Lakhnavi Andaaz Class 10 Important Questions | Class 10 Lakhnavi Andaaz Important Question Answer
लखनवी अंदाज़ (अति महत्त्वपूर्ण प्रश्न)
प्रश्न 1,
नवाब साहब द्वारा खीरा खाने के तरीके से क्या उदरपूर्ति संभव है? यदि नहीं, तो इस तरीके को अपनाने में व्यक्ति को किस प्रवृत्ति का आभास होता है? 2016
उत्तर:
नवाब साहब द्वारा खीरा खाने के तरीके से उदरपूर्ति संभव नहीं है। नवाब साहब द्वारा खीरे को मानसिक या मनोवैज्ञानिक स्तर पर सेवन किया गया, शारीरिक या भौतिक स्तर पर नहीं । उदरपूर्ति तब तक संभव नहीं है, जब तक भौतिक खाद्य पदार्थ का यथार्थ में सेवन न किया जाए और वह व्यक्ति के उदर में न पहुँचे। नवाब साहब वास्तव में यह दिखलाना चाहते थे कि वे इतने बड़े खानदानी रईस हैं कि खीरे जैसी तुच्छ खाद्य-वस्तु उनके उदर में जाने लायक नहीं है। वे तो केवल उसका सुगंध ही लेना चाहते हैं। वे अपनी रईसी का झूठा प्रदर्शन करके यह जताना चाहते थे कि उनका पेट तो केवल सुगंध मात्र से ही भर जाता है। उन्होंने तो लेखक के सामने डकार लेकर इस बात का प्रमाण देने की भी कोशिश की। इन सबसे उनके अहंकारी स्वभाव तथा प्रदर्शन या दिखावापन की भावना का पता चलता है।
प्रश्न 2.
नवाब साहब द्वारा सेकंड क्लास में यात्रा करने के क्या-क्या कारण हो सकते हैं? अपने अनुमान से लिखिए।
उत्तर:
नवाब साहब द्वारा सेकण्ड क्लास में यात्रा करने के कुछ प्रमुख कारण निम्नलिखित हो सकते हैं:-
(i) संभवतः नवाब साहब अब केवल कहने एवं दिखाने के लिए नवाब हों। यथार्थ में उनकी आर्थिक स्थिति वास्तविक नवाबों जैसी न रही हो। आर्थिक स्थिति अनुकूल नहीं रहने के बावजूद अपनी झूठी शान में या दिखावा करने के लिए उन्हें सेकण्ड क्लास में यात्रा करनी पड़ रही हो।
(ii) संभवतः वे भीड़ से राहत पाने के लिए सच में मानसिक शांति एवं एकांत चाहते हों। चूंकि फर्स्ट क्लास अधिक महंगा पड़ता होगा, इसलिए वे सेकण्ड क्लास में यात्रा कर रहे हों।
(iii) लोगों की भीड़ से बचना और अधिक महंगा टिकट न खरीद पाना-इन दोनों के बीच का मार्ग है, सेकण्ड क्लास में यात्रा करना। संभवतः यही कारण रहा हो।
प्रश्न 3.
‘लखनवी अंदाज' पाठ में नवाब साहब की एक सनक का वर्णन किया गया है। क्या सनक का कोई सकारात्मक रूप हो सकता है? यदि हाँ तो ऐसी सनकों का वर्णन कीजिए। 2014
उत्तर:
'लखनवी अंदाज' पाठ में खीरे के संबंध में नवाब साहब के व्यवहार को उनकी सनक कहा जा सकता है। सनक का सकारात्मक रुप भी हो सकता है। सनक को पूर्ण आत्मविश्वास के साथ किसी काम को करने की लगन या धुन के साथ जोड़ा जा सकता है। इतिहास में ऐसी सनकों के अनगिनत उदाहरण मिलते हैं, जैसे- स्वामी विवेकानंद को ज्ञान प्राप्त करने की सनक, महात्मा बुद्ध को जीवन का सत्य खोजने की सनक, चाणक्य को नंद वंश का समूल विनाश करने की सनक, भगतसिंह को देश पर मर-मिटने की सनक, महात्मा गाँधी को देश आज़ाद कराने की सनक आदि ये ऐसे उदाहरण हैं जो उनके सकारात्मक पक्ष को पुष्ट करते हैं।
प्रश्न 4.
नवाब साहब ने गर्व से गुलाबी आँखों द्वारा लेखक की तरफ क्यों देखा? 2012
उत्तर:
नवाब साहब ने खीरे की फांकों पर नमक-मिर्च छिड़का, सूँघा और फिर एक-एक कर सभी फांकों को खिड़की से बाहर फेंक दिया। इसके पश्चात् गर्व से गुलाबी आँखों द्वारा लेखक की तरफ़ देखा। वह अपनी इस प्रक्रिया के द्वारा लेखक को अपना खानदानी रईसीपन दर्शाना चाहते थे। वे यह भी बताना चाहते थे कि नवाब लोग खीरे जैसी साधारण वस्तु को इसी तरह से खाते हैं। जबकि इन सबके मूल में उनका दिखावे से परिपूर्ण व्यवहार ही सामने आया।
प्रश्न 5.
नवाब साहब का कैसा भाव-परिवर्तन लेखक को अच्छा नहीं लगा और क्यों? ‘लखनवी अंदाज़' पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तर:
लेखक जब सेंकड क्लास के डिब्बे में चढ़े, तो उन्होंने एक बर्थ पर नवाबी अंदाज़ में एक सफेदपोश सज्जन को पालथी मारे बैठे देखा। उनके आगे दो चिकने खीरे रखे हुए थे। लेखक का सहसा डिब्बे में प्रवेश कर जाना नवाब साहब को अच्छा नहीं लगा। उन्होंने लेखक के प्रति कोई रुचि नहीं दिखाई। लेखक ने भी उनका परिचय प्राप्त करने का प्रयास नहीं किया। क्योंकि उन्हें यह लगा कि नवाब साहब शायद अकेले ही सफर करना चाहते थे और न ही यह चाहते थे कि कोई उन्हें सेंकड क्लास में सफर करते देखे। ऐसी स्थिति में उन्हें खीरा खाने में भी संकोच का अनुभव हो रहा होगा। अचानक नवाब साहब ने लेखक को खीरे का शौक फरमाने को कहा। लेखक को नवाब साहब का यह सहसा भाव परिवर्तन अच्छा नहीं लगा क्योंकि वे शायद अपना नवाबी सभ्य व्यवहार दर्शाना चाहते थे। जबकि वास्तविकता में उनका यह व्यवहार नवाबी संस्कृति का दिखावटीपन ओढ़े हुए था।
प्रश्न 6.
‘लखनवी अंदाज' पाठ में नवाब साहब के माध्यम से नवाबी परंपरा पर व्यंग्य है। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
‘लखनवी अंदाज' पाठ में लेखक ने नवाब साहब के माध्यम से नवाबी परंपरा की झूठी आन-बान पर व्यंग्य किया है जो वास्तविकता से बेखबर एक बनावटी जीवन शैली के आदी है। आज के समय में भी नवाब साहब के रूप में ऐसी परजीवी संस्कृति को देखा जा सकता है। नवाब साहब का खीरे को मात्र सूंघकर पेट भर जाना, उसे बिना खाए खिड़की से फेंक देना- उनकी बनावटी रईसी को दर्शाता है। उनका सेकंड क्लास में यात्रा करना इस बात को प्रमाणित करता है कि नवाब साहब की नवाबी ठसक तो नहीं रही, परंतु फिर भी वे अपने हाव-भाव और क्रिया-कलापों से झूठी शान दिखाते हैं, जिसका कोई महत्त्व नहीं है।
प्रश्न 7.
नवाब साहब द्वारा खीरे की तैयारी करने का शब्द चित्र प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
नवाब साहब बर्थ पर बहुत ही सुविधा से पालथी मार कर बैठे थे। उनके सामने दो ताजे-चिकने खीरे तौलिए पर रखे थे। उन्होंने खीरों के नीचे रखे तौलिये को झाड़कर सामने बिछाया। सीट के नीचे से लोटा उठाकर दोनों खीरों को खिड़की से बाहर धोया और तौलिए से पोंछ लिया। जेब से चाकू निकाला। दोनों खीरों के सिर काटे और उन्हें गोदकर झाग निकाला। फिर खीरों को बहुत एहतियात से छीलकर फाँकों को करीने से तौलिए पर सजाते गए। इसके पश्चात् नवाब साहब ने बहुत ही करीने से खीरे की फाँकों पर जीरा मिला नमक और लाल मिर्च की सुर्खी बुरक दी। इस प्रक्रिया में उनका मुख खीरे के रसास्वादन की कल्पना से प्लावित हो रहा था।
प्रश्न 8.
'लखनवी अंदाज़' पाठ के नवाब साहब के विषय में पढ़कर आपके मन में कैसे व्यक्ति का चित्र उभरता है?
उत्तर:
‘लखनवी अंदाज़' पाठ के नवाब साहब के विषय में पढ़कर एक ऐसे व्यक्ति का चित्र उभरकर सामने आता है जो पतनशील सामंतीवर्ग का प्रतिनिधि है। वास्तविकता से बेख़बर, बनावटी जीवन जीने का आदी है। नफासत, नज़ाकत और प्रदर्शन-प्रिय है। नवाब साहब वास्तव में पतनशील सांमती वर्ग के जीते-जागते उदाहरण हैं। नवाब साहब खीरा खाने के लिए यत्नपूर्वक तैयारी करते हैं। खीरा काटकर उस पर नमक मिर्च लगाते हैं, किंतु बिना खाए ही केवल सूंघकर रसास्वादन कर खिड़की से बाहर फेंक देते है। वास्तव में इसके द्वारा वे अपनी नवाबी रईसी का गर्व अनुभव करते हैं और साथ ही इसका प्रदर्शन भी करते हैं। नवाब साहब का व्यक्तित्व एक ऐसे व्यक्ति का व्यक्तित्व है जो बनावटी जीवन शैली का अभ्यस्त है।
प्रश्न 9.
‘लखनवी अंदाज़' पाठ के लेखक को नवाब साहब में खानदानी तहज़ीब, नफासत और नज़ाकत के क्या सबूत दिखाई दिए? पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए।
उत्तर:
नवाब सदा से एक विशेष प्रकार की नफासत, नज़ाकत और खानदानी तहज़ीब के लिए प्रसिद्ध हैं। ‘लखनवी अंदाज' पाठ में भी नवाब साहब की खानदानी तहज़ीब, नफासत और नज़ाकत का उदाहरण मिलता है। नवाब साहब की खानदानी तहज़ीब उस समय नज़र आती है जब वह बहुत ही अदब के साथ लेखक को संबोधित करते हुए कहते हैं- ‘आदाब-अर्ज़, जनाब, खीरे का शौक फ़रमाएँगे।' यहाँ उनकी विनम्रतापूर्वक आग्रह की प्रवृत्ति भी नज़र आती है। नवाब साहब खीरा खाने के लिए बहुत की यत्नपूर्वक तैयारी करते हैं। खीरों को धोना, पोंछना, एहतियात से छीलकर फाँकें करीने से तौलिए पर सजाना- उनकी नफ़ासत का बेहतरीन उदाहरण है। खीरों को बिना खाए सूंघकर रसास्वादन कर खिड़की से बाहर फेंकना और फिर लेट जाना- इस प्रक्रिया में उनकी नवाबी नज़ाकत दिखाई देती है।
प्रश्न 10.
'लखनवी अंदाज़' पाठ में नवाब साहब के क्रियाकलाप से हमें उनकी जिस जीवन-शैली का परिचय प्राप्त होता है, क्या आज की बदलती परिस्थितियों में उसका निर्वाह सम्भव है? तर्कसहित उत्तर दीजिए।
उत्तर:
‘लखनवी अंदाज़' पाठ में नवाब साहब के क्रियाकलापों से हमें उनकी वास्तविकता से बेखबर बनावटी जीवन-शैली का परिचय प्राप्त होता है। नवाब साहब द्वारा अकेले में खीरा खाने का प्रबंध करना और लेखक के आ जाने पर उन खीरों को सूंघकर खिड़की से बाहर फेंककर अपनी नवाबी रईसी का गर्व अनुभव करना इसी दिखावे का प्रतीक है। आज की बदलती परिस्थितियों में ये दिखावटी और बनावटी जीवन शैली में जीवन का निर्वाह संभव नहीं क्योंकि बनावटी और दिखावटी जीवन प्रगति और प्रेरणा का आधार नहीं हो सकता। ऐसे में जीवन में न आनंद हैं, न वास्तविकता और न ही जीवंतता। सरल सहज गतिशील जीवन ही आज के समय की माँग है। आज के भौतिकतावादी जीवन में रिश्तों में मधुरता बनाए रखने के लिए इस आडंबरयुक्त जीवन शैली से उन्मुक्त होना अत्यंत आवश्यक है।
प्रश्न 11.
‘लखनवी अंदाज़' पाठ में खीरा खाने की तैयारी करने का एक चित्र प्रस्तुत किया गया है। किसी प्रिय खाद्य पदार्थ का रसास्वादन करने के लिए आप जो तैयारी करते हैं, उसका चित्र अपने शब्दों में प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
किसी भी प्रिय खाद्य पदार्थ का रसास्वादन करने से पहले उसे अच्छी तरह से धोया जाता है और साफ़ कपड़े से पोंछा जाता है। साफ-सुथरी प्लेट में काटकर उसकी फाँकें रखते हैं तथा आवश्यकतानुसार उस पर नींबू निचोड़कर काला नमक लगाते हैं। नमकीन रायता, नारियल व पुदीने की चटनी को अलग-अलग कटोरी में रखते हैं। अनार के दाने, सफेद चने व अदरक खाद्य पदार्थ को सजाते हैं। उसके पश्चात् उसके स्वाद का आनंद लेते हैं।
प्रश्न 12.
‘लखनवी अंदाज़' पाठ के नवाब साहब ने अकेले सफर काटने के लिए खीरा ख़रीदा था। आप अकेले सफ़र का वक्त कैसे काटते हैं?
उत्तर:
‘लखनवी अंदाज' के पाठ के नवाब साहब ने अकेले सफ़र काटने के लिए खीरा ख़रीदा था। मैं अकेले सफ़र काटने के लिए खाद्य पदार्थ अपने घर से लेकर आता हूँ और भूख लगने पर उनका सेवन करता हूँ। इसके अतिरिक्त किसी प्रिय लेखक की पुस्तक पढ़ता हूँ तथा मनपंसद संगीत भी सुनता हूँ। मोबाइल या लेपटॉप पर अपनी मनपसंद फ़िल्म भी देखता हूँ।
sir aapko blogspot dommin m approvel kaise mil gaya
ReplyDeletehaat se
Deletetraffic hoga isliye
Deleteप्रश्न 9. 'लखनवी अंदाज़' पाठ को पढ़कर किस रस का अनुभव होता है?
ReplyDeletePta nhi
DeleteI think hasya ras ka
DeleteKyuki navab sahab ke dwara kiya gya ek ek kam ko padh ke hasi aati hai kaise vichitra the
Sir bhavarth bhi digiye please sir
ReplyDeleteHii sir
ReplyDeleteHiiii beta
DeleteThanks sir purso mera BOARD exam hai
ReplyDeleteMera bhi
DeleteThanks sir
ReplyDeleteWelcome
DeleteJai hind
ReplyDeletethanks man....I've got to tell you that these questions are amazing...thanks for proving this amazing content
ReplyDeleteWelcome😂
DeleteThanks 🙏🙏🙏 sir
ReplyDeleteashish sir op
ReplyDeleteChai pilo
Deleteपाठ में konse rash ka use hua hai uska answer hai ❓ ❓ ❓ ❓
ReplyDeleteKissi ko pata hai to 21 Feb se comment kro ⏩
Apne syllabus me nhi h
Deleteहेल्लो बच्चो
ReplyDeleteआप सभी के स्पोर्ट और प्रेम से हम यह तक पहुंचे है इसके लिए बहुत बहुत शुक्रिया 🙏🙏
आने वाली सीबीएसई हिंदी 21 febury 2024 में होने वाली परीक्षा के लिए आप सभी को ढेर सारी शुभकामनाएं.
अगर आपको किसी भी हिंदी की परीक्षा के सेट का आंसर की जरूरत हो तो ने फिकर मेरे जीमेल आईडी पर पेपर का फोटो भेज देना याद रहे फोटोंको pdf me convert करके अवश्य भेजे और फोटो नेट एंड क्लीन होनी चाहिए चाहिए !!!
धन्यवाद 🙏🙏
Ok
DeleteAllah Hu Akbar
ReplyDeletechuslim spotted
ReplyDeleteKya kavi ke jeevan prichay bhi padhne he??
ReplyDeleteGood quality questions sir
ReplyDeleteThanku sir❤️
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