NCERT Solutions for Class 9 Hindi Course A Kritika Is Jal Pralay Mein इस जल प्रलय में Important Questions

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NCERT Solutions for Class 9 Hindi Course A Kritika Is Jal Pralay Mein इस जल प्रलय में Important Questions



प्रश्न 1. लेखक का गाँव किस क्षेत्र में था? वहाँ  लोग क्यों आते थे?

उत्तर-लेखक का गाँव बिहार राज्य के ऐसे क्षेत्र में था जहां प्रतिवर्ष पश्चिम, पूर्व और दक्षिण की कोसी, पनार, महानंदा और गंगा की बाढ़ से पीड़ित प्राणियों के समूह सावन-भादों में आकर शरण लेते थे क्योंकि लेखक के गाँव की धरती परती थी।



प्रश्न 2. लेखक को बाढ़ से घिरने और भोगने का पहली बार अनुभव कब और कहाँ हुआ?

उत्तर-लेखक को बाढ़ से घिरने और भोगने का पहली बार अनुभव सन् 1967 में पटना में हुआ था। तब वहाँ लगातार अठारह घंटे वर्षा हुई थी। इस वर्षा के कारण पुनपुन नदी का पानी पटना के राजेंद्र नगर, कंकड़बाग आदि निचले क्षेत्रों में घुस गया था। वह इसी क्षेत्र में रहता था। इसलिए उसने बाढ़ की इस विभीषिका को एक आम शहरी आदमी के रूप में भोगा था।



प्रश्न 3. लेखक बाढ़ का पानी देखने किसके साथ कहाँ गया?

उत्तर-लेखक अपने साथ अपने कवि मित्र को लेकर रिक्शा पर बैठकर उसे कॉफी हाउस चलने के लिए कहता है। रिक्शा वाला कहता है कि कॉफी हाउस में तो अब तक पानी गया होगा। लेखक उत्तर देता है कि तुम चलो। हमने यही तो देखना है कि कॉफी हाउस में पानी कैसे घुस गया है। जब वह कॉफी हाउस पहुँचता है तो कॉफी हाउस बंद कर दिया गया था और उसके पास सड़क पर तेज़ गति से बाढ़ का पानी रहा था। वह वहीं से लौट गया।



प्रश्न 4. मनिहारी में बाढ़-पीड़ितों की सहायता के लिए लेखक को क्या ले जाना आवश्यक था?

उत्तर-सन् 1947 ई० में लेखक सतीनाथ भादुड़ी के साथ गंगा मैया की बाढ़ से पीड़ित मनिहारी क्षेत्र के लोगों की सहायता के लिए नाव पर गया। वहाँ  लोगों के पैरों को उँगलियां पानी में रहने के कारण सड़ गई थीं तथा उनके तलवों में भी घाव हो गए थे जिसके इलाज के लिए सबने इनसे 'पकाही घाव' की दवा मांगी। इसके अतिरिक्त उन लोगों को केरोसीन तेल और दियासलाई की भी ज़रूरत होती थी। इसलिए लेखक इन तीनों वस्तुओं को बाढ़ पीड़ितों में बाँटने के लिए अपनी नाव पर अवश्य रखता था।



प्रश्न 5. परमान नदी की बाढ़ में डूबे हुए मुसहरों की बस्ती में जब लेखक राहत सामग्री बाँटने गया तो वहाँ कैसा दृश्य था?

उत्तर-जब लेखक अपने साथियों के साथ मुसहरों की बस्ती में राहत सामग्री बाँटने गया तो वहाँ  ढोलक और मंजीरा बजने की आवाज़ रही थी। वहाँ  एक ऊँचे मंच पर बलवाही नाच हो रहा था। कीचड़-पानी में लथपथ भूखे-प्यासे नर-नारियों का झुंड खिलखिला रहा था।



प्रश्न 6. सन् 1967 ई० में पुनपुन नदी के पानी के राजेंद्रनगर में घुस आने पर वहाँ के सजे-धजे युवक-युवतियों ने क्या किया था?

उत्तर-सन् 1967 ई० में जब पुनपुन नदी की बाढ़ का पानी राजेंद्र नगर में गया था तब वहाँ  के कुछ सजे-धजे युवक-युवतियों ने नौका विहार करने का मन बनाया था। वे नौका में बैठकर स्टोव पर केतली चढ़ाकर कॉफी बना रहे थे। साथ में बिस्कुट थे तथा ट्रांजिस्टर पर फिल्मी गाने बज रहे थे। एक लड़की कोई सचित्र पत्रिका पढ़ रही थी। जब यह नौका लेखक के ब्लॉक के पास पहुंची तो आस-पास के ब्लॉकों की छत पर खड़े लड़कों ने इन पर छींटा-कसी कर के उन्हें वहाँ से भगा दिया।



प्रश्न 7. लेखक बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों से किस प्रकार जुड़ा हुआ था?

उत्तर-लेखक का जन्म परती क्षेत्र, जहां की भूमि खेती के लिये उपयुक्त नहीं होती, वहाँ हुआ था। अन्य क्षेत्रों में आने पर लोग उनके क्षेत्र की ओर आते थे। उस समय वह ब्वॉय स्काउट, स्वयं सेवक, राजनीतिक कार्यकर्ता अथवा रिलीफ वर्कर की हैसियत से बाढ़ पीड़ित लोगों के लिए काम करता रहा है। उस समय वह बाढ़ से पीड़ित लोगों की मानसिकता को समझने को कोशिश करता था। बाढ़ में संबंधित कई बातों का वर्णन लेखक ने अपने साहित्य में भी किया है।



प्रश्न 8. पाठ के आधार पर लिखें कि लेखक ने बाढ़ पर क्या-क्या लिखा है?

उत्तर-लेखक ने सबसे पहले हाई स्कूल में बाढ़ पर एक लेख लिखा था जिस पर उसे प्रथम पुरस्कार मिला था। बड़े होने पर धर्मयुग में 'कथा-दशक' के अंतर्गत बाढ़ की पुरानी कहानी को नए रूप के साथ लिखा था। उन्होंने जय गंगा (1947), कोसी (1948) हड्डियों का पुल (1948) आदि छोटे-छोटे रिपोर्ताज लिखे हैं। उन्होंने अपने उपन्यासों में बाढ़ की विनाशलीला के अनेक चित्र अंकित किए हैं।



प्रश्न 9. जिन लोगों को बाढ़ से सामना पहली बार होता है उनकी बाढ़ के पानी को लेकर कैसी उत्सुकता होती है?

उत्तर-लेखक ने वैसे तो बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में बहुत काम किया था परंतु सन् 1967 में, पटना में, लेखक को बाढ़ के अनुभव से गुज़रना पड़ा था। लोगों में बाढ़ के पानी को लेकर उत्सुकता थी। वह उसका जायजा लेने के लिए मौके पर पहुंचना चाहते थे। इसलिए लोग मोटर, स्कूटर, ट्रैक्टर, मोटर साइकिल, ट्रक, टम टम, साइकिल रिक्शा पर और पैदल पानी देखने जा रहे थे। जो लोग पानी देखकर लौट रहे थे, उनसे पानी देखने जाने वाले पूछते कि पानी कहां तक गया है, जितने लोग होते उतने ही सवालों के जवाबों में पानी आगे बढ़ता जाता था। सबकी जिह्वा पर एक ही बात होती थी पानी गया है, घुस गया, डूब गया, बह गया।



प्रश्न 10. बाढ़ वाले दिन गांधी मैदान का दृश्य कैसा था? अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर-बाढ़ वाले दिन सब तरफ पानी ही पानी था। गाँधी मैदान में पानी भर गया था। पानी की तेज़ धाराओं में दीवारों पर लगे लाल-पीले रंग के विज्ञापनों की परछाइयां रंगीन सांपों के समान लग रही थीं। हजारों की संख्या में लोग गांधी मैदान की रैलिंग के सहारे खड़े पानी की तेज़ धाराओं को इस प्रकार उत्सुकता से देख रहे थे जैसे कि दशहरा के दिन रामलीला के 'राम' के रथ की प्रतीक्षा करते हैं। गाँधी मैदान में होने वाली आनंद-उत्सव, सभा-सम्मेलन और खेल-कूद की सभी यादों को गेरुए रंग के पानी ने ढक लिया था वहाँ  की हरियाली भी धीरे-धीरे पानी में विलीन हो रही थी। यह सब देखना लेखक के लिए एक नया अनुभव था।



प्रश्न 11. पान की दुकान पर खड़े लोगों के चेहरे पर बाढ़ का डर क्यों नहीं दिखाई दे रहा था?

उत्तर-लेखक ने जब सुना कि पानी स्टुडियो में प्रवेश कर सकता है तो उसके और मित्र के चेहरे पर पानी से होने वाली तबाही का आतंक चेहरे पर दिखाई देने लगा था। परंतु वहाँ   पान की दुकान पर खड़े लोग पहले से अधिक उत्साहित होकर बातचीत कर रहे थे। आपस में हँस-बोल रहे थे। ऐसा लग रहा था कि सब मिल-जुल कर आपस में बातचीत करके अपने डर को नियंत्रित कर रह थे और अपनी जिंदगी में आने वाले बाढ़ के डर का सामना करने के लिए स्वयं को तैयार कर रहे थे। इसलिए वहाँ खड़े लोगों के चेहरे पर डर नहीं था।



प्रश्न 12. राजेंद्र नगर चौराहे पर 'मैगज़ीन कार्नर' देखते ही लेखक के मन में क्या आया?

उत्तर-जब लेखक राजेंद्र नगर चौराहे से गुज़रा तो उसे 'मैगज़ीन कार्नर खुला हुआ दिखा। लेखक ने सोचा कि वह एक सप्ताह की साहित्यिक खुराक एक साथ ले। किताबों की दुकान पर उसे तरह-तरह की किताबें दिखती हैं। उसे समझ नहीं आता कि वह एक सप्ताह के लिए किस तरह की किताबें खरीदे। अंत में उसने हिंदी, बाँग्ला और अंग्रेजी की फिल्मी पत्रिकाएँ खरीदीं।'



प्रश्न 13. “पता नहीं, कल हम कितने पानी में रहें.... बहरहाल, जो कम पानी में रहेगा। वह ज्यादा पानी में फंसे मित्र की सुधि लेगा।" लेखक ने अपने मित्र से ऐसा क्यों कहा?

उत्तर-लेखक और उसका मित्र पटना में आई बाढ़ के पानी का दृश्य देखकर रहे थे। धीरे-धीरे पानी बढ़ रहा था। चारों ओर पानी आने का शोर मचा हुआ था। कई स्थानों पर लेखक ने स्वयं भी पानी को गेरुए रंग के झाग के साथ आते देखा था। लेखक को लग रहा था कि यदि रात के समय पानी गया तो पता नहीं वे लोग बचेंगे या नहीं। इसलिए वह अपने मित्र से कहता है कि वे लोग शायद कल मिल नहीं पाएं। जिसके क्षेत्र में कम पानी आया तो वे दूसरे मित्र की सहायता के लिए अवश्य आएं। दोनों एक-दूसरे की सहायता का वायदा करते हुए अलग हो गए।



प्रश्न 14. लेखक को नींद क्यों नहीं रही थी?

उत्तर-बाढ़ की प्रतीक्षा ने लेखक की नींद छीन ली थी। लेखक के फ्लैट के पास 'जन-संपर्क' की गाड़ी में बज रहे लाउडस्पीकर पर लोगों को बाढ़ के पानी से सावधान करने की आवाजें रही थीं। लेखक के क्षेत्र में रात के एक बजे तक पानी आने की संभावना की। लेखक बाढ़ के पानी की प्रतीक्षा करने लगा। उसका लेखक मन कुर्छ लिखने के लिए बैचेन होने लगा। परंतु लेखक का मन शांत नहीं था। वह बाढ़ की भीषणता को सोचकर अशांत था। उसने कई बार सोने की कोशिश की परंतु उसे नींद नहीं आई।



प्रश्न 15. पाठ के आधार पर बताएं कि लेखक ने कब बाढ़ पीड़ितों की सहायता की थी?

उत्तर-लेखक बचपन से बाढ़ पीड़ितों की सहायता करने का काम कर रहा था। सन् 1937 सिमखनी-शंकरपुर में बाढ़ के समय ब्वाय स्काउट के रूप में कार्य किया। सन् 1947 में मनिहारी में गुरु जी के साथ गंगा मैया की बाढ़ पीड़ित क्षेत्र में काम किया। वहाँ  दवाइयाँ पहुँचाने का काम किया था। सन् 1949 में महानंदा की बाढ़ से घिरे लोगों की सहायता की थी। इस प्रकार लेखक ने कई बार बाढ़ पीड़ितों के लिए काम किया था।



प्रश्न 16. महानंदा की बाढ़ से घिरे लोगों में बीमार नौजवान नाव में किसे अपने साथ ले जाना चाहता था?

उत्तर-सन् 1949 में महानंदा में बाढ़ आई थी। लेखक रिलीफ नाव लेकर वहाँ गया था। नाव में एक डॉक्टर थे जो बीमारों का इलाज कर रहे थे। गांव के कई बीमार लोगों को नाव में चढ़ाकर राहत कैंप में ले जाना था। एक बीमार नौजवान अपने साथ कुत्ता लेकर चढ़ गया। डॉक्टर साहिब ने कुत्ता ले जाने से मना कर दिया था। इस पर बीमार नौजवान नाव से पानी में उतर गया। उसके साथ ही उसका कुत्ता भी उतर गया।



प्रश्न 17. लेखक के क्षेत्र में कितने बजे पानी आया?

उत्तर-लेखक रात के ढाई बजे तक जागता रहा कि अब पानी आया, तब पानी आया परंतु पानी नहीं आया। उसके मन में तरह-तरह के विचार उमड़ते रहे। वह उन विचारों को लिखित रूप देना चाहता था परंतु फिर उसने विचार त्याग दिया। सोच-विचार करते-करते उसे नींद गई। साढ़े पांच बजे उसकी पत्नी ने उसे उठाकर कहा कि उनके क्षेत्र में पानी गया है।



प्रश्न 18. लेखक ने अपने क्षेत्र में आने वाले बाढ़ के पानी का वर्णन किस प्रकार किया है?

उत्तर-लेखक के क्षेत्र में सुबह साढ़े पांच बजे पानी आया था। पानी पश्चिम से मोटी धारा के रूप में मुँह में झाग लिए रहा था पानी पश्चिम-उत्तर की ओर ब्लॉक नंबर चार के पुलिस चौकी में गया। चारों ओर शोर-कोलाहल- कलरव-चीख-पुकार और पानी का शोर हो रहा था। गोलबंर के पार्क में पानी ही पानी था। हरियाली नज़र नहीं रही थी। पानी का बहाव इतना तेज़ था कि मानो छूने से करंट गया हो। पानी में आस-पास का सब डूब रहा था।



प्रश्न 19. बाढ़ तो बचपन से ही देखता आया हूँ, किंतु पानी का इस तरह आना कभी नहीं देखा? लेखक ने ऐसा क्यों कहा

उत्तर-लेखक बचपन से ही बाढ़ को देखता रहा था, बाढ़ पीड़ितों के लिए काम करता रहा है परंतु उसका

कभी बाढ़ के पानी के आने के दृश्य से सामना नहीं हुआ था। उसने अपने जीवन में पहली बार बाढ़ के अनुभव को भोगा था। उसने पानी के आने का इंतज़ार किया था। लेखक सोचता है कि यदि यह पानी रात के समय आता तो उसका बुरा हाल हो जाता क्योंकि रात के अंधेरे में पानी विकराल रूप धारण कर लेता है।



प्रश्न 20. बाढ़ पीड़ितों के लिए कार्य करना और बाढ़ के अनुभव को स्वयं भोगना में क्या अंतर है?

उत्तर-बाढ़ से पीड़ितों के लिए कार्य करना, उनको दिलासा देना, उनका दुःख बाँटना और उन्हें दुबारा स्थापित करने में सहायता करना आदि कार्य करने से बाढ़ पीड़ितों द्वारा भोगी गई मानसिक, शारीरिक और आर्थिक कष्ट आदि को हम अनुभव नहीं कर सकते। परंतु जब उस स्थिति से हमारा सामना होता है तो उस समय हम उन लोगों की मानसिक स्थिति को समझ सकते हैं लोग बाढ़ के डर से किस प्रकार स्वयं को बचाने के चक्कर में अपना कितना कुछ खो देते हैं। तब हमें उनकी पीड़ा का अनुभव होता है। इसीलिए बाढ़ पीड़ितों की सहायता करना और उसे स्वयं भोगने में बहुत अंतर है।



प्रश्न 21. लेखक के विचार से बाढ़ मनुष्य को कैसे प्रभावित करती है?

उत्तर-बाढ़ एक प्राकृतिक आपदा है। जब बाढ़ आती है मनुष्य का जीवन अधिक प्रभावित होता है। वह अपने आस-पास की चीज़ों से जुड़ा होता है। बाढ़ का पानी जिस तेज़ी से आता है। वह मनुष्य की चीज़ों के साथ-साथ, उससे जुड़ी यादों को भी बहा ले जाता है। बाढ़ की विभीषिका केवल शारीरिक और आर्थिक रूप। सामान्य रूप से उसे प्रभावित नहीं करती अपितु वह लेखक जैसे मनुष्य के साहित्य अर्थात् मानसिक-सामाजिक जीवन का यथार्थ बन जाती है।



प्रश्न 22. लेखक ने छत से क्या देखा और क्या सोचा?

उत्तर-लेखक ने छत से देखा कि चारों ओर शोर हो रहा है तथा पानी की गति के कारण कल-कल की आवाज़ हो रही है। पानी सामने का फुटपाथ पार कर के लेखक के फ्लैट के पीछे की तरफ़ तेज़ी से बहने लगा था। गोलंबर पार्क के चारों ओर पानी था। बिजली के खंभे का कुछ हिस्सा, ताड़ के पेड़ का तना, दीवार की ईंटें तक पानी में डूब गई थीं। लेखक सोचता है कि यदि उस के पास मूवी कैमरा होता तो वह इस दृश्य की फिल्म बना लेता।


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  1. Path ke ant me lekhak ne kya soch

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    1. Paath ke anth mein lekhak ne baadh ke bhayavah drishya ko dekhte hue socha ki yadi unke pass movie camera hota toh wah iss drishy ko tasweer avashy hi kheechte... Yadi tape recorder hota toh wah in cheezon ko record kar ke rakhte. parantu unki saari cheezon ko baadh ne dhwast kar diya hai. Aur unke pass ab kuchh bhi nhi hai.. ek kalam reh gyi thi par ab wah bhi baadh mein kahi dooor ja pahuchi..... Wah santusht Hain ki unke pass ab kuchhh bhi nhi hai. Hoti toh unhe uss cheez ko sambhalne ki chinta lagi rehti. Isliye achha hai ki ab unke pass kuchh bhi nhi hai.

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  2. पाठ में लेखक ने मृत्यु का तरल दूत किसे कहा है और क्यों ? लेखक ने इसे कैसे समझाया । लिखिए

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