Devsena ka Geet Important Question Answer | Class 12 Hindi Chapter 1 Devsena ka Geet Important Question Answer | देवसेना का गीत Question Answer | Karneliya ka Geet Class 12 Important Questions | Class 12th Hindi Karneliya ka Geet Important Question Answer | कार्नेलिया का गीत के Important Question Answer

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प्रश्न 1. ‘देवसेना का गीत’ का प्रतिपाद्य स्पष्ट कीजिए।

उत्तर - ‘देवसेना का गीत’ प्रसादजी के नाटक ‘स्कंदगुप्त’ से लिया गया है। देवसेना का पिता और भाई वीरगति को प्राप्त हुए थे। देवसेना यौवनकाल के प्रारंभ से स्कंदगुप्त को चाहती थी, पर तब स्कंदगुप्त: मालवा के धनकुबेर की कन्या विजया को पाना चाहते थे। उसके न मिलने पर जीवन के अंतिम मोड़ पर स्कंदगुप्त ने देवसेना का साथ चाहा, पर वह इंकार कर देती है। वह बूढ़े पर्णदत्त के साथ आश्रम में भिक्षा माँगती है। देवसेना अपने विगत जीवन पर दृष्टिपात करती है तो वह अपने भ्रमवश किए कामों पर पछताती है। वह अपने जीवन की पूँजी की रक्षा नहीं कर पाती। वह हार निश्चित होने के बावजूंद प्रलय से लोहा लेती है।


प्रश्न 2. ‘कार्नेलिया का गीत’ का प्रतिपाद्य लिखिए।

उत्तर - ‘कार्नेलिया का गीत’ कविता जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित नाटक ‘चंड़गुप्त’ का एक प्रसिद्ध गीत है। कार्नेलिया सिकंदर के सेनापति सेल्यूकस की बेटी है। वह सिंधु के किनारे एक ग्रीक शिविर के पास वृक्ष के नीचे बैठी हुई है। वह अचानक गा उठी है-सिंधु का यह मनोहर तट मेरी आँखों के सामने एक आकर्षक चित्र उपस्थित कर रहा है। उसे यह देश अपना प्रतीत होता है, अतः वह कह उठती है- अरूण, यह मधुमय देश हमारा’। इस गीत से वह भारतवर्ष की गौरवशाली परंपरा का गुणगान करती है। इस महान देश में सभी प्राणियों को आश्रय प्राप्त होता है। पक्षी अपने प्यारे घोंसलों की कल्पना करके जिस ओर उड़े चले जा रहे हैं, वही देश प्यारा भारतवर्ष है। इस देश का प्रातःकाल इतना आकर्षक होता है कि ऐसा प्रतीत होता है कि उषा रूपी नायिक हमारे लिए सुखों की वर्षा कर रही हो। यहाँ के निवासियों के नेत्रों से करुण जल बरसता रहता है। यही भारत की पहचान है।


प्रश्न 3. ‘कार्नेलिया का गीत’ कविता के माध्यम से देशभक्ति के साथ-साथ भारतीय इतिहास की भी झलक

उत्तर - जयशंकर प्रसाद इस गीत के माध्यम से राष्ट्र-भक्ति का केवल एक और श्रेष्ठ स्वरूप ही प्रस्तुत करते हुए कहते हैं कि सत्य, अहिंसा और करूणा इस देश की संस्कृति के मुख्य तत्वों में से रहे हैं। अतः प्रत्येक भारतवासी की आँख में करुणा का जल बादलों की तरह विद्यमान रहता है। भारत की भौगोलिक सीमाओं को देखें तो इसके पूर्व-पश्चिम एवं दक्षिण तीनों तटों पर तीन-तीन सागरों की लहरें ही आकर नहीं टकराती, अपितु उन लहरों पर सवार होकर आए जलयान और उनके यात्री भी अपनी मंजिल पा जाते हैं। कृवि का संकेत कोलंबस एवं वास्को-डि-गामा जैसे यात्रियों की ओर ही है। इस प्रकार भारत के प्राकृतिक सौंदर्य, ऐतिहासिक-सांस्कृतिक महत्त्व और जीवन के सुख को प्रदान करने की क्षमता आदि का गुणगान करके कवि भारतवासियों के मन में देश-गौरव का भाव जागृत करना चाहता है और एक विदेशी युवती के मुख से गीत गवाकर प्रसाद यह संदेश भी देना चाहते हैं कि यदि कार्नेलिया जैसी विदेशी युवती इस देश को अपनाकर इसे प्राणपन से प्रेम कर सकती है तो हम भारतीय ऐसा क्यों नहीं कर सकते?


प्रश्न 4. ‘मेरी करुणा हा-हा खाती’ इस उद्गार के आलोक में देवसेना की वेदना को समझाइए।

उत्तर - अंत में देवसेना भाव-विह्लल होकर विश्व को संबोधित करती हुई कहती है कि तुमने उसे (देवसेना को) जो विश्वासरूपी अथवा स्नेहरूपी धरोहर सौंप रखी थी, उसे अब वापस ले लो। उसका जीवन करुणा से भर गया है और यह करुणा उसके लिए दुखदायी बन गई है। उसकी करुणा उसके लिए दुखदायी बन गई है। उसकी करुणा उसे खाए जा रही है। संसार ने जो जिम्मेदारी देवसेना को सौंप रखी थी, उसे वह सँभाल नहीं पाई है। अतः वह अपने मन में लज्जित है कि उसके मन ने लाज खो दी है।


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प्रश्न 5. देवसेना के परिश्रम से निकली पसीने की बूँदे आँसू की तरह क्यों प्रतीत हो रही थीं ? – ‘देवसेना का गीत’ कविता के आधार पर बताइए।

अथवा

देवसेना की वेदना का कारण समझाइए।

उत्तर - देवसेना की वेदना के कारण :

देवसेना के परिवार के सभी सदस्य हूग्णों के आक्रमण का सामना करते हुए वीरगति को प्राप्त हो गए थे।

देवसेना राष्ट्र-सेवा का व्रत लिए हुए संघर्ष कर रही थी।

वह प्रारंभ में जिस स्कंदगुप्त से प्रेम करती थी, उसे किसी ओर से प्रेम था। अतः देवसेना निराश हो गई थी।

देवसेना का जीवन अत्यंत दुखों और कठिनाइयों से भरा हुआ था।

वह अपने जीवन-यापन के लिए गाना गाकर भीख माँगती फिर रही थी।

देवसेना जीवन-संघर्ष करते हुए इधर पसीने बहा रही थी, उधर उसकी मानसिक व्यथा के कारण उसकी आँखों से निकले आँसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे।

इन्हीं कारणों से उसके परिश्रम से निकली पसीने की बूँदों को आँसू की तरह गिरती हुई बताया गया है।


प्रश्न 6. ‘कार्नेलिया का गीत’ कविता में वृक्षों की सुंदरता का वर्णन किस रूप में हुआ है ?

उत्तर - ● ‘कान्नेलिया का गीत’ कविता में वृक्ष्षों की सुंदरता का वर्णन अत्यंत आकर्षक रूप से हुआ है।

नदी-सरोवरों के जल में कमल-नाल की आभा पर वृक्षों की चोटियों की परछाई अत्यंत सुंदर प्रतीत हो रही है।

सरोवरों की लहरों पर वह परछाई नाचती हुई-सी लग रही है।

सर्वत्र हरियाली बिखरी हुई है और उस हरियाली पर मंगल-कुकुम के रूप में जीवन छिटका हुआ है।



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  1. Sir your videos are very helpful . ALL chapters jaldi se complate karva dijiye .

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