नौबतखाने में इबादत ( कक्षा- दसवीं )

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नौबतखाने में इबादत {कक्षा- दसवीं}


(शब्दार्थ और कठिन पंक्तियों का सरल अर्थ )








शब्दार्थ:-


पंचगंगा घाट स्थित बालाजी मंदिर  की ड्योढ़ी

ड्योढ़ी= दहलीज


गोया, इतना जरूर है कि

गोया= फिर भी


रोजनामचे में बालाजी  का मंदिर सबसे ऊपर आता है।

रोजनामचे= दैनिक जमा खर्च का खाता


कभी दादरा के मार्फत ड्योढ़ी तक पहुँँचते रहते है।

मार्फत= द्वार 


एक प्रकार से उनकी अबोध उम्र में अनुभव की स्लेट पर संगीत प्रेरणा की वर्णमाला रसूलनबाई  बतुलनबाई ने उकेरी है।

उकेरी= लिखी है


वैदिक इतिहास में शहनाई का कोई उल्लेख नहीं मिलता।
वैदिक= बहुमान्य (जिसे अधिकतर लोग माने)


सच्चे सुर की नेमत
नेमत= वरदान


सुर में वह तासीर पैदा कर कि आंखों से सच्चे मोती की तरह अनगढ़ आँसू निकल आएँ।

तासीर= गुण
अनगढ़= लगातार


अपनी ऊहापोह से बचने के लिए हम स्वयं किसी की शरण किसी की शरण...
ऊहापोह= उलझन


जिसकी गमक उसी में समाई है
गमक=  खुशबू


नौहा बजाते जाते है।
नौहा=  विलाप गीत

उनके परिवार के लोगों की शहादत में नम रहती हैं। अज़ादारी होती है।
शहादत=बलिदान
अज़ादारी=शोक मनाना


खाँ साहब की अनुभवी आँखें और जल्दी ही खिस्स से हँस देने की ईश्वरीय कृपा आज भी बदस्तूर कायम है।
खिस्स= शर्म
बदस्तूर=ज्यों की त्यों


तब फिर उसी नैसर्गिक आनंद में आँखें चमक उठती हैं।
नैसर्गिक=प्राकृतिक


यह एक अलग काशी है जिसकी अलग तहज़ीब है।
तहज़ीब= तौर-तरीका, संस्कृति


फूँक में अजान तासीर उतरती चली आई।
तासीर= प्रभाव

यह फटी तहमद न पहना करें।
तहमद=लुंगी


एकाधिकार से सीखने की जिजीविषा को अपने भीतर जिंदा रखा।
जिजीविषा=जीने की इच्छा









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