मीरा के पद (पठित पद्यांश)

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मीरा के पद (पठित पद्यांश)






1. निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर दीजिए :

मेरे तो गिरिधर गोपाल दूसरों न कोई
जा के सिर मोर-मुकुट मेरो पति सोई
छोड़ दयी कुल की कानि कहा करि कोई
संतन द्विग बैठि-बेठि लोक-लाज खोयी ।
असुवन जल सच-सच प्रेम-बलि बोयी
अब त केलि कॅलि गायी आणद फल होयी
दूध की मथनियाँ बड़े प्रेम से विलायी
दधि मथि घृत काढि लियों डारि दयी छोयी
भगत देखि राजी हुयी जगत देखि रोयी
दासि मीरा लाल गिरधर तारो अब मोही।।

 प्रश्न
1. मीरा किसको अपना सर्वस्व मानती हैं तथा क्यों?
2. मीरा कृष्ण-प्रेम के विषय में क्या बताती हैं?
3. मीरा के रोने और खुश होने का क्या कारण है?
4. कृष्ण को अपनाने के लिए मीरा ने क्या-क्या खोया?

उत्तर-
1. मीरा कृष्ण को अपना सर्वस्व मानती हैं, क्योंकि उन्होंने कृष्ण बड़े प्रयत्नों से पाया है। वे उन्हें अपना पति मानती हैं।

2. कृष्ण प्रेम के विषय में मीरा बताती है कि उसने अपने आँसुओं से कृष्ण प्रेम रूपी बेल को सींचा अब वह बेल बड़ी हो गई है और उसमें आनंद-फल लगने लगे हैं।

3, मीरा भक्तों को देखकर प्रसन्न होती हैं तथा संसार के अज्ञान व दुर्दशा को देखकर रोती हैं।

4. कृष्ण को अपनाने के लिए मीरा ने अपने परिवार की मर्यादा व समाज की लाज को खोया है।

2. निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर दीजिए :

पग धुंघरू बांधि मीरां नाची,
मैं तो मेरे नारायण सुं, आपहि हो गई साची ।
लोग कहूँ, मीरा भई बावरी, न्यात कहैं कुल-नासी
विस का प्याला राणी भेज्या, पवित मीरा हॉस
मीरा के प्रभु गिरधर नागर सहज मिले अविनासी 

 प्रश्न
1. मीरा कृष्ण-भक्ति में क्या करने लगीं?
2 लोग मीरा को बावरी क्यों कहते हैं?
3. राणा ने मीरा के लिए क्या भेजा तथा क्यों?
4 ‘सहज मिले अविनासी-आशय स्पष्ट करें।

उत्तर-
1. मीरा कृष्ण-भक्ति में अपने पैरों में धुंघरू बाँधकर कृष्ण के सामने नाचने लगीं। वे कृष्णा प्रेम में खो गई।

2. लोग मीरा को बावरी कहते हैं, क्योंकि वे विवाहिता हैं। इसके बावजूद वे कृष्ण को अपना पति मानती हैं। वे लोक-लाज को छोड़ कर मंदिर में कृष्णमूर्ति के सामने नाचने लगीं। तत्कालीन समाज के लिए यह कार्य मर्यादा-विरुद्ध था।

3. राणा ने मीरा के कृष्ण प्रेग को देखते हुए उन्हें मारने के लिए विष का प्याला भेजा। वह अपने परिवार का अपमान नहीं करवाना चाहता था। मीरा ने उस प्याले को पी लिया।

4. इसका अर्थ है कि जो कृष्ण से सच्चा प्रेम करता है, उसे भगवान सहजता से मिल जाते हैं।


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