Uski Maa Hindi Class 11 Question Answer | Uski Maa Hindi Class 11 Exercise Question Answer | उसकी मां पाठ के प्रश्न उत्तर
प्रश्न 1. क्या लाल का व्यवहार सरकार के विरुद्ध षड्यंत्रकारी था ?
उत्तर : लाल देशभक्त, क्रांतिकारी युवक था। वह अपने देश को ब्रिटिश सरकार की गुलामी से आजाद कराना चाहता था। इसलिए वह अपने अन्य क्रांतिकारी मित्रों के साथ मिलकर देश को स्वतंत्र कराने की योजनाएँ बनाता रहता था। उसका यह कार्य हमारी दृष्टि से उसका स्वदेश प्रेम है। इसे त्रिटिश सरकार अपने विरदद्ध घड्यंत्र मानती थी। त्रिटिश सरकार की आलोचना करने तथा उनकी चापलूसी न करने के कारण वह उनकी नजर में षड्यंत्रकारी था।
प्रश्न 2. पूरी कहानी में जानकी न तो शासन-तंत्र के समर्थन में है न विरोध में, किंतु लेखक ने उसे केंद्र में ही नहीं रखा बल्कि कहानी का शीर्षक बना दिया। क्यों?
उत्तर : शीर्षक की सार्थकता के लिए यह ज़रूरी है कि शीर्षक कहानी के मूल भाव, उद्देश्य प्रमुख घटना अथवा प्रमुख पात्र से जुड़ा हुआ हो। प्रस्तुत कहानी का शीर्षक जिज्ञासामय है। कहानी पढ़ते ही पाठक के मन में यह जानने की इच्छा होती है कि उसकी माँ कौन है ? यह किसकी माँ है ? कहानी को पढ़ते ही यह जिज्ञासा शांत हो जाती है। पाठक समझ जाता है कि इस कहानी के क्रांतिकारी युवक लाल की माँ की ममता, सरलता, दृढ़ता, सेवा और त्याग का वर्णन है। कहानी की घटनाओं में माँ का बार-बार उल्लेख हुआ है।
सर्वं्र उसी के व्यक्तित्व की छाप दिखाई देती है। वह केवल अपने इकलौते बेटे लाल से ही प्यार नहीं करती बल्कि लाल के अन्य सभी साथियों के प्रति भी वह ममतामयी है। वह भारतमाता के समान है। वह सब का कल्याण करना चाहती है। लाल तथा उसके साथियों को फाँसी होते ही उसके भी प्राण पखेरू उड़ जाते हैं। अत: कहा जा सकता है कि कहानी का शीर्षक सर्वथा उपयुक्त है क्योंकि सारी कहानी में जानकी किसी-न-किसी रूप में उपस्थित है। वह परिस्थितियों से संघर्ष करते हुए अपना भी बलिदान दे देती है।
प्रश्न 3. चाचा जानकी तथा लाल के प्रति सहानुभूति तो रखता है, किंतु वह डरता है। यह डर किस प्रकार का है और क्यों है ?
उत्तर : चाचा एक जर्मीदार है। उसे ब्रिटिश सरकार से बहुत सहायता मिलती है। वह भी उनकी चापलूसी करता रहता है। जब पुलिस सुपरिटेंेेंट उससे लाल के बारे में पूछताछ करने आता है तो जाते हुए उसे चेतावनी दे जाता है कि वह लाल और उसके परिवार से दूर ही रहे। इससे वह डर जाता है कि कही उसे भी ब्रिटिश सरकार का कोपभाजन न बनना पड़े। इसी डर से वह चाहते हुए भी लाल तथा उसके परिवार की कोई सहायता नहीं कर पाता।
प्रश्न 4. इस कहानी में दो तरह की मानसिकता का संघर्ष, एक का प्रतिनिधित्व लाल करता है और दूसरे का उसका चाचा। आपकी नज्कर में कौन सही है ? तर्कसंगत उत्तर दीजिए।
उत्तर : हमारी नजर में लाल की सोच बिलकुल सही है। वह गुलामी की ज़ंजीरों में जकड़े हुए अपने देश को आज़ाद कराना चाहता है। उसका मानना है कि जो व्यक्ति समाज या राष्ट्र के नाश पर जीता हो, उसका सर्वनाश हो जाना चाहिए। ब्रिटिश सरकार जोंक की तरह भारतवासियों के धर्म, प्राण और धन को चूसती चली जा रही है। इन्होंने ऐसे अपमानजनक और मानवताहीन नीति-मर्दक कानून गढ़े हैं जिससे भारतवासियों का निरंतर शोषण होता है। ऐसी सरकार का विरोध करते हुए अपने प्राणों का बलिदान देनेवाले लाल की मानसिकता का हम समर्थन करते हैं।
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प्रश्न 5. उन लड़कों ने कैसे सिद्ध किया कि जानकी सिर्फ़ माँ नहीं भारतमाता है ? कहानी के आधार पर उसका चरित्र-चित्रण कीजिए।
उत्तर : उन लड़कों ने जानकी को भारतमाता सिद्ध करते हुए बताया कि उसका सिर हिमालय, माथे की दोनों गहरी रेखाएँ गंगा और यमुना, नाक विंध्याचल, ठोढ़ी कन्याकुमारी, झुरियाँ-रेखाएँ पहाड़ और नदियाँ तथा बाएँ कंधे पर लहराते हुए बाल बर्मां है। इस प्रकार लाल की माँ भारत-माता बन जाती है।
जानकी के चरित्र की अन्य विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
(i) परिच्रय – पांडेय बेचन शर्मा ‘उग्र’ द्वारा रचित कहानी ‘उसकी माँ’ में लाल की माँ जानकी का चरित्र-चित्रण अत्यंत प्रभावशाली रूप से किया गया है। उसके पति रामनाथ का देहांत हो चुका है। उसकी एकमात्र संतान उसका पुत्र लाल है। वह वृद्धा विधवा स्त्री है। उसके सिर के बाल सक़ेद हो घुके हैं तथा चेहरे पर अनेक झुरियाँ पड़ गयी हैं।
(ii) सरलता – लाल की माँ अत्यंत सरल महिला है। लाल और उसके मित्रों द्वारा अंग्रेजों के विरुद्ध रचे जा रहे षड्यंत्र को वह समझ नहीं पाती। जर्मीदार द्वारा लाल और उसके मित्रों की शिकायत करने पर भी वह उन्हें निर्दोष मानती है। इसलिए ज़्मीदार को कहती है कि वह ही बच्चों को समझा दे। उसके पुत्र तथा पुत्र के मित्रों पर जब मुकदमा चलता है तो वह अपनी सरलता के कारण ही अंग्रेज सरकार को न्यायी समझकर बच्चों की रिहाई के प्रति आशावान थी। वह किसी प्रकार का छल-कपट नहीं जानती।
(iii) ममता – लाल की माँ के हदय में ममता का सागर उमड़ता रहता है। वह लाल के साथियों को भी लाल के समान ही स्नेह करती है। बंगड़ जब उसे भारतमाता प्रमाणित करता है तो वह भाव-विभोर हो उठती है। लाल तथा उसके मित्रों को वह भूखा नही देख पाती। उनके लिए सदा कुछ भी करने के लिए तैयार रहती है। जेल में उनके लिए, अपने घर की बस्तुएँ तक बेचकर, खाना बनाकर ले जाती है।
(iv) दूड़ता – लाल की माँ संकट के क्षणों में भी विचलित नहीं होती अपितु प्रत्येक मुसीबत का दृढ्तापूर्वक सामना करती है। अपने पति का देहांत होने पर भी वह सामान्य स्त्रियों के समान नहीं रोई थी। लाल तथा उसके मित्रों के जेल चले जाने पर भी उसने प्रत्येक स्थिति का दृढ़ता से सामना किया था तथा किसी-न-किसी प्रकार से वकील करके उनकी पैरवी करती रही थी।
(v) सेवा – लाल की माँ में सेवा-भाव कूट-कूटकर भरा हुआ है। लाल और उसके साथियों की सेवा करने में उसे बहुत आनंद् प्राप्त होता है। वह जेल में उनके लिए पराँठे, हलवा, तरकारी आदि बनाकर ले जाती है। बच्चों को मुक्त कराने के लिए बह वकीलों के सामने गिड़गिड़ाने से भी नहीं झिझकती थी। उसने उन्हैं जेल से छुड़ाने के लिए बहुत प्रयास किए थे। इस प्रकार स्पष्ट है कि लाल माँ की एक ऐसी असाधारण नारी है जो अपनी सरलता, ममता, दृढ़ता एवं सेवाभाव से पाठक को सहज ही अपनी ओर आकर्षित कर लेती है।
प्रश्न 6. विद्रोही की माँ से संबंध रखकर कौन अपनी गरदन मुसीबत में झालता ? इस कथन के आधार पर उस शासन-तंत्र और समाज-व्यवस्था पर प्रकाश डालिए।
उत्तर : उस समय देश ब्रिटिश सरकार का गुलाम था। उनकी शासन व्यवस्था मानवताहीन नीतियों से युक्त थी। वे भारतीय जनता का शोषण करते थे तथा गरीबों को चूसकर अपना बल बढ़ा रहे थे। देशभक्तों को वे भयंकर यातनाएँ देते थे। पुलिस मनमानी करती थी। अदालत बिना उचित सुनवाई किए मनमाना दंड दे देती थी। समाज में लोग ब्रिटिश सरकार की कार्रवाइयों से भयभीत रहते थे। सभी अपनी जान बचाने की सोचते थे। उनके अनुसार ‘आप सुखी तो जग सुखी’ कथन के अनुसार जीवन व्यतीत करना ही ठीक है। वे इतने भयभीत रहते थे कि चाहकर भी किसी स्वतंत्रता ग्रेमी की सहायता नहीं करते थे। सभी स्वार्थी तथा चापलूस बन गए थे।
प्रश्न 7. चाचा ने लाल का पेंसिल-खचित नाम पुस्तक की छाती पर से क्यों मिटा डालना चाहा ?
उत्तर : चाचा ने लाल का पेंसिल से पुस्तक के पहले पन्ने पर लिखा नाम इसलिए मिटा डालना चाहा कि कहीं पुलिसवाले तलाशी लेने आएँ तो उन्हैं यह किताब न मिल जाए। इसपर लिखे लाल के नाम से उसका संबंध भी लाल तथा अन्य क्रांतिकारियों के साथ जोड़कर उसे भी ब्रिटिश सरकार का विरोधी जानकर दंड मिल सकता है।
प्रश्न 8. ‘ऐसे दुष्ट, व्यक्ति-नाशक राष्ट्र के सर्वनाश में मेरा भी हाथ हो’ के माध्यम से लाल क्या कहना चाहता है ?
उत्तर : इस कथन के माध्यम से लाल यह कहना चाहता है कि उसकी इच्छा है कि वह ऐसी ब्रिटिश सरकार का अंत करने में अपना पूरा योगदान देना चाहता है जो अपनी दुष्टता से भारतीय जनता को गुलाम बनाकर उनका शोषण कर रही है। वह इसके लिए आत्म-बलिदान देने के लिए भी तैयार है। इसलिए वह हँसते-हैसते फॉँसी चढ़ जाता है।
प्रश्न 9. निम्नलिखित का आशय स्पष्ट कीजिए-
(क) पुलिसवाले केवल संदेह पर भले आदमियों के बच्चों को त्रास देते हैं, मारते हैं, सताते हैं। यह अत्याचारी पुलिस की नीचता है। ऐसी नीच शासन-प्रणाली को स्वीकार करना अपने धर्म को, कर्म को, आत्मा को, परमात्मा को भुलाना है। धीरे-धीरे घुलाना-मिटाना है।
(ख) चाचा जी, नष्ट हो जाना तो यहाँ का नियम है। जो सँवारा गया है वह बिगड़ेगा ही। हमें दुर्बलता के डर से अपना काम नहीं रोकना चाहिए। कर्म के समय हमारी भुजाएँ दुर्बल नहीं, भगवान की सहत्र भुजाओं की सखियाँ हैं।
उत्तर : (क) ब्रिटिश सरकार की पुलिस भारतीयों के अच्छे घर के बच्चों को मात्र संदेह के आधार पर दंड देती थी। इसलिए इस प्रकार की अत्याचारी शासन-प्रणाली को स्वीकार करना क्रांतिकारी देश-भक्त अपने धर्म, कर्म, आत्मा और परमात्मा के विरुद्ध मानकर उनका विरोध करते थे।
(ख) कहानी में लाल इस बात को स्वीकार करता है कि अंग्रेज़ों की शक्ति की तुलना में भारत को स्वतंत्र करानेवालों की शक्ति बहुत कम है किंतु इसपर भी वह देश को स्वतंत्र कराने के अपने निश्चय पर अडिग है। उसे विश्वास है कि जब कोई मनुष्य दृढ़ निश्चयपूर्वक किसी कार्य को संपन्न करने में जुए जाता है तो उसमें कार्य करने की अपार क्षमता आ जाती है। कर्म में लीन व्यक्ति को परमात्मा भी पूरी सहायता देते हैं। कर्मशील व्यक्ति को ऐसा प्रतीत होता है मानो वह अकेला नहीं है अपितु भगवान के सहस्तों के हाथ भी उसकी सहायता कर रहे हैं। भाव यह है कि शारीरिक दृष्टि से कमजोर व्यक्ति भी निष्ठा और लगन से कठिन-से-कठिन कार्य भी सफलतापूर्वक कर लेता है।
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