Class 9 Hindi – A Mere Sang ki Auratein Extra Questions मेरे संग की औरतें Important Questions
प्रश्न 1. लेखिका की नानी ने किससे क्या वचन लिया और क्यों?
उत्तर -लेखिका की नानी ने अपने पति के मित्र स्वतंत्रता सेनानी प्यारे लाल शर्मा से यह वचन लिया कि वे उनकी इकलौती बेटी का विवाह किसी उन जैसे स्वतंत्रता सेनानी से करवा देंगे क्योंकि उनके पति तो साहब है और वह नहीं चाहती कि उसकी बेटी का विवाह किसी साहबों के आज्ञाकारी व्यक्ति से हो।
प्रश्न 2. जिस लड़के से लेखिका की माँ का विवाह हुआ वह कौन था?
उत्तर-लेखिका की माँ का विवाह जिस लड़के से हुआ था वह बहुत पढ़ा-लिखा तथा होनहार था। आर्थिक दृष्टि से उसके पास कोई पुश्तैनी जायदाद अथवा जमा-पूँजी नहीं थी। वह गांधीवादी था और खादी पहनता था। आज़ादी के आंदोलनों में भाग लेने के कारण उसे आई० सी० एस० की परीक्षा में बैठने से रोक दिया गया था।
प्रश्न 3. लेखिका की परदादी का तार भगवान से कैसे जुड़ा हुआ था?
उत्तर-लेखिका की परदादी बहुत ही धार्मिक विचारों की महिला थी तथा उसका जीवन अत्यंत सीधा-सादा था। नकुड़ गाँव के लोगों की मान्यता थी कि उनका भगवान् के साथ सीधा तार जुड़ा है। बेतार का तार। इधर वे तार खींचती और उधर उनकी मुराद पूरी हो जाती थी। उन्होंने जब पतोहू की पहली संतान लड़की मांगी तो भगवान ने उनकी इच्छा पूरी करते हुए पतोहू को पहली लड़की तो दी ही साथ ही चार और लड़कियाँ भी दे दी थीं। परदादी की हर इच्छा को भगवान पूरी कर देते थे इसलिए उनके तार भगवान से जुड़े हुए माने जाते थे।
प्रश्न 4. लेखिका के परिवार में कौन-कौन किस-किस नाम से लिखता है?
उत्तर-लेखिका के परिवार में उसकी बड़ी बहन रानी मंजुल भगत के नाम से लिखती हैं। उन्होंने अपने विवाह के बाद लिखना आरंभ किया था, इसलिए अपना नाम बदल कर पति का ग्रहण किया। लेखिका का घर का नाम उमा था उसने भी शादी के बाद लिखना शुरू किया और अपना नाम मृदुला गर्ग अपना लिया। सबसे छोटी बहन अचला ने अपने इसी नाम से लिखा परंतु वह अंग्रेज़ी में लिखती है। लेखिका का छोटा भाई राजीव भी लिखता है और हिंदी में ही लिखता है। इस प्रकार से लेखिका के परिवार के चार सदस्य लिखते हैं।
प्रश्न 5. लेखिका और उसकी बहनों में कौन-सी बात एक-सी रही?
उत्तर-लेखिका और उसकी बहनों में एक बात एक-सी रही थी। सभी बहनों ने अपना घर-बार चाहे परंपरागत ढंग से न चलाया हो परंतु उन्होंने अपने घरों को तोड़ा भी नहीं है। वे मानती हैं कि विवाह एक बार किया जाता है और उसे उन्होंने पूरी तरह से निभाया है। उन सबकी यह मान्यता रही है कि 'मर्द बदलने से कोई प्रयोजन सिद्ध नहीं होता। घर के भीतर रहते हुए भी, अपनी मर्जी से जी लो, तो काफ़ी है।'
प्रश्न 6. लेखिका ने बागलकोट में कैथोलिक बिशप से जब प्राइमरी स्कूल खोलने का आग्रह किया तो उनका क्या उत्तर था?
उत्तर-लेखिका ने जब बागलकोट के कैथोलिक बिशप से प्रार्थना की कि वे मिशन और सीमेंट कारखाने की आर्थिक सहायता से वहाँ के प्राइमरी स्कूल खुलवा दें तो उन्होंने कहा कि यहाँ क्रिश्चियन जनसंख्या कम है इसलिए वे स्कूल खोलने में असमर्थ हैं। जब लेखिका ने अपना अनुरोध बार-बार दोहराया तो उन्होंने कहा कि हम कोशिश कर सकते हैं यदि आप यह विश्वास दिलाएँ कि यह स्कूल अगले सौ वर्षों तक चलेगा। इस पर लेखिका को क्रोध आ गया और उसने कहा कि किसी के संबंध में भी यह विश्वास नहीं दिलाया जा सकता कि वह अगले सौ वर्ष तक चलेगा। इस पर वे भी गुस्से में भरकर बोले कि खुदा का लाख शुक्र है, बच्चों के न पढ़ पाने की समस्या आपकी है, मेरी नहीं।
प्रश्न 7. लेखिका के नाना, नानी से किस प्रकार भिन्न थे?
उत्तर-लेखिका की नानी परंपरावादी, अनपढ़ और परदानशीं औरत थी परंतु उसके नाना ने विलायत से बैरिस्ट्री पढ़ी थी। उन्होंने कैंब्रिज विश्वविद्यालय से डिग्री प्राप्त की थी। विलायत से वापस आने पर वे विलायती रीति-रिवाज़ के साथ जिंदगी गुजारने लगे थे। वे अंग्रेजों के प्रशंसक थे। वे अपनी पैदाइश के कारण हिंदुस्तानी थे नहीं तो चेहरे- मोहरे, रंग-ढंग, पढ़ाई-लिखाई सब में अंग्रेज़ लगते थे।
प्रश्न 8. लेखिका की माँ आम भारतीय महिलाओं से कैसे भिन्न थी?
उत्तर-लेखिका की माँ आम भारतीय महिलाओं की तरह नहीं थी। उन्हें घरेलू काम करने की आदत नहीं थी। उन्होंने कभी भी लेखिका और उसके अन्य भाई-बहनों से लाड़-दुलार नहीं किया। उन्होंने कभी अपने बच्चों के लिए खाना नहीं बनाया और न ही अपनी बेटियों को अच्छी पत्नी, माँ और बहू बनने की सीख दी। उन्हें घर बार संभालने की आदत नहीं थी। उनका ज़्यादा समय किताबें पढ़ने, संगीत सुनने और साहित्यिक चर्चा में व्यतीत होता था। उन्होंने कभी भी किसी के काम में हस्ताक्षेप नहीं किया था। इस प्रकार वे आम महिलाओं से बिल्कुल अलग थी।
प्रश्न 9. लेखिका की माँ कोई भी काम नहीं करती थी, फिर भी सब की उनके प्रति इतनी श्रद्धा क्यों थी?
उत्तर-लेखिका के अनुसार उसकी माँ ने कभी भी आम महिलाओं की तरह घर में कोई भी कार्य नहीं किया था। वह पत्नी, माँ और बहू के किसी भी प्रचारित कर्तव्य का पालन नहीं करती थी। फिर भी परिवार के अन्य सदस्य उन्हें पूरी इज्जत देते थे। इसके दो कारण हो सकते हैं वे साहबी खानदान से थीं तथा वे कभी भी झूठ नहीं बोलती थीं वे दूसरों की गोपनीय बातों को किसी पर भी जाहिर नहीं करती थी।
प्रश्न 10. लेखिका देश को मिली आज़ादी का पहला जश्न क्यों नहीं देखने जा सकी?
उत्तर-15 अगस्त, सन् 1947 को देश को आजादी मिली थी। चारों ओर आनंद का वातावरण था। सभी लोग आज़ादी का जश्न मना रहे थे। परंतु लेखिका बीमार । उसे टाइफाइड हो गया था। उसका घर से निकलना बंद था। उसके रोने का किसी पर भी प्रभाव नहीं पड़ा। उसे और उसके पिता जी को छोड़कर सभी लोग आज़ादी का जश्न देखने चले गए। इस बात का लेखिका को बहुत दुःख था।
प्रश्न 11. लेखिका को कौन-सा पहला उपन्यास पढ़ने को मिला था और उसका लेखिका पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर-लेखिका आज़ादी के जश्न में नहीं गई थी। उसके पिता जी ने उसे पढ़ने के लिए 'ब्रदर्स काराम जोव' का उपन्यास दिया। उस समय उसकी आयु नौ वर्ष थी। उस समय लेखिका को वह उपन्यास समझ में नहीं आया था। उसका एक अध्याय जो बच्चों पर होने वाले अनाचार-अत्याचार पर था। वह कंठस्थ हो गया था। उसका लेखिका पर इतना प्रभाव था कि वह लेखिका के साथ उम्र के हर पड़ाव में उनके साथ रहा तथा उनकी लेखनी को प्रभावित करता रहा।
प्रश्न 12. लेखिका की बहन रेणु का स्वभाव कैसा था?
उत्तर-लेखिका की बहन रेणु का स्वभाव सबसे अलग था वह अपने काम के लिए किसी को परेशान नहीं करती थी। उसे किसी भी तरह के ऐशो-आराम से परहेज था। उसका स्वभाव बहुत जिद्दी था। जैसे घर से कार उन्हें बस अड्डे पर लेने जाती तो वह पैदल चलने में विश्वास करती। जिस काम के लिए उसे कहा जाता वह उसका उल्टा करती थी। उसे पढ़ने के लिए कहा जाता तो वह पूछती पढ़कर क्या मिलेगा जो अब उसके पास नहीं है। कहने का अभिप्राय है कि वह अपने ढंग से जीवन व्यतीत करने में विश्वास करती थी। उसे दखल पसंद नहीं था। वह सच बोलने में माँ से भी दो कदम आगे थी। अधिकतर लोग उसके सच को मज़ाक समझ लेते थे। वह अक्खड़ और स्वतंत्र विचारों वाली थीं।
प्रश्न 13. लेखिक की बहन चित्रा का स्वभाव कैसा था?
उत्तर-लेखिका की बहन चित्रा का स्वभाव भी अलग था। वह जो काम सोच लेती थी वह पूरा करती थी। वह अपनी पढ़ाई करने की अपेक्षा दूसरों को पढ़ाने में अधिक दिलचस्पी दिखाती थी। इससे उसके नंबर कम और दूसरों के अधिक आते थे। उसने शादी अपनी पसंद से की थी। यहाँ तक कि उसने लड़के से भी उसकी पसंद नहीं पूछी। लड़के से साफ कह दिया कि वह उससे शादी करना चाहती थी। लड़के ने उसकी बात के आगे पहली मुलाकात में हथियार डाल दिए थे। यह भी स्वतंत्र विचारों वाली थी।
प्रश्न 14. क्या सबसे छोटी अचला ने भी अपनी बहनों का अनुसरण किया था?
उत्तर-सबसे छोटी बहन अचला प्रारंभ में पिता जी के विचारों पर चलने वाली लगी। पिता की आज्ञा मानकर उसने अर्थशास्त्र और पत्रकारिता की। फिर पिता की पसंद के लड़के से शादी की। परंतु उसका मन घर परिवार में अधिक नहीं लगा। उसने भी अपनी दोनों बड़ी बहनों की तरह लिखना शुरू कर दिया। उसने अंग्रेज़ी में लिखना आरंभ किया था।
प्रश्न 15. पांचों बहनों में क्या बात सामान्य थी?
उत्तर-पांचों बहनों में एक बात सामान्य थी। उन्होंने शादी के बाद अपने घर बार को परंपरागत तरीके से नहीं
चलाया परंतु अपने परिवार को तोड़ा भी नहीं था। एक बार शादी कर ली और उसे निभाया। उनके वैवाहिक जीवन में उतार-चढ़ाव रहे। बात तलाक तक भी पहुँची परंतु शादी को टूटने नहीं दिया। सभी ने अपने-आप व्यस्त रखने के लिए लिखना आरंभ कर दिया था। उनका विश्वास था कि मर्द बदलने से कोई प्रयोजन सिद्ध नहीं होता। घर के अंदर भी अपने ढंग से जीवन व्यतीत कर लो, वह बहुत है।
प्रश्न 16. लेखिका शादी के बाद कहाँ रही और वहाँ का वातावरण कैसा था?
उत्तर-लेखिका मंचों बहनों में दूसरे नंबर पर थी। लेखिक शादी के बाद बिहार के छोटे से कस्बे डालमिया नगर में रही। वहाँ का वातावरण पुराने विचारों पर आधारित था। औरत-आदमी, चाहे वह पति-पत्नी क्यों न हों इकट्ठे नहीं जा सकते थे। यहाँ तक कि फिल्म देखने के लिए अलग-अलग पंक्तियों में बैठना पड़ता था। लेखिका दिल्ली कॉलेज की नौकरी छोड़ कर उस गाँव में पहुंची थी। उन्होंने भी वहाँ बदलाव लाने का प्रयास आरंभ कर दिया। कुछ आदमी- औरतों को इकट्ठा करके नाटक मंडली बनाई और कई नाटकों का मंचन किया।
प्रश्न 17. यदि हमारे देश की अधिकतर औरतें लेखिका की परदादी की तरह होती तो हमारे देश में लड़कियों की क्या स्थिति होती? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-लेखिका का जन्म एक परंपरावादी परिवार में हुआ था। लेखिका की परदादी अपने समय की औरतों के विचारों से अलग राह पर चलने वाली औरत थी। अधिकतर हमारे समाज में बच्चे के रूप में लड़के के पैदा होने को अधिक महत्त्व दिया जाता है उस औरत को तो उच्च स्थान दिया जाता है जिसके पास लड़के अधिक हों परंतु लेखिका की परदादी ने उसकी माँ से पहले बच्चे के रूप में लड़की की इच्छा व्यक्त की। सभी उनकी बात पर हैरान थे। यह नहीं था कि उनके परिवार में लड़की नहीं थी परंतु उन्हें अपनी पतोहू से लड़की चाहिए थी। इस प्रकार लेखिका और पाँच बहनें लगातार हुई और उनकी परवरिश स्वतंत्र रूप से हुई कभी भी उन्हें किसी प्रकार का अपमान नहीं झेलना पड़ा। यदि हमारे देश की महिलाएं लेखिका की परदादी की तरह होती तो आज हमारे देश में लड़कियों की स्थिति बेहतर होती। इस प्रकार कन्या भ्रूण हत्या नहीं होती। आज लोगों को यह समझना नहीं पड़ता कि समाज में लड़कियों का महत्त्व लड़कों से कम नहीं है। आज की महिला को अपनी सोच बदलनी होगी। तभी समाज में लड़कियों की स्थिति बेहतर हो सकती है। इसके लिए लेखिका की परदादी के विचारों से भी सीख लेनी चाहिए।
प्रश्न 18. पाठ के आधार पर बताएं कि क्या पहले की औरतों को अपने ढंग से जीने की आज़ादी थी?
उत्तर-लेखिका के जीवन में उसकी माँ, नानी, परदादी और दादी आदि सभी औरतों का बहुत प्रभाव था। सभी औरतों ने अपने जीवन को अपने ढंग से व्यतीत किया है। लेखिका की नानी ने विलायती स्वभाव वाले पति के साथ रहकर अपनी स्वतंत्रता को नहीं खोया। इसलिए अपने अंतिम समय में अपनी निजी स्वतंत्रता का उपयोग करते हुए अपनी बेटी की शादी का दायित्व अपने पति के स्वतंत्रता सेनानी मित्र को सौंप दिया। लेखिका की परदादी भी अलग तरह के विचारों पर चलने वाली औरत थी। इसलिए उन्होंने अपनी पतोहू से पहले बच्चे के रूप में लड़की की मांग रख दी। इसके लिए उन्होंने भगवान् से प्रतिदिन प्रार्थनाएं कीं। इस प्रकार लगातार पाँच बहनें पैदा हुईं। इसके लिए कभी भी उन्हें या उनकी माँ को सुनना नहीं पड़ा। लेखिका की माँ ने भी अपनी जिंदगी अपने विचारों के अनुरूप व्यतीत की है। उन्होंने कभी भी किसी के काम में हस्ताक्षेप नहीं किया। संयुक्त परिवार में रहते हुए भी सभी को अपनी निजी स्वतंत्रता बनाए रखने की छूट थी। उनकी दादी ने भी कभी भी उनकी माँ के निजी जीवन में हस्ताक्षेप नहीं किया था। इस प्रकार लेखिका के घर की औरतें को अपना जीवन स्वतंत्रता से व्यतीत करनी की आज़ादी थी।
Please make little short
ReplyDeleteans
Hi iam ajjub
Deletehai
Yess
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