Class 12 Hindi Important Questions Aroh Chapter 1 आत्म-परिचय, एक गीत | आत्म-परिचय, एक गीत Class 12 Important Extra Questions Hindi Aroh Chapter 1 | आत्मपरिचय, दिन जल्दी जल्दी ढलता है (अति महत्त्वपूर्ण प्रश्न)

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Class 12 Hindi Important Questions Aroh Chapter 1 आत्म-परिचय, एक गीत | आत्म-परिचय, एक गीत Class 12 Important Extra Questions Hindi Aroh Chapter 1 | आत्मपरिचय, दिन जल्दी जल्दी ढलता है (अति महत्त्वपूर्ण प्रश्न)


आत्मपरिचय, दिन जल्दी जल्दी ढलता है (अति महत्त्वपूर्ण प्रश्न)







प्रश्न 1:
'आत्मपरिचय' कविता में कवि हरिवंश राय बच्चन ने अपने व्यक्तित्व के किन पक्षों को उभारा है?

उत्तर -
'आत्मपरिचय' कविता में कवि हरिवंश राय बच्चन ने अपने व्यक्तित्व के निम्नलिखित पक्षों को उभारा है-
1. कवि अपने जीवन में मिली आशा-निराशाओं से संतुष्ट है।
2. वह (कवि) अपनी धुन में मस्त रहने वाला व्यक्ति है।
3. कवि संसार को मिथ्या समझते हुए हानि-लाभ, यश अपयश, सुख दुख को समान समझता है।
4. कवि संतोषी प्रवृत्ति का है। वह वाणी के माध्यम से अपना आक्रोश प्रकट करता है।

प्रश्न 2:
'आत्मपरिचय' कविता पर प्रतिपाद्य लिखिए।

उत्तर -
'आत्मपरिचय' कविता के रचयिता का मानना है कि स्वयं को जानना दुनिया को जानने से ज्यादा कठिन है। समाज से व्यक्ति का नाता खट्टा-मीठा तो होता ही है। संसार से पूरी तरह निरपेक्ष रहना संभव नहीं। दुनिया अपने व्यंग्य बाण तथा शासन-प्रशासन से चाहे जितना कष्ट दे, पर दुनिया से कटकर मनुष्य रह भी नहीं पाता। वह अपना परिचय देते हुए लगातार दुनिया से अपने दुविधात्मक और द्वंद्वात्मक संबंधों का मर्म उद्घाटित करता चलता है। वह पूरी कविता का सार एक पंक्ति में कह देता है कि दुनिया से मेरा संबंध प्रीतिकलह का है, मेरा जीवन विरुद्धों का सामंजस्य है।

प्रश्न 3:
'दिन जल्दी-जल्दी ढलता है।' कविता का उद्देश्य बताइए।

उत्तर -
यह गीत प्रसिद्ध कवि हरिवंश राय बच्चन की कृति 'निशा निमंत्रण' से उद्धरित है। इस गीत में कवि प्रकृति की दैनिक परिवर्तनशीलता के संदर्भ में प्राणी वर्ग के धड़कते हृदय को सुनने की काव्यात्मक कोशिश को व्यक्त करता है। किसी प्रिय आलंबन या विषय से भावी साक्षात्कार का आश्वासन ही हमारे प्रयास के पगों की गति में चंचलता यानी तेजी भर सकता है। इससे हम शिथिलता और फिर जड़ता को प्राप्त होने से बच जाते हैं। यह गीत इस बड़े सत्य के साथ समय के गुजरते जाने के एहसास में लक्ष्य प्राप्ति के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा भी लिए हुए है।

प्रश्न 4:
'आत्मपरिचय' कविता को दृष्टि में रखते हुए कवि के कथ्य को अपने शब्दों में प्रस्तुत कीजिए।

उत्तर -
‘आत्मपरिचय' कविता में कवि कहता है कि यद्यपि वह सांसारिक कठिनाइयों से जूझ रहा है, फिर भी वह इस जीवन से प्यार करता है। वह अपनी आशाओं और निराशाओं से संतुष्ट है। वह संसार से मिले प्रेम व स्नेह की परवाह नहीं करता, क्योंकि संसार उन्हीं लोगों की जयकार करता है जो उसकी इच्छानुसार व्यवहार करते हैं। वह अपनी धुन में रहने वाला व्यक्ति है। कवि संतोषी प्रवृत्ति का है। वह अपनी वाणी के जरिये अपना आक्रोश व्यक्त करता है। उसकी व्यथा शब्दों के माध्यम से प्रकट होती है तो संसार उसे गाना मानता है। वह संसार को अपने गीतों के माध्यम से प्रसन्न करने का प्रयास करता है। कवि सभी को सामंजस्य बनाए रखने के लिए कहता है।

प्रश्न : 5
कौन सा विचार दिन ढलने के बाद लौट रहे पंथी के कदमों को धीमा कर देता हैं? बच्चन के गीत के आधार पर उत्तर दीजिए।

उत्तर -
कवि एकाकी जीवन व्यतीत कर रहा है। शाम के समय उसके मन में विचार उठता है कि उसके आने के इंतजार में व्याकुल होने वाला कोई नहीं है। अतः वह किसके लिए तेजी से घर जाने की कोशिश करे। शाम होते ही रात हो जाएगी और कवि की विरह-व्यथा बढ़ने से उसका हृदय बेचैन हो जाएगा। इस प्रकार के विचार आते ही दिन ढलने के बाद लौट रहे पंथी के कदम धीमे हो जाते हैं।

प्रश्न 6:
यदि मंजिल दूर हो तो लोगों की वहाँ पहुँचने की मानसिकता कैसी होती हैं?

उत्तर -
मंजिल दूर होने पर लोगों में उदासीनता का भाव आ जाता है। कभी-कभी उनके मन में निराशा भी आ जाती है। मंजिल की दूरी के कारण कुछ लोग घबराकर प्रयास करना छोड़ देते हैं। कुछ व्यर्थ के तर्क वितर्क में उलझकर रह जाते हैं। मनुष्य आशा व निराशा के बीच झूलता रहता है।

प्रश्न 7:
कवि को संसार अपूर्ण क्यों लगता है?

उत्तर -
कवि भावनाओं को प्रमुखता देता है। वह सांसारिक बंधनों को नहीं मानता। वह वर्तमान संसार को उसकी शुष्कता एवं नीरसता के कारण नापसंद करता है। वह बार-बार अपनी कल्पना का संसार बनाता है तथा प्रेम में बाधक बनने पर उन्हें मिटा देता है। वह प्रेम को सम्मान देने वाले संसार की रचना करना चाहता है।


प्रश्न 8:
‘दिन जल्दी जल्दी ढलता है' कविता का प्रतिपाद्य स्पष्ट कीजिए।

उत्तर =
‘दिन जल्दी जल्दी ढलता है' कविता प्रेम की महत्ता पर प्रकाश डालती है। प्रेम की तरंग ही मानव के जीवन में उमंग और भावना की हिलोर पैदा करती है। प्रेम के कारण ही मनुष्य को लगता है कि दिन जल्दी-जल्दी बीता जा रहा है। इससे अपने प्रियजनों से मिलने की उमंग से कदमों में तेजी आती है तथा पक्षियों के पंखों में तेजी और गति आ जाती है। यदि जीवन में प्रेम हो तो शिथिलता आ जाती है।


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16Comments

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  1. Sir, please provide in a pdf format so that we can make a print out for this.

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  2. Bhut bhut dhanyvad guru ji, aap bhut hi badiya kam kr rhe h

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  3. Sir mujhe important questions me bahut key words nhi samjh aa rha h

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    1. to beta apne dhang se nhi padha

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  4. Thanks a lot sir

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  5. Realy helpfully

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  6. Sir aap bhot acha samjhate hai..

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  7. Thank you sir ji

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  8. Thanks sir ji apke padhane ka tarika mujhe badhiya lagta hai

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  9. Thankyou sir ji

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  10. Nice question sir

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  11. Thank you sir ji 🙏❤️❤️❤️❤️❤️❤️🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

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