राम-लक्ष्मण-परशुराम संवाद (पठित काव्यांश)
काव्यांश पर आधारित प्रश्न
प्रश्न 1. निम्नलिखित काव्यांश के आधार पर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए- 2015
तुम्ह तौ कालु हाँक जनु लावा। बार बार मोहि लागि बोलावा॥
सुनत लखन के बचन कठोरा। परसु सुधारि धरेउ कर घोरा॥
अब जनि देइ दोसु मोहि लोगू। कटुबादी बालकु बधजोगू॥
बाल बिलोकि बहुत में बाँचा। अब येहु मरनिहार भा साँचा।
(क) लक्ष्मण के किस कथन से उनकी निडरता का परिचय मिलता है?
(ख) परशुराम ने सभा से किस कार्य का दोष उन्हें न देने के लिए कहा?
(ग) परशुराम क्यों क्रोधित हो गए।
उत्तर:
(क) जब लक्ष्मण परशुराम से कहते हैं कि हे मुनि! आप तो हाँक लगा-लगाकर मृत्यु को मेरे लिए बुला रहे हैं। ऐसा कहने से उनकी निडरता का पता चलता है।
(ख) परशुराम ने पूरी सभा से कहा कि अब यह बालक मरने के लिए आतुर है क्योंकि इतना कटु वचन बोलने वाला बालक वध करने योग्य है। अतः इसकी मृत्यु का दोष मुझे मत देना।
(ग) जब लक्ष्मण उनसे कहते हैं कि हे मुनिवर ! आप काल को जान-बूझकर मेरी तरफ लाने का प्रयास कर रहे हैं और व्यर्थ ही मुझे मारने की धमकी दे रहे हैं। यह सुनकर परशुराम अत्यंत क्रोधित हो गए।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित काव्यांश के आधार पर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
कहेउ लखन मुनि सीलु तुम्हारा। को नहि जान बिदित संसारा॥
माता पितहि उरिन भये नीकें। गुररिनु रहा सोचु बड़ जी कें।
सो जनु हमरेहि माथे काढ़ा। दिन चलि गये व्याज बड़ बाढ़ा॥
अव आनिअ व्यवहरिआ बोली। तुरत देउँ मैं थैली खोली॥
(क) लक्ष्मण ने परशुराम पर क्या व्यंग्य किया?
(ख) यहाँ किस गुरु-ऋण की बात हो रही है उसे चुकाने के लिए लक्ष्मण ने परशुराम को क्या उपाय सुझाया?
(ग) 'माता पितह उरिन भये नीकें' पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
(क) लक्ष्मण ने परशुराम पर व्यंग्य करते हुए कहा कि आप अपने माता-पिता के ऋण से तो मुक्त हो चुके हैं। अब आप पर गुरु ऋण ही शेष है, जो आप मेरे सिर थोपकर उतारना चाहते हैं।
(ख) यहाँ परशुराम के गुरु शिव का ऋण चुकाने की बात हो रही है। उसे चुकाने के लिए लक्ष्मण कहते हैं कि अब तक तो उसका ब्याज भी बहुत बढ़ गया होगा। अतः आप किसी को बुलाकर उसका हिसाब करवा लीजिए, मैं थैली खोलकर तुरंत वह ऋण चुकाने को तैयार हूँ।
(ग) इस पंक्ति में लक्ष्मण जी परशुराम जी से कह रहे हैं कि तुमने अपने माता-पिता का ऋण तो चुका ही दिया है केवल गुरु का ही शेष है। ऐसा वे व्यंग्य में कह रहे हैं।
प्रश्न 3.
निम्नलिखित काव्यांश के आधार पर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
बिहसि लखनु बोले मृद बानी। अहो मुनीसु महाभट मानी॥
पुनि पुनि मोहि देखाव कुटारु । चहत उड़ावन फूंकि पहारू॥
इहाँ कुम्हड़बतिया कोउ नाहीं। जे तरजनी देखि मरि जाहीं॥
(क) लक्ष्मण ने परशुराम पर क्या व्यंग्य किया?
(ख) 'चहत उड़ावन फूंकि पहारु' से लक्ष्मण का क्या अभिप्राय है?
(ग) 'कुम्हड़बतिया कोउ नाहीं' का अभिप्राय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
(क) लक्ष्मण ने अत्यंत ही मधुर वाणी में परशुराम पर व्यंग्य करते हुए कहा कि आप अपने आप को बहुत ही वीर योद्धा मानते हैं फिर भी मुझे बार-बार अपना फरसा दिखा रहे हैं और मुझ जैसे पहाड़ को केवल अपनी फूँक से ही उड़ा देना चाहते हैं।
(ख) 'चहत उड़ावन फूंकि पहारू' से लक्ष्मण का अभिप्राय है कि हम दोनों भाई भी कोमल न होकर पहाड़ के समान वीर क्षत्रिय हैं। हम आपकी फूँक से उड़ जाएँगे, आप ऐसा कैसे सोच सकते हैं।
(ग) 'कुम्हड़बतिया कोउ नाहीं' का अभिप्राय यह है कि हम कोई पुष्प व छुई-मुई के पौधे के समान कोमल नहीं हैं जो अँगुली लगाते ही मुरझा जाएँगे। हम क्षत्रिय और वीर हैं, कमज़ोर नहीं हैं।
प्रश्न 4.
निम्नलिखित काव्यांश पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
बिहसि लखनु बोले मृदु बानी। अहो मुनीसु महाभट मानी॥
पुनि पुनि मोहि देखाव कुटारु। चहत उड़ावन फूंकि पहारू॥
इहाँ कुम्हड़बतिया कोउ नाहीं । जे तरजनी देखि मरि जाहीं॥
देखि कुठारु सरासन बाना। मैं कछु कहा सहित अभिमाना।
(क) 'मुनीसु' कौन है? लक्ष्मण उनसे बहस क्यों कर रहे हैं?
(ख) लक्ष्मण के हँसने का क्या कारण है?
(ग) लक्ष्मण की ‘मृदुवाणी' की क्या विशेषता है?
(घ) आशय स्पष्ट कीजिए- चहत उड़ाबन पूँकि पहारु।
(ङ) “कुम्हड़बतिया' का उदाहरण क्यों दिया गया है?
उत्तर:
(क) यहाँ मुनीसु 'मुनि परशुराम' को कहा गया है। लक्ष्मण उनसे इसलिए बहस कर रहे हैं क्योंकि परशुराम स्वयं को इस धरती को नृप विहीन करने वाले योद्धा बताते हुए व फरसे का भय दिखा रहे हैं और राम, लक्ष्मण को अत्यंत सुकोमल मान रहे हैं। लक्ष्मण को यह बर्दाश्त नहीं होता है और वह बहस करके स्वयं की वीरता प्रमाणित करना चाहते हैं।
(ख) लक्ष्मण को इसलिए हँसी आ रही है क्योंकि परशुराम बार-बार उन्हें फरसा दिखा रहे हैं, जिससे उन्हें लगता है कि मानो वे फूँक मारकर पहाड़ उड़ाने का प्रयास कर रहे हों।
(ग) लक्ष्मण की मृदवाणी व्यंग्य से परिपूर्ण है जो परशुराम को शांत करने की अपेक्षा उत्तेजित कर रही है।
(घ) इस पंक्ति का आशय है कि परशुराम, राम-लक्ष्मण को कमज़ोर समझने की भूल कर रहे हैं, जबकि वे महा-योद्धा हैं। जिन्होंने अनेक राक्षसों को चुटकियों में मसल दिया। वे पहाड़ के समान मज़बूत हैं। जबकि परशुराम उन्हें फूँक से उड़ाना चाहते हैं अर्थात अपनी बातों व फरसे से भयभीत करना चाहते हैं।
(ङ) 'कुम्हड़बतिया' कद्दू का छोटा फल होता है जो अत्यंत कोमल होता है। वह अँगुली लगने से मुरझा जाता है। लक्ष्मण इसका उदाहरण देकर कहना चाहते हैं कि आपने हमें इस फल की तरह कमज़ोर समझ लिया है। हम कुम्हड़बतिया नहीं हैं जो तुम्हारी धमकियों से डर जाएँगे।
प्रश्न 5.
निम्नलिखित काव्यांश पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
लखन कहेउ मुनि सुजसु तुम्हारा। तुम्हहि अछत को बरने पारा॥
अपने मुह तुम्ह आपनि करनी। बार अनेक भाँति बहु बरनी॥
नहि संतोषु त पुनि कछु कहहू। जनि रिस रोकि दुसह दुख सहहू॥
बीरबती तुम्ह धीर अछोभा। गारी देत न पावहु सोभा॥
(क) लक्ष्मण परशुराम को ही उनका अपना यश बखानने में समर्थ क्यों मानते हैं?
(ख) आपके विचार से लक्ष्मण का कौन-सा कथन सर्वाधिक व्यंग्यपूर्ण है?
(ग) अपने मुंह अपना गुणगान करने वाला समाज में क्या कहलाता है?
(घ) आशय स्पष्ट कीजिए- ‘नहि संतोषु त पुनि कछु कहहू' ।
(ड) लक्ष्मण ने परशुराम के किन गुणों की ओर संकेत किया है?
उत्तर:
(क) लक्ष्मण, परशुराम को ही उनका अपना यश बखानने में समर्थ मानते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि परशुराम से अधिक स्वयं की वीरता की प्रशंसा अन्य कौन कर सकता है। ऐसा वे व्यंग्य में कहते हैं। यदि अभी आत्मप्रशंसा करनी और रह गई हो, तो वह भी कर डालिए। मन में रोष रखने से कुछ लाभ नहीं होगा।
(ख) हमारे विचार से लक्ष्मण का यह कथन सर्वाधिक व्यंग्यपूर्ण है कि यदि आपको आत्मप्रशंसा से अभी संतोष न हुआ हो, तो फिर से कुछ कह डालिए। मन में रोष या दुख न रखिए।
(ग) अपने मुख अपना गुणगान करने वाला समाज में डींगें हाँकने वाला कायर कहलाता है।
(घ) इस पंक्ति में लक्ष्मण परशुराम जी से कह रहे हैं कि यदि आपके द्वारा अपनी वीरता के बखान में कुछ कमी रह गई हो, तो मन में मत रखिए। आप और ज्यादा अपनी वीरता की प्रशंसा कर सकते हैं। बार-बार अपनी ताकत का गुणगान कर सकते हैं। अपने आवेग को रोककर कृपया दुख न सहिए।
(ङ) लक्ष्मण ने परशुराम को आत्मप्रशंसक, अधीर, क्रोधी और डींगे हांकने वाला कहा है। वे कहते हैं कि हे! परशुराम आप वीर हैं, गाली देना आपको शोभा नहीं देता है।
प्रश्न 6.
निम्नलिखित काव्यांश पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
बालक बोलि बधों नहि तोही। केवल मुनि जड़ जानहि मोही॥
बाल ब्रह्मचारी अति कोही। बिस्वबिदित क्षत्रियकुल द्रोही॥
भुजबल भूमि भूप बिनु कीन्ही । बिपुल बार महिदेवन्ह दीन्ही॥
सहसबाहुभुज छेदनिहारा। परसु बिलोक महीपकुमारा॥
(क) काव्यांश में किसका किसके प्रति संबोधन है?
(ख) परशुराम की किन्हीं दो विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
(ग) “परशु' की क्या विशेषता थी? लिखिए।
(घ) अलंकार बताइए- भुजबल भूमि भूप बिनु कीन्ही।
(ङ) आशय स्पष्ट कीजिए ‘केवल मुनि जड़ जानाहि मोही'।
उत्तर:
(क) काव्यांश में परशुराम लक्ष्मण को संबोधित कर रहे हैं।
(ख)
(i) परशुराम अत्यंत क्रोधी थे।
(i) परशुराम अत्यंत क्रोधी थे।
(ii) वे अत्यंत वीर और साहसी थे। उन्होंने अनेक बार भूमि को क्षत्रिय विहीन कर दिया था।
(ग) “परशु' अर्थात परशुराम के फरसे' की विशेषता थी कि उसने सहसबाहु की भुजाओं को काट दिया था और यह फरसा गर्भ में ही शिशुओं को नष्ट करने की क्षमता रखता था।
(घ) भुजबल भूमि भूप बिनु कीन्ही-में ‘भ’ आवृत्ति से ‘अनुप्रास अलंकार है।
(ङ) इस पंक्ति का आशय यह है कि परशुराम अत्यंत क्रोध में लक्ष्मण से कहते हैं कि तुम मुझे केवल मुनि समझने की भूल मत करना। मैं बाल ब्रह्मचारी और अत्यंत क्रोधी हूँ। सारा संसार यह जानता है कि मैंने इस धरती से राजाओं का विनाश कर इसे ब्राह्मणों को दान में दे दिया है।
प्रश्न 7.
निम्नलिखित काव्यांश पर आधारित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
सूर समर करनी करहिं कहि न जनावहि आपु।
विद्यमान रन पाइ रिपु कायर कथहिं प्रतापु॥
(क) उपर्युक्त दोहा किसके द्वारा, किस संदर्भ में कहा गया है?
(ख) शूरवीर की क्या-क्या विशेषताएँ बताई गई हैं?
(ग) कायर का क्या लक्षण है?
उत्तर:
(क) उपर्युक्त दोहा लक्ष्मण द्वारा कहा गया है। यहाँ संदर्भ यही है कि लक्ष्मण परशुराम द्वारा पूर्व में कहे कथन से क्षुब्ध थे क्योंकि परशुराम ने विश्वामित्र जी से कहा था कि अपने वंश का नाश करने वाले इस बालक को यदि आप बचाना चाहते हैं तो मेरे प्रताप, बल और रोष को बताकर इसे रोक लें।
(ख) शूरवीर व्यक्ति अपनी वीरता का प्रदर्शन करता है, अपनी आत्मप्रशंसा नहीं करता। उसका हर कार्य कर्म पर आधारित होता है। वह शत्रु के समक्ष अपनी वीरता का बखान नहीं करता, अपनी शक्ति का प्रदर्शन करता है।
(ग) कायर व्यक्ति युद्धभूमि में शत्रु को अपने सम्मुख देखकर वृथा ही प्रलाप करता है। वह अपनी वीरता की प्रशंसा करके शत्रु को डराना चाहता है।
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ReplyDeleteRam Lakshman Parshuram samvad complete
ReplyDeleteThank you Sir!!! Your way of explanation is brilliant :)
ReplyDeleteHlo tm Kon se board se ho ..??
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