Teesri Kasam ke Shilpkar Shailendra Important Questions | तीसरी कसम के शिल्पकार शैलेंद्र Class 10 Question Answer | Teesri Kasam ke Shilpkar Shailendra Class 10 Question Answer
उत्तर – राजकपूर शैलेंद्र के सच्चे मित्र थे। शैलेंद्र ने राज कपूर से अपनी फ़िल्म में अभिनय करने का प्रस्ताव रखा था , लिसके लिए वे तैयार भी हो गए थे , परन्तु एक सच्चे मित्र के parvat pradesh mein pavas class 10 important questions का निर्वाह करते हुए उन्होंने शैलेंद्र को पहले ही इस फ़िल्म की असफलता के प्रति सचेत कर दिया था।
Q2. राजकपूर ने शैलेंद्र के साथ अपनी मित्रता ? निर्वाह कैसे किया?
उत्तर – राजकपूर ने अपने मित्र शैलेंद्र की फ़िल्म ‘तीसरी कसम’ में पूरी तन्मयता से काम किया। इस काम के बदले उन्होंने किसी प्रकार के पारिश्रमिक की अपेक्षा नहीं की। उन्होंने मात्र एक रुपया एडवांस लेकर काम किया और मित्रता का निर्वाह किया।
Q3. शैलेंद्र द्वारा उनकी फ़िल्म ‘तीसरी कसम’ में व्यक्त करुणा को स्पष्ट कीजिए। (CBSE 2016)
उत्तर – शैलेंद्र द्वारा उनकी फ़िल्म ‘तीसरी कसम’ में व्यक्त करुणा में निराशा नहीं, अपितु परिस्थितियों से जूझने और कभी हार न मानने की प्रेरणा थी। जिसने फ़िल्म को बहुत प्रशंसा दिलाई। इस फ़िल्म में ऐसे लोगों की जिंदगी को अभिव्यक्त किया गया है, जो बहुत ही गरीब हैं, किन्तु फिर भी वे सुनहरे सपनों में मौज-मस्ती से जीते हैं तथा प्रत्येक परिस्थिति में मुस्कुराते हैं। अभावों की जिंदगी जीते लोगों के सपनीले कहकहे ‘तीसरी कसम’ की अत्यन्त कारूणिक पंक्ति है।
Q4. राजकपूर ने शैलेंद्र के साथ किस तरह यारउन्ना मस्ती की ?
उत्तर – गीतकार शैलेंद्र जब अपने मित्र राजकपूर के पास फ़िल्म में काम करने का अनुरोध करने गए तो राजकपूर ने हाँ कह दिया, परंतु साथ ही यह भी कह दिया कि ‘निकालो मेरा पूरा एडवांस।’ फिर उन्होंने हँसते हुए एक रुपया एडवांस माँगा। एडवांस माँग कर राजकपूर ने शैलेंद्र के साथ याराना मस्ती की।
Q5. ‘तीसरी कसम’ जैसी फ़िल्म बनाने के पीछे शैलेंद्र की मंशा क्या थी?
उत्तर – शैलेंद्र कवि हृदय रखने वाले गीतकार थे। तीसरी कसम बनाने के पीछे उनकी मंशा यश या धनलिप्सा न थी। आत्म संतुष्टि के लिए ही उन्होंने फ़िल्म बनाई।
यह पेज आपको कैसा लगा ... कमेंट बॉक्स में फीडबैक जरूर दें...!!!
Q6 . शैलेंद्र द्वारा बनाई गई फ़िल्म के न चलने के कारण क्या थे?
उत्तर – तीसरी कसम संवेदनापूर्ण भाव-प्रणव फ़िल्म थी। संवेदना और भावों की यह समझ पैसा कमाने वालों की समझ से बाहर होती है। ऐसे लोगों का उद्देश्य अधिकाधिक लाभ कमाना होता है। तीसरी कसम फ़िल्म में रची-बसी करुणा अनुभूति की चीज़ थी। ऐसी फ़िल्म के खरीददार और वितरक कम मिलने से यह फ़िल्म न चल सकी।
Q7. ‘रातें दसों दिशाओं से कहेंगी अपनी नयाँ’ इस पंक्ति के रेखांकित अंश पर किसे आपत्ति थी और क्यों?
उत्तर – रातें दसों दिशाओं से कहेंगी अपनी कहानियाँ’ पंक्ति के दसों दिशाओं पर संगीतकार शंकर जयकिशन को आपत्ति थी। उनका मानना था कि जन साधारण तो चार दिशाएँ ही जानता-समझता है, दस दिशाएँ नहीं। इसका असर फ़िल्म और गीत की लोकप्रियता पर पड़ने की आशंका से उन्होंने ऐसा किया।
Q8. ‘तीसरी कसम’ में राजकपूर और वहीदा रहमान का अभिनय लाजवाब था। स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – जिस समय फ़िल्म ‘तीसरी कसम’ के लिए राजकपूर ने काम करने के लिए हामी भरी वे अभिनय के लिए प्रसिद्ध एवं लोकप्रिय हो गए थे। इस फ़िल्म में राजकपूर ने ‘हीरामन’ नामक देहाती गाड़ीवान की भूमिका निभाई थी। फ़िल्म में राजकपूर का अभिनय इतना सशक्त था कि हीरामन में कहीं भी राजकपूर नज़र नहीं आए। इसी प्रकार छींट की सस्ती साड़ी में लिपटी हीराबाई’ का किरदार निभा रही वहीदा रहमान का अभिनय भी लाजवाब था जो हीरामन की बातों का जवाब जुबान से नहीं आँखों से देकर वह सशक्त अभिव्यक्ति प्रदान की जिसे शब्द नहीं कह सकते थे। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि फ़िल्म ‘तीसरी कसम’ में राजकपूर और वहीदा रहमान का अभिनय लाजवाब था।
Q9. हिंदी फ़िल्म जगत में एक सार्थक और उद्देश्यपरक फ़िल्म बनाना कठिन और जोखिम का काम है।’ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – हिंदी फ़िल्म जगत की एक सार्थक और उद्देश्यपरक फ़िल्म है तीसरी कसम, जिसका निर्माण प्रसिद्ध गीतकार शैलेंद्र ने किया। इस फ़िल्म में राजकपूर और वहीदा रहमान जैसे प्रसिद्ध सितारों का सशक्त अभिनय था। अपने जमाने के मशहूर संगीतकार शंकर जयकिशन का संगीत था जिनकी लोकप्रियता उस समय सातवें आसमान पर थी। फ़िल्म के प्रदर्शन के पहले ही इसके सभी गीत लोकप्रिय हो चुके थे। इसके बाद भी इस महान फ़िल्म को कोई न तो खरीदने वाला था और न इसके वितरक मिले। यह फ़िल्म कब आई और कब चली गई मालूम ही न पड़ा, इसलिए ऐसी फ़िल्में बनाना जोखिमपूर्ण काम है।
Q10. ‘राजकपूर जिन्हें समीक्षक और कलामर्मज्ञ आँखों से बात करने वाला मानते हैं’ के आधार पर राजकपूर के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालिए।
अथवा
प्रस्तुत पाठ के आधार पर राज कपूर के चरित्र की विशेषताएँ लिखिए। (CBSE 2013, 2015)
उत्तर – राजकपूर हिंदी फ़िल्म जगत के सशक्त अभिनेता थे। अभिनय की दुनिया में आने के बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। वे उत्तरोत्तर सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ते गए और अपने अभिनय से नित नई ऊचाईयाँ छूते रहे। संगम फ़िल्म की अद्भुत सफलता से उत्साहित होकर उन्होंने एक साथ चार फ़िल्मों के निर्माण की घोषणा की। ये फ़िल्में सफल भी रही। इसी बीच राजकपूर अभिनीत फ़िल्म ‘तीसरी कसम’ के बाद उन्हें एशिया के शोमैन के रूप में जाना जाने लगा। इनका अपना व्यक्तित्व लोगों के लिए किंवदंती बन चुका था। वे आँखों से बात करने वाले कलाकार जो हर भूमिका में जान फेंक देते थे। वे अपने रोल में इतना खो जाते थे कि उनमें राजकपूर कहीं नज़र नहीं आता था। वे सच्चे इंसान और मित्र भी थे, जिन्होंने अपने मित्र शैलेंद्र की फ़िल्म में मात्र एक रुपया पारिश्रमिक लेकर काम किया और मित्रता का आदर्श प्रस्तुत किया।
If you have any doubts, Please let me know