दो बैलों की कथा (पठित गद्यांश)
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए:
1 जानवरों में गधा सबसे ज्यादा बुद्धिहीन समझा जाता है। हम जब किसी आदमी को परले दरजे का बेवकूफ़ कहना चाहते हैं, तो उसे गधा कहते हैं। गधा सचमुच बेवकूफ़ है, या उसके । सीधेपन, उसकी निरापद सहिष्णुता ने उसे यह पदवी दे दी है, इसका निश्चय नहीं किया जा सकता। गायें सींग मारती हैं, ब्याई हुई गाय तो । अनायास ही सिंहनी का रूप धारण कर लेती है। कुत्ता भी बहुत गरीब जानवर है, लेकिन कभी-कभी उसे भी । क्रोध आ ही जाता है, किंतु गधे को कभी क्रोध करते नहीं सुना, न देखा। जितना चाहो गरीब को मारो, चाहे जैसी खराब, सड़ी हुई घास सामने डाल दो, उसके चेहरे पर कभी असंतोष की । छाया भी न दिखाई देगी। वैशाख में चाहे एकाध बार कुलेल कर लेता हो; पर हमने तो उसे कभी खुश होते नहीं देखा। उसके । चेहरे पर एक विषाद स्थायी रूप से छाया रहता है। सुख-दुख, हानि-लाभ, किसी भी दशा में उसे बदलते नहीं देखा। ऋषियों- मुनियों के जितने गुण हैं वे सभी उसमें पराकाष्ठा को पहुँच गए हैं, पर आदमी उसे बेवकूफ़ कहता है।
प्रश्न
(क) ऋषि-मुनियों तथा गधे में क्या समानता देखी गई है?
(ख) किसी आदमी को गधा कहने का क्या अर्थ है?
(ग) गधे को बुद्धिहीन क्यों माना जाता है?
उत्तर
(क) ऋषि-मुनियों तथा गधे में यही समानता होती है कि दोनों का स्वभाव सरल और सहनशील होता है।
(ख) जानवरों में गधा अपनी मूर्खता के लिए प्रसिद्ध है। किसी आदमी को गधा कहने का अर्थ है कि वह पहले दरजे का बेवकूफ़ है।
(ग) गधे को बुद्धिहीन जानवर माना जाता है क्योंकि वह कभी किसी बात पर प्रतिक्रिया नहीं करता| उसे चाहे मारो या सड़ी हुई खराब घास खिलाओं कभी क्रोध नहीं करता।
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2. देखिए न, भारतवासियों की अफ्रीका में क्या दुर्दशा हो रही । है? क्यों अमरीका में उन्हें घुसने नहीं दिया जाता? बेचारे शराब नहीं पीते, चार पैसे कुसमय के लिए बचाकर रखते हैं, जी । तोड़कर काम करते हैं, किसी से लड़ाईझगड़ा नहीं करते, चार बातें सुनकर गम खा जाते हैं फिर भी बदनाम हैं। कहा जाता है, वे जीवन के आदर्श को नीचा करते हैं। अगर वे भी ईट का जवाब पत्थर से देना सीख जाते तो शायद गधे से नीचा है। सभ्य कहलाने लगते । जापान की मिसाल सामने है। एक ही विजय ने उसे संसार की सभ्य जातियों में गण्य बना दिया। लेकिन गधे का एक छोटा भाई और भी है, जो उससे कम ही। गधा है, और वह है 'बैल'। जिस अर्थ में हम गधे का प्रयोग। करते हैं, कुछ उसी से मिलते-जुलते अर्थ में बछिया के ताऊ का भी प्रयोग करते हैं। कुछ लोग जैल को शायद बेवकूफों में सर्वश्रेष्ठ कहेंगे; मगर हमारा विचार ऐसा नहीं है। बैल कभी-कभी मारता भी है, कभी-कभी अड़ियल बैल भी देखने में आता है। और भी कई रीतियों से अपना असंतोष प्रकट कर देता है, अतएव उसका स्थान गधे से नीचा है।
प्रश्न
(क) 'बछिया का ताऊ' किसे कहा जाता है?
(ख) बैल को गधे का छोटा भाई क्यों कहा गया है?
(ग) भारतवासियों को अमेरिका में क्यों घुसने नहीं दिया जाता था?
उत्तर
(क) ‘बछिया का ताऊ' बैल को कहा जाता है।
(ख) बैल को गधे का छोटा भाई कहा गया है क्योंकि मूर्खता और सरल-सहनशीलता का गुण उसमें गधे से कम है। बैल भी गधे की तरह ही सीधा और सहनशील होता है लेकिन कभी- कभी असंतुष्ट होने पर क्रोधित होकर रोष व्यक्त करता है तथा हमला भी कर देता है।
(ग) भारतवासियों के अत्यधिक सरल स्वभाव के कारण उनके साथ गलत व्यवहार किया जाता है। उन्हें यह कहकर अमेरिका में घुसने नहीं दिया जाता है कि उनके निम्न रहन-सहन के कारण वे जीवन के आदर्श को नीचे गिराते हैं।
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3. झूरी काछी के दोनों बैलों के नाम थे हीरा और मोती। दोनों पछाई जाति के थे-देखने में सुंदर, काम में चौकस, डील में ऊँचे। बहुत दिनों साथ रहते-रहते दोनों में भाईचारा हो गया था। दोनों आमने-सामने या आस-पास बैठे हुए एक-दूसरे से मूक-भाषा में विचार-विनिमय करते थे। एक, दूसरे के मन की बात कैसे समझ जाता था, हम नहीं कह सकते। अवश्य ही उनमें कोई ऐसी गुप्त शक्ति थी, जिससे जीवों में श्रेष्ठता का दावा करने वाला मनुष्य वंचित है। दोनों एक-दूसरे को चाटकर और सँघकर अपना प्रेम प्रकट करते, कभी-कभी दोनों सींग भी मिला लिया करते थे- विग्रह के नाते से नहीं, केवल विनोद के भाव से, आत्मीयता के भाव से, जैसे दोस्तों में घनिष्ठता होते ही धौल-धप्पा होने लगता है। इसके बिना दोस्ती कुछ फुसफुसी, कुछ हलकी-सी रहती है, जिस पर ज्यादा विश्वास नहीं किया जा सकता। जिस वक्त ये दोनों बैल हल या गाड़ी में जोत दिए जाते और गरदन हिला-हिलाकर चलते, उस वक्त हर एक की यही चेष्टा होती थी कि ज्यादा-से-ज्यादा बोझ मेरी ही गरदन पर रहे। दिन-भर के बाद दोपहर या संध्या को दोनों खुलते, तो एक-दूसरे को चाट-चूटकर अपनी थकान मिटा लिया करते। नाँद में खली-भूसा पड़ जाने के बाद दोनों साथ उठते, साथ नाँद में मुँह डालते और साथ ही बैठते थे। एक मुँह हटा लेता, तो दूसरा भी हटा लेता था।
प्रश्न
(क) हीरा और मोती बैल आपस में किस प्रकार बात करते थे?
(ख) हीरा और मोती में ऐसी कौन-सी गुप्त शक्ति थी, जो मनुष्य में नहीं होती?
(ग) प्रस्तुत गद्यांश में सच्ची मित्रता के कौन-से लक्षण प्रकट हुए हैं?
उत्तर
(क) हीरा और मोती बैल आमने-सामने या आस-पास बैठकर एक-दूसरे से मूक-भाषा में विचार-विनिमय करते थे।
(ख) हीरा और मोती दो बैल थे, जो आपस में बिना बोले एक दूसरे के प्रति प्रेम प्रकट करते थे। मनुष्य इस भावना को प्रकट करने के लिए भाषा का प्रयोग करता है लेकिन पशु होने के बावजूद इनमें ऐसी कोई गुप्त शक्ति थी, जिसके माध्यम से वे एक-दूसरे के मन की बात जान लेते थे।
(ग) लेखक ने दो बैलों के माध्यम से सच्ची मित्रता के असल मायने प्रकट किए हैं कि एक-दूसरे के प्रति प्रेम व्यक्त करने के लिए भाषा की आवश्यकता नहीं होती। दोनों आपस में शरारत, मौज-मस्ती, धौल-धप्पा करते हैं, जो सच्ची मित्रता के विश्वसनीय पहलू हैं।
गद्यश के अनुसार एक ऐसी घटना बताइए जिससे पता चले कि जानवर सचमुच समझदार होते हैं।
ReplyDeleteGadhe ke shanshelta
DeleteRishi aur muniyo ke gunn
DeleteNot good 😡😡
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