Diary Likhne ki Kala (अभ्यास प्रश्न) | Abhivyakti aur Madhyam Class 11 | अभिव्यक्ति और माध्यम क्लास 11 (अभ्यास प्रश्न)
प्रश्न 1. निम्नलिखित में से तीन अवसरों की डायरी लिखिए-
(क) आज आपने पहली बार नाटक में भाग लिया
(ख) प्रिय मित्र से झगड़ा हो गया(ग) परीक्षा में आपको सर्वोत्तम अंक मिले हैं
(घ) परीक्षा में आप अनुर्तीण हो गए हैं
(ङ) सड़क पर रोता हुआ दस वर्षीय बच्चा मिला
(च) कोई ऐसा दिन जिसकी आप डायरी लिखना चाहते हैं
उत्तर-
क) दिनांक 15 सितंबर, 20….
आज का दिन मेरे लिए बहुत खुशी का दिन है। मैं काफ़ी समय से किसी नाटक में एक छोटी-सी भूमिका चाहता था। आज मेरी यह इच्छा उस समय पूरी हुई जब स्कूल में मुझे ‘शहीद भगत सिंह ‘ नाटक में राजगुरु की भूमिका के लिए चुना गया। मुझे सबके सामने अपने डायलॉग बोलने थे पहले तो मैं झिझक गया। मुझे डर भी लगा लेकिन धीरे-धीरे मैंने महसूस किया कि मेरे अंदर अपने आप आत्मविश्वास आ रहा है। देशभूमि के डॉयलॉग्स बोलते हुए मैंने अपने भीतर देशभक्ति का जज्बा महसूस किया। मैं उसी में बहता चला गया और पूरे जोशों-खरोश से अपने डॉयलॉग्स बोलता रहा.। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे में वास्तव में राजगुरु हूँ और आजादी की लड़ाई लड़ रहा हूँ। जैसे ही नाटक ख़त्म हुआ तो सभी दोस्तों और अध्यापकों से अपनी प्रशंसा सुनकर बड़ा मज़ा आया।
(ख) दिनांक 25 सितंबर, 20….
आज मेरा मेरी प्यारी सखी प्रिया से झगडा हो गया। मैं देख रही थी कि वह अब पहले जैसी न होकर कुछ दूसरी होती जा रहा है। मुझ से कुछ अलग-अलग रहने लगी थी। उसके व्यवहार में भी पहले जैसी गर्मी न होकर ठंडापन आ गया था। वह बेबाकपन, चंचलता, अपनत्व सब जाने कहाँ चला गया था ? मेरे यह कहते ही वह बिफ़र गई और तू-तू, मैं-मैं करते-करते हाथापाई भी हो गई। तब से मैं समझ नहीं पा रही कि हमारी वर्षों की मित्रता क्षणभर में ही कैसे काफूर हो गई ? मैं हताश हो गई हूँ। मैं निराश हूँ। बस रोती ही जा रही हूँ।
(ग) 11 अप्रैल, 20…..
आज मेरी खुशी का उस समय कोई ठिकाना न रहा जब मझे अपने परीक्षा-परिणाम का पता चला। मुझे परीक्षा में सर्वोत्तम अंक मिले थे। मेरे पिता जी की हार्दिक इच्छा थी कि मैं सर्वोत्तम अंक हासिल करूँ । वे मुझे प्राय: ऐसे कई उदहरण दिया करते थे। मैंने भी निश्चय किया हुआ था कि अब की बार तो परीक्षा में सर्वोत्तम अंक ला कर दिखाऊँंगा। आखिरकार आज मुझे वह मौका मिल ही गया जब मैं अपने पिताजी से कह सकूं कि मैं ही आपका लायक बेटा हूं।परीक्षा में सर्वोत्तम अंक प्राप्त करने के बाद मुझे मित्रों और संबंधियों के खूब फोन आए। अपनी इस उपलब्धि पर मुझे आज बहुत खुशी हो रही है।
(घ) 11 अप्रैल, 20….
आज परीक्षा-परिणाम का दिन है। खुशी- खुशी विद्यालय पहुँचा तो पता चला कि मैं अनुत्तीर्ण हो गया हूँ। मेरे परों के नीचे से जैसे जमीन ही खिसक गई हो और मैं वहीं चकराकर गिर गया। सुभाष ने मुझे उठाया, पानी पिलाया और दिलासा दिलाया कि कोई बात नहीं। कहीं कोई कमी रह गई होगी। मेहनत करना। अगले साल अच्छे अंकों से उत्तीर्ण हो जाओगे। मुझे लग रहा था कि गलती मेरी ही है। मैं परीक्षा के दिनों में भी पढ़ाई करने के स्थान पर दूरदर्शन देखता रहा। माता-पिता का कहना न मानकर पढ़ने के स्थान पर खेलने में लगा रहा।पढाई में एकाग्रता न लगा सका। मुझे अपने पर गलानि होने लगी। तभी मुझे अध्यापक जी का कथन याद आया कि ‘गिरते हैं शहसवार ही मैदाने जंग में’ और मैंने निश्चय किया कि अब ठीक से पढाई करूँगा और अगले वर्ष अच्छे अंकों से उत्तीर्ण होकर दिखाऊँगा
(ङ) दिनांक 10 मार्च, 20……..
आज मैं सारा दिन व्यस्त रहा। सुबह जब मैं स्कूल जा रहा था तो घर से थोड़ी ही दूर मुझे किसी के रोने की आवाज सुनाई दी। मैंने पास जाकर देखा तो एक दस वर्षीय लड़का जोर-जोर से रोता जा रहा था। मैंने उसे चुप कराया और पूछा कि वह कौन है ? उसने बताया कि उसका नाम सुरेश है। कल वह अपने माता-पिता के साथ मेला देखने शहर आया था। मेले में ही वह गुम हो गया और अपने माता-पिता से बिछुड़ गया। मैं स्कूल न जाकर उसे अपने घर ले आया। मैंने सारी बात अपने माता-पिता को बताई। पिता जी और मैं उसे लेकर नज़दीकी पुलिस स्टेशन में गए। वहाँ पहँचकर हम क्या देखते हैं कि सुरेश के माता-पिता उसके गुम होने की रिपोर्ट लिखाने आए बैठे हैं। सुरेश दौडकर अपने माता-पिता के पास चला गया। मैं इस बात से बहुत खुश हूँ कि सुरेश को उसके माता-पिता से मिलवाने में मेरा भी योगदान है।
(च) दिनांक 26 फरवरी, 20………
आज का दिन मेरे जीवन का महत्त्वपूर्ण दिन है। सुबह से ही स्थानीय टैगोर विद्यालय की फुटबाल टीम से हमारे विद्यालय की टीम से होने वाली मैच के लिए मैं पूरी तैयारी कर रहा था। निश्चित समय पर विद्यालय गया और मैच में खेलने लगा। मुझे नहीं पता कि कैसे मैंने टैगोर विद्यालय के खिलाड़ियों से गेंद छीनकर उन पर एक के बाद एक करके तीन गोल किए और अपनी टीम को जिता दिया। शायद मेरी मेहनत और निरंतर अभ्यास ने मुझे यह सफलता दिलाई थी। जब भी कभी किसी कठिनाई का सामना करना पड़ता है तो फुटबाल मैच का यह दिन मुझे उस कठिनाई का दृढ़ता से सामना करने की प्रेरणा देता है। इसलिए इस घटना को मैं अपनी डायरी में लिखना चाहता हैँ।
प्रश्न 2. नीचे दिए गए कथनों के सामने ‘✓’ या x’ गलत का चिहन लगाते हए कारण भी दें
(क) डायरी नितांत वैयक्तिक रचना है।
(ख) डायरी स्वलेखन है इसलिए उसमें किसी घटना का एक ही पक्ष उजागर होता है।
(ग) डायरी निजी अनुभूतियों के साथ-साथ सामाजिक, आर्थिक परिप्रेक्ष्य का भी ब्योरा प्रस्तुत करती है।
(घ) डायरी अंतरंग साक्षात्कार है।
(ङ) डायरी हमारी सबसे अच्छी दोस्त है।
उत्तर-
(क)✓ डायरी नितांत वैयक्तिक रचना है।
इसका कारण यह है कि डायरी में हम अपने व्यक्तिगत सुख-दुःख को लिखते हैं। डायरी को सदा अपने लिए ही लिखा जाता है। डायरी हमारी निजी जीवन का लखा-जोखा प्रस्तुत करने के कारण ही नितांत वैयक्तिक रचना है।
(ख) ✓डायरी स्वलेखन है इसलिए उसमें किसी घटना का एक ही पक्ष उजागर होता है।
यह सही है कि डायरी में डायरी लिखने वाले व्यक्ति का ही पक्ष हमारे सामने आता है। डायरी में सदा हम अपने से संबंधित बातों को ही शब्दबद्ध करते हैं। अत: डायरी में किसी दूसरे के पक्ष का उजागर होना संभव नहीं होता।
(ग) ✓डायरी निजी अनुभूतियों के साथ-साथ सामाजिक, आर्थिक परिप्रेक्ष्य का भी ब्योरा प्रस्तुत करती है।
इसका कारण यह है कई बार डायरी लिखने वाला अपनी व्यक्तिगत घटनाओं के साथ-साथ तत्कालीन, सामाजिक और आर्थिक वातावरण को भी प्रस्तुत कर देता है। डायरी-लेखक अपने व्यक्तिगत अनुभवों को जब लिखता है तो उसे पढ़कर तत्कालीन, सामाजिक और आर्थिक परिप्रेक्ष्य का सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है।
(घ)✓ डायरी अंतरंग साक्षात्कार है।
यह कथन बिल्कुल सही है। डायरी में डायरी लेखक अपने साथ ही संवाद स्थापित करता है। जिन बातों को कहा भी नहीं जा सकता उन्हें डायरी लेखक अपनी डायरी के पन्नों पर शब्दबद्ध कर देता है। डायरी के माध्यम से स्वयं को भली प्रकार समझने का अवसर मिलता है क्योंकि डायरी हमारी भावनाओं और नितांत वैयक्तिक संवेदनाओं का ही लेखा-जोखा होता है। किसी व्यक्ति की डायरी पढ़कर उसके व्यक्तित्व को सहज ही समझा जा सकता है। अत: डायरी व्यक्ति का अंतरंग साक्षात्कार होता है।
(ङ) ✓डायरी हमारी सबसे अच्छी दोस्त है।
इसका कारण यह है कि डायरी हमारे सुखों और दुखों में हमारा साथ देती है। व्यक्ति अपनी गहरी निराशा और दुःख में शायरी लिखकर अपने दुख को हल्का महसूस करता है। डायरी एक दोस्त की भांति हमारे सुख और दुख में पूरी भागीदारी रहती है। अत: डायरी हमारे जीवन में सबसे अच्छे दोस्त की भूमिका निभाती है।
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