क्रिया की परिभाषा, भेद एवं उदहारण
परिभाषा
जिस शब्द से किसी काम को करना या होना प्रकट हो, उसे क्रिया कहते हैं। जैसे-खाना, पीना, सोना, रोना, जागना, लिखना, इत्यादि।
संज्ञा, सर्वनाम और विशेषण की तरह ही क्रिया भी विकारी शब्द है। इसके रूप लिंग, वचन और पुरुष के अनुसार बदलते रहते हैं।
Dhatu in Hindi Grammar - धातुः
जिस मूल शब्द से क्रिया का निर्माण होता है, उसे धातु कहते हैं। धातु में 'ना' जोड़कर किया बनायी जाती हैं।
जैसे-
खा + ना = खाना
पढ़ + ना = पढ़ना
जा + ना = जाना
लिख + ना = लिखना।
शब्द-निर्माण के विचार से भी दो प्रकार की होती हैं-
(1) मूल धातु और
(2) यौगिक धातु ।
मूल धातु स्वतंत्र होती है तथा किसी अन्य शब्द पर आश्रित नहीं होती। जैसे-खा, पढ़, लिख, जा, इत्यादि।
यौगिक धातु किसी प्रत्यय के संयोग से बनती है। जैसे-पढ़ना से पढ़ा, लिखना से लिखा, खाना से खिलायी जाती, इत्यादि।
क्रिया के भेद (Kriya ke Bhed in Hinid Vyakaran)
कर्म, जाति तथा रचना के आधार पर क्रिया के दो भेद हैं।
(1) अकर्मक क्रिया (Salkarnak kriya) तथा
(2) सकर्मक क्रिया (Alkarnak kriya)
(1) अकर्मक क्रिया (Akarmak Kriya)-
जिस क्रिया के कार्य का फल कर्ता पर ही पड़े, उसे अकर्मक क्रिया (Akarmak Kriya) कहते हैं।
अकर्मक क्रिया का कोई कर्म (कारक) नहीं होता, इसलिए इसे अकर्मक कहा जाता है।
जैसे:-
श्याम रोता है।
वह हँसता है।
इन दोनों वाक्यों में 'रोना' और 'हँसना' अकर्मक क्रिया हैं, क्योंकि यहाँ इनका न तो कोई कर्म है और न ही उसकी संभावना है। 'रोना और हँसना' क्रियाओं का फल कर्ता पर (ऊपर के उदाहरणों में श्याम' और 'वह' ) पर हीं पड़ता है।
(2) सकर्मक क्रिया (Sakarmak Kriya)-
जिस क्रिया के कार्य का फल कर्ता पर न पड़कर किसी दूसरी जगह पड़ता हो, तो उसे सकर्मक क्रिया (Sakarrak Kriya) कहते है।
सकर्मक क्रिया के साथ कर्म (कारक) रहता है या उसके साथ रहने की संभावना रहती है। इसीलिए इसे 'सकर्मक क्रिया कहा जाता है।
सकर्मक अर्थात् कर्म के साथ ।
जैसे-
राम खाना खाता है ।
इस वाक्य में खाने वाला राम है, लेकिन उसकी क्रिया 'खाना' (खाता है) का फल ‘खाना' (भोजन) पर पड़ता है।
Sakarmak Kriya ke Bhed:
सकर्मक क्रिया के भेद-सकर्मक क्रिया के भी दो भेद हैं.
(1) एककर्मक तथा
(2) द्विकर्मक
(1) एककर्मक-
जिस क्रिया का एक ही कर्म (कारक) हो, उसे एककर्मक सकर्मक क्रिया कहते हैं ।
जैसे-वह रोटी खाता है |
इस वाक्य में ‘खाना" क्रिया का एक ही कर्म 'रोटीं है ।
(2) द्विकर्मक-
जिस क्रिया के साथ दो कर्म हों तथा पहला कर्म प्राणिवाचक हो और दूसरा कर्म निर्जीव हो अर्थात् प्राणिवाचक न हो। ऐसे वाक्य में प्राणिवाचक कर्म गौण होता है, जबकि निर्जीव कर्म ही मुख्य कर्म होता है।
जैसे-नर्स रोगी को दवा पिलाती है। इस वाक्य में 'रोगी” पहला तथा
प्राणिवाचक कर्म है और दवा दूसरा निर्जीव कर्म है ।
संरचना (बनावट के आधार पर क्रिया के भेद):
संरचना के आधार पर क्रिया के चार भेद हैं-
(1) प्रेरणार्थक क्रिया,
(2) संयुक्त क्रिया,
(3) नामधातु क्रिया तथा
(4) कृदंत क्रिया।
(1) प्रेरणार्थक क्रिया- (Prernarthak Kriya)
जिस क्रिया से इस बात का ज्ञान हो कि कर्ता स्वयं कार्य न कर किसी अन्य को उसे करने के लिए प्रेरित करता है, उसे प्रेरणार्थक क्रिया कहते हैं।
जैसे-बोलना- बोलवाना, पढ़ना- पढ़वाना, खाना- खिलवाना, इत्यादि।
प्रेरणार्थक क्रियाओं के बनाने की निम्नलिखित विधियाँ हैं-
(a) मूल द्वि-अक्षरी धातुओं में 'आना' तथा 'वाना' जोड़ने से प्रेरणार्थक क्रियाएँ बनती हैं।
जैसे-पढ़ (पढ़ना) - पढ़ाना - पढ़वाना
चल (चलना) - चलाना - चलवाना, आदि ।
(b) द्वि-अक्षरी धातुओं में 'ऐ' या 'ओं को छोड़कर दीर्घ स्वर हुस्व हो जाता है।
जैसे - जीत (जीतना) - जिताना - जितवाना
लेट (लेटना) - लिटाना - लिटवाना, आदि ।
(c) तीन अक्षर वाली धातुओं में भी 'आना' और 'वाना' जोड़कर प्रेरणार्थक क्रियाएँ बनायी जाती हैं । लेकिन ऐसी धातुओं से बनी प्रेरणार्थक क्रियाओं के दूसरे 'अ' अनुच्चरित रहते है ।
जैसे-समझ (समझना) - समझाना - समझवाना
बदल (बदलना) - बदलाना - बदलवाना, आदि ।
(2) संयुक्त क्रिया (Sanyukat Kriya)
दो या दो से अधिक धातुओं के संयोग से बननेवाली क्रिया को संयुक्त क्रिया कहते हैं।
जैसे-चल देना, हँस देना, रो पड़ना, झुक जाना, इत्यादि ।।
(3) नामधातु क्रिया-(Nam Dhatu Kriya)
संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण इत्यादि से बननेवाली क्रिया को नामधातु क्रिया कहते हैं।
जैसे-हाथ से हथियाना, बात से बतियाना, दुखना से दुखाना, चिकना से चिकनाना, लाठी से लठियाना, लात से लतियाना, पानी से पनियाना, बिलग से बिलगाना, इत्यादि ।
(4) कृदंत क्रिया-(Kridant Kriya)
कृत्-प्रत्ययों के संयोग से बनने वाले क्रिया को कृदंत क्रिया कहते हैं,
जैसे - चलता, दौड़ता, भागता, हँसता.
जैसे - चलता, दौड़ता, भागता, हँसता.
प्रयोग के आधार पर क्रिया के अन्य रूप
(1) सहायक क्रिया (Sahayak Kriya)
(2) पूर्वकालिक क्रिया (Purvkalik Kriya)
(3) सजातीय क्रिया (Sajatiya Kriya)
(4) विधि क्रिया (Vidhi Kriya)
(1) सहायक क्रिया-(Sahayak Kriya)
मुख्य क्रिया की सहायता करनेवाली क्रिया को सहायक क्रिया कहते हैं।
जैसे- उसने बाघ को मार डाला ।।
सहायक क्रिया मुख्य क्रिया के अर्थ को स्पष्ट और पूरा करने में सहायक होती है। कभी एक और कभी एक से अधिक क्रियाएँ सहायक बनकर आती हैं। इनमें हेर-फेर से क्रिया का काल परिवर्तित हो जाता है।
जैसे- वह आता है।
तुम गये थे।
तुम सोये हुए थे।
हम देख रहे थे।
इनमे आना, जाना, सोना, और देखना मुख्य क्रिया हैं क्योंकि इन वाक्यों में क्रियाओं के अर्थ प्रधान हैं।
शेष क्रिया में है, थे, हुए थे, रहे थे- सहायक हैं। ये मुख्य क्रिया के अर्थ को स्पष्ट और पूरा करती हैं।
(2) पूर्वकालिक क्रिया-(Purvkalik Kriya)
जब कर्ता एक क्रिया को समाप्त करके तत्काल किसी दूसरी क्रिया को आरंभ करता है, तब पहली क्रिया को पूर्वकालिक क्रिया कहते हैं।
जैसे- वह गाकर सो गया।
मैं खाकर खेलने लगा।
(3) सजातीय क्रिया-(Sajatiya Kriya)
कुछ अकर्मक और सकर्मक क्रियाओं के साथ उनके धातु की बनी हुई भाववाचक संज्ञा के प्रयोग को सजातीय क्रिया कहते हैं ।
जैसे-अच्छा खेल खेल रहे हो । वह मन से पढ़ाई पढ़ता है । वह अचठी लिखाई लिख रहा है।
(4) विधि क्रिया-(Vidhi Kriya)
जिस क्रिया से किसी प्रकार की आज्ञा का ज्ञान हो, उसे विधि क्रिया कहते हैं।
जैसे-घर जाओ। ठहर जा।
Hi sir 😊
ReplyDeleteThanks for all these concepts but i have a suggestion that you should add question papers for test for each concept seperately, this will help us a lot😉
Thanks again sir💗
:))
This was so helpful!! Thank u Aashish sir ❤
ReplyDeleteMast
ReplyDeleteMast
ReplyDeleteTHANKYOU AASHISH SIR FOR THIS AMAZING BLOG
ReplyDeleteHINDI PAPER IS NEAR
TENSION IS THERE.....
NO NEED TO FEAR
WHEN HINDI ADHYAPAK IS HERE.....
THANK YOU !!!
Sir where can I get a model test paper
ReplyDeletehttps://sqp.nodia.uk/Hindi%20A.pdf
Delete'मैं बाजार जा रहा हूं' मे कर्म कौन सा है? और कैसे??
ReplyDelete'मैं बाजार जा रहा हूं' को कर्मवाच्य और भाव वाच्य में बदले । ( चुंकि भाववाच्य में हमेशा ही अकर्मक क्रिया होती है । तब यह कैसे बनेगा । )
ReplyDelete🔥🔥🔥Doubt! Doubt! Doubt!🔥🔥🔥
ReplyDelete“वह घर को चल दिया|”-
वाक्य में-
'क्या चल दिया?' का उत्तर नहीं मिल रहा है,
परंतु, “किसको चल दिया?” का उत्तर मिल रहा है- 'घर को चल दिया'।
💧💧💧तो क्या यह एक-कर्मक सकर्मक क्रिया है?💧💧💧
किसको चल दिया का ans घर को कैसे होगा
DeleteVery useful
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