Jaag Tujhko Dur Jana hai Class 11 Important Questions | Jaag Tujhko Dur Jana hai Class 11 Question Answer | जाग तुझको दूर जाना प्रश्न उत्तर

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Jaag Tujhko Dur Jana hai Class 11 Important Questions | Jaag Tujhko Dur Jana hai Class 11 Question Answer | जाग तुझको दूर जाना प्रश्न उत्तर 



प्रश्न 1. नाश-पथ पर चिह्न अपने छोड़ना किसको संबोधित है ?

उत्तर : नाश-पथ पर अपने चिहन छोड़ना मानव को संबोधित किया गया है।


प्रश्न 2. ‘तू न अपनी छाँह को अपने लिए कारा बनाना’ का क्या आशय है ?

उत्तर : ‘तू न अपनी छाँह को अपने लिए कारा बनाना’ का आशय है कि है मनुष्य । जीवन की मौज-मस्ती और मोह-बंधन तुम्हें अपने मोह पाश में बाँध लेंगे। चूंकि तुम्हें अभी बहुत दूर जाना है इसलिए इन मोह-माया के बंधनों को तुम अपने लिए कारा (जेल) मत बना लेना अर्थात् मोह-माया के बंधनों को तोड़कर ही मनुष्य मोक्ष को प्राप्त कर सकता है।


प्रश्न 3. इस कविता में महादेवी ने आँसू को किन-किन रूपों में प्रस्तुत किया है ?

उत्तर : महादेवी वर्मा ने आँसू के बारे में कहा है कि किसी के आँसू तेरे हदयय की कठोरता को पिषला नहीं सक्ते ? मंजिल-प्राप्ति की आग जो तैरे हदयय में जगी है और संघर्ष के बाद जब तुझे जीत प्राप्त होगी तभी तेर आँखों में खुशी के आसू आएँगे। इस प्रकार मंज़िल प्रापित में आँसुओं की भावुक्ता और जीत के बाद आँखों में आए आँसुओं का वर्णन किया गया है।


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प्रश्न 4. ‘जिसने उसको ज्वाला सौंपी …….. कब फूल जला’ छंद में फूल और सौरभ के माध्यम से क्या भाव प्रकट किया गया है ?

उत्तर : उपर्युक्त छंद में फूल और सौरभ के माध्यम से भाव प्रकट किया गया है कि दीपक को ज्वाला प्रदान करनेवाला और फूल को सुगंध प्रदान करनेवाला परमात्मा ही होता है। दीपक प्रकाश के माध्यम से संसार को आलौकिक कर देता है और फूल सारे संसार में सुगंध भर देता है। इन दोनों का स्वभाव एक-सा होता है परंतु कब दीप जलेगा और कब फूल खिलेगा यह केवल परमात्मा जानता है।


प्रश्न 5. निझर सुर-धारा और मोती को महादेवी ने किस तरह आँसू से जोड़ा है ?

उत्तर : निईर को सौ-सौं धाराओं में बहले चंचल जल के माध्यम से आँसुओं से जोड़ा गया है।

जीवन के सत्य मिलकर तारों का समूह बनकर सुरधारा को आँसुओं के रूप में चूमते हैं।

जीवन रूपी मोती की चमक भी आँसुओं के रूप में चित्रित की गई।


प्रश्न 6. “हार भी तेरी बनेगी ………. कलिया बिछाना” पंक्तियों में पतंग और दीपक की किन विशेषताओं को महादेवी वर्मा ने रेखांकित किया है ?

उत्तर : प्रस्तुत काव्य पंक्तियों में महादेवी वर्मा ने पतंगा के बारे कहा है कि पतंगा ज्योति पुंज पर राख होने के लिए ही चक्कर काटता रहता है अर्थात पतंगे का जीवन क्षणिक होता है वह अपनी मंजिल को प्राप्त नहीं कर सकता। दीपक की विशेषताओं का वर्णन करते हुए कवयित्री कहती हैं कि दीपक की जलती हुई लौं अमरता की प्रतीक है क्योंकि दीपक की इसी लौ को पाने के लिए पतंगा अपने जीवन को खत्म कर देता है इस प्रकार पतंगा क्षीण जीवन जीता है और दीपक अमर हो जाता है।


प्रश्न 7. प्रेम में हार भी जीत की निशानी बन जाती है-इस उदाहरण को किस उदाहरण पुष्ट किया गया है ?

उत्तर : कवयित्री महादेवी का मानना है कि मानवीय जीवन संघवों, दुखों और असफलताओं का जीवन है। यहाँ पग-पग पर हार का सामना करना पड़ता है। अगर तुम्हें देश के प्रति प्रेम है तो स्वतंत्रता-प्रापि के लिए तुम्हें बार-बार संघर्ष करना पड़ेगा। देश-प्रेम और स्वतंत्रता-प्राप्ति इतनी आसान नहीं है। देश की स्वतंत्रता-प्राप्ति की लड़ाई अगर तू हार भी गया तो वह तुम्हारी पराजय नहीं बल्कि विजय होगी क्योंकि हार में भी जीत के लक्षण निहित होते हैं। जिस प्रकार जो जवान आजादी की लड़ाई में शहीद हो गए हैं वे मरे नहीं हैं बल्कि अमर हो गए हैं। वे हारकर भी जीत गए हैं। इस प्रकार देश-प्रेम में हार भी जीत की निशानी बन जाती है।


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प्रश्न 8. मार्ग की बाधाओं को कवयित्री ने किन-किन प्रतीकों के माध्यम से व्यक्त किया है ?

उत्तर : कवयित्री महादेवी के अनुसार जीवन एक मार्ग है। दुख एवं पीड़ाएँ इस मार्ग की बड़ी बाधाएँ हैं। संधर्ष और असफलताएँ इस मार्ग को और भी अवरुद्ध कर देती हैं। मनुष्य को बार-बार दुखों और संघषों का सामना करना पड़ता है। मार्ग की बाधाओं को कवयित्री ने हिमालय की बर+फ से ढकी बर+फीली चोटियों, प्रकृति में आँधी और तु+फान का आना, चारों ओर काली आँधी से प्रचंड अंधकार छा जाना, मोम के बंधन, तितालियों के पर, मधुप की मधुर गुनगुन, फूलों पर पड़ी ओस की बूँदे, अपने प्रति मोह की धारा बनना, ठंडी साँसें तथा अंगार शय्या पर मृदुल कलियाँ बिछाना आदि प्रतीकों के माध्यम से व्यक्त किया है।


प्रश्न 9. महादेवी की वेदनानुभूति पर टिप्पणी लिखिए।

उत्तर : महादेवी वर्मा के काव्य का प्रमुख तत्व विरह वेदना है। इन्हें ‘वेदना की कवयित्री’ भी कहा जाता है। इनके काव्य में वेदना के लिए आत्म-समर्पण, सँदर्य तथा आनंद है। इन्हें ‘ वेदना की सामग्री’ भी कहा जाता है। महादेवी वर्मा ने स्वयं अपने बारे में लिखा। ”दुख मेंर निकट जीवन का ऐसा काव्य है जो सारे संसार को एक सूत्र में बाँधे रखने की क्षमता रखता है। हमारे असंख्य सुख हमें चाहे मनुष्यता की पहली सीढ़ी तक न पहुँचा सकें। किंतु हमारा एक बूँद आँसू भी जीवन को अधिक मधुर, अधिक उर्वर बनाए बिना नहीं गिर सक्ता।” महादेवी को स्वयं पर पूरा भरोसा है कि वेदना की सहायता से अपने प्रिय का साक्षात्कार किया जा सकता है।


प्रश्न 10. ‘जाग तुझको दूर जाना’ कविता का प्रतिपाद्य स्पष्ट कीजिए।

उत्तर : ‘जाग तुझको दूर जाना’ महादेवी वर्मा का एक गीत है। इस गीत के माध्यम से कवयित्री मानव को निरंतर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है। कवयित्री मनुष्य का आह्वान करते हुए कहती है कि मनुष्य को सदैव जीत के लिए तत्पर रहना चाहिए। कवयित्री ने ये गीत स्वाधीनता आंदोलन की प्रेरणा से रचित जागरण गीत है। कवयित्री ने अपने इस गीत द्वारा भीषण कठिनाइयों की चिंता न करते हुए कोमल बंधनों के आकर्षण से मुक्त होकर अपने लक्ष्य की ओर निरंतर बढ़ते रहने का आहवान किया है। मोह-माया के बंधन में जकड़े मानव को जगाते हुए महादेवी ने कहा है जाग तुझको दूर जाना है।


प्रश्न 11. महादेवी वर्मा के दूसरे गीत ‘सब आँखों के आँसू उजले’ का संदेश स्पष्ट कीजिए।

उत्तर : कवयित्री ने अपने दूसरे गीत ‘सब आँखों के आँसू उजले’ गीत में जीवन के सत्य को प्रकृति के माध्यम से उद्धाटित किया है। प्रकृति के उस स्वरूप की चर्चा की है जो सत्य है, यथार्थ है और जो लक्ष्य तक पहुँचने में मानव की मदद करता है। महादेवी वर्मा मानव को संदेश देना चाहती है कि प्रकृति के इस परिवर्तनशील यथार्थ से जुड़कर मनुष्य अपने सपनों को साकार करने की राहें चुने।


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प्रश्न 12. कवयित्री ने किसे और कैसे विनाश के मार्ग पर अपने पद चिह्न-छोड़ने को कहा है ?

उत्तर : कवयित्री ने मानब को निरंतर जागृत रहने की प्रेरणा दी है कि चाहे अंधकार की प्रचंड छाया संपूर्ण प्रकाश को अंधकार में परिवर्तित कर दे। चाहे निष्टुर तू+फान संपूर्ण आकाश में आकाशीय बिजलियों की वर्षा कर दे किंतु तुम्हें निरंतर चलते हुए विनाश के रास्ते पर अपने पैरों के निशान छोड़ते जाना है, इसलिए तुम्हें निरंतर जागना होगा तथा चलना होगा।


प्रश्न 13. कवयित्री किसे अपनी कहानी ठंडी साँसों से कहने की बात करती है ?

उत्तर : कवयित्री मानव को सचेत करते हुए उसे जीत के लिए सदैव तत्पर रहने को कहती है। वह मानव से कहती है कि उसका जीवन आग में जलती कहानी है तथा उसका सारा जीवन दुखों और संघर्षों से भरा पड़ा है। इसलिए मानव तुम इस अपनी संघर्षमय कहानी को ठंडी साँसों से मत कहो। अगर तू जीवन संघर्ष में हार भी गया तो वह तेरी पराजय न होकर विजय होगी क्योंकि हार में जीत के लक्षण दिखाई पड़ते है।


प्रश्न 14. कवयित्री ने प्रकृति के माध्यम से जीवन की सच्चाई को कैसे प्रकट किया है ?

उत्तर : कवयित्री ने ‘सब आँखों के आँसू उजले’ गीत के माध्यम से जीवन की सच्चाई को प्रकृति के माध्यम से प्रकट किया है। महादेवी का मानना है कि जीवन का सत्य ही सौ-सौ धाराओं को बनाकर चंचल झरने के रूप में स्थिर धरती से मिलकर एक हो जाता है। परमात्मा द्वारा प्रदान जीवन की सच्चाई ही सागर का करुण जल बनकर संपूर्ण पृथ्वी को चारों और से घेर लेती है। ये सभी सत्य परिवर्तन मात्र परमात्मा की इच्छा पर निर्भर हैं।

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