Sana Sana Hath Jodi Extra Questions साना साना हाथ जोड़ी Class 10 Hindi | साना साना हाथ जोड़ि ... (अति महत्त्वपूर्ण प्रश्न)

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Sana Sana Hath Jodi Extra Questions साना साना हाथ जोड़ी Class 10 Hindi | साना साना हाथ जोड़ि ... (अति महत्त्वपूर्ण प्रश्न)


साना साना हाथ जोड़ि ... (अति महत्त्वपूर्ण प्रश्न)






प्रश्न 1.
देश की सीमा पर बैठे फौजी कई तरह से कठिनाइयों का मुकाबला करते हैं। सैनिकों के जीवन से किन-किन जीवन-मूल्यों को अपनाया जा सकता है? चर्चा कीजिए।

उत्तर:
देश की सीमा पर बैठे फौजी देश के प्रहरी होते हैं। वे देश की रक्षा तन-मन से अनेक कठिनाइयाँ उठाकर करते हैं। सीमाओं पर चाहे तापमान शून्य से नीचे हो या रेगिस्तान में आग बरसाता सूर्य। वे सहर्ष मौसम की मार सहते हुए देश की रक्षा में लगे रहते हैं। चौबीस घंटे सतर्क रहते हुए दुश्मन पर निगाहें व बंदूकें ताने रहते हैं। अपने परिवार से दूर, उनके बिछड़ने का दर्द लिए वे सदा दुश्मन को मारने व मरने के लिए तैयार रहते हैं।

सैनिकों का जीवन सभी के लिए एक आदर्श और देश-प्रेम की भावना को जगाता है। हम उनसे सीख ले सकते हैं कि देश से बड़ा कोई नहीं है। देश है, तो हम हैं। जिस देश की माटी (माँ) ने जन्म दिया, हमें सदा उसके लिए बलिदान करने के लिए तैयार रहना चाहिए। परिवार, समाज, मित्र व शारीरिक सुख सभी देश के बाद हैं। हम उनसे हर परिस्थिति में खुश रहने व जीवन की कठिनाइयों का सामना करने के जीवनमूल्य सीख सकते हैं। सैनिकों का समस्त जीवन एक संघर्ष है, जिसे हम सभी अपनाकर जीवन को कुंदन बना सकते हैं।

प्रश्न 2.
आप किसी पर्वतीय स्थल पर घूमने गए थे। व्यावसायिक गतिविधियों से प्रभावित जीवन मूल्यों वाले उस क्षेत्र के दर्द को एक लेख के रूप में लिखिए।

उत्तर:
पिछली गर्मियों की छुट्टियों में मुझे मनाली जाने का अवसर मिला। मेरे माता-पिता ने बताया कि यह बहुत ही खूबसूरत पर्वतीय स्थल है। जब हम वहाँ पहुँचे तो मेरी आशाओं पर पानी फिर गया। मैंने सोचा था कि वहाँ चारों तरफ हरियाली और बर्फ से ढकी पहाड़ियों के दर्शन होंगे पर वहाँ जाकर मुझे दिल्ली जैसे नगर की भीड़-भाड़ का दर्शन हुआ। सड़कों के दोनों ओर खाने-पीने से लेकर स्थानीय सामानों की दुकानें लगी पड़ी थीं। लोग खा-पीकर पानी की खाली बोतलें आदि सड़कों के किनारे ही फेंक रहे थे। पूरा पर्वतीय स्थल छोटे-बड़े होटलों से भरा पड़ा था।

पर्वतों पर पेड़ों के स्थान पर होटल-ही-होटल दिखाई पड़ रहे थे। कहीं खाने के ढाबे खुले थे, तो कहीं लोगों को आकर्षित करने के लिए फेरी वाले स्थानीय लोग सामान लिए पीछे-पीछे घूम रहे थे। पूरा नगर मानो लोगों के बोझ तले दब गया था। नगर में बहती नदी मानो रोती हुई प्रतीत हो रही थी। लोगों के अतिरिक्त बोझ से पर्वतीय स्थल की खूबसूरती पोलीथीन व कूड़े-कचरे के ढेर में परिवर्तित हो गई थी। मुझे लगा कि हमें प्रकृति में अधिक हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। व्यावसायिक लाभ कमाने के उद्देश्य से प्राकृतिक सौंदर्य को हानि नहीं पहुँचानी चाहिए।

प्रश्न 3.
सिक्किम यात्रा के दौरान फौजी-छावनियाँ देखकर लेखिका के मन में उपजे विचारों को अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर:
सिक्किम यात्रा के दौरान फौजी-छावनियों को देखकर लेखिका के मन में अनेक विचारों ने जन्म लिया कि ये जवान देश की रक्षा करने के लिए कितना कठिन जीवन यापन करते हैं। उन्हें भयंकर शीत का सामना करना पड़ता है। अनेक दैनिक आवश्यकताओं की कमी झेलनी पड़ती है। देशवासी चैन की नींद सो पाएँ इसके लिए वे दिन-रात जागकर पहरा देते हैं। सचमुच उनका जीवन अत्यंत दुष्कर व नमन करने योग्य है।

प्रश्न 4.
देश के प्राकृतिक स्थानों के सौंदर्य का आनंद लेते समय अधिकांश सेलानी वहाँ के पर्यावरण को दूषित कर देते हैं। इस नैसर्गिक सौंदर्य की सुरक्षा में आप अपने दायित्व का निर्वाह केसे करेंगे? 'साना साना हाथ जोड़ि', पाठ के आलोक में उत्तर दीजिए।

उत्तर.
देश के प्राकृतिक स्थानों के सौंदर्य का आनंद लेते समय अधिकांश सैलानी वहाँ के पर्यावरण को दूषित कर देते हैं। वे प्रकृति के साथ खिलवाड़ करते हैं। अपने साथ लाए हुए कृत्रिम व अप्राकृतिक सामान जैसे- प्लास्टिक बोतलें यहाँ-वहाँ छोड़ देते हैं। पेड़ों व पहाड़ों पर गोद-गोद कर अपने नाम व तिथियों लिख देते हैं। प्राकृतिक स्थान का व्यवसायीकरण करने के लिए अधिक मात्रा में वनों को काट कर टूरिस्ट स्थान व होटल आदि बना दिए जाते हैं, जिससे प्राकृतिक सौंदर्य मिटने लगता है। इस नैसर्गिक सौंदर्य को बनाए रखने के लिए हमें प्राकृतिक स्थलों से अधिक छेड़छाड़ नहीं करनी चाहिए। अधिक-से-अधिक वृक्षारोपण करना चाहिए और उनकी देखभाल करनी चाहिए।

वृक्षों को काटने के खिलाफ चिपको आंदोलन जैसे आंदोलनों को बढ़ावा देना चाहिए। नदियों की पवित्रता बनाए रखनी चाहिए। उनमें कारखानों का दूषित जल नहीं मिलाना चाहिए। नदियों में जानवरों को नहीं नहलाना चाहिए। मुर्दो को जलाकर उनकी राख को पानी में बहाकर नदियों को दूषित नहीं करना चाहिए। नवयुवकों को प्रकृति और पर्यावरण को साफ व स्वच्छ रखने के लिए जागरूकता अभियान चलाने चाहिए।

प्रश्न 5.
टिमटिमाते तारों की छाया में गंतोक को देखकर ‘साना साना हाथ जोड़ि' पाठ की लेखिका की अनुभूति को अपनी भाषा में प्रस्तुत कीजिए।

उत्तर.
टिमटिमाते तारों की छाया में गंतोक को देखकर लेखिका पर एक जादू-सा छाने लगा। चमकते तारों की रोशनी में गंतोक रहस्यमयी और जादूभरा प्रतीत हो रहा था। ऐसा लग रहा था मानो आकाश में सितारों के गुच्छों ने रोशनी की अनेक झालरें बना रखी हों। यह वातावरण लेखिका को सम्मोहित कर रहा था। उसे आस-पास सिर्फ शून्य का अहसास हो रहा था।

प्रश्न 6.
सिक्किम की यात्रा करते समय लेखिका को बौद्ध धर्म-संबंधी किन आस्थाओं और विश्वासों की जानकारी प्राप्त हुई तथा लेखिका ने उनके प्रति क्या प्रतिक्रिया अभिव्यक्त की?

उत्तर.
सिक्किम की यात्रा करते समय लेखिका ने देखा कि अनेक लोग वहाँ बौद्ध धर्म को मानते हैं। यदि किसी बुद्धिस्ट की मृत्यु हो जाती है तो उसकी आत्मा की शांति के लिए एक सौ आठ पताकाएँ फहराई जाती हैं। किसी शुभ अवसर पर भी इन पताकाओं को फहराया जाता है। इन्हें उतारा नहीं जाता। ये अपने आप ही नष्ट हो जाती हैं। लेखिका ने पहाड़ी रास्तों पर एक कतार में लगी सफेद पताकाओं को भी देखा, जिन पर शांति और अहिंसा के मंत्र लिखे हुए थे। लेखिका उनसे अति प्रभावित हुई।

प्रश्न 7.
सिक्किम यात्रा के दौरान आदिवासी युवतियों को देखकर लेखिका के मन में क्या विचार उत्पन्न हुए? अपने शब्दों में स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:
सिक्किम यात्रा के दौरान लेखिका 'मधु कांकरिया' ने देखा कि कुछ पहाड़ी औरतें कुदाल और हथौड़ों से पत्थर तोड़ रही हैं। उनका यह काम अत्यंत खतरनाक व कठिन था। गाइड ने बताया कि यह आम जनता है, जो इसी प्रकार का जोखिम-भरा जीवन जीती है। लेखिका को लगा कि ये औरतें बहुत कम लेकर समाज को बहुत अधिक लौटाती हैं। उसने यह भी देखा कि इनके बच्चे भी वहाँ पढ़ाई न करके मवेशी चराते हैं, पानी भरते हैं। वास्तव में, पहाड़ों पर रहने वालों का जीवन अत्यंत कठिनाइयों से भरा होता है। जो पहाड़ हमें घूमने जाने पर अति सुंदर दिखाई पड़ते हैं और हमारा मन मोह लेते हैं, वे वहाँ पर रहने वालों के लिए सहायक नहीं होते। रास्तों को चौड़ा बनाने, पहाड़ों को सुंदर बनाने और चाय के बागानों के सौंदर्य के लिए ये औरतें ही दिन-रात काम करती हैं।

प्रश्न 8.
सिक्किमी नवयुवक ने 'स्नोफॉल' की कमी का क्या कारण बताया तथा 'कटाओं' के विषय में क्या जानकारी दी?


उत्तर:
सिक्किमी नवयुवक ने लेखिका को जानकारी दी कि धीरे-धीरे यहाँ 'स्नोफ़ॉल' कम होता जा रहा है, जिसका कारण बढ़ता हुआ प्रदूषण है। प्रदूषण के अन्य बुरे प्रभाव भी यहाँ महसूस किए जा रहे हैं। बढ़ते वायु-प्रदूषण के कारण लोगों को श्वास लेने में कठिनाई हो रही है। स्वच्छ वायु न मिलने से लोग बीमार पड़ रहे हैं। यहाँ पर वायु-प्रदूषण के साथ साथ जल-प्रदूषण भी बढ़ता जा रहा है। शीतल और पवित्र नदियाँ प्रदूषित हो गई हैं। परिणामस्वरूप पेट की अनेक बीमारियों को सहना पड़ता है। गाइड ने साथ ही 'कटाओ' के विषय में बताया कि 'कटाओ' 'टूरिस्ट प्लेस' नहीं है। इस कारण वहाँ का प्राकृतिक सौंदर्य अछूता है और 'कटाओ' का व्यवसायीकरण नहीं हो पाया है। यह स्विटज़रलैंड की तरह सुंदर है। यहाँ कोई दुकान भी नहीं खुली है। अतः यहाँ के प्राकृतिक सौंदर्य को एक तरह से सौंदर्य का वरदान प्राप्त हुआ है।

प्रश्न 9.
'साना साना हाथ जोड़ि' यात्रा वृत्तांत में वर्णित ऐसी घटना का उल्लेख कीजिए जिसने आपको बहुत प्रभावित किया हो।

उत्तर:
'साना साना हाथ जोड़ि' पाठ में वर्णित निम्नलिखित घटना ने हमें बहुत प्रभावित किया। जब लेखिका पहाड़ी सौंदर्य का आनंद लेने में डूबी हुई थी, तभी उसने देखा कि पहाड़ों पर अपने कोमल हाथों में कुदाल उठाए और पीठ पर छोटे बच्चों को बाँधे हुए पहाड़ी औरतें पत्थरों की खुदाई में जी तोड़ मेहनत कर रही थीं। वे पहाड़ी रास्तों को चौड़ा करने का कार्य कर रही थीं। प्रकृति के इतने खूबसूरत नज़ारों के बीच जीवन की सच्चाई, पेट भरने के लिए उन औरतों द्वारा किया जा रहा कठिन परिश्रम दिल को झकझोर देने वाला था। इस वास्तविकता से मुख नहीं मोड़ा जा सकता कि पहाड़ पर जीवन जीना एक संघर्ष है।

प्रश्न 10.
'साना साना हाथ जोड़ि...' पाठ की लेखिका को कुटिया के भीतर घूमते चक्र को देखकर किस प्रकार की अनुभूति हुई?

उत्तर:
पाठ 'साना-साना हाथ जोड़ि...' की लेखिका 'मधु कांकरिया' जब 'गंतोक का भ्रमण कर रही थीं, तो उनका गाइड जितेन उन्हें एक-एक स्थान को ध्यान से दिखा और उनके बारे में बता रहा था। तभी वहाँ एक कुटिया में लेखिका ने एक चक्र को घूमते हुए देखा। गाइड ने उसे 'प्रेयर व्हील' बताया और कहा कि इसे घुमाने से सारे पाप धुल जाते हैं। तब लेखिका को यह अनुभूति हुई कि हम भारत में कहीं भी चले जाएँ पर लोगों की आस्थाएँ, विश्वास, अंधविश्वास और पाप-पुण्य के बारे में सोच एक समान ही है।

प्रश्न 11.
'कटाओ' कहाँ है? उसके प्राकृतिक सौंदर्य को अपने शब्दों में प्रस्तुत कीजिए।

उत्तर:
'कटाओ' भारत के पूर्वोत्तर राज्य सिक्किम में 'लायुग' से 500 फीट की ऊँचाई पर था। 'कटाओ' इतना सुंदर है कि यह भारत में स्विट्ज़रलैंड के नाम से जाना जाता है। यहाँ चारों तरफ़ बर्फ बिखरी रहती है। यहाँ के हिमशिखर एक प्रकार के जल स्तंभ हैं जो सर्दियों में बर्फ के रूप में जल का संग्रहण करते हैं और गर्मियों में ये शिलाएँ पिघलकर जलधाराओं में परिवर्तित हो जाती हैं। यहाँ पर कोई दुकान न होने से यहाँ का प्राकृतिक सौंदर्य अछूता व अनूठा और नैसर्गिक है जिसे देखते ही मन मुग्ध हो जाता है।

प्रश्न 12.
'साना साना हाथ जोड़ि...' पाठ में श्वेत और रंगीन पताकाएँ किन अवसरों की ओर संकेत करती हैं।

उत्तर:
'साना साना हाथ जोड़ि' पाठ में श्वेत पताकाएँ किसी बुधिस्ट के निधन पर लगाई जाती है। ये पताकाएँ दिवंगत आत्मा की शांति के लिए लगाई जाती हैं। इन्हें उतारा नहीं जाता है। ये अपने आप ही नष्ट हो जाती हैं। इसके विपरीत रंगीन पताकाएँ मंगलकारी मानी जाती हैं, जिन्हें किसी भी मंगलकार्य को आरंभ करने से पूर्व लगाया जाता है।

प्रश्न 13.
'साना साना हाथ जोड़ि...' पाठ की लेखिका का मन फौजी छावनी में लिखे 'वी गिव अर टुडे फॉर योर टुमारो' वाक्य को पढ़कर उदास क्यों हो गया? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:
'साना साना हाथ जोड़ि' पाठ की लेखिका जब गंतोक घूमने गई तब वह वहाँ पहुँची जहाँ चीन की सीमा के पास फौजी छावनी थी। वहीं लिखा था 'वी गिव अवर टुडे फॉर योर टुमारो' पढ़कर लेखिका उदास हो गई क्योंकि ये फौजी माइनस 15 सेंटीग्रेट तापमान में देश की रक्षा पूरी मुस्तैदी से करते हैं। ऐसे तापमान में पेट्रोल के अलावा सब कुछ जम जाता है। ऐसे में अनेक कठिनाइयों को सहते हुए, अपने परिवार से अलग रहकर हम देशवासियों के लिए हमारे फौजी दिन-रात अपनी जान जोखिम में डालते हैं, इसलिए उनके कठिन जीवन और त्याग को देखकर लेखिका उदास हो जाती है।

प्रश्न 14
'साना साना हाथ जोड़ि' पाठ में सीमाओं पर बैठे सैनिकों के प्रति देश के नागरिकों के लिए क्या संदेश दिया हुआ है। अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर:
'साना साना हाथ जोड़ि' पाठ में सीमाओं पर बैठे सैनिकों के प्रति देश के नागरिकों के लिए यह संदेश निहित है कि नागरिकों को सैनिकों का सदा सम्मान करना चाहिए और उनके परिवार का सदा सहयोग करना चाहिए। हमें उनके त्याग, सेवा, बलिदान और संघर्षपूर्ण जीवन को अवश्य समझना चाहिए। वे किस प्रकार इतनी कठिनाइयों में अपने परिवार से अलग रहकर सीमाओं की रक्षा करते हैं और हमें स्वतंत्र रूप से निडर होकर जीने का भाव प्रदान करते हैं।

प्रश्न 15.
आज की पीढ़ी कुदरत की खूबसूरती को बिगाड़ रही है, उसे रोकने समझाने के लिए आप क्या करेंगे? 'साना-साना हाथ जोड़ि' पाठ के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:
आज की पीढ़ी कुदरत की खूबसूरती को बिगाड़ रही है, पाठ 'साना-साना हाथ जोड़ि' के संदर्भ में लेखिका के निम्न विचार है:
उनके अनुसार पर्वतों पर कम होती बर्फ व प्राकृतिक असंतुलन के लिए प्रदूषण जिम्मेदार है। प्रकृति का संतुलन बनाए रखने के लिए उसे प्रदूषण से मुक्त करना होगा। युवा पीढ़ी को इसमें अपना योगदान देना होगा। आज की पीढ़ी को समझाना होगा कि वन कटाई के स्थान पर वृक्षारोपण को महत्त्व दिया जाना चाहिए।





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24Comments

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  1. sir many mistakes in typing plz cheak it
    and make correct

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  2. Thank u sooo much sir.... This help me a lot....😊😊Keep it up..

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  3. maja nai aaya

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  4. Sir there is a mistake in Q5 in 2nd line 3rd ..word.

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  5. thank you so much sir

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  6. Thanks 🙏 sir 😇

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  7. Thank you so so so much sir..

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  8. Bagh salad gutta

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  9. 😂😂😂😂😂😂

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  10. 8 mark ka aata hai kritika (total)

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  11. Sir meri ek request h ki question answer vahi rakhiye jinki aane ki sambhavana paper me hai

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  12. Sir, i suggest you to write a short explanation or summary of the part of chapter you are explaining so that it would be much easier to learn what you are teaching. Love your videos sir, you are the best Hindi Adhyaapk ji i have seen on youtube. Please think about my suggestion, Thank you!!

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