NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitiz Chapter 6 प्रेमचंद के फटे जूते | प्रेमचंद के फटे जूते (अभ्यास प्रश्न)
प्रेमचंद के फटे जूते (अभ्यास प्रश्न)
प्रश्न 1. हरिशंकर परसाई ने प्रेमचंद का जो शब्द चित्र हमारे सामने प्रस्तुत किया है उससे प्रेमचंद के व्यक्तित्व की कौन-कौन सी विशेषताएँ उभर कर आती हैं?
प्रेमचंद एक सीधे-सादे व ईमानदार व्यक्ति थे। तन पर धोती-कुर्ता और सिर पर मोटे कपड़े की टोपी तथा पैरों में कैनवस के जूते पहनते थे। उन्होंने कभी भी अपनी वेशभूषा की ओर विशेष ध्यान नहीं दिया। फटे जूते होने के कारण उन्हें कोई संकोच एवं लज्जा नहीं थी। उन्होंने अपने जीवन में संघर्ष करते हुए दुखों को झेला, लेकिन अपनी पहचान, अपना अस्तित्व बनाए रखा।
प्रश्न 2. सही कथन के सामने सही का निशान लगाइए:
क) बाएँ पाँव का जूता ठीक है मगर दाहिने जूते में बड़ा छेद हो गया है जिसमें से अँगुली बाहर निकल आई है।
ख) लोग तो इत्र चुपड़कर फोटो खिंचाते हैं जिससे फोटो में खुशबू आ जाए।
ग) तुम्हारी यह व्यंग्य मुसकान मेरे हौसले बढ़ाती है।
घ) जिसे तुम घृणित समझते हो, उसकी तरफ अँगूठे से इशारा करते हो?
उत्तर: (ख) लोग तो इत्र चुपड़कर फोटो खिंचाते हैं जिससे फोटो में खुशबू आ जाए।
प्रश्न 3. नीचे दी गई पंक्तियों में निहित व्यंग को स्पष्ट कीजिए-
क) जूता हमेशा टोपी से कीमती रहा है। अब तो जूते की कीमत और बढ़ गई है और एक जूते पर पचीसों न्योछावर होती है।
यहाँ पर लेखक स्पष्ट करना चाहता है कि टोपी की अपेक्षा जूते महंगे होते हैं। एक आम व्यक्ति के लिए जूता खरीदना बहुत कठिन है। एक जूते के मूल्य से अनेक टोपियाँ खरीदी जा सकती हैं। अतः आम आदमी हमारे सिर पर टोपी तो धारण कर सकता है परंतु पैरों में जूते नहीं। यही कारण है कि प्रेमचंद ने पैरों में फटे जूते पहन रखे थे।
ख) तुम पर्दे का महत्त्व नहीं जानते, हम पर्दे पर कुर्बान हो रहे हैं।
आजकल लोग कमियाँ और बुराइयों को छुपा लेते हैं। इसलिए लोग पर्दे को अधिक महत्त्व देते हैं लेकिन प्रेमचंद बाह्य आडम्बरों में विश्वास नहीं करते थे परंतु आजकल लोग आडंबर प्रिय हैं। वे बाहरी तड़क-भड़क को अधिक महत्त्व देते हैं।
ग) जिसे तुम घृणित समझते हो, उसकी तरफ हाथ की नहीं, पैर की अंगुली से इशारा करते हो।
प्रेमचंद के बारे में लेखक का विचार है कि वह यथार्थवादी हैं। उनको जो कुछ पसंद नहीं था वह उसकी कड़ी आलोचना करते थे। इसलिए उनकी कथनी और करनी में कोई फर्क नहीं था। जिससे वे घृणा करते थे उसकी तरफ हाथ की नहीं, मानो पैर की अंगुली से इशारा कर रहे हो।
प्रश्न 4. पाठ में एक जगह लेखक सोचता है कि फोटो खिंचवाने की अगर यह पोशाक है तो पहनने की कैसी होगी लेकिन अगले ही पल वह विचार बदलता है कि 'नहीं इस आदमी की अलग-अलग पोशाकें नहीं होंगी।' आपके अनुसार इस संदर्भ में प्रेमचंद के बारे में लेखक के विचार बदलने की वजह क्या हो सकती है?
प्रेमचंद के बारे में लेखक का विचार बदलने का कारण यह था कि वे सीधे-सादे व साधारण व्यक्ति थे। वे बाहरी दिखावे में विश्वास नहीं करते थे और न ही वे अपनी वेशभूषा की परवाह करते थे। जो आसानी से मिल जाता था, वह उसे पहन लेते थे। वे जैसे थे वैसे ही दिखना चाहते थे। दूसरा उनके पास भौतिक साधन कम थे। उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन में संघर्षों का सामना किया।
प्रश्न 5. आपने यह व्यंग्य पढ़ा। इसे पढ़कर आपको लेखक की कौन सी बातें आकर्षित करती हैं?
प्रस्तुत व्यंग्य पढ़ने के बाद लेखक की कई बातें हमें आकर्षित करती हैं। लेखक पारखी नजर रखता है। वह प्रेमचंद की फोटो देखकर यह अनुमान लगा लेता है कि ऐसा व्यक्तित्व दिखावे से कोसों दूर है। उसे प्रेमचंद के चेहरे पर लज्जा, संकोच की जगह बेपरवाही और विश्वास दिखाई देता है। वह प्रेमचंद की अधूरी मुस्कान को व्यंग्य कहता है।
प्रश्न 6. पाठ में 'टीले' शब्द का प्रयोग किन संदर्भों को इंगित करने के लिए किया गया होगा?
पाठ में 'टीले' शब्द का प्रयोग जीवन में आने वाले संघर्षों, संकटों, बाधाओं, परेशानियों एवं सामाजिक कुरीतियों के लिए किया गया है। प्रेमचंद कभी भी संघर्षों से बचकर नहीं निकले। उन्होंने टीले अर्थात बाधाओं को ठोकर मारी और आगे बढ़ गए।
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ReplyDeleteGood 😊😊😊😊😊
ReplyDeleteMuch good
ReplyDeleteSir, aap hamari bahut madad kar rahe hai. aise teachers, Students ko free me milna lagbhag asambhav hai, magar aapne asambhav ko sambhav kar diya hai. keep it up sir. Lots of love from Bangalore.
ReplyDeleteThis is helpful for all students
ReplyDeleteThank you 👍
ReplyDeleteThank yo soo much 😊
ReplyDeletehelo
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