Important Questions Class 9th- सवैये ~ Savaiye Extra Questions
प्रश्न 1. रसखान के काव्य की विशेषता लिखिए।
उत्तर-रसखान की कविता का लक्ष्य श्रीकृष्ण एवं गोपियों की प्रेम लीलाओं का वर्णन करना रहा है। यत्र-तत्र उन्होंने श्रीकृष्ण के बाल-रूप का भी मनोहारी चित्रण किया है-
धूर भरे अति सोभित स्यामजू तैली बनी सिर सुंदर चोटी।
खेल खात फिरै अंगना पग पैंजनी बाजति पीरी कछोटी।
रसखान ने श्रीकृष्ण तथा ब्रज के प्रति अपनी अगाध निष्ठा का भी परिचय दिया है-
मानुस हौं तो वही रसखानि, बसौं ब्रज गोकुल गाँव के ग्वारन।
प्रश्न 2. रसखान की काव्य-भाषा पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर-रसखान की भाषा ब्रजभाषा है। ब्रजभाषा अपनी पूरीं मधुरता के साथ इनके काव्य में प्रयुक्त हुई है। अलंकारों और लोकोक्तियों के प्रयोग ने भाषा को संजीव बना दिया है।
रसखान जाति से मुसलमान होते हुए भी हिंदी के परम अनुरागी थे। उनके हिंदी प्रेम एवं सफल काव्य पर मुग्ध होकर ठीक ही कहा गया है-"रसखान की भक्ति में प्रेम, श्रृंगार और सौंदर्य की त्रिवेणी का प्रवाह सतत् बना रहा और उनकी भाषा का मधुर, सरल, सरस और स्वाभाविक प्रकार पाठकों को अपने साथ बहाने में सफल रहा।"
प्रश्न 3. कवि मनुष्य के रूप में कहाँ जन्म लेना चाहता है और क्यों?
उत्तर-कवि श्री कृष्ण के परम भक्त थे। उन्होंने श्रीकृष्ण और श्रीकृष्ण भूमि को समर्पण का भाव व्यक्त करते हुए कहा है कि वे अगले जन्म में मनुष्य के रूप में जीवन पाकर ब्रज क्षेत्र के गोकुल गाँव में ग्वालों के बीच रहना चाहते हैं क्योंकि श्रीकृष्ण उनके साथ रहे थे और ग्वालों को उनकी निकटता प्राप्त करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था।
प्रश्न 4. कवि तीनों लोकों का राज्य क्यों त्याग देने को तैयार है?
उत्तर-कवि तीनों लोकों का राज्य उस लाठी और काले कंबल के बदले में त्याग देने को तैयार है जो ब्रज क्षेत्र के ग्वाले गऊओं को चराते समय धारण किया करते थे। वह ऐसा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि उन्हें परम सुख की प्राप्ति के लिए ब्रजक्षेत्र से जुड़ा रहना है।
प्रश्न 5. गोपी कैसा श्रृंगार करना चाहती है?
उत्तर-गोपी श्रीकृष्ण की भक्ति के वशीभूत होकर श्रीकृष्ण का स्वांग भरने को तैयार हो जाती है। गोपी श्रीकृष्ण को प्रत्येक वस्तु से अपना श्रृंगार करना चाहती है। वह श्रीकृष्ण का मोरपंख का मुकुट अपने सिर पर धारण करना चाहती है और गले में गुंजों की माला पहनना चाहती है। वह श्रीकृष्ण की तरह पीले वस्त्र पहनकर तथा हाथों में लाठी लेकर ग्वालों के साथ गाय चराने वन-वन भी फिरने के लिए तैयार है।
प्रश्न 6. गोपी अपने होंठों पर मुरली क्यों नहीं रखना चाहती?
उत्तर-गोपी अपने होंठों पर श्रृंगार करते समय श्रीकृष्ण की मुरली अपने होंठों पर इसलिए नहीं रखना चाहती क्योंकि वह मुरली को अपनी सौत मानती है। मुरली सदा श्री कृष्ण के होंठों पर लगी रहती थी। इसी सौतिया डाह के कारण वह मुरली को अपना शत्रु मानती है और उसे अपने होंठों पर नहीं लगाना चाहती है।
प्रश्न 7. गोपी श्री कृष्ण द्वारा बजाई बांसुरी की तान को क्यों सुनना नहीं चाहती?
उत्तर-गोपी श्री कृष्ण द्वारा बजाई बांसुरी की तान इसलिए नहीं सुनना नहीं चाहती क्योंकि उनकी बांसुरी की तान में जादु-सा प्रभाव है। वह इसे सुनकर अपनी सुध-बुध खोकर वह श्री कृष्ण के पीछे-पीछे चल देती है परंतु आज वह अपने पर नियंत्रण रखना चाहती है इसलिए कानों में अँगुली डालकर बैठी है, जिससे उसे बांसुरी की तान न सुनाई दे।
प्रश्न 8. गोपी स्वयं को किस कारण विवश अनुभव करती है?
उत्तर-श्री कृष्ण की बांसुरी की धुन और उनकी मुसकान का प्रभाव अचूक है। जिसके कारण गोपियाँ अपने मन पर नियंत्रण नहीं रख पाती हैं और विवश होकर श्री कृष्ण के पास चली जाती हैं। वे स्वयं को संभाल नहीं पाती हैं। कवि ने श्री कृष्ण के भक्ति प्रेम में डूबी गोपी की विवशता का वर्णन किया है कि वह श्री कृष्ण-भक्ति में डूबकर अपनी सुध-बुध खो बैठती हैं।
Thank you sir!
ReplyDelete