CBSE Class 9 Hindi Chapter 12 “Megh Aaye”, Line by Line Explanation along with Difficult Word Meanings from Kshitij Bhag 1 Book
मेघ आए पाठ साराँश Megh Aaye Summary
कवि ने वर्षा ऋतु के आगमन को मानवीय भावनाओं से जोड़कर एक सुंदर दृश्य प्रस्तुत किया है। वर्षा को ऐसे दिखाया गया है जैसे कोई बहुत प्रिय अतिथि (जिसे दामाद के रूप में यहाँ बताया गया है), लंबे समय बाद गाँव में आया हो। जब बादल सज-धजकर आते हैं, तो ठंडी हवा नाचती-गाती चलती है, जैसे किसी खास मेहमान की खबर पूरे गाँव में फैला रही हो। लोग खुशी से अपने घरों की खिड़कियाँ और दरवाज़े खोलकर इस सुंदर नज़ारे का आनंद लेते हैं, जैसे किसी प्रियजन के स्वागत में उत्साहित हों।
जब आँधी चलती है, तो धूल इस तरह उड़ती है मानो गाँव की महिलाएँ घाघरा उठाकर दौड़ रही हों। पेड़ भी झुककर बादलों को देखने की कोशिश कर रहे हैं, जैसे कोई उत्सुक व्यक्ति दूर से आने वाले अतिथि को देखने के लिए गर्दन उचकाए। नदी रूपी महिलाएँ भी ठिठककर बादलों को तिरछी नज़रों से देख रही है, जैसे उसने संकोच में अपना घूँघट हल्का-सा सरका लिया हो। पूरा वातावरण उल्लास और उमंग से भर जाता है, जैसे सभी प्रकृति के तत्व बादलों का स्वागत करने के लिए उत्सुक हों।
बूढ़ा पीपल झुककर बादलों का स्वागत करता है, जैसे घर के बुजुर्ग दामाद का स्वागत करते हैं। वहीं, बेल (लता) मानो नखरे से कह रही हो कि इतने दिनों बाद ही तुम्हें हमारी याद आई? तालाब भी खुशी से भरकर बादलों के लिए पानी से भरी परात लेकर खड़ा है, जैसे कोई मेहमान के पाँव धोने के लिए जल लाता हो।
सबसे सुंदर दृश्य तब बनता है जब बिजली चमकती है और प्रेमिका को विश्वास हो जाता है कि उसका प्रियतम (बादल) सच में आ गया है। पहले उसे संदेह था, लेकिन प्रियतम को सामने देखकर उसकी आँखों से प्रेम के आँसू छलक पड़ते हैं। मिलन की इस खुशी में मानो प्रकृति भी बहक उठती है, और बारिश की बूँदें झर-झर पृथ्वी पर गिरने लगती हैं। इस प्रकार, कवि ने वर्षा ऋतु को एक सुखद पुनर्मिलन के रूप में दर्शाया है, जिसमें प्रेम, उलाहना, उत्साह और आनंद के भाव स्पष्ट रूप से झलकते हैं। इस प्रकार, कविता में वर्षा के आगमन का एक उत्सव के रूप में चित्रण किया गया है।
मेघ आए व्याख्या Megh Aaye Lesson Explanation
व्याख्या- प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने वर्षा ऋतु के आगमन पर गाँव में उत्पन्न होने वाले आनंद और उत्साह का सजीव चित्रण किया है। कवि ने बादलों को एक विशेष अतिथि के रूप में प्रस्तुत किया है, जो बड़े बन-ठनकर गाँव में आए हैं, जैसे कोई दामाद अपने ससुराल सज-धज कर आता है। उनके स्वागत में ठंडी हवा नाचती-गाती चल रही है, मानो उनके आगमन का संदेश पूरे गाँव में फैला रही हो। बादलों के आगमन से गाँव में उमंग की लहर दौड़ जाती है, लोग उत्सुकता से अपने घरों की खिड़कियाँ और दरवाज़े खोलकर इस प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेने लगते हैं, जैसे किसी सम्मानित मेहमान के स्वागत में पूरा गाँव उमंग से भर उठता है।
व्याख्या- कवि वर्षा ऋतु के आगमन को एक सुंदर दृश्य के रूप में प्रस्तुत करते हैं। बादलों के छाने और आँधी चलने पर धूल इस तरह उड़ने लगती है, जैसे गाँव की महिलाएँ घाघरा उठाकर दौड़ रही हों। हवा के प्रभाव से पेड़ झुककर ऐसे प्रतीत होते हैं मानो वे अपनी गर्दन उठा उठाकर उत्सुकता से मेहमान (बादलों) को देखने का प्रयास कर रहे हों। वहीं, नदी रूपी औरतें ठिठककर संकोच भरी नजरों से बादलों को निहार रही है, जैसे कि उन लोगों ने अपना घूँघट हल्का-सा सरका लिया हो। इस प्रकार, पूरे प्राकृतिक वातावरण में उल्लास और उत्सुकता का भाव उमड़ आया है, जो बादलों के आगमन को एक स्वागत करने योग्य अवसर के रूप में दर्शाता है।
व्याख्या- कवि ने वर्षा ऋतु के आगमन को मानवीय भावनाओं से जोड़कर उसका सुंदर चित्रण किया है। जिस प्रकार कोई दामाद लंबे समय बाद ससुराल लौटता है, तो परिवार के बड़े-बुजुर्ग झुककर उसका आदरपूर्वक स्वागत करते हैं, वैसे ही बूढ़ा पीपल भी झुककर बादलों का अभिवादन करता है। वहीं, लता रूपी नवविवाहिता मानो दरवाजे की ओट से नखरे से कह रही हो— “इतने दिनों बाद ही तुम्हें हमारी याद आई?” इसी खुशी में तालाब भी उमंग से भरकर अतिथि का स्वागत करने के लिए पानी से परात भर लाया है, जैसे कोई मेहमान के पाँव धोने के लिए जल लाता हो। इस प्रकार, कवि ने प्रकृति के माध्यम से बादलों के स्वागत को एक पारिवारिक मिलन की तरह दर्शाया है, जिसमें प्रेम, उलाहना, और उत्साह का भाव स्पष्ट रूप से झलकता है।
व्याख्या- कवि ने यहाँ बादलों के आगमन को प्रियतम के आगमन से जोड़ा है। अब तक प्रेमिका को उनके आने की सूचना मात्र एक भ्रम लग रही थी, लेकिन जब बादल क्षितिज रूपी अटारी तक पहुँच जाते हैं और बिजली चमक उठती है, तो मानो उसके हृदय में भी प्रेम की चिंगारी जाग उठती है। प्रियतम को सामने देखकर उसका सारा संदेह दूर हो जाता है, और वह मन ही मन अपने संकोच व अविश्वास के लिए क्षमा माँगने लगती है। फिर मिलन की इस अपार खुशी में, जैसे बाँध टूट जाता है और प्रेम के अश्रु झर-झर बहने लगते हैं, ठीक वैसे ही वर्षा की बूँदें पृथ्वी पर बरसने लगती हैं, जो मिलन की मधुरता को और भी गहरा बना देती हैं।


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