कैमरे में बंद अपाहिज (पठित काव्यांश)

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कैमरे में बंद अपाहिज (पठित काव्यांश)






निम्नलिखित काव्यांशों को ध्यानपूर्वक पढ़कर नीचे दिए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

प्रश्न 1.

हम दूरदर्शन पर बोलेंगे
हम समर्थ शक्तिवान
हम एक दुर्बल को लाएँगे
एक बंद कमरे में
उससे पूछेंगे तो आप क्या अपाहिज हैं।
तो आप क्यों अपाहिज हैं।
आपका अपाहिजपन तो दुख देता होगा
देता है।
(कैमरा दिखाओ इसे बड़ा-बड़ा)
हाँ तो बताइए आपका दुख क्या हैं।
जल्दी बताइए वह दुख बताइए
बता नहीं पाएगा।

प्रश्न 
(क) हम दूरदर्शन पर बोलेंगे में आए 'हम' शब्द से क्या तात्पर्य हैं?
(ख) हम अपाहिज से क्या प्रश्न पूछेंगे?
(ग) प्रश्न पूछने वाला अपने उद्देश्य में कितना सफल हो पाता हैं और क्यों?
(घ) प्रश्नकर्ता कैमरे वाले को क्या निर्देश देता है और क्यों?

उत्तर =
(क) दूरदर्शन पर हम बोलेगा कि हम शक्तिशाली हैं तथा अब हम किसी कमजोर का साक्षात्कार लेगे। यहाँ हम' समाज का ताकतवर मीडिया है।

(ख) क्या आप अपाहिज है? आप क्यों अपाहिज है? आपका दुख क्या है?

(ग) अपाहिज से पूछे गए प्रश्न बेतुके व निरर्थक हैं। ये अपाहिज के वजूद को झकझोरते हैं तथा उसके स्वाभिमान को ठेस पहुँचाते हैं। फलस्वरूप वह चुप हो जाता है। इस प्रकार प्रश्न पूछने वाला अपने उद्देश्य में सफल नहीं हो पाता। उसकी असफलता का कारण यह है कि उसे अपंग व्यक्ति की व्यथा से कोई वास्ता नहीं है। वह तो अपने कार्यक्रम की लोकप्रियता बढ़ाना चाहता है।

(घ) प्रश्नकर्ता कैमरे वाले को अपंग की तस्वीर बड़ी करके दिखाने के लिए कहता है ताकि आम जनता की सहानुभूति उस व्यक्ति के साथ हो जाए और कार्यक्रम लोकप्रिय हो सके।

प्रश्न 2.

सोचिए
बताइए
आपको अपाहिज होकर कैसा लगता है।
कैसा
यानी कैसा लगता हैं।
(हम खुद इशारे से बताएँगे कि क्या ऐसा
सोचिए
बताइए
थोड़ी कोशिश करिए
यह अवसर खो देंगे?
आप जानते हैं कि कार्यक्रम रोचक बनाने के वास्ते
हम पूल पूछकर उसको रुला देंगे
इंतजार करते हैं आप भी उसके रो पड़ने का
करते हैं?

प्रश्न
(क) कवि ने दूरदर्शन के कार्यक्रम-संचालकों को किस मानसिकता को उजागर किया हैं?
(ख) संचालकों द्वारा अपाहिज को संकेत में बताने का उद्देश्य क्या हैं?
(ग) दर्शकों की मानसिकता क्या है।
(घ) दूरदर्शन वाले किस अवसर की प्रतीक्षा में रहते हैं?

उत्तर =
(क) कवि ने दूरदर्शन के कार्यक्रम संचालकों की व्यावसायिकता पर करारा व्यंग्य किया है। वे अपाहिज के कष्ट को कम करने की बजाय उसे बढ़ा-चढ़ाकर बताते हैं। वे क्रूरता की तमाम हदें पार कर जाते हैं।

(ख) संचालक संकेत द्वारा अपाहिज को बताते हैं कि वह अपना दर्द इस प्रकार बताए जैसा वे चाहते हैं। यहाँ दर्द किसी का है और उसे अभिव्यक्त करने का तरीका कोई और बता रहा है। किसी भी तरह उन्हें अपना कार्यक्रम रोचक बनाना है। यहीं उनका एकमात्र उद्देश्य है।

(ग) दर्शकों की मानसिकता है कि वे किसी की पीड़ा के चरम रूप का आनंद लेते हैं। वे भी संवेदनहीन हो गए हैं क्योंकि उन्हें भी अपंग व्यक्ति के रोने का इंतजार रहता है।

(घ) दूरदर्शन वाले इस अवसर की प्रतीक्षा में रहते हैं कि उनके सवालों से सामने बैठा अपाहिजरो पड़े, ताकि उनका कार्यक्रम रोचक बन सकें।

प्रश्न 3.

फिर हम परदे पर दिखलाएँगे
फूली हुई आँख की एक बड़ी तसवीर
बहुत बड़ी तसवीर
और उसके होंठों पर एक कसमसाहट भी
आशा है आप उसे उसकी अपगता की पीड़ा मानेंगे,
एक और कोशिश
दकि
चीज़ रञ्जिए
देखिए
हमें दोनों को एक संग रुलाने हैं।
आप और वह दोनों
कैमरा
इस को
नही हुआ
रहने दो
परदे पर वक्त की कीमत है,
अब मुसकराएंगे हम
आप देख रहे थे सामाजिक उद्देश्य से युक्त कार्यक्रम
(बस थोड़ी ही कसर रह गई।)
धन्यवाद

प्रश्न
(क) कार्यक्रम संचालक परदे पर फूली हुई आँख की तसवीर क्यों दिखाना चाहता हैं?
(ख) एक और कोशिश' इस पंक्ति का वया तात्पर्य है?
(ग) कार्यक्रम-संचालक दोनों को एक साथ रुलाना चाहता है, क्यों?
(घ) संचालक किस बात पर मुस्कराता हैं? उसकी मुस्कराहट में क्या छिपा हैं।

उत्तर
(क) कार्यक्रम संचालक परदे पर पूली हुई आँख की बड़ी तसवीर इसलिए दिखाना चाहता है ताकि वह लोगों को इसके कष्ट के बारे में बढ़ा-चढ़ाकर बता सके। इससे जहाँ कार्यक्रम प्रभावी बनेगा, वहीं संचालक का वास्तविक उद्देश्य भी पूरा होगा।

(ख) एक और कोशिश' कैमरामैन व कार्यक्रम संचालक कर रहे हैं। वे अपाहिज को रोती मुद्रा में दिखाकर अपने कार्यक्रम की लोकप्रियता बढ़ाना चाहते हैं, इस प्रकार वे अपाहिज से मनमाना व्यवहार करवाना चाहते हैं, जिसमें वे अभी तक सफल नहीं हो पाए।

(ग) कार्यक्रम संचालक अपाहिज व दर्शकों-दोनों को एक साथ रुलाना चाहता था। ऐसा करने से उसके कार्यक्रम का सामाजिक उद्देश्य पूरा हो जाता तथा कार्यक्रम भी रोचक व लोकप्रिय हो जाता।

(घ) संचालक कार्यक्रम खत्म होने पर मुस्कराता है। उसे अपने कार्यक्रम के सफल होने की खुशी है। उसे अपाहिज की पीड़ा से कुछ लेना-देना नहीं। इस मुस्कराहट में मीडिया की संवेदनहीनता छिपी है। इसमें पीड़ित के प्रति सहानुभूति नहीं, बल्कि अपने व्यापार की सफलता छिपी है।


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