Megh Aaye Class 9 Solutions Pathit Kavyansh मेघ आए पठित काव्यांश / पद्यांश

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Megh Aaye Class 9 Solutions Pathit Kavyansh मेघ आए पठित काव्यांश / पद्यांश



 

निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-

1. मेघ आए बड़े बन-ठन के संवर के।

आगे-आगे नाचती-गाती बयार चली,

दरवाजे-खिड़कियाँ खुलने लगीं गली-गली,

पाहुन ज्यों आए हों गाँव में शहर के।

मेघ आए बड़े बन-ठन के संवर के।


(क) गाँव में कौन आया था?

(ख) मेघ किस प्रकार से आते हैं?

(ग) गाँव में बादलों का कैसा स्वागत होता है?

(घ) हवा बादलों का स्वागत कैसे करती है?

(ङ) काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।


उत्तर-(क) गाँव में मेघ रूपी दामाद आया था।

(ख) बादल बहुत बपन-संवर कर आते हैं। वे आकाश में चारों और छा गए हैं। आकाश पूरी तरह से बादलों से ढक गया है।

ग) गाँव में बादलों का स्वागत एक मेहमान की तरह होता है। उनके आने की खबर सारे गाँव में फैल जाती है। लोग बादलों को देखने के लिए अपने खिड़की-दरवाजे खोलकर उन्हें देखने लग जाते हैं।

(घ) हवा बादलों को उड़ाकर आगे-आगे ले जाती है। यह ऐसा लगता है जैसे हवा बादलों के आगे-आगे खुशी से नाचती हुई चल रही है।

(ङ) कवि ने मेघों के आने का सजीव चित्रण किया है। अनुप्रास, पुनरुक्ति प्रकाश, उपमा अलंकार की सुंदर घटा बिखरी है। मेघों का पाहुन की भांति बन संवर कर आना मानवीकरण अलंकार की सृष्टि करता है। चित्रात्मकता का गुण विद्यमान है। प्रकृति के आलंबन रूप का तथा मानवीकरण रूप का वर्णन है। भाषा सरल, सरस तथा प्रवाहमयी है।

2. पेड़ झुक झाँकने लगे गरदन उचकाए,

आँधी चली, धूल भागी घाघरा उठाए,

बाँकी चितवन उठा, नदी ठिठकी, चूँघट सरके।

मेघ आए बड़े बन-ठन के संवर के।


(क) पेड़ों ने अपने रूप में क्या परिवर्तन किया?

(ख) पेड़ झुककर क्या देखने लगे?

(ग) नदी को कवि ने कैसे चित्रित किया है?

(घ) काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।


उत्तर-(क) पेड़ गरदन उचकाए, शाखाएँ दाएं-बाएं हिलाकर मेघों को देखने लगे थे।

(ख) तेज हवा के चलने से पेड़ झुक रहे हैं जो कवि को ऐसा लगता है मानो पेड़ बादलों का रूप-सौंदर्य देखने के लिए झुक रहे हैं। वे बादलों का स्वागत और अभिनंदन कर रहे हैं।

(ग) नदी को कवि ने एक ऐसी नायिका के रूप में चित्रित किया है जो मेहमान को देखने आई है और घूंघट खिसकाकर, नारी सुलभ लज्जा तथा जिज्ञासा के कारण तिरछी दृष्टि से बादल रूपी मेहमान को देख रही है।

(घ) मेघों के आने पर प्राकृतिक वातावरण में होने वाले परिवर्तनों का कवि ने बड़ा सजीव चित्रण किया है। अनुप्रास तथा मानवीकरण अलंकार की अनुपम छटा बिखरी है। कवि ने मेघों को पाहुन का रूप देकर तथा प्राकृतिक उपादानों से मानवीय क्रियाएँ करवाकर चित्रात्मकता की सृष्टि की है। शब्द-योजना बड़ी सजीव तथा मनमोहक है। भाषा सरलता तथा सरसता से परिपूर्ण है।

3. बूढ़े पीपल ने आगे बढ़कर जुहार की,
'बरस बाद सुधि लीन्हीं' 
बोली अकुलाई लता औट हो किवार की,
हरमाया ताल लाया पानी परात भर के।

मेघ आए बड़े बन-ठन के संवर के।

(क) बूढ़े पीपल ने ही सबसे पहले जुहार क्यों की?

(ख) बूढ़े पीपल ने बादलों का स्वागत कैसे किया?

(ग) लता ने बादलों को क्या कहा?

(घ) बादलों के आने पर ताल की क्या स्थिति है?

(ङ) काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।


उत्तर-(क) गाँव में प्रवेश करने से पहले मेघों को सबसे पहले पीपल का पेड़ ही मिला था। युगों से गाँव के बाहर पीपल के पेड़ लगाने की परंपरा भारत में सदा से रही है।

(ख) जिस प्रकार किसी मेहमान का स्वागत होता है उसी प्रकार गाँव में बादलों का स्वागत हो रहा है। बूढ़ा पीपल बादलों को झुककर नमस्कार करता है

(ग) बादलों के विरह में व्याकुल लता के किवाड़ की आड़ में छिपकर उन्हें उलाहना देते हुए कहा कि एक वर्ष के बाद तुम्हें हमारी याद आई है।

(घ) बादलों के आने की प्रसन्नता में तालाब उनका स्वागत करते हुए पानी रूपी परात को भर कर ले आता है।

(ङ) कवि ने मेघों के आने पर प्राकृतिक वातावरण में उत्पन्न परिवर्तनों का बड़ा सजीव अंकन किया है। अनुप्रास तथा मानवीकरण अलंकार का सुंदर वर्णन है। चित्रात्मकता का गुण विद्यमान है। लता द्वारा किवाड़ की आड़ से मेघ से बात करने में उपालंभ का भाव प्रकट हुआ है। शब्द-योजना सटीक एवं सजीव है। भाषा सरल, सरस तथा भावाभिव्यक्ति में सहायक है। प्रतीकात्मकता का सुंदर प्रयोग है।

4. क्षितिज-अटारी गहराई दामिनी दमकी,

'क्षमा करो गांठ खुल गई अब भरम की',

बांध टूटा झर-झर मिलन के अश्रु ढरके।

मेघ आए बड़े बन-ठन के संवर के।


(क) बादल कहाँ तक फैल गए थे?

(ख) बादलों के आने पर क्षितिज के सौंदर्य का वर्णन कीजिए।

(ग) क्या भ्रम था जो अब दूर हो गया है?

(घ) मिलन के अश्रु ढरके' से क्या तात्पर्य है?

(ङ) काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।


उत्तर-(क) बादल क्षितिज तक फैल गए थे।

(ख) बादल क्षितिज तक फैल गए हैं और उनमें से बिजली चमक रही है जो ऐसा लगता है मानो बादल रूपी मेहमान के क्षितिज रूपी अटारी पर आने से नायिका रूपी बिजली का तन-मन आभा से युक्त हो गया है।

(ग) धरती को यह भ्रम था कि बादल नहीं बरसेंगे, किंतु अब उनके बरसने से धरती का यह भ्रम दूर हो गया है।

(घ) मेघों और धरती के बीच की बाधाएँ समाप्त हो जाती हैं तो मेघ झर-झर कर बरसने लग जाते हैं। धरती और मेघों के मिलन के यह प्रेमाश्रु हैं।

(ङ) कवि ने मेघों और धरती के मिलन का बड़ा सुंदर वर्णन किया है। अनुप्रास, पुनरुक्ति प्रकाश, रूपक तथा मानवीकरण का सहज सुंदर प्रयोग सराहनीय है। लाक्षणिकता का प्रयोग किया गया है। तद्भव शब्दावली की अधिकता है। चित्रात्मकता ने सुंदर अभिव्यक्ति में सहायता दी है।



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