Katha Patkatha (अभ्यास प्रश्न) | Abhivyakti aur Madhyam Class 11 | अभिव्यक्ति और माध्यम क्लास 11 (अभ्यास प्रश्न)

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Katha Patkatha (अभ्यास प्रश्न) | Abhivyakti aur Madhyam Class 11 | अभिव्यक्ति और माध्यम क्लास 11 (अभ्यास प्रश्न)

प्रश्नः 1.
फ़्लैशबैक तकनीक और फ़्लैश फ़ॉरवर्ड तकनीक के दो-दो उदाहरण दीजिए। आपने कई फ़िल्में देखी होंगी। अपनी देखी किसी एक फ़िल्म को ध्यान में रखते हुए बताइए कि उनमें दृश्यों का बँटवारा किन आधारों पर किया गया।

उत्तरः
फ़्लैशबैक तकनीक वह होती है जिसमें अतीत में घटी हुई किसी घटना को दिखाया जाता है। फ़्लैश फ़ॉरवर्ड वह तकनीक है जिसमें भविष्य में होनी वाली किसी घटना को पहले दिखा देते हैं। पाठ्यपुस्तक ‘आरोह’ की कहानी ‘गलता लोहा’ में मोहन जब घर से हँसुवे की धार लगवाने के लिए शिल्पकार टोले की ओर जाने लगता है तो वह फ़्लैशबैक में चला जाता है और उसे याद आ जाती है स्कूल में प्रार्थना करना। इसी कहानी में मोहन का लखनऊ पहुंचकर मुहल्ले में सब के लिए घरेलू नौकर जैसा काम करना।

‘गलता लोहा’ कहानी में ही मोहन को जब मास्टर त्रिलोक सिंह ने पूरे स्कूल का मॉनीटर बनाकर उस पर बहुत आशाएँ लगा रखी थीं। उस समय मोहन फ़्लैशफॉरवर्ड में जाकर सोच सकता है कि वह एक बहुत बड़ा अफ़सर बन गया है और उसके पास अनेक लोग अपना काम करवाने आये हैं। मोहन जब लखनऊ पढ़ने जाता है तो वहाँ की भीड़-भाड़ देखकर फ़्लैशफॉरवर्ड में जाकर सोचता है कि वह भी अच्छे-अच्छे कपड़े पहनकर बस में बैठकर बहुत बड़े स्कूल में पढ़ने जा रहा है। ‘शोले’ फ़िल्म में वीरू का टंकी पर चढ़ना, धन्नो का टांगा चलाना, गब्बर सिंह का पहाड़ियों पर अपने साथियों के साथ वार्तालाप, डाकूओं से लड़ाई आदि दृश्य घटनाओं के आधार पर बदल जाते हैं।


प्रश्नः 2.
पटकथा लिखते समय किन-किन बातों का ध्यान रखना ज़रूरी है और क्यों?

उत्तरः
पटकथा लिखते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए।

  • प्रत्येक दृश्य के साथ होने वाली घटना के समय का संकेत भी दिया जाना चाहिए।
  • पात्रों की गतिविधियों के संकेत भी प्रत्येक दृश्य के प्रारंभ में देने चाहिए। जैसे-रजनी चपरासी को घूर रही है, चपरासी मज़े से स्टूल पर बैठा है। साहब मेज़ पर पेपरवेट घुमा रहा है। फिर घड़ी देखता है।
  • किसी भी दृश्य का बँटवारा करते समय यह ध्यान रखा जाए कि किन आधारों पर हम दृश्य का बँटवारा कर रहे हैं।
  • प्रत्येक दृश्य के साथ होने की सूचना देनी चाहिए।
  • प्रत्येक दृश्य के साथ उस दृश्य के घटनास्थल का उललेख अवश्य करना चाहिए; जैसे-कमरा, बरामदा, पार्क, बस स्टैंड, हवाई अड्डा, सड़क आदि।
  • पात्रों के संवाद बोलने के ढंग के निर्देश भी दिए जाने चाहिए; जैसे-रजनी (अपने में ही भुनभुनाते हुए)।
  • प्रत्येक दृश्य के अंत में डिज़ॉल्व, फ़ेड आउट, कटटू जैसी जानकारी आवश्य देनी चाहिए। इससे निर्देशक, अडीटर आदि निर्माण कार्य में लगे हुए व्यक्तियों को बहुत सहायता मिलती है।

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