Class 10 Hindi – A Chapter 9 Sangatkar Extra Questions | Most Important Questions for Class 10 Hindi | संगतकार (अति महत्त्वपूर्ण प्रश्न)

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Class 10 Hindi – A Chapter 9 Sangatkar Extra Questions | Most Important Questions for Class 10 Hindi | संगतकार (अति महत्त्वपूर्ण प्रश्न)


संगतकार (अति महत्त्वपूर्ण प्रश्न)





प्रश्न 1.
संगतकार में त्याग की उत्कट भावना भरी है- पुष्टि कीजिए।

उत्तर:
‘संगतकार' में त्याग की भावना कूट-कूट कर भरी होती है। वह मुख्य गायक के स्वर को सँभाल कर उसका साथ निभाता है और इस बात का ध्यान भी रखता है कि उसका स्वर मुख्य गायक से अधिक ऊँचा या उत्कृष्ट न हो जाए। वह मुख्य गायक के दबदबे को बनाए रखना चाहता है। उसका स्वर थोड़ा क्षीण भी इसलिए ही होता है। यह उसकी असफलता न होकर उसकी मनुष्यता है और मुख्य गायक को आगे बढ़ाने में उसकी अपनी प्रतिभा का बलिदान करना 'त्याग' को दर्शाता है। वह उसे आगे बढ़ाकर स्वयं को पीछे रखने का साहस और आत्मश्रद्धा दिखाता है।

प्रश्न 2.
संगतकार की आवाज़ में एक हिचक-सी क्यों प्रतीत होती है?

उत्तर:
कवि मंगलेश डबराल द्वारा रचित कविता “संगतकार” में उसकी आवाज़ में एक हिचक-सी इसीलिए प्रतीत होती है क्योंकि संगतकार यह चाहता है कि मुख्य गायक का ही प्रभाव जमा रहे । वह यही सोचकर अपनी आवाज़ को मुख्य गायक के स्वर से नीचे रखने की कोशिश करता है। यह उसकी मनुष्यता ही है कि वह मुख्य गायक के सुर को आगे बढ़ाता है और उसकी प्रसिद्धि, प्रतिभा और सफलता में सहायता देता है। तथा स्वयं को पीछे रखकर मुख्य गायक का सिक्का जमाने का प्रयास करता है।

प्रश्न 3.
मुख्य गायक और संगतकार की आवाज़ में क्या अंतर दिखाई पड़ता है।

उत्तर:
मुख्य गायक और संगतकार की आवाज़ में यह अंतर दिखाई पड़ता है कि जब तारसप्तक में जाकर मुख्य गायक की आवाज़ काँपने लगती है, उसका उत्साह मंद पड़ने लगता है और ऐसे स्थल पर उसे आराम की जरूरत महसूस होती है, तब संगतकार उसकी मदद करने के लिए उसी लय में अपना स्वर साधता है, किंतु साथ ही यह भी ध्यान रखता है कि कहीं उसकी आवाज़ मुख्य गायक की आवाज़ से तेज़ न हो जाए। इस प्रकार वह स्थायी को संभालते हुए मुख्य गायक की आवाज़ को बिखरने से बचाकर ऊँचाई और ताकत तो देता है, किंतु अपनी विशिष्टता दिखाने का प्रयास नहीं करता और केवल गायन में सहायता को ही अपना धर्म मानता है।

प्रश्न 4.
संगतकार किन-किन रूपों में मुख्य गायक की मदद करता है?    2014

उत्तर:
संगतकार अनेक रूपों में मुख्य गायक की मदद करता है-
(1) जब गायक सुर से भटकने लगता है, तब वह अपना सुर उसके साथ मिलाकर वापस सुर साधने में मुख्य गायक की मदद करता है।
(ii) जब मुख्य गायक जटिल तानों में खो जाता है, तब वह स्थायी को संभालकर उसकी मदद करता है।
(iii) तार सप्तक में गाते समय गायक की बुझती आवाज़ को संगतकार ढाँढस देता है और अपना स्वर मिलाकर सुर संभालता है।
(a) संगतकार ही स्थायी या टेक को बार-बार गाकर समा बाँधे रहता है।

प्रश्न 5.
मुख्य गायक का साथ देने वाले संगतकार की भूमिका के महत्व को अपने शब्दों में स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:
संगतकार की मुख्य गायक के साथ एक अत्यंत ही महत्त्वपूर्ण भूमिका है। वह हर संभव मुख्य गायक का साथ निभाता है। स्थायी को संभाले रखता है। जब तारसप्तक में मुख्य गायक का स्वर भटकने लगता है, तो संगतकार साथ में सुर मिलाकर उसे सहारा देता है। जब मुख्य गायक का सुर बुझने लगता है, तब उसे संभालकर आगे बढ़ाता है। सबसे अधिक तो उसकी मनुष्यता दिल जीत लेती है क्योंकि वह मुख्य गायक से कई बार अधिक ऊँचा और अच्छा स्वर लगा सकने के बाद भी सुर को नीचा रखता है, ताकि मुख्य गायक का प्रभाव व यश बना रहे। वह हर संभव मुख्य गायक की सफलता में एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।

प्रश्न 6.
संगतकार जैसे व्यक्ति की जीवन में क्या उपयोगिता होती है? स्पष्ट रूप में समझाइए।

उत्तर:
संगतकार जैसे व्यक्ति जीवन में किसी भी सफल व्यक्ति की नींव की तरह होते हैं। ये लोग सामान्य लोगों की नज़रों में आए बिना मुख्य व्यक्ति को सहारा देकर सफलता की ऊँचाइयों पर पहुँचाते हैं। जिस प्रकार संगतकार मुख्य गायक के स्वर को संभालकर, साथ देकर उसे सफल और प्रसिद्ध बनाते हैं। स्वयं को पीछे रखकर वे मनुष्यता का परिचय देते हुए, त्याग करके मुख्य व्यक्ति को यश का भागीदार बनाते हैं। ऐसे व्यक्ति समाज में अनेक क्षेत्रों जैसे- संगीत, सिनेमा, राजनीति, खेल व मीडिया आदि में भी दिखाई देते हैं। ये पीछे रहकर ही मुख्य व्यक्ति को हर संभव सहायता देते हैं। उनकी सफलता में प्रसिद्धि में ही इनका सुख छिपा होता है।

प्रश्न 7.
सांसारिक जीवन में संगतकार जैसे व्यक्ति की सार्थकता पर विचार कीजिए।

उत्तर:
सांसारिक जीवन में संगतकार जैसे व्यक्तियों की बहुत ही महत्त्वपूर्ण एवं सार्थक भूमिका होती है। ऐसे व्यक्ति समाज के हर छोटे-बड़े कार्य में सहायक की भूमिका का निर्वाह करते हैं और ऐसा करके वे दूसरों को ऊँचाइयों तक पहुँचा देते हैं। उनके मन में मानवता की भावना कूट-कूटकर भरी होती है। ये कभी किसी को पीछे धकेलकर आगे बढ़ना पसंद नहीं करते, बल्कि सदैव अपने त्याग से दूसरों को आगे बढ़ाने में सहायक बनते हैं। खेल-जगत, सिनेमा, राजनीति आदि जीवन के लगभग सभी क्षेत्रों में मानवता के उत्थान के लिए समर्पित ऐसे लोग देखे जा सकते हैं।

प्रश्न 8.
संगतकार द्वारा अपने स्वर को ऊँचा न उठाने की कोशिश को कवि ने मनुष्यता क्यों कहा है? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:
संगतकार द्वारा अपने स्वर को ऊँचा न उठाने की कोशिश को कवि ने मनुष्यता इसलिए कहा है क्योंकि जब ऊँचाई पर जाकर मुख्य गायक की आवाज़ काँपने लगती है, उसका उत्साह मंद पड़ने लगता है और ऐसे स्थल पर उसे आराम की जरूरत महसूस होती है, तब संगतकार उसी लय में अपना स्वर साधकर उसे सहारा व प्रोत्साहन देता है, किंतु साथ ही यह भी ध्यान रखता है कि कहीं उसकी आवाज़ मुख्य गायक की आवाज़ से तेज़ न हो जाए। इस प्रकार वह अपनी विशिष्टता दिखाने के स्थान पर केवल मुख्य गायक के गायन की प्रस्तुति को निखारकर उसे प्रसिद्ध दिलाता है। ऐसा निःस्वार्थ भाव व मानवता से ओतप्रोत व्यक्ति हीं कर सकता है।

प्रश्न 9.
‘संगतकार' संसार के कैसे व्यक्ति का प्रतीक है- स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:
‘संगतकार' संसार के ऐसे व्यक्ति का प्रतीक है- जो पीछे रहकर किसी भी प्रसिद्ध व्यक्ति की सफलता में महत्वपूर्ण योगदान देता है। ऐसे व्यक्ति सामान्यतः लोगों की नज़रों में नहीं आते, परंतु मुख्य व्यक्ति को अवश्य ही प्रसिद्ध व सफलता दिलाने में सहायक होते हैं। जैसे कि संगतकार किसी गायक का साथ देकर, उसका सुर संभालकर उसे एक सफल गायक बनाने में महत्वपूर्ण योगदान देता है। ऐसे व्यक्ति समाज में अनेक क्षेत्रों में हमें दिखाई देते हैं। जैसे- राजनीति, सिनेमा, खेल, मीडिया, संगीत, नृत्य आदि। ऐसे व्यक्ति स्वयं अंधकार में रहकर मुख्य व्यक्ति को चमकता सूर्य बनाने में भरपूर प्रकाश प्रदान करते हैं।

प्रश्न 10.
'संगतकार' कविता में संगतकार की मनुष्यता को कवि ने कैसे स्पष्ट किया है?

उत्तर:
संगतकार कविता में संगतकार की मनुष्यता को इस प्रकार प्रकट किया गया है कि वह सदा मुख्य गायक की हर संभव सहायता करता है। वह यह भी ध्यान रखता है कि उसका स्वर मुख्य गायक से अधिक ऊँचा और महत्त्वपूर्ण न हो जाए। वह दर्शकों और श्रोताओं में मुख्य गायक का सिक्का जमाए रखना चाहता है। कभी-कभी वह गाते-गाते झिझक जाता है। यह उसकी मनुष्यता का परिचायक है न कि उसकी विफलता का, क्योंकि वह स्वयं को पीछे रखकर मुख्य गायक को आगे बढ़ाता है, उसका महत्व बरकरार रखना चाहता है।

प्रश्न 11.
दिखावा प्रधान आधुनिक समाज में क्या संगतकार जैसे व्यक्ति की कोई उपयोगिता है? इस विषय में अपने विचार प्रस्तुत कीजिए।

उत्तर:
आज के दिखावा प्रधान आधुनिक समाज में संगतकार जैसे व्यक्तियों की उपयोगिता घटती जा रही है। आज पहले जैसे सहायक और निःस्वार्थ व सच्चे संगतकार कम ही होते हैं। आज के समय में तो लोग मुख्य व्यक्ति का फ़ायदा उठाकर या उसे गिराकर स्वयं आगे बढ़ने की होड़ में लगे रहते हैं। संगतकार जैसे अन्य क्षेत्रों में सहायक की भूमिका निभाने वाले सच्चे लोगों में नैतिक मूल्य कम होते जा रहे हैं। आजकल लोग अवसरवादी हो गए हैं। दूसरों की टांग खींचने में उन्हें बड़ा आनंद आता है। परंतु सिक्के का दूसरा पहलू भी है। आज भी ये दुनिया ऐसे सच्चे और परोपकारी संगतकारों व सहायकों पर टिकी हुई है। जो अपना सहारा देकर मुख्य व्यक्ति को सफल बनाने में जी-जान लगा देते हैं।

प्रश्न 12.
संगतकार जैसे व्यक्ति संगीत के अलावा और किन-किन क्षेत्रों में दिखाई देते हैं? कविता के आधार पर लिखिए।

उत्तर:
संगतकार जैसे व्यक्ति संगीत के अलावा अन्य कई क्षेत्रों में दिखाई देते हैं। सर्वगुण संपन्न होते हुए भी ये व्यक्ति समाज में अग्रिम न रहकर पीछे रहते हैं और अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। उनमें से कुछ महत्त्वपूर्ण संगतकार निम्न हैं-
• युद्धक्षेत्र में संगतकार के रूप में वे नौजवान सैनिक महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं जो अपनी जान की बाजी लगाकर अपने उच्च अधिकारियों का नाम रोशन करते हैं। स्वयं गुमनामी के अंधेरों में खोकर अपने उच्च अधिकारियों को पदक दिलवाते हैं। राजनीति के क्षेत्र में विभिन्न राजनैतिक दलों में कार्य करने वाले कार्यकर्ता जनता और समाज के उत्थान के लिए कटिबद्ध रहते हैं। निरंतर कार्य करते हैं और उन कार्यों की प्रशंसा का श्रेय दल के नेता ले जाते हैं।
• शिक्षा के क्षेत्र में अनेक शिक्षक, शिक्षण की महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और विद्यार्थियों के श्रेष्ठ परिणाम का श्रेय प्राचार्यों को प्राप्त होता है।
• इतना ही नहीं बड़े-बड़े सांस्कृतिक कार्यक्रमों को सफल बनाने को आधार संगतकार जैसे अनेक कार्यकर्मी होते हैं, परंतु उन कार्यक्रमों की सफलता में नाम उनके मुख्य आयोजक का होता है।

प्रश्न 13.
‘संगतकार' किस प्रकार के व्यक्ति का प्रतीक है? ‘संगतकार’ कविता के आधार पर समझाइए।

उत्तर:
‘संगतकार' उस सहायक कलाकार का प्रतीक है जो स्वयं को पीछे रखकर मुख्य कलाकार को आगे बढ़ने में अपना महत्त्वपूर्ण योगदान देता है। ऐसे सर्वगुण संपन्न व्यक्ति समाज के किसी भी क्षेत्र में देखे जाते हैं। व्यक्ति समाज में अग्रिम न रहकर पीछे रहते हैं और अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। यश, ख्याति, प्रशंसा, इनाम पाने की आकांक्षा इनके भीतर नहीं होती। ये लोग छल-प्रपंच से दूर श्रद्धा के धनी होते हैं। दूसरों की विशेषताओं को तराशने और सुधारने में लगे रहते हैं और इसे वह अपना कर्तव्य समझते हैं। अलग-अलग क्षेत्रों में ये अलग-अलग ढंग से अपनी भूमिका अदा करते हैं। कर्तव्यनिष्ठा, निःस्वार्थ भावना, विनम्रता, सहयोग और मानवीयता इनके विशिष्ट गुण होते हैं।

प्रश्न 14.
किसी व्यक्ति की सफलता में सहयोगी की भूमिका को ‘संगतकार’ कविता के संदर्भ में स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:
‘संगतकार' कविता के संदर्भ में संगतकार एक ऐसा सहयोगी है जो मुख्य गायक के गायन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उसके स्वर से स्वर मिलाकर उसके गायन को गति प्रदान करता है। जब मुख्य गायक का स्वर भारी हो जाता है, तब वह अपने स्वर के माध्यम से उसे उत्साह प्रदान करता है। उसके स्वर को बिगड़ने नहीं देता, अपितु उसका आत्मविश्वास बनाए रखने में पूर्ण सहयोग देता है। उसे यह एहसास दिलाता है कि वह अकेला नहीं हैं। जब मुख्य गायक किसी अंतरे की जटिल तानों में उलझ जाता है या किसी सरगम के उच्च स्वर में खो जाता है, तब संगतकार मुख्य पंक्ति को पकड़ उसे वापस लाता है। उसे अकेलेपन का एहसास नहीं होने देता। वास्तव में, बहुत ही विनम्रता के साथ उसे प्रोत्साहित करता है। इस प्रकार मुख्य गायक के गायन में संगतकार बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

प्रश्न 15.
“संगतकार' कविता में चित्रित संगतकार को क्या एक आदर्श मित्र का समानार्थी कहा जा सकता है? स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:
संगतकार को एक आदर्श मित्र का समानार्थी कहा जा सकता है क्योंकि वह उसी की भाँति सदैव साथ देता है। जब कभी मुख्य गायक का स्वर ऊँचे सुर लगाते हुए बिखरने लगता है, तो संगतकार उसका साथ देकर उसके बिखराव को सँभालता है। आदर्श मित्र का भी यह एक गुण है कि वह अपने मित्र को भटकने से बचाता है। संगतकार मुख्य गायक का आत्मविश्वास भी ठीक एक आदर्श मित्र की भाँति जगाता है। कभी-कभी व्यक्ति में आत्मविश्वास की कमी होने लगती है, तो उसका मित्र ही उसकी प्रेरणा बनता है। अतः सहयोग, निश्छलता, मानवता एवं प्रेरणा जैसी विशेषताएँ समान होन के कारण संगतकार एक आदर्श मित्र का समानार्थी सिद्ध होता है।



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    1. abbe chutiye sar nhi sir hota hai :D please respect sir

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    2. Thank you so much sir for providing this . Now I can ensure 75+ in Hindi on 21 feb 2024 Respect you sir .

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    3. mukul yadav kitne aaye?

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  2. Thankyou so much sir..

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  3. Sir agr yeh paper me nhi aye toh pka se ayenge na sir yeh question

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    1. Ha beta jaroor aayenge promise hai ye mera 👍🏻

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    2. Beta paper set kiya hai.. saare questions humne banaye hai 👍

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  4. Thank you Sar ji 👍🏻

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  5. Sir meri writing fast kaise karu hindi ki

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    1. Beta hindi likhne ki practice karo aap... mai iss topic par ek video banaunga

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  6. Wow sir you are one of the best teacher in the world

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  7. Bas kar pagle rulaye ga kya

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  8. Sir aap sabse bdia ho

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  9. Chapter ki summary is base pur mere Wana questions safe hai or koi bhi question direct nahi aata toh todhi problem hoti hai solutions please sir

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  10. In this 2024 exam these questions will come or not please tell sir

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