Ghar ki Yaad Class 11 | Class 11th Hindi Ghar ki Yaad | घर की याद Class 11 | घर की याद भवानी प्रसाद मिश्र

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Ghar ki Yaad Class 11 | Class 11th Hindi Ghar ki Yaad | घर की याद Class 11 | घर की याद भवानी प्रसाद मिश्र




 कविता का सार

प्रश्न- 'घर की याद' शीर्षक कविता का सार अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर- 'घर की याद' शीर्षक कविता कवि ने सन् 1942 आंदोलन के समय कारावास में रहते हुए लिखी थी। कवि को आंदोलन में भाग लेने के कारण जेल की सजा हुई थी। कारावास के समय कवि को घर की बहुत याद आती थी। उसी भावना को उन्होंने कविता में ढाल दिया था। इस कविता में घर के मर्म का उद्घाटन किया गया है। कवि को जेल-प्रवास के दौरान घर - विस्थापन की पीड़ा भी सालती है। कवि के स्मृति संसार में उनके परिजन एक-एक करके सम्मिलित होते जाते हैं। कविता का आरंभ बड़े नाटकीय ढंग से होता है। सावन की झड़ी लगी हुई है। रात भर वर्षा होती रही है। प्रातः होने पर चारों ओर अंधेरा छाया हुआ है। नीरवता के वातावरण में घर की याद आना स्वाभाविक है। घर की झांकियाँ कवि की आँखों में तैरने लगती हैं। उनके परिवार में माता-पिता, चार भाई और चार बहनें हैं। भाई भुजाओं के समान और बहनें प्यार का प्रतिरूप हैं।
कवि कारावास में रहते हुए अनुभव करता है कि परिवार के जन उसे याद करके सजल हो गए होंगे। सबसे पहले उन्हें अपनी ममतामयी माँ का विचार आता है। कवि के पिता भोले एवं सीधे व्यक्ति हैं। उनका शरीर मजबूत किंतु हृदय अत्यंत कोमल है।" अतः वर्षा का उल्लेख करता हुआ कवि कहता है कि वर्षा की झड़ी लगी हुई है, पानी के गिरने से झर-झर की आवाज आ रही है। तेज हवा भी चल रही है। वर्षा और तेज हवा के कारण वृक्षों के पत्तों की हरा-हर की आवाजें आ रही हैं। हवा बहने से सरसराहट की ध्वनि सुनाई पड़ रही है। ऐसे वातावरण में प्राणों की धड़कन भी बढ़ती जा रही है। उधर निरंतर पानी बरसने से घर की याद अत्यंत उत्कट रूप धारण कर लेती है ।

पद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या

{1} आज पानी गिर रहा है, बहुत पानी गिर रहा है,
रात भर गिरता रहा है, प्राण मन घिरता रहा है,
बहुत पानी गिर रहा है, घर नज़र में तिर रहा है,
घर कि मुझसे दूर है जो, घर खुशी का है जो,


शब्दार्थ- प्राण मन घिरना = प्राण और मन में छा जाना। तिर रहा = तैर रहा। पूर = भंडार।


प्रसंग- काव्यांश हमारी हिंदी की पाठ्य पुस्तक 'आरोह' भाग-1 में संकलित 'घर की याद' नामक कविता से उद्धृत है। इसके रचयिता श्री भवानी प्रसाद मिश्र हैं। कवि सन् 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लेने के कारण जेल में बंद है। वहाँ रहते हुए उसे घर-परिवार की बहुत याद आती है। वर्षा होने पर कवि का मन और भी भावुक हो उठता है। 


व्याख्या-कवि का कथन है कि आज खूब वर्षा हो रही है। खूब पानी बरस रहा है। रात भर पानी गिरता रहा है। ऐसे में मेरे प्राण और मन भी घर की याद में घिर गए हैं अर्थात् मुझे घर की याद आ रही है। आज इस वर्षा के समय में मेरी नजर में घर और घर के सभी सदस्य तैरने लगे हैं। वह घर जो मेरी दृष्टि खुशियों का भंडार है, किंतु दुर्भाग्य की 'बात है कि आज वह खुशियों से परिपूर्ण घर मुझसे दूर है। मैं उनमें सम्मिलित नहीं हो सकता।


विशेष- (1) कवि के मन की भावुकता का बोध होता है।
(2) भाषा अत्यंत सरल, सहज एवं प्रवाहपूर्ण है।
(3) संपूर्ण काव्यांश अनुभूतिपूर्ण है।
(4) 'पानी गिर रहा है।' वाक्य की आवृत्ति से वातावरण की सृष्टि की गई है। वर्षा का दृश्य दृष्टि के सामने साकार हो उठता है।
(5) छोटे-छोटे वाक्यों के प्रयोग से भाषा प्रवाहमयी बन पड़ी है।
(6) भाषा प्रसाद गुण संपन्न है।


अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न (1) कविता एवं कवि का नाम लिखें।
(2) प्रस्तुत काव्यांश का संदर्भ स्पष्ट कीजिए।
(3) 'घर नजर में तिर रहा है' का भाव स्पष्ट कीजिए।
(4) कवि स्वयं कहाँ पर है और उसके घर की स्थिति कैसी है?
(5) प्रस्तुत काव्यांश का शिल्प-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए ।


उत्तर- (1) कविता का नाम- घर की याद ।           कवि का नाम - भवानी प्रसाद मिश्र।



(2) प्रस्तुत काव्यांश सुप्रसिद्ध कविता 'घर की याद' से लिया गया है। सन् 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लेने के कारण कवि को कारावास में बंद कर दिया गया था। उस समय कवि को घर की याद आती है। वर्षा होने पर तो कवि का मन और भी भावुक हो उठता है। उसी मनोस्थिति में रची गई ये काव्य पंक्तियाँ हैं। 



(3) 'घर नजर में तिर रहा है' का भाव है कि कवि की नजरों में कवि का घर आ रहा है अर्थात् कवि जेल में बंदी है। घर से दूर और अकेला है। वहाँ बैठे-बैठे वर्षा के समय कवि को घर की याद आती है।



(4) कवि स्वयं 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लेने के कारण जेल में बंदी है। वर्षा के मौसम के कारण दिन-रात वर्षा हो रही है। कवि को रह-रह कर अपने उस घर की याद आती है जो खुशियों से भरा हुआ है। वहाँ परिवार के सभी सदस्य इकट्ठे रहते हैं। घर हर प्रकार से संपन्न एवं खुशहाल है। बस कमी है तो कवि स्वयं उस घर में नहीं है।


(5) (i) कवि ने घर की याद को अत्यंत सुंदर शब्दों में अंकित किया है।
(ii) 'पानी गिर रहा है' वाक्यों की आवृत्ति से परिदृश्य का चित्र उभर रहा है।
(iii) कवि की अनुभूति सच्चाईपूर्ण व्यक्त हुई है।
(iv) सरल, सहज एवं प्रवाहपूर्ण भाषा का प्रयोग हुआ है।



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{2} घर कि घर में चार भाई, मायके में बहिन आई,
बहिन आई बाप के घर, हाय रे परिताप के घर !
घर कि घर में सब जुड़े हैं, सब कि इतने कब जुड़े हैं,
चार भाई चार बहिनें, भुजा भाई प्यार बहिनें,

शब्दार्थ- मायके = माता-पिता का घर, परिताप - दुःख, जुड़ना एकत्रित होना।


प्रसंग प्रस्तुत काव्यांश हमारी हिंदी की पाठ्य पुस्तक 'आरोह' भाग-1 में संकलित कविवर भवानी प्रसाद मिश्र की महान् कविता 'घर की याद' से लिया गया है। कवि भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लेने के कारण जेल में बंद है। वर्षा हो रही है। कवि के मन में घर के सदस्यों की याद ताजा हो उठती है। भाई-बहनों के प्यार की याद आते ही कवि का मन अत्यंत भावुक हो उठता है। इसी भावना में बहता हुआ कवि ये शब्द कहता है।


व्याख्या-कवि का कथन है कि उसके घर में चार भाई हैं और आज मेरी विवाहिता बहनें भी अपने माता-पिता के घर मेरे बारे में पूछने के लिए अवश्य आई होंगी। मेरे वहाँ न होने से सबको बुरा लगा होगा। इसलिए हमारा यह घर दुःखों का घर बन गया होगा।
                   मेरे घर में सब बहन-भाई आपस में प्रेम से जुड़े हुए हैं। उनमें परस्पर बहुत गहरा लगाव है। ऐसा भाई-चारां कम ही देखने को मिलता है। मेरे चारों भाइयों का अत्यधिक सहयोग मुझे प्राप्त होता है। इसलिए वे मेरे लिए मेरी भुजाओं के समान हैं। मेरी चारों बहनें मेरे लिए स्नेह का भंडार हैं।


विशेष- (1) कवि ने अपने मन के भावों को अत्यंत सरल एवं सहज भाषा में व्यक्त किया है।
(2) मिश्र जी कविता करते नहीं कहते हैं।
(3) छोटे-छोटे वाक्यों के सफल प्रयोग से जहाँ विषय की स्पष्ट अभिव्यक्ति हुई है, वहीं भाषा के प्रवाह में भी वृद्धि हुई है।
(4) संयुक्त परिवार का उदाहरण प्रस्तुत किया गया है, जिसमें सभी लोग स्नेह एवं सहयोग से जुड़े हुए हैं।
(5) कवि ने भाई के लिए 'भुजा' और बहन के लिए 'प्यार' की उपमा दी है जो अत्यंत सार्थक एवं सटीक है।
(6) बहन के लिए भाई का अभाव सदा खटकता है इसलिए भाई के बिना बहन को पिता का घर परिताप का अनुभव हुआ होगा।
(7) प्रश्न - शैली है।
(8) अनुप्रास एवं उपमा अलंकारों का प्रयोग हुआ है।

अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न (1) कविता एवं कवि का नाम लिखें।
(2) कवि के कितने भाई-बहिन थे ?
(3) कवि ने बहिनों के लिए परिताप का घर क्यों कहा?
(4) कवि ने भाइयों को भुजा क्यों कहा है?
(5) प्रस्तुत पद्यांश में निहित शिल्प-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए ।


उत्तर- (1) कविता का नाम- घर की याद ।        कवि का नाम – भवानी प्रसाद मिश्र ।



(2) कवि के चार भाई और चार बहिनें थीं।   

(3) पिता का घर बहिनों व बेटियों के लिए सुखदायक व प्रसन्नता प्रदान करने वाला होता है। किंतु कवि को राष्ट्रीय. आंदोलन में भाग लेने के कारण जेल में जाना पड़ा। अब जब कवि की बहिनें कवि के विषय में पूछने के लिए घर आई होंगी। तो उन्हें बहुत बुरा लगा होगा कि उनका भाई जेल चला गया। इसलिए पिता का घर दुःख का घर लगा होगा।



(4) कवि ने भाइयों को 'भुजा' इसलिए कहा है क्योंकि उन्हें अपने भाइयों से पूर्ण सहयोग मिलता है। हर काम में भाई उनकी सहायता करते हैं। इसलिए कवि को अपने भाई भुजाओं के समान लगते हैं।



(5) (1) कवि ने अपने मन के भावों को सरल, सहज एवं प्रवाहमयी भाषा में अभिव्यक्त किया है।
(ii) भाषा प्रसाद गुण संपन्न है।
(iii) भाइयों के लिए भुजा और बहिनों के लिए प्यार की उपमा दी गई है।
(iv) प्रश्न शैली का प्रयोग किया गया है।
(v) 'परिताप का घर' का प्रयोग दुःख को व्यक्त करने में पूर्ण सक्षम है।



{3} और माँ बिन-पढ़ी मेरी, दुःख में वह गढ़ी मेरी
माँ कि जिसकी गोद में सिर रख लिया तो दुख नहीं फिर,
माँ कि जिसकी स्नेह-धारा, का यहाँ तक भी पसारा,
उसे लिखना नहीं आता, जो कि उसका पत्र पाता । 


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शब्दार्थ-दुःख में गढ़ना = अत्यधिक दुःखी होना, दुःख में मग्न स्नेह धारा = प्यार का प्रवाह पसारा = फैलाव


प्रसंग—प्रस्तुत काव्यांश हमारी हिंदी की पाठ्य पुस्तक 'आरोह' भाग-1 में से उद्धृत है। श्री भवानी प्रसाद मिश्र द्वारा रचित सुप्रसिद्ध कविता ‘घर की याद' से उद्धृत इन पंक्तियों में जेल में बंद रहते हुए घर की स्मृति का भावनामय चित्रण किया है। कवि ने परिवार के अन्य सदस्यों के साथ ही ममतामयी माँ को याद करते हुए ये शब्द उनके विषय में कहे हैं-  जेल के कमरे में बैठा है। उसके हृदय में घर के प्रति संवेदना तीव्र होती जा रही है। पिता के प्रति उसका स्नेह उमड़ रहा है। स्मृतियों के माध्यम से उन्होंने पिता जी के व्यक्तित्व को अंकित करने का सफल प्रयास किया है।


व्याख्या - कवि कारावास में है। वहाँ बैठे-बैठे कवि को घर की याद में पिता की स्मृति हो आती है। कवि लिखता है कि आज वर्षा खूब हो रही है और मेरी नज़रों में घर तैर रहा है अर्थात घर की याद आ रही है। मेरे पिता जी बहुत बहादुर तथा भोले व्यक्ति हैं। पिता जी आयु से तो बूढ़े हैं किंतु उनको बुढ़ापा एक क्षण को भी अनुभव नहीं होता। इस आयु में भी वे खूब दौड़ सकते हैं। वे सदा खुश रहते हैं। खिलखिला कर हँसते हैं। मौत को सामने देखकर भी भयभीत नहीं होते। वे शेर से भी डरने वाले नहीं हैं। उनकी आवाज़ में बादल जैसी गरजना है। वे हर काम को तूफान की गति से कर सकते हैं।


विशेष – (1) कवि ने अपने मन की व्याकुल दशा का वर्णन किया है ।
(2) कवि के पिता की शारीरिक एवं मानसिक शक्ति का सुंदर चित्रांकन हुआ है।
(3) भाषा की चित्रात्मकता और लाक्षणिकता देखते ही बनती है।
(4) 'बादल गरजता', 'झंझा लरजता' में रूपक अलंकार का प्रयोग किया गया है।
(5) भाषा सरस, प्रवाहमयी एवं भावाभिव्यक्ति में पूर्ण तथा सक्षम है।
(6) शब्द-योजना अत्यंत सार्थक एवं प्रसंगानुकूल है।


अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न (1) कविता एवं कवि का नाम लिखें।
(2) इन पंक्तियों में किसका किसके प्रति स्नेह उमड़ रहा है ?
(3) इन पंक्तियों में कवि ने अपने पिता के जीवन की किन विशेषताओं का उल्लेख किया है ?
(4) 'काम में झंझा लरजता' का आशय स्पष्ट कीजिए ।
(5) प्रस्तुत कवितांश में निहित शिल्प-सौंदर्य को स्पष्ट कीजिए ।


उत्तर- (1) कविता का नाम - घर की याद ।



(2) इन पंक्तियों में कवि का स्नेह अपने पिता के प्रति उमड़ रहा है। जेल में बैठे हुए कवि का हृदय पिता को याद करके बेचैन हो उठता है। उनकी हर बात, हर आदत उनको एकाएक याद आती है।



(3) प्रस्तुत काव्य पंक्तियों के माध्यम से कवि ने अपने पिता के व्यक्तित्व का सजीव चित्र अंकित कर दिया है। उन्होंने बताया है कि उनके पिता बहुत बहादुर और सीधे-सादे इंसान हैं। पिताजी आयु से तो बूढ़े हैं, किंतु उन्हें बुढ़ापा एक क्षण के लिए भी व्याप्त नहीं हुआ अर्थात् उन्हें बुढ़ापा अनुभव नहीं हुआ। इस आयु में भी वे खूब दौड़ सकते हैं। वे सदा खुश रहते हैं और खूब खिलखिला कर हँसते हैं। वे बहादुर इतने हैं कि मौत से भी नहीं डरते और तूफान की भाँति पूरी शक्ति से काम करते हैं। आवाज की गर्जन वादल की गर्जन के समान है।
कवि का नाम – भवानी प्रसाद मिश्र ।



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(4) 'काम में झंझा लरजता' का अभिप्राय है कि कवि के पिताजी का शरीर इतना शक्तिशाली तथा उनकी काम करने की. गति इतनी तीव्र है कि उनकी गति के सामने तूफान (झंझा ) भी लज्जित हो जाता है। कहने का तात्पर्य है कि इस पंक्ति में कवि ने अपने पिता की काम करने की शक्ति का उल्लेख किया है।



(5) (i) कवि ने पिताजी के व्यक्तित्व का चित्रात्मक भाषा-शैली में सजीव वर्णन किया है।
(ii) बोल में बादल की गर्जन और काम में झंझा को लज्जित करने आदि के प्रयोग में उपमा अलंकार है।
(iii) संपूर्ण काव्यांश में अनुप्रास और स्वर मैत्री के सफल प्रयोग से भाषा में लय एवं प्रवाह का समावेश हुआ
(iv) वीर रस का सुंदर उदाहरण है।
(v) ‘जिन को बुढ़ापा एक क्षण भी नहीं व्यापा' में विशेषोक्ति अलंकार है।


{4} आज गीता पाठ करके, दंड दो सौ साठ करके,
खूब मुगदर हिला लेकर, मूठ उनकी मिला लेकर,
जब कि नीचे आए होंगे, नैन जल से छाए होंगे,
हाय, पानी गिर रहा है, घर नज़र में तिर रहा है,
चार भाई चार बहिनें, भुजा भाई प्यार बहिनें,
खेलते या खड़े होंगे, नज़र उनको पड़े होंगे।

शब्दार्थ- दंड = दंड बैठक (एक प्रकार का व्यायाम ) । मुगदर का स्थान। नैन जल से छाना = आँखों में आँसू आना। व्यायाम करने का लकड़ी से बना उपकरण ।


प्रसंग - प्रस्तुत काव्य-पंक्तियाँ हमारी हिंदी की पाठ्य पुस्तक 'आरोह' भाग-1 में संकलित 'घर की याद' से अवतरित हैं। इसके रचयिता श्री भवानी प्रसाद मिश्र हैं। इस कविता में कवि ने घर के मर्म का उद्घाटन किया है। कवि को कारावास के समय घर की याद सताती है। उनकी याद में परिवार के सभी सदस्य एक-एक करके सम्मिलित होते जाते हैं। इन पंक्तियों में कवि ने अपने भावुक मन से पिता की मनोदशा का चित्रण किया है कि वे कवि के चार भाई एवं बहनों को जब देखते होंगे तो उन्हें उनका पाँचवां बेटा कवि वहाँ दिखाई नहीं दिया होगा तो उनकी आँखों में आँसू झलक उठे होंगे।


व्याख्या - जेल में बंद कवि अपने पिता के विषय में सोचता हुआ कहता है कि उनके पिता जी आज गीता काऔर दो सौ साठ दंड बैठक लगाकर और मुगदर को घुमा घुमा कर तथा उसकी मूठ को मिलाते हुए व्यायाम करके जब नीचे उतरे होंगे तो मुझे अपने सामने न पाकर उनकी आँखों से आँसू की धारा प्रवाहित हो गई होगी। कवि को उनके पिता जी का यह रूप ही अधिक क्लेश पहुँचाता है। कवि अत्यंत दुःखी होकर कहता है कि आज कितने जोर से वर्षा हो रही है और मुझे ऐसे में घर की याद आ रही है। मेरे चार भाई और चार बहनें हैं। भाई भुजाओं की तरह सहारा देने वाले हैं और बहनें प्यार का प्रतिरूप हैं। मेरे भाई उस समय खेल रहे होंगे या फिर खड़े हुए उन्हें दिखाई दिए होंगे, किंतु मुझे उनके बीच न पाकर वे बहुत दुःखी हुए होंगे।

विशेष - (1) कवि के पिता के बलिष्ठ शरीर एवं गीता पाठी होने का बोध होता है।
(2) व्यायाम करने और गीता का पाठ करने का दृश्यबिंब पाठक के सामने साकार हो उठता है।
(3) भाषा का प्रवाह दर्शनीय है।
(4) अभिधात्मक अभिव्यक्ति के कारण विषय सरल, सहज एवं बोधगम्य बन पड़ा है।


अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न (1) कविता एवं कवि का नाम लिखें।
(2) गीता का पाठ कौन करता है?
(3) कवि के पिता किस-किस प्रकार का व्यायाम करते हैं?
(4) कवि के पिता के नयनों में जल क्यों छाया होगा?
(5) प्रस्तुत काव्यांश में निहित शिल्प-सौंदर्य का उल्लेख कीजिए।

उत्तर - (1) कविता का नाम - घर की याद ।


(2) कवि ने अपने पिताजी के विषय में बताया है कि उनके पिताजी प्रतिदिन प्रातःगीता का पाठ करते हैं।



(3) कवि के पिताजी दंड-बैठक लगाने का व्यायाम करते हैं, वे प्रतिदिन लगभग दो सौ साठ दंड लगाते हैं। इसके अतिरिक्त कवि के पिताजी प्रतिदिन मुगदर घुमाने का व्यायाम भी करते हैं। ये दोनों व्यायाम बहुत कठिन व्यायाम हैं। इनके करने से व्यक्ति का शरीर सुगठित एवं शक्तिशाली बना रहता है।



(4) कवि ने बताया कि जब उनके पिता जी व्यायाम करके नीचे आंगन में आए होंगे तो वे कवि को अपने अन्य पुत्रों के बीच न देखकर अत्यन्त भावुक हो उठे होंगे कि परिवार के सभी सदस्य घर में हैं अकेला भवानी है जो घर से दूर जेल में बंदी है। यह सोचकर उनकी आँखों में आँसू आ गए होंगे।


5.(i)कवि ने अपने पिता की आस्थावादी भावना एवं कसरती शरीर का चित्रात्मक भाषा में सजीव चित्रण किया है।
(ii) 'नजर में तिरना' सुन्दर बिम्ब-योजना है। .
(iii) तुकांत के प्रयोग के कारण काव्य-सौंदर्य में वृद्धि हुई है
(iv) भाषा का प्रयोग बातचीत के लहजे वाला है।
(v) शब्द योजना अत्यन्त सार्थक एवं सटीक है।


{6} पिता जी जिनको बुढ़ापा, एक क्षण भी वहीं व्यापा,
रो पड़े होंगे बराबर, पाँचवें का नाम लेकर,
पाँचवाँ मैं हूँ अभागा, जिसे सोने पर सुहागा,
पिता जी कहते रहे हैं, प्यार में बहते रहे हैं,
आज उनके स्वर्ण बेटे, लगे होंगे उन्हें हेटे,
क्योंकि मैं उन पर सुहागा, बँधा बैठा हूँ अभागा,

शब्दार्थ – क्षण = पल । व्यापा= व्याप्त हुआ। पाँचवाँ = स्वयं कवि। अभागा = दुर्भाग्यशाली सोने पर सुहागा = किसी व्यक्ति या वस्तु से दूसरों का बेहतर होना। स्वर्ण बेटे = योग्य बेटे । हेटे = हीन, तुच्छ ।


प्रसंग - प्रस्तुत काव्यांश हमारी हिंदी की पाठ्य पुस्तक 'आरोह' भाग-1 में संकलित श्री भवानी प्रसाद मिश्र द्वारा रचित 'घर की याद' कविता से अवतरित है। कवि सन् 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लेने के कारण कारावास में है। वहाँ उसे घर के सदस्यों की याद आती है। वह अपने पिता जी को याद करते हुए ये शब्द कहता है।


व्याख्या - कवि को जब परिवारजनों की याद आती है तो वह अत्यंत भावुक हो उठता है। उसने अपने पिता जी के विषय में कहा है कि पिता जी को बुढ़ापा एक क्षण के लिए भी अनुभव नहीं हुआ। किंतु अन्य बहन भाइयों को घर में खड़े या खेलते देखकर तथा मुझे उनके साथ न पाकर, मुझ पाँचवें बेटे का नाम लेकर वे रो पड़े होंगे। मैं बड़ा ही दुर्भाग्यशाली हूँ। पिता जी मुझे सोने पर सुहागा समझते हैं अर्थात् अच्छों को और अच्छा बनाने वाला पिता जी मेरी प्रशंसा करते हुए मेरे प्यार में भावुक हो उठते हैं तथा मुझे याद करके निरंतर आँसू बहाते होंगे। आज उनके सोने जैसे अच्छे और गुणवान बेटे भी उन्हें कुछ कम योग्य लगे होंगे, क्योंकि जिसे वे सोने पर सुहागा मानते हैं वह (कवि) आज कारावास में बँधा बैठा है। मैं इस समय उनके साथ नहीं हूँ, इसलिए मैं अभागा हूँ। कहने का तात्पर्य है कि कवि के पिता जी का मन कवि के घर पर न होने के कारण या जेल में बंद होने के कारण अत्यंत दुःखी है। 


विशेष – (1) कवि ने अपने पिता जी की भावुक मनोदशा तथा उनके व्यक्तित्व का सुंदर चित्रण किया है।
(2) भाषा मुहावरेदार एवं चित्रात्मक है।
(3) 'सोने पर सुहागा' मुहावरे का सार्थक प्रयोग हुआ है।
(4) रूपक एवं अनुप्रास अलंकारों का प्रयोग है।
(5) छोटे-छोटे वाक्यों एवं तुकबंदी से काव्य की भाषा सरल, सहज एवं सुबोध बन पड़ी है।
(6) कवि की अनुभूति की सरलता एवं वेग द्रष्टव्य है।


अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न (1) कविता एवं कवि का नाम लिखें।
(2) कवि के भाई-बहिनें खेलते हुए किसकी नज़र में पड़े होंगे ?
(3) कवि के पिता जी के रोने का क्या कारण था ?.
(4) प्रस्तुत पयांश में किस पारिवारिक व्यवस्था का उल्लेख किया गया है ?
(5) प्रस्तुत पयांश में प्रयुक्त काव्य-सौंदर्य का उल्लेख कीजिए।


उत्तर- (1) कविता का नाम - घर की याद । कवि का नाम - भवानी प्रसाद मिश्र 


(2) कवि के खेलते हुए भाई-बहिन उनके पिता जी की नजर में पड़े होंगे।


(3) कवि के पिताजी जिनको कभी बुढ़ापा तक छू न गया था। वे अपने अन्य बेटे-बेटियों के बीच भवानी प्रसाद (कवि) को न देखकर भावुक होकर रो पड़े होंगे। कहने का भाव है कि शरीर से बलिष्ठ होते हुए भी कवि के पिताजी का हृदय अत्यन्त कोमल था।


(4) कवि ने प्रस्तुत पद्यांश में संयुक्त परिवार की व्यवस्था का उल्लेख किया है। कवि का परिवार तो एक आदर्श संयुक्त परिवार है जिससे सभी बहिन भाइयों में गहरा लगाव व प्रेम है।


(5) (i) कवि ने भाई के लिए भुजा और बहिन के लिए प्यार की अत्यन्त सुन्दर उपमा दी है।
(ii) सम्पूर्ण पद्यांश में अनुप्रास अलंकार की छटा है।
(iii) कवि के पिता द्वारा रोने को अत्यन्त सजीव बिम्ब-योजना के माध्यम से अभिव्यर्जित किया गया है।
(iv) तुकांत छंद से भाषा में प्रवाहमयता का समावेश हुआ
(v) शब्द - योजना अत्यन्त सार्थक एवं सटीक है।


{7} और माँ ने कहा होगा, दुःख कितना बहा होगा,
आँख में किस लिए पानी वहाँ अच्छा है भवानी
वह तुम्हारा मन समझकर, और अपनापन समझकर,
गया है सो ठीक ही है, यह तुम्हारी लीक ही है,


शब्दार्थ- दुःख बहाना = दुःख अनुभव करना। आँख में पानी = रोना । लीक = मर्यादा ।


प्रसंग - प्रस्तुत काव्य-पंक्तियाँ हमारी हिंदी की पाठ्य पुस्तक 'आरोह' भाग-1 में संकलित 'घर की याद' कविता से ली गई हैं। इस कविता के रचयिता श्री भवानी प्रसाद मिश्र हैं। उन्होंने इस कविता में सन् 1942 में अपने कारावास के समय घर की याद जाने पर परिवार के एक-एक सदस्य को याद करते उनके विषय में लिखा है। कवि का भावुक हृदय माँ का प्रसंग आने पर तो अत्यंत अधीर हो उठता है। उसी क्षण में ये शब्द कहे गए हैं।


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व्याख्या - कवि ने बताया है कि पिता जी मेरी याद आने पर निश्चित रूप से रो पड़े होंगे। माँ ने उनकी आँखों में पानी देखकर उन्हें समझाते हुए कहा होगा कि आपकी आँखों में ये आँसू क्यों हैं? अपना बेटा भवानी वहाँ अच्छा ही होगा। इसलिए आपको दुःखी होने की आवश्यकता नहीं है। माँ ने पुनः कहा कि भवानी आपके मन की भावना को समझकर ही तो जेल गया है। कहने का भाव है कि भवानी का पिता यही चाहता था कि देश के आंदोलन में देशवासियों को बढ़-चढ़कर भाग लेना चाहिए और फिर जेल जाना तो आपके कुल की परंपरा है। भवानी ने उसी परंपरा का पालन किया है।


विशेष - (1) कवि ने अपनी माँ की सहृदयंता एवं धैर्य का वर्णन करते हुए उनके प्रभावशाली व्यक्तित्व का वर्णन किया है।
(2) कवि ने अपने कुल की परंपरा की ओर भी संकेत किया है।
(3) भाषा मुहावरेदार एवं प्रवाहमयी है।
(4) भाषा में लाक्षणिकता का प्रयोग भी है।
(5) संवाद शैली का प्रयोग हुआ है।
(6) प्रसादगुण से युक्त भाषा का प्रयोग हुआ है।
(7) छोटे-छोटे सटीक वाक्यों के प्रयोग से जहाँ भाषा का प्रवाह बना हुआ है, वहाँ विषय भी सुबोध बन गया है।


अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न ( 1 ) कविता एवं कवि का नाम लिखिए।
( 2 ) इन पंक्तियों में कौन किसको क्या समझा रहा है ?
( 3 ) 'वह तुम्हारा मन समझकर' का आशय स्पष्ट कीजिए।
(4) कवि के परिवार की क्या लीक है, जिसका उन्होंने पालन किया है ?
(5) प्रस्तुत काव्यांश में निहित शिल्प-सौंदर्य का उल्लेख कीजिए।


उत्तर- (1) कविता का नाम- घर की याद । कवि का नाम - भवानी प्रसाद मिश्र | 


(2) इन पंक्तियों में कवि की माता उनके पिता को समझा रही है कि तुम्हें भवानी प्रसाद की अधिक चिंता नहीं करनी चाहिए क्योंकि वह जहाँ भी है कुशल होगा।


(3) 'वह तुम्हारा मन समझकर' का तात्पर्य है कि कवि अपने पिता की भावनाओं को या विचारों को भली-भाँति समझता है कि पिताजी चाहते हैं कि देश को स्वतंत्रता मिलनी चाहिए। इसीलिए कवि ने भारत छोड़ो आन्दोलन' में भाग लिया है। इसलिए वह जो कुछ भी कर रहा है, आपकी भावना व विचारों के अनुकूल ही कर रहा है।


(4) कवि की माता उसके पिता को समझाती हुई कहती है कि देश के लिए त्याग करना व देश सेवा करना तो तुम्हारे परिवार की परम्परा है। भवानी प्रसाद उसी परम्परा का पालन कर रहा 1


(5) (i) मुहावरेदार भाषा का प्रयोग किया गया है।
(ii) तुकांत के प्रयोग से भाषा में प्रवाहमयता एवं सरसता का समावेश हुआ है।
(iii) लक्षणा शब्द शक्ति का प्रयोग हुआ है।
(iv) 'लीक पर चलना' मुहावरे का सार्थक प्रयोग किया गया है।
(v) संवाद शैली का प्रयोग किया गया है।


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{8} पाँव जो पीछे हटाता, कोख को मेरी लजाता,,
इस तरह होओ न कच्चे, रो पड़ेंगे और बच्चे,
पिता जी ने कहा होगा, हाय, कितना सहा होगा,
कहाँ, मैं रोता कहाँ हूँ, धीर मैं खोता, कहाँ हूँ,


शब्दार्थ-पाँव पीछे हटाना= वचन को पूरा न करना। कोख को लजाना = माँ को लज्जित करना। कच्चे होना
होना धीर खोना धैर्य, साहस खोना ।


प्रसंग प्रस्तुत काव्य-पंक्तियाँ हमारी हिंदी की पाठ्य पुस्तक 'आरोह' भाग-1 में संकलित कविवर भवानी प्रसाद मिश्र की सुप्रसिद्ध रचना 'घर की याद' से उद्धृत हैं। कवि सन् 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लेने के कारण जेल में बंद है। सावन की झड़ी लगी हुई है। ऐसे में कवि को अपने परिवार के सदस्यों की बहुत याद सताती है। वह भावुक हो उठता है और कल्पना करता है कि उनके पिता जी उसे याद करके रो पड़े होंगे और तब माँ ने उन्हें समझाया होगा।


व्याख्या–कवि की माँ उनके पिता जी को समझाते हुए कहती है कि यदि भवानी जेल न जाकर पीठ दिखा देता अर्थात् कार वनकर भाग जाता तो इससे मेरी कोख लज्जित होती अर्थात् कवि की माँ का अपमान होता। इस प्रकार आप अपना मन दुर्बल न करो क्योंकि आपको रोते देखकर बच्चे भी रो पड़ेंगे। माँ की बात सुनकर पिता जी ने कहा होगा कि मैं कहाँ रो रहा हूँ। मैं अपना धैर्य खो नहीं रहा हूँ। कवि के कहने का तात्पर्य है कि उनके पिता जी का हृदय बहुत कोमल है। वे ऊपर से आँसू रोकने का प्रयास करते हैं, किंतु उनके हृदय में कवि के जेल जाने का अत्यधिक दुःख है जो बराबर आँसू बहने से प्रकट हो रहा है।


विशेष - (1) वात्सल्य रस का अत्यंत सुंदर एवं सार्थक उदाहरण है।
(2) भाषा चित्रात्मक एवं प्रवाहमयी है।
(3) लाक्षणिक शब्दावली का सटीक एवं सार्थक प्रयोग किया गया है । भाषा प्रसादगुण संपन्न है।
(5) 'पाँव पीछे हटाना', 'कोख को लज्जित करना' आदि मुहावरों का सार्थक प्रयोग किया गया है।


अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न (1) कविता एवं कवि का नाम लिखिए ।
(2) 'कोख को लजाना' का अर्थ स्पष्ट कीजिए ।
(4) कवि की माँ की बात सुनकर उनके पिता जी ने क्या कहा था ?
(4) प्रस्तुत काव्यांश का प्रमुख भाव स्पष्ट कीजिए।
(5) इस काव्यांश में प्रयुक्त शिल्प-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।


उत्तर - (1) कविता का नाम - घर की याद । कवि का नाम - भवानी प्रसाद मिश्र ।


(2) 'कोख को लजाना' का अर्थ है- माँ को लज्जित करना। यहाँ यदि कवि 'भारत छोड़ो आन्दोलन' में सक्रिय रूप भाग लेता और घर में छुपकर बैठ जाता तो इससे उसकी माँ को लज्जा अनुभव होती है।


(3) कवि की माँ ने जब उनके पिता को समझाया कि उनका बेटा भवानी उनके कुल की परम्परा का पालन करने हेतु आन्दोलन में भाग लेने के कारण जेल गया है और यदि वह ऐसा न करता तो मुझे भी लज्जा अनुभव होती। यह बातें सुनकर कवि के पिता ने कहा था कि मैं रो कहाँ रहा हूँ, ये तो मेरे खुशी के आँसू हैं और फिर मैंने अपना धैर्य कहाँ खोया है, मैं तो धैर्यवान बना हुआ हूँ। मुझे किसी बात की चिंता नहीं है।


(4) प्रस्तुत पद में कवि ने माता-पिता के सन्तान के प्रति वात्सल्य भाव को अभिव्यंजित किया है। कवि राष्ट्रीय आन्दोलन में भाग लेने के कारण कारावास में है। घर में माता-पिता उसकी चिंता में व्याकुल हैं। इस प्रकार संतान के लिए व्याकुल होना ही, उनके वात्सल्य भाव को दर्शा रहा है।


(5) (i) चित्रात्मक भाषा के सफल प्रयोग से सम्पूर्ण दृश्य साकार हो उठा है।
(ii) वात्सल्य भाव की अत्यन्त सजीव एवं मनोरम अभिव्यंजना हुई है ।
(iii) मुहावरेदार भाषा के प्रयोग से विषय वर्णन अत्यन्त रोचक बन पड़ा है।
(iv) ‘पाँव पीछे हटाना’, ‘कोख को लज्जित करना' मुहावरों का सफल प्रयोग द्रष्टव्य है।
(v) शब्द - योजना पूर्णतः विषयानुकूल है।


{9} हे सजीले हरे सावन, हे कि मेरे पुण्य पावन,
तुम बरस लो वे न बरसें, पाँचवें को वे न तरसें ।
मैं मजे में हूँ सही है, घर नहीं हूँ बस यही है,
किंतु यह बस बड़ा बस है, इसी बस से सब विरस है,

शब्दार्य - सजीले सजे हुए, सुंदर पावन = पवित्र बरसे आँसू बहाए । विरस = रसहीन, का। बस विवशता ।


प्रसंग - प्रस्तुत काव्य-पंक्तियाँ हमारी हिंदी की पाठ्य पुस्तक 'आरोह' भाग-1 में संकलित 'घर की याद' कविता से अवतरित हैं। इनमें कविवर भवानी प्रसाद मिश्र ने कारावास में रहते हुए अपने पिता के विषय में चिंता व्यक्त की है।


व्याख्या कवि ने सावन का मानवीकरण करके उससे निवेदन किया है कि उसके घर की कुशलता का समाचार लाकर उसे दे। कवि सावन को संबोधित करता हुआ कहता है कि हे सुंदर हरे-भरे सावन तुम तो मेरे पवित्र पुण्यों की भाँति हो। तुम खूब बरस लो, किंतु तुम्हें बरसते देख पिता जी न बरसें अर्थात् आँसू न बहाए। तुम्हें देखकर वे अपने पाँचवें पुत्र (कवि) के लिए न तरसें । कवि पुनः सावन से कहता है कि तुम मेरे घर पर जाकर मेरे माता-पिता से कहना कि मैं घर पर नहीं हूँ। जेल में हूँ। मेरे लिए यह 'बस' बड़ी मजबूरी से भरा हुआ है। इसलिए यहाँ सब कुछ फीका-फीका तथा आनंदरहित लगता है।


विशेष- (1) यहाँ कवि ने सावन को संदेशवाहक बनाकर अपना संदेश परिवारजनों तक पहुंचाने का प्रयत्न किया है। यह कालिदास के 'मेघदूत' की परंपरा का ही अनुसरण है।
(2) अनुप्रास एवं मानवीकरण अलंकार प्रयुक्त हुआ है।
(3) भाषा सरल एवं प्रवाहमयी है।
(4) शब्द योजना अत्यंत सार्थक एवं उपयुक्त है।


अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न (1) कविता एवं कवि का नाम लिखिए।
(2) कवि ने सावन को सजीला और पुण्य पायन क्यों कहा है ?
(3) 'तुम बरस लो वे न बरसें'-पंक्ति  का आशय स्पष्ट कीजिए।
(4) कवि के लिए क्या और क्यों विरस है ?
(5) प्रस्तुत पद में निहित काव्य-सौंदर्य का उल्लेख कीजिए ।


उत्तर- (1) कविता का नाम - घर की याद । कवि का नाम - भवानी प्रसाद मिश्र


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(2) कवि ने सावन को 'सजीला' इसलिए कहा, क्योंकि सावन में चारों ओर प्रकृति हरी-भरी हो जाती है। सुगन्धित हवाएँ चलती हैं। आकाश में बादल छा जाते हैं और हर प्राणी के हृदय में उत्साह भर जाता है। सावन को अपने पवित्र पुण्यों के समान इसलिए कहा है कि पुण्य के कार्य करने से जीवन भी सुख, सन्तोष और आनन्द मिलता है। सावन भी प्राणियों को सुख व प्रदान करने वाला है। सूखी धरती में प्राणों का संचार करता है


(3) कवि ने सावन से कहा है, हे सावन तुम चाहे जितनी वर्षा करना चाहते हो करो किन्तु 'वे' अर्थात् मेरे माता-पिता न  बरसें अर्थात् मुझे याद करके वे न रोएँ। कवि ने अपने माता-पिता के कोमल, भावुक स्वभाव का चित्रण किया है।


(4) कवि कारावास का जीवन व्यतीत कर रहा है। उसकी यह विवशता है कि वह सावन के महीने में अपने घर नहीं जा सकता। अपने परिवार से मिलकर आनन्दपूर्ण जीवन व्यतीत नहीं कर सकता। कवि की इस ('बस') विवशता के कारण ही उसका जीवन रस विहीन हो गया है। वह जेल में बंदी होने के कारण और परिवार से दूर रहने के कारण निराश है।


(i) कवि ने भारतीय साहित्य परम्परा के अनुकूल सावन को संदेशवाहक बनाया है।
(ii) 'सावन का मानवीकरण करके अपने मन की निराशा को अभिव्यंजित किया है।'
(iii) अनुप्रास अलंकार की छटा है।
(iv) भाषा अत्यन्त सरल, सहज किन्तु भावाभिव्यक्ति में पूर्णतः सक्षम है।
(iv) संवाद शैली का प्रयोग किया गया है।


{10} किंतु उनसे यह न कहना, उन्हें देते धीर रहना,
उन्हें कहना लिख रहा हूँ, उन्हें कहना पढ़ रहा हूँ,
काम करता हूँ कि कहना, नाम करता हूँ कि कहना,
चाहते हैं लोग कहना, मत करो कुछ शोक कहना,

शब्दार्थ-धीर= धीरज नाम करना = प्रसिद्धि प्राप्त करना। शोक = दुःख।


प्रसंग प्रस्तुत काव्यांश हमारी हिंदी की पाठ्य पुस्तक 'आरोह' भाग-1 में संकलित 'घर की याद' कविता से लिया गया है।इसके कवि श्री भवानी प्रसाद मिश्र हैं। यहाँ कवि सावन का मानवीकरण करके अपने संदेश को माता-पिता तक पहुँचाना चाहता है।


व्याख्या -कवि सावन से निवेदन करता हुआ कहता है कि हे सावन ! हमारे घर जाकर पिता जी से यह मत कहना कि मैं यहाँ जेल में निराश रहता हूँ । उनको यह कहना कि मैं जेल में बड़े मजे से रहता हूँ तथा उन्हें धैर्य देते रहना। उन्हें यह कहना कि मैं यहाँ कविता लिखने जैसा महान् कार्य करके समाज में प्रसिद्धि प्राप्त कर रहा हूँ। उन्हें यह भी बताना कि यहाँ लोग उन्हें. बहुत चाहते हैं। मैं देश के लिए कारावास में रहकर नाम पैदा कर रहा हूँ। अतः आप मेरे जेल जाने का जरा भी दुःख न मनाना।


विशेष—(1) कवि ने सावन का मानवीकरण करके तथा उसे संदेशवाहक बनाकर कालिदास के 'मेघदूत' की परंपरा का पालन किया है।
(2) कवि की मानसिकता का बोध होता है।
(3) मानवीकरण, अलंकार का प्रयोग किया गया है।
(4) भाषा सरल, सरस एवं भावानुकूल है।
(5) छोटे-छोटे किंतु सार्थक वाक्यों का प्रयोग किया गया है।


अर्थग्रहण संबंधी प्रश्नोत्तर

प्रश्न (1) कविता एवं कवि का नाम लिखिए।
(2) 'किन्तु उनसे यह न कहना' पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए ।
(3) कवि ने किसे और किसके द्वारा धीर देने के लिए कहा है ?
(4) कवि किसका और कैसे नाम कर रहा है ?
(5) प्रस्तुत पद्यांश का शिल्प-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए |


उत्तर- (1) कविता का नाम घर की याद । कवि का नाम - भवानी प्रसाद मिश्र ।


(2) कवि कारावास का जीवन व्यतीत कर रहा है। घर से दूर रहने के कारण उसे घर और परिवार के सदस्यों की बहुत याद आती है। सावन मास की वर्षा के कारण कवि का मन और भी अधीर हो उठता है और निराश हो जाता है। कवि अपने मन की भावनाओं को सावन मास के माध्यम से अपने माता-पिता तक पहुँचाना चाहता है। साथ ही 
उसे सतर्क कर देता है कि उन्हें यह मत बता देना कि मैं यहाँ कारावास में बहुत निराश रहता हूँ।


(3) कवि ने सावन के बादलों को कहा है कि उसके माता-पिता व परिवार के अन्य सदस्यों को धैर्य देते रहना। उन्हें यह बताना कि वह (कवि) कारावास में कुशलतापूर्वक है और बड़े मजे से रह रहा हैं 1


 
(4) कवि ने इन काव्य पंक्तियों के माध्यम से बताया है कि वह जेल में बंदी है किन्तु वह किसी अपराध या चोरी के कारण कारावास में नहीं है अपितु उसने स्वतन्त्रता आन्दोलन (भारत छोड़ो आन्दोलन) में सक्रिय भाग लिया है। उसके कारण अंग्रेज़ शासन ने उसे कारावास की सजा सुनाई है। उस समय राष्ट्रीय आन्दोलन में भाग लेकर और जेल जाकर अपना, परिवार और देश का नाम ऊँचा कर रहा है।


(5) (i) कवि ने सावन को अपना संदेशवाहक बनाकर भारतीय साहित्य परंपरा का पालन किया है।
(ii) कवि की निराश मनोदशा का सूक्ष्म वर्णन हुआ
(iii) सरल, प्रवाहमयी एवं व्यावहारिक भाषा का सुंदर एवं सफल प्रयोग किया गया है।
(iv) 'कहना' शब्द की आवृत्ति अत्यंत आकर्षक बन पड़ी है।
(v) छोटे-छोटे वाक्यों एवं तुकांत से काव्य सौंदर्य में वृद्धि हुई है।

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