो-तकनीक' से आप क्या समझते
हैं? [2]
(घ) मानव प्रकृति का नियंत्रक कैसे बन गया ? [2]
(ङ) हीरे और कोयले में अंतर क्यों है? [1]
(च) उपर्युक्त गद्यांश के लिए उपयुक्त शीर्षक दीजिए।[1]
उत्तर- (क) नैनो तकनीक के समर्थकों ने यह संभावनाएँ व्यक्त
की है कि जब यह तकनीक पूरे वजूद से आएगी तो धरती का पूरा नामोनिशान मिट जाएगा और
नैनो रोबोट की स्वनिर्मित फौज पूरी तरह क्षत-विक्षत शव को पलक झपकते ही चुस्त
दुरुस्त इंसान में बदल देगी।
(ख) नैनो तकनीक की असीमित व्यक्ति से आशंकित विरोधियों का मत
तो यह है कि यह मिस्र के पिरामिडों में सोई ममियों से भी ज़्यादा अभिशप्त है। यह
तकनीकी क्रांति को एक नए मुहाने पर पहुँचाने में समर्थ है। इसके द्वारा उद्योग, चिकित्सा, दूर संचार, परिवहन सहित
हमारे जीवन में शामिल तमाम तकनीकी जटिलताएँ अपने पुराने अर्थ खो देगीं।
(ग) नैनो तकनीक एक ऐसी तकनीक है, जिसने तकनीकी
क्रांति को एक नया मुकाम दिया है। यह एक ऐसी तकनीक है जो मनुष्य की सोच की सीमा को
ही बढ़ा देती है। यह अणुओं और परमाणुओं की इंजीनियरिंग है जो भौतिक, रसायन, बायो इन्फॉर्मेटिक्स
व बायो टेक्नोलॉजी जैसे विषय को आपस में जोड़ती है।
(घ) मानव ने सभ्यता की बुनियाद पत्थर के बेडौल हथियारों और
अनगढ़ शिलाओं को छीलकर कुल्हाड़ों, भालों की शक्ल
में तकनीकी कौशल और उत्पादकता का कौशल इस प्रकार मानव प्रकृति का नियंत्रक बन गया।
(ङ) हीरा और कोयला
दोनों ही कार्बन से बने हैं, परन्तु कार्बन के परमाणुओं की एक खास बनावट से
कोयला बनता हैं एवं दूसरी बनावट से हीरा बनता है। परमाणुओं और अणुओं की विशेष
बनावट द्वारा ही हीरा और कोयला में अंतर हैं।
(च) शीर्षक " नैनो तकनीक और हम' या नैनो तकनीक।
खण्ड ख
2. रेमन आ गई है। 'वाक्य में ' गई ' शब्द है अथवा पद ? कारण सहित स्पष्ट कीजिए।' [1]
3. निम्नलिखित
वाक्यों को निर्देशानुसार बदलिए- [1
×3=3]
(क) कई बार मुझे डाँटने का अवसर मिलने पर भी बड़े भाई साहब
चुप रहे।
(संयुक्त वाक्य)
(ख) कई सालों से बड़े बड़े बिल्डर समंदर को पीछे धकेल उसकी
जमीन हथिया रहे थे। (मिश्र वाक्स)
(ग) आपने जो कहा, मैंने सुन लिया।
(सरल वाक्य)
उत्तर- (क) बड़े भाई साहब को कई बार मुझे डाँटने का अवसर
मिला लेकिन फिर भी वे चुप रहे।
(ख) जो बड़े-बड़े बिल्डर थे, वे कई सालों से
समंदर को पीछे धकेल कर उसकी ज़मीन को हथिया रहे थे।
(ग) मैंने आपका कहा सुन लिया।
4. (क) निम्नलिखित समस्त पदों का विग्रह करके समास का नाम लिखि [1 ×2 =2 ]
(i) सप्तर्षि
(ii) शरणागत
(ख) निम्नलिखित विग्रहों के समस्त पद बनाकर समास का नाम
लिखिए- [1x2=2]
(i) लंबा है उदर
जिसका (गणेश)
(ii) तन-मन-धन
उत्तर- (क) (i) सात ऋषियों का
समूह द्विगु समास
(ii) शरण में आगत कर्म तत्पुरुष समास
(ख) (i) लंबोदर बहुब्रीहि समास
(ii) तन और मन और
धनदंड समास
5. निम्नलिखित वाक्यों को शुद्ध करके लिखिए- " [1 ×4=4]
(क) सभी श्रेणी के लोग सभा में आये थे।
(ख) एक ताँबे की बर्तन भी खरीद लेना।
(ग) वह लौट आए हैं।
(घ) आप कभी हमारे घर आओ।
6. निम्नलिखित मुहावरों का प्रयोग अपने वाक्यों में कीजिए- [1x4=4]
(क) चेहरा मुरझाना
(ख) आँखों से बोलना
(ग) काम तमाम कर देना
(घ) जान बख्श देना
उत्तर- (क) अत्यधिक कार्य के दबाव के कारण राकेश का चेहरा
मुरझा गया।
(ख) उसने मुझे आँखों से बोल दिया कि वह क्या करना चाहता है।
(ग) भारतीय सैनिकों ने शत्रुओं का काम तमाम कर दिया।
(घ) अच्छे व्यवहार के कारण उसकी जान यश दी गई।
खण्ड ग
7. निम्नलिखित में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 40 शब्दों में लिखिए- [2 × 3 = 6]
(क) डायरी का एक पन्ना, पाठ के आधार पर
लिखिए 26 जनवरी 1931 का दिन विशेष क्यों था ?
(ख) छोटे भाई ने बड़े भाई साहब के नरम व्यवहार का क्या लाभ
उठाया? आपके विचार से छोटे भाई का व्यवहार उचित था या नहीं तर्क
सहित उत्तर लिखिए।
(ग) कर्नल कालिंज का खेमा जंगल में क्यों लगा हुआ था।
(घ) प्रेम सबको जोड़ता है ततौरा बामौरो कथा पाठ के आधार पर
इस करने की पुष्टि कीजिए।
उत्तर- (क) 26 जनवरी 1931 का दिन विशेष
इसलिए था, क्योंकि इस दिन गुलाम भारत में पहली बार स्वतंत्रता दिवस
मनाया जा रहा था। यह विशेष आयोजन कलकता में मनाया जा रहा था क्योंकि तब तक वहीं
कुछ खास नहीं हुआ था जिससे उनके नाम पर कलंक लग गया था कि. कलकत्ता में आज़ादी के लिए कोई कार्य नहीं किया जा रहा। इस
कलंक को धोने के लिए कलकत्तावासियों ने काफी तैयारियों की थी मकानों व सार्वजनिक
स्थलों में राष्ट्रीय झंडे फहराए गए जिसे देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो
स्वतंत्रता मिल हो गई हो।
(ख) छोटे भाई ने बड़े भाई के नरम स्वभाव का नाजायज फायदा
उठाया। छोटे भाई ने बड़े भाई को विनम्रता का लाभ उठाकर स्वच्छंद हो गया और पढ़ना
लिखना तक बंद कर दिया। उसके मन में अभिमान आ गया कि वह पड़े या न पड़े परीक्षा में
पास हो ही जाएगा और वह अपने पढ़ने के समय पतंग उड़ाने का नया शोक करने लगा। मेरे
विचार से छोटे भाई का व्यवहार पूर्ण रूप से अनुचित था, क्योंकि अभिमान
द्वारा हित नहीं हो सकता।
(ग) कर्नल कालिंज का खेमा जंगल में इसलिए लगा हुआ था क्योंकि
उन्हें वजीर अली की गिरफ्तारी करनी थी। उन्हें लग रहा था कि वज़ीर अली जंगल में
छिपा होगा। काफी समय से वह कर्नल की आँखों में धूल झोंक रहा था। वह जंगल में ही था
पर कर्नल के सिपाही उसे पकड़ नहीं पा रहे थे।
(घ) प्रेम सब को जोड़ता है यह कथन 'ततौरा वानीरो कथा
पाठ के आधार पर पूर्ण रूप से युक्ति संगत है क्योंकि यद्यपि इस कथा में ततौरा कामी
मिल नहीं पाए पर उनकी प्रेम कथा आज घर-घर सुनाई जाती है। निकोचारी इस घटना के बाद
दूसरे गाँवों में भी आपसी वैवाहिक संबंध स्थापित करने लगे। इस तरह से और वामी की त्यागमयी
मृत्यु से एक सुखद परिवर्तन हुआ। उनका बलिदान व्यर्थ नहीं गया। उनके प्रेम ने सभी
को जोड़ दिया।
8. लगभग 80 100 शब्दों में उत्तर लिखिए-
'प्रेक्टिकल आइडियालिस्ट से क्या अभिप्राय है? गांधीजी 'प्रेक्टिकल
आइडियालिस्ट' थे, कैसे? [5]
अथवा
प्रकृति के साथ मानव के दुर्व्यवहार और उसके परिणामों को 'अब कहाँ दूसरों
के दुख से दुखी होने वाले' पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- प्रेक्टिकल आइडियालिस्ट से आशय है वे लोग, जो अपनी नीतियों, अपने सिद्धांतों
में आदशों के साथ व्यावहारिकता का मिश्रण करके शुद्ध आदर्शों को समाज में चलाते
हैं। गाँधीजी 'प्रेक्टिकल आइडियालिस्ट' थे, क्योंकि उनमें
नेतृत्व की अद्भुत क्षमता थी ये व्यावहारिकता का मूल्य समझते थे और उसकी कीमत
जानते थे वे कभी भी आदशों को व्यावहारिकता के स्तर पर उतरने नहीं देते थे बल्कि
व्यावहारिकता को आदशों पर चढ़ाते थे गांधी जी के आदर्श और व्यवहार के संदर्भ में
यह बात 'ताँबे में सोना' के आधार पर झलकती
है अर्थात् वे ताँबा सामने रखकर उसपर सोना मिलाते थे यानी व्यावहारिक पर आदर्शों
का रंग चढ़ाते थे वे यह रंग इतना चढ़ा देते थे कि व्यावहारिकता कहीं खो जाती थी और
आदर्श ही सामने आते थे। इसी कारण उनकी नीतियों, उनके सिद्धांतों
को समाज में सम्मान मिला और देश उनके पीछे दौड़ा।
अथवा
मानव अपनी बढ़ती महत्वाकांक्षाएँ कभी न खत्म होने वाली
इच्छाएँ बढ़ती हुई आबादी की लोलुपता की पूर्ति हेतु पेड़ों की कटाई द्वारा बने
जंगलों को नष्ट करना, जंगली जानवरों का शिकार तथा प्रकृति के साथ
दुर्व्यवहार करता है, जिसके परिणाम स्वरूप वह प्रकृति का संतुलन हो
बिगाड़ देता है। प्रकृति में आए असंतुलन का बहुत ही भयानक परिणाम हुआ। इससे मौसम
चक्र अव्यवस्थित हो गया। अब गर्मी में बहुत अधिक गर्मी पड़ने लगी, वेवक्त की
बरसातें होने लगीं, जलजले, सैलाब तथा तूफान
आकर हाहाकार मचाने लगे तथा नित्य नई-नई बीमारियाँ धरती पर बढ़ने लगीं। समुद्र के
तट पर मानवों ने अपनी बस्ती बसा ली है। आसपास के जंगल काट लिए गये हैं अतः
पशु-पक्षी मारे-मारे फिर रहे हैं। समुद्र को भी अंगड़ाई लेने के लिए कभी-कभी मानवों
की बस्ती के बीच पसरना पड़ता है। कुल मिलाकर मानव ने अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के
क्रम में अपने मार्ग में आने वाले प्रत्येक वस्तु को ध्वस्त ही कर दिया। इससे
पर्यावरण असंतुलन की स्थिति उत्पन्न हो गई है तथा संपूर्ण प्रकृति के अस्तित्व पर
खतरा मंडरा रहा है।
9. निम्नलिखित प्रश्नों में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर
लगभग 30 40 शब्दों में लिखिए- [2x3=6]
(क) 'आत्मत्राण' कविता में कवि
विपदा में ईश्वर से क्या चाहता है और क्यों?
(ख) है टूट पड़ा भू पर अंबर' पर्वत प्रदेश में
पावस कविता में कवि ने ऐसा क्यों कहा?
(ग) कमीर निंदक को अपने निकट रखने का परामर्श क्यों देते हैं? *
(घ) द्रोपदी री
लाज राखी, आप बढ़ायो चीर' इस कथन का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- (क) 'आत्मत्राण' कविता में कवि विपदा में ईश्वर से चाहता है कि वह मुसीबत में निर्भय रहे। किसी भी दुख में वह ईश्वर पर संशय न करे। कभी किसी भी परिस्थिति में आत्मबल, आत्मविश्वास व आत्म-निर्भरता खोकर दीन दुखी अथवा असहाय की भाँति स्दन न करें ये ऐसा इसलिए चाहते है, प्रायः मनुष्य विपदाओं से भयभीत होकर हार मान लेता है और अपने लिए आत्मविश्वास पाने के लिए ईश्वर से प्रार्थना करनी चाहिए।
(ख) 'है टूट पड़ा भू पर
अंवर' ऐसा कविता में इसलिए कहा गया है क्योंकि आसमान से मूसलाधार
वर्षा हो रही है जिससे प्राकृतिक दृश्य ड़क से गए हैं। केवल झरनों की झर-झर ही
सुनाई देती है, तब ऐसा प्रतीत होता है कि मानों धरती पर आकाश टूट पड़ा हो।
(ग) कबीर निंदक को अपने निकट रखने का परामर्श इसलिए देते हैं
क्योंकि निंदक बिना साबुन और पानी के हमारे स्वभाव को निर्मल कर देता है। यह हमारे
स्वभाव को बुराइयों और कमियों को बताकर उन्हें दूर करने के लिए प्रेरित करता है।
वहीं हमारा सबसे बड़ा हितैषी है। अन्यथा शूटी प्रशंसा कर अपना स्वार्थ सिद्ध करने
वाले तो अनेक मिल जाते
हैं। निंदक बुराइयों को दूर कर सदगुणों को अपनाने में सहायक सिद्ध होता है।
(घ) उपर्युक्त पंक्ति में स्पष्ट किया गया है कि हे कृष्ण !
आप अपने भक्तों की पीड़ा को दूर करें जिस प्रकार आपने अपमानित द्रौपदी की लाज बचाई
थी जब दुःशासन ने उसे निर्वस्त्र करने का प्रयास किया था तो आपने ही उसे वस्त्र
प्रदान किये थे, वे नरसिंह रूप धारण कर भक्त प्रहलाद की पीड़ा (दुख) को दूर
किया, उसी प्रकार आप हमारी परेशानी को भी दूर करें आप सभी की
पीड़ा को दूर करने वाले हैं।
10. लगभग 80- 100 शब्दों में उत्तर लिखिए-
विरासत में मिली चीजों की बड़ी संभाल क्यों होती है? "तोप' कविता के आधार पर स्पष्ट करते हुए तोप की विशेषताएं भी लिखिए। [5]
अथवा
'मनुष्यता' कविता का मूल भाव अपने शब्दों में समझाइए
उत्तर- विरासत में मिली चीजों की बड़ी संभाल इसलिए होती है, क्योंकि ये चीजें
हमारी धरोहर है जिन्हें देखकर या जानकर हमें अपने इतिहास देश और समाज की प्राचीन
उपलब्धियों का ज्ञान होता है. मान होता है और ये चीजें उस समय की परिस्थिति की
जानकारी देने के साथ-साथ दिशा-निर्देश भी देती हैं। नई पीढ़ी अपने पूर्वजों की
उपलब्धियों के साथ-साथ अतीत में की गई गलतियों से परिचित कराना, जिससे बेहतर
भविष्य का निर्माण हो सके।
तोप की विशेषताएँ- कविता में
प्रस्तुत की गई तोप 1857 की क्रांति में इस्तेमाल की गई थी। यह तोप
ईस्ट इंडिया कंपनी की थी। आज यह कंपनी बाग की तरह हमारी धरोहर हैं, किंतु कभी वह
अंग्रेजी शासन की क्रूरता की प्रतीक रही है। अब इस पर सैलानियों के बच्चे
घुड़सवारी करते हैं तथा गरियाँ इस पर बैठकर गपशप करती है। कभी वो तोप आतंक का
पर्याय रहा हो, उस पर बच्चों व चिड़ियों का इस प्रकार खेलना यह सिद्ध करता
है कि आत्याचारी चाहे कितना ही बड़ा क्यों न हो, एक न एक दिन उसके
अत्याचारों का अंत अवश्य होता है और तब वह भी तोप के समान वेबस और लाचार बनकर रह
जाता है।
अथवा
मनुष्यता कविता के माध्यम से कवि मनुष्यता के मार्ग पर चलते
हुए परोपकार, दया, सहानुभूति, करूणा, आत्मीयता आदि
मानवीय मूल्यों को अपनाने का संदेश देना चाहता है। कविता का संदेश है कि व्यक्ति
स्वार्थ से ऊपर उठे तथा परमार्थ के लिए जीवन का उत्सर्ग कर दे। कवि ने कर्ण दधीचि, रतिदेव आदि का
उदाहरण देकर मानव जाति हेतु सर्वस्व दान कर देने वाले महान व्यक्तियों का परिचय
दिया है तथा समस्त मनुष्य को त्याग और बलिदान का महत्व बताया है आत्मत्याग हो तो
मानव की सेवा हेतु हो, यही इस कविता का मूल भाव है।
11. लगभग 60-70 शब्दों में
उत्तर लिखिए – [3 x 2 = 6]
(क) टोपी ने इफ्फन की दादी से अपनी दादी बदलने
की बात क्यों कही। इससे बाल मन की किस विशेषता का पता चलता है?
(ख) लेखक को स्कूल जाने के नाम से उदासी क्यों
आती थी ?' सपनों के से दिन' पाठ के आधार पर
स्पष्ट कीजिए। आपको स्कूल जाना कैसा लगता है? और क्यों ?
उत्तर- (क) इफ्फ़न की दादी टोपी की दादी की भाँति कठोर
स्वभाव एवं अनुशासनप्रिय नहीं थी, बल्कि वह
स्नेहपूर्ण व्यवहार कहानियाँ सुनाना, प्यार व अपनत्व
का भाव, माँ जैसी बोली बोलने वाली और टोपी को अपने पास
बिटा उससे बातें करती थीं। उनकी भाषा तथा टोपी की माता की भाषा भी एक जैसी थी। अतः
टोपी दादी बदलना चाहता था।
इससे बालमन की इस विशेषता का पता चलता है, कि टोपी केवल प्रेम और ममता की ओर आकर्षित था
जिसमें धर्म या जाति का कोई स्थान न था।
(ख) लेखक को स्कूल जाने के नाम से उदासी इसलिए
आती थी, क्योंकि वहाँ वे खुशी से नहीं जाते थे। पहली
कच्ची श्रेणी से चौथी श्रेणी तक लेखक के साथ केवल पाँच-सात लड़कियों को छोड़कर सभी
लड़के रोते न चिलाते हुए ही स्कूल जाया करते थे। इसका कारण नई कक्षाओं की कठिन
होती पढ़ाई कुछ अध्यापकों द्वारा दिए जाने वाले दंड का भय था।
मुझे स्कूल जाना बहुत अच्छा लगता है क्योंकि मेरे वहाँ कई
मित्र व अच्छे अच्छे शिक्षक हैं, जिनके मार्गदर्शन द्वारा में अपनी जीवन में
सफलता लाऊँगा ।
खण्ड घ
12. निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर दिए गए संकेत- बिन्दुओं
के आधार पर 80- 100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए- [6]
(क) सत्संगति
• सत्संगति का अर्थ
• सत्संगति का महत्त्व
• कुसंगति से हानि
(ख) हमारी मेट्रो
● भारत की प्रगति का नमूना • लोकप्रियता के
कारण
• मेट्रो का विस्तार
(ग) अनुशासन क्यों ?
● अर्थ
• आवश्यकता
• प्रभाव
उत्तर- अनुच्छेद सत्संगति
(क) संगति को लेकर अनेक सार्थक और तथ्यपूर्ण उक्तियाँ कहीं
गयी हैं। अनेक कहानीकारों ने सत्संगति की महत्ता को अपनी कहानी का विषय बनाया है
जिसके माध्यम से उन्होंने लोगों के जीवन में
सत्संगति का प्रभाव दर्शाया है। इसलिए श्री तुलसीदास की उक्ति सार्थक ही है कि-
एक घड़ी आधी घड़ी आधी में पुनि आध
तुलसी संगति साधु की कटै कोटि अपराध।।
सज्जन पुरुषों से सत्संग पाकर अति सामान्य जन महान हो गए। जीवन सुधरा
उनके जीवन लक्ष्य बदले और ध्येय पथ पर अग्रसर होते हुए
महानों से महान बनें।
अंगुलिमाल जैसे पातकी ने महात्मा बुद्ध के सान्निध्य में
आकर अपनी हिंसक प्रवृत्ति को छोड़ दिया। यह संगति का प्रभाव ही है। इसलिए यह सत्य
है कि सत्संगति सद्गुणों का विकास करती है। मनुष्य के अंतत विचारधाराओं को दूर कर
सद्प्रवृत्ति का विकास करती है। जिस प्रकार बुरे लोगों के पास बैठने से वैसा ही
प्रभाव पड़ता है उसी प्रकार सज्जन लोगों के सम्पर्क में आने से इनकी संगति का
प्रभाव पड़ने लगता है।
इन तथ्यों के आधार
पर कहा जा सकता है कि श्री तुलसीदास जी ने सत्य ही
कहा है कि-
सठ सुधरहि सत्संगति पाई। परस परस कुधात सुहाई ॥
इसलिए महापुरुषों का सत्संग तीर्थ से भी बढ़कर है या यह कहा
जाए कि महापुरुषों की संगति चलती हुई एक तीर्थ है जिससे बारह वर्ष के बाद आने वाले
महाकुंभ के स्नान से भी बढ़कर पुण्य मिलता है जिसका फल तुरंत मिलता है। अतः सत्य
सिद्ध है कि प्रभु के कथानुसार अच्छी संगति से जीवन पवित्र हो जाता है।
रघुवंश की राजरानी कही जाने वाली कैकेयी जैसी विदुषी, सद्गुणसंपन्न, वीरांगना, राजा दशरथ की
प्रिय भार्या, भरत जैसे चरित्रवान पुत्र की जननी, मंथरा के कुसंग
के प्रभाव को न नकार सकी और सदा-सदा के लिए लोगों के लिए हेय बन गई। कैकेयी मंथरा
का सम्पर्क पाकर राम को वन भेजने के लिए हठ कर बैठी। इस संदर्भ में तुलसीदास जी ने
इस प्रकार कहा है कि-
को न कुसंगति पाई नसाई रहे न नीच मतों चतुराई ॥
अतः विद्वान मानव समाज को प्रेरित करते आए हैं कि यथासंभव
कुसंग से, परनिंदा से बचना चाहिए।
(ख) हमारी मेट्रो
महानगरों का जीवन बहुत जटिल होता है। इसके निवासियों को
रोज़ लंबी दूरियाँ तय करनी पड़ती हैं। इसके लिये मैट्रो रेल का आविष्कार हुआ।
मेट्रो रेल यह लोगों को सफर करने के लिए बहुत अत्याधुनिक साधन है। दिल्ली की जनसंख्या
को देखकर मेट्रो की शुरूआत की है। लोगों को इसकी सुविधा मिलने से धन, समय, और श्रम की बचत
होने लगी। इसकी वज़ह से सड़क यातायात कम हो गया।
देश में मेट्रो रेल की शुरुआत अटल बिहारी वाजपेयी ने 24 दिसंबर 2002 को की थी। मेट्रो
रेल महानगरों के यातायात का तीव्रतम साधन है इसके मार्ग सुरक्षित तथा अबाधित हैं
इनके मार्ग में कहीं कोई रेलवे फाटक या अन्य अवरोध नहीं आता। इसलिए मैट्रो रेल हर
दो-तीन मिनट बाद आती है और यात्रियों को अपने लक्ष्य
तक ले जाती है यह आधुनिक साज-सज्जा से युक्त है। मैट्रो
के कारण सड़क के वाहनों की कमी हो गई एवं प्रदूषण भी कुछ
हद तक सीमित हो गया।
मेट्रो रेल के अंदर पूर्ण रूप से साफ-सफाई की जाती है। यह
पूरी तरह से वातानुकूलित होती है। इसमें सभी आसानी से सफर कर पाते हैं। बस की तरह
धूल और भीड़ नहीं होती। मेट्रो अन्य वाहनों से सस्ती पड़ती है। इसमें सी.सी.टी.वी
कैमरे होते हैं। यात्रियों की सुरक्षा का पूरा इंतजाम होता है। इस रेल से सफर करने
वालों को टोकन या स्मार्ट कार्ड का प्रयोग करना पड़ता है। भारत में कलकत्ता, दिल्ली, मुंबई, जयपुर, हैदराबाद, लखनऊ, बेंगलुरु और
चेन्नई में मैट्रो ट्रेनें चलती हैं।
(ग) अनुशासन क्यों ?
" उत्तम स्वास्थ्य का आनन्द पाने के लिए, परिवार में खुशी
लाने के लिए और सबको शान्ति प्रदान करने के लिए सबसे पहले अनुशासित बनने और अपने
मस्तिष्क पर नियन्त्रण प्राप्त करने की आवश्यकता है।" भगवान बुद्ध द्वारा
सम्पूर्ण जगत को दिए गए इस सन्देश में अनुशासन को महिमा मण्डित किया गया है। 'अनुशासन' शब्द 'शासन' में ' अनु' उपसर्ग के जुड़ने
से बना है, इस तरह अनुशासन का शाब्दिक अर्थ है- शासन के पीछे चलना ।
प्रायः माता-पिता एवं गुरुजनों के आदेशानुसार चलना ही अनुशासन कहलाता है, किन्तु यह
अनुशासन के अर्थ को सीमित करने जैसा है व्यापक रूप से देखा जाए, तो स्वशासन
अर्थात् आवश्यकतानुरूप स्वयं को नियन्त्रण में रखना भी अनुशासन ही है। अनुशासन के
व्यापक अर्थ में, शासकीय कानून के पालन से लेकर सामाजिक
मान्यताओं का सम्मान करना ही नहीं, बल्कि स्वस्थ
रहने के लिए, स्वास्थ्य, नियमों का पालन करना भी सम्मिलित है।
इस तरह, सामान्य एवं व्यावहारिक रूप से व्यक्ति जहाँ
रहता है वहाँ के नियम, कानून एवं सामाजिक मान्यताओं के अनुरूप आचरण
एवं व्यवहार करना ही अनुशासन कहलाता है। यदि कहीं अनुशासनहीनता व्याप्त है, तो कही न कहीं
इसमें अच्छे शासन का अभाव भी ज़िम्मेदार होता है। यदि परिवार के मुखिया का शासन
सही नहीं है, तो परिवार में अव्यवस्था व्याप्त रहेगी। यदि किसी स्थान का
प्रशासन सही नहीं है तो वहाँ अपराध का ग्राफ स्वाभाविक रूप से ऊपर ही रहेगा। यदि
राजनेता कानून का पालन नहीं करेंगे, तो जनता से इसके
पालन की उम्मीद नहीं की जा सकती।
यदि खेल के मैदान में कैप्टन अनुशासित नहीं रहेगा तो टीम के
अन्य सदस्यों से अनुशासन की आशा करना व्यर्थ और यदि टीम अनुशासित नहीं है, तो उसकी पराजय से
उसे कोई नहीं बचा सकता है। इसी तरह, यदि देश की सीमा
पर तैनात सैनिकों का कैप्टन अनुशासित न हो, तो उसकी सैन्य
टुकड़ी कभी अनुशासित नहीं रह सकती । परिणामस्वरूप देश की सुरक्षा निश्चित रूप से
खतरे में पड़ जाएगी। राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के शब्दों में, "अनुशासन के बिना
न तो परिवार चल सकता है और न संस्था न राष्ट्र ही" सचमुच यदि कर्मचारीगण अनुशासित
न हो, तो वहाँ भ्रष्टाचार का बोल-बोला हो जाता। अनुशासन के अभाव
में किसी भी समाज में अराजकता
व्याप्त हो जाती है। अतः अनुशासन किसी भी समाज की मूलभूत आवश्यकता है। अनुशासन न
केवल व्यक्तिगत हित बल्कि सामाजिक हित के दृष्टिकोण से भी अनिवार्य है।
13. आप विद्यालय की छात्र परिषद् के सचिव हैं। स्कूल के बाद
विद्यार्थियों को नाटक का अभ्यास करवाने के लिए अनुमति माँगते हुए प्रधानाचार्य को
लगभग 80- 100 शब्दों में पत्र
लिखिए। [5]
अथवा
अस्पताल कर्मचारियों के सद्व्यवहार की प्रशंसा करते हुए
मुख्य चिकित्सा अधिकारी को लगभग 80-100
शब्दों में पत्र लिखिए।
उत्तर- सेवा में,
प्रधानाचार्य महोदय,
अ ब स विद्यालय,
नई दिल्ली।
दिनांक 20 नवम्बर, 20XX
विषय-नाटक का अभ्यास हेतु अनुमति
माननीय महोदय,
सविनय निवेदन है कि मैं कक्षा दसवीं 'ब' का छात्र हूँ साथ
ही विद्यालय के सांस्कृतिक कार्यशाला के छत्र परिषद का सचिव भी हूँ। विद्यालय में
होने वाले वार्षिकोत्सव के लिए कक्षा दसवीं के छात्रों ने मिलकर एक नाटक बनाया है
जिसके अभ्यास हेतु हमें पुस्तकालय व खेल के पीरियड में अभ्यास करने के लिए अनुमति
चाहिए। हम सभी छात्र अच्छी तरह ही जानते हैं कि हमें हमारी अपने वाली दसवीं की
परीक्षा हेतु भी तैयारी करनी हैं, इसलिए हम अपने मुख्य विषयों की कक्षाएँ नहीं
छोड़ना चाहते हैं केवल पुस्तकालय व खेल की कुछ कक्षाएँ यदि हमें अभ्यास हेतु
तीन-चार दिन मिल पाए तो हमारे नाटक का अभ्यास अच्छी तरह से हो जाएगा।
अतः आप से निवेदन है कि यदि आप हमें नाटक अभ्यास हेतु कुछ (
पुस्तकालय व खेल) की कक्षाएँ देंगें तो हमारा विद्यालय के वार्षिकोत्सव के नाटक का
अभ्यास सही रूप से हो जाएगा। आशा है आप हमें अनुमति देने की कृपा जरूर करेंगे।
धन्यवाद
भवदीय
अ ब स।
अथवा
सेवा में,
मुख्य चिकित्सा अधिकारी, अ ब स नगर
क्षेत्र, नई दिल्ली। दिनांक 30 जनवरी, 20XX
विषय - अस्पताल कर्मचारियों की प्रशंसा हेतु पत्र माननीय
महोदय,
मैं इस पत्र के माध्यम से आपका ध्यान अ ब स नगर क्षेत्र के
सरकारी अस्पताल के कर्मचारियों के कर्त्तव्यनिष्ठता एवं सद्भावपूर्ण व्यवहार की ओर
आकर्षित करना चाहती हूँ साथ ही उनकी प्रशंसा करना चाहती हूँ एवं आशा रखती
हूँ कि आने वाले समय में ये कर्मचारी इसी तरह जनता की सेवा करें। मैं दिनांक 25 जनवरी को सड़क
दुर्घटना में घायल हो गई थी, मेरे हाथ व पैरों में काफी चोटें आ गई थी जिस
कारण कुछ लोगों ने मुझे तिलक नगर सरकारी अस्पताल में दाखिल किया। यहीं से मेरे
माता-पिता को भी सूचना दी गई। माता-पिता आने में कुछ समय लगा पर वहाँ अस्पताल के
कर्मचारियों व डॉक्टरों ने पूरा ध्यान रखा। ऐसा बिल्कुल भी नहीं लगा कि मैं यहाँ
अकेली हूँ। घबराहट के कारण में बेहोश हो गई थी और मेरे पास कुछ जरुरी दस्तावेज भी
थे परंतु उन्होंने मेरे सभी दस्तावेजों को भलीभाँति ढंग से रखा और माता-पिता के
आने के पश्चात उन्हें दे दिए। मुझे करीबन सात घंटे बाद होश आया क्योंकि चोटें कुछ
ज्यादा श्रीं पर इस बीच मेरा सही व सुचारू रूप से इलाज चला। मुझे यह अहसास ही नहीं
हो पाया कि मैं सरकारी अस्पताल में हूँ जिसके लिए में उनका धन्यवाद करती है। विशेष
रूप से डॉ. शर्मा जी का जिन्होंने मेरे जीवन को निधि दस्तावेज का ध्यान रखा अतः आप
से निवेदन है कि डॉ. शर्मा जी को सम्मानित कर उनका मान बढ़ाएँ। धन्यवाद।
भवदीय,
अ ब स ।
14. आप अपनी कॉलोनी की कल्याण परिषद् के अध्यक्ष हैं। अपने
क्षेत्र के पार्कों की साफ सफाई के प्रति जागरूकता लाने हेतु कॉलोनीवासियों के लिए
40-50 शब्दों में सूचना तैयार कीजिए। [5]
अथवा
विद्यालय की सचिव की ओर से 'समय प्रबंधन' विषय पर आयोजित
होने वाली कार्यशाला के लिए 40- 50 शब्दों में एक सूचना
तैयार कीजिए।
अथवा
सूचना
अ ब स विद्यालय
विद्यालय के सभी कक्षा दसवीं के छात्र-छात्राओं को सूचित
किया जाता है कि आने वाली दसवीं की परीक्षाओं के लिए विद्यालय की ओर से 'समय प्रबंध' विषय पर
कार्यशाला आयोजित होने वाली हैं, जिसमें छात्र-छात्राओं को 'समय प्रबंध' के महत्व व लाभ बताएँ जाएँगे। जो अपने वाली परीक्षाओं के लिए
छात्र-छात्राओं के लिए काफी लाभकारी हो सकते हैं। यह कार्यशाला दिनांक- 6-12-20XX
से 10-12-20XX
तक विद्यालय में
प्रत्येक दिन पुस्तकालय की कक्षा में होगी।
श्री राजीव कुलश्रेष्ठ
सचिव
15. 'फास्ट फूड' के बढ़ते प्रचलन के बारे में बड़े ओर छोटे भाई
के बीच होने वाले संवाद को लगभग 50 60 शब्दों में लिखिए। ** [5]
अथवा
बोर्ड परीक्षाओं की तैयारी के संबंध में दो मित्रों के बीच होने वाले संवाद
को लगभग 50- 60 शब्दों में लिखिए। **
16. कोई कंपनी 'लेखनी' नाम का नया पेन
बाजार में लाना चाहती है। उसके लिए लगभग 25 50 शब्दों में एक -
विज्ञापन तैयार कीजिए। [5]
अथवा
ए. टी. एम. केन्द्रों पर सावधानी बरतने संबंधी निर्देश देते
हुए पंजाब नेशनल बैंक
की ओर से लगभग 25-50 शब्दों में
एक विज्ञापन तैयार कीजिए।
Delhi
[Set-II]
Note: Except for the following questions all the remaining questions
have been asked in previ- ous sets.
2. 'पद किसे कहते हैं, उदाहरण देकर
स्पष्ट कीजिए।" [1]
3. निम्नलिखित वाक्यों को निर्देशानुसार बदलिए - [1x3=3]
(क) निकोबार द्वीप के विभक्त होने की एक लोककथा आज भी दोहराई
जाती है। (मिश्र वाक्य में)
(ख) समुद्र से चलकर ठंडी बयार तताँरा को छू रही थी। (संयुक्त वाक्य
में)
(ग) गायन इतना प्रभावी था कि वह अपनी सुध-बुध खोने लगा। (सरल
वाक्य में)
उत्तर- (क) निकोबार द्वीप के विभक्त होने की एक लोक कथा है, जो आज भी दोहराई
जाती है।
(ख) समुद्र से ठंडी बयार चल रही थी और तताँरा को छू रही थी।
(ग) वह प्रभावी गायन के कारण अपनी सुध-बुध खोने लगा।
4. (क) निम्नलिखित समस्त पदों का विग्रह करके समास का नाम
लिखिए- [1×2=2]
(i) यथासमय
(ii) गिरिधर
(ख) निम्नलिखित
विग्रहों के समस्त पद बनाकर समास का नाम लिखिए- [1×2=2]
(i) कला का मर्मज्ञ
(ii) नीला है जो गगन
उत्तर- (क) (i) समय के अनुसार- अव्ययीभाव समास
(ii) गिरि को धारण करने वाला (कृष्ण) - बहुब्रीहि समास
(ख) (i) कला मर्मज्ञ - तत्पुरुष समास
(ii) नीलगगन - कर्मधारय समास
5. निम्नलिखित वाक्यों को शुद्ध करके लिखिए - [1×4=4]
(क) मेरे को आपका काम बहुत पसंद है।
(ख) एक ठंडा गिलास पानी ले आओ।
(ग) उसने पुस्तकों की रचना की गई है।
(घ) बड़े भाई को जिंदगी की अच्छी अनुभव है।
6. निम्नलिखित मुहावरों का प्रयोग अपने वाक्यों में कीजिए- [1×4=4]
(क) हक्का-बक्का रहना
(ख) खुशी का ठिकाना न रहना
(ग) दाँतों तले उँगली दबाना
(घ) आँखें दिखाना
उत्तर- (क) अचानक हुए दंगों से नीरज हक्का बक्का रह गया।
(ख) मेरी दसवीं की परीक्षा का परिणाम देखकर मेरी खुशी का
ठिकाना न रहा।
(ग) सर्कस में जादूगर के कारनामे देखकर दर्शक दाँतों तले
उँगली दबाने लगे।
(घ) मोहन मुझे बात-बात पर आँखें दिखा रहा था।
10. लगभग 80-100 शब्दों में उत्तर लिखिए-
'मनुष्यता' कविता में 'परोपकार' के संबंध में दिए
गए उदाहरण को स्पष्ट करते हुए लिखिए कि आपका मित्र परोपकारी है, यह आपने कैसे
जाना ? [5]
अथवा
'कर चले हम फिदा' नामक गीत के आधार
पर सैनिक जीवन की चुनौतियों का वर्णन कीजिए। सैनिकों का हौसला बढ़ाने के लिए आप
क्या करेंगे?
उत्तर- 'मनुष्यता' कविता में 'परोपकार' के संबंध में कवि
ने दधीचि, कर्ण आदि महान व्यक्तियों का उदाहरण देकर मनुष्यता के लिए
संदेश दिया है कि प्रत्येक मनुष्य को परोपकार करते हुए अपना सर्वस्व त्यागने से
कभी पीछे नहीं हटना चाहिए। इन व्यक्तियों ने दूसरों की भलाई के लिए अपना सर्वस्व
दान कर दिया था। दधीचि ने अपनी अस्थियों का तथा कर्ण ने कुंडल और कवच का दान कर
दिया था हमारा शरीर नश्वर है। इसलिए इसके मोह को त्याग कर इसे दूसरों के हित चिंतन
में लगा देने में ही इसकी सार्थकता है। जी हाँ, मेरा मित्र भी
परोपकारी है। इसकी जानकारी मुझे तब हुई जब मैं स्वयं बीमार था और विद्यालय पहुँचा
तो मैंने सोचा मुझे तो अब दस दिन तक का ढेर सारा काम करना पड़ेगा पर मुझे मेरे
मित्र ने दस दिन का पूरा काम करा दिया। उसने इन दस दिनों में अपने काम के साथ-साथ
मेरा भी काम किसी कॉपी में कर रखा था, जिससे मैं काफी
प्रसन्न हुआ और मित्र को धन्यवाद भी दिया।
अथवा
जिस प्रकार एक सैनिक का जीवन आम भारतीयों के जीवन से
पूर्णत: अलग होता है उसी प्रकार उसके जीवन की चुनौतियाँ भी सामान्य आदमी के जीवन
से भिन्न होती हैं एक सैनिक अपने देश पर बलिदान होने के लिए तत्पर रहता है। जब हम
अपने घरों में सो रहे होते हैं, तब वह सीमा पर दुश्मनों का सामना कर रहा होता
है। युद्ध के क्षेत्र में सैनिक कभी पीठ नहीं दिखाता। वह सदैव दुश्मनों पर हावी
रहता है। सैनिकों के जीवन का कोई भरोसा नहीं होता कि कब मौत आ जाए। सैनिक न केवल
युद्ध के मैदान में बल्कि देश पर आने वाली अन्य विपदाओं जैसे- बाढ़, भूकम्प, तूफान, दुर्घटना आदि में
भी सहायता करने के लिए सदैव तत्पर रहते हैं। उन्हें कभी आराम नहीं मिलता है। देश पर
किसी भी प्रकार का संकट गहराता है, सबसे पहले
सैनिकों को याद किया जाता है।
सैनिकों में देश-प्रेम इतना प्रबल होता है कि वह अपने
परिवार को छोड़कर देश के लिए वर्षों तक देश की सीमा पर रहता है। उसके लिए ठण्ड या
गर्मी कोई महत्व नहीं रखती। धूप, बारिश और बर्फ का सामना करते हुए भी वे देश की
रक्षा करते हैं। सैनिकों के रहने के लिए सही सुविधाएँ नहीं होती हैं और न ही मन
पसंद खाना मिलता है। उनके जीवन में सुख और दुःख का भी महत्व नहीं होता है उनके लिए देश ही सर्वस्व
है। सैनिकों का व्यक्तिगत जीवन नहीं होता वे देश के लिए जीते और देश के लिए मरते
हैं। आज हम जीवित हैं, उत्सव मना रहे हैं, व्यापार और
व्यवसाय कर रहे हैं तो इसका एक कारण हमारे देश के सैनिक हैं जिनके परम त्याग से यह
देश फल-फूल रहा है। अतः हमें मिलकर सैनिकों के जीवन की चुनौतियों को कम करने का
प्रयास करना चाहिए।
11. लगभग 60-70 शब्दों में उत्तर लिखिए- [3x2=6]
(ख) 'हरिहर काका' कहानी के आधार पर
लिखिए कि रिश्तों की नींव मजबूत बनाने के लिए किन गुणों की आवश्यकता है और स्पष्ट
कीजिए कि ऐसा क्यों जरूरी है ?
उत्तर- (ख) हरिहर काका कहानी के आधार पर रिश्तों की नींव
मजबूत बनाने के लिए परिवार के सभी सदस्यों का निःस्वार्थ प्रेम, परस्पर विश्वास
और सम्मान का भाव, त्याग एवं समर्पण का भाव, स्नेह तथा बड़ों
को आदर देना जैसे गुणों का होना आवश्यक है। परिवार के सदस्यों का एक-दूसरे के दुःख, सुख को समझने तथा
विपरीत परिस्थितियों में एक-दूसरे का साथ देने की प्रवृत्ति होनी चाहिए। इन गुण के
चलते रिश्तों की नींव मजबूत बनी रहेगी एवं रिश्ते नहीं बिखरेंगे।
Delhi
[Set-III]
Note: Except for the following questions all the remaining questions
have been asked in previ- ous sets.
2. देशभर में गणतंत्र दिवस धूमधाम से मनाया गया। इस वाक्य में 'मनाया' को पद क्यों कहा
जा सकता है?" [1]
3. निम्नलिखित वाक्यों को निर्देशानुसार बदलिए- [1×3=3]
(क) लड़कों का एक झुंड पतंग के पीछे-पीछे दौड़ा चला आ रहा
था। (मिश्र वाक्य में)
(ख) भाई साहब ने उछलकर पतंग की डोर पकड़ ली। (संयुक्त वाक्य
में)
(ग) ऐसी सभा पहले नहीं की गई थी, जिसमें खुला
चैलेंज दिया गया है। (सरल वाक्य में)
उत्तर- (क) लड़कों का एक झुंड था जो पतंग के पीछे-पीछे
दौड़ा चला आ रहा था।
(ख) भाई साहब उछले और पतंग की डोर पकड़ ली।
(ग) खुला चैलेंज देने वाली ऐसी सभा पहले नहीं की गई थी।
4. (क) निम्नलिखित समस्त पदों का विग्रह करके समास का नाम लिखिए [1×2=2]
(i) पत्र व्यवहार
(ii) चक्रधर
(ख) निम्नलिखित विग्रहों के समस्त पद बनाकर समास का नाम
लिखिए- [1×2=2]
(i) महान है जो नायक
(ii) घर और परिवार
उत्तर- (क) (i) पत्र से व्यवहार - तत्पुरुष समास
(ii) चक्र को धारण करने वाले अर्थात् विष्णु - बहुव्रीहि समास
(ख) (i) महानायक - कर्मधारय समास
(ii) घर परिवार - द्विगु समास
5. निम्नलिखित वाक्यों को शुद्ध करके लिखिए- [1×4=4]
(क) शुद्ध आदर्श भी सोने के जैसे समान ही होते हैं।
(ख) सिपाही लौटकर मुड़ा और कर्नल को घूरता हुआ चला गया।
(ग) मैं यह बात तुम्हारे को नहीं बता सकता।
(घ) मुझे सौ रुपए चाहिएँ।
6. निम्नलिखित मुहावरों का प्रयोग अपने वाक्यों में कीजिए- [1×2=2]
(क) हाथ पाँव फूल जाना
(ख) प्राणांतक परिश्रम करना
(ग) सिर पर तलवार लटकना
(घ) सपनों के महल बनाना
उत्तर- (क) जब हमारे सामने मुसीबतें आती हैं तो हमारे हाथ
पाँव फूल जाते हैं।
(ख) प्राणांतक परिश्रम द्वारा ही सफलता मिलती है।
(ग) सी.बी.आई. जाँच ने सरकारी वर्ग के सिर पर तलवार लटका दी।
(घ) रंक का राजा बनना सपनों के महल बनाने जैसा है।
10. लगभग 80-100 शब्दों में उत्तर लिखिए-
'मनुष्यता' कविता में कवि किन-किन मानवीय गुणों का वर्णन
करता है? आप इन गुणों को क्यों आवश्यक समझते हैं, तर्क सहित उत्तर
लिखिए । [5]
अथवा
सीमा पर भारतीय सैनिकों के द्वारा सहर्ष स्वीकारी जा रही
कठिन परिस्थितियों का उल्लेख कीजिए और प्रतिपादित कीजिए कि 'कर चले हम फिदा' गीत सैनिकों के
हृदय की आवाज़ है।
उत्तर- 'मनुष्यता' कविता में कवि ने
मानव मात्र को परमार्थ, विश्व बंधुत्व और आपसी भाईचारा, करुणा, उदारता, धैर्य, सहयोग आदि गुणों
को अपनाने पर बल दिया है। कवि ने स्वार्थी मनुष्य को पशु प्रकृति से प्रेरित बताया है जिस प्रकार
पशु स्वयं भोजन ग्रहण करके केवल अपना पेट भरता है, वैसा जीवनयापन वो
किसी आत्मकेंद्रित व्यक्ति की निशानी है। परमात्मा के अंश के रूप में हम सब इस
पृथ्वी लोक पर वास करते हैं अतः हममें से प्रत्येक में विश्व बंधुत्व की भावना
होनी चाहिए। ये सारे गुण आवश्यक हैं क्योंकि मानव जीवन तो तभी धन्य है, जब उसे सुमृत्यु
मिले। अधीर होकर भाग्यहीन होने से अच्छा है। कि हम धैर्यवान बने और परस्पर एक
दूसरे का सहारा बनकर एक दूसरे के सुख दुख के सच्चे साथी बने। उसी मनुष्य को
सामर्थ्यवान माना जा सकता है जो दूसरों का उद्धार किया करे तथा समस्त मानव जाति के
कल्याण और परोपकार हेतु अपना जीवन समर्पित कर दे।
अथवा
सीमा पर भारतीय सैनिकों द्वारा सहर्ष स्वीकारी जा रही विषम
प्राकृतिक परिस्थितियाँ भी उनके जज्बे को रोक नहीं सकती सैनिक अपने अदम्य साहस व
शक्ति से देश की रक्षा के लिए हर वक्त मृत्यु का सामना करते हैं। वे भीषण गर्मी, सर्दी, वर्षा, अथवा किसी भी
प्रकार की प्राकृतिक आपदा में अड़े रहकर देश रक्षा के लिए तत्पर रहते हैं सीमा पर
खड़े दुश्मन उन्हें परास्त करने का कोई मौका नहीं छोड़ते पर हमारे वीर सैनिक
दुश्मन की हर चाल को काटते हैं। सैनिक अपने प्रशिक्षण काल से लेकर देश सेवा के
आखिरी दिन तक चुनौतियों का मुकाबला करते हैं। वास्तव में चुनौतियों का मुकाबला
करने का दूसरा नाम सैनिक है। बलिदान होने वाले वीर सैनिक बाकी देशवासियों से यह अपेक्षा कर
रहे हैं कि वे अब बलिदान के पथ को रहने देंगे। इसलिए उन्हें प्रत्येक देशवासियों
से कुछ आशाएँ सूना नहीं अपेक्षाएँ है कि उनके इस संसार से विदा हो जाने के बाद भी
वे देश की आन, बान, शान पर आँच नहीं आने देंगे, बल्कि समय आने पर
अपना बलिदान देकर देश की रक्षा करेंगें।
11. लगभग 60-70 शब्दों में उत्तर लिखिए-
[3×2=6]
(क) हरिहर काका
अनपढ़ थे लेकिन अपने अनुभव और विवेक से दुनिया को बेहतर समझते थे, उदाहरण सहित
स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- (क) हरिहर काका अनपढ़ थे लेकिन अपने अनुभव और विवेक से दुनिया
से बेहतर समझते थे, क्योंकि जिंदगी में उन्हें जो अनुभव हुए, 'संपत्ति होने पर
ही आदर-सम्मान की प्राप्ति संभव है ? इस तथ्य को समझ
लेना। उन अनुभवों ने उनकी समझ को निखार दिया। परिवार वाले और मठाधीश दोनों ही उनके
लिए काल विकराल बन जाते हैं। इन दोनों ने हरिहर काका से 15 बीघे ज़मीन
हथियाने के लिए हर तरह के हथकंडे अपनाए तथा उन पर बहुत जुल्म और अत्याचार किए। इन
सबके बावजूद हरिहर काका ने जीते जी अपनी ज़मीन किसी के नाम नहीं लिखी, क्योंकि अपनी
जमीन इनके नाम करके वे अपना जीवन ' रमेसर की विधवा' की तरह नरक में
नहीं झोंकना चाहते थे तथा न ही जीते जी कुत्ते की मौत मरना चाहते थे।
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