Class 9 Hindi – A Bache kam par ja rahe hain Extra Questions बच्चे काम पर जा रहे हैं Important Questions
प्रश्न 1. कवि ने कविता में किस सामाजिक-आर्थिक विडंबना की ओर संकेत किया है? कवि क्या चाहता है?
उत्तर-हमारे समाज में व्याप्त निर्धनता ही बच्चों को स्कूल जाने से रोकने की प्रमुख अवरोधक है। आर्थिक दृष्टि से निम्न वर्ग के लोग स्वयं तो मेहनत-मजदूरी करते हैं पर वे अपने साथ छोटे-छोटे बच्चों को भी सहायता के लिए लगा लेते हैं। उनके द्वारा कमाए गए थोड़े से पैसे भी उनके जीवन का आधार बनने लगते हैं। वे उन्हें इसी लालच में पढ़ने के लिए स्कूल नहीं भेजते। वे बच्चों को उचित दिशा नहीं दिखाते। जिन स्थानों पर छोटे-छोटे बच्चे काम करते हैं वहाँ के लोग भी कम पैसों से अधिक काम करवाने की स्वार्थ सिद्धि में आत्मिक प्रसन्नता प्राप्त कर बच्चों को पढ़ाई के लिए प्रेरित नहीं करते। कवि ने सामाजिक-आर्थिक विडंबना की ओर संकेत करते हुए इसे भयानक माना है और चाहा कि बच्चे शिक्षा प्राप्त करें; खेलें-कूदें और अपने बचपन से दूर न हों।
प्रश्न 2. कवि ने किसे भयानक माना है और इस बात को किस रूप में प्रकट करना चाहता है?
उत्तर-कवि ने छोटे-छोटे बच्चों का पढ़ाई-लिखाई और खेल-कूद छोड़ कर, परिवार की आर्थिक मजबूरी के कारण मेहनत-मज़दूरी के लिए जाना बहुत भयानक माना है। कवि बाल-मज़दूरी की बात समाज के समक्ष एक विकराल प्रश्न रूप में उपस्थित करना चाहता है। वह समाज से पूछना चाहता है कि छोटे बच्चों से इस प्रकार उनका बचपन क्यों छीन लिया गया है?
प्रश्न 3. कवि समाज से क्या जानना चाहता है?
उत्तर-कवि छोटे-छोटे बच्चों को काम करते देख कर, समाज से यह जानना चाहता है कि इन बच्चों का बचपन कहाँ खो गया है। क्या इनकी गेंदे आकाश में खो गई हैं? क्या इनकी पुस्तकों को दीमकों ने खा लिया है? यदि नहीं, तो ये बच्चे पहले की तरह खेलते क्यों नहीं हैं, पढ़ते क्यों नहीं हैं? इन पर कैसी मजबूरी आ गई है जिसके कारण यह काम पर जाने लग गए है?
प्रश्न 4. कवि के अनुसार दुनिया किसके बिना अधूरी है? कैसे?
उत्तर-कवि के अनुसार दुनिया बच्चों के बचपन के बिना अधूरी है । बच्चों का बचपन तभी खिल सकता है जब बच्चे खेल के मैदान और स्कूलों में विद्या प्राप्ति के लिए दिखाई दे । इस दुनिया का अस्तित्व बच्चों से है, बच्चों की खिलखिलाहट से है। बच्चों के भोलेपन से है, बच्चों की गूंज से है । यदि बच्चों का बचपन ही उन के पास नहीं है तो दुनिया बेजान है, अधूरी है ।
प्रश्न 5. 'हैं सभी चीजें हस्बमामूल' से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-'हैं सभी चीजें हस्बमामूल' से अभिप्राय यह है कि छोटे बच्चों के लिए खेलों और मनोरंजन के लिए आवश्यक सभी सामग्रियाँ अभी भी वैसी हैं जैसी पहले थीं। उनमें कोई कमी नहीं हुई है। अभी भी उनके लिए विद्यालय है; मैदान है, घरों के आंगन हैं पर उनमें विवशत के मारे बच्चे नहीं हैं अर्थात् बच्चें वहाँ जाने की अपेक्षा काम पर जाने के लिए विवश हैं।
प्रश्न 6. यदि आपके घर में ऐसा कोई बच्चा कार्य कर रहा है तो आप उसके लिए क्या करना चाहोगे?
उत्तर- यदि हमारे घर में ऐसा कोई बच्चा कार्य कर रहा है तो उसकी देखभाल भी अपने बच्चों के समान करेंगे। उसकी पढ़ाई के लिए प्रबंध करेंगे। उससे वहीं काम करवा जाएंगे जो उसके उम्र के अनुसार होंगे। उसे खेलते-कूदने का उचित अवसर देंगे। उसके बचपन को पूरा ध्यान रखेंगे। जिससे वह अपना बचपन पूरी तरह जी सके और अपना व्यक्तित्व निखार सके।
प्रश्न 7. 'बच्चे काम पर जा रहे हैं' कविता का मूल भाव स्पष्ट करें।
उत्तर-'बच्चे काम पर जा रहे हैं' कवि राजेश जोशी की प्रसिद्ध रचना है। इसमें कवि ने समाज की सामाजिक, आर्थिक विडंबना की ओर संकेत किया है। आज के भौतिक-वादी युग में मानव मानव से दूर हुआ ही है पर साथ ही उसने बच्चों के बचपन को भी छीन लिया। घर की आर्थिक स्थिति ने बच्चों को खेल-कूद और शिक्षा से दूर कर दिया है। सर्दियों के कोहरे में बच्चे स्कूल और खेलने का मैदान छोड़ कर काम के लिए जा रहे हैं जो आज के समाज के लिए सबसे भयानक बात है। बच्चों के खेल-खिलौने, पुस्तकें नष्ट हो गई हैं क्या? तभी तो बच्चे काम के लिए जा रहे हैं। यदि वास्तव में ऐसा ही है तो दुनिया अधूरी हो जाएगी। दुनिया का अस्तित्व बच्चों के खिल-खिलाते बचपन के साथ है। बच्चों का काम पर जाना बहुत भयानक बात है, इसे रोकना चाहिए। कवि कविता के माध्यम से दुनिया के समाने बाल-मज़दूरी के विषय को रखना चाहता है तथा उनके लिए कुछ करने के लिए दूसरों को प्रेरित करता है।
It is very nice
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