Class 10 Hindi Important Questions-Netaji ka Chashma Extra Questions नेताजी का चश्मा | नेताजी का चश्मा (अति महत्त्वपूर्ण प्रश्न)
नेताजी का चश्मा (अति महत्त्वपूर्ण प्रश्न)
प्रश्न 1.
जिस किसी ने नेताजी की मूर्ति की आँखों पर सरकंडे से बना चश्मा लगाया होगा, उसे आप किस तरह का व्यक्ति मानते हैं और क्यों?
उत्तर:
जिस किसी ने भी नेताजी की मूर्ति की आँखों पर सरकंडे से बना चश्मा लगाया होगा, वह देश से एवं देश के महान नेताओं से अत्यंत प्रेम करने वाला व्यक्ति होगा। उसमें देशभक्ति की भावना प्रबल रूप से व्याप्त होगी और वह देश के प्रति अपने उत्तरदायित्वों से अच्छी तरह परिचित होगा। मैं मानता हूँ कि वह व्यक्ति गंभीर एवं सच्चा देशभक्त होगा, जो देश एवं देश के महान नेताओं के प्रति अत्यंत प्रेम की भावना रखता है। जब उसे नेताजी की मूर्ति बिना चश्मे के अधूरी लगी होगी, तब उसके अंदर देशप्रेम की भावना उत्पन्न हुई होगी। वह बार-बार चश्मा बदलने की आर्थिक स्थिति में भी नहीं होगा। अतः उसने कम लागत वाली सरकंडे का चश्मा लगनपूर्वक बनाकर नेताजी की मूर्ति को पहनाया होगा और उनके व्यक्तित्व के अधूरेपन को समाप्त कर दिया होगा। अधिक संभावना यह है कि ऐसा किसी बच्चे ने किया होगा। हम अपनी ऐसी भावी पीढ़ी पर गर्व कर सकते हैं।
प्रश्न 2.
मूर्तिकार के द्वारा 'बनाकर पटक देने' के पीछे क्या भाव निहित है?
उत्तर:
मूर्तिकार द्वारा मूर्ति 'बनाकर पटक देने' का भाव यह है कि मूर्ति में सूक्ष्म बारीकियों का ध्यान अधिक नहीं रखा गया था। उसे देखने से लगता है कि इस मूर्ति को बनानेवाला कलाकार बहुत उच्च दर्जे का नहीं था और इसे बनाने के लिए उसे पर्याप्त समय भी नहीं मिला होगा। बहुत जल्दबाजी में उसे काम पूरा करने के लिए पर्याप्त राशि भी नहीं मिली होगी। किसी स्थानीय कलाकार ने ही उसे कम समय में तैयार करने का विश्वास दिलाया होगा। कम पूँजी एवं कम समय के कारण तथा उत्कृष्ट कलाकारिता के अभाव में बिना सूक्ष्म तथ्यों का ध्यान रखें, किसी तरह मूर्ति बनाकर वह अपनी जिम्मेदारी से मुक्त हो गया। ‘मूर्ति बनाकार पटक देने' के पीछे यही भाव निहित है।
प्रश्न 3.
यह क्यों कहा गया कि महत्त्व मूर्ति के रंग-रूप या कद का नहीं, उस भावना का है? पाठ 'नेताजी का चश्मा' के आधार पर बताओ। 2015
उत्तर:
महत्त्व मूर्ति के रंग-रूप या कद का नहीं, उस भावना का है, जिस भावना से मूर्ति का निर्माण हुआ था। ‘नेताजी का चश्मा' पाठ में शहर के मुख्य बाज़ार के मुख्य चौराहे पर नेताजी सुभाषचंद्र की मूर्ति लगाई गई थी। मूर्ति संगमरमर की थी। दो फुट ऊँची, फ़ौजी वर्दी में नेताजी सुंदर लग रहे थे। मूर्ति को देखते ही 'दिल्ली चलो' और 'तुम मुझे खून दो... याद आने लगते थे । वास्तव में यह नगरपालिका द्वारा सफल एवं सराहनीय प्रयास था। इस मूर्ति में एक ही कमी थी। नेताजी का चश्मा नहीं बनाया गया था। रियल चश्मा पहनाकर कैप्टन ने इस कमी को भी पूरा कर दिया था। वास्तव में महत्त्व मूर्ति के कद या रंग रूप का नहीं था, उसके पीछे छिपी भावना का था। इस मूर्ति के माध्यम से लोगों में देश प्रेम और देशभक्ति की भावना पैदा हो रही थी तथा नेताओं के प्रति श्रद्धा और सम्मान जागृत हो रहा था, वह सबसे अमूल्य एवं महत्त्वपूर्ण था।
प्रश्न 4.
अपने दैनिक कार्यों में किसी-न-किसी रूप में हम भी देश-प्रेम की भावना को किस प्रकार प्रकट कर सकते हैं? 2014
उत्तर:
देश-प्रेम प्रकट करने के लिए बड़े-बड़े नारों की आवश्यकता नहीं होती और न ही जवान, बलिष्ठ या सैनिक होने की जरूरत होती है। देश-प्रेम और देश-भक्ति हृदय का भाव है, जिसे हम दैनिक कार्यों व छोटी-छोटी बातों से प्रकट कर सकते हैं। अपने आस-पास के लोगों के साथ प्रेम से रहना, सौहार्द की भावना परस्पर सहयोग स्थापित करना, अपने आस-पास के वातावरण को स्वच्छ एवं शांतिपूर्ण बनाए रखना। इन सबके द्वारा देश-प्रेम के भाव को स्थापित कर सकते हैं।
प्रश्न 5.
हालदार साहब को पानवाले की कौन सी बात अच्छी नहीं लगी और क्यों ?
उत्तर:
हालदार साहब को पानवाले के द्वारा चश्मे बेचने वाले कैप्टन को 'लँगड़ा' कहना अच्छा नहीं लगा क्योंकि कैप्टन सहानुभूति एवं सम्मान का पात्र था। वह अपनी छोटी-सी फेरी वाली दुकान से देशभक्त सुभाष चंद्र की मूर्ति पर चश्मा लगाकर उनके प्रति श्रद्धा प्रकट करता था। वह शारीरिक रूप से अपंग होते हुए भी देशभक्ति की भावना रखता था।
प्रश्न 6.
पानवाले के लिए यह एक मजेदार बात थी, लेकिन हालदार साहब के लिए चकित और द्रवित करने वाली।" इस पंक्ति में किस बात की ओर संकेत किया गया है?
उत्तर:
"पानवाले के लिए यह एक मजेदार बात थी, लेकिन हालदार साहब के लिए चकित और द्रवित करने वाली।" इस पंक्ति में नेताजी सुभाषचंद्र बोस की मूर्ति के ओरिजिनल चश्मे से संबंधित बात की ओर संकेत किया गया है। नेताजी की मूर्ति पर ओरिजिनल चश्मा न देखकर पानवाले से जब उसके विषय में पूछा कि मूर्ति का ओरिजनल चश्मा कहाँ गया, तब पानवाले ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया कि मास्टर बनाना भूल गया। ये बात पानवाले के लिए एक मजेदार बात थी, परंतु हालदार साहब को मूर्ति पर चश्मा न बनाने पर हैरानी थी और उन्हें इस बात का भी दुख था कि इतने महान देशभक्त नेता की मूर्ति पर चश्मा न बनाने की भूल कैसे हुई। यद्यपि मूर्ति में और कोई कमी न थी।
प्रश्न 7.
सेनानी न होते हुए भी चश्मेवाले को लोग कैप्टन क्यों कहते थे? 2013
उत्तर:
सेनानी न होते हुए भी चश्मेवाले को लोग कैप्टन इसलिए कहते थे क्योंकि उसके अंदर देशभक्ति की भावना कूट-कूट कर भरी हुई थी। उसके हृदय में स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने वाले सेनानियों के प्रति विशिष्ट सम्मान था। वह नेताजी सुभाषचंद्र बोस का बहुत सम्मान करता था। नेताजी सुभाषचंद्र बोस की मूर्ति पर चश्मा न होने से वह दुखी था। वह नेताजी की मूर्ति पर चश्मा लगाकर चश्मे की कमी की पूर्ति किया करता था। वह चश्मे बेचता था। अतः कोई न कोई चश्मा नेताजी की आँखों पर लगा देता था। बार-बार मूर्ति पर नया चश्मा पहनाकर वह उनके प्रति एवं देश के प्रति श्रद्धा का भाव प्रकट करता था।
प्रश्न 8.
जब तक हालदार साहब ने कैप्टन को साक्षात नहीं देखा था, तब तक उनके मानस पटल पर उसका कौन-सा चित्र रहा होगा? अपनी कल्पना के आधार पर लिखिए।
उत्तर:
जब तक हालदार साहब ने कैप्टन को साक्षात नहीं देखा था तब तक उनके मानस पटल पर उसका एक भिन्न ही चित्र था। उन्हें लगता था कि वह या तो नेताजी सुभाषचंद्र बोस का साथी रहा होगा या आज़ाद हिन्द फौज का भूतपूर्व सिपाही। हमारी दृष्टि में हालदार साहब के मानस पटल पर कैप्टन का जो चित्र रहा होगा वह कुछ इस प्रकार होगा- स्वस्थ, लंबा-चौड़ा, हष्ट-पुष्ट शरीर, फ़ौज की वर्दी पहने सधा हुआ व्यक्तित्व। रिटायर्ड होने के बावजूद भी उसमें जोश, उत्साह और उमंग की लहर चेहरे पर दौड़ती नज़र आती होगी। चश्मा बेचते हुए भी उसकी आँखों में देशभक्ति एवं सम्मान का भाव होगा।
प्रश्न 9.
चौराहे पर लगी मूर्ति के प्रति आपके एवं दूसरे लोगों के क्या उत्तरदायित्व होने चाहिए?
उत्तर:
अपने क्षेत्र में चौराहे पर लगी मूर्ति के प्रति हमारे तथा दूसरे लोगों के कुछ उत्तरदायित्व हैं, जिनका पालन होना अत्यंत आवश्यक है। सर्वप्रथम चौराहे पर लगी मूर्ति के सही रख-रखाव पर हमारा ध्यान रहना चाहिए। वह मूर्ति, जिस भी महापुरुष की है उसके बारे में अन्य लोगों को भी परिचित कराना चाहिए। समय-समय पर विशिष्ट अवसरों पर उस मूर्ति के स्थापना-स्थल पर विविध प्रकार के आयोजन किए जाने चाहिए। ताकि लोग उस महापुरुष के व्यक्तित्व एवं महत्त्वपूर्ण कार्यों से परिचित हो सके। उन्हें सम्मान दें एवं उस मूर्ति के सौंदर्य के प्रति जागरूक रहकर उसके सौंदर्य को कायम रखें।
प्रश्न 10.
प्रश्न 10.
यात्रा के दौरान हालदार साहब को किस बात से प्रफुल्लता प्राप्त होती थी?
उत्तर:
दो साल से हालदार साहब अपने काम से उस कस्बे से गुजरते रहे, जिसके चौराहे पर नेताजी सुभाषचंद्र बोस की मूर्ति बनी हुई थी। उस मूर्ति पर वे अक्सर बदला हुआ चश्मा देखते थे-कभी गोल चश्मा, कभी चौकोर, कभी लाल, कभी काला, कभी धूप का चश्मा, कभी बड़े काँचों वाला गोगो चश्मा, पर कोई न कोई चश्मा होता ज़रूर। यह देखकर उनका मन कुछ क्षणों के लिए प्रफुल्लता से भर जाता।
प्रश्न 11,
आप अपने इलाके के चौराहे पर किस व्यक्ति की मूर्ति स्थापित करवाना चाहेंगे और क्यों? 2011
उत्तर:
हम अपने इलाके के चौराहे पर ‘कर्नल जगदीश शर्मा की मूर्ति स्थापित करवाना चाहेंगे, जोकि इसी इलाके के निवासी थे। 'कर्नल जगदीश शर्मा ने कारगिल की लड़ाई में दुश्मनों के साथ लड़ते-लड़ते अपने प्राणों का बलिदान दे दिया था। वह देश की खातिर शहीद हो गए थे। ऐसे अनगिनत योद्धाओं ने इस लड़ाई में अपने प्राण गवाए थे। उनका नाम अमर तो हो गया, किंतु उनकी कोई विशिष्ट पहचान सबके सामने न आ पाई। हम ‘कर्नल जगदीश शर्मा की मूर्ति अपने इलाके के बीच स्थापित कर उनके व्यक्तित्व को एक नई पहचान देंगे, ताकि लोग उनको न केवल जान सकें अपितु उनकी मूर्ति के आगे नतमस्तक हों और उन्हें श्रद्धाजंलि दे सकें।
प्रश्न 12,
कैप्टन के प्रति पानवाले की व्यंग्यात्मक टिप्पणी पर अपनी प्रतिक्रिया लिखिए।
उत्तर:
कैप्टन के प्रति पानवाले ने टिप्पणी की थी ‘वो लंगड़ा क्या जाएगा फौज में। पागल है पागल !'- उसकी यह टिप्पणी व्यंग्य भाव से परिपूर्ण है और नैतिक मूल्यों के विरुद्ध है। शारीरिक रूप से चुनौती को स्वीकार किए हुए व्यक्ति पर उड़ाया गया उपहास है, जो सर्वदा अनुचित ही नहीं अभ्रदता का भी प्रतीक है। ऐसी टिप्पणी करना अशोभनीय एवं अनुचित व्यवहार को दर्शाता है। जबकि ऐसे देश-प्रेमी व्यक्तियों के प्रति हमारा व्यवहार स्नेह, सहयोग एवं सहानुभूतिपूर्ण होना चाहिए। कैप्टन जैसे अपंग देशभक्त व्यक्ति के प्रति इस तरह का व्यंग्यात्मक कथन निंदनीय है। कैप्टन देशभक्तों का प्रतीक है। उसका उपहास उड़ाना देशभक्तों के सम्मान के विरुद्ध आवाज़ उठाना है। संभवतः पानवाला अपने कथन की गंभीरता से अपरिचित है।
प्रश्न 13.
नगरपालिका ने नेता जी की मूर्ति चौराहे पर लगाने की हड़बड़ाहट क्यों दिखाई थी?
उत्तर:
कस्बे के मुख्य चौराहे पर नेताजी की मूर्ति वहाँ की नगरपालिका द्वारा लगवाई गई थी। मूर्ति को देखकर लगता था कि वह काफी हड़बड़ाहट में लगवाई है। देश के अच्छे मूर्तिकारों की जानकारी न होने और मूर्ति की लागत बजट से कहीं बहुत ज्यादा होने के कारण काफी समय ऊहापोह के पश्चात् वहाँ के स्थानीय कलाकार हाईस्कूल के इकलौते ड्राइंग मास्टर द्वारा मूर्ति बनवाई गई थी। प्रशासनिक बोर्ड की शासनावधि समाप्त होने की घड़ियों में इसे शीघ्रता से कम लागत में बनवाया गया था।
प्रश्न 14.
‘नेताजी का चश्मा' पाठ का कैप्टन एक ऐसा इंसान है जिसके कार्य उसकी देशभक्ति के प्रमाण हैं- स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
'नेताजी का चश्मा' पाठ में कैप्टन एक ऐसा इंसान है जिसमें देश-भक्ति की भावना कूट-कूट कर भरी हुई हैं। वह कोई सेनानी नहीं, एक साधारण चश्मे बेचने वाला है जिसके मन में देश पर कुर्बान हुए शहीदों, नेताओं के प्रति विशिष्ट सम्मान का भाव है। नेताजी सुभाषचंद्र बोस के प्रति उसके मन में अपार श्रद्धा थी तभी वह चश्मा विहीन नेताजी की मूर्ति को देखकर आहत था इसीलिए वह रोज़ एक नया चश्मा नेताजी की मूर्ति पर लगा दिया करता था। अपने देश के प्रति त्याग और समर्पण की भावना में वह किसी कैप्टन या सेनानी से कम नहीं था। उसका यह कार्य उसके हृदय में देशभक्ति का सबसे बड़ा प्रमाण था।
Tnank
ReplyDeletechodampatti
DeleteBro thoda pdh liya kro is sab ke alawa, anonymous
DeleteVery nice
ReplyDeleteThanks sir for this wonderful important question answer
ReplyDeleteoye apni behen chuda
DeleteThik Bhai Teri bhen Mari bhen
Deletevery nice questions
ReplyDeleteSex
ReplyDeleteAre pagla ho kya
DeleteMaa baap sanskar nhi diye hai kya
DeleteSaram kar bhai padhai kar le yaha badtamiji mat kar
Deletechodampatti boom boom
DeleteThankyou sir
ReplyDeleteBahut bahut dhanywaad aapko gorudew
ReplyDeletechutiye gorudew kya hota hai gurudev likh na
DeleteSir exam mai spelling mistake kaise avoid kre
ReplyDeletebeta mera lund lelo phir mai apko sabh bta dunga :D
DeleteBsdk
DeleteThank you so much sir 🙏
ReplyDeleteApko nhi Pata apne Kitni help kari ha hamari dil se thanks ♥️
ReplyDeletechalo ab thank you ke roop me mera lund choos lo beta :D
Deletebaat karne ka tarika thoda kezual hai
Deletesir thank you for all these nice questions
ReplyDeletesir the 7th question is exactly the same with 1st question of exercise so which one should I study because they are having different answers
ReplyDeleteसर, 7वां प्रश्न अभ्यास के पहले प्रश्न के समान है, इसलिए मुझे कौन सा अध्ययन करना चाहिए क्योंकि उनके उत्तर अलग-अलग हैं
ReplyDeletesir can we write about panwalla telling captain as lamb in 6th question
ReplyDeleteno baccha ap thode chutiye ho kya
Deleteसर क्या हम छठे सवाल में पानवाले द्वारा कैप्टन को लंगड़ा बताने के बारे में लिख सकते हैं?
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DeleteSir Here ... Laude tu chutiya hai kya joh answer likha hua hai vahi likhega na madarchod apni man se thodi na answer likhega bhosdike belbuddhi teri buddhi kya gand marane gai h :D
bhai tu usko gali kyu dera hai thoda tameez se baat krna bro :C
Deletebhai jo tu gaali de rha hai na isse koi trigger ni hora to attention seeking band kar and just get a life touch some grass theres no need to be a bitch and type across a screen if u wanna have a real one DM me insta id skye_shash
DeleteOye gali dene wale thoda tameej se baat kr liya kro pta nhi kb kya ho jye tere sath
Deleteplz be careful while typing galti से gali bak rahe ho
ReplyDeletebhai tu mera lund lele
Deletesir ap padhate accha ho pr dikhte lund ho :D thanks for the questions :D
ReplyDeleteबच्चों, क्या आप इंस्टा पर बेसिक को फॉलो कर सकते हैं? instagram.com/besickedits इसे आपके 15% नंबर बढ़ जाएंगे !!
ReplyDeletefake account
Deletebaccho , jai shree ram bolke test likhna, 15% jyada aye ge
ReplyDeleteTeri mummy aa jayenge bsdk
DeleteBaki ke bache 85 % me teri mummy ayegi
DeleteJay shree ram 🙏
ReplyDeleteSar mere ko Hindi mein padhaane wala koi nahin tha isliye maine aapki class twenty thank u so Mach Sar Itna Achcha padhaane ke liye
ReplyDeleteThanks a lot sir you are so much helpful 🙏🏻🙏🏻for all of us
ReplyDeleteHello
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