Important Questions CBSE Class 10 Hindi A -एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा! | एही ठैया झुलनी हेरानी होरामा (अति महत्त्वपूर्ण प्रश्न)
एही ठैया झुलनी हेरानी होरामा (अति महत्त्वपूर्ण प्रश्न)
प्रश्न 1.
दुलारी ने विदेशी साड़ियों को क्यों त्याग दिया? इस प्रसंग के आलोक में आज की पीढ़ी को आप किन जीवन-मूल्यों की सलाह देना चाहेंगे?
उत्तर:
दुलारी टुन्नू के प्रेम से प्रभावित हो गई थी। उसने होली पर गांधी आश्रम से उसके लिए धोती लाने वाले टुन्नू को फटकार तो लगाई थी, किंतु उसके जाने के बाद उसे टुन्नू के खद्दर के कुरते व गांधी टोपी का स्मरण हुआ, तो उसे समझते देर न लगी कि टुन्नू स्वतंत्रता-आंदोलन में सम्मिलित हो गया है। यहीं से उसके मन के किसी कोने में टुन्नू के प्रति प्रेम ने उसके अंदर भी देशभक्ति की चिंगारी सुलगा दी और इसी कारण उसने विदेशी मिलों में तैयार फेंकू सरदार द्वारा लाई गई साड़ियाँ स्वराज आंदोलनकारियों द्वारा फैलाई चादर पर फेंक दीं।
वास्तव में, प्रेम व देशभक्ति के लिए किया गया उसका यह छोटा-सा त्याग उसके चरित्र की महानता का द्योतक है। आज समाज में प्रेम की पवित्रता प्रभावित हो रही है, देशभक्ति एवं त्याग जैसे जीवन-मूल्यों से आज की पीढ़ी दूर होती जा रही है, वह केवल वही कार्य अधिक उपयोगी समझती है, जो उसके लिए हितकारी हो, ऐसे में दुलारी के इस त्याग से आज की पीढ़ी को पवित्र प्रेम, देशभक्ति, त्याग आदि मूल्यों की सलाह देना चाहेंगे, ताकि इन्हें अपनाकर वह केवल जीवन को अपने तक न सिमेटे, वरन यह जाने कि जीवन का सच्चा सुख इन्हीं उदात्त गुणों में निहित है।
प्रश्न 2.
दुलारी और टुन्नू की मुलाकात के बाद टुन्नू के चले जाने पर दुलारी का कठोर हृदय करुणा और कोमलता से क्यों भर उठा? 2014
उत्तर:
दुलारी और टुन्नू की मुलाकात के बाद टुन्नू के चले जाने पर दुलारी का कठोर हृदय करुणा और कोमलता से इसलिए भर उठा क्योंकि वह समझ गई थी कि टुन्नू का प्यार शारीरिक नहीं, आत्मिक था। वह उसके पास केवल दुलारी की बातें सुनने आता, अपने हृदय के भाव कभी प्रकट नहीं करता था। वह उसके सच्चे प्यार को पहचान गई थी। परंतु वह टुन्नू के समक्ष इस सत्य को स्वीकार न करके, कृत्रिम उपेक्षा प्रदर्शित करती थी।
प्रश्न 3.
विदेशी वस्त्रों को जलाए जाने वाले ढेर में दुलारी द्वारा नई साड़ियों का फेंका जाना उसकी किस मानसिकता का परिचायक है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
विदेशी वस्त्रों को जलाए जाने वाले ढेर में दुलारी द्वारा नई साड़ियों का फेंका जाना उसकी सच्ची देशभक्ति की भावना को प्रदर्शित करता है। उसने मैनचेस्टर व लंकाशायर के मिलों की बनी बारीक सूत की, मखमली किनारों वाली, नई, कोरी साड़ियों के बंडल को नीचे फैली चादर पर फेंक दिया। उसे अब इन साड़ियों से कोई मोह नहीं रहा। वह पूरे मनोयोग से देशभक्ति से जुड़ना चाहती है। टुन्नू ने उसके अंदर भी देशभक्ति की लौ जगा दी थी, जिसमें वह अब पूरी डूब चुकी थी।
प्रश्न 4
'एही ठैया झुलनी हेरानी होरामा!' पाठ के शीर्षक की सार्थकता पर विचार कीजिए।
उत्तर:
'एही ठैया झुलनी हेरानी हो रामा!' पाठ का शीर्षक उचित है क्योंकि इस पक्ति का शाब्दिक अर्थ है कि इसी स्थान पर मेरी नाक की लौंग खो गई है। उसे खोजो, जबकि दुलारी इस गीत को उसी स्थान पर गाती है जहाँ कुछ समय पहले ही उसके प्रेमी टून्नू की हत्या की गई थी। वह दुखी मन से इस गीत को गाती है। जिसका गहरा अर्थ यह है कि इसी स्थान पर झुलनी अर्थात उसका प्रेमी खो गया है, अब वह किससे उसके विषय में बात करे, कहाँ उसे खोजे। वह उसके लिए उसकी नाक की लौंग (मलनी) के समान था। वही लौंग स्त्री के मान-सम्मान का प्रतीक होती है। अतः शीर्षक प्रतीकार्थक रूप में सार्थक है।
प्रश्न 5.
दुलारी ने टुन्नू द्वारा लाइ धोती को अस्वीकृत करने के बाद भी उसे क्यों चूम लिया? अपने शब्दों में स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
जब टुन्नू दुलारी के लिए खद्दर की धोती लाया, तो पहले तो दुलारी ने उसे अस्वीकार कर दिया। पर जब टुन्नू ने कहा कि मैं तुमसे कुछ माँगता तो हूँ नहीं, पत्थर की देवी तक अपने भक्तों की भेंट नहीं ठुकराती तो तुम तो हाड़-मांस की बनी हो, तब उसे ज्ञात हुआ कि टुन्नू का प्रेम शारीरिक न होकर आत्मिक था। अंततः उसका प्रेम देशभक्ति में परिवर्तित हो गया। जब टुन्नु खादी का कुर्ता पहन और गांधी टोपी लगाकर, गांधी जी द्वारा विदेशी वस्त्रों की होली जलाने वाले जलसे में शामिल हुआ, तो उसने अपना संदूक खोलकर टुन्नू द्वारा दी गई धोती निकाली और उसे उठाकर चूम लिया। वह टुन्नू के आत्मिक प्रेम की सच्चाई को समझ चुकी थी।
प्रश्न 6.
'एही ठैया झुलनी हेरानी होरामा!' पाठ में दुलारी ने टुन्नू का उपहार लेने से क्यों इंकार कर दिया?
उत्तर:
टुन्नू 16-17 वर्षीय युवा गायक था। भादों की तीज पर खोजवाँ और बजरडीहा वालों के बीच कजली दंगल में उसकी भेंट दुलारी से हुई थी। उस समय दुलारी को गानेवालियों में विशिष्ट ख्याति प्राप्त थी। परंतु वहाँ टुन्नू के गायन को सुनकर, उस पर मुग्ध हो गई। टुन्नू के मन में दुलारी के प्रति सात्विक प्रेम पैदा हो गया था। वह होली के त्योहार पर उसके लिए गांधी आश्रम की खादी की धोती उपहारस्वरूप लेकर उसके घर गया था। परंतु हुन्नू को अपने यहाँ देखकर न केवल उसने टुन्नू को अपशब्द कहे, अपितु उसकी धोती फेंक दी। दुलारी टुन्नू के प्रेम से परिचित थी। परंतु वह नहीं चाहती थी कि टुन्नू इस संबंध को बढ़ाए। टुन्नू एक ब्राह्मण का बेटा था। उसका स्वभाव, संस्कार उससे भिन्न थे। वह आयु में उससे बहुत छोटा था। वह इस प्रेम को बढ़ावा नहीं देना चाहती थी, जबकि वह जानती थी कि टुन्नू का प्रेम शारीरिक नहीं, आत्मिक है। वह एक गानेवाली थी और अपने साथ टुन्नू का नाम जोड़कर उसके सम्मान को ठेस नहीं पहुँचाना चाहती थी, इसलिए उसने टुन्नू के उपहार को अस्वीकार किया था।
प्रश्न 7.
'एही ठैयाँ झुलनी हेरानी हो रामा!' पाठ के संदेश को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर.
'एही ठेयाँ झुलनी हेरानी हो रामा!' पाठ का मुख्य संदेश यह कि देशप्रेम की ज्वाला और विदेशी शासन के प्रति क्षोभ ने समाज के द्वारा बहिष्कृत वर्ग को भी प्रभावित किया था। उनका योगदान भी स्वतंत्रता आंदोलन में कम करके नहीं आंका जा सकता। समाज ने भले ही उन्हें खुद से भली प्रकार न जोड़ा हो, तथापि उन्होंने देश को अपना देय शत-प्रतिशत दिया। दुलारी और टुन्नू के चरित्रों के माध्यम से लेखक ने अपने बहिष्कृत वर्ग से जुड़े विचारों को पूरी तरह प्रेषित किया है। उनमें एक पात्र टुन्नू का बलिदान, पाठक वर्ग को हिला देता है और दुलारी भी अपने योगदान से पाठक को यह बता देती है कि देश सभी का है और हर एक देशप्रेमी और बलिदानी नायक-नायिका हैं। फिर चाहे वह किसी भी जाति, धर्म या वर्ग का क्यों न हो।
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