Husain ki Kahani Apni Jubani Class 11 Question Answer 11th | 11th Class Husain ki Kahani Apni Jubani Question Answer | हुसैन की कहानी अपनी जुबानी प्रश्न उत्तर | हुसैन की कहानी अपनी जुबानी पाठ के प्रश्न उत्तर

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Husain ki Kahani Apni Jubani Class 11 Question Answer  11th | 11th Class Husain ki Kahani Apni Jubani Question Answer | हुसैन की कहानी अपनी जुबानी प्रश्न उत्तर | हुसैन की कहानी अपनी जुबानी पाठ के प्रश्न उत्तर


प्रश्न 1. लेखक ने अपने पाँच मित्रों के जो शब्द-चित्र प्रस्तुत किए हैं, उनसे उनके अलग-अलग व्यक्तित्व की झलक मिलती है। फिर भी वे घनिष्ठ मित्र हैं, कैसे?

उत्तर : मकबूल फिदा हुसैन ने अपने जिन पाँच मित्रों के शब्द-चित्र अपनी आत्मकथा में प्रस्तुत किए हैं, उनके इन शब्द-चित्रों में उनके अलग-अलग व्यक्तित्व की झलक मिलती है। इस पर भी वे घनिष्ठ मित्र इसलिए हैं कि उनमें कुछ वैचारिक समानताएँ मिलती हैं। जैसे लगभग सभी मित्र प्रसन्नचित्त हैं। हँसते चेहरे आदि से युक्त हैं। ये सभी विशेषताएँ इन मित्रों के प्रसन्नचित्त रहने वाले स्वभाव को प्रदर्शित करती हैं, जो घनिष्ठ मित्रता के लिए आवश्यक है। लगभग सभी मित्र शारीरिक विकास के प्रति जागरूक रहने के कारण शारीरिक सौष्ठव से युक्त हैं। स्वयं लेखक यह स्वीकार करता है कि इन मित्रों से दो साल की नजदीकी पूरी उम्र कभी दिल की दूरी में नहीं बदल पाई अर्थात् उनके दिल आपस में एक-दूसरे से इस निकटता व गहनता से जुड़े थे कि वे आपस में एक-दूसरे के प्रति घनिष्ठता रखते थे।

 

प्रश्न 2. 'प्रतिभा छुपाये नहीं छुपती' कथन के आधार पर मकबूल फिदा हुसैन के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालिए।

उत्तर : प्रतिभा ईश्वर प्रदत्त होती है। जो धीरे-धीरे सबके सामने प्रकट हो जाती है। मकबूल हुसैन में भी चित्रकारी की कला जन्मजात थी। जिसमें उनका अधिकतर समय व्यतीत होता था। उनके व्यक्तित्व की निम्न विशेषताएँ द्रष्टव्य होती हैं मकबूल हुसैन जनरल स्टोर में बैठे-बैठे अपने सामने से गुजरने वाले प्रत्येक व्यक्ति का स्केच हूबहू उतार देते थे। उनका ध्यान हिसाब-किताब की बजाय स्केच बनाने में ज्यादा लगता था। मकबूल अपनी चित्रकारी को लेकर दृढ़ निश्चयी थे।

उन्होंने फिल्मी इश्तिहार को देखकर ऑयल पेंटिंग बनाने का निश्चय किया। इस निश्चय को पूरा करने के लिए उन्होंने अपनी किताबों को बेचकर ऑयल कलर की ट्यूबें खरीद कर ऑयल पेंटिंग बनाई। मकबूल बचपन में स्कूल के मास्टरजी द्वारा बनाई गई चिड़िया को ज्यों का त्यों अपनी स्लेट पर उभार देते हैं। उसी दिन मास्टरजी को आभास हो गया था कि ये बड़ा होकर प्रसिद्ध कलाकार बनेगा। इस तरह आते-जाते लोगों के स्केच तैयार करते-करते मकबूल हुसैन की प्रतिभा पूरे विश्व में फैल गई।

 

प्रश्न 3. 'लेखक जन्मजात कलाकार है।' इस आत्मकथा में सबसे पहले यह कहाँ उद्घाटित होता है?

उत्तर : आत्मकथा के प्रथम अंश 'बड़ौदा का बोर्डिंग स्कूल' में मकबूल फिदा हुसैन लिखते हैं कि जब ड्राइंग मास्टर मोहम्मद अतहर ने ब्लैकबोर्ड पर सफेद चॉक से एक बहुत बड़ी चिड़िया बनाई और लड़कों से अपनी-अपनी स्लेट पर उसकी नकल करने को कहा तो मकबूल की स्लेट पर हूबहू वही चिड़िया ब्लैकबोर्ड से उड़कर आ बैठी अर्थात् मकबूल ने उस चिड़िया के चित्र को अपनी स्लेट पर ज्यों का त्यों बना दिया और उसे दस में से दस नम्बर मिले। यह घटना यह प्रदर्शित करती है कि लेखक जन्मजात कलाकार है।


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प्रश्न 4. दुकान पर बैठे-बैठे भी मकबल के भीतर का कलाकार उसके किन कार्यकलापों से अभिव्यक्त होता है?

उत्तर : यद्यपि मकबूल को दुकान पर इसलिए बिठाया जाता था कि वे व्यवसाय के अनुभवों को ग्रहण करें, परन्तु मकबूल के भीतर का कलाकार विभिन्न कार्यकलापों से अभिव्यक्त होता था। जैसे शाम को हिसाब में दस रुपये लिखते तो किताब में बीस स्केच मजदूर की बनाते थे। वे दुकान पर बैठे-बैठे मेहतरानी का स्केच, गेहूँ की बोरी उठाए मजदूर, पेचवाली पगड़ी का स्केच आदि बनाया करते थे। जब उनकी दुकान के सामने से फिल्मी इश्तिहार का वाटर कलर का पोस्टर ताँगे में रखकर निकाला गया तो उन्होंने तुरन्त ही उसकी ऑयल पेंटिंग बनाने का निश्चय कर लिया और उन्होंने चाचा की दुकान पर बैठकर ही पहली ऑयल पेंटिंग बना डाली।


प्रश्न 5. प्रचार-प्रसार के पुराने तरीकों और वर्तमान तरीकों में क्या फर्क आया है? पाठ के आधार पर बताएँ।

उत्तर : प्रचार-प्रसार के पुराने तरीके अत्यन्त सामान्य थे। पाठ के आधार पर देखें तो पहले फिल्मों का प्रचार करने के लिए रंगीन कागज पर वाटर कलर से फिल्म के हीरो, हीरोइन की तस्वीरों को पोस्टर, के रूप में बनाया जाता था। इस फिल्मी इश्तिहार या विज्ञापन के लिए प्रयुक्त पोस्टर को एक ताँगे में रखकर ब्रास बैण्ड के साथ शहर के बाजार व गली-कूचों में से निकाला जाता था। यह फिल्मी प्रचार-प्रसार का पुराना तरीका था। वर्तमान में प्रचार-प्रसार के लिए रेडियो, टेलीविजन, समाचार-पत्र, इण्टरनेट, मोबाइल सन्देश जैसे अत्याधुनिक तरीकों को प्रयोग में लाया जाता है। आज प्रचार-प्रसार के नए-नए तरीके प्रचलन में हैं, जिन पर उत्पादकों व विक्रेताओं द्वारा भारी धनराशि व्यय की जाती है।

 

प्रश्न 6. कला के प्रति लोगों का नजरिया पहले कैसा था? उसमें अब क्या बदलाव आया है?

उत्तर : कला के प्रति पहले लोगों का नजरिया आज से भिन्न था। पहले कला को राजा-महाराजाओं और अमीर व्यक्तियों की रुचि की वस्तु माना जाता था। ये राजा-महाराजा व धनवान लोग कला के विभिन्न नमूनों को अपनी विलासितापूर्ण दीवारों पर लटकाकर अपना शौक पूरा करते थे। पहले कला आम आदमी की रुचि से बहुत दूर थी। अब इस नजरिये में काफी बदलाव आ चुका है। अब कला राजा-महाराजाओं व अमीरों के महलों से नीचे उतरकर आम आदमी की रुचि की वस्तु बन गई है। आज कलाकारों का भारी सम्मान है और कला ने औद्योगिक विकास व धनोपार्जन की अपार सम्भावनाओं को बढ़ाया है।

 

प्रश्न 7. मकबूल के पिता के व्यक्तित्व की तुलना अपने पिता के व्यक्तित्व से कीजिए।

उत्तर : मकबूल के पिता का व्यक्तित्व बहुआयामी गुणों से युक्त था। वे शिक्षा के प्रति जागरूक व्यक्ति थे, इसलिए उन्होंने अपने पुत्र मकबूल को उस युग में बड़ौदा के बोर्डिंग स्कूल में पढ़ने के लिए प्रवेश दिलाया। वे अपने भाइयों के प्रति सहयोग व सद्भाव से युक्त व्यक्ति थे। उन्होंने अपने भाइयों को जनरल स्टोर की दुकान खुलवाई। जब वह दुकान नहीं चली तो उन्होंने रेस्तराँ खुलवाया। वे कला के पारखी व्यक्ति थे तथा कला के प्रति मकबूल को प्रोत्साहन देते थे।

जब उनके छोटे भाई ने मकबूल द्वारा किताबें बेचकर ऑयल पेंट की ट्यूब खरीदने व ऑयल पेंटिंग बनाने की बात उनसे कही तो वे नाराज नहीं हुए, अपितु उन्होंने अपने पुत्र की कला को देखकर प्रसन्न होकर उसे गले से लगा लिया। उन्होंने बेन्द्रे की सलाह पर अपने पुत्र के लिए बम्बई से ऑयल कलर की ट्यूब व कैनवस मँगवाए। मकबूल के पिता जैसे आम आदमी द्वारा अपने पुत्र को उस युग में कला के प्रति प्रोत्साहित करना कला के प्रति उनके सकारात्मक व प्रेरक सोच को प्रदर्शित करता है। वास्तव में मकबूल के पिता अनेक गुणों से युक्त व्यक्तित्व के धनी थे। मेरे पिता का व्यक्तित्व में भी उक्त सभी गुणों का समावेश जो एक पिता के सर्वमान्य गुण होते हैं।

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