मेरे बचपन के दिन (पठित गद्यांश)

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मेरे बचपन के दिन (पठित गद्यांश)






निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए -

1. बचपन की स्मृतियों में एक विचित्र-सा आकर्षण होता है। कभी-कभी लगता है, जैसे सपने में सब देखा होगा। परिस्थितियाँ बहुत बदल जाती हैं। अपने परिवार में मैं कई पीढ़ियों के बाद उत्पन्न हुई। मेरे परिवार में प्राय: दो | सौ वर्ष तक कोई लड़की थी ही नहीं सुना है, उसके पहले लड़कियों को पैदा होते ही परमधाम भेज देते थे। फिर मेरे बाबा ने बहुत दुर्गा पूजा की। हमारी कुलदेवी दुर्गा थीं। मैं उत्पन्न हुई तो मेरी बड़ी खातिर हुई और मुझे वह सब नहीं सहना पड़ा। जो अन्य लड़कियों को सहना पड़ता है। परिवार में बाबा फ़ारसी और उर्दू जानते थे। पिता ने अंग्रेजी पढ़ी थी। हिंदी का कोई वातावरण नहीं था। मेरी माता जबलपुर से आई तब वे अपने साथ हिंदी लाईं। वे पूजा- पाठ भी बहुत करती थीं। पहले-पहल उन्होंने मुझको 'पंचतंत्र' पढ़ना सिखाया।

प्रश्न
(क) महादेवी के जन्म के समय समाज में लड़कियों की दशा कैसी थी?
(ख) महादेवी ने हिंदी किस प्रकार सीखी?
(ग) लेखिका का पालन-पोषण अन्य लड़कियों से भिन्न कैसे और क्यों हुआ?

उत्तर
(क) महादेवी के जन्म के समय समाज में लड़कियों को बोझ माना जाता था| उनके पैदा होते ही उन्हें मार दिया जाता था।

(ख) महादेवी के पिता ने अंग्रेजी पढ़ी थी और घर में हिंदी का कोई वातावरण नहीं था जब उनकी माता जबलपुर से आई तब उन्होंने महादेवी को पंचतन्त्र पढ़ना सिखाया और इस प्रकार उन्होंने हिंदी सीखी।

(ग) लेखिका के जन्म के समय लड़कियों को हीन दृष्टि से देखा जाता था, लेकिन उनका पालन-पोषण बड़े ही लाड़-प्यार से हुआ। उनकी बड़ी खातिर हुई तथा किसी प्रकार का कष्ट नहीं होने दिया गया।

निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए -

2. फिर यहाँ कवि-सम्मेलन होने लगे | तो हम लोग भी उनमें जाने लगे। हिंदी का उस समय प्रचार-प्रसार था। मैं सन् 1917 में यहाँ आई थी। उसके उपरांत गांधी जी का सत्याग्रह आरंभ हो। गया और आनंद भवन स्वतंत्रता के संघर्ष का केंद्र हो गया। जहाँ-तहाँ हिंदी का भी प्रचार चलता था। कवि-सम्मेलन होते थे। तो क्रास्थवेट से मैडम हमको साथ लेकर जाती थीं। हम कविता सुनाते थे। कभी हरिऔध जी अध्यक्ष होते थे, कभी श्रीधर । पाठक होते थे, कभी रत्नाकर जी होते थे, कभी कोई होता था। कब हमारा नाम पुकारा जाए, बेचैनी से सुनते रहते थे। मुझको प्रायः प्रथम पुरस्कार मिलता था। सौ से कम पदक नहीं मिले होंगे उसमें ।

प्रश्न
(क) प्रतिभागी के रूप में महादेवी कवि-सम्मलेन में कौन-सा स्थान प्राप्त करती थीं?
(ख) 1917 में स्वतंत्रता संग्राम का क्या स्वरुप था?
(ग) सन् 1917 में हिंदी की क्या स्थिति थी?

उत्तर
(क) प्रतिभागी के रूप में महादेवी वर्मा को कवि-सम्मलेन में प्रथम पुरस्कार मिलता था। उन्हें सौ से अधिक पदक मिले थे।

(ख) 1917 में गांधीजी के नेतृत्व में स्वतंत्रता-संग्राम शुरू हो चुका था। इसकी पहल गांधीजी ने सत्याग्रह से किया| जगह- जगह हिंदी के कवि-सम्मलेन के द्वारा जन-जागरण का कार्य शुरू हो चुका था।

(ग) सन् 1917 में हिंदी का खूब प्रचार-प्रसार हो रहा था और जगह-जगह हिंदी में कवि-सम्मलेन भी होते थे। हिंदी के प्रचार के माध्यम से स्वतंत्रता आंदोलन को और भी व्यापक बनाया जा रहा था।


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