Class 9 Hindi Chapter 4 Mati wali Important Questions माटी वाली
प्रश्न 1. 'माटी वाली' कहानी के आधार पर मुख्य पात्र की चरित्रगत विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर-'माटी वाली' कहानी की मुख्य पात्र है-एक बुढ़िया। कहानीकार ने पूरी कहानी में कहीं भी उसका नाम नहीं लिया। मुख्य पात्र होकर भी वह नाम रहित है। उसकी चरित्रगत प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
(i) बाह्य व्यक्तित्व-बुढ़िया मैली-कुचैली छोटे कद की महिला थी जो अति साधारण व्यक्तित्व की स्वामिनी थी। सारे नगर-वासियों को उसकी अच्छी पहचान है क्योंकि वह टिहरी नगर के हर घर में जाती थी। उसका जन्म हरिजन परिवार में हुआ था।
(ii) परिश्रमी-माटी वाली बहुत परिश्रमी औरत थी। वृद्धावस्था में भी वह दिन भर कठोर परिश्रम करती थी। माटाखान से मिट्टी खोदना और सिर पर कनस्तर रख शहर में जगह-जगह जाना उसका कार्य था। उसका गाँव शहर से एक घंटे की दूरी पर था।
(ii) अभावग्रस्त और असहाय-माटी वाली पूर्ण रूप से अभावग्रस्त थी। उस के पास धन के नाम पर कुछ नहीं था। वह जिस झोंपड़ी में रहती थी वह ठाकुर की ज़मीन पर बनी थी। उसके लिए भी उसे बेगार करनी पड़ती थी। अपनी असहायावस्था के कारण ही वह कहती है - "गरीब, आदमी का श्मशान नहीं उजड़ना चाहिए।"
(iv) डरपोक-माटी वाली स्वभाव से डरपोक थी। जब वह ठकुराइन के घर मिट्टी देने के लिए गई तो उसे वहाँ दो रोटियाँ दी गईं और ठकुराइन उसके लिए चाय लेने गई। माटी वाली ने एक रोटी झट से छिपाकर अपने डिल्ले में बाँध ली और झूठ-मूठ ही मुँह हिलाने लगी जैसे वह रोटी को चबा-चबाकर खा रही हो। जब गृहस्वामिनी ने स्वयं उसे रोटी दी तो उसे रोटी छिपाने और डरने की कोई बात नहीं थी।
(v) पति के प्रति लगाव-बुढ़िया का बुड्ढा पति बहुत कमज़ोर था। वह अपनी झोंपड़ी में पड़ा रहता था पर बुढ़िया का मन उसके आस-पास मंडराता रहता था। वह स्वयं रोटी न खा उसके लिए रोटी लाने का प्रयत्न करती थी। उसके प्रति उसके हृदय में अगाध लगाव था। तभी तो वह उसके लिए एक पाव प्याज़ खरीदती है ताकि वह कोरी रोटी न खाए। उसकी बात 'भूख मीठी कि भोजन मीठा?' उसके कानों में गूंजता रहता है। वास्तव में बुढ़िया गरीबी, असहायावस्था और पीड़ा की प्रतीक मात्र है जिसके जीवन में दुःख ही दुःख है।
प्रश्न 2. कहानी के आधार पर बुड्ढे की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर-
(i) बीमार और अशक्त-माटी वाली का पति बहुत अशक्त और बीमार था। वह चलने-फिरने के योग्य नहीं था इसलिए ठाकुर की ज़मीन पर बनी झोंपड़ी में दिन-रात पड़ा रहता था।
(ii) सचेत-बुड्ढा चाहे कमज़ोर और विवश था पर सचेत था। जब माटी वाली बुढ़िया वापिस झोंपड़ी में पहुँचती तो आहट होते ही वह चौंक जाया करता था और नज़रें उठा कर उसकी तरफ देखा करता था।
(ii) भूख से त्रस्त-बुड्ढा भूख से त्रस्त रहता था। जब बुढ़िया उसके लिए रोटी लेकर पहुँचती थी तो वह खिल उठता था। सब्जी न मिलने पर भी वह संतुष्ट रहता था और पूछता था - "भूख मीठी कि भोजन मीठा?"
प्रश्न 3. टिहरी शहर के पास गाँव में रहने वाली बुढ़िया को विस्थापित क्यों होना पड़ा?
उत्तर-भागीरथी और भीलांगना नदियों के तटों पर टिहरी शहर बसा हुआ था। बिजली उत्पादन के लिए जब वहाँ बांध बनाया गया तो टिहरी शहर को झील में समा जाना था। जिन लोगों के ज़मीन थी उन्हें तो उनकी संपत्ति के आधार पर सरकार ने पुनर्वास दे दिया पर बुढ़िया के पास तो कुछ भी नहीं था इसलिए उसे विस्थापित होना पड़ा।
प्रश्न 4. ठकुराइन ने बुढ़िया को भाग्यवान क्यों कहा था?
उत्तर-जब ठकुराइन के घर 'माटी वाली' मिट्टी का कनस्तर लेकर पहुंची तब चाय का समय हो चुका था। भारतीय संस्कृति में मेहमान को भगवान का ही रूप मानते हैं इसलिए उसने कहा था, "तू बहुत भाग्यवान है। चाय के टैम पर आई है हमारे घर। भाग्यवान आए खाते वक्त।"
प्रश्न 5. शहर वालों को लाल मिट्टी की ज़रूरत क्यों होती थी?
उत्तर-दो नदियों के बीच बसे टिहरी शहर की ज़मीन रेतीली थी। वे लोग खाना पकाने के लिए चूल्हा जलाते थे और हर बार उन्हें चूल्हों की लाल मिट्टी से पुताई करनी पड़ती थी क्योंकि रेतीली मिट्टी से पुताई नहीं हो सकती। साथ ही वे कमरों, दीवारों की गोबरी-लिपाई करने के लिए भी लाल मिट्टी का प्रयोग करते थे।
प्रश्न 6. टिहरी शहर में आपाधापी कब मची थी?
उत्तर-जब टिहरी बाँध की दो सुरंगों को बंद कर दिया गया तो शहर में पानी भरने लगा था। शहरवासी अपने घरों को छोड़कर वहाँ से भागने लगे इस कारण सारे शहर में आपाधापी मच गई थी।
प्रश्न 7. नगर वालों के लिए माटी वाली क्या महत्त्व रखती थी?
उत्तर-नगर वालों के लिए माटी वाली बहुत महत्त्व रखती थी। मिट्टी वाली की मिट्टी से नगर वालों के चूल्हे जलते थे। लोगों को रसोई के चूल्हे-चौकों की लिपाई के लिए मिट्टी की आवश्यकता होती थी। इसलिए घर में साफ़ लाल मिट्टी का होना ज़रूरी था। साल दो साल में मकान की दीवारों की गोबरी-लिपाई करने के लिए मिट्टी की आवश्यकता होती थी। इसलिए नगर वालों के लिए माटी वाली उनके जीवन में बहुत महत्त्व रखती थी।
प्रश्न 8. माटी वाली ने मालकिन द्वारा दी गई दो रोटियों का क्या किया?
उत्तर-माटी वाली जिस घर में मिट्टी डालने गई थी, उस घर की मालकिन ने उसे रोटी खाने के लिए दी। मालकिन के घर अंदर जाते ही उसने अपने सिर पर रखने वाला कपड़ा निकाला, उसमें से एक रोटी मोड़ कर अपने पति के लिए उस कपड़े में रख ली। मालकिन ने आने पर वह ऐसे मुँह चलाने लगी जैसे उसने एक रोटी समाप्त कर ली है। दूसरी रोटी उसने चाय के साथ खाई।
प्रश्न 9. आजकल घरों में से कौन बरतन दिखाई नहीं देते हैं और उनकी जगह किस धातु के बरतन आ गए हैं?
उत्तर-आजकल घरों में पीतल, कांसे और तांबे के बरतन दिखाई नहीं देते हैं। किसी-किसी के घर में सजावट के में यह बरतन दिखाई देते हैं। आजकल अधिकतर घरों में स्टील, कांच और एल्यूमीनियम के बरतन दिखाई देते हैं।
प्रश्न 10. घर की मालकिन ने यह क्यों कहा कि अपनी चीज़ का मोह बहुत बुरा होता है?
उत्तर-घर की मालकिन दूर की बात सोचने वाली थी। उसके घर में पीतल के बरतन थे। वह सोचती थी कि उसके पूर्वजों ने यह बरतन पता नहीं किस प्रकार पेट-काट-काट कर इकट्ठे किए होंगे। उसे इन बरतनों से बहुत लगाव था। वह उसके पुरखों की गाढ़ी कमाई के थे। अब टिहरी पर बांध बन रहा था जिस कारण उसे मकान छोड़ना पड़ेगा। वह इस उम्र में दूसरी नई जगह जाने को तैयार नहीं हैं इसलिए वह माटी वाली से कहती है कि अपनी चीज़ का मोह बहुत बुरा होता है।
प्रश्न 11. माटी वाली चाय किस ढंग से पी रही थी?
उत्तर-घर की मालकिन माटी वाली के लिए पीतल के गिलास में चाय ले कर लाई थी। माटी वाली ने खुले कपड़े से पूरी गोलाई में गरम चाय का गिलास पकड़ लिया। गरम चाय पीने से पहले, वह गिलास के अंदर रखी चाय को ठंडा करने के लिए सू-सू करके, उस पर लंबी-लंबी फूंकें मारने लगी। फिर धीरे-धीरे रोटी के साथ चाय सुड़कने लगी।
प्रश्न 12. माटी वाली ने यह क्यों कहा कि चाय की बहुत अच्छा साग होती है?
उत्तर-घर की मालकिन माटी वाली को दो रोटी देती है। उसके पास रोटी के साथ देने के लिए साग-सब्जी नहीं थी। वह उसके लिए चाय बनाकर लाती है। माटी वाली चाय साथ रोटी खाती है। घर की मालकिन साग-सब्जी न होने की बात करती है तब माटी वाली कहती है कि उनके लिए तो रोटी के साथ चाय बहुत अच्छा साग होती है।
प्रश्न 13. माटी वाली चाय समाप्त कर कहाँ गई और उसे वहाँ से क्या मिला?
उत्तर-माटी वाली चाय समाप्त कर अपना समान लेकर सामने वाले घर में चली गई । उस घर से उसे कल मिट्टी लेकर आने का काम मिला था। उस घर की मालकिन भी उसे दो रोटी खाने दे देती है।
प्रश्न 14. माटी वाली घर-घर से मिली रोटियों का क्या करती है?
उत्तर-माटी वाली घर-घर से मिली रोटियों को अपने कपड़े में बांधकर घर ले जाती है। घर उसका बीमार पति उसका इंतज़ार कर रहा होता है, माटी वाली सारा दिन माटी ढ़ो-ढोकर थक जाती है उससे शाय की रसोई बनाने में मुश्किल आती है। उस समय दिन की इकट्ठी की गई रोटियों दोनों पति-पत्नी के काम आती है।
प्रश्न 15. माटी वाली की दिनचर्चा कैसी थी?
उत्तर-माटी वाली की दिनचर्चा बहुत व्यस्तमय थी। पति के अस्वस्थ होने के कारण सभी काम वह स्वयं करती थी। उसका गाँव शहर से दूर था। वह रोज़ सुबह घर से मिट्टी के लिए निकल जाती है। पहले वह माटा खान में मिट्टी खोदती है फिर उन्हें विभिन्न स्थानों पर फैले घरों तक पहुँचाती है। वह यह सारा काम अकेले करती है। उसे अपना काम समाप्त करते-करते रात घिरने लगती है। वह जल्दी-जल्दी पैर उठा कर घर के लिए चलती है। घर पहुँचकर वह रसोई का काम निपटाती है और घर के अन्य काम पूरे करती है।
प्रश्न 16. माटी वाली की आर्थिक स्थिति कैसी थी?
उत्तर-माटी वाली की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। उसका पति बीमार तथा कमज़ोर था। उससे कोई काम नहीं होता था। माटी वाली मिट्टी ठोकर घर का गुजारा चलाती थी। उसके पास अपना कोई खेत नहीं था। जिस ज़मीन पर उसकी झोपड़ी थी वह गाँव के ठाकुर की थी। ठाकुर ज़मीन के एवज में उससे कई तरह के काम करवा लेता था। उसके पैसे भी नहीं देता था। इस प्रकार माटी वाली बड़ी तंगी से अपने घर का निर्वाह करती थी।
प्रश्न 17. माटी वाली के बुड्ढे को अब रोटी की ज़रूरत क्यों नहीं थी?
उत्तर-माटी वाली रोटियों का हिसाब लगाते हुए घर पहुँची। उसने सोचा था कि आज वह बुड्ढे को सूखी रोटी नहीं देगी। उसने एक पाव प्याज खरीद लिए। वह प्याज की सब्जी बनाकर अपने पति को रोटी के साथ देगी। परंतु घर पहुंच कर प्रतिदिन की तरह बुड्ढे ने उसकी आहट सुनकर अपनी कोई प्रतिक्रिया नहीं दिखाई। माटी वाली ने उसका शरीर छूकर देखा तो उसका पति अपनी मिट्टी छोड़कर जा चुका था-वह मर गया था। अब उसके बुड्ढे को रोटी की ज़रूरत नहीं थी।
प्रश्न 18. टिहरी बाँध पुनर्वास वाले साहब किन लोगों को मुआवजा दे रहे थे?
Noice
ReplyDelete1. टिहरी बांध के बनने से माटी वाली के जीवन पर क्या दुष्प्रभाव पड़ा?
ReplyDeletelauda farak pada
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