Alankar in Hindi Class 9 Cbse Trick | Alankar Class 9 Cbse | अलंकार हिंदी व्याकरण Class 9 | अलंकार हिंदी व्याकरण ट्रिक
परिभाषा
अलंकार दो शब्दों से मिलकर बना होता है – अलम + कार। यहाँ पर अलम का अर्थ होता है ‘ आभूषण। मानव समाज बहुत ही सौन्दर्योपासक है उसकी प्रवर्ती के कारण ही अलंकारों को जन्म दिया गया है। जिस तरह से एक नारी अपनी सुन्दरता को बढ़ाने के लिए आभूषणों को प्रयोग में लाती हैं उसी प्रकार भाषा को सुन्दर बनाने के लिए अलंकारों का प्रयोग किया जाता है। अर्थात जो शब्द काव्य की शोभा को बढ़ाते हैं उसे अलंकार कहते हैं।
उदाहरण :- ‘भूषण बिना न सोहई – कविता , बनिता मित्त।’
अलंकार के भेद :-
शब्दालंकार
अर्थालंकार
उभयालंकार
1. शब्दालंकार :-
शब्दालंकार दो शब्दों से मिलकर बना होता है – शब्द + अलंकार। शब्द के दो रूप होते हैं – ध्वनि और अर्थ। ध्वनि के आधार पर शब्दालंकार की सृष्टी होती है। जब अलंकार किसी विशेष शब्द की स्थिति में ही रहे और उस शब्द की जगह पर कोई और पर्यायवाची शब्द के रख देने से उस शब्द का अस्तित्व न रहे उसे शब्दालंकार कहते हैं।
अर्थात जिस अलंकार में शब्दों को प्रयोग करने से चमत्कार हो जाता है और उन शब्दों की जगह पर समानार्थी शब्द को रखने से वो चमत्कार समाप्त हो जाये वहाँ शब्दालंकार होता है।
9th CBSE में पूछे जाने वाले शब्दालंकार के भेद :-
1. अनुप्रास अलंकार
2. यमक अलंकार
1. अनुप्रास अलंकार :-
अनुप्रास शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है – अनु + प्रास | यहाँ पर अनु का अर्थ है बार -बार और प्रास का अर्थ होता है – वर्ण। जब किसी वर्ण की बार – बार आवर्ती हो तब जो चमत्कार होता है उसे अनुप्रास अलंकार कहते है।
जैसे :- जन रंजन मंजन दनुज मनुज रूप सुर भूप।
विश्व बदर इव धृत उदर जोवत सोवत सूप।।
जैसे :- रीझि रीझि रहसि रहसि हँसि हँसि उठै।
साँसैं भरि आँसू भरि कहत दई दई।।
जैसे :- “चामर- सी ,चन्दन – सी, चंद – सी,
चाँदनी चमेली चारु चंद- सुघर है।”
जैसे :- ” लगा दी किसने आकर आग।
कहाँ था तू संशय के नाग ?”
2. यमक अलंकार :-
यमक शब्द का अर्थ होता है – दो। जब एक ही शब्द ज्यादा बार प्रयोग हो पर हर बार अर्थ अलग-अलग आये वहाँ पर यमक अलंकार होता है।
जैसे :- कनक कनक ते सौगुनी , मादकता अधिकाय।
वा खाये बौराए नर , वा पाये बौराये।
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अर्थालंकार क्या होता है :-
जहाँ पर अर्थ के माध्यम से काव्य में चमत्कार होता हो वहाँ अर्थालंकार होता है।
9th CBSE में पूछे जाने वाले अर्थालंकार के भेद :-
1. उपमा अलंकार
2. रूपक अलंकार
1. उपमा अलंकार :-
उपमा शब्द का अर्थ होता है – तुलना। जब किसी व्यक्ति या वस्तु की तुलना किसी दूसरे यक्ति या वस्तु से की जाए वहाँ पर उपमा अलंकार होता है।
जैसे :- सागर -सा गंभीर ह्रदय हो ,
गिरी -सा ऊँचा हो जिसका मन।
उपमा अलंकार के अंग :-
उपमेय
उपमान
वाचक शब्द
साधारण धर्म
उपमेय क्या होता है :- उपमेय का अर्थ होता है – उपमा देने के योग्य। अगर जिस वस्तु की समानता किसी दूसरी वस्तु से की जाये वहाँ पर उपमेय होता है।
उपमान क्या होता है :- उपमेय की उपमा जिससे दी जाती है उसे उपमान कहते हैं। अथार्त उपमेय की जिस के साथ समानता बताई जाती है उसे उपमान कहते हैं।
वाचक शब्द क्या होता है :- जब उपमेय और उपमान में समानता दिखाई जाती है तब जिस शब्द का प्रयोग किया जाता है उसे वाचक शब्द कहते हैं।
साधारण धर्म क्या होता है :- दो वस्तुओं के बीच समानता दिखाने के लिए जब किसी ऐसे गुण या धर्म की मदद ली जाती है जो दोनों में वर्तमान स्थिति में हो उसी गुण या धर्म को साधारण धर्म कहते हैं।
2. रूपक अलंकार :-
जहाँ पर उपमेय और उपमान में कोई अंतर न दिखाई दे वहाँ रूपक अलंकार होता है अथार्त जहाँ पर उपमेय और उपमान के बीच के भेद को समाप्त करके उसे एक कर दिया जाता है वहाँ पर रूपक अलंकार होता है।
जैसे :-” उदित उदय गिरी मंच पर, रघुवर बाल पतंग।
विगसे संत- सरोज सब, हरषे लोचन भ्रंग।।”
रूपक अलंकार की निम्न बातें :-
- उपमेय को उपमान का रूप देना।
- वाचक शब्द का लोप होना।
- उपमेय का भी साथ में वर्णन होना।
जैसे :- बीती विभावरी जागरी . अम्बर – पनघट में डुबा रही , तारघट उषा – नागरी।जैसे :- जनम सिन्धु विष बन्धु पुनि, दीन मलिन सकलंक सिय मुख समता पावकिमि चन्द्र बापुरो रंक।।
उभयालंकार :-
जो अलंकार शब्द और अर्थ दोनों पर आधारित रहकर दोनों को चमत्कारी करते हैं वहाँ उभयालंकार होता है।
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अलंकारों से सम्बन्धित प्रश्न – उत्तर :-
इन उदाहरणों में कौन-कौन से अलंकार हैं —–
1. तेरी बरछी ने बर छीने हैं खलन के।
2. कालिका-सी किलकि कलेऊ देति काल को।
3. रावनु रधी बिरथ रघुबीरा।
4. उदित उदय गिरि मंच पर रघुवर बाल पतंग।
विकसे संत सरोज सब, हरषे लोचन भंग ॥
5. वह इष्ट देव के मंदिर की पूजा-सी,
वह दीप शिखा-सी शांत भाव में लीन
वह टूटे तरन की छूटी लता-सी दीन,
दलित भारत की विधवा है।।
6. राम नाम अवलंब बिनु, परमारथ की आस।
बरषत बारिद बूँद गहि, चाहत चढ़न अकास ॥
7. पच्छी परछीने ऐसे परे परछीने बीर,
तेरी बरछी ने बर छीने हैं खलन के।
8. बढ़त-बढ़त संपति-सलिल, मन सरोज बढ़ जाई।
घटत-घटत सु न फिरि घटे, बरु समूल कुम्हिलाई ॥
9. चारु कपोल लोल लोचन, गोरोचन तिलक दिए।
लट-लटकनि मनु मत्त मधुपगन, मादक मधुहिँ पिए ।
10. कौसिक सुनहु मंद येहु बालकु। कुटिल काल बस निज कुल घालकु।
भानु बंस-राकेस-कलंकू। निपट निरंकुस अबुध असंकू॥
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11. यों तो ताशों के महलों सी मिट्टी की वैभव बस्ती क्या ? '
भू काँप उठे तो ढह जाए, बाढ़ आ जाए, बह जाए ।
12. मेरे अंतर में आते हो देव, निरंतर,.
कर जाते हो व्यथा भार लघु,
बार-बार कर कंज बढ़ाकर ।
13. कनक कनक ते सौ गुनी मादकता अधिकाय।
14. पी तुम्हारी मुख बात तरंग
आज बौरे भौंरे सहकार।
15. माला फेरत युग गया, फिरा न मन का फेर।
कर का मनका डारि दे, मन का मनका फेर।
16. मुदित महीपति मंदिर आए।
सेवक सचिव सुमंत बुलाए ।
17. मुख बाल-रवि सम लाल होकर ज्वाल-सा बोधित हुआ।
18. जीवन के रथ पर चढ़कर, सदा मृत्यु-पथ पर बढ़कर।
19. सतगुरु की महिमा अनंत, अनंत किया उपकार ।
लोचन अनंत उघाड़िया, अनंत दिखावणहार ॥
20. चारू चंद्र की चंचल किरणें ।
21. चंचल वासना-सी विछलती नदियां
22. मैया मैं तो चंद-खिलोना लहों
23. मुख बाल-नवि सम लाल होकर चाल-सा बोपित्त हजा।
24. संसार की समरस्थली में धीरता धारण करो।
25. भजु मन चरण-कमल अविनासी।
26 किवन कालहि में वन वीथिका,
विविध धेन विभूषित हो गई।
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27. भजन कहयो तातें, भज्यों ने एकहुँ बार।
दूर भजन जाते कड्यो, सो तू मज्यो गवार ॥
28. चंचल है ज्यों मीन, अरुणोर पंकज सरिस।
29. गुरुपद रज मृदु मंजुल अंजन।
30. रघुपति राघव राजा राम।
31. कमल-सा कोमल गात सुहाना।
32. चरण कमल बंदी हरि राई।
33. भग्न मगन रलाकर में वह राह।
34. तब तो बहता समय शिला-सा जम जाएगा।
35. विमल वाणी ने वीणा ली कमल कोमल कर।
36. एक राम घनश्याम हित चातक तुलसीदास ।
37. बरषत बारिद बूंद।
38. मखमल के झूल पड़े, हाथी-सा टोला ।
39. रती-रती सोभा सब रती के सरीर की।
40. यह देखिए, अरविंद-से शिशु कैसे सो रहे।
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41. सत्य सील दृढ़ ध्वजा पताका।
42. ईस-भजनु सारथी सुजाना।
43. मिटा मोदु मन भए मलीने।
विधि निधि दीन्ह लेत जनु छीन्हे ॥
44. विज्ञान-वान पर चढ़ी हुई सभ्यता डूबने जाती है।
45. नभ पर चमचम चपला चमकी।
46. माया दीपक नर पतंग भ्रमि-भ्रमि इवै पड़त।
47. यवन को दिया दया का दान।
48. राम नाम मनि दीप धरु, जीह देहरी द्वार।
49, परमहंस सम बाल्यकाल में सब सुख पाए।
50. आए महंत बसंत।
51. कितनी करुणा कितने संदेश।
52, नभ मंडल छाया मरुस्थल-सा।
दल बांध अंधड़ आवै चला ॥
53. आवत-जात कुंज की गलियन रूप-सुधा नित पीजै।
54. सौरज धीरज तेहि रथ चाका।
55. सुवासित भीगी हवाएँ सदा पावन माँ-सरीखी।
उत्तर-1. यमक, 2. अनुप्रास एवं उपमा, 3. अनुप्रास, 4. रूपक, 5. उपमा, 6. अनुप्रास, 7. अनुप्रास और यमक, 8. रूपक, 9. उत्प्रेक्षा, अनुप्रास एवं रूपक, 10. अनुप्रास, 11. उपमा, 12. रूपक एवं यमक, 13. यमक, 14. यमक, 15. यमक, 16. अनुप्रास, 17. उपमा, 18, रूपक, 19. यमक, 20, अनुप्रास, 21. उपमा, 22. रूपक, 23. उपमा, 24. अनुप्रास, 25. रूपक, 26. अनुप्रास, 27. यमक, 28. उपमा, 29. रूपक, 30. अनुप्रास, 31. उपमा, 32. रूपक, 33. अनुप्रास, 34. उपमा एवं अनुप्रास, 35. अनुप्रास एवं उपमा, 36. रूपक, 37. अनुप्रास, 38. उपमा, 39. यमक, 40. उपमा, 41. रूपक, 42. रूपक एवं अनुप्रास, 43. उत्प्रेक्षा एवं अनुप्रास, 44. रूपक, 45. अनुप्रास, 46. रूपक, 47. अनुप्रास, 48. रूपक, 49. उपमा, 50. रूपक, 51. अनुप्रास, 52. उपमा, 53. रूपक, 54. रूपक, 55. उपमा।
MCQs
प्रश्न (1) – ‘चरण कमल बंदौ हरिराई’ इन पंक्तियों में कौनसा अलंकार है?
(A) उत्प्रेक्षा
(B) उपमा
(C) यमक
(D) रूपक
उत्तर:(D) रूपक
प्रश्न (2) – अलंकार का शाब्दिक अर्थ है-
(A) आभूषण
(B) आनंद
(C) सार
(D) रोशनी
उत्तर: (A) आभूषण
प्रश्न (3) – ‘पीपर पात सरिस मन डोला’ में कौनसा अलंकार है?
(A) रूपक
(B) उपमा
(C) प्रतीप
(D) संदेह
उत्तर: (B) उपमा
प्रश्न (4) – ‘चरण-कमल बन्दों हरि राई।’ में कौन सा अलंकार है।
(A) रूपक
(B) उत्प्रेक्षा
(C) यमक
(D) संदेह
उत्तर: (A) रूपक
प्रश्न (5) – ‘तीन बेर खाती थी वो तीन बेर खाती है।’ में कौन सा अलंकार है?
(A) यमक
(B) अनुप्रास
(C) श्लेष
(D) उपमा
उत्तर: (A) यमक
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Alankar ka more examples
ReplyDeleteWe won't more examples please 🙏🏼
DeleteHi
DeleteVéry good
ReplyDeleteVery useful.
ReplyDeleteMujh yeh website bahut hi achi lagi or mere final exam ke ka mn aye many thank for you
ReplyDeleteAchha web site hai
ReplyDeleteguru ji bda dhanayavad ki mujhe itni help mili aapse
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ReplyDeletemore example please
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ReplyDeleteAnd i can fuck your mother
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ReplyDeleteanonymous annoying btao konsa alankar use hua h?
DeleteThis site helped me a lot
DeleteSir Jo padhaya nahi usse kyu puchte ho
ReplyDeleteThanks
ReplyDeleteThank u sir
ReplyDeleteउदित उदय गिरि मंच पर रघुवर बाल पतंग।
ReplyDeleteविकसे संत सरोज सब, हरषे लोचन भंग ॥ Isme rupak alankar kaise hai ?
very nice
ReplyDeletesir meri hindi me compartment aa gae h
ReplyDeletePadh liya kar
DeletePadh le
Deletef*ck you
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