Badal ko Ghirte Dekha Hai Class 11 Question Answer | Class 11 Hindi Chapter Badal ko Ghirte Dekha Hai Question Answer | बादल को घिरते देखा है प्रश्न उत्तर | बादल को घिरते देखा है का प्रश्न उत्तर

0

Badal ko Ghirte Dekha Hai Class 11 Question Answer | Class 11 Hindi Chapter Badal ko Ghirte Dekha Hai Question Answer | बादल को घिरते देखा है प्रश्न उत्तर | बादल को घिरते देखा है का प्रश्न उत्तर

 

प्रश्न 1. इस कविता में बादलों के सौंदर्य-चित्रण के अतिरिक्त और किन दूश्यों का चित्रण किया है ?

उत्तर - कवि नागार्जुन ने इस कविता में वर्णन किया है कि मानसरोवर में खिले कमलों पर पड़ी वर्षा की बूँदे छोटे-छोटे मोतियों जैसी लगती हैं। अनेक बड़ी-छोटी झीलों में समतल देशों की उमस से व्याकुल पक्षियों द्वारा कमल नाल के कड़वे मीठे तंतु खाते भी दिखाया है। साथ चकवा-चकई का प्रणय-कलह तथा किन्नर जाति के नर-नारियों के सौंदर्य और मादकता आदि दृश्य-बिंबों का सजीव वर्णन किया है।


प्रश्न 2. ‘प्रणय-कलह’ से कवि का क्या तात्पर्य है ?

उत्तर - ‘प्रणय-कलह’ से कवि का तात्पर्य है कि जब प्रेमी और प्रेमिका अथवा नायक और नायिका परस्पर सच्चा प्रेम करते हैं और किसी कारणवश उन्हें बिद्डड़ना पड़ता है तो वे जब अलग-अलग होते हैं तो उन्हें विरह-वेदना में दिन व्यतीत करने पड़ते हैं तो परंतु जब वे एक बार फिर मिलते हैं तो वे प्यार व्यक्त करने के साथ-साथ एक-दूसरे के प्रति गुस्सा भी प्रकट करते हैं। उनका यही प्यार और गुस्सा ‘प्रणय-कलह’ कहलाता है। कवि ने प्रस्तुत कविता में चकवा और चकई के माध्यम से यही दर्शाया है। जब चकवा और चकई रात होते ही एक-दूसरे से बिछुड़ जाते हैं तथा सुबह होते ही एक-दूसरे को एक बार फिर मिल जाते हैं तो ‘प्रणय-कलह’ की क्रिया से गुज़रते है।


प्रश्न 3. कस्तूरी मृग के अपने पर ही चिढ़ने के क्या कारण हैं ?

उत्तर - कवि हिमालय पर्वत में स्थित सैकड़ों-हज्ञारों फुट की ऊँचाई पर गहरी एवं दुर्गम बफ़ीली घाटी में अलख नाभि से उठने वाली फूलों की-सी सुगंध को सूँघकर कस्तूरी मृग उसके पीछे-पीछे दौड़ता-सा प्रतीत होता है परंतु वहाँ वह कहीं भी उस सुर्ंध को नहीं पकड़ पाता। वह बार-बार चक्कर काटता है और फिर वहीं आकर खड़ा हो जाता है। एक अजीब-सी सुगंध के पीछे दौड़ते कस्तूरी मृग को देखकर कवि को लगता है कि वह अपने-आप से ही चिढ़ रहा है।


प्रश्न 4. बादलों का वर्णन करते हुए कवि को कालिदास की याद क्यों आती है ?

उत्तर - जब कवि हिमालय की ऊँची चोटियों पर बादल को छिरकर बरसते देखता है तो वह कालिदास को याद करता हैं और सोचता है कि यहों चारों तरफ बादल-ही-बादल हैं। धन का देवता कुलेर और उसकी अलका नगरी बादलों में कही लुप्त हो जाती है। कालिदास मेषदूत में वर्णन करते हैं कि वर्षा का पानी (गंगाजल) अत्यधिक तीव्र वेग से आकाश में घूमने लगता है। जब वह पर्वत की चोटी पर बादलों को घिरते देखता हैं तो उसे कालिदास का मेघदूत कहीं भी दिखाई नहीं देता। कवि उसे कोरी कल्पना समझकर छोड़ने की बात करता है। इसी दृश्य को देखकर कवि को कालिदास की अचानक याद आ जाती है।


प्रश्न 5. कवि ने ‘मामेघ को झंझानिल से गरज-गरज भिड़ते देखा है’ क्यों कहा है ?

उत्तर - कवि ने ऐसा इसलिए कहा है, क्योंकि उसने शीत ॠत्तु की तेज हवाओं में बादलों को आपस में टकरा-टकराकर गरजते और बरसते हुए देखा है। कवि को ऐसा लगता था कि मानो तेज़ तुफान में बड़े-बड़े बादल आपस में टकराकर बरस रहे हैं।


प्रश्न 6. ‘बादल को घिरता देखा है’-पंक्ति को बार-बार दोहराए जाने से कविता में क्या साँदर्य आया है ?

उत्तर - इस कविता में ‘बादल को घिरते देखा है’ पंक्ति को बार-बार दोहराए जाने का सर्वाधिक उपयुक्त कारण यह है कि कवि ने इस कविता में जितने भी दृश्य चित्र बनाए हैं उन सबमें बादल को घिरते दिखाया गया है। हिमालय की ऊँची सफ़ेद चोटियों पर मानसरोवर और अन्य झीलों में पावस, शीत, ग्रीष्म और वसंत ऋतु के साथ-साथ तथा किन्नर जाति के वर्णन में बादल घिरकर आते हैं।


यह पेज आपको कैसा लगा ... कमेंट बॉक्स में फीडबैक जरूर दें...!!!


प्रश्न 7. निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए –

(क) निशाकाल से चिर-अभिशापित-बेबस उस चकवा-चकई का/बंद हुआ क्रंदन, फिर उनमें । उस महान सरवर के तीरे/शैवालों की हरी दरी पर प्रणय-कलह छिड़ते देखा है।

(ख) अलख नाभि से उठनेवाले/निज के ही उन्माद परिमल/के पीछे धावित हो-होकर / तरल तरुण कस्तूरी मृग को/अपने पर चिढ़ते देखा है।

उत्तर - (क) कवि कहता है कि हिमालय की ऊँची स्वर्णिम चोटियों के बीच मानसरोवर झील है। वसंत ऋतु में उदय होते सूर्य की स्वर्णिम किरणें बर्फ़ की सफ़ेद चादर से ढकी चोटियों पर पड़ती हैं। मंद-मंद गति से हवा चल रही है। इस सुंदर एवं स्वच्छ वातावरण में चकवा और चकई एक-दूसरे से रात भर अलग-अलग रहने का सदा से अभिशाप है। परंतु सुबह होते ही उन बेबस और व्याकुल चकवा और चकई की विरह-चीखें बंद हो जाती हैं। कवि कहता हैं कि मैने चकवा – चकई को हिमालय स्थित मानसरोवर के किनारे शैवाल की हरी चादर पर प्यारा-भरी छेड़छाड़ करते देखा है अर्थात् रात-भर विरह वेदना से उभरकर सुबह जब दोनों मिलते हैं, तो, वे एक-दूसरे के साथ प्रेम भरी क्रीड़ाएँ करते हैं।

(ख) कवि कहता है कि हिमालय पर्वत में स्थित सैकड़ो-हजारों फुट की ऊँचाई पर गहरी और दुर्गम बफ़ीली घाटी में अनेक प्रकार के फूलों की सुगंध-सी बिखरी हुई है। चारों ओर सुंंधमय वातावरण है परंतु मृग जिसके पास स्वयं कस्तूरी की सुगंध होती है, वह इस नशीली सुंध के पीछे-पीछे दौड़ रहा है तथा ऐसा प्रतीत होता है जैसे बेचैन होकर कस्तूरी मृग अपने ही ऊपर चिढ़ रहा हो। यह सारा घटनाक्रम मैने अपनी आँखों से देखा है।


प्रश्न 8. संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए :

(क) छोटे-छोटे मोती जैसे …………………. कमलों पर गिरते देखा है।

(ख) समतल देशों से आ-आकर …………………….. हंसों को तिरते देखा है।

(ग ) ऋतु वसंत का सुप्रभात था …………. अगल-बगल स्वर्णिम शिखर थे।

(घ) बूँड़ा बहुत परंतु लगा क्या .जाने दो, वह कवि-कल्पित था।

उत्तर - इसी कविता का सप्रसंग व्याख्या भाग देखिए।



आपकी स्टडी से संबंधित और क्या चाहते हो? ... कमेंट करना मत भूलना...!!!




Post a Comment

0Comments

If you have any doubts, Please let me know

Post a Comment (0)