Yamraj Ki Disha Class 9 Solutions Pathit Kavyansh यमराज की दिशा पठित काव्यांश / पद्यांश
निम्नलिखित काव्यांशों को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
1. माँ की ईश्वर से मुलाकात हुई या नहीं
कहना मुश्किल है
पर वह जताती थी जैसे
ईश्वर से उसकी बातचीत होती रहती है
और उससे प्राप्त सलाहों के अनुसार
जिंदगी जीने और दुःख बरदाश्त करने के
रास्ते खोज लेती है
(क) माँ क्या जताया करती थी?
(ख) माँ ईश्वर से क्या प्राप्त किया करती थी?
(ग) माँ दुःख सहन करने के रास्ते किस प्रकार खोज लेती थी?
(घ) अवतरण में निहित काव्य-सौंदर्य प्रतिपादित कीजिए।
उत्तर-(क) माँ जताया करती थी कि वह ईश्वर को जानती थी और उसकी उससे प्राय: बातचीत होती रहती थी।
(ख) माँ ईश्वर से सलाह प्राप्त किया करती थी कि किस प्रकार वह जीवन में आए कष्टों का निवारण कर सके और अपने परिवार को सुख-भरा जीवन दे सके।
(ग) माँ ईश्वर की सलाह पर जीवन में आए तरह-तरह के दुःख सहने के रास्ते खोज लेती थी।
(घ) कवि ने अपनी माँ के परमात्मा के प्रति आस्था और विश्वास को प्रकट करते हुए माना है कि वह परिवार के सुखों के लिए सदा प्रयत्न करती है और उसमें कष्टों को सहने की अपार क्षमता थी। सामान्य बोल-चाल के शब्दों का सहज प्रयोग किया गया है। अभिधा शब्द शक्ति और प्रसाद गुण ने कथन को सरलता-सरसता प्रदान की है। 'मुलाकात', 'सलाह', 'बरदाशत', 'खोज' जैसे सामान्य उर्दू शब्दों का प्रयोग कथन को स्वाभाविकता प्रदान करता है। अतुकांत छंद का प्रयोग है। स्मरण अलंकार विद्यमान है।
2. माँ ने एक बार मुझे कहा था
दक्षिण की तरफ़ पैर करके मत सोना
वह मृत्यु की दिशा है।
और यमराज को क्रुद्ध करना
बुद्धिमानी की बात नहीं
तब मैं छोटा था
और मैंने यमराज के घर का पता पूछा था
उसने बताया था तुम जहाँ भी हो वहाँ से हमेशा दक्षिण में
(क) कवि की माँ ने कवि को क्या कभी न करने को कहा था?
(ख) माँ ने किसे बुद्धिमानी की बात नहीं माना था?
(ग) कवि ने अपनी माँ से क्या जानने की इच्छा की थी?
(घ) अवतरण में निहित काव्य-सौंदर्य प्रतिपादित कीजिए।
उत्तर-(क) कवि की माँ ने उसे कभी भी दक्षिण दिशा की ओर पैर करके न सोने की बात कही थी।
(ख) माँ ने मौत के देवता यमराज को नाराज करना बुद्धिमानी की बात नहीं मानी थी।
(ग) कवि ने अपनी माँ से जानना चाहा था कि मौत के देवता यमराज का घर कहाँ है।
(घ) कवि की माँ ने समझाया था कि दक्षिण दिशा यमराज की है। उस तरफ कभी भी पैर कर के नहीं सोना चाहिए। तत्सम और तद्भव शब्दावली के सहज-समन्वित प्रयोग द्वारा कवि ने अपनी बात सरलता-सरसता से प्रकट की है। अभिधा शब्द शक्ति और प्रसाद गुण का प्रयोग है। अतुकांत छंद है। कथोपकथन शैली ने नाटकीयता की सृष्टि की है।
3. माँ की समझाइश के बाद
दक्षिण दिशा में पैर करके मैं कभी नहीं सोया
और इससे इतना फ़ायदा ज़रूर हुआ
दक्षिण दिशा पहचानने में
मुझे कभी मुश्किल का सामना नहीं करना पड़ा
मैं दक्षिण में दूर-दूर तक गया
और मुझे हमेशा माँ याद आई
दक्षिण को लाँघ लेना संभव नहीं था
होता छोर तक पहुँच पाना
तो यमराज का घर देख लेता
(क) माँ के समझाने के बाद कवि ने क्या काम कभी नहीं किया?
(ख) कवि को कभी किस बात को करने में कभी कठिनाई नहीं हुई?
(ग) कवि यमराज का घर देखने में सफल क्यों नहीं हुआ?
(घ) अवतरण में निहित काव्य-सौंदर्य प्रतिपादित कीजिए।
उत्तर-(क) माँ के समझाने के बाद कवि कभी भी दक्षिण दिशा की तरफ पैर करके कभी नहीं सोया।
(ख) कवि को कभी भी दक्षिण दिशा को ढूँढ़ने में कभी कठिनाई नहीं हुई थी।
(ग) कवि कभी यमराज का घर देखने में सफल नहीं हुआ क्योंकि वह दक्षिण दिशा के पार कभी पहुँच ही नहीं पाया।
(घ) कवि ने माँ के समझाने के बाद कभी भी दक्षिण में पैर कर के सोने का साहस तो नहीं किया पर यमराज के घर के विषय में जानने की जिज्ञासा अवश्य की लेकिन उसे भी कभी ढूँढ़ नहीं पाया। पुनरुक्ति प्रकाश और अनुप्रास अलंकारों का सहज प्रयोग किया गया है। तत्सम और तद्भव शब्दों के साथ उर्दू के सरल शब्दों का समन्वित प्रयोग किया है। प्रसाद गुण और अभिधा शब्द शक्ति ने कथन को सरलता-सरसता प्रदान की है। अतुकांत छंद है।
4. पर आज जिधर भी पैर करके सोओ
वही दक्षिण दिशा हो जाती है
सभी दिशाओं में यमराज के आलीशान महल हैं
और वे सभी में एक साथ
अपनी दहकती आँखों सहित विराजते हैं
माँ अब नहीं है
और यमराज की दिशा भी वह नहीं रही
जो माँ जानती थी।
(क) कवि के लिए हर दिशा दक्षिण क्यों हो जाती है?
(ख) यमराज की दिशा अब कौन-सी है?
(ग) कवि की माँ कहाँ गई?
(घ) अवतरण में निहित काव्य-सौंदर्य प्रतिपादित कीजिए।
उत्तर-(क) विध्वंस, हिंसा, मार-काट, दंगे-फसादों के कारण सारे संसार में मौत का तांडव हो रहा है। मनुष्य, मनुष्य को मार रहा है। इसलिए कवि के लिए केवल दक्षिण दिशा ही यमराज की दिशा नहीं रही बल्कि हर दिशा ही दक्षिण दिशा हो गई है।
(ख) कवि के अनुसार सभी दिशाएँ ही अब यमराज की दिशाएँ हैं।
(ग) कवि की माँ यमराज के घर जा चुकी है।
(घ) कवि का मानना है कि अब यमराज केवल दक्षिण दिशा में रहता है। इस संसार में व्याप्त हिंसा ने उसके आलीशान महल की सभी दिशाओं में बनवा दिए हैं। जिन में यमराज अपनी दहकती आँखों सहित विराजते हैं। कवि की भाषा में लाक्षणिकता का गुण विद्यमान है जिस ने कथन को गहनता-गंभीरता प्रदान की है। प्रसाद गुण और अतुकांत छंद का प्रयोग है। अनुप्रास अलंकार का सहज प्रयोग किया गया है।
That is not my and
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