2019 CBSE Class 10 Hindi B PYQ | Class 10 Hindi B PYQ | Class 10 Hindi B PYQ Question | Class 10 Hindi PYQ Course B 2019
HINDI COURSE B ( 2019)
Outside Delhi [Set-1]
निर्धारित समय : 3 घण्टे
अधिकतम अंक 80
खण्ड 'क'
1. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
आज का विद्यार्थी
भविष्य की सोच में कुछ अधिक लग गया है। भविष्य कैसा होगा, वह भविष्य में क्या बनेगा, इस प्रश्न को सुलझाने में या दिवास्वप्न देखने में वह बहुत
समय नष्ट कर देता है। भविष्य के बारे में सोचिए जरूर, लेकिन भविष्य को वर्तमान पर हावी मत होने दीजिए क्योंकि
वर्तमान ही भविष्य की नींव बन सकता है अतः नींव को मजबूत बनाने के लिए आवश्यक है
कि भान तो भविष्य का भी हो, लेकिन ध्यान
वर्तमान पर रहे। आपकी सफलता का मूलमंत्र यही हो सकता है कि आप एक स्वप्न लें,
सोचें कि आपको क्या बनना है और क्या करना है और
स्वप्न के अनुसार कार्य करना प्रारंभ करें वर्तमान रूपी नींव को मजबूत करें और यदि
वर्तमान रूपी नींव सबल बनती गई, तो भविष्य का भवन
भी अवश्य बन जाएगा। जितनी मेहनत हो सके, उतनी मेहनत करें और निराशा को जीवन में स्थान न दें यह सोचते हुए समय खराब न
करें कि अब मेरा क्या होगा मैं सफल भी हो पाऊँगा या नहीं? ऐसा करने में आपका समय नष्ट होगा और जो समय नष्ट करता है,
तो समय उसे नष्ट कर देता है। वर्तमान में समय
का सदुपयोग भविष्य के निर्माण में सदा सहायक होता है भविष्य के बारे में अधिक सोच
या अधिक सोच या अधिक चर्चा करने से चिंताएँ घेर लेती हैं। ये चिंताएँ वर्तमान के
कर्म में बाधा उत्पन्न करती हैं। ये बाधाएँ हमारे उत्साह को लगन को धीमा करती हैं और
लक्ष्य हमसे दूर होता चला जाता है। निःसंदेह भविष्य के लिए योजनाएँ बनानी चाहिए, किंतु वर्तमान को विस्मृत नहीं करना चाहिए। भविष्य की नींव बनाने में वर्तमान
का परिश्रम भविष्य की योजनाओं से अधिक महत्त्वपूर्ण है।
(क) आज का विद्यार्थी अपना समय किन बातों में
नष्ट कर देता है? इसे त्याज्य क्यों माना गया है? [2]
(ख) हमारी सफलता का मूलमंत्र क्या हो सकता है और
कैसे ? [2]
(ग) समय का हमारे जीवन में क्या महत्त्व बताया
गया है? [2]
(घ) हम अंततः लक्ष्य से कैसे दूर होते जाते हैं? इससे कैसे बचा जा सकता है?
[2]
(ङ) उपर्युक्त गद्यांश के लिए एक उपयुक्त शीर्षक
लिखिए। [1]
उत्तर- (क) आज का
विद्यार्थी भविष्य के सपनों, प्रश्नों और दिवास्वप्न देखने में समय नष्ट कर
रहा है। इसे त्याज्य इसलिए माना गया है क्योंकि वर्तमान से दृष्टि हट जाती है नींव
कमजोर रह जाती है।
(ख) हमारी सफलता
का मूलमंत्र है कि हम अपने स्वप्न के अनुसार अपने लक्ष्य पाने का कार्य योजना बद्ध
करें। साथ ही योजना बद्ध कार्य करे।
(ग) समय का हमारे
जीवन में भविष्य के निर्माण में बहुत महत्त्व है। वर्तमान में समय का सदुपयोग
भविष्य के निर्माण में सहायक होता है तथा यह सही है जो समय नष्ट करता है भविष्य
में समय उसे नष्ट कर देता है।
(घ) लक्ष्य से हम
अपनी चिंताओं, जो हमारे कर्म
में बाधा उत्पन्न करती है यही बाधाएँ हमारे उत्साह और लगन को धीमा करके हमें हमारे
लक्ष्य से दूर करती हैं। इससे बचने के लिए हमें भविष्य की योजनाएँ तो बनानी चाहिए
लेकिन वर्तमान को विस्मृत किए बिना, वर्तमान का परिश्रम भविष्य के लिए महत्वपूर्ण है।
(ङ) वर्तमान का
महत्त्व / सफलता का मूल मंत्र / परिश्रम भविष्य की डोर |
2. निम्नलिखित
काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:" [ 2
× 3 = 6]
मेरे अंदर एक देश
बसता है
जिंदगी से हारकर
जब उदास होता है वह
प्यार देता है
दुलार देता है।
अपनी बाँहों में
कसता है।
मेरे अंदर
एक सभ्यता है
एक संस्कृति है
जो जीने की राह
बताती है
सदियों पुरानी
होकर
अमर नवीन कहलाती
है !
स्कूल-कॉलेज-
अस्पताल
कल-कारखाने खेत
नहरें बाँध पुल
हैं,
जहाँ श्रम के फूल
खिलते हैं
और अड़सठ करोड़
लोग एक-दूसरे के गले मिलते हैं।
मेरे अंदर
कश्मीर ताज-
अजंता एलोरा का
कुँआरा रूप
झिलमिलाता है
हर नई साँस के
संग
नया सूरजमुखी
खिलखिलाता है।
(क) कवि के मन में
जो देश बसा है, वह उसे निराशा के
अवसरों पर भी क्या देता है? समझाइए ।
(ख) देश की सभ्यता
संस्कृति की विशेषताएँ क्या हैं ?
(ग) आशय स्पष्ट
कीजिए:
" हर नई साँस के
संग
नया सूरजमुखी
खिलखिलाता है।'
अथवा
तरूण, तुम्हारी शक्ति अतुल है
जहाँ कर्म में वह
बदली है
वहाँ राष्ट्र का
नया रूप
सम्मुख आया है
वैयक्तिक भी कार्य तुम्हारा
सामूहिक है
और
जहाँ हो
वहीं तुम्हारी
जीवनधारा
जड़-चेतन को
आप्यायित,
आप्लावित करती है।
कोई देश
तुम्हारी साँसों
से जीवित है
और तुम्हारी
आँखों से देखा करता है
और तुम्हारे चलने
पर चलता है।
संकल्पों में
इतनी है शक्ति तुम्हारे
जिससे कोई राष्ट्र
बना- बिगड़ा करता है।
(क) राष्ट्र का नवीन रूप
कब उभरता है और कैसे ?
(ख) युवकों की जीवनधारा जड़-चेतन को किस प्रकार तृप्त करती है?
(ग) आशय स्पष्ट कीजिए: 'संकल्पों में इतनी है शक्ति तुम्हारे जिससे कोई राष्ट्र बना- बिगड़ा करता है।'
खण्ड 'ख'
3. शब्द वाक्य में प्रयुक्त होने पर क्या कहलाता है ? उदाहरण देकर समझाइए । [2]
अथवा
शब्द किसे कहते हैं? उदाहरण देकर शब्द और पद में अंतर स्पष्ट कीजिए ।
4. नीचे लिखे वाक्यों में से
किन्हीं तीन वाक्यों का निर्देशानुसार रचना के आधार पर रूपांतरण कीजिए: [1 × 3 = 3]
(क) ग्वालियर में हमारा एक
मकान था, उस मकान के दालान में दो रोशनदान थे। (मिश्र वाक्य में)
(ख) तताँरा ने विवश होकर
आग्रह किया। (संयुक्त वाक्य में)
(ग) आप जो कुछ कह रहे हैं
यह बिल्कुल सच है। (सरल वाक्य में)
(घ) प्रैक्टिकल
आइडियलिस्टों के जीवन से आदर्श धीरे-धीरे पीछे हटने लगते हैं। (मिश्र वाक्य में)
उत्तर- (क)
ग्वालियर में हमारा एक मकान था जिसके दालान में दो रोशनदान थे।
(ख) जब तताँरा विवश हुआ तब उसने आग्रह किया। (संयुक्त वाक्य)
(ग) आपका कहा बिल्कुल सच है। (सरल वाक्य)
(घ) जो प्रैक्टिकल आइडियलिस्टों के जीवन में
आदर्श होते है वह धीरे-धीरे पीछे हटने लगते हैं (मिश्र वाक्य)
5(क) निम्नलिखित शब्दों में से किन्हीं दो पदों का समास विग्रह करते हुए समास का नाम लिखिए: [1 × 2 = 2]
ग्रंथकार, देशनिर्वासित, सज्जन
(ख) निम्नलिखित में से किन्हीं दो के समस्त पद
बनाकर समास का नाम लिखिए:
[1 ×2=2]
(i) जो नभ में विचरण करता है
(ii) सीमा का प्रहरी
(iii) आठ अध्यायों का समूह
उत्तर- (क)
ग्रंथकार
- ग्रंथ को करने वाला- कर्म
तत्पुरुष
देशनिर्वासित- देश से
निर्वासित - अपादान तत्पुरुष सज्जन — सज्जन सच्चा है जो पुरुष (सत् जन ) - कर्मधारय
(ख) (i) जो नभ में विचरण करता है— नभचर — बहुव्रीहि समास
(ii) सीमा का प्रहरी -सीमा प्रहरी — तत्पुरुष समास
(iii) आठ अध्यायों का समूह - अष्टाध्यायी — द्विगु समास
6. निम्नलिखित में से
किन्हीं चार वाक्यों को शुद्ध कीजिए : [1 × 4 = 4]
(क) मैं यह कार्य आसानी
पूर्वक कर सकता हूँ।
(ख) उस पर घड़ों
पानी गिर गया।
(ग) जो मैंने करा वह तुम
कभी नहीं कर सकते।
(घ) उसकी तो अक्ल मर गई।
(ङ) मैं सादरपूर्वक निवेदन
करता हूँ।
7. किन्हीं दो रिक्त स्थानों
की पूर्ति उचित मुहावरों द्वारा कीजिए: [1 x 2 = 2]
(क) मुझे मत समझना, मैं तुम्हारी हर चाल समझता हूँ।
(ख) तुम तो हर
छोटी-बड़ी बात पर लेते हो।
(ग) भारतीय सैनिकों ने
दुश्मन की सेना के दिए ।
उत्तर- (क) मुझे
मिट्टी का माधो मत समझना, मैं तुम्हारी हर
चाल समझता हूँ।
(ख) तुम तो हर छोटी-बड़ी
बात पर मुँह फुला लेते हो।
(ग) भारतीय
सैनिकों ने दुश्मन की सेना के छक्के छुड़ा दिए।
खण्ड 'ग'
8. निम्नलिखित प्रश्नों के
उत्तर दीजिए: [2+2+1=5]
(क) वर्तमान समय में
शाश्वत मूल्यों की क्या उपयोगिता है ? 'गिन्नी का सोना' पाठ के आधार पर लिखिए।
(ख) तताँरा - वामीरों की
त्यागभरी मृत्यु से निकोबार में क्या परिवर्तन आया ?
(ग) कलकत्तावासियों के लिए
26 जनवरी, 1931 का दिन क्यों महत्वपूर्ण था ?
अथवा
बड़े-बड़े बिल्डर समुद्र को पीछे क्यों धकेल रहे थे ?
उत्तर- (क) जिन
मूल्यों पर देश तथा काल का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है उन्हें ही हम शाश्वत मूल्य
कहते हैं। जैसे सत्य, अहिंसा, दया, त्याग एवं
परोपकार आदि । वर्तमान समय में विकास से ही भ्रष्टाचार आदि बुराइयों का अंत सम्भव है।
इन्हीं लोगों को
आज का समाज आदर्शवादिता के रूप में देखता है यथार्थ में जब चर्चा होती हैं तो
इन्हीं के आदर्श बहुत पीछे छूट जाते हैं। इसलिए आदर्श समाज की स्थापना के लिए यह
अनिवार्य है।
(ख) तताँरा वामीरों की
त्याग भरी मृत्यु से निकोबार में एक सुखद परिवर्तन यह हुआ कि निकोबार के लोग दूसरे
गाँवों में भी वैवाहिक संबंध बनाने लगे थे।
(ग) कलकत्तावासियों के लिए
26 जनवरी 1931 का दिन बहुत
महत्वपूर्ण था। इस दिन को अमर बनाने के लिए सब अपने ऊपर लगे आरोप कि कलकत्ता में
स्वतन्त्रता के लिए काम नहीं हो रहा है, को मिटाना चाहते
थे।
अथवा
बड़े-बड़े
बिल्डरों के द्वारा मुंबई जैसे बड़े शहरों में समुद्र को घेरकर उसकी जमीन हथियाकर
मुनाफा कमाना चाहते थे।
9. बड़े भाईसाहब के व्यक्तित्व की विशेषताओं पर
सोदाहरण प्रकाश डालिए ।
[5]
अथवा
'कारतूस' पाठ के आधार पर सोदाहरण
सिद्ध कीजिए कि वज़ीर अली एक
जाँबाज़ सिपाही था।
उत्तर- भाई साहब
के व्यक्तित्व की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
(1) अध्ययनशील - बड़े भाईसाहब स्वभाव से ही
अध्ययनशील थे। वे हरदम किताबों में लीन रहते थे। उनमें रटने की प्रवृत्ति थी।
(2) गंभीर प्रवृत्ति - भाई साहब गंभीर प्रवृत्ति के
थे व छोटे भाई के सामने उदाहरण प्रस्तुत करना चाहते थे। उनका गंभीर स्वभाव ही उन्हें विशिष्टता प्रदान करता था।
(3) घोर परिश्रमी भाई साहब जीवन में परिश्रम करने
में कोई कसर नहीं छोड़ते थे। वह एक कक्षा में तीन बार फेल होकर भी लगन से पढ़ते
रहे। वे दिन रात पढ़ते थे उनकी तपस्या बड़े-बड़े तपस्वियों को भी मात करती है।
(4) वाक्पटु – भाई साहब वाक कला में
निपुण थे वह उदाहरण के जरिए बात समझाने में निपुण थे। इस कला के सामने सब उनके
सामने नतमस्तक थे।
(5) संयमी व कर्तव्यपरायण भाई साहब अत्यंत संयमी व
कर्त्तव्यपरायण थे। वह भी पतंग उड़ाना चाहते थे लेकिन छोटे भाई के आगे ऐसा नहीं
करते थे। वह अपने कर्तव्य को बखूबी निभाते थे। छोटे भाई के अभिमान को उन्होंने
आड़े हाथ लिया जिससे उसका सिर श्रद्धा से झुक गया।
(6) उपदेश देने की कला में
निपुण—उपदेश देने की कला में वे निपुण थे व अपनी बात
को साबित करने के लिए सुक्ति चारण चलाते थे।
(7) बड़ों का आदर- बड़े भाई
साहब बड़ों का आदर करते थे। वह अपने माता-पिता, गुरुजनों का आदर
करते थे और उनके अनुभवों को सम्मान देते थे।
अथवा
वज़ीर अली सचमुच
एक जाँबाज़ सिपाही था। वह बहुत हिम्मती और साहसी था उसे अपना लक्ष्य पाने के लिए
जान की बाजी लगानी आती थी। साहसिक कारनामों के कारण अंग्रेजों द्वारा राबिन हुड
कहा जाता था।
जब उससे अवध की
नवाबी ले ली गई तो उसने अंग्रेज़ों के विरुद्ध संघर्ष करना शुरू कर दिया। उसने
गवर्नर जनरल के सामने पेश होने को अपना अपमान माना और पेश होने से साफ मना कर
दिया। गुस्से में आकर कंपनी के वकील की हत्या कर डाली। यह हत्या शेर की माँद में
जाकर शेर को ललकारने जैसी थी।
इसके बाद वह
आजमगढ़ और गोरखपुर के जंगलों में भटकता रहा। वहाँ भी निडर होकर अंग्रेज़ों के
कैम्प में घुस गया। उसे अपनी जान की परवाह नहीं थी उसके जाँबाज़ सिपाही होने का
परिचय उस कैंप में घुसकर कारतूस लेने में सफल हो जाता है तथा कर्नल उसे देखता रह
जाता है। इन घटनाओं से पता चलता है कि वह सचमुच जाँबाज़ आदमी था।
10. निम्नलिखित प्रश्नों के
उत्तर दीजिए: [2+2+1=5]
(क) कबीर की साखी के आधार
पर लिखिए कि ईश्वर वस्तुत: कहाँ है। हम उसे क्यों नहीं देख पाते ?
(ख) सुमित्रानंदन पंत ने 'पर्वत प्रदेश में पावस' कविता में तालाब
की तुलना किससे की है और क्यों ?
(ग) कवि किन दिनों में
प्रभु की याद बनाए रखना चाहता है? 'आत्मत्राण' कविता के आधार पर लिखिए।
अथवा
गोपियाँ
श्रीकृष्ण की बाँसुरी क्यों छिपा लेती हैं? 'बिहारी के दोहे' के आधार पर लिखिए।
उत्तर- (क) कबीर
की साखी के आधार पर ईश्वर की प्राप्ति मन को एकाग्रचित्त करके आध्यात्मिक चिंतन
द्वारा की जा सकती है।
मन की
विषय-वासनाओं को त्याग कर ही हम भक्ति के मार्ग पर बढ़ सकते हैं ईश्वर का निवास
हमारे मन में होता है उसे कहीं बाहर मन्दिर मस्जिद में नहीं ढूँढना पड़ता।
जैसे मृग की नाभि
में कस्तूरी नामक सुगंधित पदार्थ होता है लेकिन वह
अज्ञानता के कारण उसे ढूँढ़ने के लिए दूर जंगलों में भटकता रहता है।
अतः हम अपने मन
को एकाग्रचित्त करके ईश्वर को पाने मैं सफल हो सकते हैं।
(ख) कवि ने तालाब की
समानता दर्पण से करते हुए यह दिखाया है कि जिस प्रकार दर्पण में चेहरा दिखाई देता
है ठीक उसी प्रकार तालाब में
ऊँचे-ऊँचे पर्वतों के प्रतिबिंब साफ दिखाई देते हैं। इस कारण उन्होंने तालाब की
समानता दर्पण से की है।
(ग) आत्मत्राण कविता के आधार पर हम कह सकते हैं
कि व्यक्ति को दुःखों और मुसीबतों को याद रखना चाहिए लेकिन दूसरी तरफ यह भी कहना
है कि यदि हमारे पास सुख है तो भी हमें ईश्वर को भूलना नहीं चाहिए। परमात्मा को
याद करना, धन्यवाद देना तथा उनके प्रति विनय प्रकट करना न
भूलें।
अथवा
श्रीकृष्ण हर समय
केवल बाँसुरी ही बजाते रहते हैं। ऐसे में गोपियों को भी भूल चुके हैं उनका ध्यान
अपनी ओर खींचने के लिए गोपियाँ श्रीकृष्ण की बाँसुरी को छिपा लेती हैं ताकि उनका
पूरा ध्यान गोपियों पर रहे और वे उनसे बातें करें उनकी बातों का आनंद पाने के लिए
भी वह बाँसुरी छिपा लेती है।
11. 'तोप' कविता का प्रतिपाद्य अपने शब्दों में लिखिए। [5]
अथवा
'कर चले हम फिदा' कविता के आधार पर
प्रतिपादित कीजिए कि बलिदानी वीर भारतीय युवकों से क्या अपेक्षा करते हैं और क्यों
?
उत्तर- धरोहर
अनेक प्रकार की होती हैं तोप भी हमारी राष्ट्रीय धरोहर है तथा शक्ति का प्रतीक है।
यह तोप हमें 1857 के स्वतन्त्रता संघर्ष (संग्राम) की याद
दिलाती है और देशवासियों को संघर्ष करने की प्रेरणा देती है। शक्ति पर घमंड नहीं
करना चाहिए क्योंकि यह स्थायी नहीं होती। शक्ति को विनाश में नहीं सृजन में लगाना
सार्थक है। धरोहरें हमें संस्कृति व इतिहास से जोड़ती हैं। यह हमारी परंपराओं, हमारे सैनानियों, बलिदानों का परिचय करवाती हैं।
कंपनी बाग और तोप
ये दोनों अंग्रेजों की विरासत हैं। इन दोनों का प्रयोग भारतीय जनता के लिए किया
गया था। अब तोप प्रदर्शन मात्र है। अंग्रेजी सरकार ने भारतीय जनता को खुश करने के
लिए जगह-जगह कंपनी बाग बनवाए। जिससे जनता प्रसन्न हुई। लेकिन दूसरी ओर अंग्रेजों
ने जनता में विद्रोह को दबाने के लिए इस तोप का भी इस्तेमाल किया।
यह दोनों
विरासतें भारतीय जनता को सावधान करने के लिए रखी गई है। ये विरासतें हमें विदेशी
शक्तियों से सावधान करती हैं, ये कहती हैं कि विदेशी कंपनियों द्वारा दिए गए
आकर्षणों में न फंसें इतिहास में की गई गलतियों से सीख लेकर भविष्य में सजग रहने
की जरूरत है।
अथवा
इस कविता में कवि
ने संदेश दिया है कि देश की रक्षा करना हमारा सबसे अहम कर्तव्य है हमारे मन में यह
भावना होनी चाहिए कि देश का सर ऊँचा रहे किसी भी शत्रु के अपवित्र कदम इस देश पर न
पड़ जाए। हमारे अंदर इतनी शक्ति होनी चाहिए कि हम उसे उसके दुस्साहस का मज़ा चखा
सकें।
विदेशी ताकतों का
सामना करने के लिए सीमाओं को सशक्त बनाने के लिए लक्ष्मण रेखा जैसी मजबूत सीमा
तैयार करनी चाहिए ताकि शत्रु देश में पाँव भी न रख पाएँ। यह देश को सुरक्षित रखने
के लिए केवल हमारे सीमा प्रहरी ही नहीं हर एक नागरिक का कर्तव्य होना चाहिए।
'कर चले हम फिदा' कविता के आधार पर बलिदानी
वीर भारतीय युवकों से अपेक्षा करते हैं। क्योंकि न्याय और मर्यादा की स्थापना का
संकल्प धारण कर सकें तथा मातृभूमि की रक्षा प्रत्येक देशवासी का धर्म होना चाहिए।
भारतीय युवकों से यह अपेक्षा इसलिए की जाती है क्योंकि मातृभूमि की रक्षा करना
प्रत्येक देशवासी का धर्म है।
12. मानवीय मूल्यों के आधार पर इफ्फन और टोपी
शुक्ला की दोस्ती की समीक्षा कीजिए। [5]
अथवा
हरिहर काका के
जीवन के अनुभवों से हमें क्या सीख मिलती है? पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तर- पाठ के
आधार पर टोपी हिन्दू परिवार से संबंध रखता था तथा इफ्फ़न मुसलमान था किंतु फिर भी
टोपी और इफ्फन में गहरे संबंध थे। टोपी शुक्ला की पहली दोस्ती इफ्फ़न से हुई थी।
दोनों विपरीत धर्मों के होने के कारण दोनों में अटूट व अभिन्न मित्र थे। पाठ के
आधार पर कह सकते हैं कि इफ्फ़न के बिना टोपी शुक्ला की कहानी में अधूरापन लगेगा।
दोनों के लिए रीति-रिवाज सामाजिक हैसियत, खान-पान आदि कोई महत्त्व
नहीं रखते थे। दोनों का रिश्ता धर्म और जाति की सीमाएँ पार कर प्रेम के बंधन में
बंध गया था। दोनों एक दूसरे के बिना अधूरे थे। निष्कर्ष तौर पर कह सकते हैं कि
दोनों दो जिस्म एक जान थे।
अथवा
संबंधों में किसी
भी प्रकार का लालच / स्वार्थ न आने देना
जीते-जी किसी के
नाम जायदाद न करना
धार्मिक
अंधविश्वास / बहकावे में न आना
राजनीतिक बहकावे
में न आना
परिवार में एक-दूसरे
के प्रति भरोसा, विश्वास कायम रखना
• परिवार में बाहरी हस्तक्षेप का न होना
खण्ड 'घ'
13. निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर लगभग 80-100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए: [5]
(क) पहला सुख - निरोगी काया
•आशय
•व्यायाम और स्वास्थ्य
•समाज को लाभ
(ख) मोबाइल फोन
• लोकप्रियता
• सूचना क्रांति
•लाभ-हानि
(ग) एक ठंडी सुबह
•कब, कहाँ
• क्यों है याद
•क्या मिली सीख
उत्तर- पहला सुख निरोगी काया
एक सुखमय जीवन को
जीने के लिए 7 सुखों की आवश्यकता होती
है जिसमें सबसे पहला व प्रमुख सुख निरोगी काया है। अगर हम इस पहले सुख से ही वंचित
रहेंगे तो दुनिया का कोई भी सुख हमें आनंद नहीं दे पाएगा।
इसीलिए कहा जाता
हैं
पहला सुख निरोगी
काया
दूजा सुख घर में
हो माया
तीजा सुख
सुलक्षणा नारी
कोई चौथा सुख हो
पुत्र आज्ञाकारी
पाँचवाँ सुख हो
सुन्दर वास
छठा सुख हो अच्छा
पास
सातवाँ सुख हो
मित्र घनेरे
और नहीं जगत में
दुख बहुतेरे ।
निरोगी काया के
लिए सबसे पहले व्यायाम जरूरी है। प्रातःकालीन उठकर व्यायाम करना निरोगी काया का
पहला गुण है यदि व्यायाम सही है तो स्वास्थ्य अपने आप ठीक रहता है। एक अस्वस्थ
व्यक्ति का मन मष्तिष्क स्वभाव सभी अस्त व्यस्त रहते हैं एक निरोगी व्यक्ति अपने
जीवन को सुचारू रूप से चलाने के लिए रोटी कमाने से लेकर विद्या अर्जित करने और कला
कौशल क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकता है। इसलिए निरोगी काया जीवन की प्रथम
आवश्यकता है यदि व्यक्ति नीरोग है तो वह अपनी प्रसन्नता बनाये रह सकता है और
दूसरों को भी बाँट सकता है।
वो समाज, वो देश विकास कर सकता है जिसका निवासी स्वस्थ हो । स्वस्थ व्यक्ति एक स्वस्थ
समाज का व देश का निर्माण कर सकता है। जहाँ समाज को लाभ मिलेगा वहाँ समाज सुन्दर व
स्वस्थ होगा। इसलिए कहा गया है कि व्यक्ति को स्वस्थ रहना चाहिए।
(ख) मोबाइल फोन
पिछले कुछ दशकों
से हमारे रोजाना जीवन में बहुत तब्दीली हुई है। रोज बाजार में नए नए उत्पादन सामने
आ रहे हैं जो हमारी जीवन शैली को तब्दील कर रहे हैं नए उत्पादों में एक है।
मोबाइल। यह बिना तार के नेटवर्क से जुड़ा होता है। मोबाइल सीधा किसी भी व्यक्ति से
जुड़ सकता है जिसके पास मोबाइल है। इससे सारा संसार जैसे सुकुड़ सा गया है अब यह
बात सोचने की है कि मोबाइल फैशन का हिस्सा है या एक जरूरत है आज संसार में इसकी
लोकप्रियता दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है इसने तो लैपटॉप को भी पीछे छोड़ दिया है
इसमें ऐसी ऐसी सुविधाएँ मिलने लगी हैं। यह बात सही है इस मोबाइल ने सूचना संचार के
क्षेत्र में बहुत बड़ी क्रांति ला दी है। विज्ञान की इस तरक्की से हम कहाँ से कहाँ
तक पहुँच चुके हैं। बच्चों से बुजुर्गों तक के जीवन में एक रचनात्मक परिवर्तन ला
दिया है जो कुछ बचा था वो मोबाइल कम्पनियों ने पूरा कर दिया है। कुछ प्राइवेट
कंपनियों के आगमन से प्रतिस्पर्धा की बाढ़ सी आ गई है। आज के स्मार्ट फोन का
प्रयोग करके हमें ऑनलाइन बैंकिंग सुविधा प्राप्त हुई है
रेलवे टिकट, दवा, भोजन आदि सभी मोबाइल से घर बैठे मँगवा सकते हैं। विद्यार्थी
वर्ग में यू-ट्यूब व्हाट्सएप से शिक्षा के क्षेत्र में सबसे अधिक परिवर्तन लाकर इस
क्षेत्र में लगातार परिवर्तन आ रहे हैं। दूसरा शौपिंग के क्षेत्र में भी परिवर्तन
आए हैं। फ्लिपकार्ट, अमेज़न जैसी कम्पनियों ने भयंकर परिवर्तन ला
दिया है। नौकरियों के लिए भी मोबाइल महत्वपूर्ण साबित हो रहा है। जिससे मोबाइल
इन्टरनेट वरदान साबित हुआ है। लाभ के साथ-साथ इसकी हानियाँ भी उतनी अधिक हैं। समाज
में आतंकवादी भी इससे हानि पहुँचा रहे हैं। विद्यार्थी भी अपना अधिक समय इस पर
बिताते हैं इससे उनको शारीरिक हानियाँ बहुत अधिक बढ़ गयी हैं। मोबाइल बैंकिंग, क्रेडिट कार्ड से चोरी भी अधिक बढ़ गई है। आतंकी फोन पर वायरस व स्पामिंग आदि
भेजकर गोपनीय जानकारी चोरी करके आपराधिक कार्यों को अंजाम दे रहे हैं। निष्कर्ष
रूप से हम कह सकते है कि मोबाइल के लाभ-हानि दोनों है।
(ग) एक ठंडी सुबह
25 दिसम्बर का दिन था।
प्रात:काल सात बजे सोकर उठने पर मैंने महसूस किया आज की सुबह पहले से ठंडी है।
खिड़की के बाहर देखा तो दूर-दूर तक कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। चारों ओर कुहरा छाया
हुआ था। मन न होते हुए भी मुझे बिस्तर से उठना पड़ा। नित्यकर्म से निपट कर गर्म कपड़े
पहनकर घर से बाहर निकला। बाहर बर्फीली हवा चल रही थी। सड़क पर बर्फ भी जमी हुई थी।
यह सब दिसम्बर के समय था हिमाचल प्रदेश के कुल्लू का यह दृश्य था इस ठंडी सुबह में
बहुत ही बहुत कम लोग नजर आ रहे थे पास की नहर भी जम गई थी पेड़ों के पत्तों पर
बर्फ चमक रही थी। बर्फ के छोटे-छोटे कण सूरज के हल्की किरणों से जगमगा रहे थे।
चारों ओर निस्तळ 'के' ता छाई हुई थी। मेरा शरीर एक दम सुन्न सा पड़
गया था और काँपने भी लगा था। सामान्य सर्दी में रहने वाले हम इतनी बर्फ वाली ठंड
में जो कभी न देखी न ही सही अब तक केवल सपनों आशाओं में कल्पना करते थे आज
प्रत्यक्ष देखने व सहने से जीवन का आनन्द मिल रहा था तो आज का दिन याद तो रहेगा
ही। इस प्रकार के मौसम से सीख मिलती है कि जीवन के अनेक रंग हैं जिसका आनन्द भी
उठाना चाहिए पर अपने स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर ।
अपने विद्यालय
में पीने के स्वच्छ पानी की समुचित व्यवस्था हेतु प्रधानाचार्य को एक पत्र लिखिए। [5]
अथवा
आपके बचत खाते का
ए. टी. एम. कार्ड खो गया है। इस संबंध में तत्काल उचित कार्यवाही करने हेतु बैंक
प्रबंधक को पत्र लिखिए।
उत्तर—प्रेषक,
परीक्षा भवन,
आगरा।
श्रीमान
प्रधानाचार्य,
क ख ग विद्यालय,
जिला आगरा
आगरा।
विषय: स्वच्छ
पानी हेतु ।
महोदय,
मैं आपके
विद्यालय की कक्षा IX का छात्र / छात्रा हूँ। पिछले कई समय से हमारे
विद्यालय में स्वच्छ पानी की व्यवस्था नहीं है। छात्र डर से आपको बताने में असमर्थ
थे लेकिन पिछले दिनों यह व्यवस्था बहुत खराब हो गई कई विद्यार्थियों की तबियत खराब
हो गई जिससे पेट दर्द, दस्त, उल्टी जैसी समस्या सामने आई। डाक्टर से सलाह
लेने पर पता चला कि यह समस्या पानी की वजह से है। देखने व समझने से पता चला कि
विद्यालय के पानी का स्तर ठीक नहीं है अर्थात् स्वच्छता में कमी है टंकी बहुत समय
से साफ नहीं हुई पानी में दुर्गंध भी आ रही है। एक जागरूक नागरिक होने व आपके
विद्यालय का विद्यार्थी होने के नाते मैं आपसे अनुरोध करता हूँ कि विद्यालय में
स्वच्छ पानी की व्यवस्था की जाए टंकी को हर तीन महीने में साफ किया जाए टंकी के
पानी में पानी साफ करने की मशीन लगाई जाए जिससे सभी विद्यार्थियों को स्वच्छ पानी
पीने को मिले। आशा है आप हमारी इस समस्या को प्राथमिकता देकर जल्द से जल्द दूर
करेंगे।
सधन्यवाद ।
प्रार्थी,
क ख ग ।
कक्षा IX
अथवा
प्रेषक,
अ ,ब क,
नई दिल्ली।
दिनांक 20 नवम्बर 20XX
प्रबंधक,
यूनियन बैंक ऑफ
इण्डिया,
नजफगढ़,
नई दिल्ली
महोदय
मैं (नाम) आपके
बैंक का निर्धारित ग्राहक हूँ। दिनांक 18 नवम्बर 20XX को मैं दिल्ली से आगरा बस से सफर का रहा था। अधिक भीड़ होने के कारण बैठने की
जगह नहीं मिली गाजियाबाद पहुँचने पर पता चला मेरी जेब कट गई है। जो पर्स निकाला
गया उसमें मेरा ए.टी.एम, ड्राइविंग लाइसेंस कुछ रुपये व अन्य जरूरी कागज
थे। बहुत खोजने पर भी वह नहीं मिला। अतः गाजियाबाद थाने में मैंने प्रथम सूचना
रिपोर्ट (FIR) करवा दी है और सभी खाते बंद करने की सूचना फोन
के द्वारा सम्बंधित विभाग को दे दी है।
आपसे अनुरोध है
इस संबंध में बैंक के द्वारा की जाने वाली उचित कार्यवाही शीघ्रता से पूरी करके
मुझे नया ए.टी.एम कार्ड
देने की कृपा करें।
सधन्यवाद ।
प्रार्थी
अ ब स
नई दिल्ली।
15. एक सूचना तैयार कीजिए
जिसमें सभी विद्यार्थियों से निर्धन बच्चों के लिए 'पुस्तक कोष' में अपनी पुरानी पाठ्य पुस्तकों का
उदारतापूर्वक योगदान देने हेतु अनुरोध किया गया हो। [5]
अथवा
आपको विद्यालय
में एक बटुआ मिला है, जिसमें कुछ रुपयों के साथ
कुछ जरूरी कार्ड भी हैं छात्रों से इसके मालिक की पूछताछ और वापस पाने की
प्रक्रिया बताते हुए 25-30 शब्दों में एक सूचना
तैयार कीजिए ।
उत्तर - क ख ग
विद्यालय लखनऊ
दिनांक- 2 दिसम्बर 20XX
अथवा
एक दुर्घटना के
बाद दो बच्चों में सड़क सुरक्षा की समस्या पर परस्पर संवाद को लगभग 50 शब्दों में लिखिए।
17. सूती वस्त्र तैयार करने
वाली कंपनी 'क ख ग पैरहन' की ओर से दी जा रही छूट का उल्लेख करते हुए एक
विज्ञापन का आलेख लगभग 50 शब्दों में
तैयार कीजिए। [5]
अथवा
दिल्ली पुस्तक
मेले में भाग ले रहे 'क ख ग प्रकाशन' की ओर से लगभग 50 शब्दों में एक
विज्ञापन का आलेख तैयार कीजिए।
उत्तर-
Outside Delhi [Set-II]
Note: Except for the following questions all the remaining questions have
been asked in previ- ous sets.
खण्ड 'ख'
6. निम्नलिखित में से
किन्हीं चार वाक्यों को शुद्ध कीजिए" [1 × 4 = 4]
(क) बड़ी ईमानदारी एक
दुर्लभ वस्तु है।
(ख) श्रुति, नीति और सुषमा आने वाली है।
(ग) पुलिस आयुक्त ने स्वयं
पूरे मामले की जाँच की गई।
(घ) आप हमें यही सिखाई
थीं।
(ङ) मैंने भी धार्मिक पुस्तकें और ग्रंथ पढ़ी हैं।
खण्ड 'ग'
9. " 'अब कहाँ दूसरे के
दुख पाठ के आधार पर लिखिए कि बढ़ती हुई जनसंख्या का पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़
रहा है। प्रकृति की सहनशक्ति जब सीमा पार कर जाती है, तो क्या परिणाम होते हैं? [5]
अथवा
रूढ़ियाँ जब बंधन
में बनने लगें तो उनका टूट जाना क्यों अच्छा है? कहानी के आधार पर
स्पष्ट कीजिए कि रूढ़ियाँ तोड़ने के लिए तताँरा -वामीरो को क्या त्याग करना पड़ा।
उत्तर - बढ़ती
जनसंख्या लगातार पर्यावरण पर प्रभाव डाल रही हैं अर्थात् बढ़ती आबादी ने पर्यावरण
के संतुलन को बिगाड़ रखा है। ऐतिहासिक दृष्टि से देखें तो पृथ्वी पहले से थी मानव
उत्पत्ति बाद में हुई। धरती पर प्राणियों का उतना ही अधिकार है जितना अन्य मनुष्य
का लेकिन मनुष्य ने अपनी बुद्धि के बल पर अपने और प्रकृति के बीच बड़ी दीवार खड़ी
कर दी और अनावश्यक रूप से अपने स्वार्थ के लिए प्रकृति में हस्तक्षेप करने लगा।
हस्तक्षेप यहाँ तक पहुँचा कि समुद्र के रेतीले तटों पर भी मानवों ने बस्ती बसा दी।
जंगल काट कर कंक्रीट की दुनिया बना ली जैसे-जैसे आबादी बढ़ रही है यह नज़ारा ज्यादा
खतरनाक हो रहा है। अब वातावरण में गर्मी बढ़ने लगी मौसम चक्र टूट गया, सर्दी, तूफान, बर्फबारी बाढ़े अनियमित हो
गई हैं, जिससे नए-नए रोग पैदा हो गए हैं। पृथ्वी की सहन शक्ति लगभग
समाप्त ही हो गई है। हर साल कुछ न कुछ नयी त्राहि देखने को मिलती है। अगर यह
सिलसिला लगातार रहा तो वो समय दूर नहीं कि कभी भी प्रलय आना संभव होगा।
अथवा
रूढ़ियाँ जब बंधन
बनने लगें तो उनका टूट जाना ही अच्छा है यह जीवन का सत्य है यही तताँरा-वामीरो के
साथ हुआ। रूढ़ियों का अर्थ है ऐसा बंधन जिससे लोकहित होने के बजाय अहित होता है जो
परंपरा लोगों के विकास आनंद और इच्छापूर्ति में बाधा बनकर जीवन में संकट बढ़े
वही रूढ़ि है। समय अनुसार इन रूढ़िवादी परम्परा को बदलना आवश्यक है। इसका मुख्य
कारण यह है कि समय निरंतर परिवर्तनशील रहता है और ऐसे समय में यह रूढ़ियाँ हमें
सदा पीछे रखती हैं। हमें बंधनों में जकड़कर हमारी प्रगति की राह के रोड़े अटकाती
हैं। इससे व्यक्ति की स्वतन्त्र सत्ता समाप्त हो जाती है। लेखक के अनुसार व्यक्ति
की स्वतन्त्रता व समाज के लिए इन परंपरागत रूढ़ियों व मान्यताओं का दूर जाना ही
अच्छा है। यही कारण रहा कि दोनों को जीवन में बहुत कुछ त्याग करना पड़ा। यह दोनों
एक दूसरे से प्रेम करते थे तताँरा के गाँव के आयोजन में वामीरो 15 की तलाश थी तभी वामीरो दिखाई दी तक तक तताँरा को देखकर वह रो पड़ी। तताँरा को
समझ जब तक आता उसकी माँ वहाँ पहुँच गई और क्रोधित हो उठी तताँरा को अपमानित किया।
तताँरा यह सहन न कर पाया उसने क्रोध में अपनी तलवार से जमीन को दो भागों में बाँट
दिया और स्वयं सागर की लहरों में विलीन हो गया। ऐसा कहा जाता है कि तताँरा ज़मीन व
जीवन का त्याग करना पड़ा। इस प्रकार दोनों को प्रेम व उत्त प्राणों का बलिदान करना
पड़ा।
11. मीरा के पदों के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि वह
भक्त की विपत्ति दूर करने के लिए किन प्रसंगों की याद
कृष्ण को दिखाती है और उन्हें पाने के लिए क्या-क्या
कार्य करने को तत्पर है? [5]
अथवा
'पर्वत प्रदेश में पावस' कविता का प्रतिपाद्य स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर- मीरा के
पदों में भक्त की विपत्ति दूर करने के लिए प्रभु श्रीकृष्ण से जन-जन की पीड़ा हरने
की विनती करती है। मीरा एक भक्त का उदाहरण देती हैं कि द्रोपदी जिसका दुःशासन भरी
सभा में चीर हरण करना चाहा तब श्रीकृष्ण ने उन्हें वस्त्र बढ़ाकर उनकी रक्षा की।
दूसरा उदाहरण उन्होंने भक्त प्रहलाद की रक्षा करने के लिए नरसिंह का रूप धारण किया
और उसका पेट फाड़ डाला इसी भाँति उन्होंने डूबते हाथी के मुख से हरि नाम सुनकर मगरमच्छ
के मुँह से बचा लिया। वह यह उदाहरण देकर कृष्ण को अपने प्रति कर्त्तव्य का स्मरण
कराती हैं कि हे गिरिधर आप मेरी भी पीड़ा हरण कीजिए। वह कृष्ण को पाकर अपने जीवन
की सबसे बड़ी कामना भगवान की भक्ति में लीन होना चाहती हैं। वह कृष्ण की चाकरी
करना चाहती हैं बाग लगाना चाहती हैं। श्रीकृष्ण की लीला का गान करती है ऊँचे-ऊँचे
महल बनवाना चाहती है वह कृष्ण से मिलने के लिए सदैव तत्पर रहती है।
अथवा
प्रस्तुत कविता
में कवि ने वर्षा ऋतु में पर्वतीय प्रदेश पर होने वाले प्रकृति के क्षण-क्षण
परिवर्तन को बड़े ही सुंदर ढंग से व्यक्त किया है। वर्षा ऋतु में कवि को यहाँ का
दृश्य देखकर ऐसा लगता है कि मानों मेखलाकार पर्वत अपने ऊपर खिले सुमन रूपी तेजों
से तालाब के पारदर्शी जल में अपना प्रतिबिंब देख रहा हो साथ ही उसी पर्वतों के
नीचे का तालाब दर्पण की भाँति प्रतीत होता है। पहाड़ों के बीच में बहते झरने -
पहाड़ों का गौरव गान करते प्रतीत होते हैं। कभी बादलों के आ जाने से ऐसा लगने लगता
है कि पर्वत बादल रूपी पंख लगाकर आकाश में उड़ रहे हैं। शाल के वृक्ष जमीन
में धँसे हुए प्रतीत होते हैं। ऐसे समय में झरने दिखाई नहीं पड़ते केवल उनका स्वर
सुनाई देता है कभी ऐसा लगता है कि बादल धरती पर आक्रमण कर रहे हैं। तालाब में उठता
कोहरा ऐसा लगता है कि जैसे तालाब में आग लग गई हो और धुआँ उठ रहा हो। ये सभी जादुई
दृश्य देखकर ऐसा लगता है जैसे- इंद्र देवता जादू के खेल दिखा रहे हैं। साथ ही
मूसलाधार वर्षा के कारण दृश्य का ओझल रूप दिखाई पड़ता है।
12. 'टोपी शुक्ला' कहानी हमें क्या संदेश
देती है ? भारतीय समाज के लिए यह कैसे लाभकारी हो सकता है? तर्क सहित उत्तर दीजिए ।[5]
अथवा
हरिहर काका के
जीवन आई कठिनाइयों का मूल कारण क्या था ? ऐसी सामाजिक समस्या के
समाधान के क्या उपाय हो सकते हैं?
लिखिए।
उत्तर- टोपी
शुक्ला कहानी हमें हमारी परम्परा सभ्यता के अनुसार भारत की विविधता में एकता को और
जोड़ने का संदेश देती है। जाति और धर्म से ऊपर उठकर एक साथ रहने का संदेश देती है।
इन्सान में इन्सानियत होनी चाहिए धर्म जाति भगवान ने नहीं बनाई यह हमने बनाई है।
हमें परस्पर सांप्रदायिक सौहार्द बनाये रखना चाहिए धर्म कोई मायने नहीं रखता।
व्यक्ति का व्यवहार सम्मानजनक होना चाहिए। पाठ के अनुसार हिन्दु-मुस्लिम बीच की
खाई को बढ़ाया गया है जो गलत है। बच्चों के प्यार में कोई धर्म आड़े नहीं आता
दोनों एक दूसरे से बेइंतहा प्यार करते हैं दोनों एक दूसरे पर जान देते हैं मित्रता
और आत्मीयता जाति और भाषा के बंधनों से परे होते हैं। लेकिन हमारी पुरानी रंजिश ने
इन दोनों को मिलने नहीं दिया जो हमारे समाज के लिए लाभकारी नहीं है और न हीं हो
सकते हैं मिल-जुलकर रहना हमारी परम्परा रही है। संगठित व शक्तिशाली राष्ट्र
निर्माण में सहायक है। सांप्रदायिक विवाद को रोकने तथा सहिष्णुता बढ़ाने में भी
सहायक है।
अथवा
हरिहर काका के
जीवन में कठिनाइयों का मूल कारण 15
बीघा ज़मीन थी। समाज में
रिश्तों की बहुत अहमियत होती है। आज के समय में स्वार्थ और लालच बढ़ता जा रहा है।
चूँकि काका को औलाद नहीं थी इसलिए समाज व उनके भाई उनके हिस्से की ज़मीन हड़पने की
कोशिश करते थे। मंदिर के महंत ने भी ज़मीन हड़पने के लिए उनका अपहरण करवाकर
जबरदस्ती काका के अंगूठे के निशान लिए। जायदाद के लिए उसके भाई तथा महंत उसके
दुश्मन बन गये। यदि हमारे पास भी कोई ऐसी परिस्थिति का व्यक्ति है तो हमें उसके घर
जाकर उनसे बातें करनी चाहिए। उसे समझाना चाहिए कि अंध विश्वास से दूर रहें। यदि
हरिहर काका के घर मीडिया पहुँची होती तो वे इस स्थिति में नहीं होते। उनकी ऐसी
हालत होने से पहले ही कोई समाधान निकाल लिया जाता। खबरों में आने के बाद उनके
भाइयों तथा महंत आदि की हिम्मत नहीं होती कि इनके साथ दुर्व्यव्यवहार करें। उनको
जीवन जीने का आसान रास्ता मिल जाता। पुलिस की सुरक्षा में अपना जीवन खुशी से
जिया जा सकता है। परिवारिक समस्याओं को परिवार में ही सुलझाना चाहिए। साथ ही
सुख-दुख, आपदा-विपदा में सहयोग बना रहता है।
14. आपकी हिन्दी शिक्षिका का स्थानांतरण हुए दो मास
हो गए हैं और कोई नियमित विकल्प न मिलने से पढ़ाई नहीं हो पा रही। पत्र में इस
समस्या की चर्चा करते हुए प्रधानाचार्य से तुरंत समाधान करने का आग्रह कीजिए। [5]
अथवा
परीक्षा के दिनों
में विद्युत आपूर्ति नियमित न होने से हो रही कठिनाइयों का उल्लेख करते हुए
विद्युत प्रदाय संस्थान के मुख्य प्रबंधक को तुरंत इसे ठीक करने का अनुरोध कीजिए।
उत्तर- सेवा में, "
प्रधानाचार्य
महोदय, टैगोर गार्डन, दिल्ली।
विषय-हिन्दी
शिक्षिका के नियमित विकल्प हेतु आवेदन पत्र
सविनय निवेदन यह
है हमारी हिन्दी शिक्षिका श्रीमती शुक्ला का स्थानांतरण हुए दो माह से अधिक का समय
हो चुका है। कभी-कभी कोई शिक्षक आकर कक्षा में आकर पढ़ा देते हैं। विद्यार्थी
कक्षा में शोरगुल करते रहते हैं। परीक्षाएँ नजदीक हैं। अतः हमारी आपसे करबद्ध
प्रार्थना है कि शीघ्र से शीघ्र हिन्दी पढ़ाने का प्रबन्ध किया जाय जिससे हमारा आगे
नुकसान न हो।
सधन्यवाद,
आपकी आज्ञाकारिणी
शिष्य
अ, ब, स
दिनांक 10 दिसम्बर 20XX
अथवा
सेवा में,
विद्युत प्रदाय
संस्थान,
रोहिणी सेक्टर 7,
दिल्ली।
10 दिसम्बर 20XX
विषय: विद्युत
आपूर्ति नियमित न होने की समस्या निवेदन यह है कि हम रोहिणी सेक्टर-7 के निवासी बिजली की अनियमितता से बहुत परेशान हैं। आजकल बच्चों की परीक्षाएँ
चल रही हैं। उनकी वर्ष भर की मेहनत इन्हीं दिनों की पढ़ाई पर निर्भर है। इन दिनों
बिजली घण्टों घण्टों तक गुल हो जाती है। इस कारण बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही
है। हमारा निवेदन हैं कि कृपा करके विद्युत की आपूर्ति नियमित करें।
धन्यवाद
भवदीय,
श्रीराम गुप्ता
अध्यक्ष सुधार
समिति
सेक्टर-7 रोहिणी दिल्ली।
Outside Delhi
[Set-III]
Note: Except for the following questions all the remaining questions have
been asked in pre- vious sets.
6. निम्नलिखित में से
किन्हीं चार वाक्यों को शुद्ध कीजिए:" [1×4=4]
(क) महेश ने बोला है कि वे
लोग आएंगे।
(ख) मैं वहीं जा रहा हूँ
जहाँ से आप आए हो।
(ग) बहिन ने कल नहीं आ सका।
(घ) गीता पर कहा गया है कि फल की चिंता न करें।
(ङ) आपने कल सुबह उठना है।
9. "बड़े भाईसाहब की
डाँट फटकार यदि न मिलती तो छोटा भाई कक्षा में प्रथम नहीं आता।" उक्त कथन के
पक्ष अथवा विपक्ष में अपने विचार उपयुक्त तर्क सहित लिखिए। [5]
अथवा
जापान में
अधिकांश लोगों के मनोरुग्ण होने के क्या कारण हैं? तनाव से मुक्ति
दिलाने में झेन परंपरा की चा-नो-यू विधि किस प्रकार सहायक है ?
उत्तर- बड़े भाई
साहब की डाँट फटकार यदि न मिलती तो छोटा भाई कक्षा में प्रथम नहीं आता यह कथन एक
दम सत्य है। बड़े भाई साहब की डाँट फटकार ने छोटे भाई को कक्षा में अव्वल आने में
महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। लेखक के भाई यदि समय-समय पर न टोकते तो हो सकता है कि
वह अब्बल नहीं अगाता।
यह सही है उसे
पढ़ने का शौक नहीं था एक घंटा भी किताब लेकर बैठना उसे पहाड़ के समान लगता था
दुनिया भर की शैतानी में लेखक का मन लगता था कंकड़ी उछालना चारदीवारी पर चढ़कर नीचे
कूदना, पतंगबाजी करना आदि। बड़े भाई को डाँट सुनकर लेखक का मन करता
कि पढ़ाई छोड़ दी जाए परंतु घंटे दो घंटे मन खराब करने के बाद खूब जी लगाकर पढ़ने का
भी इरादा बन जाता।
यही कारण था कि
थोड़ा पढ़कर भी लेखक अन्चल आ जाता। लेकिन इस सफलता का श्रेय निश्चित रूप से बड़े भाई
को ही जाता है क्योंकि वे लेखक पर अंकुश रखते थे। यह सही है बड़ों का अनुभव व
अनुशासन हमेशा हमारी सफलता में सहायक होता है कभी बाधक नहीं होता।
अथवा
जापान में
अधिकांश लोगों के मनोरूण होने के कारण:-
1. जापान के लोग प्रगति में अमेरिका से स्पर्धा
करते हैं।
2. वे एक महीने का काम एक दिन मे पूरा कर लेते
हैं।
प्रभाव - वे पहले
से ही तेज चलने वाले दिमाग को और तेज चलाना चाहते हैं।
उनका मानसिक तनाव
इतना बढ़ जाता है कि दिमाग में दबाव बढ़ने से उसका इंजन टूट जाता है
तनाव से मुक्ति
दिलाने में झेन परम्परा की चा-नो-यू विधि की उपयोगिता व सहायक होती है टी सेरेमनी
(चा-नो-यू) से तनाव से मुक्ति मिल जाती है।
वर्तमान परिवेश
को तनावपूर्ण जिंदगी में कुछ समय के लिए इतर होकर नए दृष्टि कोण का विकास होता है।
साथ ही अनंत काल का अनुभव कराती है। शांति प्राप्त होती है तथा साथ ही रफ्तार धीमी
होती है।
11. वर्षां ऋतु में पर्वतीय प्राकृतिक सुषमा का
वर्णन सुमित्रानंदन पंत की कविता के आधार पर कीजिए।[5]
अथवा
बिहारी के दोहों
के आलोक में ग्रीष्म ऋतु की प्रचंडता और प्रभाव का विस्तृत चित्रण अपने शब्दों में
कीजिए ।
उत्तर - कवि ने
वर्षा ऋतु में पर्वतीय प्रदेश पर होने वाले प्रकृति में क्षण-क्षण परिवर्तन को
बड़े ही सुंदर ढंग से व्यक्त किया है। वर्षा ऋतु में कवि को यहाँ का दृश्य देखकर
ऐसा लगता है कि मानों मेखलाकार पर्वत अपने ऊपर खिले सुमन रूपी नेत्रों से तालाब के
पारदर्शी जल में अपना प्रतिबिंब देख रहा हो। पहाड़ों के बीच में बहते झरने पहाड़ों
का गौरवगान करते प्रतीत होते. हैं। मूसलाधार वर्षा के कारण पूरा दृश्य ओझल हुआ
दिखता है। पहाड़ों की छाती पर उगे वृक्ष ऐसे लगते हैं मानो मन में आकांक्षाएँ लिए
आकाश की ओर निहार रहे हों शाल के वृक्ष जमीन में धँसे हुए प्रतीत होते है। कभी
बादलों में उड़ जाने से ऐसा लगने लगता है कि पर्वत बादल रूपी पंख लगाकर आकाश में
उड़ रहे हैं मोती की लड़ियों जैसे झाग भरे झरने दिखाई पड़ते है। यह सब जादुई दृश्य
देखकर ऐसा लगता है कि जैसे इंद्र देवता जादू में खेल दिखा रहे हैं तालाब जलता
हुआ-सा प्रतीत होता है।
अथवा
बिहारी के दोहों
के आलोक में ग्रीष्म ऋतु की प्रचंडता का वर्णन करते हुए कहते हैं कि ग्रीष्म ऋतु
के जेठ माह की दोपहरी में सूरज बिल्कुल सिर पर होता है तो विभिन्न वस्तुओं की छाया
सिकुड़कर वस्तुओं के नीचे दुबक जाती है। गर्मी इतना प्रचंड रूप धारण कर लेती है कि
सारे मानव और मानवेत्तर प्राणियों के लिए उसे सहन कर पाना असंभव हो जाता है।
वृक्षों की और घर की दीवारों की छाया उनके अंदर ही अंदर रहती है वह बाहर नहीं
जाती। तेज धूप से बचने के लिए छाया घने जंगलों का अपना घर बनाकर उसी में प्रवेश कर
जाती है इसीलिए जेठ माह की भीषण गर्मी में छाया का कहीं नामोनिशान नहीं
होता है। गर्मी का प्रभाव मानव व सभी प्राणियों पर पड़ता है। जानवरों पर इसका
प्रभाव इतना है कि साँप, मोर व हिरण, सिंह भी साथ-साथ दिखाई
पड़ते हैं जबकि स्वाभाविक रूप से ये शत्रु हैं। जंगल तपोवन सा लगता है। ग्रीष्म के
प्रभाव से बचने के लिए वह अपनी स्वाभाविकता को भुलाकर तपोवन के एकता सद्भाव के साथ
रहते हैं।
12. 'साना-साना हाथ जोड़ि ' पाठके आधार पर स्पष्ट कीजिए कि हिमशिखरों को पूरे एशिया का जल स्तंभ क्यों कहा
गया है। पर्वतों और नदियों को इस कृपा को बनाए रखने के लिए हमें क्या-क्या उपाय
करने चाहिए? [5]
अथवा
'माता का अंचल' पाठ से दो प्रसंगों का
विस्तार से वर्णन कीजिए जो आपके दिल को छू गए हों।
उत्तर – Due to ambiguity in the question answer
of this question is not given.
14. आपको विद्यालय में खेलने का अवसर नहीं मिलता।
कह दिया जाता है कि छात्र संख्या अधिक होने से सबके लिए व्यवस्था नहीं हो सकती।
प्रधानाचार्य को पत्र लिखकर इस समस्या पर चर्चा कीजिए और एक उपाय भी सुझाइए। [5]
अथवा
मेट्रो में
यात्रा करते हुए अपना कीमती सामान वाला बैग आप भूल गए। तुरंत शिकायत करने के बाद
अगले दिन आपको अपना बैग वापस मिल गया। प्रबंधन की प्रशंसा करते हुए किसी पत्र के
संपादक को पत्र लिखिए।
उत्तर- प्रेषक,
क ख ग
परीक्षा भवन,
प्रधानाचार्य,
च ब क विद्यालय
हापुड़ उत्तर
प्रदेश।
विषय: विद्यालय
में खेलने के अवसर हेतु
महोदय,
मैं आपके
विद्यालय का X का छात्र हूँ गत वर्षों से देखा जा रहा है कि
किसी भी विद्यार्थी को खेलने का अवसर नहीं मिल रहा है। हमारे पाठ्यक्रमों के
अनुसार सभी विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास जरूरी है जितना जरूरी पढ़ना है उतना
जरूरी खेलना है। बहुत से विद्याथी ऐसे हैं जो खेल में अच्छे बहुत हैं जो विद्यालय
और देश / प्रदेश का नाम रोशन कर सकते हैं लेकिन मौका नहीं मिला। विद्यालय के बाहर
किसी भी क्लब से जुड़ने के लिए अधिक पैसा लगता है हम उतना पैसा नहीं दे सकते।
विद्यालय में खेल के अध्याय होने के बावजूद हमें उनकी योग्यता का फायदा नहीं मिल
पा रहा है। आपसे पहले वार्तालाप हुआ था तो आपने कहा था बच्चों की संख्या अधिक है
आपका कहना ठीक है लेकिन सभी बच्चे खेल के स्तर पर नहीं उतरते हैं कुछ बुहत अच्छे
हैं जो कर सकते हैं। आप उन्हीं बच्चों को प्रोत्साहन दे सकते हैं। दूसरा कि
विद्यालय के पास जो पार्क खाली है उसमें विभाग से मिलकर हम उसका प्रयोग खेल के लिए
कर सकते हैं। यह आपके स्तर की बात है। हम सब विद्यार्थियों का आपसे अनुरोध है आपके
चाहने से हमारा भविष्य बन सकता है और खेल की व्यवस्था हो सकती है आशा है आप हमारी
इस समस्या पर ध्यान देंगे।
सधन्यवाद ।
प्रार्थी,
समस्त छात्र,
च व क विद्यालय।
अथवा
प्रेषक,
कग च
आगरा, उत्तर प्रदेश दिनांक 18 दिसम्बर 20XX
संपादक
नवभारत टाइम्स
गौतम बुद्ध नगर, उत्तर प्रदेश विषय प्रबंधन की प्रशंसा हेतु
महोदय,
मैं क ग च दिनांक
.... को मेट्रो में सफर कर रहा था। सुबह के व्यस्त समय में यात्रियों की संख्या
बहुत अधिक होती है। इसी व्यवस्था में मेरा ऑफिस का बैग मेट्रो के कोच
में गलती से छूट गया था, जिसमें मेरे व ऑफिस के बहुत जरूरी कागज व कुछ
रुपये थे। उसी दिन मैं जब अपने घर तक पहुँचा जल्दी में अपना बैग लेना भूल गया
जिसकी रिपोर्ट मैंने मेट्रो अधिकरियों को उसी दिन दी थी। मुझे आश्वासन दिया गया कि
आपका बैग मिलने पर लौटा दिया जाएगा अपना फोन नं० व पता लिखित रूप से पत्र सहित
मैंने दे दिया था।
दो दिन बाद मेरे
पास फोन आया कि आप का बैग मिल गया है आकर ले जाएं। मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा।
उसी दिन मेट्रो प्रबंधन से मिलकर,
मैं गदगद हो गया मैट्रो
की सुरक्षा व सवारियों का ध्यान रखने में वास्तव में मैट्रो विश्व स्तर की है।
इसमें कोई दोराय नहीं। मेट्रो के प्रबंध में कोई भी कमी नहीं है। हर व्यक्ति का
समान व सवारी दोनों ही सुरक्षित है मैं उनकी प्रशंसा बिना करे नहीं रह सकता।
मेरा यह मानना है
कि ऐसे हर एक कार्य के लिए मेट्रों के कर्मचारियों व प्रबंधन को प्रोत्साहन पत्र व
पारितोषिक मिलना चाहिए जिससे उनका उत्साह बना रहे।
संपादक जी से
अनुरोध है कि इस पत्र को अपने लोकप्रिय समाचार पत्र में छापे व उनका उत्साह
बढ़ाएँ। भवदीय,
क ख ग ।
HINDI COURSE B (2019)
Delhi [Set-1]
अधिकतम अंक 80
समय: 3 घण्टे
खण्ड 'क'
1. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे
गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
'सफलता चाहने वाले मनुष्य का प्रथम कर्तव्य यह
देखना है कि उसकी रुचि किन कार्यों की ओर अधिक है। यह बात गलत है कि हर कोई मनुष्य
हर एक काम कर सकता है। लॉर्ड वेस्टरफील्ड स्वाभाविक प्रवृत्तियों के काम को
अनावश्यक समझते थे और केवल परिश्रम को ही सफलता का आधार मानते थे। इसी सिद्धान्त
के अनुसार उन्होंने अपने बेटे स्टेनहाप को, जो सुस्त, ढीलाढाला, असावधान था, सत्पुरुष बनाने का प्रयास
किया। वर्षों परिश्रम करने के बाद भी लड़का ज्यों का त्यों रहा और जीवन-भर योग्य न
बन सका । स्वाभाविक प्रवृत्तियों को जानना कठिन भी नहीं है, बचपन के कामों को देखकर बताया जा सकता कि बच्चा किस प्रकार का मनुष्य होगा।
प्रायः यह संभावना प्रबल होती है कि छोटी आयु में कविता करने वाला कवि सेना बनाकर
चलने वाला सेनापति, भुटटे चुराने वाला चोर डाकू, पुरजे कसने वाला मैकेनिक और विज्ञान में रूचि रखने वाला वैज्ञानिक बनेगा।
जब यह विदित हो
जाए कि लड़के की रुचि किस काम की ओर है तब यह करना चाहिए कि उसे उसी विषय में ऊँची
शिक्षा दिलाई जाए। ऊँची शिक्षा प्राप्त करके मनुष्य अपने काम-धन्धे में कम परिश्रम
से अधिक सफल हो सकता है, जिनके काम-धन्धे का पूर्ण प्रतिबिम्ब बचपन में
नहीं दिखता, वे अपवाद ही हैं।
प्रत्येक मनुष्य
में एक विशेष कार्य को अच्छी प्रकार करने की शक्ति होती है। वह बड़ी दृढ़ और
उत्कृष्ट होती है। वह देर तक नहीं छिपती उसी के अनुकूल व्यवसाय चुनने से ही सफलता
मिलती है। जीवन में यदि आपने सही कार्यक्षेत्र चुन लिया तो समझ लीजिए कि बहुत बड़ा
काम कर लिया।
(क) लॉर्ड वेस्टरफील्ड का क्या सिद्धान्त था ? समझाइए। [2]
(ख) इसे उसने सर्वप्रथम किस पर आजमाया ? और क्या परिणाम रहा ? [2]
(ग) बालक आगे चलकर कैसा मनुष्य बनेगा, इसका अनुमान कैसे लगाया जा सकता है? [2]
(घ) सही
कार्यक्षेत्र चुनने के क्या लाभ हैं? [2]
(ङ) उपर्युक्त गद्यांश के लिए एक उपयुक्त शीर्षक
दीजिए। [1]
उत्तर- (क) लॉर्ड
वेस्टरफील्ड अपने सिद्धांत के अनुसार सफलता के लिए केवल परिश्रम को ही आवश्यक
मानते थे। उनके अनुसार मनुष्य की स्वाभाविक प्रवृत्तियों का काम करने के लिए कोई
महत्त्व नहीं था।
(ख) लॉर्ड वेस्टरफील्ड ने सबसे पहले अपने
सिद्धांत को अपने बेटे स्टेनहाप पर आजमाया। वह स्वभाव से बहुत ही आलसी ढीलाढाला और
असावधान था। पिता के द्वारा वर्षों तक अथक परिश्रम करने के बाद भी वह आजीवन योग्य
और सज्जन नहीं बन पाया।
(ग) बचपन की स्वाभाविक प्रवृत्तियों और कार्यों
को देखकर अनुमान लगाया जा सकता है कि आगे चलकर बालक कैसा मनुष्य बनेगा । प्रायः यह
देखा जाता है कि बचपन में कविता करने वाला कवि विज्ञान के प्रति रुचि रखने वाला
वैज्ञानिक और सेना के प्रति रुचि रखने वाला महान सैनिक बनता है।
(घ) जीवन में यदि सही कार्यक्षेत्र चुन लिया तो
समझना चाहिए कि जीवन सफल हो गया। जीवन का सबसे बड़ा कार्य होता है अपनी रुचि के
अनुसार कार्य का चयन करना जो अपनी रुचि के अनुसार कार्यक्षेत्र का चयन कर लेते हैं
उन्हें कम मेहनत में अच्छी और अधिक सफलता मिल जाती है। अपने अनुकूल कार्यक्षेत्र
का सबसे बड़ा लाभ सफलतम जीवन होता है।
(ङ) उपर्युक्त गद्यांश के लिए उपयुक्त शीर्षक 'अनुकूल कार्यक्षेत्र' या प्रवृत्ति और परिश्रम हो सकता है। (छात्र
समान अर्थवाले शीर्षक भी लिख सकते हैं। )
2. निम्नलिखित काव्यांश को
ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए: [ 2 × 3 = 6]
कार्य-थल को वे
कभी नहीं पूछते 'वह है कहाँ',
कर दिखाते हैं असंभव को वही संभव यहाँ ।
उलझनें आकर उन्हें पड़ती हैं जितनी ही जहाँ,
वे दिखाते हैं नया उत्साह उतना ही वहाँ ।
जो रुकावट डालकर
होवे कोई पर्वत खड़ा,
तो उसे देते हैं
अपनी युक्तियों से वे उड़ा।
बन खंगा लेंगे, करेंगे व्योम में बाजीगरी,
कुछ अजब धुन काम के करने की उनमें है भरी ।
सब तरह से आज जितने देश हैं फूले- फले,
बुद्धि, विद्या, धन, वैभव के हैं जहाँ
डेरे डले ।
वे बनाने से उन्हीं के बन गए इतने भले,
वे सभी हैं हाथ से ऐसे सपूतों के पले ।
लोग जब ऐसे समय पाकर जन्म लेंगे कभी
देश की और जाति
की होगी भलाई भी तभी ।
(क) कर्मवीरों की दो
विशेषताएँ बताइए।
(ख) कैसे कह सकते
हैं कि कर्मवीर मनुष्य में काम करने की अजब धुन होती है?
(ग) किसी देश के नागरिक
कर्मवीर हों तो देश को क्या लाभ होता है?
अथवा
हम जब होंगे बड़े, घृणा का नाम मिटाकर लेंगे दम
हिंसा के विषमय प्रवाह में कब तक और बहेगा देश ।
जब हम होंगे बड़े, देखना नहीं रहेगा यह परिवेश !
भ्रष्टाचार जमाखोरी की आदत बहुत पुरानी है,
ये कुरीतियाँ
मिटा हमें तो नई चेतना लानी है।
" एक घरौंदे
जैसा आखिर कितना और ढहेगा देश,
जब हम होंगे बड़े
देखना, ऐसा नहीं रहेगा देश !
इसकी बागडोर
हाथों में, ज़रा हमारे आने दो,
थोड़ा-सा बस पाँव
हमारा जीवन में टिक जाने दो।
" हम खाते
हैं शपथ, दुर्दशा कोई नहीं सहेगा देश,
घोर अभावों की
ज्वाला में कल से नहीं ढहेगा देश ।
(क) कविता में बच्चा अपने बड़े होने पर
क्या-क्या परिवर्तन करने का इच्छुक है? दो का उल्लेख दीजिए।
(ख) हमारे समाज और परिवेश में क्या-क्या
बुराइयों आ गई हैं? उनके क्या दुष्परिणाम हो रहे हैं ?
(ग) कवि क्या शपथ खाता है और क्यों ?
खण्ड 'ख'
3. शब्द कब तक शब्द ही रहता
है, पद नहीं कहलाता ? शब्द तथा पद के
एक-एक उदाहरण दीजिए।
अथवा
व्याकरणिक नियमों
के अनुसार शब्द व पद में क्या अंतर है? [2]
4. नीचे लिखे वाक्यों में से
किन्हीं तीन वाक्यों का रूपांतरण कीजिए- [3]
(क) वे हरदम
किताबें खोलकर अध्ययन करते रहते थे। (संयुक्त वाक्य)
(ख) मैं सफल हुआ और कक्षा
में प्रथम स्थान पर आया। (सरल वाक्य)
(ग) एक बार बिल्ली ने
उचककर दो में से एक अण्डा तोड़ दिया। (मिश्र वाक्य)
(घ) वह छह मंजिली इमारत की
छत थी जिस पर एक पर्णकुटी बनी थीं। (सरल वाक्य)
उत्तर- (क)
संयुक्त वाक्य वे हरदम किताबें खोलते थे और अध्ययन करते रहते
थे।
(ख) सरल वाक्य मैं सफल
होकर कक्षा में प्रथम स्थान पर आया।
(ग) मिश्र वाक्य जैसे ही
एक बार बिल्ली उचकी उसने दो में से एक अंडा तोड़ दिया।
(घ) सरल वाक्य उस छह
मंजिली इमारत की छत पर एक पर्णकुटी बनी थी।
5. (क) निम्नलिखित शब्दों में
से किन्हीं दो पदों का विग्रह करते हुए समास का नाम लिखिए। [2]
यथार्थ, शांतिप्रिय, भीमार्जुन
(ख) निम्नलिखित में से किन्हीं दो को समस्त पद में परिवर्तित
करके समास का नाम लिखिए- [2]
(i) विद्या रूपी धन
(ii) चंद्र है शिखर पर जिसके
अर्थात् शिव
(iii) युद्ध में वीर
उत्तर- (क) (i) अर्थ के अनुसार अव्ययीभाव,
(ii) शांति है जिसको प्रिय वह
बहुव्रीहि,
(iii) भीम और अर्जुन - द्वंद्व
समास ।
(ख) (i) विद्याधन - कर्मधारय,
(ii) चंद्रशेखर - बहुव्रीहि,
(iii) युद्धवीर - तत्पुरुष
6. निम्नलिखित में से
किन्हीं चार वाक्यों को शुद्ध कीजिए : [1 ×4=4]
(क) में तुम्हारे को
अच्छी-अच्छी बातें बताऊंगा |
(ख) निरपराधी को दंड देना
उचित नहीं ।
(ग) वह कलाकार आदमी है।
(घ) मुखिया जी क्या कहे थे
?
7. रिक्तस्थानों की पूर्ति
किन्हीं दो उपयुक्त मुहावरों के द्वारा कीजिए- [1 ×2=2]
(क) विशेषज्ञ विद्वान को
समझाना ऐसा ही है जैसे "
(ख) गणित का गृहकार्य करना
मुझे प्रतीत होता है।
(ग) मनुष्य को विपरीत
परिस्थितियों में हमेशा चाहिए।
उत्तर- (क) सूरज
को दीपक दिखाना।
(ख) लोहे के चने चबाना ।
(ग) फूँक-फूंक कर कदम
रखना।
खण्ड 'ग'
8. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए- [2 × 4 = 8 ]
(क) बड़े भाईसाहब को अपने मन की इच्छाएँ क्यों
दबानी पड़ती थीं?
(ख) बढ़ती हुई आबादी का पर्यावरण पर क्या प्रभाव
पड़ा है ? 'अब कहाँ दूसरों के दुःख से दुःखी होने वाले' पाठ के आधार पर लिखिए।
(ग) गिन्नी का सोना' पाठ में शुद्ध आदर्श की तुलना शुद्ध सोने से क्यों की गई है?
अथवा
जापान में चाय
पीना एक 'सेरेमनी'
क्यों है ?
उत्तर- (क) बड़े
भाई साहब ने कहा था, "मेरा जी भी ललचाता है पर क्या करूँ खुद बेराह चलूँ तो तुम्हारी रक्षा कैसे करूँ? यह कर्तव्य भी तो मेरे सिर है।" उनकी यही सोच उन्हें अपने मन की इच्छाएँ
दबा कर रखने के लिए विवश कर देती थीं। वे खेल-तमाशों से दूर रहते और खेल-कूद पर भी
ध्यान नहीं देते थे। दिन-रात बैठकर पढ़ते रहना उनका स्वभाव था। उन्हें अपने बड़े
होने का भी अहसास हमेशा बना रहता था। वह छोटे भाई के लिए आदर्श बनकर रहते थे।
(ख) बढ़ती हुई आबादी का पर्यावरण पर बड़ा ही
प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है रहने योग्य भूमि की कमी दूर करने के लिए मनुष्य ने समुद्र
को पीछे धकेलना शुरू कर दिया है तथा पेड़ों को रास्ते से हटाना शुरू कर दिया है।
इससे पर्यावरण असंतुलन की स्थिति,
मौसम चक्र अव्यवस्थित, गर्मी में बहुत अधिक गर्मी,
बेवक्त की बरसातें, जलजले, सैलाब तथा तूफान आकर हाहाकार मचाने लगे हैं तथा
नित्य नई-नई बीमारियाँ धरती पर बढ़ने लगीं हैं। साथ ही जीव-जंतुओं का आश्रय भी छिन
सा गया।
(ग) शुद्ध सोने में किसी प्रकार की मिलावट नहीं
की जा सकती। ताँबे से सोना मजबूत हो जाता है परंतु शुद्धता समाप्त हो जाती है। इसी
प्रकार व्यावहारिकता में शुद्ध आदर्श समाप्त हो जाते हैं शुद्ध आदर्श जब
व्यावहारिकता के साथ मिलता है तो इससे व्यावहारिकता की कीमत बढ़ जाती है। इसलिए शुद्ध
रूप में प्रयोग में नहीं आ पाते। लेकिन व्यावहारिकता का ठीक उल्टा प्रभाव पड़ता
है। इसलिए शुद्ध आदर्श की तुलना सोने से की गई है।
अथवा
जापानी में चाय
पीने की विधि को 'चा-नो यू' कहते हैं जिसका अर्थ है- 'टी-सेरेमनी' और चाय पिलाने वाला 'चाजिन' कहलाता है। जापान में जहाँ चाय पिलाई जाती है
वहाँ केवल तीन ही लोग होते हैं और गजब की शांति होती है माहौल इतना शांत होता है
कि पानी के खलबलाने की आवाज भी सुनाई देती है इसीलिए जापान में चाय पीना एक 'सेरेमनी' है।
9. परम्पराएँ या मान्यताएँ
जब बंधन लगने लगें तो उनका टूट जाना ही क्यों अच्छा है? [5]
अथवा
'कारतूस' पाठ के आधार पर वज़ीर अली की चारित्रिक
विशेषताओं का उदाहरण सहित वर्णन कीजिए।
उत्तर - यथार्थ
में परंपराएँ या मान्यताएँ जब बंधन बन बोझ लगने लगें तब उनका टूट जाना ही अच्छा है
क्योंकि तभी हम समय के साथ आगे बढ़ पाएँगे। इस कहानी के सन्दर्भ में देखा जाए तो
तताँरा -वामीरो का विवाह एक गलत परंपरा या मान्यता जो कहती है कि कोई विवाह गाँव
से बाहर के युवक के साथ नहीं हो सकता के कारण नहीं हो सकता था जिसके कारण उन्हें
जान देनी पड़ती है। इस तरह की परंपराएँ या मान्यताएँ किसी का भला करने की जगह
नुकसान करती हैं इन परम्पराओं को तोड़कर ही समाज गतिशील बन सकता है। बंधनों में
जकड़कर व्यक्ति और समाज का विकास, सुख-आनंद, अभिव्यक्ति आदि रुक जाती है। 'तताँरा-वामीरो' ने इन्हें तोड़ने
के लिए अपने प्राणों की बलि दे दी।
अथवा
'कारतूस' पाठ के आधार पर वज़ीर अली की चारित्रिक
विशेषताएँ यह हैं- वज़ीर अली एक सच्चा देशभक्त और स्वाभिमानी सैनिक है। वह
हिंदुस्तान को गुलाम बनाने वाले अंग्रेजों से नफरत करता है तथा किसी भी प्रकार से
अंग्रेजों को हिंदुस्तान से भगा देना चाहता है। वज़ीर अली अत्यंत वीर एवं साहसी
है। दुश्मन भी उसकी वीरता का लोहा मानते हैं। वह कर्नल कॉलिंज के खेमे में निडर
भाव से जाकर उससे कारतूस लेकर चला आता है वज़ीर अली एक कुशल और चतुर शासक है। उसने
अपने पाँच महीने के शासन में अवध की रियासत को अंग्रेजी प्रभाव से स्वतंत्र कर
दिया था। साथ ही आत्मविश्वासी भी हैं अंग्रेज़ी शक्ति से मुकाबला करने के
लिए आत्मविश्वास रखते हैं।
10. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(क) मीराबाई ने श्रीकृष्ण से अपनी पीड़ा हरने की
प्रार्थना किस प्रकार की है? अपने शब्दों में लिखिए। [2]
(ख) पर्वतीय प्रदेश में वर्षा के सौन्दर्य का
वर्णन 'पर्वत प्रदेश में पावस' के आधार पर अपने शब्दों
में कीजिए । [2]
(ग) छाया भी कब छाया को ढूँढने लगती है? 'बिहारी' के दोहे के आधार पर उत्तर दीजिए। [1]
अथवा
'तोप' को कब-कब चमकाया जाता है? 'तोप' कविता के आधार पर लिखिए।
उत्तर- (क)
मीराबाई श्रीकृष्ण से अपनी पीड़ा हरने की प्रार्थना करती हुई कहती हैं- हे प्रभु! जिस प्रकार आपने कई भक्तों को अनेक प्रकार से सहायता
कर उनके दुःख को दूर किया है। उसी प्रकार आप मेरी भी पीड़ा को दूर कर मुझे
सांसारिक कष्टों से दूर करें वह कहती हैं कि आपने द्रौपदी का वस्त्र बढ़ाकर भरी
सभा में उसकी लाज रखी। नरसिंह का रूप धारण करके हिरण्यकश्यप को मार कर प्रह्लाद को
बचाया था। मगरमच्छ ने जब हाथी के पैर को अपने मुँह में दबोच लिया तो उसे बचाया और
उसकी पीड़ा को दूर किया था। उसी प्रकार मेरी भी सभी प्रकार की पीड़ाओं और बाधाओं
को आप दूर करें।
(ख) 'पर्वत प्रदेश में पावस' कविता के माध्यम
से सुमित्रानंदन पंत ने पर्वतीय प्रदेश में वर्षा ऋतु के सौंदर्य का सुंदर चित्रण
किया है। वर्षा ऋतु में पर्वतों पर हरियाली छा जाती है, सुंदर फूल खिल जाते हैं। नदी, तालाब, तलैया आदि पानी
से भर जाते हैं। वर्षा के कारण पेड़ और पर्वत अदृश्य हो जाते हैं। पर्वत मानो पंख
लगाकर कहीं उड़ गए हों तथा तालाबों से उठता हुआ कोहरा धुएँ की भाँति प्रतीत होता
है। पर्वतों से बहते हुए झरने मोतियों की लड़ियों से प्रतीत होते है। जब मौसम साफ
होता है तो यह सब कुछ बड़ा सुंदर दिखाई देता है। आकाश में तेजी से इधर-उधर घूमते
हुए बादल,
अत्यंत आकर्षक लगते हैं।
जलवाष्प रूपी धुएँ के छाने से तालाब जलता हुआ-सा प्रतीत होता है।
(ग) कवि का कहना है कि जेठ
की दुपहरी की भयंकर गर्मी से त्रस्त होकर छाया भी छाया ढूँढ़ने लगती है। वास्तव
में ग्रीष्म के ज्येष्ठ मास की दोपहर में धूप इतनी प्रचंड होती है कि सिर पर आने
लगती है। सूरज की किरणें जब एक सीध में होती हैं तब वस्तुओं की छाया छोटी होती
जाती है। इसलिए कवि का कहना है कि जेठ की दुपहरी की भीषण गर्मी में छाया भी डरकर
छाया ढूँढ़ने लगती है।
अथवा
'तोप' कविता के आधार पर कंपनी बाग के मुहाने पर रखी
हुई तोप बहुत महत्त्व के ऐतिहासिक विरासत का रूप है। इसे दो राष्ट्रीय त्योहार
स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के अवसर पर चमकाया जाता है। इस प्रकार इसकी पूरी
देखभाल हो जाती है।
11. 'मनुष्यता' कविता में कवि ने सबको एक साथ होकर चलने की
प्रेरणा क्यों दी है? इससे समाज को क्या लाभ हो
सकता है? स्पष्ट कीजिए।
अथवा
'आत्मत्राण कविता में कवि
की प्रार्थना से क्या संदेश मिलता है? अपने शब्दों में
लिखिए।
उत्तर- मनुष्यता' कविता में कवि ने सबको एक साथ चलने की प्रेरणा
इसलिए दी है ताकि समाज में बंधुत्व, एकता, सौहार्द्र और आपसी हेलमेल का भाव कायम रहे सभी
एक पिता परमेश्वर की संतान हैं इसलिए सभी को प्रेम भाव से रहना चाहिए, सहायता करनी चाहिए और एक होकर चलना चाहिए। इससे
हमारे बीच ईर्ष्या-द्वेष के भाव का अंत हो जाएगा। मैत्री भाव से आपस में मिलकर
रहने से सभी कार्य सफल होते हैं, ऊँच-नीच, वर्ग भेद नहीं रहता और समाज का कल्याण होता है
समर्थ भाव भी यही है कि हम सबकी भलाई करते हुए, सबको साथ लेकर
चलते हुए अपना कल्याण करें तथा समाज भी प्रगति के पथ पर अग्रसर होगा। बंधुत्व के
नाते हमें सभी को साथ लेकर चलना चाहिए क्योंकि समाज का सही मायने में विकास और लाभ
तभी संभव है जब सबका विकास हो अर्थात् लोकहित की भावना जाग्रत हो।
अथवा
'आत्मत्राण' कविता में कवि की प्रार्थना से यह संदेश मिलता
कि मनुष्य के सामने कितनी भी कठिन परिस्थितियाँ आएँ उसे ईश्वर पर से अपना विश्वास
नहीं खोना चाहिए। उसे संसार के सभी लोगों से वंचना मिले पर प्रभु पर से उसका
विश्वास डगमगाए नहीं। मानव को ईश्वर से दुखों को दूर करने की प्रार्थना नहीं अपितु
उसकी प्रार्थना होनी चाहिए कि ईश्वर उसे इतनी शक्ति दे जिससे वह उन दुखों को स्वयं
से दें दूर कर सके साथ ही मनुष्य को सकारात्मक सोच दें मनुष्य को प्रभु से समस्त
विपदाओं से लड़ने की आत्मशक्ति की प्रार्थना करनी चाहिए। समय कितना भी विषम हो, उसे केवल धैर्य के साथ स्वयं से उन स्थितियों
से जूझना चाहिए और प्रभु से मात्र आत्मशक्ति की याचना होनी चाहिए। सुख के क्षण में
भी ईश्वर को याद करना चाहिए। संसार द्वारा धोखा देने पर ईश्वर पर संदेह नहीं करना
चाहिए।
12. हरिहर काका के साथ उनके
भाइयों तथा ठाकुरबाड़ी के महंत ने कैसा व्यवहार किया? क्या आप उसे उचित मानते हैं? कारण सहित स्पष्ट कीजिए । [5]
अथवा
'सपनों के से दिन' कहानी के आधार पर पी. टी. साहब के व्यक्तित्व
की दो विशेषताएँ बताते हुए लिखिए कि स्काउट परेड करते समय लेखक स्वयं को
महत्त्वपूर्ण आदमी, एक फौजी जवान क्यों समझता
था ?
उत्तर - हरिहर
काका के साथ उनके भाइयों तथा ठाकुरबाड़ी के महंत ने समस्त नैतिक मूल्यों को
ठुकराकर सभी प्रकार की मर्यादाओं को तार-तार कर धन और जमीन की लिप्सा से ग्रसित
होकर अमानवीय व्यवहार किया हाथ-पैर बाँधकर मुँह में कपड़ा दूंस दिया तथा सादे एवं लिखें
कागजों पर अंगूठे के निशान लिये गये। जमीन नाम न करने पर भाइयों द्वारा
हरिहर काका को बेरहमी से पीटा गया तथा ठाकुरबाड़ी के महंत द्वारा अपने पद की गरिमा
को ध्वस्त करते हुए हरिहर काका का अपहरण करवाया गया।
हरिहर काका के
भाइयों तथा ठाकुरबाड़ी के महंत द्वारा किया गया दुर्व्यवहार किसी भी दृष्टि से
उचित नहीं ठहराया जा सकता है। आज लोगों पर स्वार्थ, लोभ व धन लिप्सा इतने
हावी हो चुके हैं कि आज उन्हें इनके लिए रिश्ते-नातों व अपने पद की मर्यादा को
भुलाने में भी संकोच नहीं होता।
अथवा
'सपनों के से दिन' कहानी के आधार पर पी. टी.
साहब के व्यक्तित्व की दो विशेषताएँ हैं- प्रथम पी.टी. सर बहुत ही अनुशासन प्रिय
और कठोर स्वभाव के थे। उन्हें स्कूल में कभी भी किसी ने मुस्कराते हुए नहीं देखा
था। सुबह की प्रार्थना सभा में किसी लड़के द्वारा सिर इधर-उधर हिलाने पर वे शेर की
तरह झपट पड़ते थे और खाल खींचने के मुहावरे को भी चरितार्थ कर देते थे। द्वितीय-
पी. टी. साहब पक्षियों से बहुत प्रेम करते थे। उन्होंने अपने घर में दो तोतों को
पाल रखा था। अवकाश के समय पिंजरे में रखे उन दो तोतों को बादाम आदि खिलाते थे।
इससे पक्षियों के प्रति उनका अनुराग झलकता है। पी. टी. साहब जैसे कठोर और अनुशासित
अध्यापक के निर्देशन में स्काउट परेड करते समय लेखक साफ सुथरे धोबी के धुले कपड़े, पॉलिश किए हुए बूट, जुराबों को पहन कर जब ठक-ठक करके चलता था तो वह
अपने आपको महत्त्वपूर्ण आदमी और फौजी से कम नहीं समझते थे। उनके मन में इस प्रकार
फौजी बनने की इच्छा होती थी।
खण्ड 'घ'
13. निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर 80-100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए- [5]
(अ) वृक्षारोपण
का महत्त्व
• वृक्षारोपण का अर्थ
• वृक्षारोपण क्यों
• हमारा दायित्व
(ब) इंटरनेट की दुनिया
•इंटरनेट का तात्पर्य
• लाभ तथा हानि
• सूचना का मुख्य साधन
(स) आधुनिक जीवन
• आवश्यकताओं में वृद्धि
•अशांति
• क्या करें
उत्तर- वृक्षारोपण का महत्त्व
वर्तमान
वैज्ञानिक युग में जहाँ विकास के नाम पर धरती का दोहन किया जा रहा है तथा पर्यावरण
को प्रतिपल ध्वस्त किया जा रहा है वहाँ वृक्षारोपण का महत्त्व स्वतः सिद्ध हो जाता
है। वृक्ष प्रकृति की अनमोल संपदा है। मनुष्य एवं वृक्ष का अटूट सम्बन्ध है।
वृक्षों से प्राप्त लकड़ी विभिन्न रूपों में मनुष्य के काम आती है। वृक्षों से
हमें फल-फूल, जड़ी-बूटियाँ औषधियाँ आदि प्राप्त होती हैं।
शुद्ध वायु एवं तपती दोपहर में छाया वृक्षों से ही प्राप्त होती है। वृक्ष वर्षा
में सहायक होते हैं
एवं भूमि को उर्वरक बनाते हैं। वे प्रदूषण को समाप्त कर हमें ऑक्सीजन प्रदान करते
हैं। वृक्ष बाढ़-सूखा एवं मिट्टी के कटान आदि प्राकृतिक आपदाओं से हमारी रक्षा
करते हैं हमारी संस्कृति में वृक्षों को देवता मानकर उनकी पूजा की जाती है। यदि
मनुष्य जाति को बचाना है तो वृक्षों को बचाना होगा और हमें वृक्षारोपण का उत्सव
करना होगा। इसीलिए एक बच्चा एक वृक्ष का नारा दिया गया है। वृक्षों की 50 मीटर की एक कतार वाहनों के शोर को 30-50 डेसीबल तक कम
करती है। इसी तरह चौड़ी पत्ती वाले वृक्ष वातावरण में उड़ रही धूल को रोकते एवं
वायु को शुद्ध करते हैं। वनसंरक्षण का उद्देश्य केवल वृक्षों को लगाना ही नहीं वरन
वृक्षारोपण करने के बाद उनकी उचित देखभाल भी हैं। निजी क्षेत्र में स्वयंसेवी
युवकों को संगठन बनाकर वृक्षारोपण का कार्य करना चाहिए और वृक्षारोपण को सामूहिक
समारोह के रूप में आयोजित
करना चाहिए।
इंटरनेट की
दुनिया
आज का विश्व
विज्ञान की नींव पर टिका है। मनुष्य ने विज्ञान के द्वारा अनेक शक्तियाँ सुख
सुविधाएँ तथा चमत्कारी साधनों का आविष्कार किया है जिसमें इंटरनेट अत्यधिक
महत्त्वपूर्ण और अद्भुत है। इंटरनेट पूरे विश्व के सभी कंप्यूटर को जोड़ने का काम
करता है इंटरनेट समस्त सूचनाओं का विश्वसनीय और त्वरित साधन बन चुका है। यह ऐसा
इलेक्ट्रॉनिक साधन है जिसने अपनी अनगिनत विशेषताओं के बल पर जीवन के प्रत्येक
क्षेत्र में दस्तक दी है। विज्ञान और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में गणित और चिकित्सा
की जटिल तथा विस्तृत सूचनाएँ एकत्र करने में इंटरनेट का व्यापक रूप से प्रयोग हो
रहा है। रेलवे स्टेशनों, हवाई अड्डों पर इंटरनेट का प्रयोग आरक्षण आदि
के लिए किया जा रहा है। बैंकों,
लेखा विभागों में इंटरनेट
चमत्कारी भूमिका निभा रहा है आय-व्यय का ब्योरा, अनगिनत खातों का हिसाब
इंटरनेट के माध्यम से ही संबंधित व्यक्ति तक पहुँचाया जा रहा है। मनोरंजन के रूप
मैं इंटरनेट आज घर-घर में पहुँच चुका है। अन्तरिक्ष तथा दूर संचार के क्षेत्र में
इंटरनेट ने क्रान्ति ला दी है। इन्टरनेट ज्ञान का भण्डार बन गया है। इसके माध्यम
से अल्प समय में ही विश्व की कोई भी सूचना, आँकड़े या समाचार तुरन्त
ही प्राप्त किए जा सकते हैं। छात्रों के लिए यह वरदान साबित हो रहा है। इंटरनेट के
द्वारा वे सुगमता से गूढ़ ज्ञान को प्राप्त करने में सक्षम हो जाते हैं। आज
इंटरनेट के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। इन सब सुविधाओं के बाद भी
इंटरनेट की अनेक कमियाँ भी हैं विशेष रूप से अपरिपक्व या कम जानकारी रखने वालों के
लिए यह अभिशाप भी है। छात्रों का अधिकतर समय इसके साथ व्यर्थ हो जाता है।
आधुनिक जीवन
नगरीय सभ्यता से
आधुनिक जीवन का प्रारंभ हुआ है और औद्योगिक क्रांति से इसमें पंख लग गये हैं।
धीरे-धीरे आधुनिक जीवन में पारंपरिक रूढ़ियाँ हो गई और सामाजिक स्तर पर रहन सहन के
ढंग में भारी परिवर्तन आया। आधुनिकता का प्रभाव इतना सशक्त है कि वह व्यक्ति के
विचारप्रवाह में बाधा डालती है। आधुनिकता से मनुष्य में असंतुष्टि
उत्पन्न होती है। अपनी भौतिक, राजनैतिक, आर्थिक आवश्यकताओं के
अतिरिक्त विश्व के कोई भी पदार्थ उसे आकर्षित नहीं करते हैं। दिवा रात्रि वह
वैयक्तिक असीमित आवश्यकताओं की पूर्ति में व्यग्र रहता है। वह स्वयं को विशाल
आधुनिक सभ्यता का प्रामाणिक अंग सिद्ध करने के लिए आजीवन असफल प्रयास करता रहता है
वह इस कल्पना में डूबा रहता है कि वह सभ्यता का संचालक है, लेकिन इसकी अनिवार्यताओं से दूर भागने में असमर्थ है। आधुनिक युग की
आवश्यकताएँ अपने उग्रतम रूप में पीड़ादायक और विडंबनापूर्ण है। आधुनिक जीवन के नशे
में डूबा आदमी उनसे बच नहीं सकता। उसकी आवश्यकताएँ बहुमत के आधार पर स्वामियों के
आदेश, पड़ोसियों के मतें और कुछ स्वार्थी व्यक्तियों के निर्णयों
पर आधारित होती हैं जिन्हें वह पूरा करने के लिए बाध्य होगा है भले ही वह परोक्ष
रूप में उसके लिए कष्टकारक ही क्यों न हो। आधुनिक जीवन में आधुनिक व्यक्ति के पास
किसी प्रकार के सतही आनंद के लिए समय और ऊर्जा का अभाव रहता है। आधुनिक व्यक्ति
प्रवासी है; जो परिवर्तनशील समाज में रहता है और विरोधी
परंपरा को ग्रहण करता है। वह हर बात को तर्क की तुला पर तोलता है। भावनाओं की
मधुरता धीरे-धीरे कम होती जाती है और एकल परिवार का जन्म होता है। आधुनिक जीवन के
संबंध में बात करते समय हमारा ध्यान महानगरों की संस्कृति की ओर केन्द्रित होता
है। आधुनिक जीवन की प्रक्रिया में महानगरों के जीवन में यांत्रिकता आ गई है, यहाँ की आर्थिक संपन्नता लोगों को शहरों की ओर भागने को प्रवृत्त करती है।
आधुनिक जीवन का सीधा प्रभाव मनुष्य के जीवन पर पड़ा है इससे उसका जीवन और अधिक
एकाकी और अशांत हो गया है। पहले मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे, चर्च, नगर, परिवार, समाज आदि सभी एकता के सूत्र में बंधे हुए थे।
आज सब और आपाधापी और मैं का भाव भरा हुआ है। इन परिस्थितियों में मानव अपनी परंपरा
का त्याग किए बिना ही आधुनिक जीवन शैली को स्वीकार करना चाहिए तभी जीवन सुखमय हो
सकता है।
14. अपने क्षेत्र में
सार्वजनिक पुस्तकालय खुलवाने की आवश्यकता समझाते हुए दिल्ली के शिक्षा मंत्री के
नाम एक पत्र लिखिए। [5]
अथवा
कक्षा में अनजाने
हो गए अभद्र व्यवहार के लिए कक्षा- अध्यापक से क्षमा याचना करते हुए पत्र लिखिए ।
उत्तर- सेवा में,
शिक्षा मंत्री
महोदय,
दिल्ली सरकार, दिल्ली।
दिनांक : 27 नवम्बर, 20XX
विषयः सार्वजनिक
पुस्तकालय के लिए दिल्ली के शिक्षा मंत्री
के नाम पत्र ।
मान्यवर,
मैं अपने इस पत्र
के द्वारा आपका ध्यान अपने क्षेत्र के लोगों के लिए एक पुस्तकालय की व्यवस्था की
ओर आकर्षित करना
चाहता हूँ। वर्तमान तकनीकी युग में पुस्तकों के अध्ययन के प्रति लोगों का लगाव कम
होता जा रहा है परिणामतः उनका समय मोबाइल या अन्य व्यर्थ के विवादों में व्यतीत हो
रहा है। लोगों की रचनात्मक शक्ति क्षीण होती जा रही है।
अतः आपसे निवेदन
है कि सरकारी अनुदान से मेरे क्षेत्र में एक सार्वजनिक पुस्तकालय की व्यवस्था एक
उसके संचालन के लिए धन की व्यवस्था दिल्ली सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा करवाने
की कृपा की जाए। इससे न केवल सामान्य जन अपितु सुविधाविहीन छत्र भी अपने अध्ययन के
लिए लाभ उठा पाएँगे। आपकी इस व्यवस्था के लिए हम सभी क्षेत्रवासी आपके आजीवन आभारी
रहेंगे।
अ. ब. स.
अ. ब. स. क्षेत्र
दिल्ली।
अथवा
सेवा में,
कक्षा अध्यापक
महोदय,
अ. ब. स.
विद्यालय,
अ. ब. स. नगर ।
विषय - अभद्र
व्यवहार के लिए कक्षा अध्यापक से क्षमा याचना करते हुए पत्र । ।
महोदय,
सविनय निवेदन है
कि मैं कक्षा नौ 'अ' का छात्र हूँ। पिछली
कक्षा में मुझसे अनजाने में अपने कक्षा के सहपाठियों के साथ अभद्र व्यवहार हो गया।
मेरे कुछ मित्र एक-दूसरे के ऊपर पानी डाल रहे थे। मैं भी उन सबके साथ इस खेल में
सम्मिलित था। बाद में मुझे ज्ञात हुआ कि मेरे इस व्यवहार से आपको बहुत कष्ट हुआ
है।
मैं अपने इस
अनुचित कृत्य से लज्जित हूँ तथा क्षमा याचना के साथ आपको विश्वास दिलाता हूँ कि
भविष्य में इसकी पुनरावृत्ति नहीं होगी। आपसे प्रार्थना है कि आप मेरे इस अभद्र
व्यवहार को क्षमा कर मुझे अनुगृहित करेंगे।
मैं इसके लिए
आपका आभारी रहूँगा। सधन्यवाद,
आपका आज्ञाकारी
शिष्य,
अ. ब. स
कक्षा नौ 'अ'
दिनांक 27 नवम्बर, 20XX
15. आप अपने विद्यालय में सांस्कृतिक सचिव हैं।
विद्यालय में होने वाली 'कविता प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए आमंत्रण
हेतु 25-30 शब्दों में एक सूचना तैयार कीजिए। [5]
अथवा
विद्यालय में
आयोजित होने वाली वाद-विवाद प्रतियोगिता के लिए हिन्दी विभाग के संयोजक की ओर से 25-30 शब्दों में एक सूचना तैयार कीजिए।
16. दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण पर चिंता व्यक्त करते
हुए दो मित्रों के बीच संवाद लगभग 50 शब्दों में लिखिए। [5]
अथवा
दिल्ली में
महिलाओं की असुरक्षा को लेकर दो महिलाओं के मध्य लगभग 50 शब्दों में संवाद लिखिए।
17. आप एक अच्छे चित्रकार हैं। अपने चित्रों की
प्रदर्शनी के लिए लगभग 50 शब्दों में एक विज्ञापन तैयार कीजिए। [5]
अथवा
अपनी पुरानी
साइकिल की बिक्री के लिए 50 शब्दों में एक आकर्षक विज्ञापन तैयार कीजिए।
Delhi [Set-II]
Note: Except for
the following questions all the remaining questions have been asked in previous
sets.
6. निम्नलिखित में से किन्हीं चार वाक्यों को
शुद्ध कीजिए।" [1 ×4=4]
(क) स्वाति, चित्रा और मधु आएगी।
(ख) गणतंत्र दिवस परेड को लाखों बालक, वृद्ध, नर-नारी देख रही थीं।
(ग) प्रधानाचार्य आपको बुलाए हैं, सर!
(घ) उत्तम चरित्र निर्माण हमारे लक्ष्य होने
चाहिए।
(ङ) आपके बैल हमारे भटकते हुए खेत में आ पहुँचे।
9. 26 जनवरी, 1931 में कोलकाता में
हुए घटनाक्रम की उन बातों का वर्णन कीजिए जिनके कारण लेखक ने डायरी में लिखा, "आज जो बात थी वह निराली थी " । [1 × 5 = 5]
अथवा
चा-नो-यू की पूरी
प्रक्रिया का वर्णन अपने शब्दों में करते हुए लिखिए कि उसे झेन परम्परा की अनोखी
देन क्यों कहा गया है?
उत्तर- (क) 26 जनवरी 1931 का दिन स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाने का
निश्चय किया गया था 4 बजकर 24 मिनट पर मॉन्यूमेंट के
नीचे झंडा फहराने और स्वतंत्रता की प्रतिज्ञा पढ़ने के लिए कोलकाता के अलग-अलग
भागों से जुलूस आगे बढ़ बढ़ रहे थे। इस वर्ष कलकत्तावासियों की भारी संख्या
में भागीदारी थी। इस स्वतंत्रता दिवस को मनाने के लिए जुलूस निकाले गए, जनसभा करने लिए तथा झंडा फहराने के लिए अंग्रेजी सरकार द्वारा निषेधाज्ञा जारी
किया गया था। मकानों पर भी झण्डे लगाये गये। इसके बावजूद लोगों ने सरकारी आदेश का
उल्लंघन कर स्वतंत्रता दिवस के आयोजन में बढ़-चढ़ कर भाग लिया। मोनुमेंट के नीचे
झंडा फहराया गया और स्वतंत्रता की प्रतिज्ञा पढ़ी गई। पुलिस की लाठियाँ खाने और
गंभीर रूप से घायल होने के बाद भी उनके जोश और उत्साह में कमी नहीं आई। लोग
टोलियाँ बनाकर हजारों की संख्या में घूम रहे थे। कलकत्तावासियों का जुनून, सभाओं में उत्साह के साथ भाग लेना और जोश भरे माहौल के साथ-साथ बाजारों में भी
सजावट की गई थी जिसे देखकर लगता था कि स्वतन्त्रता प्राप्त हो गई हो। लेखक ने
डायरी में लिखा था, "आज जो बात थी वह निराली थी।"
अथवा
चा-नो-यू जापान
में चाय पीने की एक विधि है। इसमें घर की छत पर दफ्ती की दीवारों वाली और तातामी
(चटाई ) की ज़मीन वाली एक सुंदर पर्णकुटी होती है। मिट्टी के बरतन में भरे हुए पानी
से हाथ-पैर धोए जाते हैं और तौलिये से साफ कर बैठा जाता है 'चाजीन' सबको झुककर प्रणाम करता है। अँगीठी सुलगाकर उस पर
चायदानी रखी जाती है। शांत वातावरण में चायदानी के पानी का उबाल भी सुनाई देता है।
चाय तैयार होने पर उसे प्यालों में भरा जाता है। इसमें तीन आदमियों से अधिक को
प्रवेश नहीं दिया जाता है। प्यालों में दो घूँट से ज्यादा चाय नहीं होती
है और लोग होंठों से प्याला लगाकर एक-एक बूँद चाय पीते रहते हैं। करीब डेढ़ घंटे
तक चुस्कियों का यह सिलसिला चलता रहता है। इस गतिविधि से दिमाग की रफ्तार धीमी
पड़ने लगती है तथा थोड़े समय बाद पूरी तरह से बंद हो जाती है। ऐसा लगता है कि सब
अनंतकाल में जी रहे हाँ जापानियों को झेन परंपरा की यह बहुत बड़ी देन है। इससे लोग
अपने व्यस्ततम जीवन में नई गति,
शांति और ताज़गी पा लेते
हैं।
11. कर चले हम फिदा' कविता का प्रतिपाद्य अपने
शब्दों में स्पष्ट कीजिए। [5]
अथवा
कविता की
पृष्ठभूमि में 'तोप' की अतीत में भूमिका और
उसकी वर्तमान स्थिति का वर्णन कीजिए। कवि को क्यों कहना पड़ा-
कितनी ही बड़ी हो
तोप
"एक दिन तो होना ही है उसका मुख बंद। "
उत्तर- (क) कैफी
आज़मी द्वारा रचित यह गीत सन 1962 के भारत-चीन युद्ध की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर
लिखा गया है। चीन ने तिब्बत की ओर से भारत पर आक्रमण किया था और भारतीय वीरों ने
इस आक्रमण का सामना बीरता से किया। देश के सम्मान और रक्षा के लिए सैनिक हर
चुनौतियों को स्वीकार करके अपने जीवन का बलिदान करने के लिए तैयार रहते हैं तथा
सैनिकों को अपने कार्य पर गौरव की अनुभूति होती थी। अपनी अंतिम साँस तक देश के मान
की रक्षा कर उसे शत्रुओं से बचाते हैं। कवि इस गीत के द्वारा देशभक्ति की भावना को
विकसित कर समस्त देशवासियों को जागरूक करना चाहता है। हथियारों से लैस सेना तब तक
कारगर नहीं होती जब तक कि उनमें अदम्य साहस और उत्साह न हो। यह गीत उसी उत्साह और
अदम्य साहस को बनाए रखने का काम करता है।
अथवा
'विरेन डंगवाल' द्वारा रचित कविता 'तोप' एक प्रतीकात्मक कविता है। अपनी पृष्ठभूमि में शुरूआत के
दिनों में अंग्रेजों के आतंक का प्रतीक था। अपने जमाने में तोप ने न जाने कितने
शूरमाओं की धज्जियाँ उड़ा दी थीं। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को कुचलने में इसका
प्रयोग किया गया। पर, यह मात्र धरोहर के रूप में स्थापित हो गई।
लड़के ऊपर खेलते हैं तथा पक्षी इसके अंदर घोंसला बनाने का काम करते हैं। दूर-दूर से
सैलानी इसे देखने आते हैं। ऐतिहासिक धरोहर जिसे साल में दो बार गणतंत्र दिवस और
स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर चमकाया जाता है। वर्तमान में इसकी तेज समाप्त हो गई
है। इसी तोप को प्रतीक बनाकर कवि कहता आतंक का शासन अधिक दिनों तक नहीं चल सकता है
कोई कितना भी शक्तिवान हो तोप की तरह एक दिन उसके आतंक का साम्राज्य समाप्त हो ही
जाता है। आज यह प्रदर्शन मात्र है वर्ष में दो बार (स्वतंत्रता दिवस तथा गणतन्त्र
दिवस) पर इसे चमकाया जाता है।
12. कल्पना कीजिए कि एक पत्रकार के रूप में आप
हरिहर काका के बारे में अपने समाचार पत्र को क्या-क्या बताना चाहेंगे और समाज को
उसके उत्तरदायित्व का बोध कैसे कराएंगे ? [5]
अथवा
टोपी और इफ्फन
अलग-अलग धर्म और जाति से संबंध रखते थे पर दोनों एक अटूट रिश्ते से बंधे थे। इस
कथन के आलोक में 'टोपी शुक्ला' कहानी पर विचार कीजिए।
उत्तर- एक
पत्रकार के रूप में हरिहर काका के बारे में अपने समाचार पत्र को सूचित किया जाएगा कि धन की लालसा में उसके सगे संबंधी उसे परेशान कर
रहे हैं। अपने समाचार पत्र में समाज की शीर्ष संस्था के पुरोधा महंत के चरित्र के
बारे में विस्तार विवरण देना चाहूँगा। धन केंद्रित मानसिकता से समाज को बचाने के
लिए लोगों को अपनत्व व सौहार्द्र से भरे सामाजिक जीवन जीने के लाभ से परिचित
करवाना होगा। इसके लिए नुक्कड़ नाटक के आयोजन तथा टी. वी. आदि पर घर-घर की कलह आदि
को दिखाने के स्थान पर प्रेम, सौहार्द्र व भाईचारे की भावना से ओतप्रोत
धारावाहिकों का प्रसारण किया जाना चाहिए लोग जागरूक हों और अपनत्व के महत्व को
समझते हुए अपने उत्तरदायित्व का निर्वहन कर सकें।
अथवा
'टोपी शुक्ला' पाठ समाज के लिए
सांप्रदायिक सौहार्द का संदेश है। टोपी और इफ़्फ़न अलग-अलग धर्म और जाति से संबंध
रखते थे पर दोनों एक अटूट रिश्ते से बंधे थे। हिंदुस्तान में हिंदू और मुसलमानों
के बीच प्रेम और भाईचारे से भरे वातावरण की चाह रखने वालों के लिए यह एक प्रेरणा
प्रद रचना है। टोपी, इफ्फन के घर के खाने को छूता भी नहीं था फिर भी
दोनों में गहरा संबंध था। कहानी में टोपी और इफ्फन का पालन पोषण धार्मिक कट्टरता
से भरे तथा दो अलग-अलग परंपराओं से जुड़े परिवारों में हुआ था, किंतु दोनों एक-दूसरे के जिगरी दोस्त बने दोनों की कहानी एक दूसरी के बिना
अधूरी थी। यदि इसी प्रकार कट्टरवाद को हटाकर दोनों कौमों के लोग एक-दूसरे के साथ
भाईचारे का संबंध जोड़ लें, तो देश में मजहबी दंगों में इंसानियत का खून
बहने से रोका जा सकता है। 'अम्मी' शब्द पर मार खाने के बाद
भी इफ्फन के घर जाने की उसकी जिद थी।
14. चौराहों पर भीख माँगते बच्चों को देखकर आपको
कैसा इस समस्या के समाधान के लिए अपने विचार एक पत्र द्वारा किसी समाचार पत्र के
संपादक को लिखिए। [5]
अथवा
अपनी पढ़ाई तथा
अन्य गतिविधियों के बारे में बताते हुए अपने पिताजी को पत्र लिखिए।
उत्तर-
सेवा में,
संपादक,
अ. ब. स. समाचार
पत्र,
अ. ब. स. क्षेत्र,
अ. ब. स. नगर ।
दिनांक- 00/00/00
विषय- चौराहे पर
भीख माँगते बच्चों को की गंभीर समस्या
और समाधान ।
महोदय,
निवेदन है कि मैं
अ. ब. स. नगर के अ.ब. स. मुहल्ले का निवासी हूँ। इस पत्र के द्वारा मैं आपका तथा
सरकार का ध्यान उपर्युक्त समस्या की ओर आकर्षित करना चाहता हूँ मैं प्रतिदिन सुबह 8 बजे अपने पिता जी के साथ गाड़ी से विद्यालय के लिए जाता हूँ। रास्ते में एक
चौराहा आता है जहाँ कुछ हम उम्र बालकों को भीख माँगते देख मेरा मन द्रवित हो उठा।
मैं सोचने के लिए विवश हो गया कि आज भी भारत में इतनी गरीबी है कि लोग अपने बच्चों
से पढ़ने की आयु में भीख मँगवाकर अपना पेट भरने का काम करते हैं भारत में आज भी
संसाधनों का इतना अभाव है कि जिन बच्चों के हाथों में पुस्तकें और लेखनी होनी
चाहिए वे भीख के लिए हाथ
फैला रहे हैं।
महाशय, यह एक गंभीर समस्या है। इस विकृत समस्या के समाधान के लिए सरकार और समाज दोनों
को आगे आना होगा और मिलकर प्रयास करना होगा। सरकार के द्वारा ऐसे बच्चों के लिए निःशुल्क
शिक्षा, आवास और भोजन की व्यवस्था करनी चाहिए तथा समाज के द्वारा इन
बच्चों को शिक्षा प्राप्ति के लिए लगातार प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
विश्वास है, अपने समाचार पत्र में मेरे पत्र को प्रकाशित कर संबंधित अधिकारियों का ध्यान
इस समस्या की ओर आकर्षित करेंगे।
अ. ब. स.
अ. ब. स. क्षेत्र
अ. ब. स. नगर
अथवा
अ. व. स. नगर
अ.ब. स. क्षेत्र
दिनांक- 00/00/00 आदरणीय पिता जी.
सादर प्रणाम।
मैं कुशल हूँ, विश्वास है कि आप भी परिवार के सभी सदस्यों के साथ स्वस्थ होंगे।
पिता जी
प्रसन्नता के साथ आपको सूचित करना चाहता हूँ कि हर साल की भाँति इस बार भी
विद्यालय की वार्षिक परीक्षा अगले माह से प्रारंभ होने वाली है। परीक्षा में उत्तम
परिणाम के समय तालिका के अनुसार नै योग्य परिश्रम कर रहा हूँ। समय पर भोजन, शयन का आदि का पूरा ध्यान रखता हूँ। सामाजिक कार्यक्रमों में भी पूरी सहभागिता
रहती है। विद्यालय की शैक्षणिकोत्तर गतिविधियों में मैं अपने मित्रों के साथ पूरे
उत्साह के साथ भाग लेता
रहता है।
आपको विश्वास
दिलाता हूँ कि मैं मेहनत करता रहूँगा और सर्वोत्तम स्थान पर स्थित
रहूंगा।
ग्रीष्मावकाश में
घर आकर आपके तथा माता जी के दर्शन करूंगा।
परिवार में सबको
यथायोग्य अभिवादन
आपका प्यारा
पुत्र,
अ. ब. स.
Delhi [Set-III]
Note: Except for
the following questions all the remaining questions have been asked in previous
sets.
6. निम्नलिखित में से किन्हीं चार वाक्यों को
शुद्ध कीजिए : [1
×4=4]
(क) हमारा लक्ष्य देश की चहुँमुखी प्रगति होनी
चाहिए।
(ख) क्या आप पढ़ लिए है?
(ग) इसी स्थान पर कल एक लड़का और लड़की बैठी थी।
(घ) पुलिस ने
डाकुओं का पीछा किया गया।
(ड़) आप समय पर घर लौट आना।
9. मैदान में सभा न होने देने के लिए पुलिस
बंदोबस्त का विवरण देते हुए सुभाष बाबू के जुलूस और उनके साथ पुलिस के व्यवहार की
चर्चा कीजिए। [5]
अथवा
बढ़ती आबादी के पर्यावरण पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों की चर्चा करते हुए स्पष्ट कीजिए कि, "नेचर की सहनशक्ति की भी एक सीमा होती है। "
उत्तर- पुलिस कमिश्नर का
नोटिस था कि कोई सभा नहीं हो सकती और यदि सभा में भाग लेंगे तो दोषी समझे जाएँगे।
इसलिए पुलिस ने बंदोबस्त कियाभोर से ही पार्कों एवं मैदानों को पुलिस द्वारा घेर
लिया तथा ट्रैफिक पुलिस के साथ-साथ अन्य पुलिस बल द्वारा शहर में गश्त देना शुरू
कर दिया। इधर कौंसिल का नोटिस था कि मोनुमेंट के नीचे चार बजकर चौबीस मिनट पर झंडा
फहराया जाएगा तथा स्वतंत्रता की प्रतिज्ञा पढ़ी जाएगी। खुला चैलेंज देकर ऐसी सभा
पहले नहीं की गई थी और यह सभा तो कहना चाहिए कि खुली लड़ाई थी। चार बजकर दस मिनट
पर सुभाष बाबू जुलूस लेकर आए। उनको चौरंगी पर ही रोका गया और पुलिस ने लाठियाँ चलानी
शुरू कर दीं। ट्रैफिक पुलिस के साथ-साथ अन्य पुलिस बल द्वारा शहर में गश्त दी गई।
पुलिस अत्यंत बर्बर हो चुकी थी पर सुभाष बाबू ज्योतिर्मय गांगुली के साथ आगे बढ़ते
रहे। सुभाष बाबू को पकड़ लिया गया और गाड़ी में बैठाकर लालबाज़ार लॉकअप में भेज
दिया गया। इस प्रकार पुलिस ने आंदोलनकारियों के साथ अत्यंर क्रूर व्यवहार किया।
लाठियाँ पड़ने के बाद भी सुभाष बाबू द्वारा वंदे मातरम् बोला गया।
अथवा
बढ़ती हुई आबादी
का पर्यावरण पर बड़ा ही प्रतिकूल प्रभाव पड़ा रहने योग्य भूमि की कमी दूर करने के
लिए मनुष्य ने समुद्र को पीछे धकेलना शुरू कर दिया तथा पेड़ों को रास्ते से हटाना
शुरू कर दिया। इससे पर्यावरण असंतुलन की स्थिति आ गई, मौसम चक्र अव्यवस्थित हो गया,
गर्मी में बहुत P अधिक गर्मी पड़ने लगी, बेवक्त की बरसातें होने लगीं, जलजले, सैलाब तथा तूफान आकर हाहाकार मचाने लगे तथा
नित्य नई-नई बीमारियाँ धरती पर बढ़ने लगीं। धरती के सहने की भी एक सीमा होती है।
समय कुसमय आनेवाली प्राकृतिक आपदाएँ इनके ही परिणाम हैं। जब सहनशीलता की हद हो गई
तब समुद्र ने गुस्से में भरकर इतना भयानक रूप धारण कर लिया कि मुंबई वाले
त्राहि-त्राहि कर उठे। इस कथन के द्वारा यही संदेश दिया गया है कि मनुष्य प्रकृति
का अनुचित दोहन न करे वरना प्रकृति द्वारा रौद्र रूप में भरकर किया गया बार उससे
झेला नहीं जाएगा। सुनामी, बाढ़ आदि का प्रकोप बढ़ता जायेगा।
11. कविता के आधार पर 'मनुष्यता' के गुणों / लक्षणों की चर्चा विस्तारपूर्वक
कीजिए। [5]
अथवा
कविता के आलोक
में सैनिक के जीवन की चुनौतियों का उल्लेख करते हुए भाव स्पष्ट कीजिए- 'राम भी तुम, तुम्ही लक्ष्मण साथियो ।
उत्तर- 'मनुष्यता' कविता में कवि ने मनुष्यता के अनेक गुणों की
चर्चा की है ताकि समाज में बंधुत्व,
एकता, सौहार्द्र, उदारता और आपसी हेलमेल का भाव कायम रहे सभी एक
पिता परमेश्वर की संतान हैं इसलिए सभी को प्रेम भाव से रहना चाहिए, सहायता करनी चाहिए और एक होकर चलना चाहिए। इससे हमारे बीच ईर्ष्या-द्वेष के
भाव का अंत हो जाएगा। मैत्री भाव से आपस में मिलकर रहने से सभी कार्य सफल होते.
हैं, ऊँच-नीच,
वर्ग भेद नहीं रहता और
समाज का कल्याण होता है। कवि ने मानवता के गुणों को दैदीप्यमान रखने वाले अनेक
ऋषियों और मुनियों की चर्चा, कविता में करी है। मनुष्यता का सबसे बड़ा गुण यही है कि
हमें सबकी भलाई करते हुए, सबको साथ लेकर चलते हुए ही अपना कल्याण करना
चाहिए। समाज का सही मायने में विकास और लाभ तभी संभव है जब सबका विकास हो तथा
निरभिमान और विश्वबंधुत्व का भाव भी रखना चाहिए।
अथवा
सैनिकों का जीवन
रोमांच से भरा हुआ परंतु बड़ा ही कष्टमय होता है। कवि सैनिकों से कहता है उन्हें
सीमा पर अपने खून से लक्ष्मण रेखा खींच देनी चाहिए ताकि उसे लाँघकर कोई रावण रूपी
आतताई अंदर नहीं आ सके आजादी की रक्षा करनी चाहिए तथा रावण जैसे दुश्मनों के लिए
सीमा निर्धारित करनी चाहिए। यदि कोई हाथ हम पर उठने लगे तो उस हाथ को फौरन तोड़ देना चाहिए।
यहाँ पर मातृभूमि की तुलना सीता से की गई है जिनका दामन छूने का कोई साहस न कर
सके। सैनिक यह भी प्रेरणा देता है कि हम ही में राम भी हैं और लक्ष्मण भी अर्थात्
हम हर तरह से अपनी मातृभूमि की रक्षा करने में सक्षम हैं। यहीं वीर और रौद्र का
मिला जुला रूप मिलता है। राम लक्ष्मण जैसा शौर्य एवं संकल्प धारण करके न्याय एवं
मर्यादा की स्थापना करनी चाहिए।
12. "स्कूल हमारे लिए ऐसी जगह न थी जहाँ खुशी से
भागे जाए" फिर भी लेखक और साथी स्कूल क्यों जाते थे ? आज के स्कूलों के बारे में आपकी क्या राय है? क्यों ? विस्तार से समझाइए । [5]
अथवा
हरिहर काका के
विरोध में महंत और पुजारी ही नहीं उनके भाई भी थे। इसका कारण क्या था? हरिहर काका उनकी राय क्यों नहीं मानना चाहते थे। विस्तार से समझाइए ।
उत्तर - लेखक को
स्कूल जाना बिलकुल भी अच्छा नहीं लगता था । लेकिन जब पी. टी. साहब उन्हें परेड में
शाबाशी देते तो उन्हें बहुत अच्छा लगता था। स्काउट की परेड में जब उन्हें धुले हुए
साफ कपड़े और गले में दोरंगी रूमाल के साथ परेड करने को मिलता तो भी उन्हें मजा
आता था। परेड के दौरान उनके बूटों की ठक-ठक उनके कानों में मधुर संगीत की तरह लगती
थी। साथ ही स्कूल के रास्ते पर खड़े अलियार की झाड़ियों से सौंधी महक भी उन्हें
अच्छी लगती थी। इन सब कारणों से लेखक और उनके साथी स्कूल जाते थे। आज के स्कूल
प्राचीन काल के स्कूल से भिन्न हैं। यहाँ शारीरिक दंड देना वर्जित है। बच्चों के
आकर्षण के अनेक साधन स्कूलों में उपलब्ध हैं कक्षाओं और पाठ्यक्रम की व्यवस्था बाल
मनोविज्ञान के अनुसार करी गयी है। इन सबके लिए सबसे बड़ा कारण बच्चों को स्कूल के
प्रति लगाव को बढ़ावा देना है।
अथवा
हरिहर काका के
विरोध में उनके भाइयों के साथ ठाकुरबाड़ी का महंत और पुजारी भी था। इन लोगों के
विरोध का सबसे बड़ा कारण उनकी जायदाद थी। उनके सब भाई चाहते थे हरिहर काका समस्त
जायदाद उनके नाम लिख दें और महंत चाहते थे कि हरिहर काका समस्त जायदाद मठ के नाम
कर दें। हरिहर काका की जमीन का लालच सभी को था। ये लोग समस्त नैतिक मूल्यों को
ठुकराकर सभी प्रकार की मर्यादाओं को तार-तार कर धन और जमीन की लिप्सा से ग्रसित
होकर हरिहर काका के साथ अमानवीय व्यवहार कर रहे थे। हरिहर काका को अनुमान हो चुका
था कि वे यदि इन लोगों की बात मानकर अपनी संपत्ति इन लोगों के नाम कर देते हैं तो
इन्हें दूध की मक्खी की तरह निकाल फेकेंगे। उनके लिए भरपेट भोजन मिलना मुश्किल हो
जाएगा। इसलिए वे उनकी राय नहीं मान रहे थे। उन्हें गाँव के ऐसे लोगों की दुर्दशा
का ज्ञान था जिन्होंने अपनी जमीन सगे सम्बन्धियों को लिख दी थी। जीवन ही उनके जीवन
का सहारा था।
14. एक चौराहे पर स्कूल जाने की उम्र की किसी लड़की
को भीख माँगता देखकर आपके मन में क्या भाव उठे ? अपनी बड़ी बहन को पत्र
लिखकर बताइए। [5]
अथवा
'स्वच्छ भारत-स्वस्थ भारत' अभियान का आपके आस-पड़ोस में क्या प्रभाव दिखाई देता है? उसकी अच्छाइयों और सीमाओं की चर्चा करते हुए किसी समाचार पत्र के संपादक को
पत्र लिखिए ।
अ. ब. स. नगर,
अ. ब. स. क्षेत्र,
दिनांक- 19 नवम्बर, 20XX
आदरणीय बड़ी बहन,
सादर प्रणाम।
मैं कुशल हूँ, विश्वास है कि आप भी परिवार के सभी सदस्यों के साथ स्वस्थ होंगी।
दीदी, आज इस पत्र के द्वारा मैं अपने मन की बात को आपके साथ बाँटना चाहता हूँ। आज
सुबह जब मैं अपने विद्यालय जा रहा था तो चौराहे पर एक हम उम्र बालिका को भीख
माँगता देख मेरा मन काँप उठा। मैं सोचने को विवश हो गया कि आज भी भारत में इतनी
गरीबी है कि लोग अपने बच्चों से पढ़ने की आयु में भीख मंगवाकर अपना पेट भरने का
काम कराते हैं।
मैंने माता जी से
इस संदर्भ में विस्तार से बात करी है तथा उन्होंने आश्वासन दिया है कि वे उस लड़की
के लिए शिक्षा की व्यवस्था में उसके माता-पिता का सहयोग करेंगी। अब जाकर मेरे मन को कुछ शांति मिली है।
शेष अगले पत्र
में अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखियेगा। आपका प्यारा भाई,
अ. ब. स.
अथवा
सेवा में
मुख्य संपादक
महोदय,
अ. ब. स.
समाचारपत्र,
अ. ब. स. नगर ।
दिनांक 03 दिसम्बर, 20XX
विषय - 'स्वच्छ भारत-स्वस्थ भारत' अभियान का आस-पड़ोस पर क्या प्रभाव ।
मान्यवर,
इस पत्र के
माध्यम से मैं आपका ध्यान अपने इलाके में 'स्वच्छ भारत-स्वस्थ भारत' अभियान का क्या प्रभाव हुआ है इस विषय पर आकर्षित करना चाहता हूँ। महोदय ! इस
अभियान के कारण हमारे समाज में एक क्रांति-सी आ गई है। कोई भी बच्चा हो या बूढ़ा
सड़क पर या गलियों में कूड़ा-करकट फेंकना नहीं चाहता है। अस्पतालों या रेलवे
प्लेटफॉर्म पर तो गंदगी का नामो-निशान मिट गया है। इन सबका हमारे स्वास्थ्य पर
अनुकूल प्रभाव पड़ा है। अब डॉक्टर के पास जाने की आवश्यकता कम हो गई है। अधिक से
अधिक लोग स्वच्छता के प्रति सावधान और स्वस्थ रह रहे हैं। इसकी सबसे अच्छी बात है
कि इससे समाज में आने वाली बीमारियों से राहत मिलेगी तथा एक स्वस्थ और स्वच्छ भारत
का निर्माण होगा।
आपसे अनुरोध है
कि समाज के हित को ध्यान में रखते हुए इस अभियान के विज्ञापन को अपने लोकप्रिय
समाचार पत्र के मुखपृष्ठ पर जगह देकर लोगों को इसके प्रति आकृष्ट करने की कृपा करें।
इसके लिए हम सब
आपके आभारी रहेंगे।
धन्यवाद ।
भवदीय,
अ. ब. स.
अ. ब. स. मोहल्ला,
अ. ब. स. नगर ।
If you have any doubts, Please let me know